बुधवार, 9 सितंबर 2009

क्या संदेश देना चाह रहे हें जनसेवक

विलासिता का लबादा ओढ़े जनप्रतिनिधि और अधिकारी

(लिमटी खरे)

किसी ने सच ही कहा है कि भारत वर्ष में सब कुछ संभव है। यहां जन्मजात अंधे को मोटर चलाने का लाईसेंस मिल सकता है। गूंगे बोलने लगते हैं, लंगड़े फर्राटे से दौड़ जाते हैं, और भी न जाने क्या क्या! हमारे देश की भयावह गरीबी के परिदृश्य से भलीभांति परिचित सरकारी नुमाईंदे हवाई जहाज में यात्रा कर, पांच या सात सितारा होटल में रात बिताकर आखिर देश की जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं, यह समझ से परे ही है।कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने गठन के बाद सौ दिनी एजेंडा बनाया। सौ दिन पूरे हो गए पर उस एजेंडे का क्या हुआ किसी को नहीं पता। सरकार ने अपने इस एजेंडे में सांसदों के आवास को प्राथमिकता नहीं दी। आज भी अनेक संसद सदस्य किसी न किसी होटल में ही रात बिता रहे हैं, आश्चर्य तो इस बात पर है कि सौ दिनों के बाद भी संसद सदस्यों के लिए निर्धारित आवास ठीक नहीं हो सके हैं। यह है केंद्र सरकार की नाक के नीचे कच्छप गति से चलते प्रशासन की एक बानगी।वजीरे आज़म डॉ. एम.एम.सिंह ने अनावश्यक खर्चों पर कमी की अपील की है। निश्चित तौर पर यह बात उनकी सरकार के मंत्रियों और समस्त संसद सदस्यों पर भी लागू होगी। केंद्र सरकार में विदेश मंत्री जैसे महात्वपूर्ण ओहदे पर विराजमान एम.एस.कृष्णा और विदेश राज्य मंत्री एवं पूर्व राजनयिक शशि थुरूर ने तो सारी हदें पार ही कर दीं।खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो कृष्णा इन दिनों मोर्या शैराटन नाम के एक सात सितारा होटल के प्रेसिडेंशियल स्यूट को अपना आशियाना बनाए हुए थे, जिसका किराया एक लाख रूपए प्रतिदिन का है। यही हाल थुरूर का है वे तज मानसिंह के एिग्जक्यूटिव स्यूट में चालीस हजार रूपए प्रतिदिन के मान से रह रहे थे।पता नहीं जनता या अपने खुद के गाढ़े पसीने की कमाई हवा में उड़ाने वाले इन जनसेवकों को इस बात का इल्म है कि नहीं कि देश की 80 फीसदी जनता की औसत आय महज 20 रूपए प्रतिदिन ही है। मंत्रियों का यह तर्क कि उन्हें आवंटित बंग्ले अभी रहने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए वे होटलों में रह रहे हैं, भी गले से नहीं उतर पा रहा है।इन मंत्रियों ने यह पूछा जाना अत्यावश्यक होगा कि क्या कर्नाटक और केरल भवन के कक्ष इन मंत्रियों के रहने लायक नहीं हैं, जिन भवनों में सूबों के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक रह सकते हैं, उन कक्षों में रहने में इन जनसेवकों को आखिर एतराज किस बात का है।वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की हिदायत के बाद दोनों ही मंत्रियों ने अपना आशियाना बदल दिया। कृष्णा विदेश सेवा संस्थान के गेस्ट हाउस में तो थुरूर ने इंडियन नेवी के अतिथिगृह की ओर रूख कर लिया है। जनसेवक कहलाने वाले कृष्णा ने कहा है कि वे अपने निजी खर्च पर होटल में रह रहे हैं। अगर वाकई एसा है तो लानत है एसे विलासिता पसंद जनप्रतिनिधियों पर।देश को आजादी दिलवाने वाले दीवानों ने सड़कों पर उतरकर सारे एशोआराम को सलाम भेजा था, तब कहीं जाकर हमें नसीब हुई आजादी। गांधी नेहरू के नाम को भुनाने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस पार्टी क्या इस तरह की बयान बाजी पर किसी किस्म की टिप्पणी करने की जहमत उठाएगीर्षोर्षो क्या ये जनता के सेवक राष्ट्रपिता की उपाधि से नवाजे गए महात्मा गांधी के जीवन से कुछ प्रेरणा ले पाएंगेर्षोर्षोसवाल यह उठता है कि अगर इन मंत्रियों ने अपनी निजी व्यवस्था के तौर पर होटलों में रूकने का उपक्रम किया था, तो क्या वे आयकर रिटर्न में करोड़ों के होटल के भुगतान को दर्शाने का साहस कर पाएंगे। सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के पास ``उपकृत`` करने के असीमित अधिकार होते हैं, इन परिस्थितियों में इन मंत्रियों के करोड़ों के होटल के बिल का भुगतान भी किसी ``कृपा प्राप्त शोहदे`` द्वारा कर दिया जाए तो किसी को अश्चर्य नहीं होना चाहिए।बेशक दोनों ही मंत्री अपने ``स्वयं`` के व्यय पर डेढ लाख रूपए प्रतिदिन के होटल में रात गुजार रहे होंगे, किन्तु न तो मंत्रियों ने और न ही होटल प्रबंधन ने यह बताने की जहमत उठाई कि वे कितना किराया दे चुके थे, या कितना किराया देना बाकी है। सादगी का आलाप रागने वाली कांग्रेस पार्टी के मंत्री इस कदर विलासिता का उपभोग करेंगे तो ``कांग्रेस का हाथ, गरीब के साथ`` नारे का क्या होगा।विदेश राज्य मंत्री शशि थुरूर ने तो नेट पर यह भी लिखा है कि अगर वे जनता का पैसा खर्च कर रहे होते तो शर्मिंदा होते, लेकिन वे जनता के बजाए अपना पैसा खर्च कर रहे हैं। मंत्री द्वय शायद बार बार यह भूल जाते हैं कि वे निजाम की भूमिका में हैं, रियाया के सुख दुख का ख्याल रखना उनका परम धर्म है।मंदी की मार से जूझ रहे हिन्दुस्तान में अब जबकि गरीबी महामारी की तरह फैल चुकी है, तब इस तरह की विलासिता का प्रदर्शन कर उसे सही ठहराने हेतु तरह तरह के जवाब देना कहां तक उचित माना जा सकता हैर्षोर्षो बेहतर होता दोनों ही मंत्री सादगी के साथ जहां अब रहने गए हैं, वहीं आरंभ से रहते एवं विलसिता पर किए गए खर्च को बाढ़ या सूखा पीडितों के बीच बटवाकर पुण्य कमाते। मंत्री द्वय अपने खर्च पर जो चाहे करना चाहें करें यह उनका नितांत निजी मामला है, किन्तु उन्हें चाहिए कि पहले वे मंत्री पद त्यागें, संसद की सदस्यता त्यागें, उसके उपरांत जो मर्जी वह करें। वर्तमान में चूंकि वे जनसेवक हैं, अत: उन्हें मर्यादित रहना अत्यंत जरूरी है। बुंदेलखण्ड की एक प्रसिद्ध कहावत का जिकर यहां करना लजिमी होगा, ``घर के लड़का (आम जनता) गोहीं (आम की गुठली) चूसें, और मामा (जनसेवक) खाएं अमावट (आम के गूदे को सुखाकर बनाया गया पदार्थ)।``

