बुधवार, 3 जुलाई 2013

किसानों के हितसंवर्धन के लिए कलेक्टर हुए संजीदा

किसानों के हितसंवर्धन के लिए कलेक्टर हुए संजीदा

(जितेश अवधवाल)

सिवनी (साई)। कलेक्टर श्री यादव ने जिले के कृषकों को अगामी खरीफ एवं रवी की फसलों में उत्तम गुणवत्ता के कृषि आदानों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने एवं बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक औषधि की कालाबाजारी एवं अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने हेतु निम्नानुसार विशेष उड़नदस्ता दल/समिति का गठन किया गया है।
यह उड़न दस्ता समय-समय पर अभियान चलाकर कृषि आदान वितरण संस्थान/निजी विक्रेताओं की संघन जांच एवं निरीक्षण करेंगे तथा बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक दवाईयों के अवैध व्यापार पर अंकुश लगा कर उन प्रतिष्ठानों/दुकानों के संचालकों पर कार्यवाही करेंगे। साथ ही समिति द्वारा आदान सामग्री के नमूने लेेकर परीक्षण हेतु गुण नियंत्रण प्रयोगशाला में भेजे जायेगें।

इस दल/समिति के दल प्रभारी- अनुविभागीय दण्डाधिकारी (संबंधित उप संभाग) संबंधित विकासखण्ड होगें, वहीं सदस्य के रूप में सहायक संचालक, कृषि (उपसंचालक के प्रतिनिधि) विकासखण्ड-सिवनी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड सिवनी/लखनादौन, व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड सिवनी, व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड-बरघाट, व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड- केवलारी, व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड -कुरई, व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड-छपारा, व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड-लखनादौन, व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड-घंसौर एवं व.कृ.वि.अ. एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी निरीक्षक विकासखण्ड -धनौरा होगें।

एसडीएम के छापे से दवा व्यवसाई सकते में!

एसडीएम के छापे से दवा व्यवसाई सकते में!

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। आज अपरान्ह अनुविभागीय दण्डाधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस एवं ड्रग इंस्पेक्टर के संयुक्त छापे की कार्यवाही से शहर के दवा व्यवसाईयों में हडकंप मच गया। छापे की यह कार्यवाही चुनिंदा दवा विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों पर होने से चर्चाओं का बाजार भी गर्मा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसडीएम चंद्रशेखर शुकल, एसडीओपी संजीव उईके एवं स्वास्थ्य विभाग के दवा निरीक्षक द्वारा आज अपरान्ह संयुक्त तौर पर दवा प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया। बारापत्थर से आरंभ हुई इस कार्यवाही में बारापत्थर में आधा दर्जन से अधिक मेडीकल स्टोर्स में से महज चार में ही निरीक्षण किया गया।
छापामार दस्ता इसके उपरांत बारापत्थर से शहर की ओर कूच कर गया जहां उसने चुनिंदा दवा विक्रेताओं के प्रतिष्ठान में जाकर क्वालिफाईड पर्सन जिसके नाम से दवा दुकान का लाईसेंस है, लाईसेंस, स्टाक रजिस्टर, एक्सपाईरी डेट का स्टाक आदि का निरीक्षण किया।
दवा व्यवसाईयों में चल रही चर्चाओं के अनुसार यह छापामारी किसी की शिकायत पर ही की जा रही होगी, एसडीएम के नेतृत्व में यह छापेमारी लंबे समय के उपरांत की गई है। इसमें अनेक दवा दुकानों की ओर छापामार दल द्वारा ना देखा जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

कमल नाथ के स्वागत में नदारत रहे हुकुम!

