गुरुवार, 5 मार्च 2009

(8 मार्च महिला दिवस पर विशेष आलेख)


समाज तो चाहता है पर सरकारें नहीं चाहतीं महिलाओं की भलाई

- महिला सशक्तीकरण का सच
- महिलाओं को दबाने में पीछे नहीं हैं पुरूष


(लिमटी खरे)


2004 में जैसे ही कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार केंद्र पर काबिज हुई, और सरकार के अघोषित सबसे शक्तिशाली पद पर कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी बैठीं तभी लगने लगा था कि आने वाले समय में सरकार द्वारा महिलाओं के हितों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। पांच साल बीत गए पर महिलाओं की स्थिति में एक इंच भी सुधार नहीं हुआ है।
महिलाओं के फायदे वाले सारे विधेयक आज भी सरकार की अलमारियों में पड़े हुए धूल खा रहे हैं। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई (33 फीसदी) भागीदारी सुनिश्चित करने संबंधी विधेयक अंतत: लोकसभा में पारित ही नहीं हो सका। राजनैतिक लाभ हानि के चक्कर में संप्रग सरकार ने इस विधेयक को हाथ लगाने से परहेज ही रखा।
महिलाओं की हालत क्या है यह बताता है उत्तर प्रदेश में किया गया एक सर्वेक्षण। सर्वे के अनुसार 1952 से 2002 के बीच हुए 14 विधानसभा चुनावों में प्रदेश में कुल 235 महिला विधायक ही चुनी गईं थीं। इनमें से सुचिता कृपलानी और मायावती ही एसी भाग्यशाली रहीं जिनके हाथों में सूबे की बागड़ोर रही।
चुनाव की रणभेरी बजते ही राजनैतिक दलों को महिलाओं की याद सतानी आरंभ हो जाती है। चुनावी लाभ के लिए वालीवुड के सितारों पर भी डोरे डालने से बाज नहीं आते हैं, देश के राजनेता। भीड़ जुटाने और भीड़ को वोट में तब्दील करवाने की जुगत में बड़े बड़े राजनेता भी रूपहले पर्दे की नायिकाओं की चिरोरी करते नज़र आते हैं।
देश के ग्रामीण इलाकों में महिलाओ की दुर्दशा देखते ही बनती है। कहने को तो सरकारों द्वारा बालिकाओं की पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास किए हैं। किन्तु ज़मीनी हकीकत इससे उलट है। गांव का आलम यह है कि स्कूलों में शौचालयों के अभाव के चलते देश की बेटियां पढ़ाई से वंचित हैं।
प्राचीन काल से माना जाता रहा है कि पुरातनपंथी और लिंगभेदी मानसिकता के चलते देश के अनेक हिस्सों में लड़कियों को स्कूल पढ़ने नहीं भेजा जाता। एक गैर सरकारी संगठन द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार उत्तर भारत के अनेक गांवों में बेटियों को शाला इसलिए नहीं भेजा जाता, क्योंकि वे अपनी बेटी को शिक्षित नहीं करना चाहते। इसकी प्रमुख वजह गांवों में शौचालय का न होना है।
शौचालयों के लिए केंद्र सरकार द्वारा समग्र स्वच्छता अभियान चलाया है। इसके लिए अरबों रूपयों की राशि राज्यों के माध्यम से शुष्क शोचालय बनाने में खर्च की जा रही है। सरकारी महकमों के भ्रष्ट तंत्र के चलते इसमें से अस्सी फीसदी राशि गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से सरकारी मुलाजिमों ने डकार ली होगी।
सदियों से यही माना जाता रहा है कि नारी घर की शोभा है। घर का कामकाज, पति, सास ससुर की सेवा, बच्चों की देखभाल उसके प्रमुख दायित्वों में शुमार माना जाता रहा है। अस्सी के दशक तक देश में महिलाओं की स्थिति कमोबेश यही रही है। 1982 में एशियाड के उपरांत टीवी की दस्तक से मानो सब कुछ बदल गया।
नब्बे के दशक के आरंभ में महानगरों में महिलाओं के प्रति समाज की सोच में खासा बदलाव देखा गया। इसके बाद तो मानो महिलाओं को प्रगति के पंख लग गए हों। आज देश में जिला मुख्यालयों में भी महिलाओं की सोच में बदलाव साफ देखा जा सकता है। कल तक चूल्हा चौका संभालने वाली महिला के हाथ आज कंप्यूटर पर जिस तेजी से थिरकते हैं, उसे देखकर प्रोढ़ हो रही पीढी आश्चर्य व्यक्त करती है।
कहने को तो आज महिलाएं हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं, पर सिर्फ बड़े, मझौले शहरों की। गांवों की स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है। देश की अर्थव्यवस्था गावों से ही संचालित होती है। देश को अन्न देने वाले अधिकांश किसानों की बेटियां आज भी अशिक्षित ही हैं।
आधुनिकीकरण की दौड़ में बड़े शहरों में महिलाओ ने पुरूषों के साथ बराबरी अवश्य कर ली हो पर परिवर्तन के इस युग का खामियाजा भी जवान होती पीढ़ी को भुगतना पड़ रहा है। मेट्रो में सरेआम शराब गटकती और धुंए के छल्ले उड़ाती युवतियों को देखकर लगने लगता है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति कितने घिनौने स्वरूप को ओढ़ने जा रही है।
पिछले सालों के रिकार्ड पर अगर नज़र डाली जाए तो शराब पीकर वाहन चलाने, पुलिस से दुव्र्यवहार करने के मामले में दिल्ली की महिलाओं ने बाजी मारी है। टीवी पर गंदे अश्लील गाने, सरेआम काकटेल पार्टियां किसी को अकषिZत करतीं हो न करती हों पर महानगरों की महिलाएं धीरे धीरे इनसे आकषिZत होकर इसमें रच बस गईं हैं। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि महानगरों और गांव की संस्कृति के बीच खाई बहुत लंबी हो चुकी है, जिसे पाटना जरूरी है। अन्यथा एक ही देश में संस्कृति के दो चेहरे दिखाई देंगे।बहरहाल सरकारों को चाहिए कि महिलाओं के हितों में बनाए गई योजनाओं को कानून में तब्दील करें, और इनके पालन में कड़ाई बरतें। वरना सरकारों की अच्छी सोच के बावजूद भी छोटे शहरों और गांव, मजरों टोलों की महिलाएं पिछड़ेपन को अंगीकार करने पर विवश होंगी।

