शनिवार, 23 जून 2012

प्रणव के लिए लाबिंग कर रहा त्रिफला!


प्रणव के लिए लाबिंग कर रहा त्रिफला!

नया समीकरण उभरा है कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नया समीकरण उभरकर सामने आ रहा है। इस नए समीकरण में सत्ता की धुरी अब पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा से संसदीय सौंध पहुंचने वाले दो महारथियों के साथ एक उद्योगपति के इर्दगिर्द घूमती दिख रही है। देश की आर्थिक नीतियां उद्योगपतियों के दबाव में बनाने के आरोप तो पहले से ही लगते रहे हैं पर अब राजनीति, पत्रकारिता की जुगलबंदी में अर्थजगत का तड़का लगने से देश नए पथ पर अग्रसर हो सकता है, जिसका अंत अंधेरी सुरंग का मुहाना होगा या प्रकाश पुंज, कहा नहीं जा सकता है।
कांग्रेस के संकट मोचक समझे जाने वाले वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के महामहिम राष्ट्रपति के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होते ही कांग्रेस के अंदर यह खदबदाहट तेज हो गई थी कि अब प्रणव का स्थान कौन लेगा। संकट काल में कांग्रेस की नैया को कौन किनारे लगाएगा? साथ ही साथ प्रणव मुखर्जी के लिए जादुई आंकड़ा कौन जुटाने में सक्षम होगा?
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रणव मुखर्जी के परिदृश्य से हटते ही कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल एकाएक तेजी से ताकतवर होकर उभरे हैं। इस मामले में उन्होंने अपने सारे घोड़े एक साथ छोड़ दिए, और प्रणव मुखर्जी के लिए समर्थन जुटाना आरंभ कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि अहमद पटेल ने अपने सहयोग के लिए मूलतः पत्रकार रहे केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला का साथ लिया। शुक्ल और पटेल ने मिलकर ममता मुलायम की जुगलबंदी पर विराम लगाने की जुगत लगाई। इसके लिए मुलायम के करीबी रहे अंबानी बंधुओं को सबसे पहले साधा गया। अंबानी बंधुओं के मार्फत ही सारा खेल बदल डाला गया।
सूत्रों के अनुसार अहमद पटेल और राजीव शुक्ला के कहने पर अनिल अंबानी ने मुलायम सिंह के घर जाकर उनसे संपर्क किया और ममता का साथ छोड़कर कांग्रेस के पक्ष में आने का माहौल बनाया। अनिल पर आंख बंदकर विश्वास करने वाले मुलायम सिंह यादव ने ममता को छोड़कर यू टर्न लिया और प्रणव के पक्ष में आकर खड़े हो गए। अनिल और मुलायम के विमर्श के उपरांत पटेल शुक्ल की जोड़ी ने बाकी संभावनाओं पर विमर्श करना आरंभ किया।
सूत्रां का कहना है कि इसके बाद मुकेश अंबानी को सिद्ध किया गया। मुकेश ने ना नुकुर के बाद कांग्रेस के पाले में आना स्वीाकर किया। मुकेश के सहारे पटेल शुक्ल ने मुंबई में ही शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे को अपने पक्ष में करने में सफलता पा ली। शिवसेना का दादा को समर्थन मिलते ही राजीव शुक्ला और अहमद पटेल एक बार फिर सक्रिय बताए जा रहे हैं।
अब दोनों के निशाने पर राजग था। राजग में भी दो फाड़ करवाकर इन्होंने अपनी उपयोगिता को कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के समक्ष सिद्ध कर दी है। उधर, राकांपा से मिलकर पी.ए.संगमा को भी बाहर का रास्ता दिखाकर राकांपा को संप्रग का मजबूत घटक फिलहाल तो साबित करवा ही दिया है दोनों सियासी जानकारों नें।
सियासी गलियारों में कांग्रेस के नए त्रिफला की चर्चाएं अब होने लगी हैं। राजनीति (अहमद पटेल), मीडिया (राजीव शुक्ला) के साथ अब अर्थ जगत (अंबानी बंधुओं) का त्रिफला कांग्रेस के लिए नई ताकत बनकर उभर रहा है। माना जा रहा है कि यही त्रिफला आने वाले समय में देश का सियासी हाजमा ठीक करने में कारगर होकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के 7, रेसकोर्स रोड़ (भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) जाने के मार्ग प्रशस्त करने वाला है।

देश के पास अगला वित्त मंत्री नहीं होगा!


