मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

साहब यहां रीचार्ज वॉऊचर मिलता है क्या?

साहब यहां रीचार्ज वॉऊचर मिलता है क्या?

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। महानगरों की तर्ज पर सिवनी में कोतवाली परिसर के मुख्य द्वार पर एक निजी सेवा प्रदाता मोबाईल कंपनी द्वारा प्रायोजित साईन बोर्ड लोगों के लिए कोतुहल का विषय बना हुआ है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर भी यह मुद्दा बहस का विषय बन चुका है।
सिवनी कोतवाली में मोबाईल की एक निजी सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा एक साईन बोर्ड लगाया गया है। इस साईन बोर्ड का प्रस्ताव किसे दिया गया? किसने इसकी अनुमति दी? नगर पालिका से एनओसी मिली अथवा नहीं? ये सारी बातें अभी किसी को पता नहीं हैं, किन्तु इसके लगते ही चर्चाओं का न थमने वाला दौर आरंभ हो गया है।
कहा जा रहा है कि महज कुछ हजार खर्च कर फ्लेक्स वाले ग्लो साईन बोर्ड के जरिए निजी सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा अपना विज्ञापन करवाया जा रहा है। इस विज्ञापन के एवज में वह नगर पालिका परिषद् या पुलिस विभाग को क्या दे रहा है यह बात भी किसी के संज्ञान में नहीं ही बताई जा रही है।
इस ग्लो साईन बोर्ड के अंदर ट्यूब लाईट लगी हुई हैं। कहा जा रहा है कि अपने विज्ञापन के लिए सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा तबियत से इसमें ट्यूब लाईट लगाई गई हैं। इन ट्यूब लाईट के रात भर जलने से भाग मिल्खा भाग की तर्ज पर घूमने वाले बिजली के मीटर का भोगमान कौन भोगेगा यह बात भी कोई नहीं जानता है!
एक पुलिस कर्मी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि अब तो कोतवाली पुलिस की सरदर्दी और अधिक इसलिए बढ़ गई है क्योंकि निजी सेवा प्रदाता कंपनी ने अपनी कंपनी का नाम बहुत ही बड़े अक्षरों में तो कोतवाली थाना, सिवनीबेहद बारीक अक्षरों में लिखवाया है।

उक्त पुलिस कर्मी का कहना था कि लोग कोतवाली को मोबाईल सेक्टर की उक्त सेवा प्रदाता कंपनी का कार्यालय ही समझने लगे हैं। उसने बताया कि गत दिवस तो दो तीन ग्रामीण मोबाईल उपभोक्ताओं ने यहां तक पूछताछ कर ली कि ‘‘साहब, यहां उक्त कंपनी के रीचार्ज वॉऊचर मिलते हैं क्या?

कहीं प्रायोजित तो नहीं था गनपत प्रसंग!

कहीं प्रायोजित तो नहीं था गनपत प्रसंग!

प्रभारी मंत्री नाना भाऊ झाड़ते रहे बार बार अपना आसन!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। दशहरा मैदान में आज आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक विकलांग युवक को न केवल अपनी कुर्सी पर बिठाया वरन् उसे पचास हजार रूपए का चेक भी प्रदान किया। भाजपाई खेमें में चल रही चर्चा को अगर सच माना जाए तो यह कार्यक्रम सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया द्वारा प्रायोजित ही था।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि अपने दोनों पैरों से विकलांग उगली पठार निवासी गनपत धुर्वे, बीती रात्रि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने आया था, परंतु भाजपा के टाईट शैड्यूलके कारण वह सीएम शिवराज सिंह चौहान से नहीं मिल सका।
आज जब मुख्यमंत्री दशहरा मैदान पहुंचे और उनकी नजर नीचे बैठे गनपत पर पड़ी तो उन्होंने उसे न केवल मंच पर बुलाया वरन् जिला कलेक्टर को तत्काल आदेशित कर उसे पचास हजार रूपए की राशि का धनादेश (चेक) प्रदाय किया गया। सूबे के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान की सहृदयता और पारखी नजर मीडिया की सुर्खियां बन सकती हैं, किन्तु अनेक सवाल अभी अनुत्तरित ही हैं।
उक्त पदाधिकारी ने बताया कि इसके पूर्व उज्जैन में भी मुख्यमंत्री ने सभा मंच से एक वृद्धा को मंच पर बुलाकर बिठाया और उसे आर्थिक इमदाद भी दी थी। बाद में पता चला था कि वह महिला प्रायोजित तरीके से भीड़ का हिस्सा बनाई गई थी। उक्त पदाधिकारी का कहना है कि कुछ लोगों ने जब उससे पूछा कि वह कहां का रहने वाला है, तो उसने छूटते ही नीता पटेरिया की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसके बारे में पटेरिया मेडम को सब कुछ पता है।

