शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

गीतिका की मां ने की आत्महत्या!


गीतिका की मां ने की आत्महत्या!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। गीतिका शर्मा सूइसाइड केस में एक और दुखद मोड़ आ गया है। जहां अभी पूरे मामले में न्याय मिलना बाकी है वहीं, शुक्रवार को गीतिका के मामा ने बताया कि उनकी मां अनुराधा शर्मा ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। समाचार चेनल्स के अनुसार, परिवार ने इसकी पुष्टि की है।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने घर में गीतिका की मां ने खुदकुशी की है। गीतिका की मौत के बाद से ही उनकी मां परेशान रहती थीं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, घटनास्थल से सूइसाइड नोट मिला है जिसमें दो लोगों के नाम का जिक्र है। वहीं गीतिका के पिता ने बिलखते हुए कहा, कि पहले मेरी बेटी और अब मेरी पत्नी को खा गया गोपाल कांडा।
गौरतलब है कि एअर होस्टेस गीतिका ने पिछले साल खुदुकशी कर ली थी। इस केस में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा मुख्य आरोपी हैं और फिलहाल हिरासत में हैं। गीतिका की सूइसाइड को लेकर कहा गया कि गोपाल कांडा से शादी का वादा पूरा न होते देखकर उसने जान दे दी थी। वह तीन बार अबॉर्शन करवा चुकी थी और कांडा के शादी न करने से काफी परेशान थी। गीतिका के शव के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि उनके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया जाता था। रिपोर्ट के मुताबिक, मौत से 48-72 घंटे पहले भी गीतिका से शारीरिक संबंध बनाए गए थे।
फरवरी के शुरुआती दिनों में गीतिका शर्मा सूइसाइड मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने पर सुनवाई होनी थी जोकि टल गई। रोहिणी कोर्ट स्थित जिला जज एसके सरवरिया की अदालत ने अब मामले की सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख तय की है।

धार बना छावनी, स्थिति सामान्य


धार बना छावनी, स्थिति सामान्य

(सुजीत कुमार)

धार (साई)। मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर में बसंत पंचमी के मौके पर पूजा और नमाज को लेकर चल रहे विवाद के बीच शुक्रवार को भीड़ और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े, जबकि भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया।
ज्ञातव्य है कि भोजशाला को हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम समाज भी अपना आराध्य स्थल मानता है। यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन है। एएसआई ने शुक्रवार को बसंत पंचमी होने के कारण 14 और 15 फरवरी को यहां दोपहर 12.30 बजे तक पूजा करने की अनुमति दी थी, जबकि दोपहर एक बजे से तीन बजे तक जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति दी थी। जिसका हिंदुवादी संगठनों- भोजशाला आयोजन समिति व हिंदू जागरण मंच ने विरोध किया।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन संगठनों ने एएसआई के निर्देश का विरोध करते हुए बसंत पंचमी को पूरे दिन पूजा करने का ऐलान कर दिया। पूजा और नमाज को लेकर विवाद न हो, इसके लिए प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिए।
इसके बाद दोनों संगठनों ने प्रशासन के रवैये का इसका विरोध करते हुए पूजा न करने का ऐलान कर दिया, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग परिसर के बाहर जमा हो गए। हालांकि आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने परिसर के भीतर जाकर पूजा-अर्चना भी की।
उधर सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि प्रशासन ने दोपहर एक बजे नमाजियों को अंदर ले जाने की रणनीति बनाई, तभी कुछ लोगों ने पूजा के लिए भोजशाला परिसर में घुसने की कोशिश की। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने इस पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैसे के गोले छोड़े। जवाब में भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिससे हालात तनावपूर्ण बन गए हैं।

डीजल पेट्रोल में फिर लगी आग!



डीजल पेट्रोल में फिर लगी आग!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। आम आदमी की जेब पर पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों का बोझ फिर से बढ़ गया है। कमरतोड़ आसमान छूती महँगाई के बीच तेल कंपनियां ने एक बार फिर पेट्रोल और डीज़ल के दाम में बढ़ोतरी की है। तेल कंपनियों की समीक्षा बैठक के बाद पेट्रोल के दाम में प्रति लीटर डेढ़ रुपये और डीजल के दाम में 45 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई हैं। बढ़ी हुई कीमतें आज आधी रात से लागू हो जाएंगी।
सरकार से पेट्रोल और डीजल के दामों को तय करने की छूट मिलने के बाद तेल कंपनियां पंद्रह दिनों पर पेट्रोलियम उत्पादों की समीक्षा करती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ी कीमतों का हवाला देते हुए तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए हैं।
कंपनियों की दलील है कि पेट्रोल बिक्री पर फिलहाल उसे 1 रुपये 32 पैसे प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। वहीं, डीजल बिक्री पर कंपनियों को 9.22 रुपये लीटर का नुकसान हो रहा है। बैठक से पहले इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन आर एस बुटोला का कहना था कि इस तिमाही में पेट्रोल की खुदरा बिक्री की वजह से कंपनियों को 676 करोड़ रूपए का घाटा हो चुका है।

क्या यही है भारत गणराज्य का प्रजातंत्र


क्या यही है भारत गणराज्य का प्रजातंत्र

(लिमटी खरे)

1947 में देश आजाद हुआ और 1950 को भारतीय गणतंत्र की स्थापना हुई। भारतीय गणतंत्र की स्थापना जिन उद्देश्यों को लेकर की गई थी वह आज साकार होते नहीं दिखते हैं। आज का भारत मूल अवधारणाओं से कोसों दूर है। इसका सबसे बड़ा कारण शासकों का निरंकुश विपक्ष का रीढ़ विहीन और रियाया का निरीह होना है। देश के पहले नागरिक का दर्जा दिया गया है रायसीना हिल्स पर रहने वाले भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति को। राष्ट्रपति भवन के अंदर का महौल पूरी तरह राजसी ही है। कई मर्तबा इस माहौल को देखने का अवसर मिला तो लगा मानो सामंती प्रथा आज भी भारत गणराज्य में बदस्तूर जारी है। जब इस पद पर प्रणव मुखर्जी को पदासीन किया गया तब लगा कि राजसी महौल में बदलावा आएगा पर आज भी वहां यह प्रथा बदस्तूर जारी ही है।