देश के पास अगला वित्त मंत्री नहीं होगा!

पीएम के साथ एफएम भी होंगे मन

अर्थशास्त्री का मन रीझ रहा वित्त मंत्रालय के लिए

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। मीडिया में अनेक बार इस तरह की खबरें साार्वजनिक हुईं कि भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह अपने आप को देश का प्रधानमंत्री से ज्यादा वित्त मंत्री ही मानते हैं, यही कारण है कि वे वित्त को छोड़कर अन्य मामलों में कसावट करने में अपने आपको पूरी तरह अक्षम ही पाते हैं, यह अलहदा बात है कि वे देश की अर्थव्यवस्था को भी सुधार पाने में स़क्षम नहीं हो पाए हैं। प्रणव मुखर्जी के वित्त मंत्री पद से त्यागपत्र के उपरांत वित्त मंत्रालय अपने पास रखना मनमोहन सिंह की पहली प्रथमिकता हो सकती है।
प्रणव मुखर्जी की उम्मीदवारी के साथ ही यह साफ हो गया था कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह देश के अगले राष्ट्रपति नहीं होंगे, वे कुछ समय तक और प्रधानमंत्री आवास का लुत्फ उठाएंगे। प्रणव मुखर्जी के त्यागपत्र के उपरांत रिक्त होने वाले केंद्रीय वित्त मंत्रालय के प्रभार को प्रधानमंत्री अपने ही पास रख सकते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब देश के पास अगला वित्त मंत्री नहीं होगा कहने का तात्पर्य यह कि प्रधानमंत्री ही अपने दायित्वों के साथ अगले वित्त मंत्री हो सकते हैं।
इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा मनमोहन सिंह को अल्टीमेटम दिया गया है कि वे बेहतर अर्थशास्त्री होने की बात को प्रमाणित करें और जल्द ही देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएं। इसके लिए मनमोहन सिंह को वित्त मामलों में फ्री हेण्ड मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि चूंकि प्रणव मुखर्जी का संसदीय जीवन बेहद लंबा था और मनमोहन सिंह पहले प्रणव मुखर्जी के मातहत रह चुके हैं अतः नार्थ ब्लाक में प्रणव मुखर्जी के रहते मनमोहन सिंह के द्वारा अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाना दुष्कर ही साबित हो रहा था। कांग्रेस के अंदर भी देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर जमकर तलवारें पज रही हैं।
सूत्रों का कहना है कि अनेक बार कैबनेट और कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अर्थव्यवस्था को लेकर जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस के सदस्यों का कहना था कि वे देश की पटरी पर से उतरी अर्थव्यवस्था के लिए प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन ंिसह या वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी में से किसे जिम्मेवार समझें?

लखनादौन प्रकरण में भूरिया दिल्ली तलब!