राजनेताओं ने तो गांधी के आदशोZं को नीलाम कर दिया!
- विरासत वापस लाना अहम जवाबदारी, किन्तु जो है उसे तो संभालें
- नवजीवन ट्रस्ट की संपत्ति कैसे पहुंची विदेश


(लिमटी खरे)


अपनी शहादत के 61 साल बाद भी आज गांधी समूचे विश्व में प्रासंगिक बने हुए हैं। अमेरिका के डाक्टूमेंट्री फिल्म निर्माता जेम्स ओटिस ने बापू की कुछ अनमोल चीजों की नीलामी करने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद भारत सरकार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद आई और आनन फानन उसने इस चीजों को वापस लाने की पहल आरंभ की।
कितने आश्चर्य की बात है कि ओटिस ने बापू के चश्मे, जेब वाली घड़ी, चमड़े की चप्पलें, कटोरी, प्लेट आदि को भारत को सौंपने के एवज में एक मांग रखी है। ओटिस का कहना है कि अगर भारत सरकार अपने बजट का पांच प्रतिशत हिस्सा गरीबी उन्नमूलन पर खर्च करे तो वे इन सामग्रीयों को भारत को लौटा सकते हैं।
ओटिस की इस मांग को दो नज़रियों से देखा जा सकता है। अव्वल तो यह कि भारत सरकार क्या वाकई देश के गरीबों के प्रति फिकरमंद नहीं है? और क्या वह गरीबी उन्नमूलन की दिशा में कोई पहल नहीं कर रही है। अगर एसा है तो भारत सरकार को चाहिए कि वह हर साल अपने बजट के उस हिस्से को सार्वजनिक कर ओटिस को बताए कि उनकी मांग के पहले ही भारत सरकार इस दिशा में कार्यरत है। वस्तुत: सरकार की ओर से इस तरह का जवाब न आना साफ दर्शाता है कि ओटिस की मांग में दम है।
वहीं दूसरी ओर ओटिस को इस तरह की मांग करने के पहले इस बात का जवाब अवश्य ही देना चाहिए था कि उनके द्वारा एकत्र की गईं महात्मा गांधी की इन सारी वस्तुओं को किसी उचित संग्रहालय में महफूज रखने के स्थान पर इनकी नीलामी करने की उन्हें क्या ज़रूरत आन पड़ी।
ज्ञातव्य होगा कि 1996 में एक ब्रितानी फर्म द्वारा महात्मा गांधी की हस्तलिखित पुस्तकों की नीलामी पर मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाई गई थी। यह पहल भी 1929 में गठित किए गए नवजीवन ट्रस्ट द्वारा ही की गई थी। सवाल तो यह उठता है कि महात्मा गांधी द्वारा जब अपनी वसीयत में साफ तौर पर लिखा था कि उनकी हर चीज, प्रकाशित या अप्रकाशित आलेख रचनाएं उनके बाद नवजीवन ट्रस्ट की संपत्ति होंगे, के बाद उनसे जुड़ी वस्तुएं सात समुंदर पार कर अमेरिका और इंग्लेंड कैसे पहुंच गईं?
जिस चश्मे से उन्होेंने आजाद भारत की कल्पना को साकार होते देखा, जिस चप्पल से उन्होंने दांडी जैसा मार्च किया। जिस प्लेट और कटोरी में उन्होंने दो वक्त भोजन पाया उनकी नीलामी होना निश्चित रूप से बापू के विचारों और उनकी भावनाओं का सरासर अपमान है।
समूचे विश्व के लोगों के दिलों पर राज करने वाले अघोषित राजा जिन्हें हिन्दुस्तान के लोग राष्ट्र का पिता मानते हैं, उनकी विरासत को संजोकर रखना भारत सरकार की जिम्मेवारी बनती है। इसके साथ ही साथ महात्मा गांधी के दिखाए पथ और उनके आचार विचार को अंगीकार करना हर भारतीय का नैतिक कर्तव्य होना चाहिए।
महात्मा गांधी के नाम से प्रचलित गांधी टोपी को ही अगर लिया जाए तो अब उंगलियों में गिनने योग्य राजनेता बचे होंगे जो इस टोपी का नियमित प्रयोग करते होंगे। अपनी हेयर स्टाईल के माध्यम से आकर्षक दिखने की चाहत में राजनेताअों ने भी इस टोपी को त्याग दिया है।
आधी सदी से अधिक देश पर राज करने वाली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुषांगिक संगठन सेवादल की पारंपरिक वेशभूषा में गांधी टोपी का समावेश किया गया है। विडम्बना ही कही जाएगी कि सेवादल में सलामी लेने के दौरान ही कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा इस टोपी का प्रयोग किया जाता है।
इसके साथ ही गांधी वादी आज भी खादी का इस्तेमाल करते हैं, मगर असली गांधीवादी। आज हमारे देश के 99 फीसदी राजनेताओं द्वारा खादी का पूरी तरह परित्याग कर दिया गया है, जिसके चलते हाथकरघा उद्योग की कमर टूट चुकी है। आज आवश्यक्ता इस बात की है कि गांधी जी की विरासत को तो संजोकर रखा ही जाए, साथ ही उनके विचारों को संजोना बहुत जरूरी है। बापू की चीजें तो बेशक वापस आ जाएंगी, किन्तु उनके बताए मार्ग का क्या होगा?
देश के वर्तमान हालातों को देखकर हम यह कह सकते हैं कि देश के राजनेताओं ने अपने निहित स्वार्थों के चलते राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आर्दशों को भी नीलाम कर दिया है। आज के परिवेश में राजनीति में बापू के सिद्धांत और आदशोZं का टोटा साफ तौर पर परिलक्षित हो रहा है। ओटिस की नीलामी करने की घोषणा हिन्दुस्तान के राजनेताओं के लिए एक कटाक्ष ही कही जा सकती है, कि भारत गांधी जी के सिद्धांतों पर चलना सीखे।

