गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

शिक्षा की दृष्टि से समृद्ध होगा महाकौशल प्रांत


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 5

शिक्षा की दृष्टि से समृद्ध होगा महाकौशल प्रांत

तीन विश्वविद्यालय हैं महाकौशल में


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। छोटे राज्यों से विकास के मार्ग प्रशस्त होते हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। भौगोलिक दृष्टिकोण से संयुक्त मध्य प्रदेश के विशाल भू भाग को जब छत्तीसगढ़ में बांटकर अलग किया गया था तब छत्तीसगढ़ के विकास के मार्ग तेजी से प्रशस्त हुए। उस वक्त प्रथक महाकौशल की मांग भी उठी थी, किन्तु नपुंसक राजनैतिक नेतृत्व के चलते यह मांग ठण्डे बस्ते में ही चली गई थी।

महाकौशल प्रांत का गठन अगर कर दिया जाता है तो शिक्षा की दृष्टि से महाकौशल प्रांत पूरी तरह से समृद्ध ही होगा। महाकौशल प्रांत में तीन विश्वविद्यालय होंगे। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय सालों से उत्कृष्ठ शिक्षा के लिए पहचान बनाए हुए है, इसके साथ ही साथ जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय और अब प्रस्तावित आर्युविज्ञान विश्विद्यालय भी यहां की अलग पहचान बनेगा। आध्यात्मिक गुरू महर्षि महेश योगी द्वारा करोंदी में भी एक विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प लिया गया था।

महाकौशल में न जाने कितने आयुर्विज्ञान, इंजीनियरिंग, तकनीकि एवं अन्य क्षेत्र के महाविद्यालय सरकारी और निजी तौर पर संचालित हो रही हैं। पिछले सात सालों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाले मोगली महोत्सव में समूचे प्रदेश के चुने हुए स्कूली बच्चे सिवनी जिले के मोगली लेण्ड में एकत्र होते हैं। सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि भेडिया बालक मोगली की कर्मभूमि भी महाकौशल के सिवनी जिले में ही है।

महाकौशल प्रांत में आने वाले लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के जनसेवक अगर ईमानदारी से प्रयास करें तो प्रथक महाकौशल के मार्ग प्रशस्त होने में देर नहीं लगने वाली। इसके साथ ही साथ केंद्र सरकार से महाकौशल प्रांत के लिए एक सैनिक स्कूल की मांग भी की जा सकती है। इतना ही नहीं महाकौशल में डिफेंस का अच्छा खासा बेस है, इसी आधार पर केंद्र सरकार से एक डिफेंस यूनिवर्सिटी की स्थापना भी महाकौशल की प्रस्तावित राजधानी जबलपुर के आसपास ही करवाई जा सकती है। सब कुछ संभव है बशर्ते यहां से जनादेश पाने वाले नुमाईंदे उन्हें मिले जनादेश का सम्मान करना चाहें।

(क्रमशः जारी)

6800 करोड़ रूपए हो गई पावर प्लांट की लागत


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 26

6800 करोड़ रूपए हो गई पावर प्लांट की लागत

आवश्यक्ता से अधिक जमीन का किया झाबुआ पावर ने अधिग्रहण

गुपचुप जनसुनवाई से प्रदूषण नियंत्रण मण्डल भी है संदेह के दायरे में


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। उद्योग के क्षेत्र में मशहूर हस्ती गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा गु्रप के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से महज सौ किलोमीटर दूर बनाए जा रहे 1260 मेगावाट के पावर प्लांट की 22 नवंबर को जनसुनवाई की गुपचुप तरीके से हुई कार्यवाही से मध्य प्रदेश का प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (पीसीबी) भी संदेह के दायरे में आ गया है।

संयंत्र के निर्माण स्थल के करीब ही हुई जनसुनवाई में मौके पर संयंत्र के अधिकारियों और पीसीबी के कारिंदों ने मण्डल की वेब साईट पर पूरी जानकारी नहीं डलने की बात स्वीकार कर सभी को आश्चर्य में डाल दिया था। उसी वक्त लगने लगा था कि गौतम थापर के मुलाजिमों ने मध्य प्रदेश की पीसीबी को पूरी तरह सैटकर रखा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2900 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले इस पावर प्लांट की लागत रातोंरात आश्चर्यजनक तरीके से बढ़कर 6800 करोड़ रूपए हो गई है।

