गुरुवार, 24 मई 2012

झा का स्थान ले सकते हैं मिश्रा अथवा तोमर!


टीम गड़करी का चयन जारी!

संघ ने गड़करी से कहा ‘‘साबित करो अपने आप को‘‘

झा का स्थान ले सकते हैं मिश्रा अथवा तोमर!


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दुलारे नितिन गड़करी को दूसरी पारी मिलना तय है, पर इसके लिए संघ ने गड़करी को साफ तौर पर हिदायत दे दी है कि वे अपनी दूसरी पारी में अपने आप को साबित कर दिखाएं। गड़करी को अब साबित करना होगा कि वे संघ के रहमो करम पर नहीं वरन् फुल फलेश्ड दमदार अध्यक्ष हैं।

दिल्ली के झंडेवालान स्थित केशव कुंज के सूत्रों का कहना है कि संघ के आला नेताओं ने गड़करी को दूसरी टर्म सशर्त दी है, इसमें गड़करी को कहा गया है कि वे संगठन के हित में अप्रिय लगने वाले फैसलों से भी गुरेज ना करें। बड़े फैसलों के प्रकाश में भाजपा नए क्लेवर में नजर आनी चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि संघ के आला नेताओं ने गड़करी को साफ तौर पर कह दिया है कि 75 पार कर चुके नेताओं को अब चुनाव लड़ने के बजाए मार्गदर्शक पथ प्रदर्शक की भूमिका में ले आया जाना चाहिए। अगर गड़करी ने यह तय कर दिया तो एल.के.आड़वाणी, जसवंत सिंह, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा के साथ ही साथ मध्य प्रदेश में बाबू लाल गौर जैसे नेताओं को घर बैठने पर मजबूर होना पड़ेगा।

इसकी भनक शायद इन नेताओं को लग चुकी है। संभवतः यही कारण है कि ये नेता गड़करी की दूसरी पारी का विरोध करने पर आमदा नजर आ रहे हैं। संघ की इस कुनैन की कड़वी गोली को खाने में गड़करी को पसीना आ रहा है। गड़करी का बुखार अपने आप उतरता नजर आ रहा है।

भाजपा के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार संघ का यह कदम स्वागतयोग्य है कि बुजुर्गवार नेताओं को अब अभिभावक की भूमिका में आकर नए जोश और जवान खून को मौका देना चाहिए। संघ की इस नसीहत से भाजपा भी दो फाड़ होती नजर आ रही है। अगर एसा हुआ तो बुजुर्ग नेताओं के समर्थक कहां जाएंगे इस बारे में भी मंथन जारी है।
उधर, इन आशंकाओं कुशंकाओं के बीच गड़करी की नई टीम का चुनाव भी आरंभ हो चुका है। सूत्रों की मानें तो गड़करी इस बार अपनी टीम में से धर्मेंद्र प्रधान को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। प्रधान को उड़ीसा भाजपाध्यक्ष बनाकर भेजा जा सकता है। टीम गड़करी से इस बार तीन महासचिवों की बिदाई तय मानी जा रही है।

महासचिवों में इस बार नेहरू गांधी परिवार के भाजपा के गांधी, वरूण को मौका मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके साथ ही साथ गड़करी इस बार मुरलीधर राव को महासचिव बनाने इच्छुक बताए जा रहे हैं। उधर, संजय जोशी को संघ महासचिव बनाना चाहता है, पर नरेंद्र मोदी की नाराजगी जोशी की ताजपोशी में रोढ़ा बनकर सामने आ रही है। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए एक बीच का रास्ता अख्तियार किया जा सकता है। जोशी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है।

इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश में भाजपाई निजाम के बदले जाने की संभावनाओं से भी सूत्र इंकार नहीं कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश भाजध्यक्ष प्रभात झा को दूसरी पारी मिलना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है। झा को टीम गड़करी में शामिल किया जाकर एमपी की कमान नरेंद्र सिंह तोमर अथवा नरोत्तम मिश्रा के कांधों पर रखी जा सकती है।

राजीव शुक्ला से नाराज हैं शाहरूख

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सुरक्षा कर्मी और वालीवुड के स्वयंभू किंग शाहरूख खान के बीच हुए विवाद की जड़ में केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला से शाहरूख खान की नाराजगी सामने आ रही है। शाहरूख खान इन दिनों इसलिए भी आपा खो रहे हैं क्योंकि उनके प्रतिद्वंदी खान ब्रदर्स की टीआरपी शाहरूख से कहीं उपर चली गई है।

