सोमवार, 22 जुलाई 2013

नगर पालिका हुई सीएमओ विहीन!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नारकीय जीवन जी रहे सिवनी के नागरिकों के लिए यह खबर वज्रपात कर सकती है कि नगर पालिका सिवनी एक बार फिर मुख्य नगर पालिका अधिकारी विहीन हो गई है। सिवनी नगरपालिका परिषद में पदस्थ सीएमओ केसी मेश्राम का स्थानांतरण पांढुर्णा किया गया है।
एक पार्षद ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी नगर पालिका में चल रहे कमीशन के जबर्दस्त खेल के चलते कोई भी मुख्य नगर पालिका अधिकारी सिवनी में अपनी पदस्थापना नहीं करवाना चाह रहा है। जो भी सीएमओ यहां पदस्थ होता है, वह कमीशन के इस गंदे धंधे में फंसकर बुरी तरह उलझ जाता है।
उक्त पार्षद का कहना था कि इसी कमीशन के गंदे धंधे से नाराज सत्ताधारी भाजपा के पार्षदों ने गत दिवस पालिका साधारण सम्मेलन का अघोषित बायकाट किया था। इस साधारण सम्मेलन में नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी एकदम अकेले पड़ गए थे। यद्यपि राजेश त्रिवेदी द्वारा परोक्ष तौर पर इसके लिए संगठन को जवाबदेह बताया जा रहा हो किन्तु संगठन के सूत्रों का कहना है कि सारा मामला कमीशन बाजी का ही था।
वहीं राजधानी भोपाल से साई न्यूज ब्यूरो से राजेश शर्मा ने स्थानीय शासन विकास मंत्रालय के सूत्रों के हवााले से यह बताया कि सीएमओ सिवनी श्री मेश्राम काफी दिनों से सिवनी नगर पालिका छोड़कर जाने प्रयासरत थे। अंततोगत्वा जिला मुख्यालय जैसी नगर पालिका को छोड़कर उन्होंने छिंदवाड़ा जिले की पांढुर्णा नगर पालिका में जाना ही बेहतर समझा। श्री मेश्राम का स्थानांतरण राजनैतिक दबाव के चलते हुआ था या उन्होंने स्वयं स्थानांतरण करवाया, यह उनसे बेहतर कोई नहीं जानता।
वैसे सिवनी नगरपालिका के सीएमओ पांर्ढुना स्थानांतरित तो हो गये, परंतु उनकी जगह सिवनी में किसी सीएमओ की पदस्थापना नहीं की गई। बताया जाता है कि कोई सीएमओ सिवनी आने के लिए तैयार नहीं है। स्थानीय शासन विकास मंत्री बाबू लाल गौर के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि श्री मेश्राम के पांढुर्णा तबादले के बाद श्री गौर ने अपने अधीनस्थों को सिवनी में किसी अन्य की पदस्थापना की बात कही किन्तु उनके अधीनस्थों ने साफ तौर पर यह कहकर बाबू लाल गौर को चौंका दिया कि सिवनी कोई भी सीएमओ नहीं जाना चाहता क्योंकि सिवनी नगर पालिका में कमीशन का गंदा धंधा तेजी से चल रहा है।

नक्सली, आतंकी खतरा मंडरा रहा है भीमगढ़ बांध पर!

नक्सली, आतंकी खतरा मंडरा रहा है भीमगढ़ बांध पर!

(नन्द किशोर / गजेंद्र ठाकुर)

