सोमवार, 23 सितंबर 2013

अय्याशी में डूबा युवा: पांच लाख की वसूली की चर्चाएं

अय्याशी में डूबा युवा: पांच लाख की वसूली की चर्चाएं

(अपराध ब्यूरो)

सिवनी (साई)। युवाओं में इन दिनों इंटरनेट मोबाईल का जुनून सवार है। इसी तारतम्य में बरघाट नगर के 17 से 18 वर्ष के कुछ युवाओं द्वारा अय्याशी करने और अपने ही मित्र को दगा देकर पांच लाख रूपए की राशि वसूलने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। आज मामला बरघाट थाने पहुंचकर वहां से भी वापस आने की खबर है।
बरघाट शहर में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार 17 या 18 साल के कमसिन विद्यार्थियों, जो कि सिवनी में पुलिस अधीक्षक निवास के पीछे रामनगर कॉलोनी में रहते हैं, के द्वारा सिवनी के एक निजी विद्यालय में अध्ययन किया जा रहा है। बताया जाता है कि इन युवाओं द्वारा अपने इसी रामनगर कॉलोनी में रहने वाले मित्र के यहां जाकर अय्याशी की जाती रही है।
इसी बीच युवाओं ने अपने ही बीच के एक मित्र को यह कहकर ब्लेकमेल करना आरंभ किया कि उन्होंने उसका एक अश्लील एमएमएस बना लिया है, जो वे सार्वजनिक करने वाले हैं। चर्चा है कि इसके एवज में उन युवाओं के द्वारा उक्त एक युवा से लगातार राशि की मांग की जाती रही।
बताया जाता है कि टुकड़ों टुकड़ों में चार से पांच लाख रूपए की राशि वसूली कर ली गई थी। पिछले दिनों जब एक बार फिर उक्त युवाओं ने इस पीड़ित युवा से राशि की मांग की और उक्त पीड़ित युवा के पास राशि का इंतजाम नहीं हुआ तो उक्त युवा ने एक पत्र लिखकर फांसी लगाने का प्रयास किया गया। बताया जाता है कि उक्त कृत्य को उसके पिता ने देख लिया।
बाद में जब पीड़ित के पिता के सामने पूरी घटना आई तो वे अवाक रह गए। उक्त पीड़ित युवा सिवनी के एक निजी स्कूल में अध्ययनरत है और बरघाट का ही रहने वाला है। जब उक्त पीड़ित युवा के पिता ने धमकाने वाले युवाओं के परिजनों के साथ बैठकर बातचीत की तो धमकाने वाले युवाओं ने उक्त पीड़ित युवा पर आरोप लगा दिया कि आईपीएल क्रिकेट सट्टे में वह पांच लाख रूपए हार चुका है जिसकी वे वसूली कर रहे हैं।

बताया जाता है कि इस मामले से नाराज होकर पीड़ित युवा के पिता ने बरघाट कोतवाली जाकर इस मामले में एक लिखित आवेदन देकर कार्यवाही की मांग की। वहीं पुलिस सूत्रों का कहना है कि धमकाने वाले युवाओं के परिजनों द्वारा, कोतवाली जाकर पीड़ित युवा के पिता पर दबाव बनाकर, उसका आवेदन वापस लेने पर उसे मजबूर कर दिया। इस संबंध में बरघाट कोतवाली (07692 250226) पर मुस्तैद कर्मचारी ने बताया कि इस तरह का कुछ वाक्या हुआ तो है पर उभय पक्ष कोतवाली के बाहर ही अपना झगड़ा निपटा रहे हैं।

आचार संहिता के भय से ही सही मिला तो सिंथेटिक हॉकी मैदान!

आचार संहिता के भय से ही सही मिला तो सिंथेटिक हॉकी मैदान!