मध्य प्रदेश की युवा ब्रिगेड ने ठोंकी


- मीनाक्षी, कमलेश्वर, प्रियवत, दिनेश, राजा बघेल, संजय पाठक, अरूण के नाम फिजा में
- युवाओं की भागीदारी पर संजीदा हैं राहुल गांधी
- मध्य प्रदेश में युवाओं की खुल सकती है लाटरी
- भाजपा के गढ़ में हो सकता है यह प्रयोग


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के कब्जे वाली सीटों पर युवाओं पर कांग्रेस दांव लगाने का मन बना रही है। राहुल गांधी से जुड़े मध्य प्रदेश के अनेक युवाओं का इतिहास और जीतने की संभावनाओं से संबंधित जानकारी राहुल गांधी के सलाकार कनिष्क सिंह के पास पहुंचना आरंभ हो गईं हैं।
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी चाहते हैं कि इस बार संसद में युवाओं की भागीदारी सबसे अधिक हो, इसी कारण उन्होंने देश भर में उन सीटोंं पर युवाओं को उतारने का मानस बनाया है जो दो या अधिक बार से भाजपा के कब्जे में हैं।
इसी तारतम्य में मध्य प्रदेश के बालाघाट संसदीय क्षेत्र से युवक कांग्रेस सिवनी के अध्यक्ष राजा बघेल, खरगोन से वर्तमान सांसद अरूण यादव को खण्डवा, मण्डला से ओंकार सिंह मरकाम, मुरेना से दिनेश गुर्जर, धार से उमंग सिंघार, कमलेश्वर पटेल को सतना, प्रियवृत सिंह को राजगढ़ एवं मीनाक्षी नटराजन को मंदसौर से चुनवी मैदान में उतारा जा सकता है। इसके साथ ही साथ अगर सत्यवृत चतुर्वेदी द्वारा खजुराहो से चुनाव लड़ने से इंकार किया जाता है तो उनके स्थान पर कटनी के युवा विधायक संजय पाठक को मैदान मे उतारा जा सकता है।
सूत्रों ने आगे बताया कि राहुल गांधी के निर्देश पर मध्य प्रदेश के लगभग एक दर्जन युवाअों का बायोडाटा और पूर्व का रिकार्ड तथा जीतने की संभावनाओं के मद्देनजर पर्यावेक्षकों का एक दल मध्य प्रदेश दौरे पर है, जो खुफिया तौर पर सारी जानकारी एकत्र कर रहा है। यही कारण है कि लोकसभा के युवा दावेदारों को शुक्रवार 6 मार्च के स्थान पर अब अगले गुरूवार 12 मार्च को दिल्ली तलब किया गया है।
माना जा रहा है कि राहुल गांधी के इस अभिनव प्रयोग के पीछे इस बार तेजी से बढ़े युवा मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में करने की सोच है। अगर राहुल गांधी का यह प्रयोग सफल रहा तो आने वाले समय में लोकसभा में उमर दराज नेताओं के बजाए युवा ब्रिगेड़ नजर आएगी।

जस्टिस वर्मा बने राजस्थान के मुख्य न्यायधीश
- मध्य प्रदेश में पले बढ़े हैं जस्टिस वर्मा
- भोपाल गैस पीड़ितों की सुनवाई के लिए मिली थी शोहरत

