गुरुवार, 25 जुलाई 2013

आरटीई का पालन नहीं करने वाली शालाओं को नोटिस

आरटीई का पालन नहीं करने वाली शालाओं को नोटिस

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत वंचित/कमजोर वर्ग के बच्चों को अशासकीय विद्यालय की प्रथम प्रवेशित कक्षा में न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर निःशुल्क प्रवेश देने के निर्देश दिए गए थे, किन्तु जिले में 75 ऐसी अशासकीय शालायें हैं जिन्होंने अभी तक उनके विद्यालय की प्रथम प्रवेशित कक्षा में निःशुल्क प्रवेश हेतु सत्र 2013-14 में घोषित निर्धारित सीटों पर प्रवेश पूर्ण नहीं किया गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी के अनुसार यह बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है। जिला कलेक्टर ने इसे गंभीरता से लिया है। इन अशासकीय विद्यालयों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया जाकर तीन दिवस के भीतर जवाब चाहा गया है। संतोषजनक जवाब प्राप्त न होने पर बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 के उल्लंघन के कारण संबंधित अशासकीय विद्यालयों की आगामी वर्षों की मान्यता वृद्धि नहीं की जावेगी, जिसके लिए संस्था प्रधान स्वयं जिम्मेदार होंगे।

विकासखण्ड सिवनी जनशिक्षा केंद्र
बंडोलः- संस्कार विद्या निकेतन बंडोल, सरस्वती ज्ञानमंदिर बंडोल, रत्नदीप विद्या.मंदिर बांकी।
गोपालगंजः- संस्कार विद्या मंदिर गोपालगंज।
नेताजी सुभाष चंद्र बोसः- मॉर्डन हा.से.स्कूल सिवनी, सरमाउन्ट प.स्कूल सिवनी, दून ब्लासम छिंदवाड़ा रोड सिवनी।
महारानी लक्ष्मी बाई कन्या शालाः- विनर कॉन्वेंट परतापुर रोड भैरोगंज, दिव्य ज्योति विद्या.मंदिर भैरोगंज, स्वामी विवेकानंद शिशु मंदिर भैरोगंज, केम्बि.ज.प.स्कूल बारापत्थर, रॉयल लॉर्ड प.स्कूल बारापत्थर, पब्लिक स्कूल डिवा कैरे. बारापत्थर, इन्टरनेशनल पब्लिक स्कूल बारापत्थर, उदय पब्लिक स्कूल बींझावाड़ा, सरस्वती ज्ञानमंदिर बींझावाड़ा, जैक एण्ड जिल बारापत्थर, लिटिल फ्लॉवर बारापत्थर, ऑलसेंट पब्लिक स्कूल बींझावाड़ा।
शास.कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उर्दू सिवनीः- श्रीराम आदर्श विद्यालय कटंगी रोड, साकेत हाईस्कूल डूंडासिवनी, सरस्वती शिशु मंदिर बरघाट रोड डूंडा सिवनी, क्वीन मेरीज कॉन्वेंट स्कूल सिवनी, आयडियल पब्लिक बोरदई।
सागरः- सरस्वती शिशु मंदिर बखारी, ज्ञानपीठ शिशुमंदिर जाम।
मंुगवानीः- सरस्वती शिशुमंदिर जाम।
क.कान्हीवाड़ाः- रामानुजन शिवहरी, इंडियन इंग्लिश स्कूल कान्हीवाड़ा।
खैररांजीः- सरस्वती शिशुमंदिर खैररांजी, सरस्वती शिशुमंदिर देहवानी, नवोदित शिशु निकेतन सुनेहरा।
खैरापलारीः- प्रतिभा खापाबाजार, रामानुजन खैरापलारी, सरस्वती शिशुमंदिर लोपा, सूर्योदय विद्यामंदिर खैरापलारी, जागृति चिरचिराटोला।

विकासखंड केवलारी
बा.केवलारीः- भारत ज्ञानपीठ केवलारी, सरस्वती शिशुमंदिर केवलारी, सरस्वती शिशुमंदिर अहरवाड़ा, सरस्वती शिशुमंदिर केवलारी, दीप ज्योति केवलारी।
मोहबर्राः- गायत्री ज्ञान मंदिर रूमाल।
पांड्या छपाराः- मॉडल पब्लिक स्कूल पा.छपारा, प्रेरणा शिशुमंदिर जेवनारा, जागृति शिशुमंदिर खुरसुरा, आदर्श ज्ञानमंदिर पा.छपारा।
उगलीः- श्रृद्धा शिशुमंदिर घूरवाड़ा।
छींदाः- सरस्वती शिशुमंदिर टाली।

