बुधवार, 30 जनवरी 2013

आग का दरिया है डूब के जाना है. . .


आग का दरिया है डूब के जाना है. . .

(लिमटी खरे)

कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आज़म राहुल गांधी की उपाध्यक्ष पद पर ताजपोशी तो हो गई है पर उनके सामने अनेक जटिल समस्याएं और समीकरण जस के तस मुंह बाए खड़े हैं। राहुल गांधी की प्रधानमंत्री बनने की राह पूरी तरह शूलों से भरी हुई है। अब पंडित जवाहर लाल नेहरू या प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी जैसा चमत्कारिक नेतृत्व भी कांग्रेस के पास नहीं है कि उन्हें इस आग के दरिया में से गोदी में उठाकर उनकी वेतरणी को पार लगवा दे। अब तो जो करना है राहुल को ही करना है। सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के उपरांत उनकी अनभवहीनता का पूरा पूरा लाभ उठाया है कांग्रेस के चालाक नेताओं ने। सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस वर्तमान समय में संभवतः अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। खानदानी परचून की दुकान के मानिंद कांग्रेस में सत्ता के हस्तांतरण की तैयारियां भी मुकम्मल ही हो चुकी हैं।

सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस संभवतः संक्रमण काल से गुजर रही है। मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी के बाद सोनिया गांधी ने भी दस साल तक निष्कंटक कांग्रेस पर राज कर लिया है। अब सत्ता के हस्तांतरण की तैयारियां गुपचुप और खुले दोनों ही तौर पर जारी हैं। खानदानी परचून की दुकान की तरह ही अब कांग्रेस की बागडोर राहुल गांधी के हाथ में कभी भी सौंपी जा सकती है। राहुल को उपाध्यक्ष बनाकर यह संकेत दे दिया गया है कि कांग्रेस में आंतरिक प्रजातंत्र महज दिखावा है। यह सामंतशाही का नायाब उदहारण ही माना जाएगा कि नेहरू गांधी परिवार के इर्दगिर्द ही कांग्रेस में सत्ता और शक्ति की धुरी घूमती रही है।
इटली मूल की भारतीय बहू श्रीमति सोनिया गांधी जिन्हें हिन्दी बोलने में काफी तकलीफ होती थी, आज भी साफ सुथरी हिन्दी नहीं बोल पातीं हैं। वैसे भी सत्ता की उचाईयों पर बैठे लोग हिन्दी भाषा को कम समझते और कम ही इसका प्रयोग करते हैं। कहने को हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा जरूर है पर हिन्दी का उपयोग जमीनी लोग ही ज्यादा किया करते हैं। आज भी सोनिया अपनी ही सरकार के काले कारनामों पर ना केवल चुप हैं वरन् कठोर कार्यवाही का संकेत भी देने में हिचक रही हैं।
सोनिया गांधी की रहस्यमयी बीमारी के उपरांत कांग्रेस के अंदर एक अजीब सा वेक्यूम महसूस किया जा रहा था। कांग्रेस में अध्यक्ष पद मानो रामायण काल की याद ताजा कर रहा हो, जिस तरह भरत ने भगवान राम की खडाउं रखकर राज चलाया उसी तरह कांग्रेस के नेता श्रीमति सोनिया गांधी के साथ कर रहे हैं। सोनिया के अस्वस्थ्य होते ही कांग्रेस में नंबर दो बनने की होड़ मच गई। चूंकि अभी नेहरू गांधी परिवार के वारिसान मौजूद थे, इसलिए किसी अन्य नेता को नंबर दो की कुर्सी तक पहुंच पाना दुष्कर ही था।
