शुक्रवार, 1 जून 2012

अमेरिका की प्रवासी लेखिका श्रीमती इला प्रसाद का रचनापाठ

अमेरिका की प्रवासी लेखिका श्रीमती इला प्रसाद का रचनापाठ

प्रवासी दुनिया

 के तत्वावधान मे
 अक्षरम
का आयोजन
 अमेरिका की प्रवासी लेखिका
 श्रीमती इला प्रसाद
 का रचना पाठ
संवाद
अध्यक्षता – डॉ सुरेश ऋतुपर्ण
संचालन- बलराम अग्रवाल
दिनांक – 4 जून , सोमवार, सायं 6 बजे
स्थान – दीवानचंद ट्रस्ट सभागार, 2 जैन मंदिर मार्ग
कनॉट प्लेस, (शिवाजी स्टेडियम के सामने)
अनिल जोशी         नरेश शांडिल्य      नारायण कुमार          अवधेश सिंह
 09899552099       09868303565     09268766150       09868228699
इला प्रसाद का परिचय
 झारखंड की राजधानी राँची में जन्म। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सी.एस. आई. आर. की रिसर्च फ़ेलॊशिप के अन्तर्गत भौतिकी(माइक्रोइलेक्ट्रानिक्स) में पी.एच. डी एवं आई आई टी मुम्बई में सी एस आई आर की ही शॊध वृत्ति पर कुछ वर्षों तक शोध कार्य । राष्ट्रीय एवं अन्तर-राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित । भौतिकी विषय से
जुड़ी राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय कार्यशालाओं/ सम्मेलनों में भागीदारी एवं शोध पत्र का प्रकाशन/प्रस्तुतीकरण। कुछ समय अमेरिका के कालेजों में अध्यापन।
छात्र जीवन में काव्य लेखन की शुरुआत । प्रारम्भ में कालेज पत्रिका एवं आकाशवाणी तक सीमित। “इस कहानी का अन्त नहीं ” कहानी , जो जनसत्ता में २००२ में प्रकाशित हुई , से कहानी लेखन की शुरुआत। अबतक देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं यथा, वागर्थ, हंस, कादम्बिनी, आधारशिला , हिन्दीजगत, हिन्दी- चेतना, निकट, पुरवाई , स्पाइल आदि तथा अनुभूति- अभिव्यक्ति , हिन्दी नेस्ट, साहित्य कुंज सहित तमाम वेब पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ प्रकाशित। “वर्तमान -साहित्य” और “रचना- समय” के प्रवासी कथाकार विशेषांक में कहानियाँ/कविताएँ संकलित । डा. अन्जना सन्धीर द्वारा सम्पादित “प्रवासिनी के बोल “में कविताएँ एवं “प्रवासी आवाज” में कहानी संकलित। कुछ रचनाओं का हिन्दी से इतर भाषाओं में अनुवाद भी। विश्व हिन्दी सम्मेलन में भागीदारी एवं सम्मेलन की अमेरिका से प्रकाशित स्मारिका में लेख संकलित। कुछ संस्मरण एवं अन्य लेखकों की किताबों की समीक्षा आदि भी लिखी है । हिन्दी में विज्ञान सम्बन्धी लेखों का अनुवाद और स्वतंत्र लेखन। आरम्भिक दिनों में इला नरेन के नाम से भी लेखन।
कृतियाँ :   “धूप का टुकड़ा ” (कविता संग्रह) एवं “इस कहानी का अंत नहीं”,
’उस स्त्री का नाम’ ( कहानी- संग्रह) ।
शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास : ’रोशनी अधूरी-सी’
लेखन के अतिरिक्त योग, रेकी, बागवानी, पर्यटन एवं पुस्तकें पढ़ने में रुचि।
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन ।
सम्पर्क : 12934, MEADOW RUN
HOUSTON, TX-77066 USA
ई मेल ; ila_prasad1@yahoo.com

 

भाजपा में खदबदाता असंतोष सड़कों पर!


भाजपा में खदबदाता असंतोष सड़कों पर!

