रविवार, 24 जुलाई 2011

फेरबदल के बाद अब लाट साहेबों की बारी


फेरबदल के बाद अब लाट साहेबों की बारी

पाटिल या भारद्वाज हो सकते हैं एमपी के राज्यपाल!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कंेद्रीय मंत्रीमण्डल विस्तार के बाद अब सूबों के लाट साहेबों को बदलने की कवायद आरंभ हो गई है। मध्य प्रदेश के महामहिम राज्य पाल रामेश्वर ठाकुर, कर्नाटक के हंसराज भारद्वाज, तमिलनाडू के बरनाला, बिहार के देवानंद कुंवर के बारे में केंद्रीय नेतृत्व गंभीरता से विचार कर रहा है। इसमें सबसे ज्यादा असमंजस रामेश्वर ठाकुर को लेकर है। केंद्रीय मंत्रीमण्डल विस्तार के बाद अब भारद्वाज का मुख्य धारा में लौटना असंभव ही प्रतीत हो रहा है।

गौरतलब है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर ठाकुर को नवम्बर 2004 में उड़ीसा का राज्यपाल बनाया गया था। 21 जुलाई 2007 को ठाकुर को स्थानांतरित कर उड़ीसा से कर्नाटक भेज दिया गया। जून 2009 में मप्र के राज्यपाल बलराम जाखड़ का कार्यकाल पूरा होने पर ठाकुर को मप्र का राज्यपाल बनाया गया। मध्य प्रदेश के लाट साहेब की कुर्सी संभालते वक्त ठाकुर के पास राज्यपाल के रुप में केवल पांच महिने का समय शेष था। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के अनुसार भारतीय संविधान में राज्यपाल के कार्यकाल को लेकर स्पष्ट व्याख्या की गई है कि राज्यपाल का कार्यकाल पांच वर्ष रहेगा किन्तु वह अपने पद पर तब तक काबिज रह सकता है जब तक नए महामहिम की पदस्थापना न की जाए। इस कानूनी बारीकी का लाभ रामेश्वर ठाकुर को मिला।

उधर हंसराज भारद्वाज की पुनः कानून मंत्री बनने की इच्छा मन में ही दबकर रह गई है। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों का कहना है कि भारद्वाज को मध्य प्रदेश का लाट साहब बनाया जा सकता है, इसका कारण यह है कि वे मध्य प्रदेश से राज्य सभा सदस्य भी रहे हैं और वे एमपी की तासीर को पहचानते भी हैं। दस जनपथ के विश्वस्त समझे जाने वाले शिवराज पाटिल को सोनिया गांधी राज्य सभा के रास्ते वापस मुख्य धारा में लाना चाहतीं है, पर वे इसके लिए इच्छुक नहीं बताए जा रहे हैं। पाटिल चाहते हैं कि उन्हें महाराष्ट्र के आसपास राजभवन में पदस्थ कर दिया जाए। मध्य प्रदेश पाटिल के लिए भी मुफीद ही बताया जा रहा है।

. . . मतलब विरोध केवल कमल नाथ का ही था


. . . मतलब विरोध केवल कमल नाथ का ही था

वर्तमान भूतल परिवहन मंत्री से शिवराज को नहीं कोई शिकायत

कमल नाथ द्वारा स्वीकृत सड़कें निरस्त करने पर भी मौन हैं शिवराज!