जयपुर में चिंतन शिविर में सिर्फ और सिर्फ युवराज की चिंता ही की गई। युवराज को उपाध्यक्ष बनाया गया। वे कांग्रेस के तीसरे उपाध्यक्ष बने हैं। सोनिया ने उन्हें पांच सदस्यीय चुनाव संचालन समिति का मुखिया बनाया है। राहुल के उपाध्यक्ष बनते ही कांग्रेस के जरखरीद मीडिया ने राहुल चालीसा का पाठ आंरभ कर दिया। राहुल की तारीफों में जो कशीदे गढ़े गए उससे लगने लगा मानो राहुल प्रधानमंत्री ही बन गए हों। वहीं, कांग्रेस के उमरदराज और उनके पिता से बड़े नेताओं ने भी राहुल का स्तुतिगान करना आरंभ किया। नेताओं ने तो यहां तक कह डाला कि राहुल तो पहले से ही कांग्रेस में नंबर दो थे। वैसे तो यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है किन्तु कांग्रेस की अगुआई में आज संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार अस्तित्व में है, इसलिए कांग्रेस की आंतरिक गतिविधियों पर देश की नजर होना स्वाभाविक ही है।
राहुल गांधी को जिस तरह महिमा मण्डित किया गया है उससे अब उनकी जवाबदेहियां कई गुना बढ़ चुकी हैं। आने वाले समय में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव और आम चुनाव भी राहुल गांधी की राह तक रहे हैं। ये राहुल के लिए कांटों भरी राह से कम नहीं होगी। इसका कारण यह है कि संगठन में ब्लाक, शहर, जिला और राज्य स्तर पर निष्पक्ष चुनाव कराना आसान नहीं है। कमोबेश हर जगह कांग्रेस के चुने हुए पदाधिकारियों के बजाए तिलक लगाकर बिठाए पदाधिकारी मौजूद हैं। राहुल गांधी के बारे में कहा जाने लगा है कि वे जल्द ही अपना टेम्पर लूज करने लगे हैं इन परिस्थितियों में उनके आस पास वे ही नेता रह जाएंगे जा चाटुकारिता के दम पर उनकी खरी खोटी सुनने को तैयार हों।
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौति तो इस बात की है कि क्या वे पार्टी में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित कर पाएंगे। अगर देखा जाए तो सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृति की आयु 62 साल है पर दिल्ली की निजाम को ही ले लें। श्रीमति शीला दीक्षित 75 की होने को आईं और अभी भी सीएम बनी हुई हैं। क्या इन परिस्थितियों में युवाओं को साथ ले पाएंगे राहुल गांधी? राहुल गांधी कौन सा काला जादू दिखाएंगे कि देश के 41 करोड़ युवा मतदाता उनके हाथ करने आगे आएंगे?
राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह आएगी कि वे केंद्र सरकार या कांग्रेस शासित राज्यों की नीतियों रीतियों को गलत नहीं ठहरा पाएंगे। वस्तुतः नीतियां ही इस कदर बनी और अमली जामा पहन रही हैं कि सरकारी धन की होली जमकर खेली जा रही है। राहुल गांधी का सबसे अंधेरा पहलू यह है कि वे भ्रष्टाचार, दिल्ली गेंग रेप, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मंहगाई, केंद्रीय मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों आदि के मसले पर सदा ही मौन रहे हैं।
देश की जनता हत्प्रभ है कि आखिर क्या वजह है कि राहुल गांधी गैस सब्सीडी, तेल की कीमतों, मंहगाई, गेंग रेप, विदेशी बैंक को छूट, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, एस बेण्ड, टूजी, कामन वेल्थ, कोल, गोदावरी तेल ब्लाक, आदर्श सोसायटी, यूपी का अनाज घोटाला, एनआरएचएम घोटाला, एयर लाईंस घोटाला आदि के मामलों में राहुल गांधी की क्या मौन सहमति है?
