सोमवार, 4 मई 2009

नेताओं की अपील पर जनता का संदेश

कम मतदान का सबक

मतदान का सामूहिक बहिष्कार आखिर क्यों?

राजनेताओं से क्यों खफा है मतदाता!

(लिमटी खरे)

सरकार और राजनैतिक दलों की अधिक से अधिक मतदान करने की अपील के बावजूद भी 15वीं लोकसभा के लिए होने वाले आम चुनावों में मतदान के गिरते प्रतिशत ने राजनेताओं के होश उड़ाने आरंभ कर दिए हैं। सवाल यह उठता है कि देश का गर्जियन चुनने के मामले में आम मतदाता उदासीन क्यों होता जा रहा है?आम चुनावों को स्थानीय निकाय के चुनावों में तब्दील करने वाले नेता ही इस उदासीनता की प्रमुख वजह समझ में आ रहे हैं। दुनिया के सबसे विशालकाय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत ने ``लोकसभा टीवी`` चेनल आरंभ कर देश भर के लोगों को यह दिखाने का साहस जुटाया कि उनके द्वारा जनादेश दिए जाने के उपरांत चुने गए नेताओं की भूमिका आखिर लोकसभा में क्या होती है?नेता यह भूल जाते हैं कि पांच सालों तक मतदाता और नवोदित होते मतदाता जिन्होंने इस मर्तबा पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया है, उन्होंने अपने सांसदों के रवैए को अपनी नंगी आंखों से देखा है। पांच सालों में लोकसभा सत्र के दौरान वे ही सांसद दिखाई पड़ते रहे हैं, जिन्होंने या तो प्रश्न पूछा है, या फिर वे मंत्री जिन्हें जवाब देना था।हमारी मान्यता के अनुसार इसका उल्टा प्रभाव मतदाता पर पड़ा। मतदाता को लगने लगा है कि उसके मत का कोई मूल्य नहीं बचा है। उसका चुना सांसद पांच साल तक आम मतदाता के बजाए अपने निहित स्वार्थों को अधिक तरजीह देने में व्यस्त रहा। आम आदमी को इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया से वितृष्णा होने लगी है। संसदीय आचरण की गरिमा के हनन के साथ ही अगर आम मतदाता का मतदान के प्रति रूझान कम हुआ है तो किसी को आश्चर्य नही होना चाहिए।आम चुनाव में राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों का अभाव साफ परिलक्षित होने लगा है। तेरह महीने और फिर पांच साल सत्ता पर काबिज रहने वाली भाजपा अब स्विस बैंक से धन वापसी के मार्ग प्रशस्त करने की बात कहती है। योग गुरू बाबा रामदेव भी अपने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के बेनर तले भाजपा की इस राग में सुर से सुर मिलाने से नहीं चूक रहे हैं। बड़े बड़े विज्ञापनों के माध्यम से बाबा रामदेव जैसे योगी भी राजनीति के गंदे नाले में परोक्ष रूप से पदार्पण के मार्ग प्रशस्त करते दिख रहे हैंं।विडम्बना ही कही जाएगी कि राजनैतिक दल विरोधाभासी बयानों से एक ओर जहां जात पात से उपर होने का दावा करते हैं वहीं दूसरी ओर सियासी पार्टियां आज के युग में पढ़े लिखे लोगों से यह कहकर वोट मांग रहे हैं कि उनके क्षेत्र में जिस जाति का बाहुल्य है, उसी जाति के प्रत्याशी को हमने टिकिट दिया है।