प्रभारी मंत्री झाड़ते रहे आसनी
मुख्यमंत्री ने गनपत को नीचे से बुलवाकर अपने आसन पर बिठा दिया था। वहीं बाजू में प्रभारी मंत्री नाना भाऊ सफेद झक कपड़ों में बैठे थे। गनपत के बैठने के उपरांत प्रभारी मंत्री बार बार उठकर रूमाल से अपनी कुर्सी झाड़ते देखे गए। मंच पर मौजूद भाजपा के एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि दरअसल, गनपत नीचे बैठा था अतः धूल मिट्टी, घास फूस चिपककर उसके कपड़ों के जरिए कुर्सी पर आन पड़ी थी, संभवतः उसे ही साफ करने की गरज से प्रभारी मंत्री बार बार अपनी कुर्सी साफ कर रहे थे।

मीडिया से बनाई दूरी
गत दिवस दशहरा मैदान में आयोजित सभा में सूबे के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया के लोगों से मुखातिब होकर कहा था कि वे मीडिया में आज और कल सिवनी में हैं। आज वे सिवनी से बिदा हो गए पर मीडिया से चर्चा का समय उन्हें नहीं मिल पाया। कल मीडिया के लोगों को सीएम के कार्यक्रम के लिए जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा चुन चुन कर बुलाये जाने पर भी मीडिया के लोगों में नाराजगी का आलम था। बताया जाता है कि रविवार को सीएम के आगमन के पूर्व जिला जनसंपर्क कार्यालय में, मीडिया के चुनिंदा प्रतिनिधियों के लिए भोज की व्यवस्था भी रखी गई थी।

मिलती है पांच हजार रूपए की राशि
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो से सोनल सूर्यवंशी ने बाणगंगा स्थित जनसंपर्क संचालनालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि जब भी सूबे के निज़ाम किसी भी जिले के प्रवास पर होते हैं, उस समय संबंधित जनसंपर्क अधिकारी को पांच हजार रूपए की राशि तत्काल ही मीडिया मैनेजमेंट के लिए आवंटित कर दी जाती है। अब तक सीएम के सिवनी आगमन पर यह राशि हर बार जारी हुई होगी। इस राशि को किसके उपर खर्च किया गया, यह भी शोध का ही विषय बना हुआ है।

प्रेस क्लबने सौंपा ज्ञापन
जिला प्रशासन और भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री के आगमन पर मीडिया के साथ किए गए दोयम दर्जे के व्यवहार से क्षुब्ध होकर प्रेस क्लब (पत्रकार हितों के लिए संघर्ष का दावा करने वाले शेष पत्रकार संगठन, पत्रकारों की उपेक्षा के बावजूद भी सदा की ही भांति मौन रहे) द्वारा लिखित रूप में मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में इस बात को रेखांकित किया गया कि चुनावों के मद्देनजर भी सिवनी के मीडिया को मुख्यमंत्री के 29 एवं 30 सितम्बर की जन आर्शीवाद यात्रा के बारे में जानकारी से महरूम रखा गया।
प्रेस क्लब के सक्रिय सदस्य काबिज खान ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नाराज मीडिया कर्मियों ने अपने अपने कैमरे और कलब आज के मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में बंद कर दिए गए थे। काबिज खान ने बताया कि सीएम ने प्रेस क्लब के ज्ञापन को पूरा पढ़ा और जिला प्रशासन ने मीडिया के लिए विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए। बकौल अब्दुल काबिज खान, सीएम ने ज्ञापन को पढ़कर अपनी जेब के हवाले कर दिया और मंच से उतरकर मीडिया से रूबरू हुए एवं इन मामलों को संज्ञान में लेकर कार्यवाही की बात भी कही गई।

अपनी सुनाई, पर मीडिया से रखा परहेज
शिवराज सिंह चौहान सिर्फ अपनी बात सुनाना चाहते हैं, अन्य किसी की बात वह सुनने को तैयार नहीं, तभी तो अक्सर वह स्थानीय मीडिया से परहेज करते हैं। शिवराज सिंह चौहान ने रात्रि विश्राम सिवनी में ही किया और सुबह 10.30 बजे ही वह यहां से निकल गये, लेकिन इस बीच वह मीडिया से बचते रहे। मीडिया में चल रही चर्चाओं के अनुसार शिवराज सिंह चौहान सिवनी में मीडिया से इसलिए बचते रहे क्योंकि अगर मीडिया उनके पहले कार्यकाल से लेकर अब तक की घोषणाओं की बखिया उधेड़ना आरंभ कर देता तो शायद ही शिवराज सिंह चौहान उसका जवाब दे पाते!

