रविवार, 30 अक्तूबर 2011

घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी


घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी

थापर ग्रुप के पावर प्लांट डलने के मार्ग प्रशस्त

जनसेवकों का मौन सन्दिग्ध

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की ख्यातिलब्ध थापर ग्रुप ऑफ कम्पनी समूह के एक प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील को झुलसाने की तैयारी पूरी कर ली है। वर्ष 2009 में 22 अगसत को बिना किसी मुनादी के गुपचुप तरीके से घंसौर में सम्पन्न हुई जनसुनवाई के बाद अब इसकी औपचारिकताएं लगभग पूरी कर ली गईं हैं। अब मामला केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मन्त्रालय के पाले में आ चुका है।

गौरतलब है कि झाबुआ पावर प्लांट कंपनी द्वारा मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर सिवनी जिले की घंसौर तहसील के बरेला ग्राम में 1200 मेगावाट का एक पावर प्लांट लगाया जा रहा है। इसके प्रथम चरण में यहां 600 मेगावाट की इकाई प्रस्तावित है। कोयला मन्त्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस कंपनी को अभी कोल लिंकेज प्रदान नहीं किया गया है।

केन्द्रीय उर्जा मन्त्रालय के भरोसेमन्द सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना के लिए 3.20 एमटीपीए से अधिक के ईंधन की आवश्यक्ता होगी एवं इस संयन्त्र में पानी की आपूर्ति रानी अवन्ति बाई सागर परियोजना जबलपुर, (बरगी बांध) के सिवनी जिले के भराव वाले इलाके गडघाट और पायली के समीप से किया जाना प्रस्तावित है। यह परियोजना प्रतिघंटा 3262 मीट्रिक टन पानी पी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि इस संयन्त्र का बायलर पूरी तरह कोयले पर ही आधारित होगा। इसके लिए कोयले की आपूर्ति साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के अनूपपुर, शहडोल स्थित खदान से की जाएगी।

कंपनी के सूत्रों का कहना है कि थापर ग्रुप की इस महात्वाकांक्षी परियोजना के लिए 360 एकड गैर कृषि एवं मात्र 20 एकड कृषि भूमि का क्रय किया गया है। सरकार से 220 एकड भूमि भी लिया जाना बताया जाता है। कहते हैं कि जिन ग्रामीणों की भूमि खरीदी गई है उन्हें भी मुंह देखकर ही पैसे दिए गए हैं। कहीं कंपनी को जमीन अमोल मिल गई है तो कहीं अनमोल कीमत देकर। कंपनी के सूत्रों ने आगे बताया कि कंपनी ने जिन परिवारों की भूमि अधिग्रहित की है, उन परिवारों के एक एक सदस्य को नौकरी दिए जाने का प्रावधान भी किया गया है। वहीं चर्चा यह है कि स्थानीय लोगों को या जमीन अधिग्रहित परिवार वालों को अनस्किल्ड लेबर के तौर पर नौकरी दे दी जाएगी, और शेष बचे स्थानों पर बाहरी लोगों को लाकर संयत्र को आरम्भ कर दिया जाएगा।

इस समूचे मामले में सिवनी जिले के जनसेवकों की चुप्पी आश्चर्यजनक है। इस संयन्त्र की चिमनी लगभग एक हजार फिट उंची होगी, जिसके अन्दर कोयला जलेगा। यहां उल्लेखनीय होगा कि संयन्त्र से निकलने वाली उर्जा और कोयले की तपन को सह पाना आसपास के ग्रामीणों और जंगल में लगे पेड पौधों के बस की बात नहीं होगी। इसके लिए न तो मध्य प्रदेश सरकार को ही ठीक ठाक मुआवजा मिलने की खबर है, और न ही आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के निवासियों के हाथ ही कुछ राहत लग पा रही है। कहा जा रहा है कि झाबुआ पावर लिमिटेड कंपनी द्वारा जनसेवकों को शान्त रहने के लिए उनके मंह पर भारी भरकम बोझ रख दिया है, ताकि घंसौर को झुलसाने के उनके मार्ग प्रशस्त हो सकें।

अपने मन के मंत्री भी नहीं बना पाए मन


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 13

अपने मन के मंत्री भी नहीं बना पाए मन

मजबूर और बेबस वजीरे आजम से छुटकारा चाह रही कांग्रेस

भस्मासुर की छवि बन चुकी है मनमोहन सिंह की

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सबसे अधिक समय तक नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) से इतर वजीरे आजम की कुर्सी संभालने वाले कमजोर, लाचार और बेबस प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की छवि कांग्रेस के अंदर भस्मासुर की बन चुकी है। कांग्रेसी अपने आप को जीवित रखने के लिए अब मनमोहन सिंह का मन से छुटकारा चाह रहे हैं। प्रधानमंत्री ने दांव चलते हुए अपने आप को कमजोर और बेबस साबित कर सब कुछ सोनिया गांधी के इशारों पर होने का संकेत देकर सभी को चौंका दिया है।

वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन ंिसह इस बात को भी प्रचारित करवा रहे हैं कि 2004 से अब तक वे अपने पसंद का कुनबा यानी मंत्रीमण्डल नहीं बनवा पाए हैं। वे जिसे भी मंत्री बनाना चाह रहे थे उसके लिए सोनिया ने हरी झंडी नहीं दी। रही बात घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की तो वे खुद प्रधानमंत्री तो हैं पर उनकी चलती ही नहीं है इसलिए वे क्या कर सकते हैं। इशारों ही इशारों में मनमोहन सिंह ने ठीकरा श्रीमति सोनिया गांधी के सर फोड दिया।

