मंगलवार, 3 सितंबर 2013

जहरीली हो जाएगी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा

आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर . . .10

जहरीली हो जाएगी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा

झाबुआ पावर की राख घोलेगी बरगी बांध में जहर, हो जाएगा पानी जहरीला

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान् झाबुआ पॉवर का सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में प्रस्तावित कोल आधारित पॉवर प्लांट से बड़ी तादाद में उड़ने वाली राख न केवल आसपास के जंगलों को प्रभावित करेगी वरन् यह विशाल जल संग्रह क्षमता वाले रानी अवंती सागर परियोजना के बरगी बांध के पानी में जहर घोलने का काम करेगी। गुपचुप जन सुनवाई कर प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की अनापत्ति प्रमाण पत्र पाने का सिलसिला अभी थमा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि नर्मदा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती हैं लेकिन नदी का 87 प्रतिशत जल प्रवाह मध्यप्रदेश में होने से, इस नदी को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है। आधुनिक विकास प्रक्रिया में मनुष्य ने अपने थोड़े से लाभ के लिए जल, वायु और पृथ्वी के साथ अनुचित छेड़-छाड़ कर इन प्राकृतिक संसाधनों को जो क्षति पहुंचाई है, इसके दुष्प्रभाव मनुष्य ही नहीं बल्कि जड़ चेतन जीव वनस्पतियों को भी भोगना पड़ रहा है। नर्मदा तट पर बसे गांव, छोटे-बड़े शहरों, छोटे-बड़े औद्योगिक उपक्रमों और रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से की जाने वाली खेती के कारण उद्गम से सागर विलय तक नर्मदा प्रदूषित हो गई है और नर्मदा तट पर तथा नदी की अपवाह क्षेत्र में वनों की कमी के कारण आज नर्मदा में जल स्तर भी 20 वर्ष पहले की तुलना में घट गया है।
ऐसे में नर्मदा को प्रदूषण मुक्त करना समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है, लेकिन मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र की सरकारें औद्योगिक और कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए नर्मदा की पवित्रता बहाल करने में ज्यादा रुचि नहीं ले रही हैं। नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक भी शहर के विस्तार और पर्यटकों के आवागमन के कारण नर्मदा जल प्रदूषण का शिकार हो गया है। इसके बाद, शहडोल, बालाघाट, मण्डला, डिण्डोरी, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खण्डवा, खरगोन आदि जिलों से गुजरती हुई नर्मदा महाराष्ट्र और गुजरात की ओर बहती है, लेकिन इन सभी जिलों में नर्मदा को प्रदूषित करने वाले मानव निर्मित सभी कारण मौजूद हैं।
अमलाई पेपर मिल शहडोल, अनेक शहरों के मानव मल और दूषित जल का अपवाह, नर्मदा को प्रदूषित करता है। सरकार ने औद्योगीकरण के लिए बिना सोचे समझे जो निति बनाई उससे भी नर्मदा जल में प्रदूषण बड़ा है, होशंगाबाद में भारत सरकार के सुरक्षा क़ागज कारखाने बड़वानी में शराब कारखाने से उन पवित्र स्थानों पर नर्मदा जल गंभीर रूप से प्रदूषित हुआ है। गर्मी में अपने उद्गम से लेकर, मण्डला, जबलपुर, बरमान घाट, होशंगाबाद, महेश्वर, ओंकारेश्वर, बड़वानी आदि स्थानों पर प्रदूषण विशेषज्ञों ने नर्मदा जल में घातक बेक्टेरिया और विषैले जीवाणु पाए जाने की ओर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया है।