नरेशमय हो गया था लोकार्पण समारोह, असहज ही दिखीं नीता पटेरिया, यशोधरा को भूला खेल युवक कल्याण विभाग, मीडिया से चर्चा में कतराए प्रभारी मंत्री

(अखिलेश दुबे/अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। अंततः हॉकी प्रेमियों के ख्वाब पूरे हो ही गए। सिवनी को एक सिंथेटिक हॉकी स्टेडियम की सौगात मिल ही गई। लगभग चार करोड़ रूपए की लागत से बना यह स्टेडियम लंबे समय से कथित तौर पर तैयार था, पर सूबे के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान के इंतजार में हॉकी प्रेमी शराबी फिल्म का इंतेहा हो गई इंतजार की, आई न कुछ खबर मेरे यार की. . .गाने पर मजबूर थे। हॉकी के सीनियर खिलाड़ियों का मानना है कि आचार संहिता के भय से ही सही, कम से कम सिंथेटिक हॉकी मैदान का उद्घाटन हो तो गया। आज का कार्यक्रम पूरी तरह नरेश दिवाकर मय ही दिखा। वहीं मंच पर उपेक्षित सी रहने वाली सिवनी विधायक नीता पटेरिया पूरी तरह असहज ही दिखीं। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की टीम ने जब एस्ट्रोटर्फ मैदान का निरीक्षण किया तब पाया कि स्टेडियम अभी भी आधा अधूरा ही था।
आज सिवनी जिले में नय्ो बस स्टेंड के पीछे मेजर ध्य्ाानचंद सिंथेटिक हॉकी स्टेडिय्ाम का शुभारंभ स्कूल शिक्षा राज्य्ामंत्र्ाी एवं जिले के प्रभारी मंत्र्ाी नानाभाऊ मोहोड़ द्वारा किय्ाा गय्ाा।
इस अवसर पर कलेक्टर भरत य्ाादव, महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्य्ाक्ष नरेश दिवाकर, राज्य्ा वित्त आय्ाोग के अध्य्ाक्ष डॉ.ढालसिंह बिसेन, विधाय्ाक सिवनी श्रीमती नीता पटेरिय्ाा, विधाय्ाक लखनादौन श्रीमती शशि ठाकुर, सहकारी बैंक के अध्य्ाक्ष अशोक तेकाम, नगरपालिका अध्य्ाक्ष राजेश त्र्ािवेदी, पूर्व भाजपा अध्य्ाक्ष सुजीत जैन, अजय्ा डागोरिय्ाा, एवं जिला खेल एवं य्ाुवा कल्य्ााण अधिकारी श्रीमती मकसूदा मिर्जा एवं गणमान्य्ा नागरिकगण उपस्थित थे।
प्रभारी मंत्र्ाी मोहोड़ ने कहा कि य्ाह अत्य्ांत हर्ष का विषय्ा है कि मुख्य्ामंत्र्ाी द्वारा बनाई गई य्ाोजना द्वारा संचालनालय्ा खेल एवं य्ाुवा कल्य्ााण मध्य्ाप्रदेश के सौजन्य्ा से सिवनी के खेल प्रेमी जनता को अंतर्राष्ट्रीय्ा मापदंडों के अनुरूप सिंथेटिक हॉकी स्टेडिय्ाम की उपलब्धि हासिल हुई है। फलस्वरूप हॉकी खिलाड़िय्ाों की बहुप्रतीक्षित मांग पूर्ण हुई है। कलेक्टर भरत य्ाादव के अथक प्रय्ाास से शीघ्र ही मेजर ध्य्ाानचंद सिंथेटिक हॉकी स्टेडिय्ाम का लोकार्पण संभव हो सका है।
उपस्थित सभी गणमान्य्ा नागरिकों को कलेक्टर भरत य्ाादव एवं श्रीमती मकसूदा मिर्जा जिला एवं य्ाुवा कल्य्ााण अधिकारी द्वारा पुष्पमाला एवं स्मृति चिन्ह भेंट किय्ाा गय्ाा। इस अवसर पर प्रभारी मंत्र्ाी नानाभाऊ मोहोड़ के समक्ष स्टेडिय्ाम में प्रदर्शन मैच महाकौशल टीम एवं सहकारिता टीम के मध्य्ा खेला गय्ाा अंत में दोनों टीमों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किय्ाा गय्ाा।

जाली अधूरी!
कार्यक्रम आरंभ होने के पहले किए गए निरीक्षण में साई न्यूज की टीम ने पाया कि खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा बहुत ही चतुराई के साथ जिस ओर मंच बनाया गया था उस ओर मैदान की जाली लगा दी गई। शेष हिस्से में जाली लगाने का काम अभी अस्सी फीसदी से ज्यादा बाकी है। इसके उपरांत जब दक्षिण पूर्व सिरे पर टीम पहुंची तो पाया कि बुधवारी तालाब वाले सिरे और सब्जी मण्डी के पिछवाड़े में सड़क पूरी तरह खुली हुई है। इस सड़क से आवारा मवेशी मैदान के पास ही प्रवेश कर रहे थे। दक्षिण पश्चिम वाले सिरे में पेवर टाईल्स की छल्ली लगी हुई थी और दीवार के सहारे चेनल गेट नुमा कुछ लोहे की आकृतियां टिकी र्हुइं थीं। यहां लगभग आधा दर्जन सुअर भी विचरण करते हुए दिखाई दिए। वहीं मैदान के बीचों बीच पश्चिम दिशा में पेवर टाईल्स पानी में पूरी तरह डूबी हुईं थीं, यह सरफेस के अनईवन होने के चलते हुआ।