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में महज एक साल में ही दस लाख करोड़ रूपयों की भ्रष्टाचार के हवन कुण्ड में आहुती देने से हाहाकार मच गया। नेशनल कैंपेन अगेंस्ट करप्शन ने मई 2009 से जनवरी 2011 तक के बीच हुए प्रमुख भ्रष्टाचार के महाकांडों की फेहरिस्त तैयार की थी। इसमें पहली पायदान पर संचार मंत्रालय द्वारा टूजी स्पेक्ट्रम लाईसेंस में केंद्रीय महालेखा नियंत्रक एवं परीक्षक ने पौने दो सौ लाख रूपए की हानि का प्रकरण बना था। इस प्रकरण में सीबीआई ने पूर्व संचार मंत्री आदिमत्थू राजा सहित अनेेक अफसरान को शिकंजे में कस दिया।
वहीं, जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप था कि टूजी में ही कांग्रेस और द्रविड़ मुनैत्र कषगम के नेताओं ने साठ हजार करोड़ की रिश्वत ली। इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की विपणन कंपनी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी देवास मल्टी मीडिया के बीच दो उपग्रहों के दस ट्रांसपोंडर को बारह वर्ष के लिए लीज पर देने के मामले में सीएजी ने प्राथमिक परीक्षण में दो लाख करोड़ रूपए का नुकसान आंका। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का अनाज नेपाल, बंग्लादेश और अफ्रीका जैसे देशों में बेचने का मामला प्रकाश में आया जिसमें दो लाख करोड़ का घोटाला सामने आया। इसके बाद नंबर आता है राष्ट्रीयकृत बैंक का भवन आवासीय ऋण घोटाला जिसे छत्तीस हजार करोड़ रूपयों का आंका गया। सिटी बैंक में अरबों रूपयों के केंद्रीय सरकार के मैटल स्क्रेप ट्रेडिंग कार्पाेरेशन के छः सौ करोड़ रूपए के सोने का महाघोटाला भी इसी फेहरिस्त में शामिल किया गया।
महाराष्ट्र प्रदेश के पूना के एक अस्तबल के मालिक हसन अली खान के स्विस बैंक, यूबीएस ज्यूरिक में सवा आठ अरब डालर अर्थात लगभग छत्तीस हजार करोड़ रूपए के खाते के रहस्य से भी पर्दा उठा। 2009 - 2010 के बजट में यह रहस्य भी सामने आया कि हसन अली के उपर लगभग साढ़े पचास हजार करोड़ रूपयों का आयकर बाकी है। सिविल सोसायटी के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने सरकार की मुखालफत की तो सरकार ने उन पर तत्काल शिकंजा कस दिया किन्तु एक जरायमपेशा व्यक्तित्व पर पचास हजार करोड़ का आयकर कैसे बाकी रह गया यह यक्ष प्रश्न आज भी अनुत्तरित ही है।
एक चाटर्ड एकाउंटेंट का कथन था कि हसन के विदेशी खातों में छत्तीस हजार करोड़ के बजाए डेढ़ लाख करोड़ रूपए होना अनुमानित है। आयकर चोर एक मामलू घोडों के अस्तबल का मालिक हसन अली कितना रसूखदार है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक अजीज डोवाल, प्रोफेसर आर.वैद्यनाथन, एस.गुरूमूर्ति, महेश जेठमलानी के अलावा कांग्रेस के आलाकमान से भी संबंधों का खुलासा हुआ।
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त जे.एम.लिंगदोह, पूर्व राजस्व सचिव जावेद चौधरी, सहित अनेक अफसरों ने केरल के पामोलिन कांड में आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पी.जे.थामस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाए जाने को चुनौती दी। बाद में सरकार को इस मामले में अपने कदम वापस लेने पड़े और भ्रष्ट अधिकारी थामस को सीवीसी के पद से हटाना ही पड़ा। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा व्यवस्था की पोल तब खुली जब पचपन हजार करोड़ रूपयों की लड़ाकू हवाई जहाज की खरीद से संबंधित गोपनीय नस्ती सड़क पर लावारिस हालत में मिली।
तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने निजी एयरलाईंस की मदद करते हुए एयर इंडिया के डैनों की हवा निकाल दी। आज आलम यह है कि एयर इंडिया भारी कर्जे में है और उसके पास तेल के बाकी पैसे चुकाने तक को पैसे नहीं है। आज एयर इंडिया के कर्मचारियों को तनख्वाह देने के बांदे हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री शरद पंवार पर आरोप है कि उन्होने अदूरदर्शिता का परिचय देते हुए कम दाम वाली चीनी और प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी जिससे देश में इनका संकट तो पैदा हुआ ही साथ ही साथ इनकी दरें तेजी से उपर आईं। फिर पंवार ने इनका आयात आरंभ किया।
कार्पाेरेट घरानों की तगड़ी पैरोकार नीरा राड़िया के टेप ने तो मानो भारत के सियासी तालाब में मीटरांे उंची लहरें उछाल दीं। नीरा राडिया के टेप कांड में जब यह बात सामने आई कि द्रमुक के सांसद आदिमुत्थु राजा को मंत्री बनाए जाने लाबिंग की गई तब लोगों के हाथों के तोते उड़ गए। इसमें अनेक मंत्रियों पर सरेआम पंद्रह फीसदी कमीशन लेकर देश सेवा तक करने की बात भी कही गई। विडम्बना यह कि साफ साफ आरोपों के बाद भी न तो मनमोहन कुछ करने की स्थिति में हैं और न ही इस मामले में सोनिया गांधी ही कुछ कर पाईं।
यह, मामला शांत नहीं हुआ कि सीएजी ने कामन वेल्थ गेम्स में हजारों करोड़ रूपयों की होली खेलने की बात कही गई। कांग्रेस के चतुर सुजान मंत्री कपिल सिब्बल कभी कलमाड़ी के बचाव में सामने आए तो कभी तत्कालीन संचार मंत्री ए.राजा के। अंततः दोनों ही को जेल की रोटी खानी पड़ रही है। केंद्रीय महालेखा नियंत्रक और परीक्षक ने कामन वेल्थ गेम्स में सत्तर हजार करोड़ रूपयों की अनियमितता पकड़ी।
बिहार सरकार ने वहां के पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह द्वारा अरबों रूपयों के नदी तटबंधों के ठेकों की जांच के आदेश भी जारी किए। सीबीआई ने उनके पुत्र को एक करोड़ रूपए रिश्वत लेते रंगें हाथों धरा गया। इतना ही नहीं सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के आरोपी प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.एस.लाली को निलंबित कर उनके एवं मध्य प्रदेश काडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी अरूणा शर्मा के खिलाफ जांच की सुस्तुति की गई। रूस से विमानवाहक जंगी जहाज खरीदने के सिलसिले में रक्षा मंत्रालय द्वारा वरिष्ठ नौसेना अधिकारी की बर्खास्तगी की गई। सम्प्रग सरकार के लिए स्विस बैंक सहित अन्य बैंकों में जमा अस्सी लाख करोड़ रूपए से ज्यादा की देश वापसी आज भी पहेली बनी हुई है।