दिनेश राय ने बंद कराया था एनएच

दिनेश राय ने बंद कराया था एनएच

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी में फोरलेन पर लगे ग्रहण को दूर करने की दिशा में लखनादौन जनमंच ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लखन कुंवर की नगरी उत्तर दक्षिण कॉरीडोर पर एक गेटवे का काम करती है। लखनादौन के युवा एवं उत्साही दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने सिवनी जिले से होकर गुजरने वाले फोरलेन से बाधा हटवाने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया, यहां तक कि उन्होंने एनएच को ही चक्का जाम के तहत बंद करवा दिया था।
बताया जाता है कि सिवनी के लोगों के मन में जब फोरलेन की कसक तेजी से उठ रही थी, उसी दौरान लखनादौन जनमंच का आगाज़ कर दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने खवासा से नरसिंहपुर तक के मार्ग की बाकायदा वीडियोग्राफी करवाकर उसे अपने अधिवक्ता के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में पेश किया था। दिनेश राय द्वारा कई मर्तबा पत्रकारों के दल को भी दिल्ली ले जाया जाकर सर्वोच्च न्यायालय को न केवल कार्यवाही से अवगत करवाया था, वरन उन्होंने अपने अधिवक्ता से भी मीडिया को मिलवाकर सारी शंकाओं कुशंकाओं को दूर करवाने का प्रयास किया था। यह सब उन्होंने अपने खुद के खर्च पर ही किया था।
जब पानी सर से उपर जाने लगा तो दिनेश राय मुनमुन के नेतृत्व में सिवनी से लखनादौन, लखनादौन से जबलपुर और नरसिंहपुर तथा घंसौर मार्ग को ही अवरूद्ध कर दिया गया। यह चक्का जाम इस कदर प्रभावी था कि जिला प्रशासन सिवनी को इसके सामने झुकना पड़ा। तत्कालीन जिला कलेक्टर मनोहर दुबे ने तत्कालीन अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी अलका श्रीवास्तव को इस चक्का जाम को खुलवाने लखनादौन भेजा।

उस वक्त दिनेश राय मुनमुन के हवाले से मीडिया में इस बात को जमकर प्रचारित किया गया था कि तत्कालीन अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी अलका श्रीवास्तव द्वारा इस चक्का जाम को खुलवाने के एवज में उन्हें यह बात लिखकर दी थी कि जल्द ही इस मार्ग का काम आरंभ किया जाएगा। उस वक्त मीडिया में यह बात जमकर प्रचारित हुई थी कि दिनेश राय के उक्त कदम से जिला प्रशासन घुटनों पर झुक गया और फोरलेन निर्माण की सारी बाधाएं लगभग हट गई हैं।

चुनाव पूर्व ही हिलने लगीं भाजपा संगठन की चूलें!

चुनाव पूर्व ही हिलने लगीं भाजपा संगठन की चूलें!

रजनीश के संरक्षण से डकर रहे हैं छपारा कलॉ के सचिव और शिक्षक पटेल, लखनादौन नगर परिषद् के मामले में मौन है संगठन!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। लगभग दो दशकों से सिवनी में एक छत्र राज्य करने वाली भाजपा के लिए आने वाले चुनाव काफी हद तक सरदर्दी वाले साबित हो सकते हैं। भाजपा के चुने हुए जनसेवकों ने जिस तरह से कार्यकर्ताओं और रियाया की उपेक्षा की है वे बातें अब खुलकर सामने आने लगी हैं। कल तक भाजपा पर यह आरोप लगता रहा है कि वह कांग्रेस के क्षत्रप रहे हरवंश सिंह ठाकुर के इशारों पर चलती आई है, वह दाग अभी तक धुल नहीं सका है। भाजपा की ओर से सिवनी में एक भी मंत्री नहीं है, तीन विधायक और एक सांसद हैं जो इस दिशा में मौन साधे बैठे हैं ऐसी स्थिति में लोगों की संगठन से ही आस बनी हुई है।
सिवनी जिले में भाजपा संगठन की ओर से अनुशासनहीनता करने वालों के साथ भी लचीला रवैया अपनाया जाता रहा है। इसके साथ ही साथ पिछले चार पांच सालों में अनेक प्रसंग ऐसे भी आए हैं जब भाजपा ने कांग्रेस को घेरने के बजाए देश के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह पर तोहमत लगाई है। भाजपा के नेता और प्रवक्ता यह भूल जाते हैं कि कांग्रेस को कोसने के लिए प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर पदाधिकारी और प्रवक्ता मौजूद हैं। सिवनी जिला इकाई का काम जिला स्तर तक ही सीमित रहना चाहिए।

नगर पालिका के मामले में शांत है भाजपा
जिला मुख्यालय में नगर पालिका परिषद् पर भाजपा का कब्जा है। सिवनी के लोगों को पीने तक को साफ पेयजल मुहैया नहीं है। लोग डायरिया, हैजा, मलेरिया, आंत्रशोध, डेंगू आदि की जद में हैं। अस्पताल और निजी चिकित्सकों की ओपीडी पूरी तरह ओव्हर लोडेड नजर आ रही है। शहर में सुअरों का बोलबाला है। यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के इर्द गिर्द ही आवारा मवेशी, सुअर और कुत्तों का डेरा बना रहता है। बावजूद इसके भाजपा संगठन अपने ही दल की सत्ता को शहर के लोगों को साफ पानी पिलाने पाबंद नहीं कर पा रहा है।

