रविवार, 12 मई 2013

भाजपा की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे दिनेश!


भाजपा की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे दिनेश!

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। बतौर निर्दलीय सिवनी विधानसभा में दूसरी पायदान पर रहने वाले लखनादौन नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष दिनेश राय उर्फ मुनमुन अब भारतीय जनता पार्टी की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। हो सकता है मुख्यमंत्री के सिवनी आगमन पर वे भारतीय जनता पार्टी के खेमे में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा लें।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में जबकि बतौर नगर पंचायत अध्यक्ष के रूप में दिनेश राय उर्फ मुनमुन का कार्यकाल एक साल से अधिक का बचा था, तब लखनादौन को तिरस्कृत कर दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने सिवनी विधानसभा से किस्मत आजमाई थी। उस वक्त यह चर्चा आम थी कि आखिर लखनादौन नगर के निवासियों से क्या खता हो गई जो लखनादौन के कथित मीसहा की छवि वाले दिनेश राय उर्फ मुनमुन उन्हें अनाथ छोड़कर सिवनी की ओर कूच कर गए।
बताया जाता है कि इसके पूर्व जब सिवनी लोकसभा के विलोपन के षणयंत्र का तानाबाना बुना जा रहा था, उस वक्त दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने कसम उठाई थी कि अगर सिवनी लोकसभा का विलोपन होता है तो वे केवलारी जाकर हरवंश सिंह ठाकुर के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इस संबंध में एक निजी चेनल के मिशन शाला में आयोजित लाईव शो के दौरान जब समाजसेवी बाबू लाल श्रीवास्तव द्वारा दिनेश राय उर्फ मुनमुन को उनका यह कौल याद दिलाया तब अपनी चिरपरिचित अदा में दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने बांहे चढ़ा लीं थीं। विधानसभा चुनावों में उन्होंने केवलारी के स्थान पर सिवनी से किस्मत आजमाई जिसको लेकर तरह तरह की चर्चाएं गर्मा गईं।
सादगी, मृदुव्यहार आदि का दावा करने वाले दिनेश राय के समर्थक उस वक्त निरूत्तर हो गए थे, जब उनकी माताजी के चुनावों के दौरान वालीवुड़ के डुप्लीकेट हीरोज ने आकर भौंडा प्रदर्शन किया था। इतना ही नहीं अब तो सिवनी जिले में यह चर्चा भी चल पड़ी है कि दिनेश राय उर्फ मुनमुन छपास के खासे मरीज बन चुके हैं। अखबारों की सुर्खियों में रहना उन्हें भा रहा है। संभवतः यही कारण है कि लखनादौन नगर पंचायत की अध्यक्ष श्रीमति सुधा राय के होते हुए नगर पंचायत द्वारा कराए जा रहे हर काम में श्रीमति सुधा राय के स्थान पर उनकी ही तस्वीर प्रकाशित करवाई जा रही है।
दिल्ली स्थित समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से आकाश कुमार ने बताया कि पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के सम्मेलन के दौरान दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने भाजपा के एक पदाधिकारी को साधा और उनके माध्यम से भाजपा के आला नेताओं से भेंट भी की थी। यद्यपि नाम उजागर ना करने की शर्त पर उक्त भाजपा के नेता ने यह अवश्य बताया कि उनकी सिवनी से दिल्ली की यात्रा दिनेश राय उर्फ मुनमुन के साथ ही हुई थी, और वे दिल्ली तथा दिनेश मेरठ के लिए रवाना हो गए थे।
प्रदेश भाजपा कार्यालय के सूत्रों के अनुसार दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने भाजपा के आला नेताओं को बताया है कि किस तरह पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत जप्त करवाई और फिर नगर पंचायत के चुनावों में उनकी माता श्रीमति सुधा राय के सामने कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए ही कोई प्रत्याशी नहीं रहा। चर्चा है कि दिनेश राय सीएम शिवराज सिंह चौहान के समक्ष भाजपा की सदस्यता इसी महीने ले सकते हैं।
अगर एसा हुआ तो दिनेश राय उर्फ मुनमुन की सिवनी से विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ना तय ही होगा। अगर यह हुआ तो निश्चित तौर पर सिवनी विधानसभा के लिए अपनी अपनी फील्डिंग जमाने वाले नेताओं को निराशा का ही सामना करना पड़ेगा क्योंकि हर मामले में दिनेश राय उर्फ मुनमुन उन पर बीस ही बैठेंगे।

लाट साहेब को फुर्सत नहीं गुड़िया के परिजनों से मिलने की!