रायसीना हिल्स का राष्ट्रपति भवन देश विदेश के लोगों के लिए कोतुहल का ही विषय है। इस भवन के बारे में तरह तरह की किंवदंतियां तक प्रचलित हैं। लोग इस भवन को अंदर से करीब से देखने के लिए बहुत उतावले रहते हैं। आज से ही इसका सबसे मशहूर मुगल गार्डन लोगों के लिए खोला जाएगा। इस भवन की सुरक्षा, साजसज्जा, आदि पर कितना खर्च होता है इस बारे में सरकार सदा ही मौन रहती है। भारत गणराज्य की जनता को यह जानने का अधिकार है कि उसका पहला नागरिक उसके करों से संचित धन में से कितना धन किस मद में व्यय कर रहा है।
इसे विडम्बना कहेंगे या फिर देश का दुर्भाग्य कि गोरे ब्रितानियों के वायसराय जब देश पर राज करते थे तब उनके लिए बने इस महलनुमा भवन में जाने के बाद देश के हर पहले नागरिक ने आम जनता के करीब जाने के स्थान पर खुद को उसी सामंती प्रथा में ढाल लिया। प्रणव मुखर्जी के साथ भी कमोबेश वही हो रहा है। जिस तरह के तामझाम और आडंबर इस भवन के अंदर होते हैं उसे देखकर नर्सरी का बच्चा खिलखिलाकर हंस ही पड़ेगा। महामहिम जहां भी जा रहे हैं कमर बंद दस्ता झुककर उनकी आगवानी में जुटा हुआ है।
भारत पर ब्रितानियों ने सालों साल शासन किया और अपनी अमिट छाप भी छोड़ गए। उस छाप को या उस मानसिकता को आज भी देश के नेता अपने जेहन से उतार फंेक नहीं पा रहे हैं। कितने आश्चर्य की बात है कि आजादी के उपरांत जब हमारे गणतंत्र का निर्माण हुआ देश का संविधान बना तबभी इसमें उपनिवेशवाद की छाया साफ दिखती रही। आज भी देश का पहला नागरिक महामहिम राष्ट्रपति वस्तुतः ब्रिटेन की उस महारानी के मानिंद ही है जो प्रतीकात्मक देश के लिए प्रधान ही हैं।
जानकारों का कहना है कि भारत गणराज्य का राष्ट्रपति संविधान का संरक्षक होता है, जिसके पास सारे अधिकार होते हैं। प्रत्यक्षतः इन अधिकारों का उपयोग भारत गणराज्य की निर्वाचित सरकार ही करती है। निर्वाचित सरकार जनता के प्रति सीधे सीधे उत्तरदायी होती है। देश के प्रथम नागरिक का अपना एक प्रोटोकाल होता है इस बात में संदेह नहीं है। राष्ट्रपति का प्रोटोकाल देश का विदेश मंत्रालय ही संभालता है।
विदेश मंत्रालय भी ब्लू बुक के हिसाब से ही प्रोटोकाल को निभा रहा है। भारत की आजादी को साढ़े छः दशक होने को आए पर आज भी विदेश मंत्रालय लकीर का फकीर ही बनकर काम कर रहा है। आज भी महामहिम के तस्मे अर्थात जूतों के बंद बांधने के लिए एक कर्मचारी पाबंद है, और सरकार सभी को समान अधिकार का दावा करने से नहीं चूकती है। एक मनुष्य के सामने दूसरे मनुष्य का नियम कायदों केे हिसाब से झुकना क्या अभिव्यक्ति की आजादी का उदहारण माना जाए।
अगर किसी के सामने श्रृद्धा से सर झुकता है या मनुष्य नतमस्तक होता है तो यह उसका नितांत निजी मामला है जिसे उचित करार दिया जा सकता है पर वजीफे या पारिश्रमिक के लिए किसी के सामने झुकना या झुकाना क्या उचित है? इसे एक अच्छी पहल और बदलाव के बतौर देखा गया था कि प्रणव मुखर्जी ने रायसीना हिल्स पहुंचने के उपरांत बिगुल बजवाना और अपने नाम के आगे से महामहिम या माननीय शब्द को हटवा दिया था।
देश के महामहिम राष्ट्रपति के भवन में जबरन के दिखावे को तो बंद किया जा सकता हैतब लग रहा था मानो महामहिम राष्ट्रपति देश में जनता और शासन के बीच की खाई को पाट देंगे, वस्तुतः एसा होता नहीं दिख रहा है। एक समय था जब देश की जनता आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के द्वारा दिए जाने वाले देश के नाम संबोधन का इंतजार करती थी, उसे लगता था कि देश के नीतिनिर्धारकों के निजाम देश को नई बात या नई राह से आवगत कराएंगे। अब तो कब इनके उद्बोधन हो जाते हैं पता ही नहीं चलता।
दिनों दिन नैतिक मूल्यों के हास का ही कारण है कि अब युवाओं का मन भी राजनीति से उचाट होने लगा है। सांसद विधायक भी जनसेवा के स्थान पर निहित स्वार्थों को ही तवज्जो दे रहे हैं। राष्ट्रपति भवन के अंदर परंपराएं काफी हद तक शाही कही जा सकती हैं। सबसे पहली बार इस भवन के दीदार के अवसर पंडित शंकर दयाल शर्मा के राष्ट्रपति रहने के दरम्यान हुए थे। उस वक्त हमारे एक परिचित इस भवन में थे, जो आज छत्तीसगढ़ की सेवा में हैं। उस दौरान इस आलीशान भवन की भव्यता देखते ही बन रही थी। इतना लंबा चौड़ा भवन कि एक छोटा शहर ही बस जाए इसके अंदर। प्रजीडेंट स्टेट का रकबा भी बहुत ही ज्यादा है। दिल्ली जैसे मंहगे शहर में इतने लंबे चौड़े भव्य आलीशान भवन में संगीनों के साए में रहता है देश का पहला नागरिक।
जब प्रणव मुखर्जी प्रेजीडेंट बने तब उम्मीद की जा रही थी कि वे जनता से जुड़े व्यक्तित्व के स्वामी हैं अतः इस भवन की रिवायतें बदलेंगी, प्रणव मुखर्जी के शुरूआती कदमों से कुछ आहट भी मिली थी इसी तरह की। किन्तु समय के साथ ही लगने लगा कि प्रणव मुखर्जी भी नौकरशाहों पर ही पूरी तरह निर्भर हो चुके हैं। एसा प्रतीत होता है मानो आज प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति नहीं एक सांसद ही हैं। उनके उद्बोधनों से इस बात की गंध आने लगती है कि वे देश के संवैधानिक प्रमुख की बजाए एक सुलझे और गूढ़ राजनेता का लबादा उतारने को तैयार नहीं हैं।
देश के पहले महामहिम राजेंद्र प्रसाद को देखा तो नहीं पर उनके बारे में जो सुना है उस आधार पर कह सकते हैं कि जब वे वायसराय की इस हवेली में रहने गए तब उनके तौर तरीकों से जनता के मुंह से बरबस ही निकल पड़ता था कि एक भारतीय इस भवन में पहुंच चुका है। याद पड़ता है पूर्व महामहिम एपीजे अब्दुल कलाम के इस भवन में रहने के दौरान काफी हद तक प्रोटोकाल उन्होंने समाप्त करवा दिया था। वे अपने जूतों के तस्मे खुद ही बांधा करते थे। रात को देर से खाने के आदी कलाम द्वारा साफ निर्देश दिया गया था कि उनके लिए कोई इंतजार ना करे। उनके लिए बस एक रसोईया ही देर रात तक जगता था। जिस तरह गोरे ब्रितानियों के शासनकाल में यह विशालकाय बंग्ला देश वासियों के लिए कौतुहल का विषय था, उसी तर्ज पर आज भी आजादी के साढ़े छः दशकों बाद भी यह कौतुहल का ही विषय बना हुआ है। कुल मिलाकर अंत में यही कहना चाहेंगे कि प्रणव मुखर्जी को चाहिए कि वे ब्रितानी वाईसराय और जनता के बीच की दूरी को बरकरार रखने के स्थान पर आजाद भारत गणराज्य के हिसाब से जनता और राष्ट्रपति के बीच खुदी खाई को पाटने का काम करें। (साई फीचर्स)

लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 55

भाजपा को शर्मसार करता जनसंपर्क

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के जिलों में स्थिति कार्यालयों के पास अब जिला स्तर पर सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की खबरों का टोटा साफ दिखाई पड़ने लगा है। अब तो जिला स्तर के कार्यालय दूसरे जिलों और प्रदेश स्तर की खबरों को इस तरह परोस रहे हैं मानो वे उनके जिलों से संबंधित ही हों। सिवनी जिले में जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी खबरों से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी शर्मसार ही हो रही होगी।
ज्ञातव्य है कि भारतीय जनता पार्टी विशेषकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में सिवनी जिले के साथ शासन का उपेक्षा पूर्ण व्यवहार किसी से छिपा नहीं है। इतिहास साक्षी है कि सिवनी में सदा ही एक दो या तीन मंत्री रहे हैं। डॉ.ढाल सिंह बिसेन के मंत्री पद से हटने के उपरांत सिवनी को मंत्री के बतौर लाल बत्ती नसीब नहीं हुई है।
इतना ही नहीं सिवनी से सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता का कार्यालय स्थानांतरित करने का षणयंत्र रचा गया, पर यह सफल नहीं हो सका। इसके साथ ही साथ सिवनी को संभागीय मुख्यालय बनाया जाना, सिवनी में मेडीकल कालेज की स्थापना, सिवनी से फोरलेन का छीना जाना, सिवनी में दूध डेरी की दुर्दशा, सिवनी शहर के नागरिकों को लगातार गंदा और बदबूदार पानी पीने पर मजबूर किया जाना आदि ना जाने कितने उदहारण हैं जिनसे साफ हो जाता है कि भाजपा शासन द्वारा सिवनी जिले के साथ पूरी तरह उपेक्षात्मक रवैया अपनाया जा रहा है।
सिवनी की जनता प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। इसी बीच जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा एक विज्ञप्ति जारी की जाती है जिसमें तीन सिंचाई परियोजना को १,३८७ करोड की स्वीकृति शीर्षक से जारी समाचार में सिवनी डेट लाईन से कहा गया है कि मंत्रि-परिषद् ने छतरपुर जिले की बाँयीं नहर परियोजना के लिये ५४५ करोड ९० लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति और निवेश निकासी की अनुमति दी। परियोजना की रूपांकित सिंचाई क्षमता ४३ हजार ८५० हेक्टेयर है। मंत्रि-परिषद् ने रायसेन जिले की बारना वृहद परियोजना के विस्तार तथा इसे सुदृढ और आधुनिक बनाने के लिये ५८१ करोड रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति तथा निवेश निकासी की  अनुमति दी। इस योजना से वर्ष २०१२-१३ में ७५ हजार ८८ हेक्टेयर में सिंचाई की गयी। मंत्रि-परिषद् ने छतरपुर जिले की सिंहपुर बेराज मध्यम परियोजना के लिये २६० करोड ६३ लाख रुपये की पुनरीक्षित स्वीकृति तथा निवेश निकासी की अनुमति प्रदान की। परियोजना की रूपांकित क्षमता १० हजार २०० हेक्टेयर है।
अब सिवनी के नागरिक भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से पूछ रहे हैं कि क्या सिवनी के नागरिक अपनी जमीन जायजाद, दुकान मकान बेचकर छतरपुर शिफ्ट हो जाएं? क्या छतरपुर जिले का जिला जनसंपर्क कार्यालय बंद कर दिया गया है? क्या सिवनी में राज्य शासन की योजनाओं का टोटा है? क्या सिवनी में राज्य शासन की योजनाएं लागू नहीं हो रही हैं या उनका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है? जिला जनसंपर्क कार्यालय की कार्यप्रणाली से उपजी परिस्थितियों के चलते जनता के प्रश्नों पर भाजपा कार्यकर्ता शर्मसार हुए बिना नहीं हैं।

केंद्र सरकार की सलाह: गोमांस खाएं अपना खून बढ़ाएं!


