मंगलवार, 21 मई 2013

गोंडवाना, बसपा और सपा ही बचती हैं दिनेश के लिए


गोंडवाना, बसपा और सपा ही बचती हैं दिनेश के लिए

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत जप्त करवाकर दूसरी पायदान पर रहने वाले दिनेश राय उर्फ मुनमुन अब भाजपा में नहीं जा पाएंगे। संभवतः यही कारण है कि दिनेश राय उर्फ मुनमुन अब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी में संभावनाएं टटोल रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2008 में दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने नगर पंचायत लखनादौन के अध्यक्ष रहते हुए सिवनी विधानसभा से चुनाव लड़ा था। इस समय लखनादौन में यह चर्चा आम होने लगी थी कि आखिर क्या वजह थी कि लखनादौन नगर पंचायत के अध्यक्ष रहने के बाद भी वे लखनादौन से पलायन कर सिवनी से विधानसभा चुनाव लड़ने आए थे।
उस समय सिवनी में यह चर्चा भी आम थी कि चूंकि दिनेश राय उर्फ मुनमुन का इंवालवमेंट शराब के व्यापार में था अतः उनका साथ ना दिया जाए। वैसे भी हर समाज हर वर्ग में शराब को सामाजिक बुराई माना जाता है। इसके चलते दिनेश राय उर्फ मुनमुन को अपेक्षित जनसमर्थन नहीं मिल पाया।
बताया जाता है कि 2008 के उपरांत लगातार सिवनी से दूरी बनाए रखने वाले दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने कांग्रेस और भाजपा पर भी डोरे डाले पर दोनों ही सियासी दलों में शराब के कारोबार से जुड़े रहने के चलते इनका भारी विरोध हुआ और दिनेश राय उर्फ मुनमुन को मुंह की खानी पड़ी।
दिनेश राय उर्फ मुनमुन के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उन्हें सलाह दी गई है कि इस बार उनके पक्ष में सिवनी विधानसभा विशेषकर सिवनी शहर में वैसा अंडर करेंट नहीं है। इसलिए संभव हो तो किसी राजनैतिक पार्टी का सिंबाल ले आया जाए।
इसके पीछे यह धारणा बताई जा रही है कि निर्दलीय की गिनती शून्य से आरंभ होती है पर राजनैतिक दलों के लिए प्रतिबद्ध मतदाताओं की कुछ तो संख्या होती है। यही कारण है कि बार बार दिनेश राय उर्फ मुनमुन के कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा में जाने की खबरें सियासी फिजां में तैरने लगती हैं।
चर्चा तो यहां तक है कि अब समाजवादी पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, या बहुतन समाज पार्टी की टिकिट पाने की जुगत दिनेश राय उर्फ मुनमुन द्वारा लगाई जा सकती है ताकि वे सिवनी में उस पार्टी के कुछ परंपरागत वोटों से अपना खाता खोल सकें।