उर्मिला सिंह 14 को पायली एवं घंसौर में!

लाट साहेब को फुर्सत नहीं गुड़िया के परिजनों से मिलने की!

(शरद खरे)

सिवनी (साई)। परिसीमन में विलुप्त हुई सिवनी जिले की घंसौर विधानसभा की पूर्व विधायक एवं वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमति उर्मिला सिंह को इतनी फुर्सत नहीं है कि वे घंसौर में दुष्कर्म की शिकार हुई गुड़िया के परिजनों से मिलकर दो बोल संवेदनाओं के बोल सकें।
आज यहां जारी सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल महामहिम उर्मिला सिंह 14 मई को प्रातः सवा ग्यारह बजे जबलपुर से प्रस्थान कर सिवनी जिले के रमणीय स्थल पायली एवं इसके उपरांत घंसौर जाएंगी। आप 14 एवं 15 मई को जिले के ग्राम घूरवाड़ा में स्टे करेंगी। महामहिम श्रीमति सिंह 16 मई को अपरान्ह तीन बजे घूरवाड़ा से जबलपुर प्रस्थान करेंगी।
सरकारी तौर पर जारी श्रीमति उर्मिला सिंह के कार्यक्रम में घंसौर जाने की बात अवश्य कही गई है, किन्तु घंसौर में जाकर वे गुड़िया के परिजनों से मिलेंगी अथवा नहीं इस बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
शिमला से समाचार एजेंसी आफ इंडिया ब्यूरो से रीता वर्मा ने राजभवन के सूत्रों के हवाले से बताया है कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल श्रीमति उर्मिला सिंह का सिवनी जिले का दौरा जारी अवश्य हुआ है किन्तु सूत्रों का कहना है कि इसमें घंसौर की गुड़िया के परिजनों से मिलने का उल्लख्ेा नहीं किया गया है।
सूत्रों की बात की पुष्टि इससे हो जाती है कि सिवनी में आज जारी सरकारी विज्ञप्ति में भी उर्मिला सिंह का घंसौर जाने का उल्लेख तो है किन्तु इसमें गुड़िया के घर जाना या मासूम के परिजनों से मिलने की बात का कहीं उल्लेख नहीं है।
ज्ञातव्य है कि घंसौर से विधायक रहते हुए श्रीमति उर्मिला सिंह पूर्व में प्रदेश में अनेक विभागों की कबीना मंत्री भी रह चुकी हैं। इतना ही नहीं उर्मिला सिंह मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं हैं। श्रीमति सिंह के लंबे राजनैतिक जीवन में उनके द्वारा इस तरह की भूल संभवतः पहली मर्तबा ही की जा रही होगी। संभावना तो यह है कि इस खबर के प्रकाशन के साथ ही उर्मिला सिंह के दौरा कार्यक्रम में गुड़िया के घर जाकर मिलने और सांत्वना देने की बात अवश्य ही जोड़ दी जाएगी।

मेंहदीरत्ता व हुकुम की जुगलबंदी से परेशान है मीडिया!


अपराधियों को प्रश्रय - - - 4

मेंहदीरत्ता व हुकुम की जुगलबंदी से परेशान है मीडि
या!