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में पले बढ़े जस्टिस दीपक वर्मा को राजस्थान का चीफ जस्टिस बनाया गया है। वे वर्तमान में कर्नाटक उच्च न्यायालय में बतौर जस्टिस कार्यरत हैं। महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने उक्ताशय के मनोनयन के आदेश जारी कर दिए हैं।
28 अगस्त 1947 को जन्मे जस्टिस वर्मा ने जबलपुर में कला के साथ स्नातक की डिग्री लेने के बाद यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट (यूटीडी) से विधि विषय में स्नातक की डिग्री ली। 1972 में इन्होंने वकील के रूप में अपना पंजीयन कराकर वकालत आरंभ की। इसके उपरांत इन्हें 1984 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का जज बनाया गया।

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सीमापार से एड्स लेकर आ रहीं हैं सुंदर बालाएं


- सीमा के पहरेदार हैं इसकी गिरफ्त में

(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। देश की उत्तरी सीमाओं की चौकसी कर रहे जवान इन दिनों भयानक बीमारी एड्स की चपेट में आत ेजा रहे हैं। उत्तर बंगाल में पड़ोसी देश नेपाल, भूटान व बाग्लादेश से एड्स आ रहा है। आम लोगों के साथ साथ सीमा पर तैनात अर्द्धसैनिक बल के जवान बड़ी तेजी से इनकी चपेट में आ रहे हैं। इस भयानक बीमारी को फैलाने में इन देशों की रेडलाइट एरिया में सक्रिय यौनकमÊ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
सैनिकों ने इन यौनकर्मियों को आतंकी सुंदरियों को नाम दिया है। एक जाच में सीमा पर तैनात अर्द्धसैनिक बलों के 17 जवान इससे ग्रस्त पाए गए हैं। सुनियोजित तरीके से इस बीमारी को भारतीय सीमा क्षेत्र में फैलाया जा रहा है। स्वयंसेवी संस्था संगबद्ध के सर्वेक्षण व सीमा पार से आई तीन यौनकर्मियों की गिरफ्तारी के बाद यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चाधिकारियों ने सीमा पर तैनात अर्द्धसैनिक बलों को सचेत रहने का निर्देश दिए हैं।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), ने इसके मद्देनजर एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके तहत एड्स विशेषज्ञ जवानों के रक्त नमूने की जाच कर रहे हैं। सीमा पर तैनात बीएसएफ और सशó सीमा बल ख्एसएसबी, के अधिकारी अपने.अपने जवानों को सैनिक सम्मेलन के माध्यम से आतंकी सुंदरियों से बचने के तरीके बता रहे हैं। एड रोकथाम में जुटी स्वयंसेवी संस्था संगबद्ध के सर्वेक्षण के मुताबिक, बाग्लादेश सीमा पर स्थित इलाके उत्तर दिनाजपुर, कूचबिहार, हिली, नक्सलबाड़ी, फूलबाड़ी, खोरीबाड़ी, दार्जिलिंग, पशुपति फाटक, मालदा, फासीदेवा, अलीपुरद्वार, कर्सियाग, कालिम्पोंग और जलपाईगुड़ी में एड्स तेजी से पाव फैला रहा है। तीन वर्ष पूर्व इन इलाकों में एड्स मरीजों की संख्या लगभग छह सौ थी। वर्तमान में इनकी संख्या करीब दो हजार पहुंच गई है।


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भाजपा के प्रेरणा स्त्रोत के बारे में पूछा सीबीएसई


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सीबीएसई ने 10वÈ क्लास के सोशल साइंस के पेपर में भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणाóोत के बारे में पूछा गया है। फरीदाबाद सेंटर पर प्रश्न पत्र में आए इस सवाल ने स्टूडंटस को काफी उलझा दिया। उधर, टीचर्स का भी कहना है कि किसी राजनीतिक पार्टी के बारे में इस तरह से सवाल नहÈ पूछे जाते हैं।
फरीदाबाद सेंटर के स्कूलों में सोशल साइंस पेपर के सेट नंबर एक के सातवें क्वेÜचन में कहा गया था कि भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणाóोत का उल्लेख कीजिए। एक नंबर के इस क्वेÜचन का जवाब अधिकतम एक लाइन में देना था। स्टूडंटस का कहना है कि उन्हें समझ नहÈ आया कि इसका जवाब किस तरह से दें। टीचर्स का भी कहना है कि सोशल साइंस में राजनीतिक पार्टियो± र्के बारे में पढ़ाया जाता हैए लेकिन जो क्वेÜचन पूछे जाते हैं वे लोकतंत्र को लेकर ही पूछे जाते हैं। उनका कहना है कि इस तरह के क्वेÜचन आÜचर्यचकित करते हैं।

न्यूज़ ६ मार्च इन इंग्लिश

(Special article on Women's Day March 8)


So Society wants but Governments does not want to governments the welfare of women


- The truth of women's empowerment

- Women are not men to suppress the back

(Limty Khare)

