सोमवार, 14 अप्रैल 2014

सड़कों का कचूमर निकाल रहे गेहूं परिवहन कर्ता


सड़कों का कचूमर निकाल रहे गेहूं परिवहन कर्ता
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। मतदान के उपरांत ई-उपार्जन में गेहूं की ढुलाई के दौरान ओव्हर लोडिंग जमकर प्रकाश में आ रही है। ओव्हर लोडेड ट्रक सड़कों का कचूमर निकाल रहे हैं। इस ओर न तो यातायात पुलिस ही ध्यान दे रही है और न ही परिवहन विभाग को ही इस ओर ध्यान देने की फुर्सत है।
खाद्य विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन दिनों गेहंू के परिवहन में 25 टनतथा पैंतीस से चालीस टन गेहूं को ढोया जा रहा है। इनका तौल बाकायदा तौल कांटों पर किया जा रहा है। तौल कांटों से दी जाने वाली वजन की पर्ची कोजहां गेहूं जमा करवाया जा रहा है वहां दिया जा रहा है।
यह हैं वजन के नियम
वहींपरिवहन विभाग के सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि छः चक्का ट्रक में 16.2 टन जीवीडब्लू (ग्रास व्हीकल वेट)दस चक्का में 25.2 टन एवं 12 चक्का में 31.2 टन का वजन होना चाहिए। यह वजन ट्रक के वजन सहित है। इससे अधिक वजन भरकर चलने परपहले टन के लिए छः हजार एवं उसके बाद के हर टन के लिए दो-दो हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान है।
भरा जा रहा अधिक वजन
खाद्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि इन ट्रक्स में निर्धारित वजन से अधिक वजन भरा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो छः चक्का में 16 के बजाए 25 टनदस चक्का में 25 के बजाए 35 टन और 12 चक्का में 31 के बजाए 40 टन माल भरा जा रहा हैजो परिवहन नियमों के विपरीत है। वैसे भी सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) के मापदण्डों के हिसाब से बनी सड़कों पर अगर अधिक भार ले जाया जाता है तो सड़कों के परखच्चे उड़ने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
पकड़े जा सकते हैं आसानी से
खाद्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि जिला प्रशासन अगर कड़ा रूख अख्तियार कर ले तो परिवहन कर्ता ठेकेदार की गर्दन आसानी से नापी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि धर्मकांटा की तौल पर्चीखरीदी केंद्र का निकासी टोकन एवं संग्रहण केंद्र में जमा इन दोनों पर्चियों का अगर मिलान कर लिया जाए और ट्रक नंबर से उसकी भार क्षमता और उसमें लादकर लाया गया माल का मिलान कर लिया जाता है तो परिवहन कर्ता ठेकेदारट्रक मालिक आदि से भारी तादाद में शस्ति निरूपित की जाकर सरकारी खजाने में इज़ाफा किया जा सकता है।
आरटीओयातायात पुलिस मौन!
यह सब कुछ अगर वाकई में हो रहा है तो यातायात पुलिस (जिसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण जिला होता है) और परिवहन अधिकारी कार्यालय संदेह के दायरे में आ जाते हैं। वहींदूसरी ओर लोकल ट्रांसपोर्ट एॅसोसिएशन जो कल तक ओव्हर लोडिंग के प्रति लामबंद था अब इस मामले में मुंह फेरे दिख रहा है।

.कलेक्‍टर की सराहनीय पहल किन्‍तु . . .