खुला हुआ है मैदान
मैदान में प्रवेश के लिए अभी कुछ माकूल प्रबंध नहीं हो पाए हैं। एक तो सब्जी मण्डी और बुधवारी तालाब की ओर यह खुला हुआ है, वहीं दूसरी ओर उत्तर पश्चिम दिशा में तो दीवार है ही नहीं। यहां से आवारा मवेशी और सुअर स्वच्छंद तरीके से अंदर आना जाना कर रही थीं। वह भी उस वक्त जब दस मिनिट बाद स्टेडियम का लोकार्पण किया जाना हो।

नहीं था शू टेंक
जानकारों का कहना था कि मैदान में प्रवेश के पूर्व खिलाड़ियों को एक शू टेंक से होकर गुजरना होता है ताकि बाहर की मिट्टी कंकर पत्थर मैदान में जाकर सिंथेटिक सरफेस को गंदा न कर पाएं। शू टेंक के अभाव में जिसका मन हो रहा था वह कीचड़ से सने पैर लेकर मैदान में जाकर सिंथेटिक मैदान में गंदगी फैला रहा था।

नरेश मय रहा प्रोग्राम
चूंकि तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर ने व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर इस मैदान को सिवनी में स्थापित करवाने के लिए एड़ी चोटी एक कर दी थी अतः खेल एवं युवक कल्याण विभाग सहित सारे उद्घोषकों ने महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और भाजपा जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर की तारीफ में कशीदे गढ़ दिए। वहीं, समूचे कार्यक्रम के दौरान मंचासीन सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया इसलिए असहज दिखीं क्योंकि उनकी कोई भागीदारी इस मैदान में नहीं थी। जिला भाजपा ने उनके सांसद रहते हुए स्वीकृत हुए इस मैदान के लिए उनसे किसी तरह की राशि की मांग क्यों नहीं की? अथवा की तो क्या उन्होंने नहीं दी? यह बात भी दर्शकों में चर्चित ही रही।

यशोधरा को भूल गए!
प्रदेश की तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को मानो खेल एवं युवक कल्याण विभाग भूल गया था। खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा उनकी भागीदारी से पूरी तरह किनारा ही किया गया। जबकि सबसे पहले इस खेल मैदान के लिए तत्कालीन खेल संचालक एवं सिवनी में पदस्थ रहे पुलिस अधीक्षक संजय चौधरी के आग्रह पर ही यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा सिवनी में एस्ट्रोटर्फ के लिए पचास लाख रूपए की राशि की स्वीकृति प्रदान की गई थी। खेल युवक कल्याण अधिकारी द्वारा जब स्व.हरवंश सिंह द्वारा पांच लाख रूपए की राशि देने की बात कही गई तो पीछे से नीता पटेरिया ने जोर से संशोधन करते हुए कहा कि पांच नहीं चार लाख।

स्थानीय खिलाड़ियों को नहीं मिला भाव!
इस उद्घाटन समारोह में मंच से उद्घोषकों द्वारा एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान का बीज बोने वाले हॉकी खिलाड़ियों, स्व.सौभाग्य चंद मालू, जानकी प्रसाद पाठक, शशि कान्त शर्मा, राजेंद्र गुप्त आदि का नाम लेना भी शान के खिलाफ समझा गया। वह तो भला हो नरेंद्र अग्रवाल का जिन्होंने अपने संबोधन में पर्दे के पीछे के इन खिलाड़ियों के नाम लेकर लोगों की याद्दाश्त ताजा कर दी कि हार्ट पेशेंट होने के बाद भी सौभाग्य चंद मालू ने इस मैदान के लिए अपने स्वास्थ्य तक की परवाह नहीं की थी।

मीडिया से दूर रहे प्रभारी मंत्री
उद्घाटन के उपरांत जब नरेश दिवाकर द्वारा सिंथेटिक मैदान के बारे में विस्तार से मीडिया को बताया जा रहा था, तभी मीडिया ने प्रभारी मंत्री नाना भाऊ से भी कुछ कहने का आग्रह किया तो वे मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गए। बाद में जब दुबारा मीडिया ने उन्हें घेरा तो उन्होने लगभग खीजते हुए कहा कि क्या कहना है बताओ?

