सोमवार, 29 अगस्त 2011

वो थे राष्ट्रपिता ये हो सकते हैं राष्ट्रपति

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

वो थे राष्ट्रपिता ये हो सकते हैं राष्ट्रपति
महात्मा गांधी ने सादगी के साथ गोरे अंग्रेजों को देश से खदेड़ दिया था। अब किशन बाबूराव हजारे ने देश के काले अंग्रेजों को अपनी सादगी के सामने झुका दिया है। महात्मा गांधी को समूचा देश आज नमन कर रहा है। देश की करंसी नोटों पर मोहन दास करमचंद गांधी की मुस्कुराती हुई तस्वीर है। अण्णा के आंदोलन के दौरान ही इंटरनेट पर अण्णा के मुस्कुराते चेहरे वाले करंसी नोट दिखने लगे। अण्णा के अनशन के समाप्त होने के उपरांत अब सियासी गलियारों में पार्ट टू के बारे में कयास लगाए जाने लगे हैं। लोगों का मानना है कि अण्णा हजारे को कांग्रेस द्वारा 2012 में देश के सर्वोच्च पद महामहिम राष्ट्रपति पर विराजमान करवाकर रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन को उनका आशियाना बनवा दिया जाएगा। इससे यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस भ्रष्टाचार की पोषक नहीं है। सियासी गलियारों में बापू को राष्ट्रपिता और अण्णा को अगले साल के राष्ट्रपति के तौर पर देखा जा रहा है।

सादगी के सामने नतमस्तक हुए जनसेवक
अण्णा हजारे को देश का हर नागरिक सेल्यूट कर रहा है। अण्णा ने बहुत सादगी के साथ अनशन आरंभ किया और समूचे देश को एक सूत्र में पिरो दिया। संसद में बहस हुई कभी दो बजे तो कभी तीन बजे दिन में बहस अगले दिन पर टाल दी गई। किसी ने यह नहीं सोचा कि आप तो दो बजे यह कहकर बरी हो जाते हो कि कल चर्चा होगी, पर दो बजे से दूसरे दिन बारह बजे तक उस 74 साल के व्यक्ति पर क्या बीतती होगी? अण्णा ने जो कर दिखाया वह सचमुच अकल्पनीय है। आज के इस युग में 12 दिन लगातार अनशन करना बहुत बड़ी बात है उससे भी बड़ी बात इन शातिर राजनेताओं के रहते भी अनशन का ‘‘अहिंसक‘‘ रहना है। अण्णा की सदगी ने भाजपा को झुकाया और भाजपा के रूख से कांग्रेसनीत सरकार को घुटने टेकना पड़ा। कुल मिलाकर यह साफ हो गया है कि जनसेवक सब कुछ कर सकते हैं, पर वे चाहकर भी जनता के हितों की अनदेखी ही करते हैं।

ढहाया प्रियंका वढ़ेरा का बंग्ला!
कांग्रेस की राजकुमारी प्रियंका वढ़ेरा इन दिनों असहज ही नजर आ रही हैं। वे एक के बाद एक आर्कीटेक्ट के संपर्क में हैं। उनका शिमला में छराबड़ा का बंग्ला बनने के पहले ही ढहा दिया गया है। यह जमीन प्रियंका ने छः साल पहले खरीदी थी। इस क्षेत्र में सिख परिवार की जमीन भी सुरक्षा कारणों से बेकार पड़ी थी, जिसे प्रियंका ने ओने पोने दाम में खरीद लिया। देश की रियाया के पास सर छिपाने की जगह नहीं है और राजकुमारी प्रियंका के पास इस अतिविशिष्ट इलाके में आठ बीघा से ज्यादा जगह है। उनका बंग्ला बनकर लगभग तैयार ही था कि राजकुमारी प्रियंका को डिजाईन पसंद नहीं आया। लीजिए जनाब ढहा दिया गया मकान। इसके पहले तीन मर्तबा तो रसोई को तोड़ा जा चुका है। तीन गुना ज्यादा सीमेंट से बने इस मकान को ध्वस्त करने में मजदूरों को नाकों चने चबाने पड़ गए। अब सोचिए जनता भूखों मर रही है पर राजकुमारी मकान बनाकर तोड़कर फिर बनाने जा रही हैं।