कमल नाथ के स्वागत में नदारत रहे हुकुम!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के समक्ष कांग्रेस की रीति नीति से प्रभावित होकर कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह का कमल नाथ के आगमन पर गायब रहना लोगों के लिए शोध का विषय बन चुका है। 13 जून को कमल नाथ के सिवनी आगमन पर ना हुकुम दिखे, ना उनके बेनर पोस्टर्स और ना ही मीडिया में ही कहीं उनकी चर्चा।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह ने घंसौर में ही 2008 में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके उपरांत वे कमल नाथ के अनुयायी माने जाने लगे थे।
बताया जाता है कि इसी बीच उस समय के जिले के कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र बने हरवंश सिंह ठाकुर से उनका गहरा नाता हो गया था, जिसके चलते जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह ने अपनी निष्ठा हरवंश सिंह के प्रति जतानी आरंभ कर दी थी।
बताया जाता है कि पिछले कुछ समय से हरवंश सिंह भी जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह की कारगुजारियों से नाराज थे। संभवतः यही कारण है कि कुंवर शक्ति सिंह का बर्रा दरबार से पत्ता ही साफ हो गया था। वहीं कांग्रेस के अंदर यह भी चर्चा चल रही है कि जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह अब यह भी कह रहे हैं कि हरवंश सिंह ने उनसे कहा था कि अगर वे (हरवंश सिंह) लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो हुकुम अपनी केवलारी से तैयारी रखें। इन बातों में कितनी सच्चाई है इस बारे में वे ही जानते होंगे।
बहरहाल जब 13 जून को कमल नाथ का सिवनी आगमन हुआ तब जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह के समर्थक, बेनर पोस्टर्स सहित वे मीडिया से भी गायब रहे। कमल नाथ के आगमन के उपरांत मीडिया में हुकुम की केवलारी से सशक्त दावेदारी की खबरें अवश्य ही आम हो गईं।
एक कांग्रेस के नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर साई न्यूज से कहा कि जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह इतने बड़े नेता तो हैं नहीं कि उनके पक्ष में इस तरह की खबरों से मीडिया पट जाए। जाहिर है यह उनका ही अपना प्रयास होगा। वे चाहते तो कमल नाथ के आगमन के दौरान भी उनके स्वागत में कम से कम अपने मुठ्ठी भर समर्थकों को तो भेज ही सकते थे, वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं।
पिछले दिनों कमल नाथ के एक कट्टर समर्थक के साथ सार्वजनिक तौर पर हुकुम ने डेढ़ घंटे चर्चा की तो इस बात का कयास लगाया जाने लगा है कि एक बार फिर कमल नाथ के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता लेने के उपरांत कमल नाथ को ही भूलने वाले जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह अब फिर से कमल नाथ केंप में एंट्री की संभावनाएं तलाश कर रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

डॉ.सोनी के बूते की बात नहीं अस्पताल में प्रशासन!

डॉ.सोनी के बूते की बात नहीं अस्पताल में प्रशासन!

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। प्रियदर्शनी स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी के नाम से सुशोभित जिला चिकित्सालय में जबसे सिविल सर्जन की कमान डॉ.सत्यनारायण सोनी को सौंपी गई है, तबसे यहां की व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। कर्मचारियों में अंदर ही अंदर यह बात तेजी से फैल रही है कि जिला चिकित्सालय में प्रशासन की बात डॉ.सत्यनारायण सोनी के बूते की नहीं रह गई है।
जिला चिकित्सालय में जहां तहां गंदगी का साम्राज्य पसरा हुआ है। अस्पताल के कर्मचारी इस कदर निरंकुश हो चुके हैं कि उन्हें वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का भी भय नहीं बचा है। मरीजों के परिजनों से पेरामेडीकल स्टाफ द्वारा सदा ही दुर्वयवहार की शिकायतें मिल रही हैं।
डॉ.सत्यनारायण सोनी जिला चिकित्सालय में अस्सी के दशक से पदस्थ हैं। लंबे समय से सिवनी में जमे रहने का राज भी लोगों की समझ से परे ही नजर आ रहा है। बीते दिनों भोपाल से आया वरिष्ठ अधिकारियों का दल अवश्य ही जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं देखकर संतुष्ट हुआ होगा।
जब निरीक्षण (औचक नहीं घोषित) चल रहा था तब चिकित्सक बाकायदा एप्रिन में तो बाकी कर्मचारी वर्दियों में मुस्तैद नजर आ रहे थे। उस समय चिकित्सालय में मरीजों के परिचारकों से अस्पताल के कर्मचारियों का व्यवहार देखते ही बन रहा था। कर्मचारियों के मुंह से भद्दी गाली के बजाए फूल झड रहे थे।