गड़करी, आड़वाणी में खिची तलवारें

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। चाल, चरित्र और चेहरा एवं कथित अनुशासन के लिए मशहूर भारतीय जनता पार्टी के अंदर खदबदाता असंतोष अब सड़कों पर आ गया है। अपनी उपेक्षा से नाराज लाल कृष्ण आड़वाणी ने अब पार्टी मंच से इतर ब्लाग के जरिए अपनी व्यथा सार्वजनिक की तो उधर, गड़करी ने अब आड़वाणी की उपेक्षा आरंभ कर दी है। गड़करी की जुंडाली सार्वजनिक तौर पर आड़वाणी को लानत मलानत भेजने का काम करने में जुट गई है।
कांग्रेस के पेट्रोल की कीमतों के बढ़ाने का विरोध करने के लिए भाजपा ने 31 मई का दिन चुना। इसी दिन अपनी उपेक्षा से दुखी राजग के पीएम इन वेटिंग रहे एल.के.आड़वाणी ने ब्लाग पर भाजपा के बारे में उल जलूल लिखकर सनसनी पैदा कर दी। आड़वाणी के निशाने पर इस समय भाजपा के निजाम नितिन गड़करी हैं।
भाजपा के शीर्ष नेता आड़वाणी ने अपने ब्लाग पर लिखा है कि भाजपा के रवैए से लोग निराश हैं, इन परिस्थितियों में भाजपा को आत्म विश्लेषण की महती आवश्यक्ता है। चर्चा है कि आड़वाणी को उम्मीद थी कि इस बार भी उन्हें 2014 के आम चुनावों के लिए भाजपा के चेहरे के बतौर इस्तेमाल किया जाएगा। वस्तुतः एसा हुआ नहीं।
भाजपा में चल रही चर्चाओं के अनुसार आड़वाणी को अगर पुनः पीएम इन वेटिंग बना दिया जाता तो वे भाजपा की कार्यप्रणाली से कतई नाखुश नहीं रहते, और ना ही आत्म विश्लेषण का सुझाव देते। एक पदाधिकारी ने अपना नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि उमर दराज आड़वाणी अगर वाकई भाजपा की हालत से दुखी हैं तो उन्हें इस बारे में पहले ही चिंता करनी चाहिए थी। भाजपा के इस तरह के हालात रातों रात तो बने नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश चुनावों के नतीजे आने के महीनों बाद आड़वाणी यूपी चुनाव का विश्लेषण कर लिख रहे हैं कि पार्टी में जोश की कमी यूपी चुनाव है। यूपी मंे बसपा के नकारे गए कुशवाह को पार्टी में लेना आत्मघाती ही साबित हुआ है। इसी तरह झारखण्ड और कर्नाटक के मसलों पर भाजपा के रवैए से भाजपा का भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान कमजोर ही साबित हो रहा है।
कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में स्वास्थ्य घोटाले के आरोपी बाबू सिंह कुशवाहा को भाजपा में शामिल करना, भ्रष्टाचार के आरोपों में आकंठ डूबे तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के खिलाफ कड़ा कदम ना उठाना आड़वाणी की नाराजगी की वजहंें प्रमुख तौर पर सामने आ रही हैं।
इसके अलावा झारखण्ड में राज्य सभा चुनावों में भाजपा की जिस तरह भद्द पिटी है उससे पार्टी का नाम ही खराब हुआ है। सूबे में एस.एस.अहलूवालिया के स्थान पर विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोपी अंशुमान को टिकिट देना फिर वापस अहलूवालिया को लाना और अहलूवालिया का हार जाना पार्टी की साख पर खासा धब्बा है।
31 मई को भारत बंद के उपरांत दिल्ली स्थित नितिन गड़करी के निवास पर हुई समीक्षा बैठक में आड़वाणी की अनुपस्थिति पर भी विश्लेषक शोध में जुट गए हैं। एक तरफ कहा जा रहा है कि इस बैठक का आड़वाणी ने बहिष्कार किया तो दूसरी ओर यह बात भी फिजां में तैर गई है कि आड़वाणी की गड़करी द्वारा जानबूझकर उपेक्षा की जा रही है। इस बैठक में आड़वाणी को आमंत्रित ही नहीं किया गया था।
उधर, झारखण्ड प्रकरण में आड़वाणी के वीटो से नाखुश अंशुमान मिश्रा ने भी आड़वाणी के खिलाफ तलवार निकाल ली है। भाजपाई सूत्रों का कहना है कि अंशुमान मिश्रा ने राजग के पीएम इन वेटिंग रहे एल.के.आड़वाणी को एक कड़ा और खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में अंशुमान ने अपने सारे अरमान निकाल लिए हैं। पत्र में लिखा गया है कि अब आपकी (आड़वाणी की) उम्र नाती पोते खिलाने की है, आप अब राजनीति से तौबा कर वानप्रस्थ आश्रम का लाभ उठाएं। आप नाहक ही राजनैतिक अड़ंगेबाजी को अंजाम ना दें।
इस तरह आरोप प्रत्यारोप के दौर में भाजपा के अंदर मची कलह अब सड़कों पर आने से संघ बेहद खफा नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि गड़करी की दूसरी पारी में इसके पहले की वे कड़े और अप्रिय फैसले लें उन्हें हर तरफ से हताश करने का प्रयास जारी है। एकाएक बलात हाशए पर ढकेल दिए गए आड़वाणी को अब चहुंओर अंधकार ही नजर आ रहा होगा तभी उन्होंने अब अपने सारे घोड़े छोड़ दिए हैं।