लखनादौन प्रकरण में भूरिया दिल्ली तलब!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। आजादी के बाद पचास सालों तक कांग्रेस का दामन थामने वाले सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य लखनादौन विधानसभा क्षेत्र के तहसील मुख्यालय में नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा नामांकन दाखिल कर नाम वापसी के अंतिम दिन पर्चा उठाने, प्रत्याशी को 72 घंटे तक कारण बताओ नोटिस जारी ना करने, कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन की बात करने आदि की शिकायतों के मामले में मध्य प्रदेश कांति लाल भूरिया को दिल्ली तलब किया गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में लखनादौन नगर पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी द्वारा निर्धारित बी फार्म जमा कराने के पूर्व ही फार्म उठा लेने के बाद कांग्रेस की हुई दुगर्ति की वास्तविकता को आलाकमान तक पहुंचाया गया है।
बताया जाता है कि भोपाल एवं दिल्ली में कांग्रेस से जुड़े लोगों ने इन खबरों की कतरने और ऑन लाईन मीडिया के लिंक भी कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के कार्यालय और महासचिव राहुल गांधी के साथ ही साथ उनके सहयोगी कनिष्क सिंह तक पहुंचाए हैं। इन समाचारों में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा जारी खबरों को प्रमुखता के साथ भेजा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया जाकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को दिल्ली तलब किया है। भूरिया शनिवार को दिल्ली प्रवास पर हैं।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया ने मंगलवार 19 जून को इस संवाददाता के साथ चर्चा के दौरान कहा था कि अपने पर्यवेक्षक लखनादौन में वस्तु स्थिति का पता करने भेजा है। पर्यवेक्षक के प्रतिवदेन के आते ही कांग्रेस द्वारा निर्दलीय सुधा राय के पक्ष में समर्थन की घोषणा कर दी जाएगी। विदिशा लोकसभा चुनावों का स्मरण कराते हुए जब श्री भूरिया से यह पूछा गया कि 48 घंटे बीतने के बाद भी कांग्रेस द्वारा अध्यक्ष पद के रणछोड़दास प्रत्याशी को शोकाज नोटिस देने या निलंबन की कार्यवाही क्यों नहीं की गई, तो उन्होनें कहा कि इस बारे में वे जिला कांग्रेस कमेटी को कुछ भी कदम उठाने के लिए कह सकते हैं। इसके उपरांत पांच दिन बीत जाने के बाद भी कांतिलाल भूरिया द्वारा इस बारे में कोई दिशा निर्देश जारी ना किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
गौरतलब होगा कि जब सुषमा स्वराज के खिलाफ कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी राजकुमार पटेल द्वारा नामांकन नहीं भर पाया गया था तब कांग्रेस द्वारा उनके खिलाफ तत्काल कार्यवाही कर उन्हें पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था, वस्तुतः सिवनी के मामले में 48 घंटे बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही ना किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
जब श्री भूरिया के संज्ञान में यह बात लाई गई कि लखनादौन में जिस निर्दलीय प्रत्याशी को कांग्रेस द्वारा समर्थन देने की बात कही जा रही है, उन्हीं के पुत्र दिनेश राय द्वारा वर्ष 2008 में सिवनी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और कांग्रेस भाजपा के परोक्ष समर्थन के चलते इतिहास में पहली बार सिवनी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत भी जप्त हो गई थी। इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली थी।
उधर, भूरिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि सिवनी के क्षत्रपों द्वारा दिनेश राय को प्रसन्न करने के लिए नई नई चालें गढी जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार कांतिलाल भूरिया को यह कहकर मनाया गया है कि कांग्रेस का प्रत्याशी मैदान में ना सही, पर भाजपा के प्रत्याशी को निर्दलीय प्रत्याशी के हाथों परास्त कर प्रदेश में अब तक विधानसभा उपचुनावों में हुई करारी हार का बदला अवश्य ही ले लिया जाएगा। इस तरह कांग्रेस अपनी गल्ति को छिपाने के लिए निर्दलीय के कांधे पर सुनियोजित तरीके से बंदूक रखने का कुत्सित प्रयास कर रही है।
कहा जा रहा है कि कांति लाल भूरिया को जमीनी हकीकत का भान नहीं है। निर्दलीय के हाथों भाजपा को हरवाने की हास्यास्पद बात कहकर कांग्रेस के क्षत्रपों द्वारा ना केवल दिनेश राय के पक्ष में माहौल बनवाया जा रहा है वरन् पीसीसी के आला नेताओं को भरमाया जा रहा है। नगर पंचायत का चुनाव भले ही कांग्रेस के बड़े नेताओं के लिए मायने ना रखता हो पर कांग्रेस के गर्त में जाने के प्रमुख कारकों में से एक हो सकता है यह उदहारण।
सिवनी में चल रही चर्चाओं के अनुसार चूंकि दिनेश राय द्वारा कांग्रेस के एक कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा पूर्व में उस वक्त की थी जब सिवनी लोकसभा सीट का कत्ल हो रहा था। इस सीट के अवसान के उपरांत दिनेश राय द्वारा सिवनी से विधानसभा चुनाव बतौर निर्दलीय लड़ा गया था।
