सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

शताब्दी में सजेगा बाजार


शताब्दी में सजेगा बाजार

(संतोष पारदसानी)

भोपाल (साई)। क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय रेल में यात्रा के दौरान आप रेलगाड़ी के अंदर ही खरीददारी कर पाएंगे। जी हां, भारतीय रेल ने लंबी दूरी की शताब्दी ट्रेनों का सफर अब और सुहाना होने जा रहा है। रेलवे ने इसकी यात्रा के दौरान कई लग्जरी उत्पादों को बिक्री की सुविधा मुहैया करने का फैसला किया है।
रेल विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शताब्दी ट्रेन की एग्जक्यूटिव क्लासएवं चेयर कारों में परफ्यूम, त्वचा पर लगाई जाने वाली क्रीम, हैंडबैग, घडियां और उत्कृष्ट जेवरात तथा तोह्फे में दी जाने वाली अन्य चीजें भी उपलब्ध होंगी। सूत्रों ने आगे बताया कि चॉकलेट प्रेमियों के लिए भी कई स्वादिष्ट उत्पाद उपलब्ध होंगे। उन्होंने बताया कि शताब्दी ट्रेन में पायलट आधार पर एक महीने के लिए इस सुविधा को मुहैया करने का जिम्मा एक कंपनी को सौंपा गया है।
सूत्रांे ने बताया कि यह सुविधा जल्द ही भोपाल शताब्दीसे शुरु होगी। इससे मिली प्रतिक्रिया पर गौर करने के बाद अन्य शताब्दी ट्रेनों में भी यह सुविधा दी जाएगी। इसके साथ ही साथ रेलवे दीर्घकालीन आधार पर इस ट्रॉली सेवा को अन्य ट्रेनों में लागू करेगी। प्रत्येक शताब्दी ट्रेन में दो ट्रालियां होंगी।

बुखार में कारगर है सप्तपर्णी


हर्बल खजाना ----------------- 32


बुखार में कारगर है सप्तपर्णी

(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। सप्तपर्णी एक पेड है जिसकी पत्तियाँ चक्राकार समूह में सात - सात के क्रम में लगी होती है और इसी कारण इसे सप्तपर्णी कहा जाता है। इसके सुंदर फ़ूलों और उनकी मादक गंध की वजह से इसे उद्यानों में भी लगाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम एल्सटोनिया स्कोलारिस है।
पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि प्रसव के बाद माता को यदि छाल का रस पिलाया जाता है तो दुग्ध की मात्रा बढ जाती है। इसकी छाल का काढा पिलाने से बदन दर्द और बुखार में आराम मिलता है। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार जुकाम और बुखार होने पर सप्तपर्णी की छाल, गिलोय का तना और नीम की आंतरिक छाल की समान मात्रा को कुचलकर काढा बनाया जाए और रोगी को दिया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिलता है।
आधुनिक विज्ञान भी इसकी छाल से प्राप्त डीटेइन और डीटेमिन जैसे रसायनों को क्विनाईन से बेहतर मानता है। पेड से प्राप्त होने वाले दूधनुमा द्रव को घावों, अल्सर आदि पर लगाने से आराम मिल जाता है। छाल का काढा पिलाने से दस्त रुक जाते है। दाद, खाज और खुजली में भी आराम देने के लिए सप्तपर्णी की छाल के रस का उपयोग किया जाता है। (साई फीचर्स)

(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ हैं)

