रविवार, 4 सितंबर 2011

केंद्र ने दिया एमपी को जबर्दस्त झटका

केंद्र ने दिया एमपी को जबर्दस्त झटका


नहीं बढ़ सकेंगे एसीएस एमपी में


पांच ही एसीएस होंगे मध्य प्रदेश में


पदोन्नत आईएएस के नए पदों को लेकर उहापोह में हैं शिव


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। एक बाबू उसी पद पर भर्ती होता है और उसी पद पर सेवानिवृत हो जाता है किन्तु अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अपनी पदोन्नति के रास्ते कहीं से भी प्रशस्त कर लेते हैं, किन्तु इस बार आईएएस लाबी को मुंह की खानी पड़ी है। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग ने एमपी में मुख्य सचिव स्तर के नौ में से पांच पदों को ही स्वीकृति प्रदान की है। विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) में प्रमुख सचिव स्तर के ग्यारह अधिकारियों को पदोन्नति देने पर हरी झंडी के बाद भी महज पांच पदों की अनुमति ही सरकार के पास है, इन परिस्थितियों में शिवराज सरकार के सामने अब सबसे बड़ा संकट यह आन खड़ा हुआ है कि शेष अधिकारियों को किस पद पर पदस्थ किया जाए।


डीओपीटी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के काडर पुर्नरीक्षण हेतु एक प्रस्ताव बनाकर मुख्य सचिव स्तर के दस पदांे की मांग की थी। आईएएस लाबी ने अपनी पदोन्नति के मार्ग सुलभ करते हुए मध्य प्रदेश के 23 प्रमुख सचिव को 33 करने का प्रस्ताव भी केंद्र को भेजा है। डीओपीटी ने इसमें कुछ क्वेरी के साथ वापस कर दिया है। मुख्य सचिव स्तर की पदोन्नति पाने वाले दो अफसर अभी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। 1987 बैच के इन अधिकारियों की 11 जुलाई को डीपीसी हो चुकी है, पर इनकी पदस्थापनाएं अभी तक नहीं हो सकी हैं।


केंद्र सरकार ने राज्य को जबर्दस्त झटका देते हुए दस पदों के एवज में पांच ही पद स्वीकृत किए हैं। आईएएस लाबी के बीच चल रही चर्चा के अनुसार जब पदों की अनुमति ही नहीं देना था तो फिर केंद्र ने प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को मुख्य सचिव स्तर पर पदोन्नत करने के लिए डीपीसी की सहमति ही क्यों दी? केंद्र के डीओपीटी के पास अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का पूरा लेखा जोखा होता है, फिर केंद्र ने राज्य के साथ डीपीसी की सहमति देकर आखिर मजाक क्यों किया है?

ये अधिकारी हुए हैं पदोन्नत


मनोज श्रीवास्तव, शिखा दुबे, संजय सिंह, गौरी सिंह, एम.मोहन राव, मनोज झलानी, प्रवीर किशन, आर.के.चतुर्वेदी, अजय तिर्की।

एनएच की बदहाली पर सूबाई भाजपा मौन!

एनएच की बदहाली पर सूबाई भाजपा मौन!


कमल नाथ के हटते ही बदला शिवराज ने अपना एजेंडा


पिछले साल का हस्ताक्षर अभियान गया ठण्डे बस्ते में


मानव श्रंखला भी नहीं बना पाई भाजपा


आधी अधूरी सड़कों पर हो रही टोल वसूली


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे की बदहाली पर मध्य प्रदेश भाजपा और शिवराज सरकार ने एक बार फिर मौन साध लिया है। तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ के कार्यकाल में हस्ताक्षर और मानव श्रंखला बनाने के अभियान को ठण्डे बस्ते के हवाले करने के बाद अब दस राजमार्गों को वापस मांगने की रस्म अदायगी के बाद फिर भाजपा और सरकार ने मौन साध लिया है।


गौरतलब है कि पिछले साल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा नेशनल हाईवे की बदहाली के उपरांत सूबे से गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर पड़ने गांव, कस्बे और शहरों में हस्ताक्षर अभियान के उपरांत मानव श्रंखला बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद यह योजना टॉय टॉय फिस्स हो गई। इस वक्त भूतल परिवहन मंत्री की आसनी पर प्रदेश के क्षत्रप कमल नाथ काबिज थे। कमल नाथ के रहते शिवराज सिंह चौहान भी सड़कों की दुर्दशा का रोना रोते रहे हैं।


कमल नाथ के हटते ही प्रदेश भाजपा और सरकार का एजेंडा मानो बदल ही गया हो। मंत्रीमण्डल फेरदबल के बाद महज जो बार ही सरकार ने सड़कों की बदहाली का रोना रोया है। सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर 10 एनएच वापस मांग लिए हैं। यहां उल्लेखनीय होगा कि भोपाल से महज सत्तर किलोमीटर दूर होशंगाबाद की यात्रा इन दिनों चार से पांच घंटों में पूरी हो पा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र भी आता है।


महाराष्ट्र सीमा पर स्थित सिवनी जिले में महज पचास किलोमीटर बनी सड़क पर भी अस्थाई टोल नाका लगाकर टोल वसूली आरंभ हो गई थी। स्थानीय लोगों के विरोध के बाद यह वसूली स्थगित कर दी गई है, पर जल्द ही पुनः टोल वसूली आरंभ की जाने के संकेत मिले हैं।


उधर राष्ट्रीय राजमार्ग का रखरखाव करने के लिए पाबंद की गई एनएचएआई के सूत्रों का कहना है कि सरकार ने एमपी के एनएच की दुर्दशा सुधारने के लिए दस हजार करोड़ रूपए की कार्ययोजना बनाई है। इस साल पेंच रिपेयर के काम में दो सौ करोड़ रूपए खर्च होने की उम्मीद जताई जा रही है। सूत्रों ने संकेत दिए कि 2013 के विधानसभा चुनावों के उपरांत ही लोकसभा चुनावों के पहले प्रदेश के एनएच इस तरह बना दिए जाएंगे कि चलने वालों के पेट का पानी भी न हिले। इसका सीधा लाभ लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पूरी तरह उठाने के मूड में दिख रही है।