किसी भी जानकारी के लिए घंसौर जाने पर मजबूर हैं मीडिया पर्सन

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले में लगने वाले तीन में से पहले पावर प्लांट से मीडिया पर्सन्स बेहत त्रस्त नजर आ रहे हैं। इसका कारण हर बात की जानकारी के लिए उन्हें घंसौर जाने पर निर्भर रहना ही बताया जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के इस पावर प्लांट का एक भी लाईजनिंग कार्यालय जिला मुख्यालय सिवनी में नहीं हैं।
देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह जो मंहगी शराब का निर्माण भी करता है के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखड घंसौर के बरेला में एक पावर प्लांट की स्थापना की जा रही है। इस पावर प्लांट में बनने वाली बिजली को एमपी और अन्य प्रदेशों को बेचकर गौतम थापर शुद्ध लाभ कमाएंगे।
2009 से अब तक इस पावर प्लांट में घटी घटनाओं के बारे में जानकारी के लिए मीडिया घंसौर जाने पर ही मजबूर है, क्योंकि पावर प्लांट का एक भी कार्यालय सिवनी में नहीं है। अवंथा समूह के दिल्ली में जनपथ स्थित थापर हाउस के कार्यालय के दूरभाष 011 - 23368096 सदा ही खराब मिलता है।
इसके साथ ही साथ मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के दिल्ली एनसीआर में गुड़गांव में एमजी रोड़ पर वाटिका सिटी प्वाईंट की छटवीं और सतवीं मंजिल पर स्थित कार्यालय के दूरभाष नंबर 0124 - 4392000 पर फोन लगाने पर उनके पास सिवनी का कोई नंबर ही नहीं है।
अगर आप मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के जबलपुर स्थित कार्यालय में 0761 - 2600144 पर फोन लगाते हैं तो वहां भी बरेला साईट आफिस का कोई नंबर ही नहीं दिया जाता है। इस फोन पर सिक्यूरिटी गार्ड ही फोन उठाते हैं और वे किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के नंबर होने की बात से साफ इंकार कर देते हैं।
अब रही बात घंसौर के बरेला में साईट आफिस की तो यहां लगे फोन नंबर 07693 - 298223 पर अगर फोन लगाया जाए तो वह सदा ही खराब मिलता है। इतना ही नहीं यहां के महाप्रबंधक विक्रमजीत दास का मोबाईल 8889966339 सदा ही स्विच्ड आफ रहता है। इस तरह सिवनी के मीडिया के लोग अगर किसी घटना के संबंध में संयंत्र का पक्ष जानने का प्रयास करते हैं तो उन्हें असफलता ही हाथ लगती है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली एनसीआर ब्यूरो से आकाश कुमार ने थापर हाउस के सूत्रों के हवाले से बताया कि कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी श्री मेंहदीरत्ता द्वारा यह ताना बाना बुना गया है ताकि मीडिया को संयंत्र से काफी दूर रखा जाए। सूत्रों ने यह भी बताया कि इस काम को श्री मेंहदीरत्ता और घंसौर के स्थानीय नेता कुंवर शक्ति सिंह की जुगलबंदी ही अमली जामा पहना रही है।

वैध कालोनी अवैध कालोनी


वैध कालोनी अवैध कालोनी

(लिमटी खरे)