भोपाल / छपारा (साई)। संजय सरोवर परियोजना के तहत बनाए गए एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध पर खतरा मण्डरा रहा है। यह खतरा आतंकवादियों और नक्सलवादियों का है। वैसे भी दो दशकों से सिवनी जिला जरायमपेशा लोगों के साथ ही साथ संदिग्ध लोगों के लिए शरण स्थली बनकर रह गया है। पुलिस के ढुल मुल रवैए के चलते सिवनी में देश के दुश्मनों की पदचाप भी सुनाई देने लगी है। अतिसंवेदनशील जिले की फेहरिस्त में शामिल सिवनी जिले में मिथलेश शुक्ला के रूप में तीसरे गैर आईपीएस अधिकारी की पदस्थापना और जिलाधिकारी के पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को पहला जिला देकर कांग्रेस और भाजपा के शासन ने अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट की जाती रही हैं।
जहांगीराबाद स्थित पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश के चुनिंदा जिले प्रतिबंधित संगठन सिमी के निशाने पर हैं। इसमें सिवनी जिला प्राथमिकता में काफी उपर है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सिवनी में लचर पुलिस तंत्र के चलते सिवनी को आतंकी, नक्सली और जरायमपेशा लोगों ने अपनी ऐशगाह और शरण स्थली के रूप में विकसित कर लिया है। सिवनी की खुफिया रिपोर्ट देखकर पुलिस मुख्यालय में बैठे आला अधिकारियों की पेशानी पर भी पसीने की बूंदे छलक जाती हैं।
ज्ञातव्य है कि सिमी के अनेक गुर्गों को पुलिस ने समय समय पर धर दबोचा है। इतना ही नहीं सिवनी में बीच बाजार में दरोगा मोहल्ला में एक घर में बारूद के चार विस्फोट से शहर दहल गया था। घनी आबादी में हुए इस विस्फोट में एक व्यक्ति के चीथड़े तक उड़ चुके हैं। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ रखे ही बैठा रहा।
इसके उपरांत सिवनी में हत्या बलात्कार, डकैती आदि जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम दिया जाता रहा है और किसी भी आला अधिकारी को सिवनी की ओर देखने की फुर्सत नहीं मिल पाई। इस साल फरवरी में जब सिवनी का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा तब यहां कर्फयू लगा दिया गया था। इसके साथ ही सिवनी में लगभग डेढ़ सौ जिंदा बम और माउजर के साथ एक शातिर सरगना भी स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा पकड़ा गया था।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि अतिसंवेदनशील सिवनी में घनी आबादी एकता कालोनी में एक शातिर अपराधी सालों से रह रहा था और कोतवाली पुलिस को खबर तक नहीं थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि होली दहन के दिन भी काफी तादाद में असलाह पुलिस ने पकड़ा था।
खुफिया सूत्रो की माने तो मध्य प्रदेश के कई शहरो के साथ-साथ सिवनी जिला भी आतंकी निशाने पर है, जबकि जिले मे सबसे संवेदनशील क्षेत्र भीमगढ़ डेम है। अति संवेदनशील क्षेत्र होने के बाद भी डेम की सुरक्षा के कोई उपाय आज तक नही किये जा सके है, यदि भीमगढ़ डेम को आतंकीयों द्वारा निशाना बनाया जाता है तो हजारो लोग इस का शिकार तो होगे ही साथ ही व्यापक रूप से जानमाल की नुकसानी होगी।
उल्लेखनीय होगा कि छपारा नगर से 11 किलोमीटर दूर करोड़ो रूपयो की लागत से बनाया गया एशिया का सबसे बड़ा मिटटी का बांध संजय सरोवर जिसे भीमगढ डेम भी कहा जाता है, जो ऐशिया महाद्वीप मे अपनी एक अलग पहचान रखता है। इस मिटटी के बांध का निर्माण लगभग सत्तर के दशक से प्रारंभ हुआ था संजय गांधी के नाम पर नामकरण कर संजय सरोबर नाम से इस बांध की नीव रखी गई थी।
सिवनी जिले में नक्सलवादी खतरों को देखते हुए सिवनी को नक्सल प्रभावित जिलों की फेहरिस्त में शामिल किया जा चुका है। सिवनी जिले की केवलारी और बरघाट विधानसभाओं के अनेक क्षेत्र नक्सल प्रभावित बताए जाते हैं। इन परिस्थितियों में अगर नक्सलवादी और आतंकवादियों की निगाहों में विपुल जलराशि अपने अंदर समेटने वाला भीमगढ़ बांध हो तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

जॉच चौकी बनी मजाक
भीमगड बांध के प्रवेश मार्ग मुहाने पर जॉच चौकी बनायी गयी है, और बांध के दूसरे छोर कलोनी पर अपर वैनगंगा अनुविभाग कं्र0 3 का आफिस बनाया गया है जो बांध की निगरानी व प्रबंधन के लिये स्थापित है। लेकिन हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि मुहाने पर बने जॉच चौकी पर लगभग 2-3 वर्षो से कोई भी कर्मचारी तैनात नही है। साथ ही बांध के निचले व उपरी हिस्से पर कोई चोकीदार तैनात नही है, केवल एक चोकीदार बांध के गेट पर अपनी सेवा देते नजर आता है जबकि बांध का क्षेत्र इतना बडा है कि कोई भी व्यक्ति बडी आसानी से बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है।

अंधेरे में डूबा रहता है बांध!
पूरे बांध मे रात्रि समय अधेरा छाया रहता है जबकि बांध के मेहराव मे जगह जगह खम्बे लगे हुये है लेकिन वह केवल दिखावा सावित हो रहे है उनमे न तो वल्व जलते न कोई उजाले की सुविधा है, इसलिये बिजली विभाग ने बिजली सप्लाई देना भी  बंद कर दिया था जबकि गेट को खोलने व बंद करने के लिये मैनुअल आप्शन या जनरेटर का उपयोग किया जाता है।