विकास खंड घंसौर
रानी दुर्गावती कॉन्वेंट स्कूल घंसौर, भावा अकादमी घंसौर, सरस्वती शिशु विद्या.मंदिर गोरखपुर,

विकासखंड धनौरा
सरस्वती शिशुमंदिर पिपरिया भसूड़ा पि., स्वामी विवेकानंद मझगंवा, शांति विद्यापीठ देवरीटीका, ज्ञानोदय विद्यापीठ धनौरा।

विकासखंड लखनादौन
क.लखनादौनः- लिटिल फ्लॉवर स्कूल लखनादौन, सरस्वती शिशुमंदिर निवारीटोला लखनादौन।
बा.लखनादौनः- सूर्योदय विद्यामंदिर लखनादौन।
गनेशगंजः- क्वीन मेरीज कॉन्वेंट शाला बाम्हनवाड़ा।
आदेगांवः- सरस्वती ज्ञानमंदिर आदेगांव, सरस्वती ज्ञानमंदिर विद्या.प्रेमनगर आदेगांव।
गनेशगंजः- क्वीन मेरीज कॉन्वेंट शाला गनेशगंज।
क.लखनादौनः- नेशनल स्टार लखनादौन।
सिहोराः- सरस्वती शिशुमंदिर सिहोरा।
बा.लखनादौनः- रेडीमंट इंग्लिश स्कूल लखनादौन।
लखनादौनः- चित्रांश विद्या निकेतन आदेगांव।

विकासखंड छपारा
चमारीखुर्दः- नवजागृति विद्या.चमारीखुर्द।

विकासखंड बरघाट
गंगेरूआः- अमरदीप पब्लिक विद्या.ताखलाकला।
अरीः- अमरदीप विद्या. अरी।
बुढ़ैनाकलाः- अखंडदीप विद्या.पखारा, सांई पब्लिक स्कूल विजयपानी।
बोरीकलाः- आइडियल पब्लिक स्कूल पिंडरईखुर्द।

धारनाकलाः- सरस्वती शिशुमंदिर धारनाकला।

अटल ज्योति छपारा में बनी अटक ज्योति

अटल ज्योति छपारा में बनी अटक ज्योति

(गजेंद्र ठाकुर)

छपारा (साई)। 22 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिवनी आए और अटल ज्योति अभियान की शुरूआत कर गए। इस योजना के तहत मध्य प्रदेश में हर जगह चौबीसों घंटे बिजली देने का प्रावधान किया गया है। अटल ज्योति अभियान प्रदेश भर में अटक ज्योति अभियान में तब्दील हो चुका है। सिवनी के विकास खण्ड मुख्यालय छपारा में कल रात से बिजली का अता पता ही नहीं है।
बैनगंगा के तट पर बसे छपारा के निवासियों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वह हमेशा नारकीय जीवन भोगनें पर ही मजबूर हैं। ग्राम पंचायत द्वारा साफ-सफाई न करने के कारण गंदगी से परेशानी, मोटर खराब हो जाने से पानी न मिलना एक परेशानी, शराब की दुकान रिहायशी क्षेत्र में लगने से परेशानी, इन सब परेशानियों के बीच विद्युत मंडल के अधिकारियों की दयादृष्टि से 12-12 घंटे अंधेरे में रहने से भी परेशानी। कुल मिलाकर इन दिनों छपारा क्षेत्र के लोग सिर्फ परेशान हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीती रात्रि 08 बजे से छपारा में बिजली गुल है, जिस ओर बिजली विभाग का कोई भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा। आज अपरान्ह थोड़ी देर के लिए अवश्य लाईट आई फिर गायब हो गई। इस संबंध में जब कुछ लोग छपारा में पदस्थ बिजली विभाग के अफसरों से जानकारी लेने का प्रयास करते हैं तो उनकी तरफ से वही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि लखनादौन से बिजली गुल है, परंतु कोई यह बताने की जहमत नहीं उठाता कि बिजली गुल होने का कारण क्या है?

वैसे अटल ज्योति योजना के शुभारंभ के बाद, अंधेरा कायम रहने के इस सिलसिले के चलते, शिवराज सिंह चौहान की कथनी और करनी में फर्क साफ ही दिखाई दे रहा है। जनचर्चा का विषय है कि अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर छपारावासी चुनाव में कुछ अलग ही करेंगे। छपारा में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक बिजली वापस नहीं लौटी थी।

क्या नाव किराए पर लेगी नगर पालिका!

क्या नाव किराए पर लेगी नगर पालिका!