कायस्थों के वोट पर राजनीति कर भाजपा छोड़ने की धमकी देने वाले फिल्मी अदाकार शत्रुध्न सिन्हा को भाजपा ने पटना से उतारा तो उनकी काट के रूप में कांग्रेस ने भी कायस्थ शेखर सुमन को उनके सामने झोंक दिया। इतना ही नहीं राहुल गांधी, वरूण गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद, मिलिन्द देवड़ा, दुष्यंत सिंह, सज्जन कुमार के भाई आदि परिवारवाद के ताजा तरीन उदहारण ही तो हैं। कानूनी दांवपेंच में फंसे संजय दत्त चुनावी समर में किस्मत न आजमा सके तो उनके स्थान पर नफीसा अली को उतार दिया गया। जेल में पड़े अपराधी अगर चुनाव न लड़ पाएं तो क्या गम है, उनकी अर्धाग्नी तो हैं उनकी कमी पूरी करने चुनाव मैदानों में।लगता है इसी सब को देखकर आम मतदाता का मतदान की ओर से मोहभंग हो गया है। देश की सबसे शक्तिशाली महिला रहीं कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के क्षेत्र में तो राजग के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आड़वाणी के क्षेत्र अहमदाबाद में भी लोगों ने अनेक केंद्रों पर मतदान का सामूहिक बहिष्कार किया है।सामूहिक बहिष्कार कोई नई बात नहीं है। पहले भी यह होता आया है, किन्तु चिन्ताजनक पहलू यह है कि जब हम चुनाव सुधार और अधिक मतदान के लिए बाकायदा अभियान चला रहे हों तब इस तरह की खबरें निश्चित रूप से अच्छी नहीं कही जा सकती हैं। आज आवश्यक्ता इस पर विचार करने की है। बुनियादी जरूरतों, जैसे सड़क, बिजली और पानी के न मिलने के लिए जनता ने जहां अपना विरोध दर्ज कराने पांच साल इतेंजार किया है, वहां भी अगर राजनेता उनकी परेशानी न समझ सकें तो यह नेताओं की नपुंसक कार्यप्रणाली का ही दोष कहा जा सकत ा है। शांतिप्रिय मतदाताओं ने अपनी बात रखने के लिए हिंसा और तोड़फोड़ का रास्ता न अपनाकर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान का बहिष्कार कर अपनी बात रखी है।कुछ सालों पूर्व मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ राजनेता ने 1998 के विधानसभा चुनावों के उपरांत हुई समीक्षा में जब सामूहिक बहिष्कार का मुद्दा आया तो उन्होंने यह कहा कि माना सारे गांव ने बहिष्कार किया, किन्तु हमारी पार्टी के बूथ के एजेंट! क्या वे भी इस बहिष्कार में शामिल थे, कम से कम उस मतदान केंद्र में एक मत तो पड़ना था।कहने का तात्पर्य महज इतना ही है कि अगर मतदान के बहिष्कार में सियासी पार्टी का कार्यकर्ता भी शामिल है, तो उसकी पीड़ा के मर्म को जानना जरूरी है। खोखले वादे और सुनहरी तस्वीर दिखाने से कुछ बदलने वाला नहीं है। जनता जाग चुकी है। पांच साल में एक बार उसे अपनी ताकत दिखाने का अवसर मिलता है। जनता की ताकत को समझना होगा, वरना जनता ही है जो राजनेताओं को संसदीय सौंध से बाहर का रास्ता दिखाने में भी गुरेज नहीं करने वाली।