पहले महीने फर्राटे से दौड़ता है आईडिया का नेट


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  32

पहले महीने फर्राटे से दौड़ता है आईडिया का नेट

दूसरे महीने से पैसेंजर गाड़ी को भी दे देता है मात

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई) आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली आईडिया सेल्यूलर के इंटरनेट की अजब कहानी सामने आ रही है। ग्रामीण इलाकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आईडिया का इंटरनेट पहले महीने तो शताब्दी या सुपर फास्ट रेलगाड़ी के मानिंद चलता है, क्योंकि यह प्रमोशनल स्कीम के तहत निशुल्क होता है, किन्तु जैसे ही महीना पूरा होता है इसकी चाल पैसेंजर रेल गाड़ी से भी धीरे हो जाती है।
ग्र्रामीण इलाकों से आ रही खबरों के अनुसार आईडिया के नेट सेटर लेने पर पहले महीने की प्रमोशनल स्कीम के तहत इंटरनेट सुपर डुपर हिट तरीके से चलता है। जैसे ही उपभोक्ता द्वारा पहला रीचार्ज करवाया जाता है उसके बाद से उसे सर्वर नॉट फाउंड का ही संदेश देखने को मिलता है। दिन भर में सैकड़ों बार कनेक्ट करने पर भी आईडिया का नेट नहीं जुड़ पाता है।
उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए जरूर यह बताया जाता है कि जिलों के ग्रामीण अंचलों में भी आईडिया का नेटवर्क है, किन्तु जब इंटरनेट जोड़ने की बात आती है तो उपभोक्ताओं के पसीने निकल जाते हैं। अनेक जिलों में तो टूजी सेवा होने के बाद भी आईडिया के कारिंदे थ्री जी का प्रलोभन देकर कनेक्शन बेच रहे हैं। पहले महीने तो उपभोक्ताओं को थ्री जी से भी तेज स्पीड मिलती है किन्तु अगले ही महीने से उपभोक्ता अपने आप को ठगा सा ही महसूस करता है।

(क्रमशः जारी)

माता के साथ बजरंग बब्बा की कृपा का लाभ मिलेगा इस बार


माता के साथ बजरंग बब्बा की कृपा का लाभ मिलेगा इस बार

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। लगभग साढे़ तीन दशक यानी 34 साल बाद इस बार नवरात्रि मंगलवार 16 अक्टूबर को शुरू होकर मंगलवार को ही 23 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। इससे पहले ऐसे ही आठ दिनों के नवरात्रि का संयोग 1978 में बना था। इसके बाद 27 साल बाद 2039 में ऐसी स्थिति आएगी। इस नवरात्रि में देवी मां के साथ हनुमान जी की भी कृपा बनी रहेगी। ये साधकों और श्रद्धालुओं के लिए खुशियों लेकर आएंगी। 1978 में 3 से 10 अक्टूबर तक नवरात्रि पड़ी थी।
ऐसा संयोग भविष्य में मंगलवार 18 अक्टूबर 2039 को बनेगा और मंगलवार 25 अक्टूबर को नवमी तिथि होगी। ज्योतिष वेत्ताओं के अनुसार इस बार मंगल अपनी ही राशि वृश्चिक में रहेगा। इसलिए इसे मंगल और हनुमानजी दोनों का बल मिलेगा। मंगल प्रबल होने से मंगल ही मंगल होगा। 18 अक्टूबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि दोनों एक ही दिन पड़ने वाली है। इसकी वजह से एक तिथि घट गई और नवरात्रि नौ दिन की बजाए आठ दिन के रह गए।
पिछले साल भी नवरात्रि आठ दिनों की ही थी। साल 2013 में पांच से 12 अक्टूबर तक आठ दिन के नवरात्र होंगे। अगले वर्ष नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन 12 अक्टूबर को होगी। 14 में भी आठ दिनों की नवरात्रि होगी। अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ेगी। देवी मंदिरों में तैयारी शुरू हो गई है।