22 नवंबर को हुई जनसुनवाई की कार्यवाही का सारांश भी इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वेब साईट पर नहीं डाला गया है, जनसुनवाई के एक पखवाड़े के उपरांत भी इस कार्यवाही का विवरण वेब साईट पर उपलब्ध न होने से मध्य प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की नीयत पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं। पीसीबी की वेब साईट में सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला में प्रस्तावित झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट के डाले गए कार्यकारी सारांश में महज 600 एकड़ भूमि की आवश्यक्ता दर्शाई गई है।

जनसुनवाई के दौरान संयंत्र के प्रभारी मिश्रा ने बताया कि झाबुआ पावर लिमिटेड ने वहां आठ सौ एकड़ से ज्यादा जमीन खरीद ली है एवं अभी डेढ़ दो सौ एकड़ भूमि और खरीदा जाना बाकी है। इस तरह पीसीबी के पास जमा कराए गए दस्तावेज और जमीनी हकीकत दोनों ही अलग अलग होने से अनेक संदेह अपने आप उतपन्न हो जाते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि जनसुनवाई के वक्त मौके पर प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के जिम्मेदार अधिकारियों के सामने यह तथ्य उजागर किया गया फिर भी वे खामोशी से सब कुछ सुनते रहे। जनचर्चा है कि पीसीबी के अधिकारियों को गौतम थापर ने अपनी जेब में ही रख लिया है।

(क्रमशः जारी)

एफडीआई ने किया मन के मन को बेचेन


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 48

एफडीआई ने किया मन के मन को बेचेन

रणनीतिकारों ने जानबूझकर हावी होने दिया विपक्ष को


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके एफडीआई मामले में सरकार का यू टर्न मनमोहन को बुरी तरह अखर रहा है। प्रधानमंत्री को लगने लगा है कि उन्हें कमजोर करने और उनकी साख पर धब्बा लगाने के लिए उनके सहयोगी मंत्री ही माहौल बनाने पर आमदा हैं। मनमोहन के खिलाफ वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने परोक्ष तौर पर मोर्चा खोल लिया है।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि एफडीआई मामले में वजीरे आजम की पेशानी पर पसीने की बूंदे साफ इशारा कर रही हैं कि वे इस मामले में बुरी तरह परेशान और आहत हैं। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री को लग रहा है कि कांग्रेस के ट्रबल शूटर्स इन दिनों उनके लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। एफडीआई मामले में कांग्रेस के रणनीतिकारों ने जानबूझकर सरकार को यू टर्न लेने पर मजबूर किया है।

सूत्रों की मानें तो वजीरे आजम खुद अर्थशास्त्री हैं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नफा नुकसान से वे अच्छी तरह वाकिफ हैं। मनमोहन परेशान इसलिए भी हैं क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर भारत और उनकी छवि पर गहरा आघात लगेगा। अभी परमाणु करार भी रार का ही विषय बना हुआ है। सरकार के सहयोगी दलों की जुबानें भी इस मामले में अब खुलना आरंभ हो गई हैं। सरकार में शामिल त्रणमूल कांग्रेस कोटे से रेल मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी ने तो साफ साफ कह दिया कि सरकार अगर इस मामले में पहले ही वार्ता कर लेती तो यह नौबत नहीं आती।

(क्रमशः जारी)

अभिषेक बच्चन को कोसने का आईडिया


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  34

अभिषेक बच्चन को कोसने का आईडिया

आईडिया के बजाए अब लोग जूनियर बी को रहे हैं कोस


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। आदित्य बिरला के स्वामित्व वाले आईडिया सेल्यूलर की विशेषकर ग्रामीण इलाकों में घटिया सेवाओं के चलते अब लोगों के मन में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के कुलदीपक सिने अभिनेता अभिषेक बच्चन के प्रति घ्रणा के भाव जगते जा रहे हैं। आईडिया की गलत नीतियों के कारण अब लोग आईडिया की सेवाओं के स्थान पर आईडिया के ब्रांड एम्बेसेडर अभिषेक बच्चन को ही कोसते नजर आ रहे हैं।

गौरतलब है कि आईडिया सेल्युलर द्वारा अपने बिजनेस प्रमोशन के लिए मशहूर अभिनेत्री एश्वर्य राय के पति अभिषेक बच्चन को ब्रांड एम्बेसेडर के बतौर इंगेज किया है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री जया बच्चन के पुत्र तथा एश्वर्य राय के पति होने के नाते भी इन साभी के प्रशंसकों की आंखों का तारा बने अभिषेक बच्चन से प्रभावित होकर न जाने कितने लोगों के द्वारा आईडिया का कनेक्शन लिया गया।