वालीवुड के बादशाह शाहरूख खान के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनकी और केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला के बीच गहरी छनती है। पिछले कुछ दिनों में शाहरूख के प्रतिद्वंदी आमिर खान के टीवी शो सत्यमेव जयतेकी टीआरपी एकाएक बढ़ने से शाहरूख का रक्तचाप तेजी से बढ़ गया है।

सूत्रों ने कहा कि शाहरूख ने इस टीवी सीरियल को रोकने के लिए अपने मित्र केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला से कहा था, कि वे अंबिका सोनी से बात कर इस बात का दबाव बनाएं कि यह सीरियल रोक दिया जाए। वस्तुतः शुक्ला एसा करने में सफल नहीं हो पाए।

शाहरूख का शनी बेहद भारी चल रहा है। पिछले साल शाहरूख और उनके अजीज मित्र करण जोहर के बीच विवाद हो गया था, जिसके चलते छः माह से अधिक समय से खान और जोहर में अनबोला (बातचीत बंद) है। अर्जुन रामपाल जिन्हें शाहरूख ने फर्श से उठाकर अर्श पर बिठा दिया था, भी इस संकट के दौर में शाहरूख से किनारा कर गए हैं।

सूत्रों का कहना है कि राजीव शुक्ल के साथ इतना याराना होने के बाद भी राजीव शुक्ला ने शाहरूख खान का साथ देने के बजाए नीता अंबानी के पक्ष में माहौल बनाया। शाहरूख शायद भूल जाते हैं कि राजनीति के चतुर सुजान राजीव शुक्ला के लिए उनकी दोस्ती से ज्यादा महत्वपूर्ण अंबानी के दरबार का हुक्का पानी है। शुक्ला इस मामूली विवाद के चलते अंबानी की चौखट नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि हर तरफ से चोट खाए शाहरूख जब अपने घर मन्नतपहुंचते हैं तो उनकी पत्नि गौरी भी उन्हें काटने को दौड़ रही हैं क्योंकि प्रियंका चौपड़ा से शाहरूख की नजदीकि ने शाहरूख के जीवन में चरस बो रखी है। इस समय समूचा वालीवुड शाहरूख की बेबसी पर तरस जरूर खा रहा है पर तमाशाबीन बना शाहरूख को हारता देख जरूर रहा है।

ना मिश्रा हटते ना आंदोलन होता!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  89

ना मिश्रा हटते ना आंदोलन होता!

असंतोष को जमकर हवा दे रहे हैं संयंत्र प्रबंधक मिश्रा

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में संयंत्र प्रंबंधन में इन दिनों जमकर घमासान मचा हुआ है।
बताया जाता है कि अनियमितताओं, मीडिया को नाराज करने और स्थानीय विशेष संपन्न लोगों को करोड़ों रूपयों के काम देने के आरोप में बरेला पावर प्लांट के महाप्रबंधक श्री मिश्रा को बलात अवकाश पर भेज दिया गया है। मिश्रा इस समय दिल्ली में रहकर अवकाश का मजा ले रहे हैं।
अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा जैसे ही श्री मिश्रा के स्थान पर श्री दास को महाप्रबंधक बनाया गया वैसे ही संयंत्र के खिलाफ स्थानीय स्तर पर असंतोष खदबदा गया। जमीन के मुआवजे और पर्यावरण को लेकर आदिवासियों ने धरना प्रदर्शन और अनशन आरंभ कर दिया।
बताया जाता है कि जब तक श्री मिश्रा ने संयंत्र की बागडोर थामी हुई थी उस दौरान उन्होंने क्षेत्र के एक नेतानुमा व्यक्तित्व को करोड़ों रूपयों के काम दे दिए थे। इन दोनों के बीच यह समझौता हुआ था कि संयंत्र के खिलाफ असंतोष बढ़ ना पाए। इसके साथ ही साथ मीडिया को मेनैज करने की जवाबदेही भी उक्त नेतानुमा व्यक्तित्व की ही थी।
बताया जाता है कि क्षेत्र में उपजने वाले हल्के फुल्के असंतोष का उक्त नेतानुमा व्यक्तित्व द्वारा शमन कर दिया जाता था। मीडिया ने जब इस पावर प्लांट की गफलतों को उजागर करना आरंभ किया तो उक्त नेतानुमा व्यक्तित्व द्वारा अपने संपर्कों का उपयोग कर समाचार पत्रों को उनके कद के हिसाब से चार से सात अंकों में राशि बांट दी गई। यह राशि अनेक संस्थानों तक नहीं पहुंचने और बीच में ही दलालों द्वारा हजम करने से इसकी शिकायतें उपर तक होना आरंभ हुआ।
उधर, अवंथा समूह के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इन शिकायतों पर गौर करने के बाद जब अवंथा समूह के प्रबंधन को सच्चाई का पता चला तो उन्होंने श्री मिश्रा को अवकाश पर भेज दिया गया। इसके उपरांत श्री मिश्रा के स्थान पर श्री दास को यहां का प्रभार सौंपा गया।
बताया जाता है कि इस तरह बेआबरू होकर भगा दिए जाने से कुपित श्री मिश्रा ने क्षेत्र में अपने प्रभावों और संपर्कों का उपयोग कर किसानों आदिवासियों को समझाना आरंभ किया कि किस तरह गौतम थापर द्वारा उन्हें छला गया है। फिर क्या था, आदिवासी किसानों में रोष और असंतोष जमकर उफनाया और किसान धरने पर बैठ गए।

