सोमवार, 31 दिसंबर 2012

चिदम्बरम को चुभने लगा है कमल!


चिदम्बरम को चुभने लगा है कमल!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम को अब कमल चुभने लगा है। एफडीआई के मसले पर नए नवेले संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ की बाजीगरी से चिदम्बरम चारों खाने चित्त गिर गए हैं। सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के रणनीतिकारों की नजरों में कमल नाथ का बढ़ता कद चिदम्बरम की आंखों में खटक रहा है। कमल नाथ का हर मोर्चे पर कुशल प्रबंधन वास्तव में चिदम्बरम के 7, रेसकोर्स रोड़ (भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) को आशियाना बनाने के सपनों पर पानी फेरता नजर आ रहा है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के विश्वस्त सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एफडीआई मामले में विपक्षी और संप्रग के घटक दलों को साधने में पलनिअप्पम चिदम्बरम पूरी तरह नाकामयाब रहे थे। वामदलों के विरोध ओर एफडीआई मामले में अमरीका के बढ़ते दबाव ने सोनिया गांधी का रक्त चाप बढ़ाया हुआ था। सोनिया गांधी ने चिदम्बरम की पूरी गोलाई इस मामले में नाप दी थी।
इसी बीच सोनिया गांधी के एक रणनीतिकार ने एफडीआई मामले में कमल नाथ को पाबंद करने का सुझाव दे मारा। कमल नाथ की काबिलियत से परिचित श्रीमति सोनिया गांधी ने बिना एक सेकन्ड की देर किए हुए कमल नाथ को एफडीआई मामले में सरकार के पक्ष में माहोल बनाने का निर्देश दे दिया। कमल नाथ के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि कमल नाथ ने इस काम के लिए सोनिया गांधी से फ्री हेण्ड की डिमांड की, पर सोनिया ने अहमद पटेल को सारी रिपोर्ट्रिग देने की नसीहत के साथ नाथ को काम करने का मौका दे दिया।
सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि कमल नाथ ने अपने प्रभावों का उपयोग कर वामदलों और मायावती को साधना आरंभ किया। वासुदेव आचार्य, गुरूदास दासगुप्ता, मायावती, अगर चिदम्बरम के साथ बैठकर चर्चा को राजी हुए तो वह कमल नाथ की ही बदोलत। वामदलों और मायावती ने सरकार का साथ देने के लिए अपनी शर्तों से कमल नाथ और चिदम्बरम को आवगत करा दिया। बाद में बरास्ता अहमद पटेल सारी बातें सोनिया तक पहुंची और संसद में बच गई कांग्रेस की जान।

चिदम्बरम को चुभने लगा है कमल!


चिदम्बरम को चुभने लगा है कमल!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम को अब कमल चुभने लगा है। एफडीआई के मसले पर नए नवेले संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ की बाजीगरी से चिदम्बरम चारों खाने चित्त गिर गए हैं। सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के रणनीतिकारों की नजरों में कमल नाथ का बढ़ता कद चिदम्बरम की आंखों में खटक रहा है। कमल नाथ का हर मोर्चे पर कुशल प्रबंधन वास्तव में चिदम्बरम के 7, रेसकोर्स रोड़ (भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) को आशियाना बनाने के सपनों पर पानी फेरता नजर आ रहा है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के विश्वस्त सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एफडीआई मामले में विपक्षी और संप्रग के घटक दलों को साधने में पलनिअप्पम चिदम्बरम पूरी तरह नाकामयाब रहे थे। वामदलों के विरोध ओर एफडीआई मामले में अमरीका के बढ़ते दबाव ने सोनिया गांधी का रक्त चाप बढ़ाया हुआ था। सोनिया गांधी ने चिदम्बरम की पूरी गोलाई इस मामले में नाप दी थी।
इसी बीच सोनिया गांधी के एक रणनीतिकार ने एफडीआई मामले में कमल नाथ को पाबंद करने का सुझाव दे मारा। कमल नाथ की काबिलियत से परिचित श्रीमति सोनिया गांधी ने बिना एक सेकन्ड की देर किए हुए कमल नाथ को एफडीआई मामले में सरकार के पक्ष में माहोल बनाने का निर्देश दे दिया। कमल नाथ के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि कमल नाथ ने इस काम के लिए सोनिया गांधी से फ्री हेण्ड की डिमांड की, पर सोनिया ने अहमद पटेल को सारी रिपोर्ट्रिग देने की नसीहत के साथ नाथ को काम करने का मौका दे दिया।
सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि कमल नाथ ने अपने प्रभावों का उपयोग कर वामदलों और मायावती को साधना आरंभ किया। वासुदेव आचार्य, गुरूदास दासगुप्ता, मायावती, अगर चिदम्बरम के साथ बैठकर चर्चा को राजी हुए तो वह कमल नाथ की ही बदोलत। वामदलों और मायावती ने सरकार का साथ देने के लिए अपनी शर्तों से कमल नाथ और चिदम्बरम को आवगत करा दिया। बाद में बरास्ता अहमद पटेल सारी बातें सोनिया तक पहुंची और संसद में बच गई कांग्रेस की जान।

सरकारी नुमाईंदे सो रहे, देशवासी रो रहे


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

सरकारी नुमाईंदे सो रहे, देशवासी रो रहे

16 दिसंबर की रात देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ वह भयावह ही था। अनाम पीडिता के साथ हैवानों ने जो कुछ किया वह निश्चित तौर पर रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है पर उसके उपरांत लगातार तेरह दिन तक जिस तरह देश के युवाओं के मन में आक्रोश दिखा और सरकार का दमन चक्र चला उससे लगने लगा कि निश्चित तौर पर इससे अच्छा तो गोरे ब्रितानियों का ही राज था। कांग्रेस सत्ता में रहकर लोगों पर जुल्म कर रही है तो विपक्ष में रहकर भाजपा द्वारा कांग्रेस का पूरा पूरा साथ दिया जा रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा मिलकर देश को लूटने में लगी हुईं हैं। बाकी के राजनैतिक दल भी इस लूट में अपना अपना हिस्सा लेकर शांत हैं। विरोध दिखावटी ही लगता है। मीडिया भी ध्यान भटकाने के लिए नए नए शिगूफे छोड़ने से पीछे नहीं रहता। कुल मिलाकर नेताओं सहित सरकारी नुमाईंदे सो रहे और देशवासी रो रहे की कहावत ही देश में चरितार्थ होती दिख रही है।

मनमोहन और रेपिस्ट में क्या अंतर है?
दिल्ली में हुए गैंग रेप ने देश ही नहीं समूची दुनिया को हिलाकर रख दिया है। नहीं हिले तो भारत के हुक्मरान! सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर एक अन्य विदेशी पीडिता ने भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह और उनकी सरकार की तुलना बलात्कारियों से ही कर दी है। खूंखार तालिबानियों से लोहा लेने वाली 15 वर्षीय मलाला यूसुफजाई भी दिल्ली में सामूहिक दुराचार से बुरी तरह आहत नजर आ रही है। दिल्ली गैंग रेप पीडिता को सिंगापुर भेजने पर मलाला ने भारत सरकार को आड़े हाथों लिया है। सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट पर मलाला का कहना है कि भारत सरकार और रेपिस्ट में अंतर ही क्या है? बालात्कारियों ने पीडिता को सड़क पर फेंक दिया और भारत सरकार ने उसे सिंगापुर ले जाकर पटक दिया। दोनों ही की हरकत एक समान है, दोनों ही में अंतर क्या रह जाता है?