लोकपाल से होगा क्या!
देश की व्यवस्था को भ्रष्टाचार का कीड़ा पूरी तरह कुतर चुका है। हर कदम पर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। अण्णा की हुंकार से कुछ तो असर होता दिख रहा है। सरकार का झुकना इस बात के संकेत दे रहा है कि अण्णा की मुहिम कुछ हद तक रंग लाएगी। लोग मजाक भी कर रहे हैं कि लोकपाल आने तक कर लो भ्रष्टाचार फिर तो रिश्वत का लेन देन भी चेक और डीडी से ही होगा। अण्णा के अनशन के बीच खबर आई कि लखनऊ नगर निगम में छसौ रूपए के लालच में कर्मचारियों ने किशन बाबूराव उर्फ अण्णा हाजरे का जन्म प्रमाण पत्र बना दिया, जिसमें अण्णा के पते के स्थान पर लखनऊ के जिलाधिकारी के निवास का पता डाला गया है। यह उस वक्त हुआ जब देश भर में मीडिया में किशन बाबूराव अण्णा हजारे छाए हुए थे।

हदें लांघती कांग्रेस
गांधीवादी समाजसेवी अण्णा हजारे के अनशन से घबराई कांग्रेसनीत सरकार ने अण्णा के खिलाफ घटिया से घटिया अस्त्र का प्रयोग भी किया, पर अण्णा कतई विचलित नहीं हुए। कांग्रेस प्रवक्ता ने अण्णा के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। तिवारी के आरोप थे कि अण्णा सर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं, और कांग्रेस के भगोड़े हैं। सूचना के अधिकार में निकाली गई जानकारी ने मनीष तिवारी के सारे आरोपों को झुटला दिया है। जानकारी में कहा गया है कि सेना में रहते हुए न तो अण्णा को कोई सजा दी गई न ही सेना से निकाला गया है। बारह साल की सेवा के उपरांत वे ससम्मान सेवानिवृत हुए और उन्हें पांच पदक भी मिले हैं। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस का मीडिया प्रभाग किस तर भ्रामक जानकारियों से देशवासियों को बरगलाने पर आमादा है और विपक्ष खामोश।

पीआर कंपनियों की पौबारह
जनसेवकों द्वारा इमेज बिल्डिंग पर खासा ध्यान दिया जाने लगा है। पहले रूपहले पर्दे के सितारों ने अपनी छवि बनाने के लिए पब्लिक रिलेशन कंपनियों की मदद ली जाती रही है। अब जनसेवक इनकी देहरी पर हैं। कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के युवराज खुद इसी तरह के जतन कर रहे हैं। खबर है कि करोड़ों रूपए पानी में बहाकर 2013 के आम चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की छवि निर्माण का काम आरंभ किया गया है। इमेज बिल्डिंग कंपनियों के उम्दा किस्म मे पेशेवर अब राहुल के लिए सर जोड़कर बैठ चुके हैं। उधर भाजपा के नरेंद्र मोदी, शिवराज सिंह चौहान, सुषमा स्वराज यहां तक कि खुद नितिन गड़करी भी इनकी शरण में हैं। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनके कथित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह के करीबी मध्य प्रदेश काडर के एक आईएएस ने परोक्ष तौर पर इस आपरेशन की कमान संभाली हुई है।

अड़वाणी के दर पर उमा!
बमुश्किल भाजपा में वापस आई उमा भारती अपने आप को बेहद उपेक्षित महसूस कर रही हैं। उमा को मध्य प्रदेश से प्रथक रहने के साफ और कड़े निर्देश दिए गए हैं। उन्हें कहा गया है कि वे उत्तर प्रदेश में अपना ध्यान केंद्रित रखें। यूपी में राजनाथ सिंह, के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। उत्तर प्रदेश भाजपा में ठाकुरवाद जमकर हावी है। समूची भाजपा ठाकुरवाद की जद में है। वहां उमा की कोई सुनने वाला नहीं है। यूपी में हर जगह उमा को तिरस्कार ही झेलना पड़ रहा है। अपनी उपेक्षा से दुखी उमा भारती ने अपनी व्यथा अपने आका एल.के.आड़वाणी को सुनाने का मन बनाया और पहूंच गईं उनके दर पर। आड़वाणी ने राजनाथ के खिलाफ सारा चिट्ठा सुना। उमा का मन हल्का हुआ पर वे सकते में आ गईं जब आड़वाणी दबे सुर में बोले -‘‘ठीक है में इस बारे में गड़करी जी से बात करूंगा।‘‘