सी.पी.जोशी से कोई शिकायत नहीं शिवराज को

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। बतौर भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने मध्य प्रदेश की झोली में अनेकों सौगातें डाली थीं, बावजूद इसके सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश और दिल्ली यात्रा के दौरान अक्सर ही केंद्र द्वारा सड़कों के मामले में सौतेला व्यवहार करने के आरोप मढ़े जाते रहे हैं। अब जबकि भूतल परिवहन मंत्रालय के वर्तमान निजाम सी.पी.जोशी द्वारा कमल नाथ के द्वारा मध्य प्रदेश को दी गई सौगातें छीन ली गईं हैं तब मध्य प्रदेश सरकार खामोश है, जिससे लगने लगा है कि शिवराज सिंह चौहान को सूबे की सड़कों से ज्यादा कमल नाथ का विरोध करना आवश्यक था।

भूतल परिवहन मंत्री रहते हुए मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद कमल नाथ द्वारा प्रदेश की अनेक सड़कों को नेशनल हाईवे में तब्दील करवाया साथ ही साथ अनेक सड़कों के चौड़ीकरण, सिंगल लेन से टू लेन और फोर लेन की स्वीकृतियां प्रदान की थीं। भूतल परिवहन मंत्री के तौर पर उन्होंने मध्य प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने की कार्ययोजना सुनिश्चित की थी। इनमें से कुछ मार्गों पर काम आरंभ कर दिया गया था।

सरफेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि बजट की कमी का हवाला देते हुए विभाग के नए निजाम सी.पी.जोशी ने कमल नाथ के कार्यकाल में स्वीकृत सड़क परियोजनाओं को रोक दिया है। अपने कार्यकाल मेें कमल नाथ ने वित्तीय वर्ष 2010 - 2011 में अंतर्राज्यीय सड़कों को जोड़ने की मद (आईएससी) में मध्य प्रदेश के लिए 11 राजमार्गों के लिए 137 करोड़ रूपयों की मंजूरी दी थी। इनमें से अनेक मार्ग अधिसूचित हो चुके हैं जिनके निर्माण के लिए प्रशासकीय और तकनीकि स्वीकृति (एएस और टीएस) भी जारी कर टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाने के बाद निविदा को धनाभाव के चलते निरस्त करना पड़ा है।

मध्य प्रदेश का इस तरह स्वीकृत हक मारे जाने पर विपक्ष में बैठे भाजपा के सांसद तो मौन साधे हुए हैं किन्तु कांग्रेस के देवास के संसद सदस्य सज्जन सिंह वर्मा मानसून सत्र में अपने संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) के तहत स्वीकृत सड़कों की दो मर्तबा निविदा स्वीकृति के बाद निर्माण कार्य आरंभ न किए जाने का मामला उठाने की तैयारियां कर रहे हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी सदा ही केंद्र के द्वारा सौतेला व्यवहार करने का गाना गाने वाले शिवराज सिंह चौहान का मौन इस ओर इशारा कर रहा है कि पूर्व में जब कमल नाथ भूतल परिवहन मंत्री थे तब उनका विरोध कर वे कमल नाथ पर दबाव बनाना चाहते थे।

सोलहवें सावन में बन जाएगा लाईसेंस


सोलहवें सावन में बन जाएगा लाईसेंस

सोलह साल पूरे होते ही अधिकृत तौर पर दुपहिया से फर्राटे भरेंगे युवा

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। युवाओं के बीच दुपहिया वाहनों के बढ़ते क्रेज को देखकर केंद्र सरकार भी व्यवहारिक होती नजर आ रही है। कंेद्र सरकार द्वारा गियर वाले दो पहिया को चलाने के लिए अब आयु सीमा 18 से घटाकर 16 साल करने की तैयारी की जा रही है। इस आशय के प्रस्ताव केंद्र सरकार ने तैयार कर राज्यों को भेजकर उनके मशविरे मांगे हैं। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो नए साल की पहली किरण के आगाज के साथ ही सोलह साल पूरे करने वालों को वाहन चलाने का लाईसेंस मिल जाएगा।

केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि विभाग के पास कुछ गैर सरकारी संगठनों के सुझाव आए थे जिसमें युवाओं में दो पहिया वाहनों के प्रति बढ़ते रूझान को देखकर आयु सीमा कम करने की बात कही गई थी। भूतल परिवहन मंत्री सी.पी.जोशी ने तत्काल इस पर संज्ञान लेते हुए प्रस्ताव तैयार करवाया और फिर राज्यों को भेजकर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया है।