In 2004, the when UPA government Center, and the government's most powerful post undeclared hold by Congress chief Sonia Gandhi was then started by the Government in the coming time, women would be taken care of special interests। Five years have passed on the situation of women has not improved one inch। Bill the benefit of all the women still in the dust of the Government shelf’s. The bill for Women for 33 per cent participation in the Lok Sabha and state assemblies, was finally not passed in the Lok Sabha. Loss of political capital trying to hand the UPA Government to refrain from the Bill kept. What is the condition of women in Uttar Pradesh says it was a survey. According to the survey between 1952 and 2002 assembly elections in 14 state legislators to a total of 235 women were selected. Of these, only AC Sucita Kriplani and Mayawati who were lucky in the hands of the height post in the state. When election comes the political parties begin to remember women. Election for the benefit of Walivud stars put on Dore falcon comes, the country's politicians. Mobilize the masses and the crowd votes to get into a great statesman in the device of the heroines of the silver screen Cirori to look back. In rural areas of the country's plight is made on sight. By the governments to say to girls' education has made every effort. But the ground reality is otherwise. In several village schools due to lack of toilets in the daughters of the country are deprived of education. From ancient times has been considered that the mindset old and sex basis customs are highly followed in many parts of the country did not send girls to school to read. A survey by the NGO, according to a number of villages in Northern India not because daughters are sent to school, because they do not want to educate my daughter. Its main reason is the absence of toilets in the villages. Toilets for the overall cleanliness campaign launched by the central government's. Arabs for this amount of money through the states to create dry Sochaly is being spent. Corrupt system of government Mahkmon eighty per cent of this amount due to the non-governmental organizations through the Dakar government Mulajimon will be taken. This has been for centuries regarded as the home of the woman's suit. House work, husband, mother-in-law's father-in-service, care of the children among his main responsibilities have been considered. By the eighties, the status of women in the country is more or less the same. Asiad in 1982 after a knock to the TV as if everything has changed. In the beginning of the Nineties in the metropolitan cities in the thinking of society against women was seen substantial change. Later, as the women are looking to progress their wings. District headquarters in the country today in the women's change in thinking can be seen clearly. Management by surprise yesterday stove on a computer today, the woman's hands are fast Thirkte, she expressed surprise to see Prodh are generation does. So to say women today are self-sufficient in every field, but only large, medium cities. The status of rural poor still remains. Country's economy is driven from the villages. Country grain farmers, most of the daughters are still illiterate. Modernization in the race for the men in large cities with equal Mahilao must be made on the changes of the era of the Khamiyaja young generation would have to suffer. Metro Sream in alcohol and Gtkti Dhuna rings Udhati to see young women seems to be so vile that the Indian civilization and culture is being Odhne nature. Over the years, but if the record of an eye, then put drive drunk, police Duwryvhar the issue of women in Delhi have killed the game. Porn dirty songs on TV, someone Sream parties Kaktel Aksi W Z would not have to do is slow them women metros Aksi Z and W have just created it. We do not hesitate to say that a culture of metropolitan cities and villages has been a very long gap between the bridge is necessary. Otherwise, the same culture in the country will see two faces. However, governments in the interests of women that was made into law, plans, and follow them strictly in the exercise. Despite a good idea of governments or even small towns and villages, Mjron Tolon backwardness of women will be forced to embrace.

Politicians of the Gandhi gave Adso Z to do the auction!
- Heritage significant responsibility to get it back, but what's the take - How to reach the property of foreign Nvjivn Trust

(Limty Khare)

61 years after his testimony today of Gandhi remains relevant in the whole world। American filmmaker James Otis Daktumentry some of the precious things of the dada has announced the auction. After the announcement of the Government of India to the Nation, Mahatma Gandhi remembered and facial Fann he returned to take the initiative to get things started. Otis is surprising that so many of dad's glasses, a pocket watch, leather slippers, bowl, plate, etc., to hand over to India in return for a call is placed. Otis says that if the Government of India, five percent of its budget spent on poverty Unnmuln to take the material can return to India. Otis's the demand can be seen from two Njhrion. First, the Government of India for the poor of the country really is not Fikarmnd? And that any initiative towards poverty Unnmuln is not. If the Government of India should do this, then that the part of your budget every year to tell Otis that the public demand before the Government of India is engaged in this direction. In fact, on behalf of the Government in such a way as not to answer clearly shows that the ghost is in the demand for Otis. On one hand, the demand for Otis in this way the answer to the first course should be collected by them was that of Mahatma Gandhi were all these things a proper place in the museum to keep them safe, they need to auction aan had. In 1996, a British ज्ञातव्य that the firm's books by Mahatma Gandhi's manuscript auction on the Madras High Court was set up by the stop. This initiative also been set up in 1929 by the Trust was Nvjivn. Question that arises is by Mahatma Gandhi when clearly written in my will that everything their published or unpublished article Rcnaan After Nvjivn Trust's property to be attached to the goods after he crossed the seven seas to reach the U.S. and how Inglend were? Glasses from the vision of free India, they see are real, as the Dandi March, he made slippers. The plate and bowl, he found his two-time auction to be the food of course and the views of his dad's an insult to the sentiments entirely. The entire world to rule the hearts of undeclared king of India who is regarded as the father of the nation, their heritage Snjokr take responsibility of the Government of India is made. At the same time showing the path of Mahatma Gandhi and his idea of ethics to embrace the moral duty of every Indian should be. Gandhi, Mahatma Gandhi in the name of the current cap should be taken now if the count in the fingers will be able politician who left the cap must be used regularly. Through your hair style to look attractive to the cap in the Rajnetaaon is abandoned. More than half a century to rule over the land of the All India Congress Committee Sewadl of affiliated organizations in the traditional costume of the Gandhi cap has been introduced. Said that the irony will take the salute during Sewadl in Congress by the top leaders of the cap is used. At the same time, the plaintiff Gandhi Khadi use, but the real Gandhian. Today, 99 per cent of our country by politicians khadi has been completely abandon, which go Hathkrga industry has broken the waist. There is a need today that the legacy of Gandhi Snjokr to be kept, as well as to their views is very important to put together. Of course, back then things dad would be, but their way of telling what will happen? The present situation of the country to see that we can say that the politicians of the country due to the vested interests of the Nation Mahatma Gandhi Ardson has also auctioned. Today's environment, politics and the principles of dad do Adso Z clearly reflected the deficit is going on. Otis announced the auction of the politicians of India can be said to be an insinuation, that India learned to walk on the principles of Gandhi.