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। शहर में यह चर्चा आम हो गई है कि अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह असफल नगर पालिका परिषद को अब नाव किराए पर ले लेनी चाहिए, क्योंकि जरा सी बारिश होने पर सारा शहर तालाब में तब्दील हो जाता है। सड़कों पर भरे पानी के कारण सड़कों के गड्ढ़े दिखाई नहीं पड़ते हैं और लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि शहर में लगातार हो रही बारिश के कारण शहर की अधिकांश सड़कें जलमग्न हो जाया करती हैं। कहा जा रहा है कि दूरदृष्टि के अभाव में पहले आओ पहले पाओ (कमीशन) के चलते जहां देखो वहां मनमर्जी की सीमेंट की कमजोर सड़कें बन चुकी हैं। इन सड़कों के आजू बाजू नालियां ही नहीं हैं। जहां नालियों के टेंडर हो चुके हैं वहां महीनों से नालियां नहीं बन पाई हैं।
वार्डवासियों के अनुसार जब नालियों का टेंडर लेने वाले ठेेकेदार से पूछा जाता है तो उनके द्वारा स्पष्ट कहा जाता है कि टेंडर लेने से क्या होता है। अध्यक्ष जी ने मना किया है कि फलां वार्ड का पार्षद, फलां पत्रकार, फलां नेता बदमाश है उसके वार्ड में, उसके घर के पास काम अभी नहीं करना है।
इसी के चलते नालियां ना होने, होने तो सफाई ना हो पाने के कारण गंदा बदबूदार पानी सड़कों पर से बहकर बीमारी को न्योता दे रहा है। दुर्गाचौक में मंदिर के सामने से नेहरू रोड़ को जोड़ने वाले मार्ग पर तो जरा सी बारिश में पानी सड़क के उपर लबालब हो जाता है जिसमें नाली की गंदगी उतराती दिख जाती है।
सड़कों पर भरे पानी के कारण दुपहिया वाहन सवारों को यह अंदाज लगाना मुश्किल होता है कि सड़क पर कहां, कितना बड़ा, कितना गहरा गड्ढ़ा है, और फिर क्या छपाकवाहन गड्ढ़े में जाकर समा जाता है एवं सवार गंदे पानी में ढेर। स्कूली छात्र छात्राओं को कमोबेश रोजना ही इस तरह की समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है।
सावन आने के पहले अषाढ़ माह में ही इंद्रदेव पहले तो मेहरबान दिखे पर फिर लगा कि प्रकृति से छेड़छाड़ से वे कुपित हो गए हैं और धरती वासियों को अपने कोप का भाजन बना रहे हैं। अषाढ़ में हुई अनवरत बारिश से शहर जब तब तालाब में तब्दील हो चुका है।

शहर की इस बदहाल स्थिति को देखकर अब लोग मन ही मन यह कहने पर मजबूर हो रहे हैं कि नगर पालिका परिषद को चाहिए कि लोकल ट्रांसपोटेशन (स्थानीय परिवहन) के लिए पालिका को अब बारिश के चार माह के लिए नाव किराए पर ले लेना चहिए, ताकि लोग नाव से एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले आ-जा सकें, इससे लोगों के वाहन के तेल की बचत के साथ ही साथ दुर्घटनाएं भी कम हो जाएंगी।

सिवनी जिले में खुल सकता है डॉस बार!

सिवनी जिले में खुल सकता है डॉस बार!

(आशीष कौशल)

नागपुर (साई)। सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के प्रकाश में अब डॉस बार एक बार फिर आबाद हो सकते हैं। वहीं महाराष्ट्र के गृह मंत्री द्वारा नया अध्यादेश लाकर डॉस बार नहीं खुलने देने की बात कही गई है। चर्चा है कि नेशनल हाईवे पर सिवनी जिले में डॉस बार खोलने की तैयारी की जा रही है।
नागपुर पुलिस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी जिले के आधा दर्जन लोग इस बात के लिए खासे फिकर मंद हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के प्रकाश में सिवनी जिले में डॉस बार संचालित किए जाएं। वैसे भी डॉस बार कमाई का खासा जरिया माने जाते हैं।
वहीं, सिवनी में चल रही चर्चाओं के अनुसार डॉस बार के लिए लोगों को पेंच नेशनल पार्क में टुरिया के आसपास, जिला मुख्यालय की सीमा के क्षेत्र सहित खवासा से लखनादौन तक सड़क किनारे इन डॉस बार के लिए जगह मुफीद लग रही है। इसके लिए लोगों द्वारा बने बनाए होटल्स को चिन्हित किया जा रहा है।
वहीं, मुंबई से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से अतुल खरे ने मुंबई पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि सिवनी के व्हाईट कालर नेता नुमा ठेकेदारों द्वारा मुंबई में बार बालाओं से संपर्क कर उन्हें सिवनी जाकर मुजरा करने का सौदा भी किया जा रहा है। इस सौदे में वर्तमान में बात सतही तौर पर ही भाव ताव तय करने तक ही सीमित है।
चर्चा तो यहां तक है कि सुरा और सुंदरीके शौकीन धनपतियों द्वारा इस काम के लिए आगे आए लोगों की हौसला अफजाई भी की जा रही है। सिवनी जिले की सीमा में खवासा से लखनादौन तक हाल ही के सालों में निर्मित किए गए होटलों (ढाबे नहीं) के संचालकों द्वारा अपने होटल किराए पर देकर पर्दे के पीछे रहकर डॉस बार खुलवाने का काम किए जाने की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं।