नपुंसक, निर्लज्ज, निर्मम, संवेदनहीन नेतृत्व में सांसे ले रहा भारत गणराज्य
देश को जगाकर एक दामिनी मौत की नींद सो गई! इस तरह के ट्वीट और फेसबुक अपडेट से अटी पड़ी हैं सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स। कहीं जया बच्चन देश से माफी मांग रहीं हैं तो कही लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। सोनिया कह रहीं कि उसकी मौत जाया नहीं जाएगी! मीडिया भी इन नेताओं की ताल और ठुमरी गान पर अपनी कमर मटका रहा है। किसी भी समाचार चेनल, प्रिंट मीडिया आदि ने इतना नैतिक साहस नहीं दिखाया कि वे सीधे सीधे, प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी, लोस नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, रास के अरूण जेतली आदि को सीधे कटघरे में खड़ा करें। कहां हैं कांग्रेस के तीखे बाण चलाने वाले सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी। आधे से ज्यादा नेता तो साल के अंत में छुट्टियां मनाने दिल्ली से बाहर हैं, सो मीडिया उन पर सवालिया निशान लगाने से रहा।

क्या किया गृह राज्य मंत्री ने!
16 दिसंबर की घटना के बाद एक दिन कुछ पत्रकारों के साथ गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने जिस रूट पर यह बलात्कार कांड हुआ था उसका दौरा किया। जोश में मंत्री जी ने सरकारी बस की सवारी गांठी, ताकि उन्हें पब्लिसिटी मिल सके। बस से जब वे छतरपुर मेट्रो स्टेशन वाले स्टेंड तक गए तो उन्हें रास्ते में एक भी पुलिस की पीसीआर नहीं मिली। उल्टे बस स्टेंड पर रात में खड़ी बस को उन्होंने अपनी नंगी आंखों से मयखाना बना देखा। पुलिस के बारे में मीडिया के पूछने पर बस के अंदर सुरा सेवन करने वाले चालक परिचालकों ने कहा कि पुलिस आती ही होगी और वह भी छककर पिएगी उनके साथ। सकुचाए शर्माए भारत गणराज्य के जिम्मेदार गृह राज्य मंत्री महोदय ने कहा पुलिस अगर इस रूट पर नहीं तो कहीं ना कहीं तो होगी ही! मंत्री जी को पब्लिसिटी तो नहीं मिली पर यह खबर आम होते ही विपक्षी दलों ने भी केंद्र की कांग्रेस सरकार से इस बारे में प्रश्न ना पूछकर उसे क्लीन चिट दे दी। पर मंत्री महोदय से समूचा देश पूछना चाह रहा है कि उस बस यात्रा के बाद उन्होने क्या कार्यवाही की?

हिटलर बन गए मनमोहन
भारत गणराज्य के वजीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह को देश के निवासी कमोबेश मौन मोहन सिंह की उपाधि देते रहे हैं। किसी भी मामले में वे मौन रहना ही पसंद करते हैं। अनाम बाला के साथ जब सामूहिक दुराचार हुआ उसके बाद देश उबल पड़ा। यह उबला सिर्फ दुराचार के खिलाफ नहीं था। देश की जनता बुरी तरह आहत हो चुकी है। कांग्रेस भाजपा के द्वारा देश को लूटने से आजिज आ चुकी जनता ने हुक्मरानों को अपना गुस्सा दिखाया। निर्मम मनमोहन सिंह ने इस गुस्से से भड़ककर बजरिया पुलिस देश की जनता को कुचलना आरंभ कर दिया। वातानुकूलित घर आफिस, कार के आदी हो चुके मनमोहन सिंह सहित सारे नेताओं को इस बात का भान भी नहीं होगा कि दिल्ली की हाड़ गलाने वाली सर्दी में अगर पुलिस आंदोलनकारियों पर ठण्डा पानी फेंक रही है तो वे किस स्थिति से गुजरे होंगे। अबोध बालाओं को पुलिस ने इस तरह पीटा मानो कपड़े धोए जा रहे हों। पुलिस की इस हरकत से साफ हो गया कि मनमोहन सिंह अब हिटलर की भूमिका में आ चुके हैं।

आरक्षक की मौत से भी नहीं पसीजी दिल्ली!
दिल्ली अर्थात देश के हुक्मरान अपने ही एक आरक्षक की मौत से भी नहीं हिले। उसमें भी षणयंत्र का तानाबाना बुना जाने लगा। पुलिस और नेताओं ने कभी भीड़ तो कभी आम आदमी की पार्टी पर इसकी हत्या का आरोप मढ़ने का कुत्सित प्रयास किया। मीडिया ने भी हवा का रूख भांपकर सरकार की ताल पर ठुमके लगाना आरंभ कर दिया। बाद में जब दो पत्रकारों ने कुछ चित्रों के माध्यम से यह बात सार्वजनिक की कि उनके साथ जनता ने उस कांस्टेबल को बचाने का प्रयास किया था, तब जाकर सरकार, नेताओं और मीडिया के चेहरे पर कालिख लगना आरंभ हुआ। हड़बड़ी में सरकार और नेता बैकफुट में आए। जल्दबाजी में सरकार और नेताओं को यह बात नहीं सूझी वरना वे सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर पड़े इन चित्रों की विश्वसनीयता पर ही प्रश्नचिन्ह लगाकर इसकी फोरहंसिक जांच की मांग ही कर बैठते।

खबरों की सैंसरशिप और सोशल मीडिया
देश में कांग्रेस के खिलाफ इस घटना को लेकर जमकर माहौल बनना आरंभ हो गया है। इसका कारण दिल्ली और केंद्र दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार का होना है। दिल्ली के मीडिया से ही देश को हांका जा सकता है, संभवतः यही सोच है देश के हुक्मरानों की। दिल्ली में बैठे देश के विभिन्न मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ ही समाचार एजेंसियों को भी सरकार ने साधना आरंभ किया। खबरों को नए एंगिल से परोसना आरंभ हुआ। मीडिया का यह रोल सकारात्मक था या नकारात्मक इसका फैसला तो मीडिया ही करे किन्तु सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट्स ने इस बात की कलई खोल दी कि वास्तविकता क्या है और मीडिया क्या परोसा रहा है। हर तरफ मीडिया को कोसा जाने लगा। दरअसल, जबसे घराना पत्रकारिता ने देश के मीडिया को अपने कब्जे में लिया है तबसे देश का मीडिया बिक गया है। जो एक लाईन ना लिख पाए वह मीडिया का मालिक या प्रधान संपादक की भूमिका में है। इससे मीडिया की दिशा और दशा का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

क्या पीडिता का शव ले जाया गया था सिंगापुर!
नेहरू गांधी परिवार की छोटी बहू एवं सांसद मेनका गांधी का सनसनीखेज आरोप दहला देने वाला है कि पीडिता की मौत तो उसे सिंगापुर ले जाने के पहले ही हो गई थी। मेनका के आरोप का आधार क्या है इस बारे में तो वे ही बेहतर बता सकती हैं पर सालों से सांसद और जिम्मेदार महिला मानी जाने वाली मेनका गांधी का आरोप सिरे से खारिज करने लायक नहीं लगता है। एक निजी समाचार चेनल के साथ चर्चा के दौरान मेनका गांधी ने कहा कि पीडिता को सिंगापुर भेजने की बात वाकई हैरान करने वाली है। देश के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद से देश पूछ रहा है कि आखिर कौन से चिकित्सकों की टीम ने पीडिता के परीक्षण के उपरांत उसे सिंगापुर भेजने की सिफारिश की? अगर की है तो सिफारिश को दिखाया जाए और नहीं की है तो आखिर किस आधार पर उसे बोरे की तरह भारत से सिंगापुर भेजा गया और वापस बुलाया गया? अगर उसमें प्राण शेष नहीं थे तो उसे भारत से सिंगापुर भेजने और वापस बुलाने पर हुए खर्च का वहन क्या सोनिया गांधी निजी तौर पर करने वाली हैं?