कंट्रोल रूम रहता है बंद
भीमगढ बांध मे गेटों की सुरक्षा के लिये कन्ट्रोल रूम बनाया गया है जहां एक चोकीदार रहता है और वह भी नदारद रहता है और उसके सिवाय वहां कोई भी जबाबदार व्यक्ति सेवा नही देता आये दिन यह रूम बंद पाया जाता है यह सब जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी है लेकिन उनकी लापरवाही के चलते इस बांध की सुरक्षा को लेकर कई सबाल खडे हो रहे है।

पर्यटको की कमीः
ऐशिया के इतने बडे मिटटी के बांध को देखने के लिये पर्यटक नही आते क्योकि यहां  ऐसी कोई व्यवस्था नही की गई है जिससे पर्यटको को रिझाया जा सके साथ ही पहाडी पर एक रेस्ट हाऊस बनाया गया जो केवल अधिकारियों के लिये सैरगाह व भोग विलास का स्थान बना हुआ है जहां कभी कभार केवल मंत्री, नेता और अधिकारी ही नजर आते है।

भीमगढ़ डेम को खतराः
खुफिया सुत्रो के मुताबिक सिवनी जिले को भी नक्सलवादी और आतंकी निशाने पर बताया गया है, भीमगढ़ डेम जो के अति संवेदनशील क्षेत्र है आतंकी निशाने पर हो सकता है। जिला प्रशासन के आला अधिकारीयों के द्वारा डेम की सुरक्षा के कोई उपाय नही करना समझ से परे है। यदि समय रहते प्रशासन ने सुरक्षात्मक उपाय के लिये कोई योजना व प्रंबधन की व्यावस्था नही की तो  भीमगड बांध खतरे मे पड़ सकता है।

कलेक्टर ने किया निरीक्षण
हाल ही में जिला कलेक्टर भरत यादव ने भी रूटीन में इस बांध का निरीक्षण किया जा चुका है। संभवतः जिला कलेक्टर के संज्ञान में भी यह बात नहीं लाई गई होगी।

कथन
एस आर भलावी  कार्यपालन यंत्री तिलवारा बाई तट नहर संभाग कैवलारी

बांध मे कर्मचारी लगे हुये है यदि कोई कर्मचारी लापरवाही करते या डयूटि से नदारत पाया जाता है तो उसे निलंबित करने के प्रावधान है मै स्वंय नीरिक्षण मे जा रहा हु।

एचपीसीएल के इशारे पर हो रहे गलत काम!

एचपीसीएल के इशारे पर हो रहे गलत काम!

