बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

मुख्यमंत्री जी, पधारो सा

मुख्यमंत्री जी, पधारो सा

लिमटी खरे

राजस्थान में किसी अतिथि के आगमन पर पधारो सा कहकर उसका स्वागत किया जाता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को सिवनी आए तो सिवनी के समस्त नागरिकों ने दिल से उन्हें पधारो सा कहकर ही उनका स्वागत किया होगा। पहली मर्तबा लगा कि सिवनी शहर वाकई में इतना खूबसूरत है। दलसागर के मुहाने पर न तो कोई वाहन ही नजर आ रहा था, और न तो बस स्टेंड सहित सडकों पर वाहनों की धमाचौकडी। जिला मुख्यालय निवासियों ने बुधवार को मुख्यमंत्री का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया होगा। मंगलवार की शाम को पूरे शहर में पालिका प्रशासन के सफाई कर्मियों ने बडी ही संजीदगी से शहर को साफ किया। सफाई कर्मचारियों की तादाद देखकर लगा कि वाकई पालिका के पास सफाई अमले में इतनी तादाद में कर्मचारी मौजूद हैं। आम दिनों में इन कर्मचारियों को इनके मूल काम से इतर अफसरान और पदाधिकारियों की सेवा टहल में लगाया जाता है, यह अलहदा बात है।
मंगलवार और बुधवार की दर्मयानी रात में प्रशासन ने जिस मुस्तैदी से शहर की हाल ही में बनी जजZर सडकों के बदनुमा दाग सरीखे गड्ढों को भरा उसे देखकर सभी का मन बरबस यही कह रहा होगा, माननीय मुख्यमंत्री जी सिवनी से आपका प्रेम इसी तरह बना रहे और आप बिना नागा जल्द जल्द सिवनी आया करें।
बुधवार को सिवनी शहर को देखकर यही लग रहा था कि वाकई हमारा अपना सिवनी शहर कितना खूबसूरत है। अगर यातायात बुधवार की तरह व्यवस्थित रहे, लोग पूरे ट्रेफिक सेंस के साथ सडकों पर चलें, गुजरे जमाने की खूबसूरती की मिसाल कहा जाने वाले दलसागर की मेड पर वाहन न धुल्ों न सुधरें, तो यहां से आने जाने वाले को दलसागर अस्सी के दशक की भांति ही लुभाने लगेगा।
यक्ष प्रÜान् यह है कि मुख्यमंत्री अपनी दूसरी पारी में तीसरी बार सिवनी आए और चले गए, सिवनी को क्या हासिल हुआर्षोर्षो मुख्यमंत्री की पूर्व की घोषणाएं क्या अमली जामा पहन सकींर्षोर्षो इस बार की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाएं क्या परवान चढ सकेंगीर्षोर्षो शिवराज सिंह चौहान सरल, सोम्य और भोली छवि के धनी हैं। प्रदेश में उनके कार्यकाल में आरंभ की गई योजनाओं ने जन सामान्य म्ों उनके प्रशंसकों में इजाफा ही किया है। यह सच है कि शिवराज सिंह चौहान के नाम पर भीड जुटाना कोई कठिन काम नहीं है। सवाल यह है कि यहां कोई तमाशा नहीं हो रहा है कि भीड जुटाई जाए। वस्तुत: प्रदेश के निजाम से रियाया को बहुत उम्मीदें हुआ करती हैं, चुने हुए जनसेवकों का यह दाियत्व होता है कि वे उन्हें जनादेश देने वालों की भावनाओं की कद्र करते हुए निजाम से कुछ मांगें, वह भी पूरी ईमानदारी के साथ।
सिवनी की विधाियका एवं परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद श्रीमति नीता पटेरिया, आधे जिले के सांसद के.डी.देशमुख ने पहली बार मुख्यमंत्री से मुंह खोलकर कुछ मांगा, पर विडम्बना ही कही जाएगी कि मुख्यमंत्री ने इन दोनों ही जनसेवकों की बात पर ध्यान नहीं दिया।
संतोष की बात है कि मुख्यमंत्री ने माध्यमिक शाला भवनों के निमाZण के लिए ढाई करोड रूपए, †ˆ‡ शाला भवनों में अतिरिक्त कक्ष निमाZण का आÜवासन, कस्तूरबा कन्या शाला के निमाZण के लिए ‡Š लाख, स्वाराजहाट बाजार के निमाZण के लिए डेढ करोड, आई टी आई के जीणोZद्Ëाार के लिए ˆŒ लाख, थोक सब्जी मण्डी के लिए ‡ करोड, नसि±ग कालेज के लिए ˆ करोड, दलसागर के सोंदयीZकरण के लिए एक करोड नौ लाख, नगर विकास के लिए पालिका को ‡Œ लाख, बरघाट और छपारा के लिए पेयजल व्यवस्था के लिए ƒ„ लाख रूपयों की घोषणा की गई है।
अब लाख टके का सवाल यह है कि मुख्यमंत्री की इन घोषणाओं को अमली जामा कौन पहनाएगा। पालिका की राशि तो प्राप्त हो जाएगी, क्योंकि इसमें आसानी से बंदरबांट किया जा सकता है। शेष मदों में राशि लाना दुष्कर ही प्रतीत हो रहा है। मुख्यमंत्री की घोषणाओं को जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश सरकार को प्रेषित करना होगा ताकि इन्हें आने वाले बजट में शामिल करवाया जा सके। यह कार्य काफी कठिन होता है, क्योंकि बजट शाखा में ब्ौठे हुए हैं काफी दिमाग वाले लोग। वे जानते हैं कि कितना राजस्व आ रहा है और कितना व्यय किया जाना है। अमूमन मुख्यमंत्री की घोषणाएं काफी महत्वपूर्ण होती है, अत: इन्हें बजट में स्थान दिया जाता है, किन्तु इसके लिए जनसेवकों को अपने निहित स्वार्थ छोडकर ईमानदार पहल करनी होती है।
चूंकि नगरीय निकायों के चुनाव आने वाले हैं, अत: मुख्यमंत्री द्वारा दनादन घोषणाएं किया जाना स्वाभाविक ही है, अब सारी जवाबदारी जनसेवकों के कांधों पर आ जाती है कि वे इसे मूर्त रूप में तब्दील करवाने के लिए एडी चोटी एक कर दें। यह अच्छा मौका है, जबकि मुख्यमंत्री ने सिवनी को सौगातें देने का वायदा किया है, अब देखना यह है कि जनप्रतिनिधि इसे कितना भुना पाते हैं।
हम तो यही कहना चाहेंगे कि अगली बार जब भी प्रदेश के निजाम सिवनी प्रवास पर आएं तो कुछ समय लेकर आएं और कार के बजाए रिक्शे पर सिवनी जिले की सडकों पर भ्रमण करें तभी उन्हें सिवनी शहर की जमीनी हकीकत का भान हो सकेगा कि प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर करों से लदी फदी जनता लाखों करोडों रूपए खचZ कर बनाई गई सडकों पर किस प्रकार सर्कस के बाजीगरों की तरह चलने पर मजबूर है।