रविवार, 28 जुलाई 2013

खतरनाक डेंगू ने पसारे अपने पैर

खतरनाक डेंगू ने पसारे अपने पैर

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर पालिका परिषद और मलेरिया विभाग इस कदर बेपरवाह है कि शहर में मलेरिया के बाद अब खतरनाक डेंगू के संदिग्ध मरीजों की भी आमद होती दिख रही है। मलेरिया में डेंगू की बेकाबू स्थिति के बाद अब लग रहा है कहीं यह सिवनी में प्रशासन के लिए सरदर्द ना बन जाए।
जिले में इन दिनों बीमारियों ने अपना पैर फैलाना शुरू कर दिया है, जिस ओर स्वास्थ्य अमला ध्यान ही नहीं दे रहा, जिसके चलते जिले में डेंगू और डायरिया जैसी बीमारी भी पनपने लगी है, जिससे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इन दिनों जिले के सरकारी एवं प्रायवेट अस्पताल खचाखच भरे हुए हैं, जहां मरीज अपना ईलाज करा रहे हें। प्रायवेट अस्पताल में तो मरीजों की स्थिति ठीकठाक है, परंतु जिला चिकित्सालय में मरीजों की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। बताया जाता है कि इन दिनों जिला चिकित्सालय में डेंगू जैसी बीमारी के मरीज भी भर्ती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बंडोल थाना के अंतर्गत आने वाले जमुनिया निवासी अमित सूर्या और उसकी मां मीना सूर्या पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं। इनका ईलाज स्वास्थ्य केंद्र बंडोल में कराया जा रहा था, लेकिन स्तिथि में कोई सुधार न होने के कारण दोनों को जिला चिकित्सालय रेफर किया गया, जहां परीक्षण के बाद डेंगू की पुष्टि की गई और इसके बाद जिला चिकित्सालय हरकत में आया।

बताया जाता है कि इससे पहले भी कुछ मरीजों में डेंगू के लक्षण देखे गए थे। गौरतलब हो कि कुछ दिनों पूर्व मंडला जिले में डेंगू से लगभग डेढ़ दर्जन लोग प्रभावित हुए थे, तब भी सिवनी जिला चिकित्सालय नहीं जागा था और न ही उसने कभी ऐसा कोई प्रयास किया, जिसके चलते डेंगू से निजात मिल सके। बताया जाता है कि जमुनिया गांव में अधिकांश लोग बीमार हैं।

चर्चा में रहा शिवराज का रथ

चर्चा में रहा शिवराज का रथ

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। शिवराज सिंह चौहान ने भले ही चुनावी तैयारियों के मद्देनजर अपनी रथयात्रा आरंभ कर दी हो पर जिला मुख्यालय सिवनी में उनके विकास रथ की चर्चाएं तेज हो गई हैं। सिवनी में आज शिवराज के फोटो वाला विकास रथ लोगों के कोतुहल का विषय बना रहा।
आज अपरान्ह शिवराज सिंह चौहान का विकास रथ बारापत्थर पहुंचा। गिरते पानी में लोगों ने इस विकास रथ को देखा। एच.आर.69, 2327 नंबर के इस विकास रथ में पीछे लिखा पंजीयन नंबर इतने बारीक अक्षरों में था कि यह दस मीटर से भी पठनीय नहीं था।
संभवतः इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फोटो लगी है अतः यातायात पुलिस और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की भी इस वाहन के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं पड़ी है। वहीं इस वाहन के चालक ने बताया कि प्रदेश में लगभग छः सौ ट्रक्स को विकास रथ में तब्दील किया गया है, जो पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं।

इन प्रचार वाहनों का खर्च कौन उठा रहा है इस बारे में शासन और भाजपा दोनों ही मौन हैं। मौन तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी है। लोगों में चर्चा है कि 53 ग्रेड की सीमेंट भी पानी पड़ने पर इतनी जल्दी सेट नहीं होती जितनी जल्दी भाजपा के सामने कांग्रेस सेट हो जाती है।

हिलने लगी कांग्रेस संगठन की नींव!

हिलने लगी कांग्रेस संगठन की नींव!