केंद्र सरकार की सलाह: गोमांस खाएं अपना खून बढ़ाएं!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। सत्ता के मद में चूर कांग्रेसनीत केंद्र की संप्रग सरकार अब उल जलूल हरकतों पर आमदा नजर आ रही है। समाचार चेनल्स भले ही इस बात को चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हों कि अजमल कसाब और अफजल गुरू को फांसी पर चढ़ाकर कांग्रेस ने भाजपा से भावनात्मक मुद्दा छीन लिया है पर कांग्रेस के कदमों से भाजपा को एक के बाद एक नया मुद्दा मिलता जा रहा है। हाल ही मेें केंद्र सरकार द्वारा खून बढ़ाने के लिए गोमांस खाने की वकालत कर दी है।
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की पोषण नमाक पुस्तिका विवादों में घिर गई है। सरकार का अल्पसंख्यक और राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में शरीर में ऑक्सीजन और खून बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ ही मुर्गा व गाय का मांस खाने की सलाह दे रहा है। इस इलाके में यह पुस्तिका बांटी जा रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
मेरठ के मवाना में यह मामला सामने आने पर बीजेपी ने गोमांस खाने की सलाह पर बुधवार को बीजेपी नेताओं का गुस्सा फूट पड़ा। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी का घेराव कर बीजेपी ने नारेबाजी की। बीजेपी ने आगामी संसद सत्र में इस मुद्दे को उठाने की घोषणा की है। बीजेपी की नाराजगी के बाद इससे जुड़े अधिकारियों ने इस पुस्तिका को बैन करने की बात कही है।
मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि गाय करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। गाय के प्रति इस प्रकार की मानसिकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गोवंश की हत्या बैन हैं, जबकि विभागीय किताब में गाय के मांस को आयरन, ऑक्सीजन तथा खून बनाने के लिए जरूरी बताया गया है।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई ने कहा कि यूपी में गोरक्षा के लिए 2001 में यूपी में गोवंश निवारण अधिनियम लागू है। इसके बाद भी किसी केंद्रीय सरकार के मंत्रालय द्वारा यह पर्चा बांटना इस बात का प्रमाण है कि केंद्र सरकार गो-हत्या को बढ़ावा दे रही है।

फ्रांस के साथ प्रक्षेपास्त्र की चर्चा पूरी


फ्रांस के साथ प्रक्षेपास्त्र की चर्चा पूरी

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। भारत और फ्रांस ने वायुसेना और नौसेना के इस्तेमाल के लिए छह अरब अमरीकी डॉलर के कम दूरी से जमीन से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों और एसआर-एसएएम के बारे में बातचीत पूरी कर ली है। भारत के दौरे पर आए फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलान्द और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बीच कल नई दिल्ली में बातचीत के बाद इस बारे में घोषणा की गई। फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों ने एसआर-एसएएम के बारे में बातचीत पूरी कर ली है।
पीएमओ के सत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भारत ने कम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र के बारे में बातचीत पूरी कर ली है और सरकार से इसकी मंजूरी मिलने पर इसका भारत में ही फ्रांस के सहयोग से निर्माण किया जाएगा। रक्षा व्यापार से विकसित रक्षा उपकरणों के भारत में विकास और निर्माण में सहयोग का यह स्वागत योग्य बदलाव है, जिससे हमारे घरेलू उत्पादनों को बढ़ाने में मदद मिलेगी तथा दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी मजबूत होगी।
उधर, रक्षा सहयोग मे प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दस अरब डॉलर के रफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के बारे में बातचीत आगे बढ़ रही है। डॉक्टर सिंह ने कहा कि दोनों देशों ने जैतापुर परमाणु बिजली संयंत्र की प्रगति की समीक्षा की और वाणिज्यिक तथा तकनीकी समझौते पूरा होने पर इसको जल्द से जल्द लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

सिवनी : जानते बूझते घेर कर मारा


कर्र्फ्यूू में फंसे भुक्तभोगियों की आपबीती

जानते बूझते घेर कर मारा

(शिवेश)

सिवनी (साई)। 7 फरवरी को रात्रि में अचानक जिला मुख्यालय सिवनी में लगाए गए कर्फ्यू के उपरांत उपजी परिस्थितियों के बारे में स्थानीय दैनिक समाचार पत्र द्वारा लगातार लोगों की आपबीती का प्रकाशन किया जा रहा है। इसी क्रम में जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता जेपीएस तिवारी के साथ पुलिस ने जो दुर्व्यवहार किया उसकी पीड़ा का बयान उन्होंने खुद ही अपने शब्दों में किया।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी के यहाँ जिले में व्याप्त तनाव की स्थिति मे विचार-विमर्श हेतु एक बैठक थी। बैठक के दौरान ही कांग्रेस पदाधिकारियों को नगर में कर्फ्यू लगने की आशंका की खबर लगी तो बैठक स्थगित कर सभी कांग्रेस जन अपने-अपने घर पहुँचने रवाना हुए। मै भी जिला संगठन मंत्री विष्णु करोसिया के साथ उनकी मोटरसाईकिल में पीछे बैठकर अपने निवास जाने के लिए रात्रि लगभग 09 बजे कलेक्ट्रेट कचहरी चौक होते हुए बस स्टेंड पहुँचा। बस स्टेंड में पुलिस फोर्स के लगभग 25-30 जवान डंडे लेकर खड़े थे। हम लोगों ने पुलिस के जवान देख अपनी गाड़ी धीरे की।  इस समय तक हमे नहीं पता था कि कर्फ्यू लग चुका है न ही हमने कोई अलाउंसमेंट सुना था। हमने अपनी गाड़ी रोक जवानों से अपना परिचय देकर घर जाने की अनुमति मांगी। इस पर वहाँ खड़े पुलिस जवानों ने अचानक हमे  घेर लिया और क्रूरतापूर्वक लाठी भांजना शुरु कर दिया। इससे मेरे हाथ की कुहनी से बहुत ज्यादा खून निकलने लगा जिसे देख करोसिया जल्दी से मुझे मोटरसाईकिल पर बैठाकर पुलिस से बचते-बचाते मुझे मेरे निवास पहुँचाया।
मेरे घावों से लगातार खून बह रहा था। इसकी सूचना मोबाईल पर जिला कांग्रेस के अन्य प्रवक्ता ओमप्रकाश तिवारी को दी गयी। नगर कांग्रेस अध्यक्ष इमरान पटेल को भी जब इस घटना की सूचना मिली तो उन्होंने म।प्र। विधानसभा उपाध्यक्ष ठा। हरवंश सिंह जी को भी घटना से अवगत कराया। हरवंश सिंह ने तत्काल पुलिस अधीक्षक से तिवारी के उपचार की व्यवस्था बनाने को कहा। फिर मेरे निवास पर थानेदार दोहरे चार पुलिस वालों के साथ पहुंचे व मुझे व मेरे पुत्र को वाहन में बैठाकर जिला अस्पताल ले गये। चिकित्सालय में ड्यूटी डाक्टर सिरसाम ने पर्ची कटवाकर खून बहते घाव में मरहम पट्टी करवाकर और टिटनेस इत्यादि के दो इंजेक्शन लगवाकर तथा दवाई-गोली देकर उसी पुलिस वाहन से घर वापिस भिजवा दिया। ड्यूटी डाँक्टर को मैने बताया था कि पुलिस वालों ने मुझे बुरी तरह डंडों से पीटा है। इन घावों के साथ ही शरीर के अन्य अंगों पर भी भारी दर्द व डंडे के निशान हैं इसके बाद भी मेरा मुलाहजा ना करके मुझे तुरंत घर भिजवा दिया गया।
कर्फ्यू लगाने के बाद बिना पर्याप्त उद्घोषणा और नागरिकों को घर पहुंचने का समय दिये बगैर सड़क से जाते निर्दोष नागरिकों पर बेवजह पुलिस लाठी चार्ज करना पुलिस बल की संवेदनहीन कार्यप्रणाली का घोतक है। दोषी पुलिस कर्मियों पर तत्काल कार्यवाही की उन्होंने जिला प्रशासन से मांग जेपीएस तिवारी ने अपनी आप-बीती मे की है।

