शुक्रवार, 21 जून 2013

कोई भी वैधानिक दस्तावेज नहीं किए लान संचालकों ने पंचायत के समक्ष प्रस्तुत

0 लूघरवाड़ा में लान बंद कराने की उठी मांग - - - 3

कोई भी वैधानिक दस्तावेज नहीं किए लान संचालकों ने पंचायत के समक्ष प्रस्तुत

(जितेश अवधवाल)

सिवनी (साई)। शहरी क्षेत्र की सीमा से लगी लूघरवाड़ा ग्राम पंचायत में संचालित होने वाले शादी लान या मंगल भवन ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर ना तो जिला प्रशासन ने ही कोई कार्यवाही की है और ना ही जिला पंचायत ने ही इसकी सुध ली है।
ग्राम पंचायत के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 14 अप्रेल को सरपंच श्रीमति सावित्री विश्वकर्मा की उपस्थिति में हुई ग्राम पंचायत की बैठक में पास किए गए प्रस्ताव पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि शादी ब्याह के सीजन में यहां सदा ही विवाद की स्थिति बनती है।
सूत्रों की मानें तो ग्राम सभा की इस बैठक में कहा गया था कि देव उठनी ग्यारस के उपरांत पिछले साल से ही यहां संचालित सारे लान परेशानी का सबब बन चुके हैं। शादी ब्याह में आए दिन शराब पीकर झगड़े टंटे, गाली गलौच होती रहती है जिससे ग्राम पंचायत की शांति भंग होती है।
इतना ही नहीं यह प्रस्ताव भी लाया गया था कि लान संचालकों द्वारा बचा खाना, जूठन, डिस्पोजेबल कप प्लेट, अमानक पालीथिन और अन्य गंदगी वही फेंक दी जाती है जिसे मवेशी खाकर बीमार पड़ जाते हैं। यहां तक कि कुछ पशुओं की तो इससे मौत भी हो चुकी है। इसके साथ ही साथ यह बात भी पुरजोर तरीके से उठाई गई थी कि लान संचालकों द्वारा पार्किंग का भी ख्याल नहीं रखा जाता है। जिसका जहां मन आता है अपना वाहन खड़ा कर देता है जिससे आवागमन प्रभावित होता है।
ग्रामवासियों ने इस बात को उठाया था कि सार्वजनिक तौर पर बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव इन लान में दिखाई पड़ता है। लान में जल मल निकासी, वर्षा के पानी की निकासी, आयोजन निर्धारित मानचित्र के अनुसार किया जाना चाहिए जो नही किया जाता है।
साथ ही साथ लान के चारों ओर खुला क्षेत्र छोड़ा जाकर मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम 1984 के नियम 64 के प्रावधानों के तहत पर्याप्त वृक्षारोपण कराया जाना था जो नहीं कराया गया है। ग्राम सभा में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया था कि लान स्थाल, भूमि स्वामित्व एवं सीमा के वाद विवाद, मार्ग विवाद या अन्य किसी भी प्रकार का विवाद होने के कारण पूर्व में दी गई किसी भी प्रकार की अनुमति को निरस्त माना जाए।

(क्रमशः जारी)

क्या शिवराज का विरोध करेगी कांग्रेस!

क्या शिवराज का विरोध करेगी कांग्रेस!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। कांग्रेस के कद्दावर नेता कमल नाथ के सिवनी आगमन पर भाजपा के अनुषांगिक संगठन मजदूर संघ एवं जनमंच सहित कुछ संस्थाओं ने उन्हें काले झंडे और काले बैलून दिखाकर पुरजोर विरोध किया था। इसके उपरांत यह बात सामने आई थी कि कांग्रेस के नेताओं द्वारा भाजपा के नेता के सिवनी आगमन पर उनका विरोध करने का दंभ भरा था। अब लोगों के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या शिवराज सिंह चौहान के विरोध में कांग्रेस आएगी?
गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा फोरलेन के संबंध में कहा गया था कि सूरज चाहे पश्चिम से निकलने लगे पर फोरलेन मार्ग सिवनी से होकर ही जाएगा। दिल्ली की एक पत्रकार वार्ता में भी शिवराज सिंह चौहान को वस्तु स्थिति से सिवनी मूल के पत्रकार द्वारा आवगत कराया जा चुका है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा यह भी कहा गया था कि वे सिवनी जनमंच के प्रतिनिधियों को लेकर दिल्ली जाएंगे, सुप्रीम कोर्ट में इस सड़क के बचाव हेतु अपना वकील खड़ा करेंगे। साल दर साल बीतते गए पर ऐसा कुछ भी होता नहीं दिखा सिवनी वालों को। जनमंच ने भी सदा ही शिवराज सिंह चौहान की इस वादा खिलाफी को अपने वक्तव्यों में रेखांकित किया है।
इसी तरह 13 जून को केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री कमल नाथ के सिवनी आगमन पर भाजपा के एक धड़े द्वारा उनका विरोध किया गया। इसके उपरांत कमल नाथ के समक्ष मंच पर युवक कांग्रेस के नेशनल कार्डीनेटर राजा बघेल द्वारा यह कहा गया था कि जब भी भाजपा के बड़े नेता सिवनी आएंगे कांग्रेस उनका विरोध करेगी और ईंट का जवाब पत्थर से देगी।
कांग्रेस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस की बैठक में भी यह बात सर्वसम्मति से हुई थी कि जब भी भाजपा के नेता सिवनी आएंगे कांग्रेस उनका विरोध कमल नाथ के विरोध से ज्यादा करेगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा फोरलेन, सतपुड़ा संभाग, सिवनी में मेडकल कालेज, ऐस्टो टर्फ जैसी अनेक घोषणाएं की थीं, सिवनी के साथ वादा दर वादा कर उन्हें आज तक निभाया नहीं गया है। सिवनी में एस्टोटर्फ का मैदान बने साल पूरा होने को आ रहा है पर इसका उद्यघाटन अब तक नहीं हो सका है इसलिए यह सिवनी के लिए होते हुए भी बेकार ही है।