वर्तमान कानून के अनुसार बिना गियर वाले दो पहिया वाहनों के लिए आयु सीमा सोलह साल और गियर वाले वाहनों के लिए अठ्ठारह साल निर्धारित है। इस प्रस्ताव में बिना गियर के लिए पंद्रह तो गियर वाली के लिए सोलह साल आयु करने की बात कही गई है। अमूमन अस्सी फीसदी युवा बिना अनुज्ञा (लाईसेंस) के ही वाहनों को सड़कों पर दौड़ाकर कानून तोड़ते नजर आते हैं। केंद्र सरकार की मंशा है कि युवाओं के इस गैर कानूनी कदम को आयु सीमा घटाकर कानूनी किया जाए। जोशी के करीबियों का कहना है कि युवाओं को मिलने वाली इस सुविधा के चलते अगले आम चुनावों मंे युवाओं का बड़ा वर्ग कांग्रेस के साथ हो सकता है।

नीता को परवाह नहीं घर के सामने की सड़क की!


नीता को परवाह नहीं घर के सामने की सड़क की!

सिवनी छोड़ आधा दर्जन शहरों की बदहाल सड़कें गूंजी विधानसभा में

प्रेम गिनेंगे सड़क के गड्ढे, नीता को नहीं फिकर अपनी विधानसभा की

कमल मस्कोले उठा चुके हैं प्रश्नकाल में मामला: कहा नीता ने

(नंद किशोर जाधव)

भोपाल। विधानसभा में गुरूवार को स्थानीय निकायों की बदहाल सड़कों का मामला जमकर गूंजा। विधानसभाध्यक्ष की आसंदी पर विराजमान थीं सभापति एवं सिवनी की विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, और जबलपुर, इंदौर, सागर, पन्ना, राघोगढ़ रायसेन आदि जिलों की बदहाल सड़कों पर शोर शराबा होता रहा। इसमें सिवनी शहर जो नीता पटेरिया के विधानसभा क्षेत्र का अहम हिस्सा है की सुध लेने की फिकर उन्हंे खुद नहीं थी।

श्रीमति पटेरिया ने इस संवाददाता से चर्चा के दौरान कहा कि सिवनी शहर की सड़कों के गड्ढ़े बरघाट के विधायक कमल मस्कोले पहले गिन चुके हैं। उन्होंने कहा कि कमल मस्कोले द्वारा प्रश्न काल में सिवनी शहर की सड़कों का मामला उठाया जा चुका है। गौरतलब है कि विधानसभा क्षेत्र सिवनी जो अपने आप में जिला मुख्यालय सिवनी को समाहित किए हुए है, इस लिहाज से सिवनी शहर की जनता के सुख दुख, सुविधाओं आदि की नैतिक जिम्मेवारी मूलतः श्रीमति नीता पटेरिया पर ही आहूत होती है।

श्रीमति पटेरिया ने कहा कि उनके निवास के सामने वाली सड़क (कलेक्टर बंग्ले से एसपी बंग्ले तक) इतनी जर्जर है जिस पर चलना मुश्किल है। श्रीमति पटेरिया ने स्वीकार किया कि यह सड़क निर्माण के साथ ही जर्जर हो गई थी। उल्लेखनीय होगा कि यह सड़क दिल्ली के ‘‘राजपथ‘‘, सोनिया के निवास ‘‘जनपथ‘‘, कांग्रेस कार्यालय ‘‘अकबर रोड़‘‘ या भाजपा के कार्यालय ‘‘अशोक रोड़‘‘ से कम नहीं है।