सिवनी : आठ दिन बाद सर्वधर्म सद्भाव की याद आई प्रशासन को!


आठ दिन बाद सर्वधर्म सद्भाव की याद आई प्रशासन को!

(हिमांशु कौशल)

सिवनी (साई)। लॉ एण्ड आर्डर को प्रशासन आज भी खेल ही समझ रहा है। जब समाज के जिम्मेदार लोगों ने 7 फरवरी को दोपहर थाने में आई जी से धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था की बात कही तब प्रशासन ने इसे अनसुना कर दिया। अब प्रशासन को अचानक धर्म गुरूओं की याद आ गई और जिम्मदार कलेक्टर ने अपर कलेक्टर से धर्म गुरूओं की बैठक करवा दी जेसे अपर कलेक्टर ने कर्फ्यू लगाया हो।
कर्फ्यू को लेकर जिला प्रशासन कितना चाक चौबंद है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कर्फ्यू  जैसी परिस्थितियों के निर्मित होने का आभास लगाने में असफल रहा जिला प्रशासन सर्वधर्म सम्भाव के लिए धर्मगुरूओं को एक साथ नहीं बिठा सका। अंततः प्रशासन को धर्मगुरूओं की याद कर्फ्यू लगने के आठ दिन बाद आई।
शासकीय विज्ञप्ति के अनुसार नगर के सर्व धर्मगुरूओं ने नागरिकों से शांति और संयम बरतकर हर हाल में हर संभव तरीके से शहर में अमन-चौन कायम रखने की अपील की है। धर्मगुरूओं ने कहा है कि हम सब भारतवंशी है, आपसी सौहार्द्र और शांतिप्रियता सदियों से हमारी संस्कृति रही है। हम सभी अपनी इस गौरवमयी संस्कृति के संवाहक और शांतिदूत बने।
शासकीय विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि धर्मगुरूओं ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में नगर में शांति कायमी के लिये प्रशासन द्वारा आहूत सर्व धर्मगुरूओं की एक संयुक्त बैठक में नागरिकों से यह अपील की। बैठक की अध्यक्षता अपर कलेक्टर श्री आर.बी. प्रजापति ने की। इस मौके पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री मुकेश श्रीवास्तव, सिटी मजिस्ट्रेट श्री चन्द्रशेखर शुक्ला, नगर निरीक्षक श्री हरिओम शर्मा, नगर के सभी मंदिरों के महन्त/पुजारी, मस्जिदों के मौलवी, गुरूद्वारा प्रमुख, पादरी सहित सर्व धर्मगुरूजन, प्रबुद्वजन एवं वरिष्ठजन उपस्थित थे।
विज्ञप्ति के अनुसार बैठक में सर्वधर्म समभाव की भावना के अनुरूप सभी ने नागरिकों से अपील की कि सभी एक दूसरे के धर्म एवं पूजा स्थलों का सम्मान करें और अपने मोहल्ले व शहर में शांति बहाली के लिये प्रशासन की मदद करें। धर्मगुरूओं ने कहा कि शहर हम सबका है, हम सभी को मिलजुलकर रहना है, इसलिये कोई भी नागरिक अपनी धाघ्मक पूजा/उपासना की कोई नई परम्परा स्थापित न करें और पूर्व स्थापित परम्पराओं का ही पालन कर एक अश्छे और जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दें। बैठक में सभी समाज के धर्मगुरूओं और प्रबुद्वजनों द्वारा अपने-अपने तरीके से सभी नागरिकों से शांति बरतने की अपील की गई। बैठक में अपर कलेक्टर श्री आर.बी. प्रजापति, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री मुकेश श्रीवास्तव ने धर्मगुरूओं से अपील की कि वे सभी से नगर में शांति बहाली के लिये प्रशासन व पुलिस का हर तरीके से सहयोग करने के लिये कहें।
वहीं दूसरी ओर राजनैतिक दल के नेता भी इस बात के लिए मन मसोसे हुए हैं कि जिला प्रशासन ने उन्हें भी विश्वास में नहीं लिया और उनकी बैठक कर उनके माध्यम से भी शांति बनाने की अपील नहीं की गई। आज संपन्न हुई धर्म गुरूओं की बैठक के ओचित्य पर लोग प्रश्नचिन्ह इसलिए भी लगा रहे हैं क्योंकि यह बैठक 7 फरवरी को दिन में अथवा आठ को या फिर कर्फ्यू में ढील दिए जाने के समय 9 फरवरी को ही धर्मगुरूओं के अलावा राजनैतिक दलों के नेताओं को भी सर जोड़कर बिठाकर इसका हल निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही साथ 1992 के कर्फ्यू के दौरान सक्रिय रहे नेता, धर्मगुरू और पत्रकारों की सेवाएं भी जिला प्रशासन को लेना चाहिए था ताकि स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाकर उसे संभाला जाता। वस्तुतः एसा हुआ नहीं।
यहां उल्लेखनीय बात यह है कि धर्म गुरूओं की उक्त बैठक की अध्यक्षता भी अपर कलेक्टर आर.बी.प्रजापति ने की। कर्फ्यू लगा देने के बाद कलेक्टर ने इतनी जहमत क्यों नहीं उठाई कि परिस्थितियों की संवेदनशीलता को देखते हुए वे स्वयं बैठक लें ताकि आमंत्रितजन बैठक में कही गई बातों को गंभीरता से लें। अगर कलेक्टर बैठक लेते तो बैठक की गंभीरता और महत्व अलग होता। किन्तु बैठक की अध्यक्षता अपर कलेक्टर से करवाकर उन्होंने साबित कर दिया कि कर्फ्यू के दरम्यान लॉ एण्ड ऑर्डर के प्रति वे गंभीर नहीं थे।
वहीं प्रशासन ने जिन धर्मगुरूओं को आमंत्रित किया था उनके नाम भी छुपा लिए। एसे में नागरिकों को कैसे पता चलेगा कि प्रशासन ने किन्हें आमंत्रित किया और किन्होंने शांति की अपील की। कम से कम लोगों को यह तो पता चलना चाहिए था कि उनके धर्म के किस गुरू को प्रशासन ने आमंत्रित किया था और किन्होने शांति की अपील की है, या प्रशासन ने जिसे चाहे उठा लिया और और शांति की अपील की एक विज्ञप्ति बना अखबारनवीसों को दे दी जिससे उच्चाधिकारियों को संतुष्ट किया जा सके।