छपारा कलॉ के सचिव पर नहीं करवा पा रही कार्यवाही
वहीं, दूसरी ओर छपारा कलॉ के सचिव लक्ष्मण सिंह राजपूत के खिलाफ समूची ग्राम पंचायत ने आवेदन देकर उसे हटाने की मांग की है। बताया जाता है कि लक्ष्मण सिंह राजपूत को बर्रा दरबार का सियासी संरक्षण प्राप्त है। यह बात भाजपा के छपारा संगठन से शायद ही छिपी हुई हो। बर्रा दरबार का सीधा संबंध कांग्रेस से है। छपारा जनपद के सीईओ शफी अहमद कुरैशी इसके पहले छिंदवाड़ा में पदस्थ रह चुके हैं। जब उनकी तैनाती छिंदवाड़ा में थी उस समय छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री हरवंश सिंह हुआ करते थे। उस दौरान भाजपा के नेताओं की शिकायत के बाद भी शफी अहमद कुरैशी का बाल भी बांका नहंी हुआ था। संभवतः अपने पुराने एहसानों का बदला चुकाने की जुगत में वे छपारा कलॉ के सचिव के खिलाफ कोई कार्यवाही करने से हिचक रहे हैं। इस संबंध में भी भाजपा संगठन का मौन आश्चर्यजनक है क्योंकि संगठन द्वारा परोक्ष तौर पर सचिव के खिलाफ कार्यवाही न करवाकर कांग्रेस को ही लाभ पहुंचाया जा रहा है।

जिले में बिक रही अवैध शराब! संगठन बौना
जिले भर में अवैध शराब चौपाया वाहनों के माध्यम से बिक रही है, पर भाजपा संगठन इस मामले में कोई कदम नहीं उठा पा रहा है। अवैध शराब के कारोबार में भाजपा सहित अन्य राजनैतिक दलोें के कारिंदों के साथ ही साथ निर्दलीय रूप से भाजपा को हैरान परेशान करने वाले नेताओं का भी समावेश है। जिला सतर्कता समिति की बैठक में लखनादौन विधायक के प्रतिनिधि प्रदीप पटेल सहित अनेक नेता इस बात को रेखांकित कर चुके हैं कि सिवनी में चौपहिया वाहनों के माध्यम से अवैध शराब का कारोबार चरम पर है। बावजूद इसके भाजपा की ओर से कोई कार्यवाही न होना आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।

डेंगू के मामले में निष्क्रिय है संगठन
सिवनी और लखनादौन विधायकों के पति सिवनी में स्वास्थ्य विभाग में तैनात हैं। लखनादौन एमएलए शशि ठाकुर के पति डॉ.वाय.एस.ठाकुर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तो सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया के पति डॉ.एच.पी.पटेरिया जिला मलेरिया अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। भाजपा संगठन ने कभी अपने विधायकों से यह नहीं पूछा है कि आखिर उन्हें जनता ने क्यों चुना है? क्या वजह है कि जिला चिकित्सालय में अराजकता को दूर करने में विधायक पति नाकाम रहे हैं? क्या कारण है कि सिवनी में जिला चिकित्सालय में बात बात पर पैसा मांगा जाता है, चिकित्सा कर्मियों द्वारा। डेंगू मलेरिया के मामलों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है, पर भाजपा मौन अख्तियार किए हुए है।

लखनादौन के मामले में भाजपा संगठन मौन!
भाजपा संगठन की सबसे आश्चर्य जनक चुप्पी लखनादौन मामले को लेकर दिख रही है। लखनादौन में नगर परिषद् में भाजपा ने बुरी तरह मुंह की खाई है। इसके पहले नगर परिषद् लखनादौन के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान अध्यक्ष दिनेश राय मुनमुन ने भाजपा की सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया को विधानसभा चुनावों में नाकों चने चबवा दिए थे। भाजपा संगठन के पास यह माकूल मौका था जब वे अपनी पराजय का बदला ले सकते थे। लखनादौन मंे बिना एग्रीमेंट के सड़क का निर्माण किया गया था, वह भी शहर के हृदय स्थल में। शहर में कथित तौर पर कृषि उपज मण्डी की जमीन पर सब्जी मण्डी बना दी गई वह भी न्यायालय के स्थगन के उपरांत। इन सारे मामलों में भाजपा तब मौन बैठी रही जबकि संगठन के संज्ञान में समूची बातें लाई गई थीं।