वहीं, सामाजिक तौर पर डॉस बार खुलने की खबरों से लोगों की पेशानी पर चिंता की बूंदे स्पष्ट दिखाई देने लगी हैं। एक सज्जन ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि हद हो गई, अभी तक तो कमर में बंदूक टांगकर सिवनी को बिहार बनाने की जुगत में थे लोग पर अब तो डॉस बार खुलवाकर ये लोग सिवनी को गर्म गोश्तकी मण्डी बनाने पर तुल गए हैं। अगर ऐसा हुआ तो सिवनी में बाहर से जरायमपेशा लोग बहुतायत में आने लगेंगे और सिवनी का बचा खुचा अमन चैन भी छिन जाएगा।

फोरलेन का दुखड़ा

फोरलेन का दुखड़ा

(शरद खरे)

वर्ष 2008 के उपरांत सड़कों के मामले में सिवनी वासियों की किस्मत बेहद खराब मानी जा सकती है। 2008 के विधानसभा चुनावों के दौरान ही सिवनी में एनएचएआई के फोरलेन पर षणयंत्र का ताना बाना बुना गया। इस ताने बाने में तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि की भूमिका भी संदिग्ध ही मानी जा सकती है क्योंकि उस समय बिना किसी को विश्वास में लिए ही 18 दिसंबर 2008 को पिरकीपण्डला नरहरि ने एक आदेश जारी कर सड़क निर्माण में आने वाली वन और गैर वन भूमि पर से पेड़ों की कटाई प्रतिबंधित कर दी थी।
इसके बाद 2009 की गर्मियों में जनमंच का गठन हुआ। जनमंच ने इस सड़क को बनवाने के हर संभव प्रयास आरंभ में किए, किन्तु शनैः शनैः जनमंच से भी लोगों का भरोसा उठने लगा और इसके बाद लोगों की रूचि इस दिशा में लगभग समाप्त ही हो गई। कोई ना कोई राजनैतिक शक्ति भले ही वह कांग्रेस या भाजपा से जुड़ी रही हो ने इस सड़क के लिए हुए हर आंदोलन में दिशा भटकाने का ना केवल जबर्दस्त काम किया है, वरन् वह अपने इरादों में सफल भी रही है। इसी बीच शराब व्यवसाई रहे और लखनादौन मस्जिद के सरपरस्त, वरिष्ठ अधिवक्ता तथा राय पेट्रोलियम के संचालक दिनेश राय के नेतृत्व में लखनादौन जनमंच का गठन भी किया गया। इस संगठन ने भी दिल्ली लखनादौन एक कर दिया, पैसा पानी की तरह बहाया। अपने काम को जस्टीफाई करने के लिए पत्रकारों के दल को कई बार अज्ञात व्यक्ति के खर्च पर दिल्ली की सैर करवाई गई। चर्चा और चटखारों में पत्रकारों के दल को आईपीएलकी टीम की संज्ञा भी दी गई, क्योंकि शराब उत्पादक विजय माल्या ने आईपीएल में टीम खरीदी थी और यहां शराब व्यवसाई पत्रकारों को कथित तौर पर खरीद रहा था। एक बार हाईवे जाम करने पर तत्कालीन एडीएम अलका श्रीवास्तव ने लिखित आश्वासन दिया था इस सड़क को बनाने का। इस तरह का प्रचार मीडिया में हुआ था। एडीएम अलका श्रीवास्तव का वह पत्र या तो दिनेश राय की बैठक की शोभा बढ़ा रहा होगा या फिर रद्दी की टोकरी में पड़ा होगा पर सड़क नहीं बन पाई यही अंतिम सत्य है।
इस सड़क का काम जिला कलेक्टर के आदेश से रोका गया था। कलेक्टर के आदेश को कमिश्नर या राजस्व मण्डल में चुनौति दी जा सकती थी। चुनौति दी भी गई पर प्रतीकात्मक। बताते हैं, तत्कालीन आयुक्त ने ऑफ द रिकार्ड कह दिया अरे सब जानते तो हैं, उपर से प्रेशर है। बस हो गया चुनौति का निराकरण। प्रदेश में भाजपा सरकार है, कांग्रेस विपक्ष में है। केंद्र में बिल्कुल उलट स्थिति है। बावजूद इसके इस सड़क को बनवाने के लिए ना कांग्रेस संजीदा है ना ही भाजपा फिकरमंद नजर आती है।