अण्णा की आंख में प्राब्लम: यात्रा स्थगित!

अण्णा की आंख में प्राब्लम: यात्रा स्थगित!

(राहुल तेलरांधे)

रालेगण सिद्धि (साई)। अण्णा हजारे की आंखों में तकलीफ है जिसके चलते फिलहाल उनका उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का दौरा कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। अण्णा के कार्यक्रम की जानकारी बाद में जारी की जाएगी।
अण्णा के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अण्णा हजारे को आंखों में कुछ तकलीफ हो रही थी, चिकित्सकों ने उन्हें आराम की सलाह दी है।
सूत्रों ने आगे बताया कि फिलहाल मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की अण्णा हजारे की जनतंत्र यात्रा 23 जून से प्रस्तावित थी, जिसे फिलहाल टाल दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि चिकित्सकों ने अण्णा को मशविरा दिया है कि कुछ दिन वे आराम करें, उनकी तकलीफ कम होने के उपरांत वे पुनः दौरे के योग्य हो जाएंगे। इसलिए उनके तय कार्यक्रम फिलहाल स्थगित कर दिए गए हैं, जिन्हें बाद में नई तिथियों में जारी किया जाएगा।

एमपी महाराष्ट्र बार्डर खवासा पर लगता जाम!

एमपी महाराष्ट्र बार्डर खवासा पर लगता जाम!

(शरद खरे)