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फिर सकते हैं अरूण यादव के दिन

0 यदुवंशियों के त्रिफला की काट बनाने की जुगत में हैं राहुल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र अरूण यादव अगर ठीक ठीक चले तो आने वाले दिनों में कांग्रेस उन्हें हाथों हाथ लेने की तैयारी में है। राहुल गांधी नजर इस युवा यदुवंशी पर आकर टिक चुकी है। लालू, मुलायम, शरद और अखिलेश यादव की काट के तौर पर अरूण यादव को तैयार किया जा रहा है।कांग्रेस के नए सत्ता ओर शक्ति के शीर्ष केंद्र 12 तुगलक लेन (कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का सरकरी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि सत्ता के गुणदोष में लगभग पारंगत हो चुके राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष यादव के पुत्र अरूण यादव को तराशना आरंभ कर दिया है।सूत्रों की मानें तो महज दो साल का ही संसदीय अनुभव रखने वाले खण्डवा के सांसद अरूण को केंद्र मंें खेल और युवा मामलों में राज्यमंत्री बनाया गया था, इसके कुछ दिनों बाद ही उनका विभाग बदलकर उन्हें भारी उद्योग विभाग में राज्य मंत्री बना दिया गया है।अगले साल होने वाले राष्ट्रमण्डल खेलों की आपाधापी की वजह से अरूण यादव को शायद अन्य कामों में समय न मिल पाए, संभवत: इसी लिए उनका विभाग बदला गया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि राहुल गांधी की सलाह पर ही अरूण यादव को बिहार की मुजफ्फरपुर और मध्य प्रदेश की गोहद विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए भेजा गया है।सूत्रों ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में अरूण यादव के परफारमेंस को देखने के बाद ही कांग्रेस के युवराज राहल गांधी द्वारा अरूण यादव की अगली भूमिका तय की जाएगी। वैसे कांग्रेस के अंदर युवा यदुवंशी अरूण यादव अगर कांग्रेस में अपनी पेठ जमाने में कामयाब हो गए तो आने वाले दिनों में राहुल गांधी द्वारा अरूण को लालू, शरद और मुलायम सिंह यादव की काट के तौर पर पेश कर दिया जाएगा
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