शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

दरकने लगा है भाजपा का गढ़ महाकौशल प्रांत!


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 15

दरकने लगा है भाजपा का गढ़ महाकौशल प्रांत!

महाकौशल को प्रथक कर शेष मध्य प्रदेश में लाभ में रह सकती है कांग्रेस



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। महाकौशल प्रांत एक समय में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। वर्तमान में महाकौशल की 94 विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी के वर्चस्व को नकारा नहीं जा सकता है। महाकौशल क्षेत्र के कांग्रेस के क्षत्रपों की अदूरदर्शी नीतियों के परिणाम स्वरूप महाकौशल में कांग्रेस के नीचे की जमीन खिसकी है। महाकौशल क्षेत्र के सिवनी जिले से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष श्रीमति उर्मिला सिंह और उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर ने इसका प्रतिनिधित्व भी किया है।
मध्यप्रदेश में तीसरी पारी का सपना देख रही भाजपा के लिए महाकौशल बेहद ही महत्वपूर्ण है। इस लिहाज से आगामी 26-27 दिसंबर को ग्वालियर में हो रही प्रदेश कार्यसमिति बैठक में इस अंचल को बचाने और यहां ताकत बघने की रणनीति पर पूरा ध्यान केंद्रित होगा। भाजपा जबलपुर, सागर, रीवा और शहडोल संभाग को मिलाकर अनेक जिलों को इसमें समाहित कर महाकोशल प्रांत मानती है।
एक आंकलन के अनुसार महाकौशल प्रांत की 94 विधानसभा सीटों में भाजपा वर्तमान में 62 पर काबिज है। भाजपा सूत्रों के अनुसार भाजपा ने कार्यसमिति बैठक पूर्व जो सर्वे करावाया है और संघ प्रमुख मोहन भागवत की पिछले माह हुई बैठकों के दौरान प्रचारकों से जो फीडबैक लिया गया है, उसके मुताबिक 22 सीटों में परिस्थितियां कमल खिल पाने के अनुकूल नहीं है। ऐसी स्थिति में हार की 32 और बेड परफारमेंस वाली 22 मिलाकर 54 सीटों में भाजपा की हालत पतली है। इन सीटों पर अन्य दलों का वर्चस्व बढ़ना भाजपा के लिए खतरनाक ही साबित हो सकता है।
भाजपा महाकौशल में शुरू से सक्रिय प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन को पूरे क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपेगी, वहीं यहां जिन अन्य नेताओं को सक्रिय किया जाएगा उनमें चंद्रमणि त्रिपाठी, फग्गनसिंह कुलस्ते, गौरीशंकर बिसेन, राकेश सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया, श्रीमती नीता पटेरिया, चौधरी चंद्रभान सिंह, श्रीमती पद्मा शुक्ला, भूपेन्द्र सिंह, कुंवर विजय शाह, धीरज पटेरिया, विनोद गोटिया प्रमुख हैं। प्रदेश पदाधिकारियों, नगर जिला अध्यक्षों और प्रदेश कार्यसमिति सदस्यों को खासतौर पर ग्वालियर पहुंचने के निर्देश दिए हैं।
महाकौशल का वजन यहां के आदिवासी वोटों के कारण बचा है। ये मूलतः कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करते थे, जिनमें भाजपा ने सेंध लगा दी है। वर्तमान स्थिति में जो इन्हें प्रभावित कर ले ये उसी का हो जाता है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की आदिवासी अंचलों में हुई यात्रा के बाद भाजपा का सामाजिक महाकुंभ, गोटेगांव का आदिवासी सम्मेलन, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा के लगातार दौरे, अजा का अभ्यास वर्ग ये बता रहा है कि अजा, जजा और पिछघें के मार्फद राजनीतिक दल अपनी सियासी ताकत का यहां विस्तार करना ही चाह रहे हैं।
महाकौशल प्रांत में गोडवाना गणतंत्र पार्टी का अभ्युदय कांग्रेस और भाजपा दोनों ही के लिए परेशानी का सबब बन गया था। गोंडवाना का तो विधानसभा में खाता भी खुला, किन्तु कांग्रेस भाजपा के कुशल प्रबंधन के चलते गोंडवाना के विधायक ज्यादा कुछ प्रभावी नहीं हो पाए और अंत में गोंडवाना की जड़ें उखड़ने लगीं।
यह शानदार मौका है जब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी एक बार फिर अपना प्रभाव जमाने के लिए प्रथक महाकौशल या गोंडवाना प्रांत का मुद्दा हवा में उछाल सकती है। इसके लिए गोंगापा को जमीनी स्तर व्यापक संघर्ष की रूपरेखा तैयार करनी होगी। कांग्रेस या भाजपा को अंतरिक या ब्हाय सहयोग देने के पहले वह यह मांग रखे कि प्रथक प्रांत को विधानसभा में पारित करवाया जाए तब जाकर प्रथक प्रांत का सपना साकार हो सकता है।

(क्रमशः जारी)

आखिर कांग्रेस क्यों मुंह सिले बैठी है पावर प्लांट मामले में!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 36

आखिर कांग्रेस क्यों मुंह सिले बैठी है पावर प्लांट मामले में!

छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने किया पावर प्लांट का विरोध



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। आदिवासियों के नाम पर सालों से सत्ता की मलाई चखने वाली अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की सिवनी जिला इकाई मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा छटवीं सूची में अधिसूचित सिवनी जिले के आदिवासी बहुल्य घंसौर विकासखण्ड में डलने वाले 1260 मेगावाट (पहले 1200 मेगावाट) के पावर प्लांट का विरोध करने से आखिर क्यों हिचक रही है?
कांग्रेस के क्षत्रप और केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा की कांग्रेस का अनेक मौकों पर अनुसरण करने वाली कांग्रेस पावर प्लांट में आदिवासियों के हितों की अनदेखी के मामले में पूरी तरह मौन साधे बैठी है। वहीं दूसरी ओर जिला कांग्रेस कमेटी छिंदवाड़ा द्वारा छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी बाहुल्य अमरवाड़ा विकासखण्ड में ग्राम मंधानगढ़ में समीप प्रस्तावित एसकेएस के पावर प्लांट के विरोध में खुलकर सामने आ चुकी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय किसानों की जमीनों के अधिग्रहण, पावर प्लांट से होने वाले पर्यावरणीय और स्थानीय स्तर के नुकसान की जानकारी मिलते ही जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गंगा प्रसाद तिवारी कार्यवाहक अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे द्वारा तत्काल ही किसानों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए किसानों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने के अपने वायदे पर अक्षरशः खरे उतरते नजर आए। छिंदवाड़ा के सांसद कमल नाथ की सहमति ही होगी तभी तो जिला कांग्रेस कमेटी किसानों के बचाव में सड़कों पर उतर आई है।
बताया जाता है कि जब भी प्रदेश में कोई उद्योग स्थापित होता है तब संबंधित विभागों के अधिकारियों की मिली भगत से मध्य प्रदेश सरकार के चुंनिदा आला नेताओं के गुर्गे पहले ही उस स्थान पर जाकर किसानों की जमीनें दुगने तिगने भाव पर खरीद लेते हैं। इसके बाद जब कोई संयंत्र स्थापित करने के लिए कंपनी आती है तो ये गुर्गे उन्हीं जमीनों की तीस से चालीस फीसदी ज्यादा कीमतें वसूल कर लेते हैं।
महाकौशल अंचल में उद्योगों के सरताज बन चुके केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में अगर पावर प्लांट का विरोध किया जा रहा है और वह भी कांग्रेस कमेटी के बेनर तले तो निश्चित तौर पर पावर प्लांट से नुकसान ज्यादा फायदा कम ही होगा। माना जाता है कि उद्योगों के मामले में छिंदवाड़ा जिले को संपन्न करने में क्षेत्रीय सांसद कमल नाथ ने महती भूमिका आद की है।
जिला कांग्रेस कमेटी छिंदवाड़ा द्वारा जिला कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड अमरवाड़ा के ग्राम मंधानगढ़, राहीवाड़ा, लछुआ, धादरा, ढोगीखेड़ा, कोल्हिया आदि ग्रामों में जमीन अधिग्रहण में एसकेएस कंपनी ने राजस्व अधिकारियों के साथ घर बैठे ही सवेक्षण करवाकर मनमर्जी से काम किया जा रहा है। इसके साथ ही साथ अनेक बिंदुओं पर शिकायत कर जिला कांग्रेस कमेटी ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
वहीं दूसरी ओर कद्दावर नेत्री सुश्री विमला वर्मा की कर्मभूमि रही इस विरासत को वर्तमान में मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर द्वारा सहेजा जा रहा है। बावजूद इसके आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वात्वि वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा डाले जा रहे पावर प्लांट की दो विसंगतिपूर्ण जनसुनवाई और अदिवासियों के शोषण के बावजूद भी जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी का मौन आश्चर्यजनक और संदिग्ध ही माना जाएगा।

(क्रमशः जारी)

सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर धर्म समाज विरोधी सामग्री प्रतिबंधित


सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर धर्म समाज विरोधी सामग्री प्रतिबंधित



(उत्कर्षा)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली की एक अदालत ने फेसबुक, गूगल और यू ट्यूब समेत सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर घृणा या साम्प्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देने वाली धर्म और समाज विरोधी सामग्री प्रस्तुत करने पर रोक लगा दी है। अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश मुकेश कुमार ने एकपक्षीय आदेश में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों को निर्देश दिया कि वे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले फोटोग्राफ, वीडियो और अन्य सामग्री अपनी वेबसाइटों से हटा लें। अदालत ने यह आदेश एक व्यक्ति द्वारा दायर सिविल मुकदमें की सुनवाई के दौरान दिया।

पूर्व सांसद को सात साल की सजा


पूर्व सांसद को सात साल की सजा

(अमित शुक्ला)

लखनऊ (साई) उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी नेता और तीन बार सांसद रह चुके मित्रसेन यादव को फैजाबाद जिले में गबन के एक मामले में सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिल शुक्ल ने उन पर १५ हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बताया जाता है कि १९९७ में दायर किया गया यह मामला किसान इन्टर कॉलेज के खातों से ६२ हजार रुपये के गबन से सम्बन्धित है। मित्रसेन यादव इस इन्टर कॉलेज के प्रबंधक थे।