(क्रमशः जारी)

पेट्रोल बढोत्तरी से सरकार ने झाड़ा पल्ला


पेट्रोल बढोत्तरी से सरकार ने झाड़ा पल्ला

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। पेट्रोल में आग लगाने के उपरांत सरकार ने इस कदम से अपना पल्ला झाड़ते हुए इसे पेट्रोलियम कंपनियों के पाले में धकेल दिया है। सरकार ने पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी को जायज ठहराया है, जबकि कई विपक्षी दलों ने इसे अनुचित बताया है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली में कहा कि पेट्रोल की कीमत बढ़ाने का फैसला तेल कंपनियों का है, क्योंकि सरकार ने करीब दो साल पहले ही पैट्रोल को नियंत्रण मुक्त कर दिया था।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने की वजह से पेट्रोल के दाम बढ़ने का संकेत दिया था। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि यह फैसला तेल कंपनियों ने किया है। पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि पेट्रोल की कीमतों से नियंत्रण हटा लिया गया है। इससे कांग्रेस पार्टी और भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। इस बारे में फैसला केवल तेल कंपनियां करती हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी का विरोध करते हुए इसे आम जनता के साथ धोखा बताया है। पार्टी प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा कि भाजपा इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाएगी और दाम वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी।

श्री हुसैन ने कहा कि जिस तरह से साढ़े सात रुपया के करीब यह दाम बढ़ाया गया है। इतिहास में इतनी बड़ी मात्रा में दाम नहीं बढ़ाया गया। इस पेट्रोल की बढ़ी हुई दाम को तुरंत वापिस लेना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी मुम्बई की कार्य समिति में इस पर चर्चा करेगी और पूरे देश में भाजपा इस मंहगाई के खिलाफ आंदोलन खड़ा करेगी।

यूपीए सरकार की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी की आलोचना की है। इसका विरोध करते हुए पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में कहा कि ऐसा फैसला लेने से पहले उनकी पार्टी को विश्वास में नहीं लिया गया।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी का विरोध करते हुए, इसे आम आदमी के खिलाफ बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुरूदास दासगुप्ता ने कहा कि इस वृद्धि से न केवल आम आदमी पर बोझ बढ़ेगा, बल्कि देश में निवेश भी प्रभावित होगा।

उन्होंन कहा कि पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि निराशाजनक है। इस तरह का कदम उठाने के कारण देश के मौजूदा हालात को बहुत खराब रास्ता में ले जाएंगे। महंगाई बढ़ेगा, इनवेस्टमेंट कम होगा, इकोनॉमिक स्लोडाउन बढ़ेगा। इनके खिलाफ मैदान में उतर कर लड़ेंगे।

गौरतलब है कि सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दामों में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि की है। इस वृद्धि के साथ आधी रात से पेट्रोल की कीमत ७ रुपये ५४ पैसे प्रति लीटर बढ़ गई। मुम्बई में अब पेट्रोल की कीमत ७८ रुपये ५७ पैसे प्रति लीटर हो गई है। कोलकाता में पेट्रोल की कीमत ७७ रुपये ८८ पैसे प्रति लीटर और चेन्नई में पेट्रोल की कीमत बढ़कर ७७ रुपये ५३ पैसे हो गई है, जबकि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत ७३ रुपये १८ पैसे प्रति लीटर हो गई है।

अवकाश नहीं तो कार्यालय क्यों रहते हैं बंद!