(नन्द किशोर / दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

भोपाल / सिवनी (साई)। हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की शह पर, एनएचएआई के नियम कायदों को धता बताई जा रही है सिवनी जिले के लखनादौन क्षेत्र में। एचपीसीएल के एक पेट्रोल पंप का इश्तेहार नियम विरूद्ध तरीके से एनएचएआई की संपत्ति पर हो रहा है, पंप के सामने का डिवाईडर किसी अज्ञातद्वारा लंबे समय पहले तोड़ दिया गया है। अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी वे मौन हैं।
उक्ताशय की चर्चाओं का बाजार अब तेजी से गर्माने लगा है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनियों में से एक हिन्दुस्तान पैट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड की माली हालत अंदर से गड़बड़ाने लगी है। संभवतः यही कारण है कि एचपीसीएल द्वारा संचालित पेट्रोल पंप पर अब नियमों के प्रतिकूल काम करने की छूट प्रदाय की जाने लगी है।
राजधानी भोपाल में एचपीसीएल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कंपनी के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में इस बात को लाया गया था कि लखनादौन में स्थापित एक पेट्रोल पंप का लाईसेंस एनएचएआई के नियमों को ही बलाए ताक पर रखकर दिया गया है। नियमानुसार जहां डिवाईडर समाप्त हो रहा हो, जहां सड़क पर मोड़ हो वहां से एक किलोमीटर के दायरे में कोई भी पेट्रोल पंप संस्थापित नहीं किया जा सकता है।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि लखनादौन में संचालित होने वाला राय पेट्रोलियम द्वारा एनएचएआई के सूचना पटल के पीछे लगाए गए इश्तेहार के बारे में उच्चाधिकारियों को सब कुछ पता है किन्तु इस पेट्रोल पंप से होने वाली आयएवं पंप संचालक के राजनैतिक रसूख के आगे कोई भी अधिकारी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। भले ही इससे एचपीसीएल की साख को बट्टा लग रहा हो।
यह इकलौता मामला नहीं है जबकि एचपीसीएल की साख को बट्टा लगाया जा रहा हो। इसके पूर्व भी लखनादौन में एक अन्य पेट्रोल पंप पर, स्टॉक में निर्धारित से अधिक मात्रा में तेल मिलने की शिकायत की गई थी। उस वक्त लखनादौन के ही एक प्रभावशाली व्यक्ति के दबाव में आकर एचपीसीएल द्वारा उक्त पेट्रोल पंप पर ताला मार दिया गया था। बाद में जब पंप संचालक द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किए गए तो भी एचपीसीएल द्वारा उनकी एक नहीं मानी गई।
बताया जाता है कि वहीं दूसरी ओर राय पेट्रोलियम के इस पंप के सामने का सड़क डिवाईडर भी ‘‘अज्ञात‘‘ तरीके से ध्वस्त किया जा चुका है। टूटे इस रोड डिवाईडर से दूसरी ओर से आने वाले वाहन यहां से डीजल ओर पेट्रोल डलवाकर एचपीसीएल का खजाना भर रहे हैं। इस टूटे डिवाईडर के बारे में भी एनएचएआई के सिवनी में पदस्थ कारिंदे महीनों से पता नहीं किस दबावमें मौनधारण किए हुए हैं।
एक तरफ तो एनएचएआई के अधिकारी रात के स्याह अंधेरे में खवासा जाकर वहां पचधार के पुल की दरार देखकर आवागमन रोकने का फरमान जारी कर देते हैं, पर ना तो सिवनी में पदस्थ दिलीप पुरी और ना ही नरसिंहपुर के महेंद्र वाणी को महीनों से ध्वस्त पड़ा यह डिवाईडर दिखाई पड़ रहा है। रही बात परियोजना निदेशक श्री सिंघई की तो वे तो अपने आप को किसी मंत्री से कम नहीं समझते हैं।

जिले में चल रही चर्चाओं के अनुसार एचपीसीएल और एनएचएआई दोनों ही की जुगलबंदी के चलते अवैध तरीके से डीजल पेट्रोल बेचने के लिए प्रमोशन काम चल रहा है। इससे एनएचएआई तो ठीक है पर एचपीसीएल की साख पर बुरी तरह बट्टा लग रहा है।

मर चुकी है चिकित्सकों की संवेदानाएं

मर चुकी है चिकित्सकों की संवेदानाएं

(शरद खरे)

