शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

युवराज को लेकर कांग्रेस में चलती तलवारें!


युवराज को लेकर कांग्रेस में चलती तलवारें!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने बड़ी जिम्मेवारी उठाने के लिए हामी भर दी है। राहुल तैयार हैं राजपाट संभालने के लिए, किन्तु कांग्रेस के अंदर ही राहुल को लेकर अनेक तरह की विचारधाराएं पनप रही हैं। कांग्रेस के अंदर से आ रही ढाल तलवारों की खनक से लगने लगा है कि राहुल की ताजपोशी उतनी आसान हीं है जितनी सोनिया समझ रही हैं। कांग्रेस अब राहुल को प्रोजेक्ट करने को लेकर जमकर बंट चुकी है। एक के बाद एक नेता राहुल के खिलाफ मुंह खोल रहे हैं तो कुछ आफ द रिकार्डविषवमन करवा रहे हैं।
सलमान खुर्शीद ही अकेले एसे नेता नहीं हैं जो राहुल गांधी की आलोचना कर रहे हों। पार्टी में अनेक नेता हैं जो युवराज की मुखालफत में जुटे हुए हैं। कुछ तो बाकायदा मीडिया के साथ बतियाते हुए कहते हैं यार ऑफ द रिकार्ड है, मगर युवराज से नहीं चलने वाला। राहुल की लीडरशिप में सो मेनी सीरियर लीडर्स विल नाट बी कंफर्टबेल। अरे हमने राहुल के फादर राजीव के साथ काम किया है, अब कल का छोकरा हमें डिक्टेट करेगा।
कांग्र्रेस के एक महासचिव ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा के दौरान साफ कह दिया था कि कांग्रेस पार्टी के पास 2015 तक के लिए निर्वाचित अध्यक्ष है, फिर इन परिस्थितियों में कांग्रेस को कार्यकारी अध्यक्ष की क्या आवश्यक्ता है? उनका कहना साफ इस ओर इशारा कर रहा था कि राहुल गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की कोई आवश्यक्ता ही नहीं है।
एआईसीसी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एक वरिष्ठ मंत्री ने भी सलमान खुर्शीद की बात का समर्थन किया है। उनका कहना है कि सलमान खुर्शीद ने जो कहा उसमें गलत क्या है? सच है कि राहुल को कुछ प्रबंधक मिलकर मीडिया में महिमा मण्डित कर रहे हैं, पर राहुल में नेतृत्व करने की क्षमता कतई नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि उक्त मंत्री ने तो उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भेंट के दौरान अपने मन की भड़ास भी तबियत से निकाली। उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए राहुल से नहीं चलने वाला। अब वे अपनी कांस्टीट्वंसी ही नहीं संभाल पा रहे हैं, तो उनसे देश और कांग्रेस को संभालने की उम्मीद करना बेमानी ही है।
यद्यपि राहुल गांधी ने बड़ी जिम्मेवारी लेने के लिए हामी तो भर दी है पर 2014 में राहुल को प्रोजेक्ट करने के मामले में कांग्रेस अंदर ही अंदर बंट चुकी है। एआईसीसी के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो नेशनल लेवल के पोस्ट होल्डर्स और अधिकांश मंत्रियों का मत है कि राहुल को अभी प्रोजेक्ट करना पार्टी के लिए बेहद नुकसानदेह ही होगा।
एआईसीसी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया पर इस बात का दबाव ज्यादा है कि 2014 में किसी को भी पीएम प्रोजेक्ट किए बिना ही चुनावी महासमर में उतरा जाए, तभी कांग्रेस की वापसी की कुछ धूमिल उम्मीदें ही दिख रहीं हैं, क्योंकि घपले घोटाले और भ्रष्टाचार के महाकांड तो कांग्रेस के लिए सरदर्द बन ही चुके हैं।
सूत्रों ने बताया कि वहीं दूसरी ओर राजा दिग्विजय सिंह सहित कुछ अन्य नेता इस बात के लिए लाबिंग में लगे हैं कि राहुल गांधी को पार्टी को पार्टी की बागडोर अब संभाल ही लेना चाहिए, क्योंकि अभी नहीं तो कभी नहीं। यह भी कहा जा रहा है कि सोनिया को घेरकर बैठी उनकी किचिन कैबनेट ही राहुल की ताजपोशी में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभर रही है।