शारदीय नवरात्री का घट/कलश स्थापना मुहूर्त

शारदीय नवरात्री का घट/कलश स्थापना मुहूर्त

(पं.दयानंद शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। आश्विन शुक्लपक्ष प्रथमा को कलश की स्थापना के साथ ही भक्तों की आस्था का प्रमुख त्यौहार शारदीय नवरात्र आरम्भ हो जाता है। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री(मोब।--09024390067) के अनुसार नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है। यह महापर्व सम्पूर्ण भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इन दिनों भक्तों को प्रातः काल स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर निष्कामपरक संकल्प कर पूजा स्थान को गोमय से लीपकर पवित्र कर लेना चाहिए और फिर षोडशोपचार विधि से माता के स्वरूपों की पूजा करना चाहिए। पूजा करने के उपरान्त इस मंत्र द्वारा माता की प्रार्थना करना चाहिए-
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमांश्रियम्द्य रूपंदेहि जयंदेहि यशोदेहि द्विषोजहिद्यद्य
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री(मोब।--09024390067) के अनुसार नवरात्र माता की उपासना करने का विशेष समय होता है। इन नौ दिनों में सभी तन-मन से माता की आराधना करते हैं। इस त्योहार की शुरुआत अश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से होता है। अगर आप भी माता की आराधना कर आपकी मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो नीचे लिखे गए तरीके से माता की स्थापना करें-
घट स्थापनाः-
नवरात्र का श्रीगणेश शुक्ल पतिपदा को प्रातरूकाल के शुभमहूर्त में घट स्थापना से होता है। घट स्थापना हेतु मिट्टी अथवा साधना के अनुकूल धातु का कलश लेकर उसमे पूर्ण रूप से जल एवं गंगाजल भर कर कलश के ऊपर नारियल को लाल वस्त्र/चुनरी से लपेट कर अशोक वृक्ष या आम के पाँच पत्तो सहित रखना चाहिए। पवित्र मिट्टी में जौ के दाने तथा जल मिलाकर वेदिका का निर्माण के पश्चात उसके उपर कलश स्थापित करें। स्थापित घट पर वरूण देव का आह्वान कर पूजन सम्पन्न करना चाहिए।
घट स्थापना व पूजा प्रारंभः-
इस वर्ष शारदीय नवरात्रों की शुरुआत 16 अक्टूबर से मंगलवार के दिन मंगल के ही नक्षत्र चित्रा से हो रही है। चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापना करना अशुभ माना जाता है। अत सुबह स्वाति नक्षत्र में कलश की स्थापना करे जो की छह बजकर 45 मिनट पर शुरू हो जाएगा। वैसे कलश लाभ की चौघड़िया व अभिजीत मुहूर्त में स्थापना करना चाहिए।
मंगलवार को अश्विनी शुक्ल प्रतिपदा है। इसी दिन घट स्थापना होगी। सुबह 918 बजे से सुबह 1107 बजे तक घट स्थापना का श्रेष्ठ समय है। इस समय स्थिर लग्न वृश्चिक और चर और लाभ के श्रेष्ठ चौघड़िया हैं। इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय हो रहा है, जिसके चलते तृतीया और चतुर्थी एक ही दिन 18 अक्तूबर को मनाई जाएगी। 23 अक्तूबर तक नवरात्र चलेंगे।
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11.30 बजे से दुपहर 12.30 बजे तक
स्थिर लग्न में स्थापना करेंः-
ज्योतिष के अनुसार स्थिर लग्न में किए हुए कार्य पूर्ण होते है, शुभ फल देने वाले होते है। साथ ही किए हुए कार्य का प्रभाव भी स्थायी होता है। इसलिए शुभ कार्यों को करने से पहलें स्थिर लग्न का विचार किया जाता।घट स्थापना का शुभ समयरू ---स्थिर लग्न - सुबह 918 बजे से 1107 बजे तक
राहुकाल में स्थापना न करेंः-
ज्योतिष के अनुसार राहुकाल को अशुभ समय माना जाता है एवं ऐसा माना जाता है कि इस काल में किया हुआ कार्य अशुभ फल देता है। इस दिन  राहुकाल- प्रातः 10.30 से 1200 बजे तक रहेगा।(16 अक्तूबर,2012 को मंगलवार)
नवरात्रों में कमी आना शुभ नहीं माना जाता। वहीं नवरात्र पर्व का आरंभ 16 अक्टूबर से हो रहा है और इसका समापन 23 अक्टूबर को होगा।