आठ बच्चों की मां और कर ली दमाद से ही शादी!


आठ बच्चों की मां और कर ली दमाद से ही शादी!

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। राज्य के समस्तीपुर जिले में रिश्ते की मर्यादा को तार-तार करते हुए 8 बच्चों की मां ने अपने ही दामाद से शादी रचा ली। हालांकि, बाद में बदनामी की वजह से उसने जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। अशोक कुमार यादव की शादी दो साल पहले बेगूसराय के छौराही थाने में डुमरी गांव की रहने वाली गंगो देवी की बड़ी बेटी के साथ हुई थी। शादी के बाद गंगो देवी अपनी बेटी और दामाद के साथ खगड़िया के होटेल में काम करने लगी। तीनों एक ही साथ हसनपुर थाने के मल्हीपुर गांव में एक छोटे से कमरे में रहने लगे। इसी दौरान सास और दामाद में प्यार हो गया और दोनों ने शादी रचा ली। इसके बाद मां ने अपनी बेटी को घर से निकाल दिया।
गांव के लोगों को पूरे मामले की जानकारी मिली, तो पंचायत बुलाई गई। पंचायत में भी दोनों ने अलग होने से इनकार करते हुए एक साथ जीने-मरने की बातें कीं। इसके बावजूद पंचायत सामाजिक मान्यताओं का हवाला देते हुए दोनों पर अलग होने का दबाव बनाती रही। जब दोनों नहीं माने, तो महिला के बड़े बेटे को बुलाने का फैसला किया गया। इसकी खबर मिलने महिला ने जहर खा लिया। बेहोशी की हालत में महिला को ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच, पटना रेफर कर दिया गया।

अंत्योदय मेले में आएंगे मुख्यमंत्री


अंत्योदय मेले में आएंगे मुख्यमंत्री

(राजीव सक्सेना)

ग्वालियर (साई)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 18 फरवरी को ग्वालियर प्रवास पर पधार रहे हैं। मुख्यमंत्री इस दिन शहर में आयोजित होने जा रहे अंत्योदय मेले में हजारों हितग्राहियों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रूपए की इमदाद बांटेंगे। साथ ही ग्वालियर शहर के विकास के लिये सौगातों का पिटारा खोलकर करोड़ों रूपए के कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास भी इस दौरान करेंगे।
कलेक्टर पी नरहरि ने मुख्यमंत्री के मुख्य आतिथ्य में आयोजित होने जा रहे अंत्योदय मेले की तैयारियों की गुरूवार को विस्तार से समीक्षा की। साथ ही लोकार्पण एवं शिलान्यास के लिये चिन्हित कार्यों के बारे में विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली। कलेक्टर नरहरि एवं पुलिस अधीक्षक डॉ. जी के पाठक ने बैठक में निर्देश दिये कि अंत्योदय मेले और मुख्यमंत्री के अन्य कार्यक्रमों की सभी तैयारियों को इस तरह से अंजाम दें, जिससे सभी कार्यक्रम सुव्यवस्थित ढंग से आयोजित हो सकें। साथ ही शहर का आवागमन भी बाधित न हो।
बैठक में बताया गया कि 18 फरवरी को ग्वालियर में अंत्योदय मेला फूलबाग मैदान और वीरांगना लक्ष्मीबाई समाधि के सामने वाले मैदान में से किसी एक मैदान में आयोजित होगा। यातायात व्यवस्था और मेले में आने वाले हितग्राहियों की सुविधाओं संबंधी सभी पहलुओं पर विचार कर जल्द ही अंत्योदय मेले का स्थान तय कर दिया जायेगा।
बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आशीष कुमार गुप्ता, अपर कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह व शिवराज वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी व वीरेन्द्र कुमार जैन तथा अपर आयुक्त नगर निगम दौलतानी सहित जिले के सभी एसडीएम एवं विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 18 फरवरी को प्रस्तावित ग्वालियर प्रवास के दौरान अंत्योदय मेला परिसर में ही सामूहिक रूप से अर्थात एक साथ ग्वालियर शहर के विकास कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास करेंगे। इस अवसर पर अकेले नगर निगम के ही करीबन 135 करोड़ रूपए लागत के कार्यों की सौगात शहरवासियों को मिलेगी। इसके अलावा अन्य विभागों के कार्यों का भी शिलान्यास व लोकार्पण होगा। 

जिला स्तरीय अंतर थाना खेल प्रतियोगिता सम्पन्न


जिला स्तरीय अंतर थाना खेल प्रतियोगिता सम्पन्न

(महेंद्र देशमुख)