राहुल गांधी के सलाहकारों ने उन्हें स्क्रिप्ट लिखकर दी, कुछ माहों पहले राहुल गरजे और कहा कि अगर नेहरू गांधी परिवार का पीएम होता तो बाबरी ढांचा नहीं गिरता! राहुल की इस हुंकार से यही अंदाजा लगाया गया कि कांग्रेस के प्रधानमंत्री नरसिंहराव ही बावरी विध्वंस के लिए दोषी थे? बाद में कांग्रेस को राहुल गांधी की नादानी समझ में आई तब जाकर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को बयान देना पड़ा और पीएम ने कहा कि नरसिंहराव उनके जनक और आर्थिक सुधारों के अद्भुत ज्ञाता थे। पीएम ने राव को सन्यासी नेता तक करार दिया।
इतना ही नहीं राहुल गांधी की नादानियां समाप्त नहीं हुईं। या यूं कहा जाए कि जिन हाथों में राहुल गांधी खेल रहे हैं, वे राहुल गांधी का उज्जवल भविष्य कतई नहीं चाहते हैं। उत्तर प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव को राहुल गांधी की देखरेख में करवाया गया। 403 विधानसभा वाले उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी और सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र आता है। उत्तर प्रदेश में पहले 22 तो अब 2012 में 28 सीट आना आखिर क्या दर्शा रहा है? जाहिर है राहुल गांधी को भी गुरू द्रोणाचार्य के बजाए कोई नौसिखिया ही शिक्षा दे रहा है।
सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर अब आउल बाबा के नाम से चुटकुले और कहानियां बनना आरंभ हो गई हैं। आउल का अर्थ अंग्रेेजी में उल्लू होता है। देश की वर्तमान हालात के लिए सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर आम आदमी के निशाने पर हैं राहुल, सोनिया और मनमोहन ंिसंह। उधर, गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी के कथित प्रशंसक उन्हें देश भर का नेता बनाने पर आमदा हैं। साईट्स पर मोदी बनाम राहुल की जंग चल पड़ी है।
गुजरात में हिन्दुत्व के प्रहरी के बतौर नरेंद्र मोदी को पेश किया गया और राहुल के हाथों गुजरात की कमान थी विधानसभा चुनावों में। गुजरात के परिणाम आए और राहुल गांधी चारों खाने चित्त धड़ाम से फर्श पर गिर पड़े। गुजरात में मोदी ने अपने दम पर दुबारा सरकार बना ली। रही बात कांग्रेस की तो कांग्रेस के सीएम पद के घोषित दावेदार शक्ति सिंह गोहिल के साथ ही साथ गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन मोड़वाडिया भी खेत (चुनाव हार गए) रहे।
अब सोचना सिर्फ और सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी को ही है कि उनके उनके नेतृत्व में कांग्रेस कहां पहुंची है और कांग्रेस के चाटुकार, रणनीतिकार और मंत्री कहां। राहुल गांधी का राज्याभिषेक होने को है, पर सोनिया सोचें कि वे जब अपना राजपाट अपने पुत्र राहुल गांधी को सौंपेंगी तो उसमें कितने प्रदेशों की रियासतें और कितने आलंबरदार, झंडाबरदार राहुल गांधी के नेतृत्व में सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के झंडे को उठाने को तत्पर होंगे। राहुल गांधी को मौकापरस्त कपड़े की तरह पार्टी बदलने वाले और बिना रीढ़ वाले यानी राज्य सभा के रास्ते राजनीति करने वालों को किनारे करना होगा। इसी तरह आसमान से उतरकर नेतागिरी करने वाले बिना जनाधार वाले नेताओं को भी बाहर का रास्ता दिखाना होगा। कांग्रेस में राहुल गांधी को साठ पेंसठ साल से ज्यादा वाले नेताओं को मार्गदर्शक की भूमिका में लाकर उन्हे चुनाव से दूर रखना होगा वरना कांग्रेस जिस रास्ते पर चल चुकी है वह अंधेरी सुरंग की ओर जाता ही दिख रहा है। (साई फीचर्स)