.कलेक्‍टर की सराहनीय पहल किन्‍तु . . .
(शरद खरे)
नया शिक्षण सत्र आरंभ हो चुका है। पालकों के सिर पर निजि शालाओं की मंहगी फीस, मंहगे गणवेश, किताबों की आसमान छूती दरें नई समस्या बनकर खडी हैं। इसी बीच संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव का एक आदेश उनके लिए राहत का सबब बनकर सामने आया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी भरत यादव ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) एवं (2) का उपयोग करते हुए आदेश दिया है।
इस आदेश के बंधन में बंधकर, निजि शिक्षण संस्थानों को नियमों का पालन कड़ाई से करना होगा। इस आदेश के तहत कॉपी पर ग्रेड, किस्म, साइज, मूल्य, पेज की संख्या आदि की जानकारी स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिए। संबंधित स्कूल, संस्था किसी एक दुकान, विक्रेता, संस्था से खरीदने हेतु बाध्य नहीं कर सकेगा एवं विद्यालय का नाम मुद्रित नोट बुक्स (कॉपी) पर प्रतिबंधित की गई है।
विद्यालय की यूनिफॉर्म (गणवेश) पर विद्यालय का नाम प्रिंट करवा कर दुकानों से विक्रय करने अथवा एक विशिष्ट दुकान से एक विद्यालय की गणवेश बेचना प्रतिबंधित रहेगा। विद्यालय में कक्षाओं में रिफ्रेन्स बुक के लिए शिक्षाविदों की कमेटी गठित करने के लिए निर्देशित किया गया है। अब संस्थागत पी.टी.ए. द्वारा निर्धारित पुस्तक एवं प्रकाशक के नाम की सूचना शाला प्रबंधक द्वारा सूचना पटल पर चस्पा कर ही जारी की जा सकेगी।
इसी प्रकार पुस्तक एक ही स्थान से क्रय करने संबंधी कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। कोई भी दुकानदार या विक्रेता, कॉपी एवं किताब का सेट बनाकर विक्रय नहीं करेगा। उक्त कक्षाओं की पुस्तकों का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम तीन सत्र तक उसमंे परिवर्तन न हो।
स्कूलों में लगने वाले यूनिफॉर्म, टाई, बैच, बेल्ट, कवर, स्टीकर का रंग, प्रकार आदि के संबंध में पी.टी.ए. द्वारा तय करके पूर्व घोषणा विद्यालय द्वारा की जावेगी, जो छात्र, पालकों द्वारा खुले बाजार से क्रय किए जा सकेंगे। मोनोग्राम, कव्हर, स्टीकर विद्यालयों द्वारा न्यूनतम मूल्य पर दिये जा सकते हैं। यूनिफॉर्म बाजार से क्रय करने की छूट रहेगी एवं किसी एक स्थान से क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जावेगा।
जिला कलेक्टर का यह कदम सराहनीय ही माना जाएगा, किन्तु एक बात में संशय ही दिख रहा है। वह यह कि जब निजि शिक्षण संस्थाओं द्वारा देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेशों को ही दरकिनार कर प्रवेश के समय दस से तीस हजार रूपए राशि बिना किसी रसीद के वसूली जा रही है तब जिला कलेक्टर के आदेश की तामीली किस स्तर पर हो पाएगी, कहा नहीं जा सकता है। कमोबेश हर शिक्षण संस्थान में प्रवेश के समय मोटी रकम की मांग की जा रही है। इसकी रसीद मांगने पर बाहर का रास्ता तक दिखाया जा रहा है। जिला कलेक्टर भरत यादव से जनापेक्षा है कि कम से कम इस आदेश को मॉनिटरिंग में रख लें और हर सप्ताह इसकी मानिटरिंग करें, अगर ऐसा हुआ तो निजि शिक्षण संस्थानों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के पालक लंबे समय तक भरत यादव को याद रख पाएंगे।


खेल के ताने-बाने पर प्रभाव डालना चाहता हूं: तेंदुलकर


खेल के ताने-बाने पर प्रभाव डालना चाहता हूं: तेंदुलकर
(आर.के.नायर)
कोच्चि (साई)। खेल के ताने-बाने पर प्रभाव डालना चाहता हूंरू तेंदुलकर मुंबई रू दो से ज्यादा दशक तक क्रिकेट के भगवानमाने जाने वाले महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने रविवार को इंडियन सुपर लीग में कोच्चि फ्रेंचाइजी खरीदकर फुटबाल में कदम रखा और उनका कहना है कि वह देश के खेल के ताने बाने में अहम प्रभाव डालना चाहते हैं।
तेंदुलकर ने पिछले साल नवंबर में 24 साल के अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर को अलविदा कहा था। उन्होंने पीवीपी वेंचर्स के प्रसाद वी पोटलुरी के साथ मिलकर कोच्चि फ्रेंचाइजी खरीदने का अधिकार हासिल किया।
तेंदुलकर ने बयान में कहा, ‘‘मैं हमेशा दिल से खिलाड़ी ही रहूंगा, जो खेल के ताने बाने पर अहम प्रभाव डालने का इच्छुक है। इंडियन सुपर लीग युवाओं के लिये एक मंच विकसित करने और उन्हें शानदार खिलाड़ी बनने का बेहतरीन मौका प्रदान कर रही है।‘‘ मुंबई के इस 40 वर्षीय दिग्गज को इस साल के शुरू में प्रतिष्ठित भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रसाद पोटलुरी की अगुवाई वाली पीवीपी वेंचर्स की युवा और जुनूनी टीम के साथ बातचीत करना दिलचस्प अनुभव रहा।‘‘ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘कोच्चि क्लब के साथ हम अपने लक्ष्य हासिल करनेकी कोशिश करेंगे और देश में फुटबाल के विकास में अहम भूमिका निभायेंगे।‘‘