Madhya Pradesh Youth Brigade claming for loksabha

- Meenakshi, Kmleshhwar, Priywat, Dinesh, Bgel King, Sanjay Pathak, Arun in the name of the एयर

- Participation of young people are serious on Rahul गाँधी

- Madhya Pradesh in the lottery is open to यूथ

- The stronghold of the BJP in this experiment can बे

(Limty Khare)

New Delhi। Bharatiya Janata Party's youth occupied seats on the mind of the Congress is preparing to bet. Rahul Gandhi, a number of youth involved in the history of Madhya Pradesh and information related to the possibilities of winning the Slakar Rahul Singh Knishk to have to get started. Sources close to Rahul Gandhi, Rahul Gandhi said that the Parliament wants the participation of youth in the most are the same across the country because they Sitonn on the psyche of young people off who have made two or more times in the occupation of the BJP are. Sequence in the same area of Madhya Pradesh Balaghat Parliamentary Youth Congress president of Sivani Bgel King, the current MP Arun Yadav Krgon Kndwa, Omkar Singh Mandla from Mrkam, Murena from Dinesh Gujjar, Singar edge with enthusiasm, Satna Kmleshhwar Patel, Singh Priyvrit Meenakshi Natarajan and rajgarh to Mandsaur from the field Chunvi can be launched. At the same time if Satyvrit Chaturvedi from Khajuraho by-election is to deny their place on the harvest of young MLA Sanjay Pathak in the field can be lowered. Rahul Gandhi, the sources further said that on the directions of Madhya Pradesh, about a dozen former and Bayodata Yuwaaon of record and in view of the possibility of winning Pryavekshkon a team of Madhya Pradesh on the tour, which, as all intelligence information is collected. That's why young claimants to the Lok Sabha on March 6 Friday now instead of next Thursday, March 12 Delhi cite has been made. Rahul Gandhi is considered that this innovative use of this time behind the rapid increase in young voters favor of the Congress is thinking of. If Rahul Gandhi's successful use in the Lok Sabha in the coming years, Omar drawer instead of the young leaders will look Briged.

Justice Verma, became the chief judge of Rajasthan - Verma has started his carrier from Madhya Pradesh
- Hearing of the Bhopal gas victims to fame was (LimtY Khare) New Delhi. Jabalpur in Madhya Pradesh Snskardani Ple increase of Rajasthan Chief Justice Deepak Verma and Justice has been made. They present as in the Karnataka High Court Justice Employed. President Pratibha Devi Singh Patil Uktasy of the order of nomination have been released. Born on 28 August 1947, Justice Verma in Jabalpur with bachelor of arts degree after university Tiching Department (Uteedi) to graduate degree course in law. He as a lawyer in 1972 by advocating the beginning of your registration. Them in 1984 after the Madhya Pradesh High Court judge was created.


AIDS is coming from क्रॉस
-बोर्डr with beautiful Balaan - Border guaरds aर

e in its clutches (

Limty खरे

) New Delhi। Guarding the country's northern borders are young these days in the grip of a terrible disease AIDS At Eja are. North Bengal in the neighboring country of Nepal, Bhutan and AIDS is coming from Bagladesh. Ordinary people with the paramilitary forces deployed on the border of the young fast in the grip of his coming. This dreadful disease to spread in these countries are active in the area of Redlait E Yunkm have been playing an important role. Soldiers of the sex workers have a name to terrorist beauties. Jac in a range of paramilitary forces deployed in 17 young have been found to be afflicted by it. Planned way from the Indian territory in the disease is being spread. NGO survey Sngbddh and come from across the border after the arrest of three sex workers have revealed sensational. Given the gravity of the case, the limit on high alert to deploy paramilitary forces to be directed. Border Security Force (BSF), the view has started a pilot project. AIDS specialists under which soldiers are blood samples of Jac. BSF deployed on the border and the border forces Krssbi o Ss, their officers. His troops through military terror conference avoid beauties are ways to tell. Aid in the prevention NGO Sngbddh represented according to the survey, located on the border area Bagladesh North Dinajpur, Kucbihar, move, Nkslbadhi, Fulbadhi, Khoribadhi, Darjeeling, Pashupati gate, Malda, Fasidewa, Alipurdwar, Krsiag, Jalpaiguri Kalimpong and AIDS in the fast is creating a pie. Three years ago in these areas the number of AIDS patients was about six hundred. At present, the number has reached nearly two थौसंद

BJP asked about the source of inspiration by CBSE


(Limty Khare)

New Delhi। CBSE class 10 and E of the Social Science paper in the Bharatiya Janata Party asked about the inspiration o Ot is. Faridabad on the question in a letter to the Center of the question Studnts very disheveled. The Teachers also say that about any political party like this is asking a question E Nh. Center of Social Science in Schools Faridabad paper a number of set U Cn Kve in the seventh was said that the inspiration for the Bharatiya Janata Party Ot o mention of me. The number one answer Kve U Cn a maximum in the line was. Studnts that they understand that E Nh how to give the answer. Teachers also say that social science in political Partiao ± taught Rke Haa But what about Kve U Cn are asking about the democracy they are asking. They say that such Kve U Cn U Charyckit are coming.