इसलिए हुई तिथियों में घट-बढ़ः-
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री(मोब।--09024390067 ) के अनुसार तिथियां सूर्य-चंद्रमा की गति से संबंध रखती हैं।  जब सूर्य चंद्र की गति का अंतर अधिक रहता है तब चंद्रमा 15 दिनों के बजाय 14 दिन में ही सूर्य के सम्मुख आ जाता है। यदि गति का अंतर धीमा हो तो 16 दिन भी लग जाते हैं। सूर्य-चंद्र की यही गति तिथियों की घट-बढ़ का प्रमुख कारण होती है।
इस दफा दो नवरात्र एक ही दिनः-
इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत 16 अक्टूबर से मंगलवार के दिन मंगल के ही नक्षत्र चित्रा से हो रही है । 16 अक्टूबर को घटस्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि शुरू होगी। ज्यादातर पंचांग तृतीया व चतुर्थी एक ही दिन बता रहे हैं। कुछ में पंचमी व षष्ठमी एक ही दिन बताई गई है। बाद में चतुर्थी होगी। 22 को दूर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री(मोब।--09024390067) के अनुसार  भारतीय संस्कृति में आराधना और साधना करने के लिए नवरात्र पर्व को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। जहां अन्य त्योहार होली, दीवाली, ग्रहण आदि में समय बहुत कम होता है, वहीं नवरात्र अपेक्षाकृत दीर्घकालिक होते हैं।
मूर्ति या तस्वीर स्थापनाः-- माँ दुगा की मूर्ती या तसवीर को लकड़ी की चौकी पर लाल अथवा पीले वस्त्र(अपनी सुविधानुसार) के उपर स्थापित करना चाहिए। जल से स्नान के बाद, मौली चढ़ाते हुए, रोली अक्षत(बिना टूटा हुआ चावल), धूप दीप एवं नैवेध से पूजा अर्चना करना चाहिए।
आसनः- लाल अथवा सफेद आसन पूरब की ओर बैठकर नवरात्रि करने वाले विशेष को पूजा, मंत्र जप, हवन एवं अनुष्ठान करना चाहिए।
कुलदेवी का पूजनः- हर परिवार में मान्यता अनुसार जो भी कुलदेवी है उनका श्रद्धा-भक्ति के साथ पूजा अर्चना करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री(मोब।--09024390067 ) के अनुसार वर्ष 2012 में यह व्रत 16 अक्टूबर से शुरु होकर 23 अक्तूबर तक रहेगे़। व्रत का संकल्प लेने के बाद पंडित से या स्वयं मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है। इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता है। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है। तथा ष्दुर्गा सप्तशतीष् का पाठ किया जाता है। पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना चाहिए। वैष्णव लोग राम की मूर्ति स्थापित कर रामायण का पाठ करते हुए इस व्रत को करते है। कहीं कहीं नवरात्रे भर रामलीलाएं भी होती है।
देवी पूजा में इनका रखे ध्यानः-
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री(मोब।--09024390067 ) के अनुसार इन नवरात्रों में रखें की कोई असावधानी न हो, दुर्गा पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे एक घर में दुर्गा की तीन मूर्तियां न हों अर्थात देवी की तीन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा, पूजन न करें। देवी के स्थान पर वंशवाध, शहनाई का घोष नहीं करना चाहिए तथा दुर्गा पूजन में दूर्वा अर्थात दूब का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दुर्गा आवाहन के समय बिल्वपत्र, बिल्व शाखा, त्रिशूल, श्रीफल का प्रयोग करना चाहिए। पूजन में सुगंधहीन व विषैले फूल न चढ़ाए बल्कि लाल फूल मां को प्रिय हैं। रात्रि में कलश स्थापना नही करनी चाहिए। मां दुर्गा को लाल वस्त्र पहनाए और उनका मुख उत्तर दिशा की तरफ कदापि न करें। विभिन्न लग्न, मुहूर्ताे में मंत्र जाप और उपासना का विशिष्ट फल मिलता है जैसे मेष, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुम्भ में एश्वर्य, धन लाभ, स्वर्ण प्राप्ति और सिद्धि मिलती है। परंतु वृष, मिथुन, सिंह, धनू, मीन लग्न में अपमान, मृत्यु, धन नाश और दुखों की प्राप्ति होती है।