शीला को टेंशन!, एलजी चाह रहे एक्सटेंशन


शीला को टेंशन!, एलजी चाह रहे एक्सटेंशन

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली में भगवान भास्कर अपना कहर बरपा रहे हैं वहीं दूसरी ओर सियासी पारा भी जमकर उछाल पर है। दिल्ली के एलजी यानी उपराज्यपाल तेजेंदर खन्ना सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं। वे एक्सटेंशन की चाहत रख रहे हैं, खन्ना की यह चाहत दिल्ली की निजाम शीला दीक्षित के लिए टेंशन का कारण बनी हुई है।
शीला दीक्षित और तेजेंदर खन्ना के बीच तकरार अनेक मर्तबा हो चुकी है। शीला के कामकाज में दखल और टीका टिप्पणी ेसे खन्ना और शीला के बीच विवाद अनेक मर्तबा गहरा चुका है। खन्ना के समर्थक शीला के विरोध में माहौल बनाते नजर आते हैं तो शीला के समर्थक खन्ना की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते नजर आते हैं।
तेजेंदर खन्ना के करीबी उनके सेवा विस्तार के लिए जमकर लाबिंग करने में जुटे हुए हैं। खन्ना के उपर वाले कनेक्शन्स को उनके समर्थक पानी दे रहे हैं। यहां तक कि कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी तक के पास खन्ना के कार्यकाल को स्वर्णिम बताने वाले पहुंच रहे हैं।
उधर, दूसरी तरफ खन्ना की घुर विरोधी शीला दीक्षित इस प्रयास में हैं कि खन्ना को सेवा विस्तार ना मिल सके। बताया जाता है कि शीला समर्थक एलजी के बारे में यह प्रचारित कर रहे हैं कि एलजी ने दिल्ली की आम समस्याओं और लोगों से मुंह मोड़ लिया है। एलजी के दरबार में जो भी जाता है उसे एलजी से मिलने का सोभाग्य नहीं मिल पाता है। एलजी के कारिंदे लोगों को तेजेंदर खन्ना के कार्यालय या ओएसडी से मिलने का मशविरा दे देते हैं।
वैसे सियासी फिजां में तेजेंदर खन्ना के के सक्सेसर के बतौर नवीन चावला, अरूण भगत, के.के.पॉल, डडवाल, चन्द्रशेखर आदि के नामों की चर्चा तेज हो गई है। जिनके नाम फिजां में तैर रहे हैं वे भी खन्ना को सेवा विस्तार देने का पुरजोर विरोध करते नजर आ रहे हैं। सोनिया के करीबी सूत्रों का कनहा है कि सोनिया तो सेवा विस्तार के लिए लगभग राजी हैं पर युवराज राहुल गांधी ने इस मामले में रेड सिग्नल दिखाया हुआ है।