अफसरों के असहयोग से गदगद है कांग्रेस


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------45

अफसरों के असहयोग से गदगद है कांग्रेस

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। भाजपा में व्यापक जनाधार वाले तीन नेता ही सामने आ रहे हैं। एक नरेंद्र मोदी, दूसरे शिवराज सिंह चौहान और तीसरे हैं रमन सिंह। मोदी ने तो अपनी तीसरी पारी आरंभ कर दी है। रमन सिंह और शिवराज की तीसरी पारी दिसंबर में आरंभ होने वाली है। इस बार मध्य प्रदेश के आला अधिकारियों के रवैए को देखकर इस बात पर संशय ही जताया जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान या भाजपा तीसरी बार मध्य प्रदेश में अपना शासन स्थापित कर सके।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के झंडेवालान स्थित मुख्यालय केशव कुंज के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि वैसे तो भाजपा में शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और नरेंद्र मोदी तीनों ही व्यापक जनाधार वाले नेता हैं, पर 2014 में पार्टी किसका चेहरा आगे कर चुनाव लड़ेगी यह बात अभी स्पष्ट नहीं है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर नरेंद्र मोदी की टीआरपी तेजी से बढ़ रही है या वे कथित तौर पर बढ़ा रहे हैं, से लगने लगा है कि मोदी काफी पावरफुल हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी की कट्टर हिन्दुवादी छवि भाजपा के लिए खतरा भी बनती जा रही है।
वहीं दूसरी ओर उदारवादी छवि और विकास पुरूष के बतौर उभरे मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान को सहज सरल व्यक्तित्व के कारण पसंद किया जा रहा है। सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि इस बात में अभी तक तो दो राय नहीं है कि शिवराज सिंह चौहान एमपी में तीसरी बार भाजपा को ला पाएंगे। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में जिस तरह से अब माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है उससे लगने लगा है कि मानो अब कांग्रेस का हिडन एजेंडा अफसरान लागू करने में जुट गए हैं।
सूत्रों की मानें तो शिवराज सिंह चौहान का कद कम करने और मध्य प्रदेश से भाजपा राज समाप्त करने की गरज से अब एमपी के अफसरों ने शासन में असहयोगात्मक रवैया अपनाना आरंभ कर दिया है। संघ के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में शिवराज और तोमर की जोड़ी को अब टीम प्रभात की नाराजगी से भी दो चार होना पड़ सकता है।
उधर, कहा जा रहा है कि दस साल तक दिग्विजय सिंह के साथ काम करने वाले आला अधिकारियों ने कांग्रेस के इशारे पर शिवराज सिंह चौहान के साथ असहयोगात्म रवैया अपनाना आरंभ कर दिया है। चुनावी साल में गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर ना तो मध्य प्रदेश की झांकी ही दिखी, ना ही वीर बच्चों में एमपी का एक भी बच्चा शामिल हुआ यहां तक कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी मध्य प्रदेश की भागीदारी नहीं हो सकी।
संघ के सत्रों का कहना है कि चुनावी साल में देश की राजधानी में मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन, लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री पंचायत आदि योजनाओं का प्रचार प्रसार जमकर हो सकता था, जिसका लाभ मध्य प्रदेश के साथ ही साथ अन्य नौ राज्यों में जहां चुनाव होना है में भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता था, किन्तु अफसरों की इस कथित चूक, भूल या लापरवाही के चलते भारतीय जनता पार्टी इस लाभ को लेने से वंचित ही रह गई।

वस्तु सेवा कर पर बनी सहमति


वस्तु सेवा कर पर बनी सहमति

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। वस्तु और सेवा कर को जल्दी लागू करने की दिशा में राज्यों के बीच नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की रूपरेखा पर व्यापक सहमति बन गई है। इसके अंतर्गत राज्यों को वस्तु और सेवा कर लागू करने के समय का फैसला करने की आजादी होगी।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक के दूसरे दिन राज्य सरकारों ने वस्तु और सेवा कर के ढांचे पर विचार के लिए वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा गठित समिति के अधिकतर सुझाव स्वीकार कर लिए हैं।  राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भुवनेश्वर में बताया कि वस्तु और सेवा कर की केवल एक ही दर रखने की बजाए फ्लोर दर रखने पर सहमति हुई और राज्यों को अपनी दरें निर्धारित करने की आजादी होगी।
वस्तु और सेवा कर विधेयक में निपटान प्रधिकरण के विवादित मुद्दे पर मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार इस प्रावधान को हटाने पर राजी हो गई है। जिन मुद्दों पर आम सहमति नहीं बनी उन पर विचार के लिए तीन उप समितियां बनाने का फैसला किया गया है। ये उप-समितियां अंतर्राज्यीय व्यापार पर समेकित वस्तु और सेवा कर लगाने, केंद्र और राज्यों के दोहरे नियंत्रण से व्यापारियों को होने वाली समस्याओं को दूर करने और राज्यों को राजस्व की हानि से बचाने की व्यवस्था तैयार करने पर सुझाव देंगी।
उधर, वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि सरकार अगले महीने भरोसेमंद बजट पेश करेगी। विदेशों में अपने रोड शो के चौथे चरण में लंदन में दुनियाभर के निवेशकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार अगले आम चुनाव से पहले कई फैसले और बदलाव लागू करेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन उपायों से भारत में विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ेगा।

शहीद हेमराज के सिर के बदले पांच लाख!