जनता को मामा बना रही कांग्रेस!
उमर दराज लोग अब कांग्रेस से नफरत करने लगे हैं। लोग बताते हैं कि कांग्रेस ने सदा ही जनता को मामा बनाया है। जब सैद्धांतिक राजनीति होती थी उस समय भी जनता को लूटा जाता था और अब जब मूल्य आधारित राजनीति नहीं है तब भी जनता लुट ही रही है। मीडिया ने तो इस मामले में हाथ नहीं लगाया पर सोशल नेटवर्किंग वेब साईट ने एक नई बहस खडी कर दी है कि क्या सुशील कुमार शिंदे ने जनता से झूट बोला? पीडिता के सिंगापुर भेजने पर मेदांता हस्पताल के डॉ.नरेश त्रेहन की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगे तो डॉ.त्रेहन से ट्वीट किया कि पीडिता उनकी पेशेंट ही नहीं थी, सरकार ने उनसे एयर एंबूलेंस और अन्य मेडीकल सहायता मांगी थी, अतः पीडिता के सिंगापुर भेजने के बारे में वे फैसला कैसे करते? इसी बीच एक अन्य ट्वीट आया कि शिंदे तो साफ साफ कह रहे हैं कि पीडिता को डॉ.त्रेहान की सलाह पर सिंगापुर भेजा जा रहा है, इस पर डॉ.त्रेहान ने कहा कि नेताओं को बली का बकरा चाहिए होता है।

यह है नेताजी का असली चेहरा!
नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के बारे में दुनिया के चौधरी अमरीका की राय बेहद खराब है। नेताजी मौकापरस्त व्यक्तित्व के स्वामी हैं एसा माना जाता है। कभी कांग्रेस के खिलाफ तो कभी कांग्रेस की गोदी में। दिल्ली में गैंगरेप की शिकार पीडिता के जीने मरने की आशंकाओं कुशंकाओं के बारहवें दिन देश गमगीन था। सरकार मन ही मन युवाओं के आक्रोश से निपटने के तरीके खोज रही थी। सरकार के मंत्री, सांसद इयर एण्ड में अपनी मस्ती में खलल नहीं पड़ने देना चाहते सो वे निकल पड़े न्यू इयर सेलीब्रेट करने। कुछ नेता मंत्री जो मजबूर हैं कि उन्हें मीडिया के सामने आकर मोर्चा संभालना ही है वे दिल्ली में बुझे हुए मन से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते दिखे। इसी बीच नेताजी 28 दिसंबर को रात में पीडिता को उसके हाल पर ही छोड़कर अपने संगी साथियों के साथ सैफई में मलईका अरोड़ा, विपाशा बसु, ईशा कोप्पिकर के साथ ऋतिक रोशन आदि के ठुमकों पर झूम रहे थे। कहते हैं लगभग दस करोड़ रूपए एक रात में पानी में बहाकर नेताजी ने पीडिता को श्रृद्धांजली दी है।

राहुल की चुप्पी टूटी, बनी बड़ी खबर!
देश के मीडिया को पता नहीं क्या हो गया है? राहुल गांधी ने बलात्कार की पीडित युवती की तेरह दिन बाद हुई मौत के उपरांत राहुल गांधी की चुप्पी टूटने को बड़ी खबर में तब्दील कर दिया। स्वार्थी मीडिया ने 13 दिन तक गायब और मौन रहे राहुल गांधी से यह पूछने की हिमाकत नहीं की कि आखिर क्या वजह थी कि एक दो नहीं 13 दिन तक वे मुंह सिए बैठे रहे। क्या वे बोलने के लिए किसी पंडित से महूर्त निकलवा रहे थे या फिर उनके सलाहकार कहीं अवकाश पर गए थे। अगर कोई चेनल का रिपोर्टर यह पूछने की हिमाकत धोखे से कर बैठता और न्यूज एडीटर उसे दिखा देता तो अगले ही पल उसकी बिदाई हो जाती। अरे साहेब एक गरीब की सरेराह इज्जत लुटी है, उसने अपनी जान गंवाई है, समूचा देश उबला है इस घटना पर, जेड प्लस सिक्यूरिटी वाले राहुल गांधी से सवाल पूछने से डर क्यों रहा है मीडिया? क्या विज्ञापन अथवा अन्य बिजनिस प्रोजेक्ट पर राहुल से प्रश्न पूछने पर खतरा मंडराने लगेगा?

पुच्छल तारा
दिल्ली में हुए सामूहिक बालात्कार के मामले ने देश दुनिया को हिला दिया है। देश के हुक्मरान अंदर ही अंदर सहमे हैं पर बाहर से सामान्य होने का दिखावा अवश्य ही कर रहे हैं। घराना पत्रकारिता का पोषक मीडिया भले ही सरकार को बचाता नजर आए पर सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स अपना काम बखूबी कर रही हैं। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर एक पोस्ट ने बरबस ही ध्यान खींचा जिसमें लिखा था -‘‘अगर पीडिता को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया है तो दोषियों को सजा के लिए भारत में क्यों रखा गया है? दोषियों को सजा के लिए साउदी अरब भेज दो, साउदी वाले उन्हें इस कुकर्म की माकूल और वाजिब सजा महज दो मिनिट में दे देंगे।‘‘

सरकारी नुमाईंदे सो रहे, देशवासी रो रहे


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

सरकारी नुमाईंदे सो रहे, देशवासी रो रहे

16 दिसंबर की रात देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ वह भयावह ही था। अनाम पीडिता के साथ हैवानों ने जो कुछ किया वह निश्चित तौर पर रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है पर उसके उपरांत लगातार तेरह दिन तक जिस तरह देश के युवाओं के मन में आक्रोश दिखा और सरकार का दमन चक्र चला उससे लगने लगा कि निश्चित तौर पर इससे अच्छा तो गोरे ब्रितानियों का ही राज था। कांग्रेस सत्ता में रहकर लोगों पर जुल्म कर रही है तो विपक्ष में रहकर भाजपा द्वारा कांग्रेस का पूरा पूरा साथ दिया जा रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा मिलकर देश को लूटने में लगी हुईं हैं। बाकी के राजनैतिक दल भी इस लूट में अपना अपना हिस्सा लेकर शांत हैं। विरोध दिखावटी ही लगता है। मीडिया भी ध्यान भटकाने के लिए नए नए शिगूफे छोड़ने से पीछे नहीं रहता। कुल मिलाकर नेताओं सहित सरकारी नुमाईंदे सो रहे और देशवासी रो रहे की कहावत ही देश में चरितार्थ होती दिख रही है।

मनमोहन और रेपिस्ट में क्या अंतर है?
दिल्ली में हुए गैंग रेप ने देश ही नहीं समूची दुनिया को हिलाकर रख दिया है। नहीं हिले तो भारत के हुक्मरान! सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर एक अन्य विदेशी पीडिता ने भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह और उनकी सरकार की तुलना बलात्कारियों से ही कर दी है। खूंखार तालिबानियों से लोहा लेने वाली 15 वर्षीय मलाला यूसुफजाई भी दिल्ली में सामूहिक दुराचार से बुरी तरह आहत नजर आ रही है। दिल्ली गैंग रेप पीडिता को सिंगापुर भेजने पर मलाला ने भारत सरकार को आड़े हाथों लिया है। सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट पर मलाला का कहना है कि भारत सरकार और रेपिस्ट में अंतर ही क्या है? बालात्कारियों ने पीडिता को सड़क पर फेंक दिया और भारत सरकार ने उसे सिंगापुर ले जाकर पटक दिया। दोनों ही की हरकत एक समान है, दोनों ही में अंतर क्या रह जाता है?