जिला चिकित्सालय में चहुंओर गंदगी पसरी हुई है। गंदगी को एकत्र करने वाले डस्ट बिन जगह जगह ना लगाए जाकर ब्लड बैंक और चिकित्सकों के कक्षों के बीच के खाली स्थान में पानी और धूप खा रहे हैं (चित्र देखें)। पर इसकी सुध ना तो डॉ.सत्यनारायण सोनी ही ले रहे हैं और ना ही किसी अन्य को ही इसकी चिंता है।

अटल ज्योति या अटक ज्योति!

अटल ज्योति या अटक ज्योति!

(शरद खरे)

लोगों को बिजली, पानी, सुरक्षा, भोजन की व्यवस्था करना सरकार की महती जवाबदेही है। इसके लिए सरकार को हर स्तर पर हर संभव प्रयास करना आवश्यक होता है। सरकारों का दीन ईमान अब नहीं बचा है। यही कारण है कि सरकारें अब लोगों की बुनियादी जरूरतों की तरफ ध्यान देना मुनासिब नहीं समझती हैं। सरकारों को अपनी रियाया की कोई चिंता नहीं रह गई है।
बड़े बूढ़े बताते हैं कि जब देश पर ब्रितानी हुकूमत थी, उस वक्त लोगों द्वारा पानी और प्रकाश की मांग की जाती थी तो क्रूर शासक लोगों पर कोड़े बरसाते हुए यह कहते कि पानी और प्रकाश देना उनका काम नहीं है। पानी के लिए घरों में कुएं खोदो और प्रकाश की व्यवस्था स्वयं ही करो।
आज आजादी के साढ़े छः दशकों के बाद भी देश प्रदेश की हालत उस समय से बदतर ही नजर आ रही है। आज के समय में लोग पानी, बिजली, साफ सफाई आदि बुनियादी व्यवस्थाओं को तरस ही रहे हैं। इसमें सिवनी जिला कोई अपवाद की श्रेणी में नहीं आता है सिवनी जिले में भी पानी और प्रकाश का अभाव साफ दिखाई पड़ जाता है।
सूबे के निजाम 22 जून को सिवनी में अटल ज्योति अभियान का श्रीगणेश करके चले गए हैं। सरकार का दावा है और आज भी वह जनसंपर्क विभाग के माध्यम से यह दावा कर रही है कि अब सिवनी जिले को चौबीसों घंटे बिजली हर हाल में मिलेगी। जिला मुख्यालय के उपनगरीय क्षेत्रों में बिजली का आलम वही है जो अटल ज्योति के श्रीगणेश के पहले हुआ करता था।
मजे की बात तो यह है कि इस संपादकीय को लिखने बैठे और शहर की बिजली ही गोल हो गई। हो सकता है तकनीकि गड़बड़ी के चलते दस पांच मिनिट को लाईट गोल हुई हो, किन्तु शहर के उपनरीय क्षेत्र डूंडा सिवनी, लूघरवाड़ा, लखनवाड़ा आदि में लाईट की आंख मिचौली अभी भी जारी ही है।
केवलारी और बरघाट विधानसभा की हालत लाईट के मामले में बहुत ही दयनीय है। अटल ज्योति अभियान के आरंभ होने के बाद भी लाईट का बुरा हाल है दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में। दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों के तीन दर्जन से ज्यादा गांव के वाशिंदे आजादी के बाद से लाईट के इंतजार में हैं।