बालाघाट (साई)। जिले के नक्सल प्रभावित एवं आदिवासी अंचलों की खेल प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए म.प्र. शासन के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा युवा अभियान के अंतर्गत 12 फरवरी 2013 को पुलिस ग्राउंड में खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। खेल अधिकारी गजेन्द्र सिंह वर्धमान के मार्गदर्शन में आयोजित इस प्रतियोगिता में 300 खिलाड़ियों ने भाग लेकर अपने खेल कौशल का प्रदर्शन किया।
खेल प्रतियोगिता के समापन अवसर पर रक्षित निरीक्षक आनंद सोनी के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मुख्य अतिथि सोनी द्वारा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरूस्कार प्रदान किये गये। व्हालीवाल प्रतियोगिता में किरनापुर ने प्रथम व वारासिवनी ने द्वितीय, कबड्डी में बालाघाट ने प्रथम व लालबर्रा ने द्वितीय तथा क्रिकेट में बालाघाट ने प्रथम व वारासिवनी ने द्वितीय स्थान हासिल किया। रस्साकसी में बालाघाट विजेता रही। 10 किलोमीटर की मिनी मेराथन में कटंगी के लोकेश ने प्रथम, किरनापुर के चन्द्रशेखर ने द्वितीय व बालाघाट के लव कुमार ने तृतीय स्थान हासिल किया।
जिला प्रशिक्षक  सजिन्द्र कृष्णन ने बताया कि इस प्रतियोगिता के आयोजन में श्रीमती सुनीता सिद्धिकी, नारायण बिसेन, केदारनाथ ठाकरे, समन्वयक कुमारी योगिता कावड़े, अनुप परिहार, कुमारी ममता बिसेन, श्रीमती रीना रत्नेरे, गणपति कोरडे, मोहसिन खान, शिव तारण, मोहन पंचभोई, शिव कुमार उपराड़े, राजेन्द्र सहारे का सराहनीय योगदान रहा।

सांईखेड़ा बनेगी नई तहसील- मुख्यमंत्री की घोषणा


सांईखेड़ा बनेगी नई तहसील- मुख्यमंत्री की घोषणा

(संजय कौशल)

नरसिंहपुर (साई)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सांईखेड़ा को नरसिंहपुर जिले की नई तहसील बनाने की घोषणा गाडरवारा के जिला स्तरीय अंत्योदय मेले में बुधवार को की। इस मौके पर चौहान ने एक लाख से अधिक के विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में फीडर सेपरेशन का कार्य तेजी से हो रहा है। नरसिंहपुर जिले के सभी गांवों में आगामी मई माह के अंत तक 24 घंटे बिजली मिलने लगेगी। उन्होंने घोषणा की कि कठौतिया-गाडरवारा में पीतल व दाल मिल समेत अन्य उद्योगों के विकास के लिए 49 करोड़ रूपये की लागत से औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की जायेगी।
जिला स्तरीय अंत्योदय मेले के माध्यम से 2 लाख 36 हजार 237 हितग्राहियों को 136 करोड़ 13 लाख 50 हजार रूपये से अधिक का लाभ दिया गया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न हितग्राहियों को प्रतीक स्वरूप चौक, स्वीकृति पत्रक, प्रमाण पत्र आदि वितरित किये। उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत सानिया एवं खुशी को राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र प्रदान किये।
श्री चौहान ने गाडरवारा शहर में विभिन्न विकास कार्यों को कराने के लिए 5 करोड़ रूपये की राशि मुहैया कराने की बात कही। उन्होंने गाडरवारा नगरपालिका सीमा क्षेत्र में वृद्धि, जल आवर्धन योजना, विभिन्न स्कूलों के उन्नयन समेत विभिन्न क्षेत्रीय मांगों की पूर्ति के लिए आवश्यक पहल करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि यहां अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास भी बनाया जायेगा।
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि उत्पादन में नरसिंहपुर जिला अग्रणी बन सकता है, इसके लिए वे कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। अंत्योदय मेलों का आयोजन पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के अनुरूप पूरे प्रदेश में किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य है दीन-दुखियों की सेवा और गरीबों के आंसू पौंछना। मध्यप्रदेश सरकार समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए कटिबद्ध है। खेती को लाभ का धन्धा बनाने के लिए सरकार ने हर संभव कदम उठाये हैं। आज मध्यप्रदेश बीमारू राज्यों की श्रेणी से निकलकर कृषि उत्पादन के क्षेत्र में भारत में पहले नम्बर पर आया है, जिसके लिए भारत सरकार की ओर से राष्ट्रपति ने मध्यप्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार दिया है। इस पुरस्कार के लिए प्रदेश के सभी किसान बधाई के पात्र हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें किसानों की चिंता है। किसानों की बिजली बिल की समस्या के निदान के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने प्रावधान किया है कि अब किसानों को वर्ष में केवल दो बार ही बिजली का बिल रबी एवं खरीफ की फसल आने पर जमा करना होगा। बिजली बिल की राशि प्रति हार्स पावर 1200 रूपये प्रतिवर्ष के मान से ली जायेगी। पांच हार्स पावर के सिंचाई पम्प के लिए एक वर्ष में कुल 6 हजार रूपये का बिजली बिल देना होगा। यह बिजली का बिल दो किस्तों में तीन-तीन हजार रूपये के मान से देय होगा। यह योजना आगामी एक अप्रैल से लागू होगी। पुराने बिजली के बिलों को जमा करने में भी प्रदेश शासन सहूलियत देगा।
श्री चौहान ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा गेंहूँ का समर्थन मूल्य 1350 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। मध्यप्रदेश सरकार इस समर्थन मूल्य पर प्रति क्विंटल 150 रूपये का बोनस देकर गेंहूँ 1500 रूपये प्रति क्विंटल के मान से खरीदेगी। सरकार ने पाला को प्राकृति विपदा में शामिल कराया है। तुषार-पाला के सर्वे के निर्देश दिये गये हैं और उदारता पूर्वक सर्वे करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण गारंटी योजना लागू की गई है। शिक्षा ऋण के लिए सरकार गारंटी देगी और पैसे के अभाव में कोई भी विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उद्योगों में 50 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जायेगा, इसके लिए उद्योगपतियों से एम.ओ.यू. किया गया है। प्रदेश में कौशल विकास केन्द्र विकसित किये जा रहे हैं। प्रदेश में भरपूर बिजली मिलने से गांव-गांव में छोटे-छोटे उद्योग लगाये जायेंगे। युवकों को उद्योग लगाने को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एक अप्रैल से लागू की जायेगी। इस योजना के लिए बजट में पर्याप्त राशि का प्रावधान किया जायेगा। इस योजना के लिए बैंकों से एम.ओ.यू. किया जायेगा। उद्योग लगाने के लिए 25 लाख रूपये तक का ऋण मुहैया कराया जायेगा, जिसकी गारंटी मध्यप्रदेश सरकार लेगी। आगामी 5 वर्षों के भीतर मध्यप्रदेश को देश का अव्वल राज्य बनायेंगे, पूरे मध्यप्रदेश में अधोसंरचना विकास के व्यापक कार्य कराये जायेंगे। मध्यप्रदेश सरकार मुख्यमंत्री युवा कान्ट्रेक्टर योजना लागू करेगी, इस योजना में युवकों को न केवल प्रशिक्षण दिया जायेगा बल्कि प्रयास किये जा रहे हैं कि उन्हें कार्यशील पूँजी भी मुहैया कराई जावे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब सभी सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की दवाईयां निःशुल्क उपलब्ध कराने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटैल निःशुल्क औषधि वितरण योजना लागू की गई है। सरकारी अस्पतालों में विभिन्न प्रकार की पैथालॉजी जांच भी निःशुल्क की जा रही हैं।
मध्यान्ह भोजन में बुजुर्गों के भोजन की व्यवस्था भी की गई है। माता-पिता भरण-पोषण कानून में अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करने वाली संतानों को दंड देने का प्रावधान किया गया है। इस कानून में 3 माह तक की सजा का प्रावधान है। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को 17 स्थानों की तीर्थयात्रा कराई जा रही है, इस योजना में सभी धर्मों के तीर्थ स्थल शामिल हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं लागू की गई हैं। केवल बेटी वाले 60 साल से अधिक के दम्पत्तियों के लिए पेंशन का प्रावधान किया गया है। महिलाओं के प्रति अपराधों को गंभीरता से लिया जा रहा है। अपराधियों के ड्राईविंग एवं बंदूक के लायसेंस रद्द किये जायेंगे और सरकारी नौकरी भी इन अपराधियों को नहीं मिलेगी। पंचों से लगाकर सभी निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि की गई है। उन्होंने विकास कार्यों में सहयोग के लिए आम जनता को संकल्प दिलाया। कार्यक्रम का संचालन जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष कैलाश सोनी ने किया। 