नपुंसक, निर्लज्ज, निर्मम, संवेदनहीन नेतृत्व में सांसे ले रहा भारत गणराज्य
देश को जगाकर एक दामिनी मौत की नींद सो गई! इस तरह के ट्वीट और फेसबुक अपडेट से अटी पड़ी हैं सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स। कहीं जया बच्चन देश से माफी मांग रहीं हैं तो कही लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। सोनिया कह रहीं कि उसकी मौत जाया नहीं जाएगी! मीडिया भी इन नेताओं की ताल और ठुमरी गान पर अपनी कमर मटका रहा है। किसी भी समाचार चेनल, प्रिंट मीडिया आदि ने इतना नैतिक साहस नहीं दिखाया कि वे सीधे सीधे, प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी, लोस नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, रास के अरूण जेतली आदि को सीधे कटघरे में खड़ा करें। कहां हैं कांग्रेस के तीखे बाण चलाने वाले सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी। आधे से ज्यादा नेता तो साल के अंत में छुट्टियां मनाने दिल्ली से बाहर हैं, सो मीडिया उन पर सवालिया निशान लगाने से रहा।

क्या किया गृह राज्य मंत्री ने!
16 दिसंबर की घटना के बाद एक दिन कुछ पत्रकारों के साथ गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने जिस रूट पर यह बलात्कार कांड हुआ था उसका दौरा किया। जोश में मंत्री जी ने सरकारी बस की सवारी गांठी, ताकि उन्हें पब्लिसिटी मिल सके। बस से जब वे छतरपुर मेट्रो स्टेशन वाले स्टेंड तक गए तो उन्हें रास्ते में एक भी पुलिस की पीसीआर नहीं मिली। उल्टे बस स्टेंड पर रात में खड़ी बस को उन्होंने अपनी नंगी आंखों से मयखाना बना देखा। पुलिस के बारे में मीडिया के पूछने पर बस के अंदर सुरा सेवन करने वाले चालक परिचालकों ने कहा कि पुलिस आती ही होगी और वह भी छककर पिएगी उनके साथ। सकुचाए शर्माए भारत गणराज्य के जिम्मेदार गृह राज्य मंत्री महोदय ने कहा पुलिस अगर इस रूट पर नहीं तो कहीं ना कहीं तो होगी ही! मंत्री जी को पब्लिसिटी तो नहीं मिली पर यह खबर आम होते ही विपक्षी दलों ने भी केंद्र की कांग्रेस सरकार से इस बारे में प्रश्न ना पूछकर उसे क्लीन चिट दे दी। पर मंत्री महोदय से समूचा देश पूछना चाह रहा है कि उस बस यात्रा के बाद उन्होने क्या कार्यवाही की?

हिटलर बन गए मनमोहन
भारत गणराज्य के वजीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह को देश के निवासी कमोबेश मौन मोहन सिंह की उपाधि देते रहे हैं। किसी भी मामले में वे मौन रहना ही पसंद करते हैं। अनाम बाला के साथ जब सामूहिक दुराचार हुआ उसके बाद देश उबल पड़ा। यह उबला सिर्फ दुराचार के खिलाफ नहीं था। देश की जनता बुरी तरह आहत हो चुकी है। कांग्रेस भाजपा के द्वारा देश को लूटने से आजिज आ चुकी जनता ने हुक्मरानों को अपना गुस्सा दिखाया। निर्मम मनमोहन सिंह ने इस गुस्से से भड़ककर बजरिया पुलिस देश की जनता को कुचलना आरंभ कर दिया। वातानुकूलित घर आफिस, कार के आदी हो चुके मनमोहन सिंह सहित सारे नेताओं को इस बात का भान भी नहीं होगा कि दिल्ली की हाड़ गलाने वाली सर्दी में अगर पुलिस आंदोलनकारियों पर ठण्डा पानी फेंक रही है तो वे किस स्थिति से गुजरे होंगे। अबोध बालाओं को पुलिस ने इस तरह पीटा मानो कपड़े धोए जा रहे हों। पुलिस की इस हरकत से साफ हो गया कि मनमोहन सिंह अब हिटलर की भूमिका में आ चुके हैं।

आरक्षक की मौत से भी नहीं पसीजी दिल्ली!
दिल्ली अर्थात देश के हुक्मरान अपने ही एक आरक्षक की मौत से भी नहीं हिले। उसमें भी षणयंत्र का तानाबाना बुना जाने लगा। पुलिस और नेताओं ने कभी भीड़ तो कभी आम आदमी की पार्टी पर इसकी हत्या का आरोप मढ़ने का कुत्सित प्रयास किया। मीडिया ने भी हवा का रूख भांपकर सरकार की ताल पर ठुमके लगाना आरंभ कर दिया। बाद में जब दो पत्रकारों ने कुछ चित्रों के माध्यम से यह बात सार्वजनिक की कि उनके साथ जनता ने उस कांस्टेबल को बचाने का प्रयास किया था, तब जाकर सरकार, नेताओं और मीडिया के चेहरे पर कालिख लगना आरंभ हुआ। हड़बड़ी में सरकार और नेता बैकफुट में आए। जल्दबाजी में सरकार और नेताओं को यह बात नहीं सूझी वरना वे सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर पड़े इन चित्रों की विश्वसनीयता पर ही प्रश्नचिन्ह लगाकर इसकी फोरहंसिक जांच की मांग ही कर बैठते।

खबरों की सैंसरशिप और सोशल मीडिया
देश में कांग्रेस के खिलाफ इस घटना को लेकर जमकर माहौल बनना आरंभ हो गया है। इसका कारण दिल्ली और केंद्र दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार का होना है। दिल्ली के मीडिया से ही देश को हांका जा सकता है, संभवतः यही सोच है देश के हुक्मरानों की। दिल्ली में बैठे देश के विभिन्न मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ ही समाचार एजेंसियों को भी सरकार ने साधना आरंभ किया। खबरों को नए एंगिल से परोसना आरंभ हुआ। मीडिया का यह रोल सकारात्मक था या नकारात्मक इसका फैसला तो मीडिया ही करे किन्तु सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट्स ने इस बात की कलई खोल दी कि वास्तविकता क्या है और मीडिया क्या परोसा रहा है। हर तरफ मीडिया को कोसा जाने लगा। दरअसल, जबसे घराना पत्रकारिता ने देश के मीडिया को अपने कब्जे में लिया है तबसे देश का मीडिया बिक गया है। जो एक लाईन ना लिख पाए वह मीडिया का मालिक या प्रधान संपादक की भूमिका में है। इससे मीडिया की दिशा और दशा का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

क्या पीडिता का शव ले जाया गया था सिंगापुर!
नेहरू गांधी परिवार की छोटी बहू एवं सांसद मेनका गांधी का सनसनीखेज आरोप दहला देने वाला है कि पीडिता की मौत तो उसे सिंगापुर ले जाने के पहले ही हो गई थी। मेनका के आरोप का आधार क्या है इस बारे में तो वे ही बेहतर बता सकती हैं पर सालों से सांसद और जिम्मेदार महिला मानी जाने वाली मेनका गांधी का आरोप सिरे से खारिज करने लायक नहीं लगता है। एक निजी समाचार चेनल के साथ चर्चा के दौरान मेनका गांधी ने कहा कि पीडिता को सिंगापुर भेजने की बात वाकई हैरान करने वाली है। देश के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद से देश पूछ रहा है कि आखिर कौन से चिकित्सकों की टीम ने पीडिता के परीक्षण के उपरांत उसे सिंगापुर भेजने की सिफारिश की? अगर की है तो सिफारिश को दिखाया जाए और नहीं की है तो आखिर किस आधार पर उसे बोरे की तरह भारत से सिंगापुर भेजा गया और वापस बुलाया गया? अगर उसमें प्राण शेष नहीं थे तो उसे भारत से सिंगापुर भेजने और वापस बुलाने पर हुए खर्च का वहन क्या सोनिया गांधी निजी तौर पर करने वाली हैं?