. . . तो वढ़ेरा जाएंगे जेल: उमा


. . . तो वढ़ेरा जाएंगे जेल: उमा
(पम्पी)
झांसी (साई)। भाजपा की फायरब्रांड लीडर उमा भारती ने शनिवार को फिर आग उगली व कांग्रेसाध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा पर हमला करते हुए कहा कि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने पर पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप में घिर चुके वाड्रा को जेल भेज दिया जाएगा।
उमा ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में वाड्रा के गुजरात के अडाणी ग्रूप से सम्बन्ध बढ़ाने के बारे में सवाल पूछे जाने पर कहा सोनिया के जमाई राजा वाड्रा अनेक फर्जीवाडे कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव के बाद हमारी सरकार बनने पर यह पक्का जान लीजिये कि जमाई बाबू को जेल भिजवाएंगे।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वाड्रा भाजपा से भय की वजह से अडाणी के नजदीक जाने की कोशिश कर रहे हों। सम्भव है कि वह बचने का कोई रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हों।
गौरतलब है कि वाड्रा पर राजनीतिक हिमायत के बदले रियल एस्टेट कम्पनी डीएलएफ से बेजा तरीके से कर्ज लेने का आरोप लगा था। इस मामले को लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा किया था।
उमा ने उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी पर पुलिस के दम पर चुनाव जीतने की कोशिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपा ने आरक्षियों तथा अन्य पुलिसकर्मियों को प्रोन्नति दी है और उसके एवज में वे चुनाव में इस पार्टी की मदद कर रहे हैं। भाजपा नेता ने बलात्कारियों को फांसी की सजा की मुखालिफत करने वाले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बयान पर कहा कि यादव के परिवार की महिलाओं को उन्हें घर से बाहर निकाल देना चाहिये।

राहुल ने कहा, सांसद चुनेंगे तो पीएम बनने को तैयार


राहुल ने कहा, सांसद चुनेंगे तो पीएम बनने को तैयार
(एडविन अमान)
नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि चुनाव के बाद अगर सांसद उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए चुनते हैं तो वह जिम्मेदारी लेने के लिये पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वह हिंदुस्तान के नौकर हैं और सिर्फ जनता के लिए काम करते हैं।
एक निजी चैनल के साथ बातचीत में राहुल से जब पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं? इस पर उन्होंने कहा कि संविधान में लिखा है कि प्रधानमंत्री को सांसद चुनेंगे। चुनाव के बाद अगर हमारे सांसद मुझे चुनेंगे तो मैं जिम्मेदारी से हटने वाला नहीं हूं।
वहीं, शादी के सवाल पर राहुल ने कहा कि जब कोई अच्छी लड़की मिल जाएगी तो शादी कर लूंगा। राहुल ने मोदी की दावेदारी का माखौल उड़ाते हुए कहा कि मैं एक तरह से नौकर हूं, हिंदुस्तान का नौकर हूं और मैं अपनी जनता के लिए काम करता हूं। क्या कांग्रेस को बहुमत मिलेगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, कि बहुमत मिलना चाहिए, मगर हमारी लड़ाई असल में विचारधारा की है।
गुजरात मॉडल पर राहुल ने कहा कि गुजरात जब खड़ा हुआ था तो वह छोटे उद्योगों पर खड़ा हुआ था। अमूल जैसे को-ऑपरेटिव आंदोलन पर खड़ा हुआ था और उसकी वह ताकत है। आप अब गुजरात मॉडल को देखें तो एक व्यक्ति के बिजनेस का टर्नओवर तीन हजार करोड़ से बढ़कर 40 हजार करोड़ पहुंच गया।