कांग्रेस ने खोया उम्दा मौका!
वहीं दूसरी ओर विपक्ष में बैठकर लगातार शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश की भाजपा सरकार को कोसने वाली कांग्रेस ने भी एक बेहतर मौका गंवा दिया है जो उसके लिए आगामी चुनावों में बेहतरीन प्लेटफार्म दे जाता। कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान के आगमन के पूर्व ही अगर कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री की घोषणाओं की फेहरिस्त बनाकर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन कर लिया जाता तो बात ही कुछ ओर होती। इतना ही नहीं अगर आज सीएम के जाने के उपरांत भी मीडिया से रूबरू होकर कांग्रेस के नेता सीएम के आने के प्रयोजन को जनता से पूछ लेते तो भी भाजपा की किरकिरी हो जाती।

वहीं कांग्रेस के अंदर यह चर्चा तेज हो चुकी है कि आखिर क्या कारण है कि लगातार शिवराज सिंह चौहान और भाजपा सरकार के खिलाफ विष उगलने वाले कांग्रेस के प्रवक्ता शिवराज के सिवनी आगमन पर मौन धारित कर गए? शिवराज सिंह चौहान के जाने के उपरांत अब एक बार फिर कांग्रेस के प्रवक्ताओं की तोपें अगर भाजपा (जिला स्तर नहीं, प्रदेश स्तर पर) गरजीं तो लोग यही मान लेंगे कि यह विरोध छद्म है, कांग्रेस विरोध के बजाए विज्ञप्तियां जारी कर जनता को भरमाना ही चाहती है।

आखिर क्यों आए शिवराज!

आखिर क्यों आए शिवराज!

(शरद खरे)