साई बाबा के नाम का व्यवसाईकरण बर्दाश्त नहीं: मण्डल


साई बाबा के नाम का व्यवसाईकरण बर्दाश्त नहीं: मण्डल

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। शिरडी के फकीर साई बाबा के नाम पर धर्म की दुकानें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। देश भर में साई बाबा के नाम के मंदिरों में आने वाले चढ़ावे का ना तो कोई हिसाब किताब रखा जा रहा है ना ही उसका क्या उपयोग किया जा रहा है यह ही बताया जाता है। मंदिरों में रखी दान पेटियां कब और किसके सामने खोली जाती हैं इसका भी कोई अता पता नहीं होता है।
उक्ताशय की बात हिन्दु महासभा के प्रदेशाध्यक्ष संजय मण्डल ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही है। उन्होंने कहा कि सिवनी में भी साई बाबा के नाम का व्यवसाईकरण आरंभ हो गया है, जो निंदनीय है। शिरडी के फकीर साई बाबा की जीवनी या साई सच्चरित्र का अध्ययन करने पर साफ हो जाता है कि वे माया मोह से कोसों दूर थे।
साई बाबा के नाम पर सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर अश्लील टिप्पणियां निश्चित तौर पर निंदनीय है। जनता का यह आक्रोश साई बाबा के लिए नहीं है। यह आक्रोश बाबा के मंदिर बनाकर उनका व्यवसाईकरण करने वालों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सिवनी में साईपुरम में साई मंदिर के साई उत्सव मेला बंद कराने की बात आज एक समाचार पत्र में मंदिर के सचिव प्रसन्न मालू के हवाले से प्रकाशित किया गया है।
श्री मण्डल ने कहा कि साई उत्सव मेला किसकी जमीन पर लगता है यह बात मंदिर प्रबंधन बताए। मंदिर में निर्माण से अब तक कितनी राशि किस मद में किसकी अनुमति से खर्च हुई है इसका ब्योरा सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाता है। क्या कारण है कि असली साई भक्त एक एक करके इस मंदिर से दूर हो गए हैं।
हिन्दु महासभा के प्रदेशाध्यक्ष संजय मण्डल ने कहा है कि उन्होंने साई मंदिर ट्रस्ट की प्रस्तावित सूची समाचार पत्र में देखी है, जिसमें मुख्य कर्ताधर्ता मालू परिवार के चार सदस्यों के नाम हैं! इसमें से कुछ लोग भोपाल जाकर सैटिल हो गए हैं, सालों से रोज जाकर मंदिर में प्रसाद चढ़ा रहा है उन्हें आखिर इस ट्रस्ट से दूर क्यों रखा गया है?
श्री मण्डल ने कहा कि उन्होंने समाचार पत्र में पढ़ा कि इस ट्रस्ट की कुल चल संपत्ति एक लाख 54 हजार 220 रूपए है। उन्होंने सिवनी के साई भक्तों से यह पूछा है कि क्या दस सालों में साई मंदिर में भक्तों द्वारा महज डेढ़ लाख रूपए ही चढ़ाए गए हैं। वैसे देखा जाए तो 21 से 24 जनवरी तक चलने वाले साई पटोत्सव मेले जिसे कुछ कारणवश 19 से आरंभ कर दिया गया है में ही एक से डेढ़ लाख रूपए का चढ़ावा आ जाता होगा। इस मेले में दुकानें यहां तक कि साईकल स्टेंड तक किराए से दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में इस बात को भी लाया गया है कि सांसद विधायक निधि से यहां बनाया गया पहुंच मार्ग और मंदिर की पीछे वाली सीढ़ी मंदिर के बजाए निजी जमीन में बनाई गई है। इस पहुंच मार्ग के लिए सांसद या विधायक ने राशि कैसे दी इस बात की जांच भी आवश्यक है।
साई मंदिर को अघोषित पार्किंग बना दिया गया है। यहां भारी वाहन रात को पार्क होते हैं, एवं इनके चालक परिचालक मंदिर के अंदर कूलर पंखों का आनंद भी लेते हैं। पिछले दिनों यहां चोरी हो गई थी जिसमें परिस्थितियां इस बात की ओर इशारा कर रही थीं कि दीवार को बाहर के बजाए अंदर से तोड़ा गया था। मंदिर के गर्भ गृह में पैरों के निशान थे पर पुलिस को वहां तक नहीं जाने दिया गया।
समाचार पत्र में श्री प्रसन्न मालू के हवाले से यह भी कहा गया है कि मंदिर से लगे भूखण्ड को कुछ भू माफिया मंहगे दामों पर बेचना चाह रहे हैं। अगर कोई अपनी जमीन बेचना चाह रहा है तो इसमें मंदिर प्रबंधन के पेट में आखिर दर्द क्यों हो रहा है? वह उसकी निजी जमीन है उसका जो उपयोग उसे करना हो करने के लिए स्वतंत्र है। इस जमीन को सिर्फ 35 लाख रूपए में खरीदने की चर्चा भी शहर में हो रही है।
श्री मण्डल ने कहा कि यह सारी बातें वे कहना नहीं चाह रहे थे, किन्तु जब पानी सर के उपर आ जाए तो क्या किया जा सकता है। अब तो मंदिर प्रबंधन जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी पर ही प्रत्यक्ष परोक्ष तौर पर आरोप प्रत्यारोप पर उतर आया है तब मजबूरी में उन्हें भी इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है।