इस सड़क पर सैकड़ों निरीह, निरपराध लोगों की जान जा चुकी है। इनकी गैर इरादतन हत्याओं का पाप किसके सर मढ़ा जाएगा? निहित स्वार्थों की पूर्ति होने पर सभी अपने अपने बिलों में दुबककर बैठ जाते हैं नहीं हुई तो सड़कों पर शेर बनकर गरजते नजर आते हैं। दरअसल, इस तरह के लोग शतुर्मुग के मानिंद होते हैं। जो समझते हैं दुनिया के बाकी लोग बेवकूफ और अंधे हैं, उन्हें कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा है। वे शतुर्मुग की तरह अपना सर रेत में गड़ाकर समझते हैं कि उन्हें कोई देख नहीं रहा है।
सिवनी का सौभाग्य था कि एक बड़े अफसरान की तैनाती जबलपुर में हुई और किस्मत से वे नागपुर के रहने वाले निकले। दो तीन बार सड़क मार्ग से जाने पर उन्हें इसकी जर्जरावस्था का अहसास हुआ। कहते हैं कि उन्होंने तत्कालीन जिला कलेक्टर अजीत कुमार सहित अपने विभाग के आला अफसरान को बुलाया और सड़क को निश्चित समय सीमा में सुधारने का फरमान जारी कर दिया। साथ ही साथ इस सड़क के आवश्यक सुधार के लिए कोर्ट में परिवाद लगाने का मशविरा भी दिया। कहा जाता है कि एक अधिकारी ने इसकी खबर जनमंच को भी दी पर परिवाद नहीं लगाया जा सका, क्योंकि पुराने परिवाद ही लंबित थे। अगर नया परिवाद लगाया जाता तो आज स्थिति कुछ ओर होती। सिवनी के एक वरिष्ठ अधिवक्ता इस पूरे वाक्ये के साक्षात गवाह भी हैं।
बहरहाल, जबलपुर में तैनात उक्त वरिष्ठ अधिकारी जो सिवनी मूल के निवासी नहीं थे, की व्यक्तिगत रूचि के चलते सिवनी से खवासा का सड़क का हिस्सा मोटरेबल हो गया। इससे स्पष्ट हो जाता है कि अगर नेता, स्वयंसेवी संगठन, सांसद विधायक, एनएचएआई, जिला प्रशासन चाहता तो यह हिस्सा 2008 से ही चलने लायक रहता। अगर नहीं हुआ तो सभी की नियत पर संदेह करना वाजिब है! अब हर कोई इसके 2013 तक मोटरेबल ना हो पाने के लिए अपने अपने तरीके से अपनी सफाई पेश करे पर अंतिम सत्य यही है कि 2008 के बाद एक अधिकारी जो सिवनी मूल का नहीं था की व्यक्तिगत रूचि के चलते यह मार्ग 2013 में ही मोटरेबल हो पाया, जबकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2012 जनवरी में ही प्रकरण अपने पास से डिस्पोज कर दिया गया था। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि सिवनी के नेता, यहां तक कि निहित स्वार्थों को मूल मंत्र मानकर मीडिया के पेशे में आए चुनिंदा कथित मीडिया मुगल भी पूंजीपति धनाड्य नेतानुमा ठेकेदारों के हाथों की कठपुतली बने रहे।
एक बार फिर यह सड़क मार्ग बुरी तरह जर्जर हो चुका है। समाजसेवी नरेंद्र ठाकुर ने इसके सुधार के लिए कलेक्टर से गुहार लगाकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की है। देर आयद दुरूस्त आयदकी तर्ज पर नरेंद्र ठाकुर का यह कदम स्वागत योग्य है। जिला कलेक्टर से अपेक्षा है कि इस सड़क के इस दर्द को अपने कठोर शब्दों वाले डीओ लेटर के रूप में एनएचएआई के आला अधिकारियों को भेजें और जमीनी हकीकत से आवगत कराते हुए भविष्य के खतरे के प्रति आगाह करवाएं।