शहीद हेमराज के सिर के बदले पांच लाख!

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। एलओसी पर इंडियन आर्मी के जवान हेमराज सिंह का सिर काटने की कलई धीरे-धीरे खुलने लगी है। मिलिटरी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि इस बर्बर कार्रवाई में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रत्यक्ष रूप से शामिल थी।
ज्ञातव्य है कि पाकिस्तान की इस बर्बर कार्रवाई में दो भारतीय सैनिक मारे गए थे। इसमें लांस नायक हेमराज सिंह का सिर काट लिया गया था। मिलिटरी खुफिया विभाग ने इस रिपोर्ट को श्सेकेंड हैंड इन्फर्मेशनश् के आधार पर तैयार किया है। सीनियर सिक्यूरिटी ऑफिसर के मुताबिक रिपोर्ट देश की दूसरी सुरक्षा एजेंसियों से साझा की गई है। हालांकि फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पता चला है कि आईएसआई ने बोर्डर ऐक्शन टीम के जरिए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस ऐक्शन टीम में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्करे तैयबा और जैश-ए-मोहमम्द को शामिल किया गया था। इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि लश्कर ने सिर काटने वाले को 5 लाख रुपए का इनाम भी दिया।
गौरतलब है कि 8 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के मेंढर सेक्टर में लांस नायक हेमराज सिंह और सुधाकर सिंह की डेड बॉडी बरामद की गई थी। इसमें हेमराज सिंह की बॉडी से सिर गायब था। इन्हें मारने के बाद भी डेड बॉडी से साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था। इस बर्बर घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया तो उसने शामिल होने से साफ इनकार कर दिया। लेकिन इंडियन आर्मी ने आधिकारिक रूप से कहा था कि यह पाकिस्तानी सैनिकों की कायराना हरकत है।

बंगाल का अभिन्न अंग रहेगा दार्जिलिंग


बंगाल का अभिन्न अंग रहेगा दार्जिलिंग

(प्रतुल बनर्जी)

कोलकता (साई)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र राज्य का हिस्सा बना रहेगा। दूसरी ओर, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा समर्थकों ने उत्तर बंगाल उत्सव के उद्घाटन के दौरान अलग राज्य की मांग के पक्ष में नारे लगाए, जिससे ममता बिफर पड़ीं।
ममता ने कहा कि दार्जिलिंग बंगाल का एक हिस्सा है और हम एक साथ रहेंगे। अब और कोई अशांति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह फिर विकास को बाधित करेगी। इस कार्यक्रम में जीजेएम अध्यक्ष और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी बिमल गुरूंग भी मौजूद थे। उनकी मौजूदगी में उनके समर्थकों के इस हरकत से ममता नाराज दिखीं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चेताया कि इस तरह के राजनीतिक नारे नहीं लगाएं। उन्होंने कहा कि वे अपने पार्टी मंचों पर ये नारे लगाएं।

सोने में इंवेस्ट करें पर संभलकर!