बताया जाता है कि उस समय कांग्रेस की सिवनी सीट को राकांपा के साथ समझौते में चले जाने की चर्चाएं जोरों पर थीं, किन्तु अंतिम समय में कांग्रेस की ओर से प्रसन्न चंद मालू को मैदान में उतारा गया था। वहीं दूसरी ओर भाजपा के दो बार के विधायक नरेश दिवाकर की टिकिट काटकर उनके स्थान पर परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा सीट की अंतिम सांसद श्रीमति नीता पटेरिया को सिवनी से भाजपा द्वारा मैदान में उतारा गया था।
पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा में भीतराघात जमकर हुआ था। कांग्रेस की जमानत जप्त हुई और श्रीमति नीता पटेरिया को जीत हासिल करने में एडी चोटी एक करना पड़ा था। इस दौरान दिनेश राय पर अनेक आरोप भी लगे थे। कहा गया था कि एक साल नगर पंचायत लखनादौन का कार्यकाल बचे रहने के बाद भी दिनेश राय ने सत्तर किलोमीटर दूर सिवनी की ओर रूख किया है। इसके अलावा दिनेश राय द्वारा अपने कौल के हिसाब से हरवंश सिंह ठाकुर की केवलारी विधानसभा की ओर रूख ना करना भी आश्चर्य मिश्रित नूरा कुश्ती का अंग ही माना जा रहा था।
विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस को पी पी कर कोसने वाले दिनेश राय के बारे में कहा जाता है कि वे आरंभ से ही कांग्रेस में प्रवेश के इच्छुक बताए जा रहे थे। कहा जाता है कि महात्वाकांक्षी राय का मानना था कि वे राहुल या सोनिया गांधी के समक्ष ही कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
इस बार नगर पंचायत चुनावों की घोषणा के पहले भी इस तरह की कवायद की गई थी कि पिछले दरवाजे से दिनेश राय की कांग्रेस में एंट्री हो जाए, किन्तु कांग्रेस के अनेक कार्यकर्ताओं के मुखर विरोध के चलते यह कवायद परवान नहीं चढ़ सकी। कहा जा रहा है कि अब कांग्रेस प्रत्याशियों द्वारा निश्चित रणनीति के तहत सुधा राय के पक्ष में मैदान छोड़ा गया है।
इन बातों में सच्चाई कितनी है यह तो दिनेश राय जाने या कांग्रेस के क्षत्रप किन्तु प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया द्वारा जब सुधा राय के पक्ष में समर्थन की घोषणा की बात कही जाती है तो उक्त सारे समीकरणों के सही होने का भान अपने आप ही होने लगता है।
गौरतलब होगा कि मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद के बैंग्लुरू प्रवास के दौरान समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने उनसे संपर्क किया था तो उन्होंने कहा था कि यह मामला स्थानीय निकाय का होने के कारण इस मामले में कांति लाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह से चर्चा कर उनका पक्ष लेने की बात कही गई किन्तु जब उनके समक्ष सच्चाई लाई गई तो वे भी हत्प्रभ रह गए, और उन्होने इस मामले में दखल देने की बात कही है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि दरअसल कांति लाल भूरिया को पर्यवेक्षक के प्रतिवेदन का इंतजार नहीं है। वे इंतजार कर रहे हैं जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी के अध्यक्ष के उस पत्र का जिसमें जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी के नाम वापस लेने से उपजी परिस्थितियों में सुधा राय को कांग्रेस का समर्थन देने की अनुशंसा की जाएगी। कांग्रेस के विरोध के चलते शायद जिला कांग्रेस अध्यक्ष भी खामोशी ही अख्तियार किए हुए हैं।
कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी ने नाम कैसे वापस ले लिया? उसे कारण बताओ नोटिस क्यों जारी नहीं किया गया? क्या सुधा राय के पक्ष में कांग्रेस हथियार डाल देगी? छोटी छोटी सी बात पर चीख चीख कर मीडिया में छाने वाले कांग्रेस के प्रवक्ताओं की फौज क्यों मौन धारण किए हुए है? इन सारे प्रश्नों के जवाब के लिए जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी से संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वे उपलब्ध नहीं हो सके हैं।
इसी बीच एक मजेदार प्रसंग भी घटित हुआ। कांग्रेस द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी सुधा राय को समर्थन देने की बात कही जा रही है। इसके साथ ही साथ सिवनी में एक चर्चा कर किसी की जुबान पर छा गई है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा जिले के कांग्रेसी नेताओं से रायशुमारी की जा रही है कि निर्दलीय दोनों में से विनिंग केंडीडेट कौन होगा? इस पर सभी का जवाब एक ही आ रहा है, लखनादौन में जीतेगा वही, जो अब तक कांग्रेस को हराता आया है। इसके बाद भी अगर कांग्रेस द्वारा अपनी भद्द पिटवाकर सुधा राय को समर्थन की घोषणा की जाती है तो कांग्रेस में भूचाल आने से कोई नहीं रोक सकेगा।
इस पूरे मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया से संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु उनका मोबाईल सदा की ही भांति बंद मिला। उनके निज सचिव श्री कक्कड़ ने बताया कि वे भोपाल में हैं और भूरिया जी दिल्ली में। प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु उन्होंने संभवतः व्यस्तता के चलते मोबाईल नहीं उठाया।