मितव्ययता का प्रहसन आरंभ


मितव्ययता का प्रहसन आरंभ

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। देश के हर नागरिक पर तेंतीस हजार कर्जे के बाद अब केंद्र सरकार को मितव्ययता की सुध आई है। केंद्र ने सरकारी विभागों में खर्च पर अंकुश लगाने का अभियान शुरू किया है। वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों से मौजूदा वित्तवर्ष के दौरान गैर-योजना खर्च में दस प्रतिशत कटौती करने को कहा है।
वित्त मंत्रालय ने सरकारी विभागों में नए पदों के सृजन, पांच सितारा होटलों में बैठकों और सम्मेलनों के आयोजन और नए वाहनों की खरीद पर रोक लगा दी है। अधिकारियों की विदेश यात्राओं में भी कमी करने को कहा गया है। खर्च प्रबंधन-किफायती उपाय और खर्च को तर्कसंगत बनाने के बारे में जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि विदेश में प्रदर्शनियों, सेमिनारों और सम्मेलनों के आयोजन न किए जाएं।
वित्त मंत्रालय के आदेश में ये भी कहा गया है कि वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान खरीद-फरोख्त पर भारी खर्च से बचा जाना चाहिए और ऐसा वित्त वर्ष के अंतिम महीने में बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि मंत्रालयों और विभागों के सचिवों को खर्च में कटौती के उपाय सुनिश्चित करने की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
उधर, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि सरकार आर्थिक विकास में सुधार लाने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। श्री मुखर्जी ने वर्ष २०११-१२ के दौरान विकास दर के घटकर छह दशमलव पांच प्रतिशत के पिछले नौ साल के निचले स्तर पर आने को निराशाजनक बताया है।
कल एक बयान में उन्होंने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर और चालू खाते के मामले में असंतुलन को दूर करने के लिए सरकार सभी आवश्यक उपाय करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावनाएं कम होंगी और पूंजी के प्रवाह में वृद्धि के साथ-साथ घरेलू निवेश बढ़ने के बारे में विश्वास पैदा होगा।

युवा नीति का मसौदा जारी


युवा नीति का मसौदा जारी
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)। केन्द्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अजय माकन ने राष्ट्रीय युवा नीति-२०१२ का मसौदा जारी किया। नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कल श्री माकन ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य कौशल विकास के जरिये नौजवानों को सशक्त बनाना है, ताकि रोजगार प्राप्त करने की उनकी क्षमता बढ़ सके और दूसरे मंत्रालय तथा विभागों के साथ तालमेल से उन्हें उद्यम के अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
उन्होंने कहा कि इस नीति में राष्ट्रीय मूल्यों, सामाजिक समरसता, राष्ट्रीय एकता, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल-कूद और मनोरंजन पर बल दिया गया है। श्री माकन ने बताया कि मसौदा नीति में १५ से ३५ वर्ष के मौजूदा लक्षित आयु वर्ग को बदलकर १६ से ३० वर्ष करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
खेल मंत्री ने कहा कि सरकार ने यूनाइटेड नेशन के डेफिनेशन को युवाओं की और कॉमनवेल्थ कंट्री के युवाओं की डेफिनेशन को लिया है। एक जगह के ऊपर १६ से २५ हैं दूसरी जगह पर १५ से २९ तक हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने अपने युवाओं का डेफिनेशन इसको दोनों तरफ से दोनों सिरो को कम करके १६ से ३० वर्ष का प्रपोज किया है। और साथ में इसको सरकार ने तीन अलग-अलग सब-गु्रप्स में हमने इसको बांटा है।

वार्ताकारों का स्वागत किया चिदम्बरम ने


वार्ताकारों का स्वागत किया चिदम्बरम ने
(पीयूष भार्गव)
नई दिल्ली (साई)। गृहमंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने जम्मू कश्मीर के बारे में वार्ताकारों की रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा का स्वागत किया है। हाल ही में यह रिपोर्ट सार्वजनिक की गयी थी। नई दिल्ली में कल संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकार ने वार्ताकारों के सुझाव पर संवैधानिक समिति बनाने पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। रिपोर्ट को महत्वपूर्ण बताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इसके बारे में कोई भी फैसला लेने के लिए सर्वदलीय बैठक सबसे उपयुक्त मंच होगा।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर वार्ताकारों की अंतिम रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। रिपोर्ट को गृहमंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है और इसकी प्रति संसद भवन के लाइब्रेरी में रखी गई है। गृह मंत्री चिदम्बरम ने सभी सम्बन्धित लोगों से अनुरोध किया है कि जो जम्मू-कश्मीर का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं वे रिपोर्ट को पूरा पढ़ें और चर्चा में भाग लें।