जनता को मामा बना रही कांग्रेस!
उमर दराज लोग अब कांग्रेस से नफरत करने लगे हैं। लोग बताते हैं कि कांग्रेस ने सदा ही जनता को मामा बनाया है। जब सैद्धांतिक राजनीति होती थी उस समय भी जनता को लूटा जाता था और अब जब मूल्य आधारित राजनीति नहीं है तब भी जनता लुट ही रही है। मीडिया ने तो इस मामले में हाथ नहीं लगाया पर सोशल नेटवर्किंग वेब साईट ने एक नई बहस खडी कर दी है कि क्या सुशील कुमार शिंदे ने जनता से झूट बोला? पीडिता के सिंगापुर भेजने पर मेदांता हस्पताल के डॉ.नरेश त्रेहन की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगे तो डॉ.त्रेहन से ट्वीट किया कि पीडिता उनकी पेशेंट ही नहीं थी, सरकार ने उनसे एयर एंबूलेंस और अन्य मेडीकल सहायता मांगी थी, अतः पीडिता के सिंगापुर भेजने के बारे में वे फैसला कैसे करते? इसी बीच एक अन्य ट्वीट आया कि शिंदे तो साफ साफ कह रहे हैं कि पीडिता को डॉ.त्रेहान की सलाह पर सिंगापुर भेजा जा रहा है, इस पर डॉ.त्रेहान ने कहा कि नेताओं को बली का बकरा चाहिए होता है।

यह है नेताजी का असली चेहरा!
नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के बारे में दुनिया के चौधरी अमरीका की राय बेहद खराब है। नेताजी मौकापरस्त व्यक्तित्व के स्वामी हैं एसा माना जाता है। कभी कांग्रेस के खिलाफ तो कभी कांग्रेस की गोदी में। दिल्ली में गैंगरेप की शिकार पीडिता के जीने मरने की आशंकाओं कुशंकाओं के बारहवें दिन देश गमगीन था। सरकार मन ही मन युवाओं के आक्रोश से निपटने के तरीके खोज रही थी। सरकार के मंत्री, सांसद इयर एण्ड में अपनी मस्ती में खलल नहीं पड़ने देना चाहते सो वे निकल पड़े न्यू इयर सेलीब्रेट करने। कुछ नेता मंत्री जो मजबूर हैं कि उन्हें मीडिया के सामने आकर मोर्चा संभालना ही है वे दिल्ली में बुझे हुए मन से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते दिखे। इसी बीच नेताजी 28 दिसंबर को रात में पीडिता को उसके हाल पर ही छोड़कर अपने संगी साथियों के साथ सैफई में मलईका अरोड़ा, विपाशा बसु, ईशा कोप्पिकर के साथ ऋतिक रोशन आदि के ठुमकों पर झूम रहे थे। कहते हैं लगभग दस करोड़ रूपए एक रात में पानी में बहाकर नेताजी ने पीडिता को श्रृद्धांजली दी है।

राहुल की चुप्पी टूटी, बनी बड़ी खबर!
देश के मीडिया को पता नहीं क्या हो गया है? राहुल गांधी ने बलात्कार की पीडित युवती की तेरह दिन बाद हुई मौत के उपरांत राहुल गांधी की चुप्पी टूटने को बड़ी खबर में तब्दील कर दिया। स्वार्थी मीडिया ने 13 दिन तक गायब और मौन रहे राहुल गांधी से यह पूछने की हिमाकत नहीं की कि आखिर क्या वजह थी कि एक दो नहीं 13 दिन तक वे मुंह सिए बैठे रहे। क्या वे बोलने के लिए किसी पंडित से महूर्त निकलवा रहे थे या फिर उनके सलाहकार कहीं अवकाश पर गए थे। अगर कोई चेनल का रिपोर्टर यह पूछने की हिमाकत धोखे से कर बैठता और न्यूज एडीटर उसे दिखा देता तो अगले ही पल उसकी बिदाई हो जाती। अरे साहेब एक गरीब की सरेराह इज्जत लुटी है, उसने अपनी जान गंवाई है, समूचा देश उबला है इस घटना पर, जेड प्लस सिक्यूरिटी वाले राहुल गांधी से सवाल पूछने से डर क्यों रहा है मीडिया? क्या विज्ञापन अथवा अन्य बिजनिस प्रोजेक्ट पर राहुल से प्रश्न पूछने पर खतरा मंडराने लगेगा?

पुच्छल तारा
दिल्ली में हुए सामूहिक बालात्कार के मामले ने देश दुनिया को हिला दिया है। देश के हुक्मरान अंदर ही अंदर सहमे हैं पर बाहर से सामान्य होने का दिखावा अवश्य ही कर रहे हैं। घराना पत्रकारिता का पोषक मीडिया भले ही सरकार को बचाता नजर आए पर सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स अपना काम बखूबी कर रही हैं। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर एक पोस्ट ने बरबस ही ध्यान खींचा जिसमें लिखा था -‘‘अगर पीडिता को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया है तो दोषियों को सजा के लिए भारत में क्यों रखा गया है? दोषियों को सजा के लिए साउदी अरब भेज दो, साउदी वाले उन्हें इस कुकर्म की माकूल और वाजिब सजा महज दो मिनिट में दे देंगे।‘‘

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

विधायक कार्यालय में छात्रा से रेप!


विधायक कार्यालय में छात्रा से रेप!

(एम.के.देशमुख)

बालाघाट (साई)। जिला मुख्यालय से लगभग 90 कि,मी, दूर परसवाडा में एक पैरामेडिमकल छात्रा के साथ परसवाडा विधान सभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रामकिशोर कावरे के सूने कार्यालय में ले जाकर बलात्कार किये जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि परसवाडा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम भोरवाही लिम्का निवासी यह छात्रा द्वारा कल करायी गयी रिपोर्ट पर परसवाडा निवासी शिरीष अवधिया के विरुद्ध बलात्कार की शिकायत दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि बताया कि छात्रा ने जबलपुर से पेरामेडिकल का कोर्स किया था तथा प्रैक्टिकल के लिये वह परसवाडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आयी हुई थी। वह विगत एक नवंबर से यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रशिक्षण ले रही थी। इस दौरान उसका परिचय स्वास्थ्य केंद्र में प्रयोगशाला सहायक के तौर पर काम कर रहे शिरीष अवधिया से हुई। छात्रा ने पुलिस को बताया कि शिरीष 17 नवंबर को उसे नौकरी के संबंध में जानकारी देने के नाम पर स्वास्थ्य केंद्र के पीछे स्थित एक कार्यालय में ले गया और उसके साथ बलात्कार किया तथा किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी।