पराजित खा रहे हैं मलाई शिव के राज में
कहा जाता है कि जो जीता वही सिकंदर, किन्तु देश के हृदय प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के राज में कुछ और कैसट ही बज रहा है। शिव के राज में एमपी में जीते हुए विधायकों को तो कुछ भी नहीं मिला पर हारे हुए विधान सभा प्रत्याशियों (पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को छोड़कर) अधिकांश को निगम मण्डलों में अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनाकर लाल बत्ती से नवाज दिया गया है। दो बार चुनाव हारे अखण्ड प्रताप सिंह को विंध्य विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष, कमलेश्वर को बीज निगम का उपाध्यक्ष, तीन बार हारे रामदास मिश्रा को विंध्य विकास का उपाध्यक्ष, रामपाल सिंह को हाउसिंग बोर्ड का अध्यक्ष, रूस्तम सिंह को पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष, रामलाल को अजा आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया है। ये सभी चुनाव लोग एक से ज्यादा बार चुनाव हारे हुए हैं। भाजपा में चर्चा है कि जीते तो आजीवन पैंशन और हारे तो लाल बत्ती तो तय ही है मध्य प्रदेश में।

. . . मतलब कानून तोड़ते आए हैं निजाम!!!
राज्यों में मुख्यमंत्रियों द्वारा स्वविवेक के आधार पर जमीने बांटी गईं हैं। इनमें अपनों को रेवड़ी बांटकर उपकृत करने के अनेक मामले सामने आए हैं। कई बार तो इसमें भ्रष्टाचार की बू भी आती है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्टने इस बारे में नई व्यवस्था दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री किसी भी व्यक्ति को सीधे जमीन नहीं दे सकता है। यह कानून के उल्लंघन के समतुल्य है। कोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों का काम अपने हाथ में नहीं लिया जा सकता है। यह अधिकारों का उल्लंघन है। आजादी के बाद अब तक राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा माले मुफ्त की तरह जमीनें बांटी गईं हैं। इस तरह तो सारी जमीनें अवैध तौर पर बांटी गईं हैं, और निजामों ने कानून तोड़ा है।

नाथ का पीछा नहीं छोड़ रहा 84 का जिन्न
1984 में प्रियदर्शनी स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए देश व्यापी दंगों की आग 27 साल बाद भी शांत नहीं हुई है। उपर राख अवश्य ही ठंडी पड़ गई हो, पर कुरेदने पर कोयले सुलगते दिख जाते हैं। 84 के दंगों में आहत हुए सिख समुदाय के मानवाधिकार समूह सिख्ख फॉर जस्टिससंगठन ने फिर कहा है कि वे अमेरिका कोर्ट से शहरी विकास मंत्री कमल नाथ के खिलाफ समन जारी करने का आग्रह करेंगे। संगठन का आरोप है कि 84 के सुनियोजित सिख विरोधी दंगों में कमल नाथ लिप्त थे। 27 सालों में तो कमल नाथ को इससे तकलीफ नहीं हुई होगी किन्तु 2014 के लोकसभा चुनाव में इस बार उन्हें इस मामले से कुछ परेशानी हो सकती है। इसका कारण यह है कि उनके संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में सिख मतदाताओं की खासी तादा है, और अब तक कमल नाथ के द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र में सिख परिवारों को राजनैतिक तौर पर कभी उपकृत नहीं किया है।

11 साल से अनशन पर शर्मिला
अण्णा हजारे ने 12 दिन में ही सरकार को घुटनों पर आने मजबूर कर दिया। देश के मीडिया की सुर्खियां बना अण्णा का आंदोलन। वहीं दूसरी ओर इंफाल में पिछले 11 साल से आंदोलन कर रही शर्मिला पर किसी की नजरें नहीं है। अण्णा को जब इस बात की जानकारी मिली उन्होंने रामलीला मैदान से ही शर्मिला को पत्र लिखकर दिल्ली आकर अनशन में साथ देने का न्योता दिया। 34 साल की शर्मिला ने कहा कि वे कैद में हैं इसलिए नहीं आ सकतीं हैं। शर्मिला की मांग है कि आर्मड फोर्स एक्ट 1958 को समाप्त किया जाए। पुलिस ने इसे तो समाप्त नहीं किया किन्तु शर्मिला को धारा 309 के तहत धर पकड़ा। शर्मिला ने पानी की एक बूंद भी गले से नहीं गटकी। उनकी नाक में लगी नली से ही उन्हें फुड सप्लिमेंट दिए जा रहे हैं।