आदिवासी उपयोजना में करोड़ों का गोलमाल


आदिवासी उपयोजना में करोड़ों का गोलमाल

चहेते उपयंत्री पर चौधरी मेहरबान

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जल संसाधन विभाग के सब डिवीजन सिवनी में जिला सेक्टर बना राज्य सरकार ने आदिवासी उपयोजना के अंतर्गत करोड़ों के कार्य क्षेत्रीय विकास के लिए करायेए लेकिन करोड़ों खर्च करने के बाद भी जिले पर ये विकास निर्माणाधीन कार्य औचित्यहीन साबित हुए हैं। इस योजना के अंतर्गत खर्च की गई राशि में भ्रष्ट अफसरों और छुटभैया नेताओं की तिजोरियां अवश्य भर गई हैं।बताया जाता है कि इस योजना के अंतर्गत सर्वाधिक काम उपयंत्री चौकसे और प्रीतम सिंह राजपूत के मार्फत अनुविभागीय अधिकारी डीआर चौधरी ने कराये हैं और इनके निर्माण कार्यों की शिकायतों का भी बोलबाला क्षेत्रीय स्तर पर बहुत जोरों। शोरो से हैए लेकिन यह शिकायतें नगारखाने की तूती साबित हो रही हैं।
उपयंत्री राजपूत की तो बात ही निराली है। सूत्र बताते हैं कि यह अपने आप को कार्यपालन यंत्री समझकर मापदंडों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्माण कार्य को अंजाम देता है। इसके भ्रष्टाचार करने की नीति भी बहुत ही निराली होती है। यह अंदर उपयोग की जाने वाली सामग्री में गुणवत्ता  पर भारी हेरफेर कर ऊपर से अच्छी सामग्रियों का उपयोग कर अपने निर्माण कार्य को 100 प्रतिशत सही बताने का प्रयास करता हैए लेकिन अंदर भ्रष्टाचार की दलदल रहती हैए जिसे देखना विभागीय अधिकारी के बस की बात नहीं होती और जो उच्चाधिकारी इसे जानते हैंए उन्हें कमीशन फेंक पहले ही उनका मुंह बंद कर दिया जाता है।
ऐसा ही मामला झीलपिपरिया में घटित हुआ हैए जहां पर आदिवासी उपयोजना के अंतर्गत बनाये गये लगभग 36 लाख की लागत से रपटा कम स्टॉप डेम में उपयंत्री राजपूत ने भारी मात्रा में भ्रष्टाचार कर खुद की और अपने अनुविभागीय अधिकारी यआकाद्ध की तिजोरी भरी है। इस बात की शिकायत क्षेत्रीयजन ने विभागीय स्तर पर कियाए लेकिन उच्चाधिकारी इस शिकायत को गंभीरता से नहीं लेते। आश्चर्य की बात तो यह है कि कार्यपालन यंत्री हेमंत त्रिवेदी भी इस भ्रष्टाचार के मामले पर ध्रतराष्ट्र बन पूरे मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो हेमंत त्रिवेदी भी इस पूरे मामले में मोटी रकम के नीचे दबकर इस मामले को रफा।दफा करने में लगे हुए हैं। यहीं नहीं सूत्र तो यह भी बताते हैं कि इस मामले  की शिकायत जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल को भी की गई थीए लेकिन मोहन चंदेल ने शिकायत को यह कहकर ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया कि तकनीकी मामले पर हम जनप्रतिनिधि पैदल होते हैं और जो इंजीनियर कहेंगे वहीं सही निर्माण कार्य माना जायेगा। इन शब्दों से यह प्रतीत होता है कि हमारे जनप्रतिनिधि भी इन भ्रष्टाचारियों के आगे बौने हैं और ये भ्रष्ट अधिकारी इन जनप्रतिनिधियों को अपने हाथ में धन की डमरू लेकर बंदरों के माफिक इन्हें नचाते रहेंगे।