प्रदेश के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान 29 सितम्बर को सिवनी आए और रात्रि विश्राम कर 30 सितम्बर को वापस चले गए। सिवनी के हर व्यक्ति के दिलो दिमाग में यही प्रश्न कौंध रहा है कि आखिर शिवराज सिवनी आए तो आए क्यों? उनके सिवनी आने की वजह क्या थी। न वे सिवनी को कुछ देकर गए न कुछ लेकर गए। हां सिवनी के भाजपाई नेताओं की बेनर पोस्टर्स, होर्डिंंग्स, विज्ञापन में जेबें जरूर ढीली हुई हैं।
आदि अनादि काल से जब घर का मुखिया घर आता रहा है, घर के हर सदस्य को उससे कुछ न कुछ उपहार की अपेक्षा रही ही है। यही मानव स्वभाव भी है। पिता या पालक जब परदेस में नौकरी कर, अवकाश में घर आता है तो पूरे परिवार के लिए कुछ न कुछ लाता ही है। छोटे बच्चे के लिए भले ही वह अठन्नी की एक पेंसिल ही लाता रहा हो पर वह किसी की भावनाएं कतई आहत नहीं करता रहा है।
शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के निज़ाम हैं, प्रदेश के मुखिया हैं। वे समूचे प्रदेश में घूम रहे हैं। जनता के गाढ़े पसीने से संचित राजस्व के धन से संग्रहित सरकारी कोष में से बेदर्दी के साथ निकाली गई राशि से शिवराज सिंह चौहान का भ्रमण जारी है। यह भ्रमण क्यों और किसलिए हो रहा है, इस बात का शायद ही कोई उत्तर दे पाए! शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुखिया हैं, इस नाते वे जिस भी जिले में जा रहे हैं वहां की जनता उनसे आस लगाए बैठी है। शिवराज कह रहे हैं कि वे घोषणा इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि आचार संहिता कभी भी लग सकती है, और आचार संहिता के लगने के बाद उनकी घोषणाओं को अमली जामा नहीं पहनाया जा सकता है।
शिवराज सिंह चौहान सुलझे हुए राजनेता हैं, उनका कहना वाजिब है कि अब की गई घोषणाएं चुनावी ही मानी जाएंगी। पर प्रदेश के बच्चों के शिवराज मामा आप शायद भूल रहे हैं कि सिवनी जिले को आपने सदा घोषणाओं से ही लादा है। आचार संहिता पिछले चार सालों से नहीं लगी है, पर घोषणाओं को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है! आखिर क्या कारण है इसका। क्या आपने कभी भाजपा के सिवनी के विधायक श्रीमती नीता पटेरिया, शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले सहित भाजपा के संगठन से पूछने की जहमत उठाई है कि सिवनी जिले में क्या चल रहा है? क्या सिवनी की जनता शिव के राज में सुखी है? क्या सिवनी की जनता के समक्ष की गई उनकी घोषणाएं पूरी कर दी गई हैं?
शिवराज जी, आपकी हरी झंडी के अभाव में जिले की हॉकी प्रतिभाओं को हॉकी के मैदान के तैयार होने के बाद भी 22 माह तक इंतजार करना पड़ा। अगर आपको इसका फीता नहीं ही काटना था तो पहले ही बता दिया होता, कम से कम सिवनी की हॉकी प्रतिभाएं तो बाईस माह पहले से ही निखरना आरंभ हो जातीं। ‘‘शिव‘‘ मामा, सिवनी भी आपके ही ‘‘राज‘‘ में है, और यहां के निवासी भी आपकी रियाया ही है।
पहली पारी खेलते हुए 02 फरवरी 2008 को आपने ही लखनादौन अस्पताल के उन्नयन, कान्हीवाड़ा को उप तहसील का दर्जा, 27 अप्रेल को सिवनी आने पर आकाशवाणी केंद्र खोले जाने की घोषणा, इसके अलावा 2008 में ही केवलारी को नगर पंचायत का दर्जा, पलारी को उप तहसील, कान्हीवाड़ा को पूर्ण तहसील और विकास खण्ड की घोषणा की थी। सिवनी के भाजपा और कांग्रेस के नेता अवश्य इन घोषणाओं को पांच साल तक भूले रहे हों, पर सिवनी की जनता को आज भी शिवराज मामा की इन कोरी घोषणाओं के बारे में सब कुछ शब्दशः याद है। मामा ने कहा था कि अगर उन्हें जिताया गया तो ये घोषणाएं अमली जामा पहन सकेंगी। इस बार भी शिवराज मामा ने कुछ इसी तरह की बात कही है। मतलब साफ है कि अगर वे जीते तो 2018 के विधानसभा चुनावों तक भी सिवनी के लोग विकास को तरसते ही रह जाएंगे।
चुनाव जीतने के उपरांत शिवराज फिर सिवनी आए और घोषणाओं के अंबार लगा गए। सिवनी में दलसागर को महत्वपूर्ण स्थान बताकर उन्होंने कहा था कि यह सिवनी के लिए गर्व का कारक है। एक करोड़ नौ लाख रूपए पानी में बहाने के बाद भी दलसागर गर्व के कारक की बजाए शर्म का विषय अवश्य बन गया है। लीजिए पौने दो करोड़ फिर आ गए इस तालाब के पानी में डुबाने के लिए। शिवराज ने कहा था कि सूरज भले ही पश्चिम से निकल जाए पर फोरलेन सिवनी से ही होकर जाएगा! शिव गर्जना भी चार साल बाद बिल्ली की म्याऊं साबित हो रही है। सूरज पूर्व से ही निकल रहा है और फोरलेन . . .। कांग्रेस को भी शिवराज की घोषणाओं से लेना देना नहीं है, वह भी अपनी मदमस्त चाल में ही मस्त है।
कुल मिलाकर अब सिवनी के लोग यह सोचने पर मजबूर होंगे कि आखिर सरकारी धन की होली खेलकर शिवराज मामा सिवनी क्यों आए? उन्हें आना था तो पहले आकर सिंथेटिक हॉकी मैदान का लोकार्पण कर जाते। जितने लोकार्पण या पत्थर लगाए गए हैं वे तो प्रभारी मंत्री ही लगा देते। रही बात शिवराज के सुशासन का ढिंढोरा पीटने की, तो उसके लिए सिवनी में भाजपा का संगठन और तीन तीन विधायक मौजूद हैं। लगता है शिवराज को न तो संगठन पर ही भरोसा बचा है और न ही अपने विधायकों पर! तभी तो उनके सहारे अपने कामों की वाहवाही लूटने के बजाए शिवराज ने खुद ही सरकारी धन की होली खेलकर जनता के बीच जाने की कवायद की है। शिवराज का आना और जाना तो ठीक है, पर सिवनी के निवासियों जिनमें भाजपा के कार्यकर्ता भी शामिल हैं यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर शिवराज सिवनी आए तो आए किस गरज से थे?