. . . तो सोनिया के लिए हो रहे 6 से 12 सिलेन्डर


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

. . . तो सोनिया के लिए हो रहे 6 से 12 सिलेन्डर

रसोई गैस में सब्सीडी के फंडे में अब केंद्र सरकार कुछ रिलेक्स होने वाली है। केंद्र सरकार सब्सीडी वाले सिलेन्डर की तादाद छः से बढ़ाकर बारह करने पर विचार कर रही है। लोग खुश हैं, पर आम आदमी का खून स्ट्रा (केन्ड ड्रिंक पीने की नली) लगाकर पीने वाली केंद्र सरकार ने आखिर यह कदम उठाने का विचार क्यों बनाया? कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जब एक अस्पताल प्रबंधन ने सोनिया राहुल से सब्सीडाईज्ड सिलेंडर कम होने की स्थिति में किचिन बंद करने की बात कही तब जाकर युवराज और राजमाता की नींद खुली। दरअसल, नेहरू गांधी परिवार के फेमिली फॅमिली ट्रस्ट जिसकी वर्तमान चौयरपर्सन खुद सोनिया गांधी हैं, द्वारा इलहाबाद में संचालित कैंसर हॉस्पिटल का कम्युनिटी किचन महंगाई की मार के चलते पिछले सवा पखवाड़े से बंद पड़ा है। जब बाजारू कीमत पर गैस खरीदने के लिए सोनिया राहुल से पैसा मांगे गए तो फिर बात केंद्र सरकार के पास पहुंची और जनता को राहत मलने की उम्मीद बंधी।

घायल की गति जाने घायल!
बहुत पुरानी कहावत है कि घायल की गति जाने घायल! अर्थात एक घायल की पीड़ा दूसरा घयाल ही जान सकता है। इसी तर्ज पर कांग्रेस में आजकल एक दागी दूसरे दागी का बचाव पूरे जतन से कर रहा है। सोशल नेटवर्किंग बेव साईट पर राष्ट्रीय दमाद की उपाधि पा चुके सोनिया गांधी के दमाद राबर्ट वढेरा के बचाव में सलमान खुर्शीद ने पूरी ताकत लगाई तो सलमान और उनकी पत्नि लुईस के खिलाफ ही विकलांग का पैसा खाने का संगीन आरोप लग गया। प्रधानमंत्री खुद भी इस मामले में संजीदा हैं और उनका भी कहना है कि इस तरह की नकारात्मक बातों के प्रचार प्रसार पर रोक लगना चाहिए। जयंती नटराजन पर रियल स्टेट तो रेणुका चौधरी पर यूपीए वन में हवाई अड्डों की ड्यूटी मुक्त दुकानों से वसूले के आरोप लगे थे। अब सारे घपले घोटालेबाज कांग्रेस के नेता राबर्ट वढेरा के फंसने से राहत की सांस ले रहे हैं कि अब आने वाले कुछ महीनों तक तो घपलेबाज नेताओं पर हाथ नहीं डालेगी और उनका बचाव ही करेगी सरकार।