6 जनवरी को होगा पंजाबी परिवार मिलन समारोह


6  जनवरी को होगा पंजाबी परिवार मिलन समारोह

(राज कुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। जिला पंजाबी वेल्फेयर सभा अपना दसवां पंजाबी परिवार समारोह 6 जनवरी को गीताभवन मन्दिर में आयोजित करेगी । समारोह की तैयारीयों को लेकर सभा की एक बैठक सभा के कार्यालय में आयोजित हुई।  बैठक की अध्यक्षता प्रधान प्रदर्शन परूथी ने की । इस बार पंजाबी परिवार मिलन समारोह में पंजाब व राजस्थान के अलावा दिल्ली से आये कलाकार अपनी कला के जलवे समारोह में बिखेरेंगे । बैठक में समारोह की तैयारीयों के लिए कमेटी का गठन भी किया गया । सभा के प्रधान पद्रर्शन परूथी ने बताया कि जिला पंजाबी वेल्फेयर सभा द्वारा इस बार का आयोजन भी पारम्परिक तरीके से किया जायेगा  इस बार इस समारोह में मंच के माध्यम से जहा आपसी भाईचारा व समाज हित का संदेश दिया जायेगा वहीं कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ भी लोगों को जागरूक किया जायेगा ताकि बेटंो की चाहत में कोख मे हो रही बेटीयों की हत्याओं को रोका जा सके । परूथी ने बताया कि सभा द्वारा इस बार पंजाबी परिवार मिलन समारोह को  यादगार बनाने के लिए कई तरह के सांस्कृति कार्यक्रम जिसमें भंागडा , लोकगीत , हास्य  से भरपूर  कई तरह केआयोजन होगें। कार्यक्रम में बच्चों के मनोंरंजन के लिए राजस्थान से आये कलाकार कठपुतली का शानदार कला प्रदर्शन करेगें । उन्होने बताया कि जिला पंजाबी वेल्फेयर सभा हर वर्ष जनवरी माह में परिवार मिलन समारोह आयोजित करती है इसका उदेश्य समाज के लोगों में आपसी भाईचारा और प्यार बनाये रखना है ताकि समाज में मजबूती व एकता बनी रहे।  परूथी ने बताया कि इस समारोह को सफल बनाने के लिए चार कमेटीयों का गठन किया गया है  जो कि अलग अलग व्वयस्था समारोह के लिए कर रही हैं और एक जनसम्पर्क कमेटी का गठन भी किया गया है जो कि शहर में लोगों से सम्पर्क कर समारोह के लिए न्यौता दे रही है।  परूथी ने बताया कि समारोह में जहंा हमारे  प्राचीन रीति रिवाज अपनाने पर बल दिया जायेगा।  समारोह में समाज के  लोगो को यह अपील कीजायेगी कि वो अपने विवाद घर या पंचायत मे बैठ कर सुलझााये ना कि थानो और कोर्ट कचहरीयो में । उन्होने यह भी जानकारी दी कि पंजाबी समाज के युवक युवतियों के वैवाहीक रिश्ते करवाने के लिए सभा द्वारा संजोग  विवाह सैल  गठन किया गया है  उसके भी सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं। इस मौके पर इंद्रजीत सरदाना, डा0 कश्मीरी लाल, संदीप मलिक, अशोक आर्य, सुषम कपूर, राजकुमार मुखिजा, राजेन्द्र कुकरेजा, सतीश राजपाल मौजूद रहे ।

फाँसी या नपुंसक बनाने से कम न हो बलात्कार की सजा-रविन्द्र द्विवेदी


फाँसी या नपुंसक बनाने से कम न हो बलात्कार की सजा-रविन्द्र द्विवेदी

(रचना)

नई दिल्ली (साई)। अखिल भारत हिन्दू महासभा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र द्विवेदी ने बलात्कार की सजा पर मौजूदा कानून को बदलकर कठोर कानून बनाने के लिये जस्टिस वर्मा समिति के गठन का स्वागत किया है। नागरिकों से सुझाव आमंत्रित करना भी एक अच्छी पहल है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे।
रविन्द्र द्विवेदी ने कहा कि बलात्कार किसी भी नारी के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी होती है। यह पीड़ा उसे ताउम्र सहनी पड़ती है, जिससे पीड़िता को अपनी ही जिंदगी एक बोझ महसूस होने लगती है। बलात्कारी को कठोर से कठोर सजा देकर ही नारी समाज के लिये नासूर बन चुकी बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। रविन्द्र द्विवेदी ने जस्टिस वर्मा समिति के पास ईमेल से आज अपने सुझाव भेजे। सुझाव में कहा गया है कि बलात्कारी को फाँसी या नपुंसक बनाने से कम सजा नही होनी चाहिये।  उन्होने कहा कि नपुंसक बनाने से बलात्कार करने वाले अपराधी को सारी जिंदगी अपनी गलती का अहसास होगा।
नपुंसक के रूप में बलात्कारी को देखकर समाज में भय पैदा होगा और बलात्कार के मामलों पर अंकुश लगेगा। रविन्द्र द्विवेदी ने बलात्कारी को नपुंसक बनाने के साथ बीस साल के सश्रम कारावास की सजा दिये जाने का सुझाव भी जस्टिस वर्मा समिति को दिया है।
नाबालिग लड़की से बलात्कार और बालिग लड़की अथवा महिला से सामूहिक बलात्कार के साथ हत्या अथवा हत्या के प्रयास का आरोप होने पर बलात्कारी को फाँसी पर लटकाने का सुझाव भी वर्मा समिति को दिया है। इसके अलावा रेप की एफआईआर दर्ज होने के एक सप्ताह में अदालत में पुलिस द्वारा चार्जशीट पेश करने और फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रतिदिन सुनवाई कर 60 दिन में निर्णय सुनाने का परामर्श भी दिया गया है।
रविन्द्र द्विवेदी ने चलती बस में सामूहिक बलात्कार की पीड़िता दामिनी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुये पुलिस द्वारा निहत्थे आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं का दमन करने की तौर-तरीकों की आलोचना की। उन्होने कहा कि पुरूष पुलिसकर्मियों द्वारा आंदोलनकारी छात्राओं से बदसलूकी और लाठीचार्ज दिल्ली पुलिस का भयानक चेहरा उजागर करता है। 
सुभाष तोमर नामक पुलिसकर्मी की मौत का कारण आंदोलनकारियों की पिटाई बताना छात्रओें के साथ बदसलूकी और लाठीचार्ज की घटना से ध्यान हटाने का पुलिस आयुक्त नीरज कुमार का षडयंत्र है। इस प्रकरण में निर्दोष आठ लोगों की गिरफ्तारी कानून की शक्तियों का खुला दुरूपयोग है। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि सुभाष तोमर अपने आप गिरा था और उसके शरीर पर कोई चोट का निशान नही था। नीरज कुमार का षडयंत्र सफेद झूठ है जिसे हिन्दू महासभा किसी भी कीमत पर सहन नही करेगी। रविन्द्र द्विवेदी ने पुलिस आयुक्त से इस्तीफे की मांग  करते हुये मांग के समर्थन में पुलिस मुख्यालय पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

राम चंद्र कह गए सिया से, एसा कलयुग आएगा! हंस चुगेगा दाना रे भईया, कौआ मोती खाएगा!!


राम चंद्र कह गए सिया से, एसा कलयुग आएगा!
हंस चुगेगा दाना रे भईया, कौआ मोती खाएगा!!

(लिमटी खरे)

दिल्ली में चलती बस में चालीस मिनिट नर पिशाचों ने एक अबोध बाला के शरीर को नोंचा खसोटा, दिल्ली की गद्दी और केंद्र की गद्दी में बैठी सत्ता की मलाई चखने वाली कांग्रेस की तंद्रा नहीं टूटी। जब सारे देश ने एक साथ चिंघाड़ ने हाकिमों की नींद हराम की तब जाकर सरकार कुछ हिली। प्रधानमंत्री ने अपना ठीक हैका भाषण दिया तो राष्ट्रपति को भी मजबूरी में जनता के सामने आना ही पड़ा। ममला यहीं खत्म नहीं होता है। जब ममला संगीन हुआ तब सराकर ने कुछ जांच जैसे कुछ लालीपाप थमा दिए। इसी बीच दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की मौत से आंदोलन को झटका लगा। आरोप प्रत्यारोप के बीच ज्ञात हुआ कि उक्त आरक्षक को भीड़ ने नहीं मारा। हद तो उस वक्त हो जाती है जब लगभग आधा दर्जन पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में एक न्यायधीश द्वारा पीडिता के बयान लिए जाते हैं उसमें दिल्ली पुलिस दबंगई दिखाकर न्यायधीश को पुलिस के हिसाब से बयान लेने पर मजबूर करती है।