दिल्ली पुलिस को चाहिए कांस्टेबल


दिल्ली पुलिस को चाहिए कांस्टेबल

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। देश की राजधानी में सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था का दावा करने वाली दिल्ली पुलिस को जरूरत है सिपाहियों की। इसके लिए पद व रिक्तियां कांस्टेबल (ड्राइवर) के लिए 751 पद है जिसका वेतनमान 5200-20200 रुपये, ग्रेड पे 2000 रुपये।    इसके साथ ही साथ आवेदन करने वाले आवेदक की उम्र 1 जनवरी 2012 तक न्यूनतक 21 वर्ष और अधिकतक 30 वर्ष होनी चाहिए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को नियमानुसार आयु सीमा में छूट दी जायेगी।
10वीं पास उम्मीदवार इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। उम्मीदवार को भारी वाहन चलाने आते हों। उसके पास मान्य एचटीवी ड्राइविंग लाइसेंस भी होना चाहिए। इसके अलावा उम्मीदवार को वाहन में होने वाली छोटी-छोटी तकनीकी खराबियों को समझने व उन्हें ठीक करने की भी काबीलियत हो।
इसके लिए उम्मीदवार की शारीरिक योग्यता का मापदण्ड उम्मीदवार की उंचाई 170 सेमी और सीना 81-85 सेमी होना चाहिए। आवेदन के लिए उम्मीदवारों को 100 रुपये का बैंक डिमांड ड्राफ्ट/चेक बनवाया होगा। डिमांड ड्राफ्ट या चेक डीसीपी/रिक्रूटमेंट सेल, नयी दिल्ली लाइंस, दिल्ली को देय होना चाहिए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को किसी प्रकार का शुल्क नहीं देना है।
आवेदन के लिए उम्मीदवार निर्धारित फॉमेट में दिये गये आवेदन पत्र को भर कर डिमांड ड्राफ्ट या चेक के साथ नीचे दिये गये पते पर भेजें। इस रिक्ति के बारे में विस्तार से जानकारी और फॉर्म के निर्धारित फॉर्मेट की जानकारी के लिए 2 जून 2012 का रोजगार समाचार पत्र भी देखा जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 29 जून 2012 रखी गई है।