सिवनी में कांग्रेस की हकीकत


सिवनी में कांग्रेस की हकीकत

(लिमटी खरे)

कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आज़म राहुल गांधी मध्य प्रदेश दौरे के दरमियान कांग्रेस के सिपाहियों से रूबरू हुए। मध्य प्रदेश कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी पर राहुल गांधी ने दो टूक राय व्यक्त की है। राहुल ने गुटबाजी करने वाले नेताओं को जमकर नसीहत दी है। बाहरी उम्मीदवारों को कांग्रेस मौका नहीं देगी और दो से अधिक बार चुनाव हारे नेता टिकिट की उम्मीद ना करें। राहुल ने नेताओं को आईना दिखा दिया कि पहले स्थानीय निकाय के चुनावों में परचम लहराओ फिर सांसद विधायक की टिकिट की दावेदारी करो। राहुल ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश में छरू या सात क्षत्रप टिकिट का फैसला नहीं करेंगे। कांतिलाल भूरिया, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमल नाथ, सुरेश पचौरी, अरूण यादव का बाकायदा नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसी की बपौती नहीं है। इस दरमियान राहुल गांधी के समक्ष सिवनी के कांग्रेस के नेताओं ने अपनी पीड़ा का जमकर इजहार किया।
राहुल के इन तेवरों के उपरांत इसी परिपेक्ष्य में सिवनी जिला कांग्रेस में अगर झांक कर देखा जाए तो अन्य दलों या निर्दलीय के बतौर अच्छा परफारमेंस दिखाने वाले युवा नेताओं को घोर निराशा का ही सामना करना पड़ेगा क्योंकि जोड़ तोड़ की राजनीति के चलते कांग्रेस के नेताओं को पिछले दरवाजे से सहयोग कर अपना सिक्का जमाकर कांग्रेस के खाते से विधानसभा टिकिट की जुगत में लगे नेताओं की आशाओं पर राहुल गांधी का यह फैसला तुषारापात ही करेगा। भले ही कांग्रेस के जिला स्तर के आला नेता अब इन नेताओं को वक्त का इंतजार करो, हम रास्ता निकालेंगे, कहकर दिलासा दिलवाएं, पर यह बात भी सत्य है कि अगर किसी बाहरी उम्मीदवार को कांग्रेस द्वारा मैदान में उतारने का मन बनाया जाता है तो राहुल गांधी की इस घोषणा को ढाल बना दिया जाएगा।
जहां तक रही दो से अधिक बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकिट ना देने की बात तो सिवनी में एक भी नेता ऐसा नहीं है जो दो से ज्यादा बार चुनाव हारा हो। इस लिहाज से अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आशुतोष वर्मा, राजकुमार खुराना और प्रसन्न चंद मालू स्वाभाविक तौर पर सिवनी विधानसभा से एक बार फिर अपनी सशक्त उम्मीदवारी जता सकते हैं। यह बात भी सत्य है कि इन तीनों ही नेताओं को चुनाव जनता ने नहीं हरवाया है, कांग्रेस के भीतराघात से इन्हें पराजय झेलनी पड़ी है। सिवनी विधानसभा में शहरी मतदाताओं की तादाद बेहद ज्यादा है, शहरी क्षेत्र में पढ़े लिखे प्रबुद्ध वर्ग के बीच इन तीनों की छवि अच्छी है, फिर इनकी हार के कारणों को तीनों ने खोजा होगा और पाया होगा कि कांग्रेस ने ही उन्हें हरवाया है।