अवकाश नहीं तो कार्यालय क्यों रहते हैं बंद!

नेशनल हालीडे की सूची में शामिल नहीं तीन महत्वपूर्ण दिवस

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। स्वाधीनता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती पर देश भर के सरकारी कार्यालयों में घोषित अवकाश रहता है, किन्तु यह अवकाश सभी मनमर्जी से रखते हैं इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई सरकारी रूक्का (आदेश) जारी नहीं किया गया है। देश पर आधी सदी से ज्यादा शासन करने वाली कांग्रेस के लिए यह निश्चित तौर पर शर्म की बात होगी कि उसने अब तक इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया है।
आमतौर पर पूरे देश में 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरकारी कार्यालय भी इस दिन आमतौर पर बंद ही रहते हैं। लेकिन क्या भारत सरकार ने 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश दिवस घोषित किया है? बिल्कुल ऐसा नहीं है। 15, अगस्त 26 जनवरी और 2 अक्टूबर राष्ट्रीय अवकाश दिवस नहीं है।
यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहम मांगी गई एक जानकारी के बाद सामने आई है। जानकारी देते हुए गृहमंत्रालय ने कहा है कि 15, अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर को कोई राष्ट्रीय अवकाश दिवस के रूप में घोषित नहीं किया गया है।
लखनऊ की एक सूचना अधिकार पर काम करनेवाली कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की 10 वर्षीय बेटी ऐश्वर्या पराशर ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक चिट्ठी लिखकर यह जानकारी मांगी थी। यह ऐश्वर्या पराशर वही बच्ची है जिसने भारत सरकार से यह जानकारी मांगी थी कि किस शासनादेश के तहत महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता घोषित किया गया है, उसकी जानकारी दी जाए।
जब सरकार ने ऐसा कोई शासनादेश न होने से इंकार किया तब बीते 25 अप्रैल को ऐश्वर्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय से एक हस्तलिखित आवेदन के तहत यह सूचना मांगी कि उसे उन आदेशों की सत्यापित फोटोकॉपी मुहैया करवाई जाए जिसमें 15, अगस्त, 25, जनवरी और 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया गया हो।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह पत्र गृहमंत्रालय को भेज दिया जिसके जवाब में गृह मंत्रालय का कहना है कि इस तरह का कोई शासनादेश जारी नहीं किया गया है। गृहमंत्रालय ने 17 मई को अपना जवाब ऐश्वर्या को भेजा है जो उसे मिल गया है। ऐश्वर्या की का परिवार लखनऊ में रहता है और उनकी मां उर्वशी शर्मा आरटीआई महिला मंच नाम से सूचना अधिकार पर काम करती हैं।

एस के मिश्रा के खिलाफ मामला पंजीबद्ध


एस के मिश्रा के खिलाफ मामला पंजीबद्ध

(नंद किशोर)

भोपाल (साई)।मध्य प्रदेश के सीधी व सिंगरौली जिले में लोह अयस्क की खदानें आवंटित किए जाने के मामले में पुलिस के विशेष संगठन लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सचिव और तत्कालीन खनिज सचिव एस. के. मिश्रा के खिलाफ प्रकरण जांच हेतु पंजीबद्घ कर लिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीधी में 33 हेक्टेयर क्षेत्र की लोह अयस्क खदान विकास चौहान को आवंटित की गई थी जो बाद में रद्द कर एक निजी कंपनी नॉट प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित कर दी गई। इसके खिलाफ चौहान ने जबलपुर उच्च न्यायालय ने चौहान के आवंटन को रद्द करने को गलत ठहराया।
तत्कालीन खनिज सचिव एस. के. मिश्रा के खिलाफ चौहान ने लोकायुक्त में शिकायत की साथ ही कहा कि वन क्षेत्र में स्थित 1200 हेक्टेयर क्षेत्र की लीज भी नियम विरुद्घ आवंटित की गई है। चौहान ने दोनों मामलो को लेकर मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
चौहान ने बताया है कि लोकायुक्त ने सीधी व सिंगरौली में खदान आवंटन को लेकर उनकी ओर से की गई शिकायत पर प्रकरण जांच हेतु पंजीबद्घ कर लिया है। इस आशय की उन्हें सूचना भी लोकायुक्त ने भेजी है। ज्ञात हो कि मिश्रा पूर्व में खनिज सचिव रह चुके है। उन्हें पिछले दिनों ही इस पद से हटाया गया है। वर्तमान में वे मुख्यमंत्री चौहान के सचिव हैं।