गुरुवार, 29 मार्च 2012

कांग्रेस के लिए कठोर हो गए हैं मुलायम


कांग्रेस के लिए कठोर हो गए हैं मुलायम

खुद रक्षा तो तीन और कैबनेट मंत्री पद हथियाने के जुगाड़ में हैं नेता जी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश में परचम लहराने के बाद अब समाजवादी पार्टी के निजाम मुलायम सिंह यादव बेहद नपे तुले कदमों में केंद्र की ओर बढ़ रहे हैं। कांग्रेस के साथ उनकी बारगेनिंग जारी है तो उन्हें यह पता है कि अगर उन्होंने केेंद्र पर दबाव बनाया तो कांग्रेस अपने सबसे विश्वस्त अघोषित गठबंधन वाले सदस्य केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मुलायम और अखिलेश के पीछे छोड़ देगी।
पिछले दिनों सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के द्वारा एक साल के अंदर मध्यावधि चुनाव उवाच के मायने राजनैतिक गलियारों में खोजे जा रहे हैं। कांग्रेस के सत्ता और शीर्ष केंद्र दस जनपथ, (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि सपा सुप्रीमो नेता जी द्वारा कांग्रेस से समर्थन देने के एवज में खुद के लिए रक्षा मंत्री की आसनी (कुर्सी) और सपा के लिए तीन अन्य कबीना मंत्री का पद चाह रहे हैं। इस मामले में कांग्रेस के अस्पष्ट रवैए के चलते नेताजी ने अंततः यह तय कर लिया कि वे सरकार में शामिल ना होकर केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार को बाहर से ही समर्थन देंगे।
नेताजी के करीबी सूत्रों ने यह भी बताया कि जनता विशेषकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिखाने के लिए नेताजी द्वारा समय समय पर कांग्रेस को घुड़की दी जाती है। दरअसल, नेताजी इस बात को बेहतर जानते हैं कि अगर उन्होंने दबाव बनाया तो कांग्रेस अपनी कथित तौर पर पालतू केंद्रीय जांच ब्यूरो को नेताजी के कुनबे के पीछे छूकर देगी, तब नेताजी की मुश्किलें बढ़ जाएंगीं।
नेताजी के करीबी एक ताकतवर सपाई नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि नेताजी की रणनीति बेहद साफ है। वे कांग्रेस के उतने ही करीब जाने का प्रयास कर रहे हैं जितने में वे मेडम माया (बहुजन समाज पार्टी) को कांग्रेस से दूर रख सकें। यह अलहदा बात है कि लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी द्वारा कांग्रेस के पक्ष में वाक आउट किया जाता है तो राज्य सभा में कांग्रेस द्वारा बसपा के पक्ष मे ंवोट डाला जाता है।

माथुर बन सकते हैं लाट साहेब

माथुर बन सकते हैं लाट साहेब

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र शासित प्रदेश के 1977 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अरूण कुमार माथुर की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी नौकरी पक्की करने की तैयारी की जा रही है। खबर है कि माथुर को किसी सूबे में महामहिम राज्य पाल बनाकर भेजा जा सकता है। इसके पहले भी सेवानिवृत आईएएस की पुर्ननियुक्ति इस तरह की गई है। छत्तीगढ़ के महामहिम लाट साहेब शेखर दत्त एमपी काडर के आईएएस रहे हैं।
12 फरवरी 1952 को जन्मे और इतिहास में स्नातकोत्तर की उपाधि लेने वाले अरूण माथुर पिछले महीने ही वित्त विभाग के राजस्व महकमे के अधीन कार्यरत इंफोर्समेंट विभाग के संचालक पद से सेवानिवृत हुए हैं। माथुर की पीएमओ के ताकतवर कर्मचारी पुलक चटर्जी से अच्छी बनती है। साथ ही अनेक केंद्रीय मंत्रियों से भी उनके रिश्ते बेहतरीन हैं। कांग्रेस संगठन में भी माथुर का खासा रसूख है।

किसका पानी बेच रहे हैं शिवराज!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  83

किसका पानी बेच रहे हैं शिवराज!

पावर प्लांट्स को किस मद का पानी देने का हुआ है समझौता!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। चाल, चरित्र और चेहरे के लिए जानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की गरज से नियम कायदों को धता बताते हुए काम किया जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदहारण, मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगने वाले कोल आधारित दो प्रस्तावित पावर प्लांट्स की स्थापना के साथ ही सामने आया है।
आरोपित है कि देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा पावर प्लांट में अनेक अनियमितताओं के बाद भी इसके पहले चरण को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मिल गई। हद तो उस वक्त हुई जब मध्य प्रदेश के उर्जा और खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने जिला भाजपा की सरेराह उपेक्षा कर इस संयंत्र में जाकर अनेक निर्माण कार्यों की आधारशिला रखी।
कहा जा रहा है कि गौतम थापर ने थैलियों के मुंह भाजपा सरकार के मंुह पर रख दिए जिससे भाजपा सरकार ने ना केवल भाजपा संगठन वरन् स्थानीय आदिवासी विधायक श्रीमति शशि ठाकुर, क्षेत्र के आदिवासी सांसद बसोरी सिंह मसराम को बुलाना भी उचित नहीं समझा।
हाल ही में एक अन्य पावर प्लांट के लिए जमीन की खरीद फरोख्त का काम आरंभ हो गया है। कहा जा रहा है कि इस पावर प्लांट में एक विवादित पूर्व केंद्रीय मंत्री का काला धन भी लगा हुआ है। उक्त मंत्री के विवादों में फंसने के कारण पिछले एक साल से इसके काम को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया था पर अब इसका काम फिर से आरंभ हो गया है।
बहरहाल, मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग के रूक्के नंबर वृपनिम / 31 / तक / रास्त/ 162 / 08 / 86 दिनांक 6 फरवरी 2009 के तहत 23 एमसीएम हर साल जल की अनुमति ले ली गई है। इसके साथ ही साथ नर्मदा वैली विकास प्राधिकरण और झाबुआ पावर के बीच 21 फरवरी 2011 को 16.88 एसीएम पानी हर साल बरगी जलाशय से निकालने का समझौता हुआ है।
जानकारों का कहना है कि रानी अवंती बाई सागर परियोजना के अंतर्गत बरगी बांध का पानी मूलतः तीन मदों के लिए आरक्षित है। जिसमें से पहली आवश्यक्ता सिंचाई की है जो किसानों के खाते में जाती है। इसके बाद पानी को मछली पालन के लिए आरक्षित किया गया है, और तीसरी मुख्य आवश्यक्ता नदी की है जिसके माध्यम से एक बार फिर नदी के रास्ते में पड़ने वाले आसपास के किसानों के लिए सिंचाई के लिए पानी आरक्षित किया गया है।
जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने आखिर किस मद में और किस अधिकार से यह समझौता कर लिया है? क्या इस समझौते के बारे में प्रभावितों को बताया गया है या इसके लिए लोकसुनवाई आयोजित की गई है? अगर नहीं तो यह समझौता अवैध ही माना जाएगा।

(क्रमशः जारी)