गांधी के सिद्धांतों को बिसरा दिया कांग्रेस ने
आधी लंगोटी में जीवन बिताने वाले महात्मा गांधी के नाम का भरपूर दोहन किया है सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस ने। वर्तमान में कांग्रेसी अपने आप को गांधी (महात्मा गांधी नहीं) के वंशज अवश्य मानते हैं पर महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अब तो अपने जीवन में तो क्या भाषणों में भी स्थान देना बंद कर दिया है। बापू के तीन सिद्धांत थे, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो। आज देश में भ्रष्टाचार, घपले, घोटाले, बलात्कार का बोलबाला है पर कांग्रेस में प्रधानमंत्री से लेकर नीचे तक का कार्यकर्ता चुपचाप देख रहा है। जब भी कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं कांग्रेस के लड़ाकू रक्षक अरोप लगाने वालों के खिलाफ स्तरहीन बयानबाजी पर उतर आए हैं। जब सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह राबर्ट वढ़ेरा पर आरोप लगते हैं तो इन आरोपों को जमीन स्तर का कार्यकर्ता यह कहकर सुन रहा है -‘‘तो क्या होता है भाजपा कौन सी दूध की धुली है?‘‘

सांसद की धौंस जमाते दर्डा
महाराष्ट्र में कभी मराठी अखबार का बोलबाला हुआ करता था, उसका नाम था लोकमत। लोकमत ने अपना हिन्दी संस्करण आरंभ किया। सूबे में एक छत्र साम्राज्य स्थापित हो गया इस समूह का। संभवतः इसी के बल पर इस समूह के स्वामी विजय दर्डा को राज्य सभा के रास्ते संसद में प्रवेश मिला। इसके बाद जबसे दैनिक भास्कर ने इस प्रदेश की ओर नजरें इनायत की हैं, इस अखबार का रसूख कम सा हुआ है। हाल ही में सांसद विजय दर्डा पर कोल में होल के आरोप लगे हैं। अब विजय दर्डा पर अपने सांसद के लेटर हेड पर अपने मराठी और हिन्दी अखबार के विज्ञापन के दीवाली के स्पेशल अंक के लिए विज्ञापन मांगने के आरोप लग रहे हैं। अमूमन सांसद या विधायक से उम्मीद की जाती है कि वह अपने पद का इस्तेमाल जनहित के लिए करेगा, पर यहां तो मामला उलटा ही है। सांसद और कथित मीडिया मुगल विजय दर्डा अपने पद और प्रभाव का उपयोग अपनी ही जेब भरने के लिए कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि लोकमत मीडिया लिमिटेड के अध्यक्ष विजय दर्डा अगर अपनी कंपनी को करोबारी लाभ पहुंचाना चाहते हैं तो कंपनी के लेटर हेड का उपयोग करते ना कि सांसद का। अब समूची कांग्रेस ही लूटने में लगी है तो भला विजय दर्डा क्यों पीछे रहने वाले हैं।

टू जी, सीएजी, सीडब्लूजी, अब जीजाजी
एकता कपूर के टीवी सिरियल्स में केका महतव है तो कांग्रेस में अब तक के घपले घोटालों की फेहरिस्त में जीका अपना महत्व है। टूजी, थ्रीजी, सीडब्लू जी (कामन वेल्थ गेम्स), सीएजी के साथ ही साथ अब सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर राबर्ट वाढरा को जीजाजी कहा जा रहा है और उन्हें भी घपले घोटाले भ्रष्टाचार की लिस्ट में अग्रणी रखा जा रहा है। अब तक तो सिर्फ सांसद विधायकों के द्वारा भ्रष्टाचार घपले, घोटाले करने के आरोप सामने आए थे, पर अब अपनी सासू मां श्रीमति सोनिया गांधी और साले राहुल गांधी के नाम और प्रभावों का उपयोग कर राबर्ट पर आरोप लगे हैं। इन आरोपों में सच्चाई कितनी है यह तो वे ही जाने या डीएलएफ गु्रप, पर राबर्ट को बिना ब्याज का लोन देकर डीएलएफ के मालिक ने मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान से एक कदम आगे निकला गया है। गौरतलब है कि चौहान ने एमपी के किसानों को एक प्रतिशत की दर पर लोन मुहैया कराया है।