लगता है भारत गणराज्य को किसी की नजर लगी है। देश पर पहले मुगलों का हमला हुआ फिर देश को गोरे ब्रितानियों ने लूटा खसोटा। जैसे तैसे आजादी मिली पर आजादी के बाद भी लगातार देश को लूटने का सिलसिला चलता ही रहा। आजादी के उपरांत एक के बाद एक घपले घोटाले सामने आते रहे पर नैतिकता की दुहाई देने वाले नेताओं ने अपने भाषणों में नैतिकता को अहम स्थान देकर जनता को छलना नहीं छोड़ा। देश के भोले भाले गरीब गुरबे लुटते पिटते रहे। अनाचार, दुराचार, भ्रष्टाचार, बलात्कार मानो स्टेटस सिंबाल बन चुका है। साफ सुथरी राजनीतिक व्यवस्था का दावा करने वाले सभी दलों में इनका बोलबाला है। इतना ही नहीं मसल पावर और धनबल से चुनाव जीतकर ये व्यवस्था को नाक चिढ़ाते हैं पर किसी को इसकी परवाह ही नहीं दिखती।
दिल्ली में सरेराह बलात्कार होना आम बात है। 16 दिसंबर की रात जो हुआ वह उसी सड़ी जंग लगी, बदबूदार सड़ांध मारती व्यवस्था का हिस्सा था। देश में युवाओं का आक्रोश फूटा वैसे ही हाकिमों की पतलून गीली होना चालू हुई। हाकिम इस बात से खौफजदा थे कि यह आंदोलन किसी की अगुआई के बिना आखिर कैसे इस कदर भड़का। हाकिमों ने अपनी कुटिल चालें चलीं और आंदोलन की हवा निकालनी आरंभ की। इसी बीच विस्फोट डॉट काम ने हाकिमों की इस गंदी मानसिकता को एक आलेख के जरिए उजागर किया जिसमें बताया गया कि किस तरह से हाकिमों ने इस आंदोलन को रौंद दिया।
इसके उपरांत देश भर में सुलगी आग को शांत करने के लिए वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह ने देश को संबोधित किया और अंत में ठीक है का पुछल्ला समूचे देश ने सुना। इस मामले में सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कार्यवाही कर गरीब निचले कर्मचारियों पर कार्यवाही कर दी। सूचना प्रसारण मंत्रालय यह भूल जाता है कि किसी भी प्रसारण की जिम्मेवारी केमरामेन नहीं वरन समाचार संपादक की होती है!
तभी दिल्ली पुलिस के आरक्षक की मौत का मामला सामने आया। खबर आई कि आम आदमी पार्टी पर हवलदार की हत्या का आरोप मढ़ दिया गया है। आरोपों का क्या है? बचपन में एक सिनेमाघर के बाहर की पान की दुकान पर टंगा एक जुमला जेहन में घूम गया जिसकी इबारत थी -

अफवाहों से बचिए, इनके पर नहीं होते!
ये वो शैतान उड़ाते हैं जिनके घर नहीं होते!!

अरक्षक की मौत के बारे में कहा जाने लगा कि भीड़ ने उस आरक्षक को घायल किया और अस्पताल में जाकर उसने दम तोड़ दिया। दिल्ली पुलिस को मौका मिला और उसने अपनी तलवार की धार तेज कर दी। यह तो भला हो सोशल नेटवर्किंग वेब साईट का कि एक बार फिर उसने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और लोगों को बताया कि घायल आरक्षक जो दिल का मरीज था, की मदद भीड़ ने ही की। अब दिल्ली पुलिस पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है कि आखिर एक कार्डियक मरीज को उसने इस तरह के भभ्भड़ वाले आंदोलन में कर्तव्य पर क्यों भेजा?
अखबारों में यह बात जोर शोर से उठाई गई कि पीडिता का बयान लेने जब एक न्यायिक दण्डाधिकारी ने जब पीडिता का बयान लेना चाहा तो पुलिस ने उसमें हस्ताक्षेप किया। पुलिस की हिमाकत तो देखिए न्यायिक दण्डाधिकारी को ही पुलिस की निर्धारित प्रश्नावली के तहत प्रश्न पूछने के लिए विवश किया गया और नहीं मानने पर उस न्यायिक दण्डाधिकारी से दुर्व्यवहार किया गया। यह तो निश्चित तौर पर इंतेहा है। एसा प्रतीत होता है मानो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी व्हीव्हीआईपी के मीडिया के साक्षात्कार के लिए क्वेश्चनायर दिया गया हो।
इस बात को किसी ओर ने नहीं वरन् दिल्ली की निजाम ने अपने पत्र में लिखकर केंद्रीय गृह मंत्री को भेजा है। केंद्रीय गृह मंत्री को लिखा शीला दीक्षित का पत्र लीक कैसे हो गया इसकी जांच की मांग अवश्य की जा रही है, पर पुलिस द्वारा पीडिता और उसकी मां के द्वारा केमरे के सामने बयान देने से रोकने, दण्डाधिकारी से दुर्व्यवहार की जांच की मांग कोई नहीं कर रहा है।
क्या हो गया है भारत गणराज्य को? क्या यही स्वराज है महात्मा गांधी के सपनों का? क्या यही है आजादी के मायने? क्या देश को नोचने खसोटने को ही प्रजातंत्र कहते हैं? क्या पुलिस की बलात लाठियां निर्दोषों पर बरसें और बलात्कार के आरोपी जनसेवक बन जाएं इसे ही लोकतंत्र का आधार कहें? क्या सांसद विधायक जनता के गाढ़े पसीने से संचित धन पर एश करें यही भारत गणराज्य की स्थापना का उद्देश्य रहा है? ये ही नहीं आज आजाद भारत के नागरिकों के जेहन में और ना जाने कितने प्रश्न घुमड़ रहे हैं जिनका उत्तर आज भी उन्हें नहीं मिला है। कलयुग की परिकल्पना पर आधारित कथित किंवदतीं ही अचानक जेहन में आती है -

राम चंद्र कह गए सिया से!
एसा कलजुग आएगा!!
हंस चुगेगा दाना रे भईया!!!
कौआ मोती खाएगा!!!!

(साई फीचर्स)

तोमर की मौत से दिल्ली पुलिस कटघरे में



तोमर की मौत से दिल्ली पुलिस कटघरे में

(महेश)

नई दिल्ली (साई)।  सिपाही सुभाष तोमर की मौत के मामले में यमुना विहार में रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी योगेंद्र ने खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया। टीवी चौनल को चश्मदीद योगेंद्र ने बताया कि सिपाही तोमर उनके सामने ही भागते हुए आए थे और गिर पड़े।
योगेंद्र का दावा है कि सुभाष की पिटाई किसी प्रदर्शनकारी ने नहीं की थी। यह खुलासा उन्होंने मंगलवार रात एक टीवी चौनल से किया। योगेंद्र के साथ अन्य लोगों ने सिपाही की मौके पर मदद भी की। दर्द दूर करने के लिए उनकी छाती मली, जूते उतारकर उनके तलवे सहलाए। फिर पुलिस की मदद से अस्पताल लेकर गए।
इस मामले में पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने मंगलवार शाम को मीडिया से कहा था कि सिपाही सुभाष चंद तोमर की मौत का कारण गले, छाती और पेट पर इंटरनल इंजरी थी। इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया और 8 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
दूसरी तरफ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, जहां सिपाही की मौत हुई, वहां के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. टी.एस. सिद्धू का कहना है कि सदमे से सिपाही को हार्ट अटैक आया था। शरीर पर गंभीर चोट के कोई निशान नहीं थे। अस्पताल सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि सिपाही को हृदय संबधी बीमारी थी। ऐसे में अब सवाल यह है कि जब इतना बड़ा प्रदर्शन चल रहा था तो हृदय रोगी की वहां ड्यूटी क्यों लगाई गई?
इस मामले में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि पुलिस बेकसूरों को फंसाने की साजिश कर रही है। आप का कहना है कि आंदोलन को हिंसक बनाने की कोशिश कर रहे लोगों को पकड़ने में नाकाम रही पुलिस अब तथ्यों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
केजरीवाल ने कहा, ‘तोमर के परिवार के प्रति हमारी पूरी संवेदना है। यह बेहद दुखद घटना है। उनकी मौत के लिए अगर कोई शख्स या समूह जिम्मेदार है, तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। लेकिन पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है और वह निर्दाेष युवाओं को फंसाने की साजिश कर रही है। हमारे कार्यकर्ताओं को जबरन इस मामले में आरोपी बनाया जा रहा है। जिन 8 लोगों पर दिल्ली पुलिस हिंसा फैलाने का आरोप लगा रही है, उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। उन्हें कॉन्स्टेबल की मौत के लिए जबरन दोषी बनाया जा रहा है।

शिवराज बाजपेयी से मिले पर फोटो है नदारत!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 32

शिवराज बाजपेयी से मिले पर फोटो है नदारत!