दिनेश पटेल बन गए हैं मीर!
कहा जाता है कि केवलारी के कांग्रेसी क्षत्रप स्व.हरवंश सिंह के करीबी होने का फायदा उठाने वाले शिक्षक दिनेश पटेल मानवाधिकार संगठन से जुड़े हुए हैं। बताया जाता है कि उन्होंने इसके लिए विभागीय अनुमति तक नहीं ली है। वे अपने पद का दुरूपयोग कर लोगों को हलाकान करने से नहीं चूक रहे हैं। बावजूद इसके भाजपा संगठन द्वारा कांग्रेस के करीबी बताने वाले इस शिक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाही न करना क्या इस बात की ओर इंगित करता है कि भाजपा संगठन की पकड़ प्रशासनिक स्तर पर कमजोर पड़ चुकी है।

यौन शिक्षा पर सेमीनार

यौन शिक्षा पर सेमीनार

(शरद खरे)

स्तरीय शिक्षा के लिए मशहूर मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला का अपना एक इतिहास रहा है। जब तक जे.के.सिंह यहां प्राचार्य रहे तब तक शाला का स्तर देखने लायक था। उसके उपरांत एम.के.सिंह ने भी उसी परंपरा को बरकरार रखा। आजादी के उपरांत मिशनरी शालाओं में शिक्षा का स्तर और अनुशासन दोनों ही काबिले तारीफ हुआ करते थे। कालांतर में मिशनरी शालाओं का स्तर एकाएक गिरना आरंभ हो गया। इक्कीसवीं सदी के आगाज़ के साथ ही सिवनी के लोगों के सामने यह समस्या आ खड़ी हुई के वे अपने बच्चों को हायर सेकन्डरी तक की शिक्षा दिलवाएं तो दिलवाएं कहां।
इसी बीच मिशनरी की एक नई संस्था का अभ्युदय हुआ। सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल ने सिवनी में अपनी आमद दी। आरंभ में इस शाला से अभिभावक ज्यादा तादाद में नहीं जुड़े, पर देखते ही देखते इस शाला ने अपनी धाक शिक्षा के क्षेत्र में जबर्दस्त बना ली। इस शाला में अनुशासन का डंडा चला और बच्चों के अंदर शिक्षा को लेकर एक आकर्षण के साथ ही साथ स्तरीय शिक्षा और अनुशासित रहने का पाठ पढ़ने को मिला। पूर्व प्राचार्य सेबी सिस्टर द्वारा इस अनुशासन को कठोरतम स्तर तक ले जाया गया। पीठ पीछे आज भी अभिभावक उनके अनुशासन की तारीफ करते नहीं अघाते।
वर्तमान प्राचार्य सिस्टर रश्मि ने कुछ लचीला किन्तु सख्त रवैया अपनाया हुआ है। सिस्टर रश्मि का यह रवैय्या शाला के अंदर बच्चों के बहुमुखी विकास में बेहतर भूमिका निभा रहा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। संस्था के प्रबंधक फादर जयप्रकाश ने दोनों ही प्राचार्य के साथ काम किया है। उनके कुशल मार्गदर्शन में आज सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल ने प्रौढ़ हो रही पीढ़ी के दिलो दिमाग में मिशन शाला के प्राचार्य जे.के.सिंह, और एम.के.सिंह के अनुशासन और स्तर की यादें तरोताजा कर दी हैं। फादर जय प्रकाश प्रयोगवादी हैं। उन्होंने बच्चों के बहुमुखी विकास को लेकर अनेक प्रयोग किए जो सफल भी रहे।
आज सिवनी में सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल में अध्ययन् करना उसी तरह का स्टेटस सिंबल बन चुका है जिस तरह अस्सी के दशक तक मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला में पढ़़ना होता था। इस शाला ने जिला मुख्यालय की बाकी शालाओं को काफी पीछे छोड़ दिया है। आज इस शाला के पास आउट या पढ़ने वाले बच्चे आत्मविश्वास से लवरेज नजर आते हैं। जिला मुख्यालय में कहने को तो केंद्रीय शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त अनेक शालाएं हैं किन्तु सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल की बात अपने आप में अलग ही मानी जा सकती है।