नहीं बनी डीएमके से बात
मीडिया में भले ही यह बात प्रचारित प्रसारित हो रही हो कि मंत्रीमण्डल का विस्तार राहुल गांधी की व्यस्तता और श्राद्ध पक्ष के चलते टाला गया हो पर सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों का दावा है कि यह विस्तार राहुल गांधी के कारण नहीं वरन् डीएमके और मुकेश अंबानी के दबाव के चलते टाला गया है। इसके साथ ही साथ महाराष्ट्र का भी इस विस्तार को टालने में योगदान माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो मंत्रीमण्डल विस्तार टलने की तीन प्रमुख वजहें हैं। पहली वजह द्रमुुक का मंत्रीमण्डल से बाहर रहना और दूसरा मुकेश अंबानी की पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी की रूखसती है। तीसरा महाराष्ट्र में राकांपा के दबाव के आगे झुककर अगर कांग्रेस चव्हाण को हटाती है तो इसका संदेश बहुत अच्छा नहीं जाएगा। तीनों ही वजहें कांग्रेस के लिए इतनी अहम थीं कि दोनों ही को वे नजर अंदाज नहीं कर सकते थे।

महामहिम जाएंगे शिरडी
भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी अब शिरडी के फकीर के दरबार में हाजिरी लगाने जाएंगे। अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में प्रणव मुखर्जी शिरडी आएंगे और यहां अत्याधुनिक साई आश्रम का उद्यघाटन करेंगे। लगभग दो सौ करोड़ रूपयों की लागत से तैयार इस साई आश्रम में हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास किया गया है। साई बाबा संस्थान के सूत्रों ने बताया कि यह नया भक्त निवास मुख्य मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सूत्रों ने यह भी बताया कि दो चरणों में तैयार इस योजना का महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा 16 नवंबर को उद्घाटन किया जाएगा। इसमें 1536 कमरे हैं, जिसमें 350 से अधिक वातानुकूलित हैं। आश्रम के अंदर 12 भवन हैं और इसमें दस हजार श्रद्धालु रुक सकते हैं। योजना के दूसरे चरण में हालों बड़े कमरों, के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। इसमें करीब पांच हजार श्रद्धालु ठहर सकते हैं।

शिव के समक्ष नरम हुए प्रभात
मध्य प्रदेश में तख्तापलट की तैयारी में जुटी टीम झा के सुर अब बदले बदले नजर आ रहे हैं। संगठन के जरिए सत्ता पाने की चाहत में प्रभात झा ने प्रशासनिक जमावट में तो अपने प्यादे हर जगह फिर कर दिए थे, किन्तु बाद में जब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी ही खतरे में दिखी तो प्रभात झा ने अपना रवैया बदल लिया है। शिवराज सरकार के लिए प्रभात झा का नरम रवैया चौंकाने वाला ही माना जा रहा है। कभी मंत्रियों और अपनी ही सरकार पर निशाना साधने से नहीं चुकने वाले झा पिछले दिनों खंडवा में हुई कार्यसमिति में अपने कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों को ही नसीहत देते नजर आए। कहा जा रहा है कि यह उनकी दूसरी पारी खेलने की कसरत है, जिसके तहत झा में यह बदलाव देखा जा रहा है। झा जानते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मर्जी के विरुद्ध वे दूसरी पारी हासिल नहीं कर पाएंगे।