क्रिकेट पर पसरी आतंक की स्याह छाया

- तालिबान ने खोदी पाकिस्तान की पिच
- कहीं पाकिस्तान खुद को आतंक से सताया देश साबित करने में तो नहीं जुटा
- चंद ही दिनों का लोकतंत्र बचा है पाकिस्तान में
- सैनिक हुक्मरान तैयार कर रहे जमीन
- पकिस्तान क्रिकेट टीम की भूमिका भी संदिग्ध


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3 मार्च को मंगलवार था, और विश्वभर के क्रिकेट प्रेमियों की नज़र में इसे काला मंगलवार के नाम से ही जाना जाएगा। एक साल से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तरस रहे पाकिस्तान पर श्रीलंका ने कुछ तरस खाकर अपना दौरा बनाया था, वह भी पाकिस्तान के आतंक की बली चढ़ गया।
घोर आश्चर्य की बात तो यह है कि किसी भी राष्ट्राध्यक्ष जितनी सुरक्षा श्रीलंकाई क्रिकेट टीम को मुहैया होने के बावजूद भी जिस बस से उन्हें गद्दाफी स्टेडियम ले जाया जा रहा था, वह बुलट प्रूफ ही नहीं थी। सोमवार को इस टीम पर आतंकी हमले की खुफिया जानकारी भी पाकिस्तान को मिल चुकी थी। इसी के चलते टीम के मार्ग में परिवर्तन किया गया था। इतना सब होने के बाद भी अगर दहशतगर्द अपने मंसूबों में कामयाब रहे तो यह बात आसानी से पचने वाली नहीं है।

इस पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तान क्रिकेट टीम की भूमिका भी काफी हद तक संदिग्ध कही जा सकती है। पाकिस्तान के क्रिकेट कोच इंतखाब आलम के अनुसार दोनों टीमों को सुबह 8 बजकर 40 मिनिट पर अलग अलग बस से एक साथ ही स्टेडियम रवाना होना था। पाकिस्तान के कप्तान युनूस ने अपनी टीम को तयशुदा समय से कुछ विलंब से होटल से रवाना किया। लोगों के जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या युनूस को हादसे से पूर्व कोई पूर्व सूचना देकर आगाह किया गया था?
मजे की बात तो यह है कि लिबर्टी चौक पर लगभग आधे घंटे हुई गोलाबारी के बाद भी इलाके की नाकेबंदी नहीं की गई थी। और तो और इस चौराहे पर सामान्य दिनों की तरह पुलिस के सिपाही भी नज़र नहीं आए। इतनी बड़ी घटना को अंजाम देकर अगर आतंकवादी घटनास्थल से भागने में कामयाब हो गए तो निश्चित रूप से सरकार का एक तंत्र इस षणयंत्र में शामिल कहा जा सकता है।
इन आतंकवादियों ने श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर न केवल दनादन गोलियां बरसाईं बल्कि राकेट लांचर और ग्रेनेड से भी हमला किया। आधे घंटे वे तांडव मचाते रहे और पाकिस्तान की खुफिया या सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। सुनने में अटपटा जरूर लगता है, किन्तु यही हकीकत थी मंगलवार को हिन्दुस्तान से महज 35 किलोमीटर दूर स्थित पाकिस्तान के लाहौर के लिबर्टी चौक की।

इस पूरे घटनाक्रम में श्रीलंका टीम को ले जा रहे बस चालक मोहम्मद खलील की जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी। अपनी जान की परवाह किए बिना खलील ने जिस तेजी से निर्णय लेते हुए बस को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाया उसके लिए श्रीलंकाई टीम ने उनका तहेदिल से शुक्रिया अदा किया है। पाकिस्तान सरकार को भी चाहिए कि एसे जांबाज बस चालक को देश के सर्वोच्च पुरूस्कार से नवाज़े, क्योंकि अगर इस हादसे में कोई बड़ी अनहोनी हो जाती तो पाकिस्तान दुनिया भर को मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचता, वैसे भी अभी पाकिस्तान की स्थिति वैश्विक स्तर पर बहुत ही खराब कही जा सकती है।
पाकिस्तान में क्रिकेट पर आतंकवाद के साये की कहानी लगभग एक दशक पुरानी कही जा सकती है। सितम्बर 2001 में 9/11 में अमेरिया में हुए हमले के बाद न्यूजीलेंड ने पाकिस्तान का दौरा रद्द कर दिया था। इसके अलावा वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया ने अपने निर्धारित मैच पाकिस्तान की सरज़मीं के स्थान पर कोलंबो और शरजाह में करवाए थे।
मई 2002 में करांची के शेरेटन होटल के बाहर हुए बम विस्फोट के बाद न्यूजीलेंड ने अपना पाक दौरा बीच में ही रद्द कर दिया था। दिसंबर 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद 2008 में आस्ट्रेलिया ने अपना पाकिस्तान दौरा रद्द कर दिया था। एक असेZ से आतंकवाद की गिरफ्त में फंसे भारत के खेलपे्रमियों द्वारा इसके लिए जिम्मेदार पाकिस्तान के साथ खेल संबंध भी समाप्त करने की बात कही जाती रही है।
बहरहाल पाकिस्तान में श्रीलंका क्रिकेट टीम के साथ जो कुछ हुआ उसकी सिर्फ निंदा और भत्र्सना करने से काम नहीं चलेगा। अब वह समय आ गया है कि विश्व के सभी देश मिलकर पाकिस्तान में फल फूल रहे आतंकवाद के खात्मे के लिए एकजुट होकर कोई कदम उठाएं।

कांग्रेस में सबसे ताकतवर युवा कौन!