हॉकी जगत की सबसे बड़ी कमी आज पूरी हो गई है। यह उपलब्धि निश्चित तौर पर नरेश दिवाकर के खाते में ही जाएगी। सिवनी को हॉकी का बेहतरीन मैदान तो मिल गया है पर अब जरूरत काबिल खिलाड़ियों को चुनकर उन्हें तराशने की है।

अजय सूर्यवंशी, पूर्व कप्तान, हॉकी, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सिवनी,

कैसे सुधरे नगर पालिका!

कैसे सुधरे नगर पालिका!

(शरद खरे)

नगर पालिका शब्द का व्यवहारिक अर्थ होता है नगर को पालने वाला। अर्थात नगर को बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाने वाला। नगर पालिका के गठन की अवधारणा यही रही कि नगरीय सीमा के अंदर रहने वालों को बुनियादी जरूरतों के लिए भटकना न पड़े। सिवनी नगर पालिका के हालात देखकर लगता है मानो सिवनी में नगर के बजाए नरक पालिका का शासन हो। सत्ता में बैठे नुर्माइंंदे, देश दुनिया की चिंता कर विज्ञप्तियों का अंबार लगाए हुए हैं, पर सिवनी की सुध किसी को नहीं है।
कांग्रेस में अजीब परंपरा का चलन हो गया है। जिला कांग्रेस कमेटी के तीन प्रवक्ता हैं। तीनों प्रवक्ताओं की तोप की नाल शिवराज सिंह चौहान पर ही जाकर टिक जाती है। शिवराज सिंह चौहान की जन विरोधी नीतियों के बारे में लिख लिखकर वे न तो ऊबते, न उबासी लेते और न ही थकते हैं। इनका धैर्य काबिले तारीफ ही माना जा सकता है। ये भूल जाते हैं कि शिवराज सिंह चौहान को कोसने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पहले माणक अग्रवाल तो अब मुकेश नायक प्रवक्ता के बतौर मौजूद हैं। इनका मूल काम सिवनी जिले के अंदर की अनियमितताओं आदि पर प्रकाश डालने का है। वस्तुतः इस काम से ये मुंह ही चुराते नजर आते हैं। एक दैनिक अखबार (हिन्द गजट नहीं) में विधायक श्रीमती नीता पटेरिया की निधि से दी जाने वाली राशि की फेहरिस्त छपती है, इसमें कांग्रेस के नेताओं पदाधिकारियों के रिश्ते-नातेदारों के नाम होते हैं। तब भी इन्हें शर्म नहीं आती और न ही अफसोस ही होता है श्रीमती नीता पटेरिया को कि वे जनता विशेषकर गरीब गुरबों को दी जाने वाली राशि को अपने विरोधी दलों के संपन्न लोगों को देकर एक गलत और निंदनीय परंपरा का आगाज़ कर रही हैं।
यही आलम भारतीय जनता पार्टी का है। भाजपा के इकलौते प्रवक्ता भी लिए दिए अपना गुबार या भड़ास केंद्र की कांग्रेस सरकार पर निकालते हैं। कांग्रेस पर या मनमोहन सिंह पर वार करने के लिए देश में मुख्तार अब्बास नकवी या प्रकाश जावड़ेकर हैं न भई, आप तो सिवनी जिले पर केंद्रित रहिए। हरवंश सिंह ठाकुर कांग्रेस के विधायक रहे, पर भाजपा ने उन्हें सदा ही बचाए रखा। यह नूरा कुश्ती नहीं तो क्या है? जनता अब भरमाने में नहीं आने वाली। जनता अब आज़िज आ चुकी है इस तरह की नीतियों से।
बहरहाल, बात नगर पालिका की हो रही है। नगर पालिका परिषद् में कांग्रेस और भाजपा के पार्षद लगभग बराबरी से ही हैं। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भारतीय जनता पार्टी के हैं तो उपाध्यक्ष राजिक अकील कांग्रेस के। कांग्रेस के पास 12 पार्षद हैं। आज कांग्रेस के सारे पार्षद अपने अपने दिलों पर हाथ रखकर ईश्वर, अल्लाह, जीज़स, गुरूनानकदेव आदि अपने अपने ईष्ट को हाजिर नाजिर मानकर यह बात कहें कि वे उनके वार्ड में नगर पालिका की व्यवस्था से संतुष्ट हैं! अगर नहीं तो क्या किया है पार्षदों ने उस जनादेश के सम्मान का जो जनता ने उन्हें दिया है। हमारा यही प्रश्न भाजपा के पार्षदों से भी है।