इन गांवों में लाईट का ना होना आश्चर्यजनक इसलिए भी है क्योंकि इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कांग्रेस और भाजपा के कद्दावर नेताओं ने विधानसभा और लोकसभा में किया है। आजादी के बाद साढ़े छः दशकों में भी कांग्रेस भाजपा के नुमाईंदों द्वारा लाईट के लिए इन गांव वालों की सुध ना लिया जाना अपने आप में अनोखा ही मामला है।
विद्युत मण्डल के अधिकारी इन गांवों को वनबाधित ग्राम मानते हैं। वनबाधित क्या चीज होती है। जहां लोग रह रहे हैं, अगर वह वनबाधित क्षेत्र है तो उन्हें वहां से विस्थापित किया जाना चाहिए था, वस्तुतः जो हुआ नहीं। अगर विस्थापित नहीं किया गया तो उन्हें बिजली मुहैया करवानी चाहिए थी।
सरकारी चाल किस मंथर गति से चल रही है इसका साफ उदहारण है। ये गांव। इन गांवों में आजादी के उपरांत साढ़े छः दशकों में सरकारी नस्तियां परवान नहीं चढ़ पाई हैं, जो दुःखद है। एमपीईबी का कहना है कि वन विभाग इस क्षेत्र में केबल के माध्यम से लाईन डालने की बात कह रहा है पर विस्त्रत प्राक्कलन में इसका जिकर नहीं है।
सरकारी स्तर पर बनाए गए विस्त्रत प्राक्कलन या डीपीआर में क्या है, क्या नहीं है, इस बात से बेचारे ग्रामीणों को क्या लेना देना? ग्रामीण तो बस लाईट ही चाह रहे हैं। साढ़े छः दशकों में भी इन गांवों में रोशनी की किरण ना पहुंच पाना, आश्चर्यजनक ही है। जब ग्रामीण स्तर पर यह हाल है तो भला कैसे मान लें कि कांग्रेस भारत निर्माण कर रही है और भाजपा का शाईनिंग इंडिया परवान चढ़ रहा होगा।
सरकारी स्तर पर दावे क्या हैं और इनकी जमीनी हकीकत क्या है इस बात के बारे में जनपद पंचायत घंसौर की अध्यक्ष चित्रलेखा नेताम की बात से स्थिति साफ हो जाती है। उनका कहना है कि एक लाईनमेन के भरोसे 45 गांव की व्यवस्था है। अगर यह सच है तो वाकई जमीनी हालात भयावह ही माने जाएंगे।
एक लाईनमेन भला 45 गांव की व्यवस्था कैसे संभाल सकता है। घंसौर में कुल 77 ग्राम पंचायत में 250 गांव हैं जिनमें लाईनमेन की तैनाती 15 है, इस लिहाज से चित्रलेखा नेताम का कहना सही ही साबित हो रहा है। हालात दयनीय और भयावह हैं, फिर भी मोटी चमड़ी वाले राजनेता और नौकरशाहों के कानों में जूं भी नहीं रेंग रही है।
घंसौर की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि छोटा सा भी फाल्ट आने पर उसे सुधारने में हफ्तों लगना आम बात होगी। घंसौर जहां कि तीन तीन पावर प्लांट प्रस्तावित हैं, जिनकी ठेकेदारी वहीं के नेता नुमा दबंग कर रहे हैं, पर उन्हें भी गांव वालों की सुध लेने की फुर्सत नहीं है।

युवा एवं उत्साही जिला कलेक्टर भरत यादव से अपेक्षा की जाती है कि जिस तरह वे एक एक कर सारे विभागों की मश्कें कस रहे हैं, उसी क्रम में वे मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल को भी अपनी प्राथमिकता पर रखें और जमीनी हालातों पर गौर फरमाकर कुछ ऐसे उपाय करें ताकि गांव के लोग भी बिजली का लाभ ले सकें।