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। जिले की कांग्रेस को एक सूत्र में पिरोकर रखने वाले कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के उपरांत अब कांग्रेस का संगठन डगमगाता दिख रहा है। हरवंश सिंह के उपरांत कांग्रेस में शायद कोई नेता इस कद का नहीं बचा है जो संगठन को थामकर सारे कांग्रेसियों में एकराय बनवा सके। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस के पर्यवेक्षक अबरार अहमद की उपस्थिति में कांग्रेस की जगह जगह हो रही रायशुमारी में इसी तरह की धारणा उभरकर सामने आ रही है। हालात देखकर लोग कहने लगे हैं कि हरवंश सिंह के अवसान के साथ ही सिवनी जिले का कांग्रेसी किला दरकने लगा है।
गत दिवस नगर कांग्रेस कमेटी की रायल लान में संपन्न हुई बैठक भी भड़ासबैठक और निपटाओ समितिको कोसने का माध्यम बनकर रह गई। इस बैठक में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी की अनुपस्थिति चर्चाओं में रही। वहीं, केंद्रीय मंत्री कमल नाथ ने 13 जून को महावीर पैलेस में यह घोषणा की थी कि एक माह के अंदर कांग्रेस भवन का काम आरंभ हो जाएगा।
इसके ठीक 31वें दिन जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा काम आरंभ किया गया किन्तु बेहद सादगी और गुपचुप तरीके से। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के अनेक क्षत्रप नदारत ही रहे। यहां तक कि सालों बाद 2008 के विधानसभा चुनावों में चलने फिरने में असमर्थ हो चुकीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा ने एक रैली में जीप में बैठकर शिरकत की थी, को भी किसी ने डीसीसी भवन के भूमि पूजन में लाना मुनासिब नहीं समझा, जबकि जगत्गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और खुद केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के अलावा कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह भी उनसे भेंट करने उनके घर पर गए थे।
रायल लॉन की बैठक में हंगामा इस कदर बढ़ा कि कांग्रेस के महज तीन लोग ही अपनी बात रख पाए। 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी रहकर अपनी जमानत जप्त करा चुके प्रसन्न मालू अभी भी कप प्लेट के साथ मिलकर कांग्रेसियों द्वारा कांग्रेस को दगा देने वाली बात भूल नहीं पाए हैं। उन्होंने कांग्रेस के अनेक नेताओं को परोक्ष और नामजद आरोप लगाकर कहा कि इन नेताओं ने 2008 में निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश राय का साथ देकर उनके साथ भीतराघात किया है।
वहीं, एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि एक स्थान पर पिछले दिनों जब दिनेश राय और एक कांग्रेस के नेता का मिलना हुआ, तब दिनेश राय द्वारा उक्त नेता से कहा गया कि पिछले चुनाव में उन्होंने दिनेश राय का साथ नहीं दिया वरना वे जीत जाते। इस पर उक्त नेता ने छूटते ही कहा कि वे कैसे दिनेश राय का साथ देते, क्योंकि बर्रा दरबार ने तो उन्हें नीता भाभी (श्रीमति नीता पटेरिया) का काम करने को कहा था।

बरघाट अध्यक्ष रहे गायब!
बताया जाता है कि गत दिवस बरघाट में अबरार अहमद के पहुंचने पर ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेंद्र बिसेन का ही अता पता नहीं था। वहीं, उनकी अनुपस्थिति में मलारा निवासी गफ्फार खान को बरघाट ब्लाक कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बताकर मिलवा दिया गया। बरघाट के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में चल रही चर्चाओं के अनुसार या तो जिला कांग्रेस कमेटी ने पीसीसी के पर्यवेक्षक अबरार अहमद के बरघाट दौरे की बात महेंद्र बिसेन को नहीं बताई या फिर महेंद्र बिसेन खुद कमल नाथ के झंडे तले नहीं आना चाह रहे हैं।

लखनादौन में रहा हंगामा
वहीं दूसरी ओर लखनादौन में पीसीसी पर्यवेक्षक अबरार अहमद की उपस्थिति में जमकर हंगामा हुआ। यहां सारी मर्यादाओं, अनुशासन को बलाए ताक पर रखकर कांग्रेस में तत्कालीन कद्दावर नेता हरवंश सिंह द्वारा आयातित कुंवर शक्ति सिंह ने पर्यवेक्षक से साफ कह दिया कि वे केवलारी से टिकिट के दावेदार नहीं वरन् उम्मीदवार हैं। शक्ति सिंह की दंभोक्ति से लगा मानो कांग्रेस के अंदर अनुशासन बचा ही नहीं है। मजे की बात तो यह है कि इस तरह की अनुशासन हीनता के बाद भी जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा अब तक शक्ति सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही ना किया जाना आश्चर्यजनक ही है।