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 25 दिसंबर को दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से उनके निवास पर भेंट की। शिवराज सिंह चौहान ने अटल बिहारी बाजपेयी को बधाई दी अथवा नहीं इस बात के प्रमाण के बतौर जनसंपर्क विभाग द्वारा कोई फोटो जारी ना किए जाना आश्चर्यजनक माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी समाचार के अनुसार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूतपूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अटलबिहारी वाजपेयी को उनके 88वें जन्मदिन के अवसर पर बधाई और शुभ-कामनाएं दीं। चौहान ने आज यहां उनके निवास स्थान जाकर गुलदस्ता भेंट किया और उनके स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना की।
श्री चौहान के साथ प्रदेश के नव नियुक्त प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर सहित नि-वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा सहित प्रदेश के मंत्री सर्वश्री लक्ष्मीकांत शर्मा, कैलाश विजयवर्गीय, अनूप मिश्रा और संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन ने भी इस अवसर पर वाजपेयी को जन्मदिन पर शुभ-कामनाएं दीं।
जब भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली जाकर किसी से भेंट करते हैं तब मध्य प्रदेश का जनसंपर्क महकमा बाकायदा फोटो जारी कर उनको महिमा मण्डित करने का प्रयास भी करता है। यहां तक कि मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की मेल आई डी से पार्टी के प्रोग्राम्स को भी जारी किया जाता है। यही नहीं जनसंपर्क विभाग द्वारा भाजपा एवं उसके अनुषांगिक संगठनों की विज्ञप्तियों को भी जारी किया जाता है। इस बार जनसंपर्क विभाग द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी को बधाई देने की बात अवश्य कही गई है किन्तु फोटो का नदारत होना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।

कड़ाके की सर्दी ने हिलाया सभी को


कड़ाके की सर्दी ने हिलाया सभी को

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। राजधानी दिल्ली में अधिकतम तापमान १६ दशमलव दो डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग ने बताया है कि अगले कुछ दिनों तक मौसम ठंडा बना रहेगा। देश के उत्तरी भागों में कड़ाके की सर्दी से जीवन अस्त-व्यस्त है।
देश भर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार देश में शीत लहर ने सभी ओर कहर बरपाया है। पंजाब और हरियाणा में शीत लहर के साथ-साथ घने कोहरे ने रेल और सड़क यातायात प्रभावित किया है। उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड में राज्य के विभिन्न हिस्सों में पिछले २४ घंटों में सात लोगों की मौत हो गई है।
गोरखपुर, मुजफ्फरनगर और लखनऊ सहित प्रदेश के कई जिलों में दसवीं कक्षा तक के स्कूल की छुट्टिया ठंड के कारण बढ़ा दी गई है। फर्रूखाबाद पिछले २४ घंटों के दौरान प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान रहा जहां न्यूनतम तापमान तीन दशमलव चार डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। ठंड के कारण बाराबंकी में तीन, मुजफ्फरनर में दो और हरदोई तथा बिजनौर में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई है। संबंधित जिला प्रशासन ने गरीबों को कंबल बांटने और नए रैन बसेरे खोलने का काम तेज कर दिया है।
मुजफ्फरनगर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो सचिन धीमान ने कहा कि पिछले चार दिनों से पड़ रही कड़ाकेदार ठंड ने मंगलवार को रौद्र रूप धारण कर लिया। सोमवार की दर रात्रि घना कोहरा छा गया जिससे मंगलवार को पूरे दिन सूर्य देव के दीदार नहीं हो सके। भयंकर ठंड के चलते सडकों पर भी आवागमन कम रहा।
पिछले एक सप्ताह से नागरिक भयंकर शीतलहर की चपेट में हैं। तापमान भी लगातार गिरता जा रहा है। आज भी नागरिक घरों में ही दुबके रहे केवल वही लोग घरों से निकले जिन्हें बहुत जरूरी काम था। मंगलवार को पूरे दिन सूर्यदेव ने दशन नहीं दिये।
कड़ाके ठंड ने लोगों के हाड़ कंपाने शुरू कर दिए हैं लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी तक अलाव की सही व्यवस्था नहीं की गई है। ठंड की ठिठुरन से लोग ठिठुर रहे हैं। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड, शिव चौक व अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर जो थोड़े बहुत अलाव जल रहे हैं उनका मजा केवल पुलिसकर्मी ले रहे हैं। भयंकर सर्दी में भी जिला प्रशासन ने स्कूलों का शीतकालीन अवकाश घोषित नहीं किया है। नगर के दो तीन स्कूलों ने आगामी पांच जनवरी तक स्कूलों में अवकाश कर दिया है लेकिन अभी तक डीएम सुरेन्द्र सिंह ने इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया है जिसका लाभ उठाते हुए दर्जनों स्कूलों ने अभी तक अपने स्कूलों में अवकाश घोषित नहीं किया है।
सर्दी के शुरूआती दौर में कोहरे का व्यापक असर रेल गाड़ियों पर पड़ना शुरू हो गया है तथा रेल यातायात बाधित हो रहा है। कोहरे द्वारा मचाए जा रहे कोहराम के कारण रेल प्रशासन व यात्री परेशान हैं। उत्तर रेलवे ने जहां 49 पैसेंजर ट्रेनों को अनिश्चितकाल के लिए रद्द करने की घोषणा कर दी है वहीं सहारनपुर से होकर जाने वाली दिल्ली पैसेंजर भी इस दौरान प्रभावित रहेगी। स्टेशन अधीक्षक एके त्यागी ने बताया कि कोहरे के कारण कालका से दिल्ली के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन संख्या 54304 को अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा सहारनपुर से दिल्ली के बीच चलने वाली गाड़ी संख्या 54521 व 54522 जिसका सहारनपुर से रवाना होने का समय सुबह 4.40 बजे तथा वापसी शाम 7.40 बजे है को रद्द कर दिया गया है। यही नहीं अंबाला से निजामुद्दीन के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन 54546 अब निजामुद्दीन नहीं जायेगी इसको केवल दिल्ली तक ही संचालित किया जायेगा। त्यागी ने बताया कि कोहरे के कारण उत्तर रेलवे ने 49 पैसेंजर ट्रेनों का संचालन रद्द किया है जिसमें तीन ट्रेनें सहारनपुर से जाने वाली प्रभावित होंगी।
उधर, उत्तर रेल्वे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कोहरे की वजह से आज भी कई रेलगाड़ियों की आवाजाही प्रभावित रहेगी।  सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली की तरफ आने वाली करीब आने वाली करीब ३५ ट्रेन आज लेट पहुंच रही हैं। और दिल्ली से चलने वाली १५ ट्रेन को रेलवे ने पुटबैक किया है जो अपने निर्धारित समय के अलावा दूसरे समय पर जाएंगी। इसके अलावा चार ट्रेन, जिसमें दो ट्रेन दिल्ली की तरफ आती है, फरक्खा एक्सप्रेस, कैफियत एक्सप्रेस ये दोनों कैंसिल्ड हैं, पटना से आने वाली संपूर्ण क्रांति ये भी कैंसिल्ड रहेंगी और दिल्ली से जाने वाली फरक्खा वो भी कैंसिल्ड रहेगी। रेल्वे ने यात्रियों से अपील है कि वे स्टेशन आने से पहले अपनी गाड़ी की पोजीशन जरूर १३९ नम्बर या रेल्वे की वेबसाइड पर चेक कर लें।