बापू का हस्तलिखित पत्र बिका 96 लाख में


बापू का हस्तलिखित पत्र बिका 96 लाख में

(अभिलाषा)

लंदन (साई)। महात्मा गांधी के हाथों लिखे ख़त की नीलामी से पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि वो ख़त ज़्यादा से ज़्यादा 10 से 15 हज़ार पाउंड में बिकेगा। लेकिन जब नीलामी हुई तो नतीजा कुछ और निकला।
गांधी ने वो ख़त 1943 में लिखा था जब अंग्रेज़ों ने उन्हें क़ैद कर रखा था। उस ख़त में गांधी ने अपनी आज़ादी की गुहार लगाई थी। ब्रिटेन में लडलो के शहर श्रौपशायर में हुए नीलामी के बाद नीलामी करने वाली संस्था मलौक्स के मालिक रिचर्ड वेस्टवुड ब्रुक्स ने कहा, कि मुझे यक़ीन है कि किसी भी भारतीय नेता के ज़रिए लिखे गए पत्र की अबतक की ये सबसे बड़ी क़ीमत लगी है।
ब्रुक्स के अनुसार गांधी का ये ख़त एक भारतीय नागरिक के पास था जो स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी के साथ थे। ब्रुक्स के मुताबिक़ भारतीय नागरकि ने वो ख़त इसलिए नीलाम कर दिया क्योंकि उससे मिलने वाली रक़म के ज़रिए उन्हें अपने घर का ख़र्च चलाना था। ख़त पर बंदीगृह का पता लिखा है और 26 अक्तूबर, 1943 की तारीख़ पड़ी हुई है।
ब्रुक्स के मुताबिक़ ये ख़त अब तक नीलाम किए गए गांधी के महत्वपूर्ण ख़तों में से एक है क्योंकि इससे भारत की आज़ादी के लिए गांधी की ख़ुफ़िया बातचीत का पता चलता है।भारत के तत्कालीन अतिरिक्त सचिव को लिखे गए इस ख़त में गांधी अपनी और अपने समर्थकों की रिहाई की अपील करते हैं। इसी संस्था ने पिछले साल गांधी के चश्मे और उनकी कुछ धार्मिक किताबें नीलाम की थीं।

बिना सिर वाले बच्चे को जन्म दिया महिला ने


बिना सिर वाले बच्चे को जन्म दिया महिला ने

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। मुंबई में 30 वर्षीय महिला ने जुडवां बच्चे को जन्म दिया। आश्चर्य की बात ये है कि एक बच्चे का सिर ही नहीं है। एक बच्चा जहां बिल्कुल स्वस्थ पैदा हुआ, वहीं दूसरे बच्चे का सिर ही नहीं था। मेडिकल टर्म में इस अविकसित भ्रूण को एकार्डिया बेबी के नाम से जाना जाता है।
गुरुवार को न्यू मरीन लाइंस इलाके के एक हॉस्पिटल में महिला ने इन बच्चों को जन्म दिया। महिला का प्रसव कराने वाली डॉक्टर शिल्पा अंबेकर के मुताबिक अविकसित बच्चे को देखकर उसके माता-पिता अभी भी सदमे में हैं। महिला को प्रेग्नेंसी के पांचवें महीने में इस बारे में बता दिया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें अबॉर्शन का सुझाव दिया था, लेकिन वह नहीं मानीं। महिला ने यह कहते हुए मना कर दिया कि इससे दूसरे जुड़वां बच्चे को नुकसान होगा।
डॉक्टर शिल्पा ने बताया कि जुड़वां बच्चों में से एक लड़का है। वह बिल्कुल स्वस्थ है। जबकि दूसरे अविकसित भ्रूण का सिर्फ पेट है। उसका सिर, गर्दन और चेहरा नहीं है। उसकी उंगलियां भी पेट से जुड़ी हुई हैं। डॉक्टरों के मुताबिक एकार्डिया बेबी जैसी घटना जुड़वां के केस में ही देखी जाती है। 40 हजार में एक केस इस तरह का होता है। जुड़वां बच्चों के एक ही एग से विकसित होने पर यह समस्या आती है। एकार्डिया बेबी गर्भ में परजीवी की तरह जीवित रहता है। वह दूसरे भ्रूण से पोषण और खून लेता रहता है।