आवारा मवेशी, कुत्ते, सुअर मस्त, नगर पालिका पस्त

आवारा मवेशी, कुत्ते, सुअर मस्त, नगर पालिका पस्त

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय में जिला प्रशासन की नाक के नीचे नगर पालिका परिषद ने आवारा पशुओं कुत्तों, सुअरों आदि को पकड़ने की कार्यवाही भले ही दिखावे के लिए की हो पर की तो सही।उक्ताशय की चर्चाएं अब शहर भर में होना आरंभ हो गई हैं। दैनिक हिन्द गजट द्वारा पालिका के लिए मायने नहीं रखते कलेक्टर के निर्देशशीर्षक से समाचार के प्रकाशन के उपरांत नगर पालिका प्रशासन हरकत में आया और फिल्टर प्लांट में जग खा रही पशुओं को पकड़ने वाली विशेष ट्राली को सड़कों पर उतारा गया।
शुक्रवार और शनिवार को इस विशेष तरह की ट्राली और पालिका के कारिंदे, लोगों के लिए कोतुहल का विषय बने हुए थे। बुधवारी बाजार से लेकर कटंगी नाका क्षेत्र, मठ मंदिर, छिंदवाड़ा चौक आदि क्षेत्र में इस ट्राली ने सीमित मात्रा में कुत्तों की धर पकड़ की। गौरतलब है कि बिना किसी पूर्व सूचना के की गई इस कार्यवाही की तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
लोगों का कहना है कि नगर पालिका परिषद को बाकायदा इसके लिए समय समय पर मुनादी पीटी जाना चाहिए कि नागरिक पालतू जानवरों को बांधकर रखें, उन्हें खुला ना छोड़ें। शहर में कांजी हाउस कहां है, यह बात लोग भूल ही चुके हैं। बताया जाता है कि नगर पालिका परिषद द्वारा आवारा कुत्तों को नागपुर रोड पर कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया गया, जिससे मार्ग में पड़ने वाले गांवों में ये आवारा कुत्ते कोहराम मचा रहे हैं।
शुक्रवार को खबर के प्रकाशन के बाद संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के कोप का भाजन बनने से बचने के लिए संभवतः नगर पालिका परिषद द्वारा दिखावे के लिए प्रतीकात्मक तौर पर यह कार्यवाही की गई है। लोगों का आरोप है कि आज भी शहर के हर गली मोहल्ले में कुत्तों की टोली आतंक बरपा रही है। लोग विशेषकर छोटे बच्चे इन आवारा कुत्तों का शिकार बन रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर शहर भर में घूमते आवारा मवेशी भी लोगों का जीना मुहाल किए हुए हैं। आवारा गाय बैल वैसे हैं तो पालतू किन्तु पालकों द्वारा नगर पालिका परिषद के घृतराष्ट्र बनने का फायदा उठाकर इन्हें घरों में बांधकर नहीं रखा जाता है, परिणामस्वरूप ये आवारा मवेशी शहर भर में घूम घूमकर ना केवल लोगों के घरों में घुसकर उत्पात मचा रहे हैं, वरन् सड़कों के बीच बैठकर आवागमन प्रभावित भी कर रहे हैं।

नमाज़ियों की परेशनी का सबब!
आवारा मवेशी और कुत्तों का आतंक इस कदर है कि पाक रमज़ान के महीने में अलह सुब्बह सेहरी के उपरांत जब मुस्लिम धर्मावलंबी नमाज अता करने मस्जिदों की ओर कूच करते हैं तो आवारा कुत्ते इन्हें परेशान करने से नहीं चूकते हैं। बताया जाता है कि गत दिवस बस स्टैंड में फिरोज जहाज नामक युवक को आवारा कुत्तों ने काट लिया।
छोटी मस्जिद चौक, ईदगाह, ज्यारत नाका, एकता कालोनी, बड़ी मस्जिद, कटंगी रोड़ की मस्जिद, सब्जी मण्डी के सामने वाली मस्जिद, भैरोगंज मस्जिद आदि में धर्मावलंबी नमाज अता करने जाते हैं। रास्ते में आवारा मवेशी और आवारा कुत्ते मुंह अंधेरे इबादत करने जाने वाले इन धर्मावलंबियों को परेशान करने से नहीं चूकते हैं।

विद्यार्थियों में भय
मुंह अंधेरे सुबह साढ़े छः बजे से शहर की शालाओं के विद्यार्थियों को लाने ले जाने वाले आटो घरों घर से बच्चों को एकत्र कर शाला की ओर प्रस्थान करते हैं। मोहल्लों में अपने आटो या बस का इंतजार करने वाले बच्चों को इन आवारा कुत्तों से सदा ही खतरा बना रहता है। ये आवारा कुत्ते छोटे बच्चों की ओर भौंकते हुए दौड़ते हैं। डर के कारण भागते बच्चे कई बार गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं। अनेक बच्चों को इन आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने की खबरें भी मिली हैं।