पूरे भारतवर्ष में बढ़ती आबादी के साथ ही शहरीकरण जोर से होने लगा। नागरिक शास्त्र का सिद्धांत है कि औद्योगीकरण के साथ ही नगरीकरण तेज हो जाता है। शहरों के आसपास खाली जगहों पर कालोनी बसना आरंभ हो जाती हैं। लोग इन कालोनाईजर्स के लुभावने विज्ञापन में फंसकर प्लाट खरीद लेते हैं फिर किसी तरह वहां मकान बनाकर रहना भी आरंभ कर देते हैं। असली मरण तब होती है जब ये बेचारे लोग बारिश में कीचड़ से सनी कच्ची सड़क पर चलते हैं, पानी के लिए तरसते हैं और तो और इन्हें बिजली का कनेक्शन भी अस्थाई ही प्रदाय किया जाता है।
प्रदेश की राजधानी भोपाल में नए भोपाल की अवधारणा बहुत ही अच्छे आधार पर बनाई गई थी, फिर भी नए भोपाल में झुग्गियों की तादाद बेहद है। इसका कारण क्या है इस बारे में सोचने की शायद ही किसी को चिंता हो। दरअसल, कालोनी या सरकारी रिहाईश तो बना दी जाती है पर यह कभी नहीं सोचा जाता है कि घरों में बर्तन खटका आदि करने का काम करने वाली बाईयां कहां से आएंगी? क्या वे दूर से आएंगी?
निश्चित तौर पर इसका जवाब नहीं ही होगा। घरों का काम करने वाले लोग इन्हीं कालोनी के इर्द गिर्द ही झोपड़ पट्टी बनाकर रहना आरंभ कर देते हैं। जब ये शुरूआत में बसाहट करते हैं तब स्थानीय निकाय का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। इसके साथ ही साथ जब दस बीस घर बन जाते हैं तब भूमाफिया भी यहां झोपड़ी बनाकर उसमें रहना आरंभ कर बाद में उन्हें किराए से उठा देता है।
सिवनी शहर में भी उपनगरीय क्षेत्रों में आज भी इस तरह की बसाहट देखी जा सकती है। महाकालेश्वर मंदिर की टेकड़ी, भैरोगंज, बरघाट नाका, पालीटेक्निक के पीछे, बबरिया के पास, ज्यारत नाका, छिंदवाड़ा नाका, झिरिया, आदि क्षेत्रों में यह बसाहट साफ देखी जा सकती है। इन बस्तियों में ना तो पानी निकासी का उचित साधन है ना ही पानी लाने का। इतना ही नहीं इन क्षेत्रों में साफ सफाई का अभाव भी साफ देखा जा सकता है जो अनेक तरह की बीमारियों का कारक भी होता है।
इसके अलावा शहर में अनेक कालोनियां विकसित हो रही हैं, और हो चुकी हैं। इन कालोनी का जब आरंभ होता है तब कालोनाईजर्स आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को लुभाते हैं। बाद में जब सारे प्लाट बिक जाते हैं तब वहां विकास का काम नगर पालिका के जिम्मे बताकर कालोनाईजर्स हाथ खड़े कर लेते हैं। देखा जाए तो इस तरह के कालोनाईजर्स दूध की मलाई तो चट कर जाते हैं बाद का छाछ नगर पालिका के मत्थे छोड़ दिया जाता है।
वस्तुतः किसी भी कालोनी के बनने के समय उस समय के वहां के पार्षद की यह जवाबदेही बनती है कि वह कालोनाईजर्स की मश्कें कसे और प्लाट की बिकावली तभी आरंभ होने दे जब वहां नाली, प्रकाश, सड़क, खेल का मैदान, देवालय, पार्क आदि की वह व्यवस्था जो कालोनाईजर्स द्वारा टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग को अपने प्रस्ताव के साथ जमा करता है को पूरा कर लिया जाए। होता यह है कि पार्षद भी इस दिशा में अनदेखी ही कर जाते हैं।
दूर की कौन कहे जब सरकारी महकमों में ही कालोनी के निर्माण में बुरे हाल हों तो फिर वह कहावत कैसे चरितार्थ नहीं होगी कि सारा आसमान ही फटा है कहां कहां पैबंद लगाओगे! शहर के मंहगे रिहाईशी इलाके में मध्य प्रदेश गृह निर्माण मण्डल ने पुरानी हाउसिंग बोर्ड कालोनी को बसाया था। उसके बाद यहां समता नगर बसा। इन दोनों ही बसाहटों में हाउसिंग बोर्ड का उदासीन रवैया किसी से छिपा नहीं है।
समता नगर में पानी निकासी के लिए एचआईजी के सामने या पीछे कोई नाली नहीं है। इसके अलावा टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग को जमा कराए नक्शे में बोर्ड ने इस कालोनी में तीन पार्क प्रस्तावित किए थे। आज अगर इस कालोनी का निरीक्षण किया जाए तो यहां एक भी पार्क अस्तित्व में नहीं है। मजे की बात तो यह है कि शेल्टरलेस लोगों के लिए छोड़ी गई प्रंदह फीसदी जमीन पर भी मकान बनाकर हाउसिंग बोर्ड ने बेच दिए हैं।
हाल ही में बारापत्थर से लगी राम नगर कालोनी के लोग नगर पालिक गए और इस कालोनी को वैध कर सारी सुविधाएं देने की मांग की। उनकी मांग जायज है, आखिर उनका दोष क्या है? जब कालोनाईजर ने उन्हें सब्जबाग दिखाकर प्लाट बेच दिए तब अब कालोनाईजर भला अपनी जवाबदेही से कैसे बच सकता है? नगर पालिका प्रशासन को चाहिए कि वह संबंधित कालोनाईजर पर तगड़ा अर्थदण्ड लगाए और इसे नजीर बनाकर पेश करे ताकि बाकी की विकसित और विकसित होने जा रही कालोनी के मालिक सचेत हो जाएं।
पालिका प्रशासन को कठोर कदम उठाने ही होंगे। जिला प्रशासन से भी अपेक्षा है कि इस दिशा में ठोस पहल कर शहर के लोगों को कालोनी के अवैध व्यवसाय से लुटने से बचाए। पर इसके लिए प्रशासन और पालिका दोनों ही को अपने निहित स्वार्थ से उपर उठना आवश्यक होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो शहर के लोग इन पैसों के लोभी कालोनाईजर्स के झांसे में फंसकर लुटते रहेंगे और साथ ही साथ बाद में अवैध कालोनी को वैघ करने के चक्कर में सरकारी धन का दुरूपयोग होगा सो अलग!