- राहुल गांधी की बजाए कनिष्क सिंह की हो रही है गणेश परिक्रमा
- कनिष्क का तीन दिन का अतिथ्य स्वीकारा राहुल ने

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नई दिल्ली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय कार्यालय 24 अकबर रोड़ में इन दिनों पार्टी के सबसे ताकतवर युवा को लेकर तरह तरह की चर्चाएं आम होने लगी हैं। कांग्रेस के भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी के कार्यालय को संभालने वाले कनिष्क सिंह की तूती ठीक उसी तरह बोल रही है, जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी के कार्यकाल में विसेंट जार्ज की बोला करती थी।
राजस्थान के राज्यपाल एस.के.सिंह के सुपुत्र कनिष्क सिंह न केवल राहुल के आफिस का कार्यभार संभालते हैं, वरन वे उनका मिनिट टू मिनिट का कार्यक्रम भी निर्धारित करते हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि राहुल गांधी, बिना कनिष्क सिंह की सलाह के एक कदम भी नहीं उठाते।
नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों मेें भी राहुल गांधी से ज्यादा भीड़ कनिष्क सिंह को ही घेरे रहती थी। वर्तमान में भी लोकसभा दावेदारों का यही आलम है। युवाओं की भीड़ सबसे ज्यादा कनिष्क सिंह के इर्दगिर्द ही नज़र आ रही है।
कनिष्क ने राहुल गांधी को किस कदर अपने प्रभाव में ले रखा है, इस बात का नज़ारा पिदले दिनों जयपुर में कनिष्क सिंह के भाई की शादी में देखने को मिला। कांग्रेस के युवराज ने 19 से 21 फरवरी तक पूरे तीन दिन राजस्थान के लाट साहब की आवभगत को स्वीकारा।
इतना ही नहीं शादी की हर रस्म में उन्होंने हिस्सा लिया, यहां तक कि बारात में भी साफा पहनकर राहुल गांधी पैदल चले। राहुल गांधी की प्राईवेसी को ध्यान में रखते हुए लाट साहब ने जयपुर, कोटा, सिरोही, झलवाड़, नरसिंहगढ़, जोधपुर आदि के पूर्व महाराजाओं के परिवार सहित चंद राजनेताओं को ही आमंत्रित किया था।

छग मामले में कांग्रेस की बैठक अब 6 को

- मंगलवार को आहूत बैठक टली

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नई दिल्ली। कांग्रेस के आला नेताओं को छत्तीसगढ़ में समन्वय बनाने में खासी मशक्कत करना पड़ रहा है। एक राय न बन पाने के चलते मंगलवार को प्रत्याशी चयन के संबद्ध में बुलाई गई स्क्रीनिंग बैठक को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव नारायण सामी के करीबी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय रक्षा मंत्री ने सामी को कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की भावनाओं से आवगत कराते हुए यह आग्रह किया है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक एक ही दिन बुलाई जाए, ताकि प्रत्याशियों का चयन जल्द ही निपटा लिया जाए।
उधर छत्तीसगढ़ के लिए लोकसभा उम्मीदवारों के चयन के पहले ही कांग्रेस का एक बहुत बड़ा धड़ा अभी से ही असंतुष्ट नजर आने लगा है। प्रदेश चुनाव समिति की पिछली बैठक में अलग अलग हुई चर्चाओं के बाद अधिकांश कांग्रेसियों का कहना है कि इस बार फिर उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पारदशीZ रहने की उम्मीद कम ही है।
असंतुष्टों के अनुसार इस बार बड़े और प्रभावशाली नेताओं द्वारा अपने अपने चहेते बफादारों को टिकिट दिलवाने में फिर से कामयाब हो जाएंगे और योग्य तथा जीतने वाले उम्मीदवार सदा की ही भांति मुंह ताकते रह जाएंगे। बहरहाल 6 मार्च को आयोजित बैठक में प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी दोनों ही के सदस्य रहेंगे। यह बैठक हंगामेदार होने की उम्मीद है।

- नायक का नाम आने से समीकरण बिगड़े


छग प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने रायपुर लोकसभ सीट के लिए राजेश नायक का नाम आगे बढ़ाकर समीकरण गड़बड़ा दिए हैं। ज्ञातव्य है कि इस सीट पर पूर्व मंत्री सत्य नारायण शर्मा, पारस चौपड़ा, छग साहू समाज के अध्यक्ष मोतीलाल साहू एवं मोहम्मद अकबर की पहले से ही प्रबल दावेदारी है।

न्यूज़ इन हिन्दी ४ मार्च