मध्य प्रदेश में चंद नेताओं की गणेश परिक्रमा कर नेता अपनी टिकिट पुख्ता कर लेते हैं। राहुल गांधी के सामने यह जमीनी हकीकत गई यह एक अच्छा संकेत है कि उन्होंने साफ कह दिया कि कांग्रेस किसी की बपौती नहीं है। यह बोलते हुए उन्होंने कांतिलाल भूरिया, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमल नाथ, सुरेश पचौरी, अरूण यादव का नाम लिया। इससे लगता है कि राहुल गांधी की खुफिया टीम ने उन्हें मध्य प्रदेश के जमीनी हालातों से रूबरू करवा दिया है। सभी क्षत्रपों ने अपना अपना क्षेत्र बांटा हुआ है। सभी को अपनी चिंता है, कांग्रेस के बारे में कोई सोच भी नहीं रहा है। होना यह चाहिए कि हर क्षत्रप को उसके क्षेत्र की जवाबदेही सौंप दी जाए। अगर वह अपने क्षेत्र में कांग्रेस को जिताकर लाता है तब ही उसे केंद्र या प्रदेश में संगठन अथवा सत्ता में पद दिया जाए। इससे कांग्रेस का जमीनी आधार तैयार होगा।
वर्तमान में नेताओं की सोच बन चुकी है कि सिर्फ और सिर्फ खुद को विजयी बनवाया जाए, अगर दूसरा विधायक या सांसद उनके क्षेत्र में जीत गया तो उनके पास केंद्रित पावर सेंटर बंटकर कमजोर हो जाएगा। यही कारण है कि कांग्रेस के क्षत्रप खुद तो चुनाव जीत जाते हैं पर उनके प्रभाव वाले क्षेत्र में कांग्रेस औंधे मुंह गिरी नजर आती है। मध्य प्रदेश कोटे से वर्तमान में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमल नाथ केंद्र में मंत्री हैं। 2004 से ये दोनों लगातार मंत्री हैं। राहुल गांधी को चाहिए कि इनसे पूछे कि इन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के अलावा प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कितने दौरे किए, कितनी जनसभाएं की, कितने कार्यकर्ताओं से जाकर प्रदेश में कांग्रेस की जानकारी ली। निश्चित तौर पर राहुल अगर ऐसा करते हैं तो उनके सामने निराशाजनक परिणाम ही सामने आने की उम्मीद है, क्योंकि सभी जानते हैं कि प्रदेश कोटे से केंद्र में मंत्री बने नेताओं ने प्रदेश से पूरी तरह बेरूखी वाला रवैया ही अख्तियार किया हुआ है।
सिवनी जिला जो कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, अब वहां कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचा है। अस्सी के दशक की समाप्ति पर सिवनी की झोली में आया संसदीय क्षेत्र भी परिसीमन में षडय़ंत्र के तहत छीन लिया गया और सिवनी के कांग्रेस के नेताओं ने मौन ही साधा हुआ है। सिवनी में पांच से चार विधानसभा क्षेत्र बचे हैं, जिनमें एक पर ही कांग्रेस का परचम लहरा रहा है। आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस एक विधानसभा सीट तक ही सिमटकर रह गई है। आखिर क्या कारण है कि लखनादौन नगर पंचायत के चुनाव में कांग्रेस ने एक निर्दलीय को वाकोवर दे दिया था? क्या कारण है कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार और सिवनी मण्डला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम के सांसद रहने के बाद भी बड़ी रेल लाईन के बारे में उन्होंने कोई पहल नहीं की? क्या कारण है कि 2008 से रूका फोरलेन का काम आरंभ करवाने सांसद ने लोकसभा में कोई प्रश्न नहीं किया। क्या कारण है कि सिवनी जिले में भाजपा के विधायको के अनेक मामले उछलने के बाद भी विधानसभा में एक भी मामला नहीं गूंजा? कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस और भाजपा के सांसद विधायक मिलकर जनता के सामने नूरा कुश्ती खेल रहे हों? जनता अगर जागी तो निश्चित तौर पर इस साल के अंत में वह इन नेताओं को हकीकत से दो चार करवा सकती है।