सूत्रों ने कहा कि पार्टी के अंदर अभी इस बात पर मंथन चल रहा है कि गुजरात चुनावों में राहुल गांधी को उतारा जाए या नहीं! पार्टी इस बात को लेकर जबर्दस्त दुविधा में है। अगर गुजरात चुनाव में राहुल को प्रोजेक्ट किया गया तो गुजरात में ही कांग्रेस का प्रधानमंत्री राहुल गांधी और भाजपा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी चर्चाएं सिर्फ सूबे तक ही नहीं सिमटी रहेंगी।
यह चुनाव राहुल वर्सेस मोदी हो जाएगा। सूत्रों की मानें तो रणनीतिकारों का मानना है कि बातें गुजरात से निकलकर जब देश भर में फैलेंगी तब इसमें कांग्रेस के पीएम राहुल और भाजपा के पीएम मोदी की तुलना में मोदी का पड़ला भारी रहेगा जो राहुल के लिए एक बहुत ही बड़ा सैडबैक हो सकता हैैै।
उधर, एआईसीसी सूत्रों ने खबर दी है कि कांग्रेस के 10 सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर राहुल गांधी को लोकसभा में नेता, सदन बनाने की मांग की है। इस बीच, खबर यह भी है कि पार्टी राहुल को एआईसीसी का महासचिव बनाकर पूरे संगठन की जिम्मेदारी दे सकती है। अगर पार्टी यह फैसला करती है तो राहुल गांधी के पास औपचारिक तौर पर देश में कहीं भी पार्टी के कामकाज में दखल देने का अधिकार हो जाएगा।
लोकसभा के इन सांसदों ने अपने संयुक्त पत्र में कहा है कि सदन के नेता के रुप में राहुल गांधी जनता से जुडे मुद्दों पर जोरदार ढंग से बोलेंगे और साथी सांसदों को उनके उदाहरण का स्वेच्छा पूर्वक और प्रसन्नता पूर्वक अनुसरण करने के लिए प्रेरित करेंगे। पत्र में इन सांसदों ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह समय की जरुरत है कि राहुल गांधी को संसद में बडी और सक्रिया भूमिका अदा करनी चाहिए क्योंकि पार्टी संसद और संसद के बाहर अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है।
सांसदों का मानना हे कि राहुल विपक्ष और सहयोगी दलों के साथ और ज्यादा कारगर तरीके से संबंध बनाने में सक्षम होंगे। वास्तव में अनेक नेता हैं लेकिन तकरीबन पचास फीसदी की युवा आबादी वाला हमारा देश एक युवा नेता की मांग करता है और इन वर्षोंमें राहुल गांधी इस देश में सबसे ज्यादा स्वीकार्य युवा नेता के रुप में उभरे हैं ।
एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार कांग्रेस के कुछ ताकतवर नेताओं ने सोनिया गांधी को यह बताने की कोशिश की है कि किस तरह राहुल गांधी संसद या सरकार में बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए नाकाबिलहैं। इस धड़े का कहना है कि राहुल गांधी को अभी कुछ समय और पार्टी में ही काम करने दिया जाए। विरोध कर रहे धड़े का कहना है कि राहुल बेहद शर्मीलेऔर  हालात को टटोलनेवाले नेता हैं, जो सत्ता की राजनीति के लिए जरूरी बारीकियों को मैनेज6 नहीं कर पाएंगे।
वहीं, एनसीपी प्रमुख और यूपीए सरकार में वरिष्ठ मंत्री शरद पवार की मंत्रिमंडल में वरीयता क्रम को लेकर विवाद बढ़ने के बाद लोकसभा का अगला नेता तय करने की प्रक्रिया में पेंच फंस गया है। यूपीए के प्रमुख घटक द्रमुक के नेता टीआर बालू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लोकसभा का नेता बनने का आग्रह किया है। इसके बाद यह कहा जाने लगा है कि गांधी पर इस जिम्मेदारी को निभाने के दबाव बढ़ सकता है। साथ ही यह तर्क भी दिया जा रहा है कि जब गांधी ने पीएम पद स्वीकार नही किया तो वह इससे नीचे का पद क्यों स्वीकार करेंगी।

दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस


दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह की बात से केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के प्रभाव वाले और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की कर्मभूमि वाले जिले की कांग्रेस ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखती है। यही कारण है कि प्रदेश में आदिवासियों की जमीनों की बिक्री की अनुमति देने की जांच की राजा की मांग से जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी को कोई सरोकार नहीं दिख रहा है।
ज्ञातव्य है कि कांग्रेस महासचिव एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से टीकमगढ, मुरैना और श्योपुर जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। इसके पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में सिवनी जिले की जमीनों का मामला उठने की खबर है, किन्तु दिग्विजय सिंह ने महाकौशल के बारे में आश्चर्यजनक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।
सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में भाजपा के भ्रष्टाचार निवारण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अनिल माहौर द्वारा लिखे गये पत्र का हवाला देते हुए कहा कि माहौर ने भी उक्त जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। सिंह ने अपने पत्र में कहा कि इसी प्रकार भिंड जिले में भी इस प्रकार के मामलों में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायते हैं और इस बारे में उन्होंने (सिंह ने) पहले भी शिकायत की थी लेकिन उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसका आज तक पता नहीं चल सका है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब तो भाजपा कार्यकर्ता भी आरोप लगा रहे हैं। उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसके बारे में अवगत कराया जाए। कहा जा रहा है कि अनेक जिलों में जिला भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्षों और पदाधिकारियों द्वारा आदिवासियों की जमीन की दलाली के आरोप लग रहे हैं। कुछ की शिकायतें आज भी जिला कलेक्टर्स के पास लंबित हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासियों की जमीनों की खरीदी बिक्री व्यापक पैमाने पर होने की शिकायतें की गईं थीं। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े जिला इकाई के अनेक सदस्यों पर भी आदिवासियों के द्वारा जमीन खरीदी बिक्री के आरोप हैं। इनकी शिकायतें भी अभी तक लंबित ही हैं। कहा जा रहा है कि प्रशासन भी भाजपा पर दबाव बनाए रखने के लिए इन शिकायतों का निराकरण नहीं कर रहा है।
यहां एक बात गौरतलब है कि सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा पावर प्लांट की स्थापना करवाई जा रही है। इसमें भी आदिवासियों को उनकी जमीनों का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने के आरोप लगे थे। यहां तक कि आदिवासियों ने भरी गर्मी में घंसौर के ग्राम बरेला में संयंत्र के निर्माण स्थल के सामने घरना भी दिया था।
यह सब देखने सुनने के बाद भी जिला कांग्रेस कमेटी, ब्लाक कांग्रेस कमेटी ने गरीब गुरबे आदिवासियों की पीठ पर हाथ रखना अपनी गरिमा के प्रतिकूल ही समझा। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि महाकौशल में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर का झंडा डंडा उठाने वाले नेताओं को झाबुआ पावर प्लांट में करोड़ों के काम दिए गए हैं, जो स्थानीय स्तर पर आदिवासियों को बेवबूफ बनाकर अपना हित साध रहे हैं।

दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस


दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह की बात से केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के प्रभाव वाले और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की कर्मभूमि वाले जिले की कांग्रेस ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखती है। यही कारण है कि प्रदेश में आदिवासियों की जमीनों की बिक्री की अनुमति देने की जांच की राजा की मांग से जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी को कोई सरोकार नहीं दिख रहा है।
ज्ञातव्य है कि कांग्रेस महासचिव एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से टीकमगढ, मुरैना और श्योपुर जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। इसके पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में सिवनी जिले की जमीनों का मामला उठने की खबर है, किन्तु दिग्विजय सिंह ने महाकौशल के बारे में आश्चर्यजनक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।
सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में भाजपा के भ्रष्टाचार निवारण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अनिल माहौर द्वारा लिखे गये पत्र का हवाला देते हुए कहा कि माहौर ने भी उक्त जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। सिंह ने अपने पत्र में कहा कि इसी प्रकार भिंड जिले में भी इस प्रकार के मामलों में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायते हैं और इस बारे में उन्होंने (सिंह ने) पहले भी शिकायत की थी लेकिन उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसका आज तक पता नहीं चल सका है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब तो भाजपा कार्यकर्ता भी आरोप लगा रहे हैं। उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसके बारे में अवगत कराया जाए। कहा जा रहा है कि अनेक जिलों में जिला भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्षों और पदाधिकारियों द्वारा आदिवासियों की जमीन की दलाली के आरोप लग रहे हैं। कुछ की शिकायतें आज भी जिला कलेक्टर्स के पास लंबित हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासियों की जमीनों की खरीदी बिक्री व्यापक पैमाने पर होने की शिकायतें की गईं थीं। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े जिला इकाई के अनेक सदस्यों पर भी आदिवासियों के द्वारा जमीन खरीदी बिक्री के आरोप हैं। इनकी शिकायतें भी अभी तक लंबित ही हैं। कहा जा रहा है कि प्रशासन भी भाजपा पर दबाव बनाए रखने के लिए इन शिकायतों का निराकरण नहीं कर रहा है।
यहां एक बात गौरतलब है कि सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा पावर प्लांट की स्थापना करवाई जा रही है। इसमें भी आदिवासियों को उनकी जमीनों का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने के आरोप लगे थे। यहां तक कि आदिवासियों ने भरी गर्मी में घंसौर के ग्राम बरेला में संयंत्र के निर्माण स्थल के सामने घरना भी दिया था।
यह सब देखने सुनने के बाद भी जिला कांग्रेस कमेटी, ब्लाक कांग्रेस कमेटी ने गरीब गुरबे आदिवासियों की पीठ पर हाथ रखना अपनी गरिमा के प्रतिकूल ही समझा। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि महाकौशल में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर का झंडा डंडा उठाने वाले नेताओं को झाबुआ पावर प्लांट में करोड़ों के काम दिए गए हैं, जो स्थानीय स्तर पर आदिवासियों को बेवबूफ बनाकर अपना हित साध रहे हैं।

दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस


दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह की बात से केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के प्रभाव वाले और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की कर्मभूमि वाले जिले की कांग्रेस ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखती है। यही कारण है कि प्रदेश में आदिवासियों की जमीनों की बिक्री की अनुमति देने की जांच की राजा की मांग से जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी को कोई सरोकार नहीं दिख रहा है।
ज्ञातव्य है कि कांग्रेस महासचिव एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से टीकमगढ, मुरैना और श्योपुर जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। इसके पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में सिवनी जिले की जमीनों का मामला उठने की खबर है, किन्तु दिग्विजय सिंह ने महाकौशल के बारे में आश्चर्यजनक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।
सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में भाजपा के भ्रष्टाचार निवारण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अनिल माहौर द्वारा लिखे गये पत्र का हवाला देते हुए कहा कि माहौर ने भी उक्त जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। सिंह ने अपने पत्र में कहा कि इसी प्रकार भिंड जिले में भी इस प्रकार के मामलों में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायते हैं और इस बारे में उन्होंने (सिंह ने) पहले भी शिकायत की थी लेकिन उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसका आज तक पता नहीं चल सका है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब तो भाजपा कार्यकर्ता भी आरोप लगा रहे हैं। उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसके बारे में अवगत कराया जाए। कहा जा रहा है कि अनेक जिलों में जिला भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्षों और पदाधिकारियों द्वारा आदिवासियों की जमीन की दलाली के आरोप लग रहे हैं। कुछ की शिकायतें आज भी जिला कलेक्टर्स के पास लंबित हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासियों की जमीनों की खरीदी बिक्री व्यापक पैमाने पर होने की शिकायतें की गईं थीं। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े जिला इकाई के अनेक सदस्यों पर भी आदिवासियों के द्वारा जमीन खरीदी बिक्री के आरोप हैं। इनकी शिकायतें भी अभी तक लंबित ही हैं। कहा जा रहा है कि प्रशासन भी भाजपा पर दबाव बनाए रखने के लिए इन शिकायतों का निराकरण नहीं कर रहा है।
यहां एक बात गौरतलब है कि सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा पावर प्लांट की स्थापना करवाई जा रही है। इसमें भी आदिवासियों को उनकी जमीनों का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने के आरोप लगे थे। यहां तक कि आदिवासियों ने भरी गर्मी में घंसौर के ग्राम बरेला में संयंत्र के निर्माण स्थल के सामने घरना भी दिया था।
यह सब देखने सुनने के बाद भी जिला कांग्रेस कमेटी, ब्लाक कांग्रेस कमेटी ने गरीब गुरबे आदिवासियों की पीठ पर हाथ रखना अपनी गरिमा के प्रतिकूल ही समझा। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि महाकौशल में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर का झंडा डंडा उठाने वाले नेताओं को झाबुआ पावर प्लांट में करोड़ों के काम दिए गए हैं, जो स्थानीय स्तर पर आदिवासियों को बेवबूफ बनाकर अपना हित साध रहे हैं।