सिवनी में स्वास्थ्य सुविधाओं ने दम तोड़ दिया है। अस्सी के दशक तक सिवनी में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त मानी जाती थीं। सिवनी को विकसित करने, प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा ने जितने प्रयास किए उतने शायद ही किसी ने किए हों। एक के बाद एक सिवनी को सौगातें देने वाली सुश्री विमला वर्मा के प्रयासों से सिवनी में आई विकास की किरण को भी उनके सक्सेसर जनसेवकों द्वारा संभाल कर नहीं रखा जा सका है।
सिवनी के लिए उनकी अमूल्य धरोहर है विशालकाय क्षमता वाला जिला चिकित्सालय। प्रियदर्शनी के नाम से सुशोभित इस जिला अस्पताल का नाम जबलपुर संभाग में बहुत ही सम्मान के साथ इसलिए लिया जाता था, क्योंकि यहां हर तरह की सुविधाएं और चिकित्सक मौजूद थे। चिकित्सक घरों के बजाए अस्पताल में ही जाकर ईलाज को प्राथमिकता देते थे। याद पड़ता है कि उस दौर में शहर में महज चार या पांच मेडीकल स्टोर्स ही होते थे। मरीजों को दवाएं अस्पताल से ही मिला करती थी। कमोबेश हर मरीज या उसके परिजन के हाथ में एक कांच की बोतल अवश्य होती थी। इस बोतल में मिक्सचर (लिक्विड फार्म में दवा का मिक्चर) दिया जाता था। पीली, हरी या लाल गोली देते वक्त कंपाउंडर मरीजों को दवा का चिकित्सक द्वारा लिखा डोज बताया करते थे। उस समय चिकित्सक अक्सर जीभ देखकर ही रोग का अंदाजा लगाया करते थे।
कालांतर में सुविधाएं बढ़ीं। जांच के तौर तरीके उन्नत हुए। इसके साथ ही चिकित्सकों के मन में भी लोभ जागा। जिला चिकित्सालय की ओर ध्यान ना दिए जाने से यहां चिकित्सकों ने अस्पताल के बजाए घरों पर ही निजी चिकित्सा पर ज्यादा ध्यान देना आरंभ कर दिया। आलम यह हो गया कि अस्पताल परिसर में निर्मित रेड क्रास की दुकानों में ही पैथॉलाजी सेंटर और एक्सरे का काम यहां पदस्थ चिकित्सकों ने आरंभ कर दिया।
सिवनी के सांसद विधायक मंत्रियों ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा। याद पड़ता है कि अंतिम बार 1992 में भाजपा की सुंदर लाल पटवा सरकार के विधि विधायी मंत्री और सिवनी विधायक पंडित महेश प्रसाद शुक्ला ने इस चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। इसके बाद किसी विधायक, सांसद या मंत्री ने चिकित्सालय की ओर रूख नहीं किया है। चिकित्सालय में दुकानें लग रही हैं। एक बजे तक मरीजों को देखने के स्थान पर चिकित्सक साढ़े बारह बजे ही अस्पताल छोड़ देते हैं। अपने अपने घरों या फिर प्राईवेट बस स्टेंड में बने हाउसिंग बोर्ड के शॉपिंग कॉम्पलेक्स में इन चिकित्सकों की दुकानों पर मरीजों की भीड़ देखते ही बनती है। एक बार पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी चौहान ने इन दुकानों की तालाबंदी की पर इन चिकित्सकों ने अपने अफसर को ही धता बताकर दुकानें फिर खोल लीं।
प्रदेश सरकार ने इन चिकित्सकों और दवा कंपनियों की जुगलबंदी तोड़ने के लिए जैनरिक नेम से ही दवाएं लिखने का फरमान जारी कर दिया पर प्रदेश सरकार का खौफ किसे है। यहां तो धड़ल्ले से जिस कंपनी के एरिया मैनेजर से सौदा पट गया उसकी दवाएं लिखी जा रही हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि चिकित्सकों का पिन टू प्लेन तक का खर्च इन दवा कंपनियों द्वारा उठाया जा रहा है। धनवंतरी के वंशज कहे जाने वाले इन चिकित्सकों की मानवीयता शायद मर चुकी है। जिला चिकित्सालय में व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है।
जिला चिकित्साल में कमोबेश नब्बे फीसदी चिकित्सक बीस पच्चीस साल से अधिक समय से पदस्थ हैं। इनकी ठेकेदारी इस अस्पताल में चल रही है। मरीजों के साथ पशुओं से बुरा व्यवहार करने में भी इन्हें गुरेज नहीं है। अस्पताल में खून का धंधा जोरों पर है। दवाओं की खरीद में भी घाल मेल है। पेंशनर्स को मिलने वाली दवाओं का बुरा हाल है। अगर किसी को ब्लड प्रेशर की कोई दवा लग रही है तो उसे वहां उपलब्ध दवा चाहे लोसार या एटेन ही मिलेगी। इसके साथ ही साथ जनरल पूल मेें खरीदी जाने वाली मल्टी विटामिन भी पेंशनर्स के लिए खरीदी जा रही हैं।
इतना ही नहीं एनआरएचएम में क्या कार्य हो रहे हैं इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। एनआरएचएम के तहत कितना फंड आता है और उसका अब तक क्या उपयोग हुआ है, इस बारे में भी स्वास्थ्य महकमा खामोश ही है। गाहे बेगाहे चिकित्सकों द्वारा मरीजों से पैसा मांगने की शिकायतें भी आम हैं। सिवनी में सालों से पदस्थ रहने वाले चिकित्सकों ने अपनी अपनी विशाल अट्टालिकाएं खड़ी कर ली हैं। इन अट्टालिकाओं को बनाने के लिए उनके पास पैसा कहां से आया यह पूछने के लिए कोई भी सरकारी महकमा तैयार नहीं है। चिकित्सालय में कर्मचारियों चिकित्सकों और पेरामेडीकल स्टाफ का रोना जब तब रोया जाता है। दो दो विधायकों के पति सिवनी में पदस्थ हैं। सीएमओ अपने लिए ईयर मार्क आवास के बजाए पुराने अस्पताल में रह रहे हैं। जिला कलेक्टर ने अस्पताल का भ्रमण किया और कुछ दिशा निर्देश दिए हैं जिसे अच्छी पहल कहकर इसका स्वागत किया जाना चाहिए। अभी प्रशासन को इस बीमार अस्पताल को पटरी पर लाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।