भाजपा के पक्ष में परोक्ष रूप से कूदे बाबा रामदेव

स्वाभिमान ट्रस्ट ने अलापा आड़वाणी का राग

राजनीति में आने के मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं योग गुरू के

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। फर्श से अर्श पर पहुंचने वाले योग गुरू बाबा रामदेव ने लाल कृष्ण आड़वाणी के सुर में सुर मिलाते हुए परोक्ष रूप से भाजपा को जिताने की अपील करना आरंभ कर दिया है। भारत स्वाभिमान ट्रस्ट द्वारा जारी विज्ञापनों में राजग के पीएम इन वेटिंग एल।के।आड़वाणी के स्विस बैंक से धन वापसी के मुद्दे को जोर शोर से उठाया गया है।आज ट्रस्ट द्वारा जारी विज्ञापन में बाबा रामदेव की आकर्षक फोटो के साथ अव्हान किया गया है कि ``ईमानदार को जिताना है, स्विस बैंक से पैसा वापस लाना है।`` इसके साथ ही साथ स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा जमा 72 लाख 80 हजार करोड़ रूपए को लाकर देश के विकास में खर्च करने की बात भी कही गई है।सियासी हल्कों में चल रही चर्चाओं के अनुसार ट्रस्ट के माध्यम से अब बाबा रामदेव भी राजनीति के दलदल में उतरने की तैयारियां आरंभ कर रहे हैं। गौरतलब होगा कुछ दिन पूर्व बाबा रामदेव ने हरिद्वार स्थित अपने आश्रम में देश भर के चुनिंदा वकील, मीडिया पर्सनालिटी, चिकित्सक आदि को बुलाकर विशेष शिविर लगाए थे।बाबा रामदेव से जुड़े सूत्रों के अनुसार देश भर के हर जिले में जल्द ही भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की शाखा खोलकर उनको वाहन कंप्यूटर सहित हर तरह के उपकरणों से लैस किया जाने वाला है। पूर्व में धार्मिक रूप से पूजे जाने वाले आचार्यो प्रवचन कर्ताओं आदि द्वारा राजनेताओं के पक्ष में बयार बहाने का काम किया जाता रहा है।यह पहला मौका होगा जब कोई योग गुरू खुलकर मतदाताओं को मतदान करने का आग्रह करे और वह भी उस मुद्दे पर जिसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आड़वाणी द्वारा उठाया गया हो। जानकारों का कहना है कि स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा 72 लाख 80 हजार करोड़ की राशि का खुलासा आड़वाणी द्वारा ही किया गया है।गौरतलब होगा कि स्विस बैंक दुनिया का पहला अनूठा बैंक है, जहां खातेदार का विवरण पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है, खातेदार अपने पिन कोड़ नंबर और अपनी उंगलियों के निशानों के माध्यम से अपना पैसा इधर उधर कर सकता है। जब स्विस बैंक द्वारा इस भारतीयों द्वारा जमा किए गए इस तरह के किसी धन के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई खुलासा नहीं किया गया हो और आड़वाणी एवं बाबा की बताई रकम एक सी हो तो जनमानस के मन में प्रश्न कौंधना स्वाभाविक ही है, कि कहीं बाबा परोक्ष रूप से अपने अनुयायियों को भाजपा के पक्ष में कोई संदेश तो नहीं देना चाह रहे हैं।वैसे बाबा रामदेव और राजग के पीएम इन वेटिंग का ध्यान हिन्दुस्तान में निजी तौर पर चल रहे बैंकिग व्यवसाय की ओर नहीं गया है। कहा जाता है कि निजी तौर पर बैंकिग व्यवसाय करने वाली एक नामी गिरामी कंपनी में भी देश के अनेक लोगों का बेनामी पैसा लगा हुआ है। नब्बे के दशक के शुरूआत मेंं ही तेजी से उभरी उक्त कंपनी को उद्योगपतियों, ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं के बीच ``इंडियन स्विस बैंक`` के नाम से जाना जाता है।


क्या बूटा को निकाल सकती है कांग्रेस!

पार्टी के सदस्य ही नहीं हैं बूटा सिंह

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने बूटा सिंह को कांग्रेस की सक्रिय सदस्यता के लिए छ: साल के लिए निष्काशित कर दिया गया है। देश की राजनैतिक राजधानी में अब सियासी बाजार गर्मा गया है कि क्या बूटा सिंह को निकालने का अधिकार अब भी कांग्रेस के पास है।बताया जाता है कि जब बूटा सिंह को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था, तब ही उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था, क्योंकि राज्यपाल के पद पर बैठने वाला किसी दल का सदस्य नहीं हो सकता। लाट साहब के पद से हटने के उपरांत फिर बूटा सिंह को आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया।अगर बूटा सिंह को पार्टी टिकिट देती तब वे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते। कहते हैं, बूटा कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं, फिर भी कांग्रेस ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। साथ ही बूटा सिंह अगर राजस्थान की जालोर सीट से निर्दलीय जीत जाते हैं तो क्या कांग्रेस उन्हें वापस नहीं लेगी? यह प्रश्न भी राजनैतिक वीथिकाओं में घुमड़ रहा है।