बीते 31 अगस्त को इस शाला में बालिकाओं के लिए यौन शिक्षा पर एक सेमीनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन के लिए शाला प्रबंधन विशेष रूप से शाला के प्रबंधक फादर जय प्रकाश और प्राचार्य सिस्टर रश्मि बधाई की पात्र हैं। दरअसल, बारह साल की आयु के उपरांत बालिकाओं में यौन परिवर्तन आरंभ होते हैं। ये परिवर्तन वाकई इस आयु के बच्चों के लिए जिज्ञासा का विषय होते हैं। जिन शालाओं मेें कोएड एजूकेशन (छात्र छात्राएं साथ अध्ययन करते हैं) है वहां इन परिवर्तनों में विपरीत लिंग का आकर्षण बहुत मायने रखता है।
यह आयू कच्ची मिट्टी के मानिंद मानी जाती है। इस आयु में बच्चे को जिस तरफ ले जाया जाए वह बहुत ही आसानी से उस दिशा में मुड़ जाती है। बड़े शहरों में बारह से अट्ठारह साल की आयु के बच्चों के अश्लील एमएमएस से इंटरनेट पटा पड़ा है। पहले लोग विदेशी लोगों के एमएमएस देखा करते थे पर अब तो खालिस देशी विद्यार्थियों के एमएमएस डले हैं इंटरनेट और युवाओं के मोबाईल पर। सिवनी भी इससे अछूता नहीं है। पुलिस ने शालेय स्तर के कई युगलों को निर्जन स्थल पर रासलीला करते पकड़ा है। गत दिवस एक कार में भी पुलिस ने एक जोड़े को आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा और पालकों के पास ले जाकर समझाईश देकर छोड़ दिया। देखा जाए तो उन पुलिस वालों को सेल्यूट् करना चाहिए जिन्होंने ऐसा किया, वरना पुलिस चाहती तो उनसे मनमाने पैसे वसूल सकती थी।
शहर और उपनगरीय क्षेत्र विशेषकर पॉलीटेक्टिनक मैदान, बाबूजी नगर के पीछे के खेत, बरघाट रोड बंजारी माई, पुराना और नया बाईपास, बबरिया तालाब, शंकराचार्य पार्क, ड्रीम लैंड, साई मंदिर नगझर, स्टेडियम के इर्द गिर्द आदि निर्जन स्थलों पर प्रेमी युगल आपस में आपत्तिजनक हालत में शालेय गणवेश में ही उलझे रहते हैं। इससे विद्यार्थियों के साथ ही साथ शाला की भी बदनामी होती है। अक्सर देखा गया है कि कम उम्र में ही पढ़ाई लिखाई को तिलांजली देकर छोटा मोटा व्यवसाय आरंभ करने वाले युवा ही इन कोमलांगी बालाओं को अपना शिकार बनाते हैं, फिर भावनाओं में बहाकर उनके साथ अवैध संबंध तक स्थापित कर लेते हैं।
बहरहाल, सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल ने यौन शिक्षा पर बालिकाओं को रूबरू कराकर एक अभिनव कदम उठाया है, शाला प्रबंधन बधाई का पात्र है इस पुनीत काम के लिए। जिले के संवेदनशील जिला कलेक्टर से भी अपेक्षा है कि जिले में हाई और हायर सेकेंडरी स्तर तक की हर शाला को निर्देशित किया जाए कि वे भी इस तरह के सेमीनार आयोजित कर बच्चियों को जागरूक करने की दिशा में पहल करें। इस तरह के सेमीनार में उस शाला के पुरूष शिक्षकों का छात्राओं के प्रति रवैया विशेष तौर पर गौर किया जाना चाहिए, क्योंकि शिक्षक भी पथ भ्रष्ट होकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए इन बालाओं को गलत रास्ते पर धकेल सकते हैं। पालकों को भी बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखते हुए समय समय पर अपने बच्चों से शिक्षकों की हरकतंों के बारे में जानकारी हासिल करते रहना चाहिए।