और प्रियंका भी आईं विवादों में
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने राज्य में गांधी परिवार की संपत्तियों की जांच कराने की मांग की है। शांता कुमार फिलहाल राज्यसभा के सदस्य हैं। शांता कुमार के करीबी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएएसी) के नेता अरविंद केजरीवाल को लिखे एक पत्र में कहा कि शिमला में प्रियंका गांधी वाड्रा की सम्पत्ति की भी जांच की मांग वह उठाएं। कुमार ने लिखा है कि प्रियंका वाड्रा के परिवार की शिमला में संपत्ति है। मुझे इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है लेकिन यह करोड़ों की है। इसे भी आप अपनी सूची में डाल लो। इस महत्वपूर्ण आंदोलन में देश आपके साथ है। आईएसी ने हालांकि सवाल उठाया कि हिमाचल की भाजपा सरकार क्यों इस मामले की जांच नहीं कर रही है। बयान में कहा गया, हमें जानकारी मिली है कि बगैर सरकार की अनुमति में कोई भी बहरी हिमाचल में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता। कैसे और किस सरकार ने उन्हें जमीन खरीदने की इजाजत दे दी।

मीनाक्षी की लाल बत्ती पर संकट के बादल
केंद्रीय मंत्रीमण्डल विस्तार में सांसद मीनाक्षी नटराजन को टीम राहुल कोटे से लाल बत्ती मिलना तय माना जा रहा था, किन्तु अचानक ही रतलाम में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, सांसद प्रेम चंद गुड्डू और मीनाक्षी नटराजन की उपस्थिति में हुए कलेक्टर के साथ विवाद में मीनाक्षी नटराजन की भूमिका से अब उनकी लाल बत्ती पर प्रश्न चिन्ह लगने आरंभ हो गए हैं। कहा जा रहा है कि मीनाक्षी नटराजन की अपने ही संसदीय क्षेत्र में कमजोर पकड़ और कांग्रेस का गिरता ग्राफ उनके लिए सबसे बडा रोढा है। इसके साथ ही साथ हाल ही में प्रदेशाध्यक्ष कांति लाल भूरिया और सांसद प्रेमचंद गुड्डू के साथ मीनाक्षी ने कलेक्टर के साथ जो बर्ताव किया और उसे मीडिया में जिस तरह से प्रस्तुत किया गया उससे आला कमान मीनाक्षी से नाराज बताए जा रहे हैं। अब मीनाक्षी को लाल बत्ती मिलने में संशय ही जताया जा रहा है।

धन्य हैं मनमोहन!
भारत गणराज्य के वर्तमान निजाम मनमोहन सिंह भी धन्य हैं। कभी संपादकों की टोली को बुलवाकर अपने आप को मजबूर बताते हैं तो कभी परोक्ष तौर पर गठबंधन धर्म को राष्ट्रधर्म से बड़ा बताते हैं। अब उन्होंने भ्रष्टाचार की खबरों के प्रचार प्रसार से वैश्विक स्तर पर भारत की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात कह नई बहस छेड़ दी है। लोगों का कहना है कि क्या भारत गणराज्य इतना कमजोर हो गया है कि देश का प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार रोकने की बजाए उसके प्रचार प्रसार को रोकने की अपील करे! वस्तुतः मनमोहन सिंह को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना चाहिए। जब इस पर रोक लगाने की बात आती है तब मनमोहन खुद को मजबूर बता देते हैं। पर जब सोशल मीडिया इसको उछालता है तब प्रधानमंत्री व्यथित हो जाते हैं। निस्संदेह पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी के साथ ही साथ राजीव गांधी ने भी इक्कीसवीं सदी के एसे भारत की कल्पना तो नहीं ही की होगी।

पुच्छल तारा
मनमोहन अपने आप को मजबूर बताकर देश को लूटने की खुली छूट देकर रखे हुए हैं। इस बात पर अहमदाबाद से पीयूश शाह ने एक ईमेल भेजा है। पीयूष लिखते हैं कि कल तक एक जुमला बड़ा ही चर्चित रहता था कि मजबूरी का नाम महात्मा गांधी। धीरे धीरे इसने वाकई अपना असर दिखाया। मजबूर लोगों ने महात्मा गांधी के मुस्कुराते चित्र वाले नोटों के जरिए मजबूरी में अपने काम साधे। अब समय बदल गया है मुहावरा अब नया आ गया है। वह है कि मजबूरी का नाम महात्मा गांधी नहीं मनमोहन सिंह है।