इस मार्ग के महज एक सौ मीटर के दायरे में ही जिलाधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला एवं सत्र न्यायधीश, कलेक्टर एसपी कार्यालय, जिला न्यायालय, पुलिस लाईन, वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, शशि ठाकुर, ठाकुर हरवंश सिंह, पूर्व विधायक डॉ.ढाल सिंह बिसेन, नरेश दिवाकर, टक्कन सिंह मरकाम, विधानसभा में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे आशुतोष वर्मा, राज कुमार खुराना, प्रसन्न चंद मालू, जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी, जिला भाजपाध्यक्ष सुजीत जैन के साथ ही साथ भाजपा का वर्तमान और भविष्य का जिला कार्यालय भी अवस्थित है।

श्रीमति पटेरिया ने कहा कि इस सड़क से संबंधित मामला माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। वैसे अगर देखा जाए तो सरकारी स्तर पर इस सड़क का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग उनसे विधायक निधि से इस सड़क के निर्माण की बात करते हैं, जो वास्तविक तौर पर संभव नहीं है।

नगर भाजपाध्यक्ष प्रेम तिवारी के 23 जुलाई को शहर के अंदर से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर गड्ढ़े गिनने के अभियान पर श्रीमति पटेरिया ने कहा कि उन्होंने चार माह पहले एनएचएआई के अधिकारियों से इस बावत बात की थी, किन्तु उस समय अधिकारियों द्वारा इस मार्ग के चौड़ीकरण का प्राक्कलन प्राप्त होने की बात कही थी, जिसमें मार्ग के चौड़ीकरण में टूटने वाले भवनों के मुआवजे की कोई व्यवस्था न होने पर पुनरीक्षित प्राक्कलन स्वीकृति हेतु भेजा गया है। अब एनएचएआई नई कहानी गढ़ रहा है।

पिछले साल सितम्बर माह में विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह द्वारा दलसागर के मुहाने पर बंडोल, छपारा और सिवनी के अंदर से होकर गुजरने वाली सड़क के जीर्णोद्धार के भूमिपूजन जिसमें श्री सिंह ने दो माह पूर्व अर्थात जुलाई 2010 में इसकी प्रशासकीय और तकनीकि स्वीकृति मिलने तथा राशि आवंटित होने की बात कही थी के एक साल बाद भी काम आरंभ न किए जाने के प्रश्न पर श्रीमति पटेरिया द्वारा कोई टिप्पणी नहीं की गई।

व्याप्त चर्चाओं के अनुसार एक तरफ तो नगर भाजपा के युवा और उर्जावान अध्यक्ष प्रेम तिवारी द्वारा शहर के लोगों की सुविधाओं की ओर ध्यान केंद्रित कर सड़कों के गड्ढ़े गिनकर सरकार को चेताने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विधायक श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा अपनी ही विधानसभा तो छोड़िए घर के सामने की सड़क को सुधारने का मामला सदन में नहीं उठाया जा रहा है। वस्तुतः सिवनी विधानसभा में आने वाले सिवनी शहर की सड़कों का मामला बरघाट विधायक कमल मस्कोले के बजाए श्रीमति नीता पटेरिया को सदन में उठाना था, जो उन्होंने नहीं किया।

बहरहाल विधानसभा में प्रश्न काल के दौरान जबलपुर के विधायक लखन घनघोरिया द्वारा शहर की सड़कों का मामला उठाया तो विधानसभाध्यक्ष द्वारा स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर से ‘‘गौर‘‘ फरमाने का आग्रह किया। साथ ही साथ जबलपुर में निर्मित सड़कों की गुणवत्ता भी जांचने के लिए मुख्य अभियंता को भेजने की बात गौर ने स्वीकारी। इंदौर में सड़कों से दुखी अश्विन जोशी, पन्ना के लिए राकेश सिंह, दिग्गी राजा के गृह क्षेत्र राघवगढ़ के लिए पुरूषोत्तम दांगी, भगवान सिंह ने रायसेन की सड़कों का मामल उठाया। सागर में तो मंत्री गोपाल भार्गव को ही पहल कर सड़कों का दुखड़ा रोना पड़ा।