जैसे ही घपले घोटालों की बात उजागर हुई प्रधानमंत्री ने अपना पल्ला झाड़कर संपादकों की टोली के सामने अपने आप को निरीह साबित कर दिया। फिर क्या था सभी की तोप का मंुह सोनिया की ओर घूम गया। जब यह बात सोनिया जुंडाली तक पहुंची वैसे ही सभी नहा धोकर मनमोहन की मुक्ति के मार्ग खोजने में जुट गए। कांग्रेस के अंदर मनमोहन की छवि भस्मासुर की बन चुकी है। कहा जा रहा है कि मनमोहन इस तरह तो कांग्रेस को समूल समाप्त कर ही दम लेंगे।

कांग्रेसी अब इस बात को प्रचारित करवा रहे हैं कि अगर मनमोहन बेबस, लाचार और कमजोर हैं तो फिर क्या वजह है कि वे प्रधानमंत्री की कुर्सी से चिपके हुए हैं। अपनी ईमानदार छवि के चलते उन्हें तो त्यागपत्र देकर राजनीति से किनारा कर लेना चाहिए था। वस्तुतः मनमोहन सिंह ने एसा किया नहीं। इससे साफ हो जाता है कि मनमोहन सिंह ईमानदार नहीं वरन् भ्रष्टचार के ईमानदार संरक्षक के तौर पर उभरकर सामने आए हैं।

(क्रमशः जारी)

रथ यात्रा से उत्साहित हैं लालू यादव


उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 7

रथ यात्रा से उत्साहित हैं लालू यादव

नितिश कुमार का राजनैतिक अंत देख रहे हैं लालू यादव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। तिरासी बसंत पार कर चुके एल.के.आड़वाणी की रथ यात्रा से तीन लोग प्रसन्न नजर आ रहे हैं। अव्वल तो उनकी पुत्री प्रतिभा दूसरे अनंत कुमार और तीसरे हैं लालू प्रसाद यादव। लालू इसलिए प्रसन्न हैं क्योंकि बिहार के निजाम नितीश कुमार द्वारा आड़वाणी की रथ यात्रा को झंडी दिखाने से अल्प संख्यक नितीश से नाता तोड़ सकते हैं।

बिहार की सत्ता से उखाड़ फेंके गए राजद सुप्रीमो लालू यादव का शनि 2009 से भारी चल रहा है। 2009 के चुनावों में उनकी पार्टी औंधे मुंह गिरी और वे केंद्र तथा बिहार दोनों ही जगह सत्ता की मलाई चखने से वंचित रह गए। सत्ता से बाहर रहने के कारण राजग में फंडिंग का अभाव हो रहा है और लालू यादव का कुनबा टूट टूट कर बिखर रहा है।

इन दिनों लालू प्रसाद यादव के चेहरे की लालिमा एक बार फिर बढ़ती दिख रही है। लालू यादव को विश्वास है कि नितीश कुमार द्वारा जब एल.के.आड़वाणी की रथ यात्रा को झंडी दिखाई गई उसके बाद से ही मुसलमीन (मुस्लिम समुदाय) नितीश कुमार से खफा हो गया है। अब मुस्लिम समुदाय के पास बिहार में लालू प्रसाद यादव से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। गौरतलब है कि 1990 में लालू प्रसाद यादव ने ही आड़वाणी की यात्रा को रोका और गिरफ्तार किया था, जिसके परिणामस्वरूप विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार धराशाई हुई थी।

(क्रमशः जारी)

5 रूपए की सिम में 15 का बैलेंस!


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  9

5 रूपए की सिम में 15 का बैलेंस!

टारगेट पूरा करने तरह तरह के हथकंडे अपना रहा आईडिया

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मोबाईल की दुनिया में धूम मचाने वाली आदित्य बिरला की आईडिया सेल्यूलर द्वारा अपने टीम मैनेजर्स को दिए गए भारी भरकम लक्ष्य को पूरा करने की गरज से आईडिया के टीम प्रबंधकों द्वारा देश भर में अपने उपभोक्ताओं को तरह तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पांच रूपए में सिम खरीदने में पंद्रह रूपए का बेलेंस मिल रहा है। इसके लिए आईडिया की टीम द्वारा उपभोक्ताओं की निर्धारित औपचारिकताएं भी पूरी नहीं करवाई जाने की शिकायतें मिलीं हैं।

मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया द्वारा बिना किसी औपचारिकता को पूरा किए ही पांच रूपए में सिम दिए जाने की खबरें मिल रहीं हैं। इस सिम में पंद्रह रूपए का बैलेंस भी मिल रहा है। मजे की बात तो यह है कि उपभोक्ता द्वारा जब औपचारिकताओं की फोटो कापी दी जाती है तो उपभोक्ताओं से एक के बजाए दो फोटो की मांग की जाती है।

इतना ही नहीं उपभोक्ता के कस्टमर आईडेंटीफिकेशन फार्म के जमा होते ही उसकी सिम चालू कर दी जाती है। भले ही उसके द्वारा दिया गया पते का प्रमाण पत्र या जन्म तिथि फर्जी हो। आईडिया में इतनी मुगलई मची हुई है कि उपभोक्ता को अगर शिकायत करना हो तो उसे कोई यह बताने को राजी नहीं होता है कि उसकी शिकायत कहां दर्ज की जाएगी।

(क्रमशः जारी)