इधर दावतें उधर भूखे पेट पड़े रहे जवान
दिल्ली में देश के नीति निर्धारकों द्वारा रोजाना ही दावतें उड़ाई जा रहीं थीं, देर रात तक जाम टकराए जाते रहे पर किसी को भी दुर्गम राहों पर चलने वाले जवानों की चिंता नहीं थी। दिल्ली में अर्ध सैनिक बलों के अधिकारियों के बीच चल रही चर्चा के अनुसार वे सभी राजनेताओं से खासे खफा हैं। इसका कारण यह है कि छत्तीसगढ़ में जगदलपुर और बीजापुर में नक्सलप्रभावित इलाकों में सेना के जवान भूखे पेट लड़ रहे थे पर किसी को भी उनके लिए खाना पहुंचाने की चिंता नहीं थी। पीड़ित मानवता की सेवा का कौल लेने वाले चिकित्सकों का मन भी नहीं पसीजा। शहरों में चिकित्सा की दुकानेंखोलकर अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने वाले डॉक्टर्स के अभाव में जवान बीमारी से तड़पते रहे और दम तोड़ते रहे पर किसी ने उनकी सुध नहीं ली। छग में इतना सब कुछ चल रहा था और देश के जनसेवक मजे से दावतें उड़ा रहे थे।

गायब है सोनिया का स्वास्थ्य बुलेटिन
कांग्रेस के अंदर एक बात चल पड़ी है कि क्या कांग्रेस में सोनिया की अहमियत एकदम से कम हो गई है या फिर किसी खास रणनीति के तहत सोनिया के बारे में मौन साधा जा रहा है। सोनिया अमेरिका में शल्य चिकित्सा के उपरांत स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। सोनिया की तबियत के बारे में कांग्रेस पूरी तरह मौन साधे हुए है। सोनिया के बारे में एक ही बार कांग्रेस ने बुलेटिन जारी की, जिसमें उनकी बीमारी या शल्य चिकित्सा के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया। राजा दिग्विजय सिंह भी परिदृश्य से गायब हैं। इसे किसी खास रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि जरूर युवराज राहुल गांधी के विवाह की तैयारियां गुपचुप तरीके से जारी हैं। बीच में खबर आई थी कि राहुल के लिए इटली की ही दुल्हन लाने के पक्ष में हैं सोनिया और प्रियंका।

मनमोहन को डुबाते उनके पंच प्यारे
मनमोहन सिंह के पांच प्यारे सितारे ही उनकी नैया को बिना पतवार हांक रहे हैं। अब तक तो मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार को उनके पांच प्यारों द्वारा चलाए जाने के आरोप लगाए जाते रहे हैं, पर अब मनमोहन पर यह आरोप आहूत हो रहा है। सियासी गलियारों मे ंचर्चा चल पड़ी है कि सोनिया के साथ दूरी बनने के बाद मनमोहन ने अपनी जुंडाली का नेतृत्व पांच नेताओं को दे दिया है। मनमोहन के 5 सलाहकारों कपिल सिब्बल, पलनिअप्पम चिदम्बरम, पवन बंसल, सलमान खुर्शीद और राजीव शुक्ला से कांग्रेस के अंदर के और देश के लोग खासे खफा नजर आ रहे हैं। कहा जाता है कि गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार को छलोग तो शिवराज सरकार को पांच लोग चला रहे हैं। इसी तर्ज पर यह भी कहा जाने लगा है कि देश को अब मनमोहन नहीं उनके पांच लोग चला रहे हैं।

पुच्छल तारा
अण्णा हजारे अण्णा हजारों यही बात सबकी जुबान पर है। इस रामलीला मैदान दो अनशन का हाल ही में गवाह बना। एक रणछोड़दास सांस फुला देने वाले बाबा रामदेव के और दूसरे अण्णा के सीना फुला देने वाले आंदोलन का। अण्णा के आंदोलन में कांग्रेस की जो भद्द पिटी वह किसी से छिपा नहीं है। रामलीला मैदान पर बाबा रामदेव और अण्णा हजारे दोनों ही के मामले में सोनिया गांधी खामोश रहीं। कनाडा के टोरंटो शहर से उदय राजपुत ने एक ईमेल भेजा है। उदय लिखते हैं कि एक आदमी सड़क पर खड़े खड़े चिल्ला रहा था, सरकार चोर है, सरकार चोर है। उधर से दिग्विजय सिंह गुजरे। उन्होंने उसे एक झापड मारा, वो बोला मैं तो अमेरिका की सरकार को चोर बता रहा था। दिग्गी राजा ने फिर एक चपत लगाई और बोले -‘‘साले जैसे हमें पता नहीं कहां की सरकार चोर है?‘‘