मध्य प्रदेश और छग को भी मिले मास्क

स्वाइन फ्लू के मद्देनजर पशुपालन विभाग ने राज्यों को परामर्श जारी किया

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। स्वाईन फ्लू से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को इमदाद बांटना आंरभ कर दिया है। प्रथम चरण में कंेंंद्र द्वारा 2 लाख 45 हजार ओसेल्टा मिविर, 18 हजार बचाव उपकरण, 17 हजार पांच सौ एन 5 और 1 लाख तीस हजार त्रिस्तरीय मास्क मुहैया करवाए हैं।आधिकारिक जानकारी के अनुसार इसमें से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को दस दस हजार ओसेल्टा मिविर, पांच पांच सौ बचाव उपकरण एवं एन 5 तथा पांच पांच हजार त्रिस्तरीय मास्क उपलब्ध कराए हैं। केंद्र द्वारा इतनी मात्रा में बचाव सामग्री मुहैया करवाने से मध्य प्रदेश और छग में इस बीमारी के फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। उक्त सामग्री क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल को उपलब्ध कराई गई है।

केंद्र का परामर्श जारी

पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन विभाग ने सभी राज्य सरकारों को स्वाइन फ्लू संबंधी परामर्श जारी किया है ताकि सूअरों पर फ्लू सरीखे लक्षणों की निगरानी की जा सकंं। स्वाइन फ्लू पर तथ्यपरक सूचना के लिए विभाग ने नई दिल्ली में —षि भवन के कमरा नं0 297 - सी में नियंत्रण कक्ष कायम किया है जो सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक कार्य करेगा । नियंत्रण कक्ष का टेलीफोन नम्बर, 011-23384190 है । कार्य अवधि के बाद जानकारी या स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए मोबाइल नंबरों 09818002564, 0986871237 और 09868792726 पर संपर्क किया जा सकता है।0 स्वाइन फ्लू की अद्यतन स्थितिविश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानवों में इंफ्लूंजा ए (स्वाइन फ्लू) के कई मामले सामने आए हैं । 30 अप्रैल, 2009 तक 11 देशों में स्वाइन फ्लू के 257 मामले सामने आये जिनमें आठ मामलों में मौत हो गयी । अमेरिका में 109 लोग स्वाइन फ्लू के शिकार पाए गए तथा इनकी प्रयोगशाला से भी पुष्टि हुई है । अमेरिका में एक व्यक्ति की इस बीमारी से मौत हो गयी । मैिक्सको में 97 मामले सामने आए हैं तथा सात व्यक्तियों की मौत हो गयी है । आस्ट्रिया, कनाडा, जर्मनी, इजराइल, न्यूजीलैंड, स्पेन, नीदरलैंड, स्वीट्जरलैंड और ब्रिटेन से भी स्वाइन फ्लू के कई मामले हैं। दुनिया भर में स्वाइन फ्लू के मामले सामने आने के बाद भारत सरकार ने भी एहतियाती कदम उठाए हैं । दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेéई, हैदराबाद, बंगलूरू, गोवा, अमृतसर, कोचीन, अहमदाबाद, त्रिची तथा श्रीनगर के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर इंफ्लूएंजा ए से प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है । अब तक कुल 17949 यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है । स्वास्थ्य परीक्षण के लिए इन हवाई अड्डों पर 96 डाक्टर तैनात किए गए हैं । केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने विभिé राज्यों के लिए दवाइयां, व्यक्तिगत बचाव उपकरण उपलब्ध करा दिए हैं । मंत्रालय की ओर से क्षेत्रीय कार्यालयों को ओसेल्टामिविर दवा की करीब 250 लाख गोलियां, 18000 व्यक्तिगत बचाव उपकरण तथा एक लाख त्रिस्तरीय मास्क भेजे गए हैं।