नगर पालिका परिषद् के कार्यालय के अंदर कमीशनखोरी की गलाकाट स्पर्धा मची हुई है। जिस पार्षद को कमीशन नहीं मिला वही अध्यक्ष के खिलाफ तलवार पजाने लगता है। फिर अध्यक्ष कुछ ढीले पड़ते हैं और पार्षद उनकी गोद में जा बैठता है। हम पूरी जिम्मेदारी के साथ कांग्रेस के पार्षदों से पूछना चाहते हैं कि क्या उनके वार्ड में मच्छर भगाने के लिए फॉगिंग मशीन साल भर से घूम रही है? क्या उनके वार्ड में रोजाना साफ सफाई हो रही है? क्या उनके वार्ड में नियमित साफ पीने योग्य पानी की आपूर्ति हो रही है? क्या उनके वार्ड में आवारा मवेशी, सुअर और कुत्तों का आतंक नहीं है? अगर है तो उन्होंने क्या किया? सिर्फ एक पत्र लिखकर उसकी पावती रख लेने से कुछ नहीं होता पार्षद महोदयों! जनता को आप क्या बताएंगे। एक पुराना शेर याद पड़ता है -तुम राह में चुपचाप खड़े हो तो गए हो, किस किस को बताओगे कि घर क्यों नहीं जाते. . .।
कांग्रेस द्वारा भाजपा शासित नगर पालिका के खिलाफ आंदोलन चलाए गए। अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के खेत में सड़क किनारे लगने वाले पेवर ब्लाक बनते पकड़े गए। इसके लिए कांग्रेस पार्षद विशेषकर उपाध्यक्ष राजिक अकील बधाई के पात्र हैं, किन्तु जब दो वक्त के बजाए एक वक्त ही साफ पानी की बात आती है तो कहां चला जाता है कांग्रेस के पार्षदों का आंदोलन करने का माद्दा। एक ठेला हटवाने के लिए कांग्रेस के पार्षद जमीन आसमान एक कर देते हैं पर आवारा मवेशी, सुअर, कुत्तों की बारी आती है तब क्यों इन पार्षदों को सांप सूंघ जाता है।
नगर पालिका परिषद् प्रशासन के निकम्मेपन की हद तो तब हो जाती है जब इसे जिले के कलेक्टर का भय भी नहीं रह जाता। संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव ने स्पष्ट और कड़े निर्देश इस बावत दिए हैं कि सड़कों पर आवारा मवेशी, सुअर कुत्ते आदि न घूमते पाए जाएं जिससे यातायात प्रभावित हो। किन्तु नगर पालिका प्रशासन को जिला कलेक्टर की परवाह लेश मात्र भी नहीं है तभी तो आदेश के लगभग एक माह बीतने के बाद भी आवारा सुअर, मवेशी, कुत्ते सड़कों पर धमाचौकड़ी करते नजर आ रहे हैं।

इस मामले में कांग्रेस की चुप्पी तो मैनेज्ड समझ में आती है, पर भारतीय जनता पार्टी की विधायक श्रीमती नीता पटेरिया के साथ ही साथ जिला अध्यक्ष नरेश दिवाकर और नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी को मानो सन्निपात हो गया हो। इनके मुंह भी पता नहीं किस उपकार के बदले सिल गए हैं। हमारा कहना महज इतना है कि एक परसेंट ही सही मानवता के नाते इन्हें जागना ही होगा, वरना सिवनी शहर जिसे शिव की नगरी कहा जाता है की जनता कराह कराह कर दम तोड़ देगी! अब संवेदनशील जिला कलेक्टर से ही अपेक्षा की जा सकती है कि वे कड़े निर्देशके बजाए कठोर कदमस्वयं ही उठाएं और जनता को नारकीय पीड़ा से मुक्ति दिलवाएं।