स्वाईन फ्लू को बढ़ावा दे रही पालिका
यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि स्वाईन फ्लू का वायरस सुअरों के माध्यम से ही तेजी से फैलता है। शहर में मलेरिया के उपरांत डेंगू के मरीज मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, दूसरी ओर शहर में आवारा घूमते सुअरों से स्वाईन फ्लू के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है। जाने अनजाने में राजेश त्रिवेदी के नेतृत्व में नगर पालिका प्रशासन लोगों को बहुत बड़ी बीमारी की मुश्किल में ढकेलता नजर आ रहा है।

25 - 30 का होता है झुण्ड!
बारिश को कुत्तों के प्रजनन का मौसम माना जाता है। इस मौसम में कुत्ते वंशवृद्धि के लिए अपना जीवनसाथी चुनते हैं। अमूमन कुत्ते एक झुण्ड बनाकर ही प्रजनन के लिए साथी तलाशते हैं। इनमें ताकतवर नर श्वान ही सहवास कर पाता है। ताकत की जंग में कुत्तों में आपस में लड़ाई आम बात है। इस लड़ाई में अनेक कुत्ते घायल भी हो जाते हैं। इन कुत्तों के बीच में फंसकर पालतू कुत्ते भी अनेक बार घायल हुए हैं। अक्सर इस तरह के कुत्ते 10 से तीस कुत्तों के झुण्ड में घूमतेे दिख जाएं तो आम बात ही है। शहर की कथित वैध और अवैध कालोनियों में इन कुत्तों का आतंक देखते ही बनता है। इस तरह झुण्ड में घूमने वाले कुत्तों द्वारा अपनी भूख मिटाने के लिए पालतू मुर्गे मुर्गियां, बकरी, सुअर, आदि को भी अपना शिकार बनाया जाता है। ये कुत्ते घरों के खुले दरवाजे देखकर, घरों में घुसकर आतंक बरपाते नजर आते हैं।

जरूरी है कुत्तों की नसबंदी
आवारा कुत्ते पकड़ने का काम मूलतः नगर पालिका परिषद का ही है, किन्तु कमीशन के चक्कर में उलझे नगर पालिका के कारिंदों का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। सारे शहर में एक ही चर्चा तेज है कि नगर पालिका परिषद में चल रहा कमीशनका गंदा धंधालोगों का अमन चैन छीन रहा है। सारा शहर नरक बन चुका है पर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी द्वारा कभी पार्षदों के साथ ना देने का रोना रोया जाता है तो कभी संगठन द्वारा कथित तौर पर उंगलीकरने की बात कही जाती है। नगर पालिका परिषद ने अब तक कितने श्वान पकड़े और कितनों की नसंबदी कराकर उन्हें कहां छोड़ा इस बारे मेें कोई जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराई जाती है।

नहीं पिटवाई जाती मुनादी
नगर पालिका परिषद में कमीशन के गंदे धंधे के चलते पालतू पशुओं को घरों में बांधकर रखने की ना तो मुनादी पीटी जाती है और ना ही समाचार पत्रों में इस तरह की सूचनाएं ही प्रकाशित करवाई जाती हैं। हालात देखकर लगने लगा है मानो नगर पालिका परिषद द्वारा आम जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के स्थान पर निर्माण कार्य, खरीदी आदि को ही सर्वोच्च प्राथमिकता बना लिया गया है। कहा जाता है कि इस काम में एक बार फिर कमीशन का गंदा धंधा ही कारिंदों को फायदा दिलाता है।

कांजी हाउस पर कितना खर्च!

शहर के अंदर नगर पालिका परिषद के स्वामित्व में एक कांजी हाउस भी है। यह कहां है इस बारे में आज की युवा पीढ़ी को शायद ही पता हो। इस कांजी हाउस पर नगर पालिका प्रशासन द्वारा हर साल कितना खर्च किया जाता है इस बारे में भी शायद ही किसी को कोई जानकारी हो। इस कांजी हाउस में नगर पालिका की कमान राजेश त्रिवेदी के संभालने के उपरांत कितने मवेशी पकड़कर रखे गए हैं इस बारे में भी नगर पालिका के पास शायद ही कोई रिकार्ड हो।