लोग जब आईडिया के सिग्नल में समस्या, कंजेशन, काल ड्राप आदि की समस्याओं से दो चार हुए और इंटरनेट के मामले में जब बेवकूफ बने तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने अभिषेक बच्चन के कहने पर आईडिया लेने का फ्लाप आईडिया चुना है। अब पछताए का होत है, जब चिडिया चुग गई खेतकी तर्ज पर अब लुटे पिटे उपभोक्ता आईडिया के मालिकों और कारिंदों के बजाए रूपहले पर्दे के अभिनेता अभिषेक बच्चन को तबियत से कोस रहे हैं। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि आईडिया की हरकतों से अभिषेक बच्चन की टीआपी में जबर्दस्त तरीके से कमी दर्ज की जा रही है।

(क्रमशः जारी)

अम्बेडकर समारक एवं विकास का खर्चा उठाने तैयार हैं शिवराज


अम्बेडकर समारक एवं विकास का खर्चा उठाने तैयार हैं शिवराज

कार्यक्रम से बनाई पर्याप्त दूरी पर दिया आश्वासन



(एडविन अमान)

नई दिल्ली,। निजी और भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रमों प्रदेश सरकार के उड़न खटोले पर सरकारी खर्चे पर जब तब दिल्ली की यात्रा करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविधान रचयिता डॉ.भीमराव अम्बेडकर परिनिर्वाण भूमि सम्मान कार्यक्रम समिति के एक प्रोग्राम में शिरकत करना ही मुनासिब नहीं समझा। इस दिन मुख्यमंत्री की व्यस्तताएं मध्य प्रदेश में ही रहीं। उल्लेखनीय होगा िकि इसके स्थान पर अगर भाजपा का कोई प्रोग्राम या उनका पारिवारिक जलसा होता तो वे निश्चित तौर पर दिल्ली में उपस्थित होते।

डॉ0 अम्बेडकर परिनिर्वाण भूमि सम्मान कार्यक्रम समिति दिल्ली द्वारा गत दिवस राष्ट्रीय श्रृद्धांजलि एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इन्द्रेश गजभिये, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आयोजन समिति एवं अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम ने की। भारत रत्न डॉ0 बाबा साहेब अम्बेडकर की परमपावन परिनिर्वाण भूमि पर उनकी पुण्य तिथि के अवसर पर राष्ट्रीय सम्मान एवं श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। शरद यादव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। केन्द्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, नारायण सामी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, सांसद जे.डी. सेलम, पर्वू सांसद श्रीमती सत्याबेन, डॉ0 उदित राज और अमरीश गौतम भी अतिथि के रूप में मौजूद थे।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त होने के कारण इस अवसर पर उपस्थिति नहीं हो सके । उनकी अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री का संदेश इन्द्रेश गजभिये द्वारा पढ़ा गया। संदेश में श्री चौहान ने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर के विचारों और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रेरणा और आस्था को बढ़ाते हुए प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के सर्वांगीर्ण विकास के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि गैर आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में डॉ0 अम्बेडकर मांगलिक भवन बनाये गये हैं।

इसी प्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक समरसता के लिए अनेक योजनाएं भी बनायी गयी हैं। उन्होंने कहा कि वे महान राष्ट्रभक्त और भारत माता के सच्चे सपूत थे। उन्होंने भारतीय संविधाान की रचना की और सदियों से वंचित उपेक्षित दलित समाज को सम्मान दिलाने के लिए जीवन के अंतिम क्षण तक संघर्ष करते हुए जहां अंतिम सांस लेकर महानिर्वाण को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि सन् 2003 में एनडीए सरकार ने दिल्ली स्थित इस परिनिर्वाण स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करके तत्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसके समग्र विकास की कार्य योजना बनायी थी।

उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि आठ वर्ष के उपरान्त भी अभी तक वहां कोई निर्माण और विकास का कार्य शुरू नहीं हुआ है। श्री चौहान ने बताया कि उन्होंने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर प्रस्ताव भेजा है कि अगर केन्द्र सरकार स्मारक स्थल को डॉ0 अम्बेडकर के विशाल व्यक्तित्व के अनुरूप निर्मित करने में असमर्थ है और केन्द्र अनुमति देगी तो मध्यप्रदेश शासन इसका समग्र विकास और निर्माण का खर्चा वहन करने को तैयार है।