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है खवासा ग्राम, जहां मध्य प्रदेश सरकार के राजस्व और अफसरों के निजी खाते में जाने वाले राजस्व की प्राप्ति करोड़ों अरबों खरबों रूपयों में होती है। खवासा बार्डर सदा से ही चर्चा का केंद्र रही है। खवासा के इस बार्डर का सबसे दुखदाई पहलू यहां लगने वाला यातायात का जाम है। ट्रकों की लंबी कतारों को देखकर निजी वाहन वालों के पसीने आ जाते हैं। इस जाम के लगने के पीछे के कारणों पर अब तक ना तो किसी जिलाधिकारी ने ध्यान ही दिया है और ना ही ध्यान देने की जरूरत ही समझी है। वर्तमान जिला कलेक्टर भरत यादव ने एक साक्षात्कार में खवासा की सीमा चौकी पर छापे मारने की बात कही है जो प्रशंसनीय है।
देखा जाए तो खवासा में मुख्यतः परिवहन विभाग की जांच चौकी है जहां करोड़ों रूपयों के वारे न्यारे होते हैं। इस जांच चौकी के बारे में कहा जाता है कि यहां दक्षिण भारत सहित मध्य प्रदेश सहित देश के अनेक हिस्सों की कई ट्रांसपोर्ट कंपनियों द्वारा बाकायदा अपने माल वाहक वाहनों की सूची दी हुई है जिनसे निर्धारित से कम मात्रा में चौथ वसूली की जाती है। बाकी माल और यात्री वाहक वाहनों से हर माह चौथ वसूली के साथ ही साथ शासन द्वारा दिए गए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उनका चालान भी काटा जाता है।
इस जांच चौकी के बारे में बताया जाता है कि यह जांच चौकी रिमोट कंट्रोल से संचालित होती है। अर्थात यहां तैनात परिवहन विभाग और पुलिस विभाग के प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मचारियों के अलावा निजी गुंडा नुमा लोगों के द्वारा यहां सरकारी काम को अंजाम दिया जाता है। वैसे तो निजी गुर्गे जिला कलेक्टर की नाक के नीचे पंजीयक लेण्ड रिकार्ड अर्थात जहां जमीनों की खरीदी बिक्री होती है वहां भी काम करते दिख जाते हैं।
सूत्रों की बातों पर गर यकीन किया जाए तो इन निजी कर्मचारियों के हाथों में एक रिमोट घंटी का बटन होता है। सड़क पर लाल या पीली बत्ती देखते ही ये बटन दबा देते हैं और चौकी के अंदर सभी काम नियमानुसार संचालित होना आरंभ हो जाता है। बताते हैं यहां समिष और निरामिष भोजन बहत ही लजीज बनता है। यहां एक कैंटीन का संचालन भी होता है जहां शाकाहारी और मांसाहारी भोजन की माकूल व्यवस्था है। यहां यह सब कुछ निशुल्क ही है। कहा जाता है कि हर माह की चढ़ोत्री के हिसाब में इसे भी जोड़ दिया जाता है।
अगर, जिला कलेटर भरत यादव बिना सूचना के अचानक ही इस जांच चौकी में पहुंच जांए तो उन्हें सबसे पहले पिछले दरवाजे पर एक रजिस्टर रखा मिलेगा जिसमें नेताओं, पत्रकारों और प्रभावशाली लोगों के नाम और उन्हें दी जाने वाली मासिक चौथ की सूची मिल जाएगी। मेले ठेले, धरना प्रदर्शन आदि के लिए दी जाने वाली राशि का ब्योरा भी इसी पंजी में दर्ज होता है। निश्चित तौर पर यह राशि परिवहन विभाग या यहां पुलिस से प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मचारी अपनी जेब से तो देते नहीं होंगे। जो भी दिया जाता होगा वह वाहनों के स्वामी से ही वसूला जाता होगा।
इस तरह के भ्रष्टाचार के सागर में आकण्ठ डूबी है खवासा की जांच चौकी। खवासा में इसके अलावा मंडी, विक्रय कर आदि की जांच चौकियां भी हैं। यहां जाम क्यों लगता है इस बारे में कोई भी कुछ बताने को तैयार नहीं होता है। ज्यादा पूछताछ करने पर निजी गुण्डानुमा गुर्गों द्वारा हमला तक बोल दिया जाता है। मजे की बात तो यह है कि यहां पुलिस का एक सहायता केंद्र भी स्थापित है, पर सब कुछ हो रहा है ढके मुंदे नहीं उजागर तौर पर। यहां कभी भी पूरी तैनाती नहीं मिल पाती है। इस तरह की चौकियों में ईमानदारी पूरी पूरी बरती जाती है। एक एक सिपाही या हवलदार पखवाड़े तक घर पर आराम फरमाते हैं पर उनके हिस्से में कोई समझौता नहीं होता है। कहते हैं कि यहां से गुजरने वाले वाहनों से चौथ वसूली के उपरांत उन्हें गेट पास दिया जाता है, गेट पास के पहले उनकी डायरी में चिड़िया कौआ जैसी आकृति बना दी जाती है जो हर माह अलग शक्ल की होती है जिससे यह पता चल जाता है कि उस वाहन की एंट्री उस माह के लिए हो चुकी है।
असली मरण तो आम आदमी की होती है। सिवनी जिले के विधायक और सांसदों की कर्तव्यों के प्रति अनदेखी के चलते सिवनी की स्वास्थ्य सुविधाएं जो एक समय में महाकौशल संभाग में आर्युविज्ञान कालेज जबलपुर के बाद नंबर दो पर आती थी आज खुद आईसीसीयू में पड़ी कराह रही है, नतीजतन मरीजों को छोटी मोटी बीमारी होने पर भी सिवनी के प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय से नागपुर रिफर कर दिया जाता है। इसके पीछे चिकित्सकों को नागपुर के मंहगे अस्पतालों से मिलने वाला कमीशन ही बताया जा रहा है। जब मरीज नागपुर जाते हैं तो वे इस जाम में फंसकर नारकीय पीड़ा को भोगते हैं। स़क्षम लोग तो बरास्ता छिंदवाड़ा सौंसर होकर नागपुर पहुंच जाते हैं पर गरीब तो इसी रास्ते से जाने पर निर्भर हैं।

यहां यक्ष प्रश्न यह खड़ा हुआ है कि आखिर खवासा में एक साथ पचास से लेकर दो सौ ट्रकों की लाईन कैसे लग जाती है। अगर खवासा से महज दस किलोमीटर दूर महाराष्ट्र बार्डर की मानेगांव टेक चौकी से आप गुजरें तो वहां महज एकाध ट्रक ही खड़ा मिलता है। आखिर क्या वजह है कि महाराष्ट्र की जांच चौकी मिस्टर कलीन है और एमपी की जांच चौकी दागदार! मतलब साफ है कि दाल में कुछ काला है।