सोने में इंवेस्ट करें पर संभलकर!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति को लेकर मार्केट ने दो बातों को गंभीरता से लिया है। पहला है, चालू वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक द्वारा देश की आर्थिक विकास दर का अनुमान 5.8 से घटाकर 5.5 प्रतिशत करना। दूसरा है, बढ़ता राजकोषीय घाटा का चालू खाते के घाटे पर असर होने का खतरा।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.4 प्रतिशत की रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। देश में विदेशी मुद्रा की कुल आवक और उसके कुल बाह्य प्रवाह के अंतर को चालू खाते का घाटा कहते हैं। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि दरअसल रिजर्व बैंक ने साफ तौर पर कह दिया है कि आयात घटाना होगा, खासकर सोने का आयात। उसने आम आदमी से कह दिया है कि अगर ईएमआई में कमी चाहिए तो सोना कम खरीदो।
वैसे इसके लिए सरकार ने प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। सोने के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा चुकी है। इसी बात को रिजर्व बैंक के गवर्नर ने परोक्ष रूप से कहा है। बात साफ है कि अगर आम आदमी को ईएमआई में कमी चाहिए तो उसे सोना कम खरीदना होगा।
विकास दर में कमी के मायने रू रिजर्व बैंक द्वारा विकास दर के अनुमान में बदलाव किए जाने को लेकर मार्केट काफी पसोपेश में है। ग्लोब कैपिटल के डायरेक्टर अशोक अग्रवाल का कहना है कि यह जरूरत से ज्यादा सतर्कता से उठाया गया कदम है। शायद रिजर्व बैंक यह चाहता है कि आर्थिक विकास दर के एक ऐसे स्तर का अनुमान देना ठीक है, जो पहुंच के दायरे में है। अगर विकास दर इससे ज्यादा अधिक होती है तो उसका तो सभी स्वागत करेंगे।

मोहित को मिलेगी विकलांग पैंशन


मोहित को मिलेगी विकलांग पैंशन

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। जनसुनवाई कार्यक्रम में कलेक्टर अजीत कुमार ने जनसुनवाई की। जनसुनवाई में १०९ आवेदकों ने अपने समस्या आवेदन दिये। कलेक्टर ने प्राप्त सभी प्रकरणों में सुनवाई कर संबंधित विभागाधिकारियों को प्रकरणों का त्वरित निराकरण करने को कहा। जनसुनवाई में आज मोहित पिता अशोक बरमैया (१३ वर्ष ) की माता श्रीमती गंगाबाई ने बताया कि मोहित मानसिक रूप से विकलांग है। उसका निरूशक्तता प्रमाण पत्र भी बना है, परन्तु कतिपय कारणों से मोहित को विकलांग पेंशन नहीं मिल पा रही है। मां ने कहा कि मोहित को विकलांग पेंशन मंजूर करें। कलेक्टर ने निरूशक्तता प्रमाण-पत्र देखकर माता को आश्वास्त किया कि मोहित को अगले माह से विकलांग पेन्शन मिलेगी। जनसुनवाई में एक महिला ने उसे अपने दिवंगत पति के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति दिलाने की अर्जी दी। उसने बताया कि उसके पति स्वर्गीय विष्णुप्रसाद सिसोदिया की वर्ष २०१० में आकस्मिक मृत्यु हो गई। वे १९९० से पी.डब्ल्यू. डी. के ई. एंड एम. आफिस में दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत थे। वर्ष २००८ में उन्हें उपयंत्री के रूप में नियुक्ति मिली और केवल दो वर्ष की सेवा के दौरान २०१० में उनकी मृत्यु हो गई। इस प्रकरण में कलेक्टर ने फौरन असिस्टेंट इंजीनियर पी.डब्ल्यू. डी. (ई. एंड एम.) आफिस से बात कर प्रकरण की वस्तुस्थिति पूछी। असिस्टेंट इंजीनियर ने बताया कि दिवंगत की शासकीय सेवाकाल की अल्पावधि के कारण उनकी पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। कलेक्टर ने आवेदिका को इस तथ्य से अवगत कराया। जनसुनवाई में एक वृद्वा ५ वर्षीया यतीम बश्ची को लेकर आई थी। रिश्ते में बश्ची की नानी ने कहा कि बश्ची की माता की मृत्यु हो चुकी और पिता उसे छोडकर जा चुका है, बश्ची अपने ननिहाल में रह रही है। नानी ने कलेक्टर से अनाथ बश्ची को मदद दिलाने की गुजारिश की। कलेक्टर ने आवेदिका को आश्वस्त किया कि वे अनाथ बश्ची को हर संभव तरीके से मदद दिलायेंगे। जनसुनवाई में आज नागपुर रोड स्थित खैरी सिमरिया की महिलाओं ने अपनी संयुक्त अर्जी में गांव में पीने के पानी की परेशानी से निजात दिलाने की मांग की। महिलाओं ने बताया कि करीब १५०० की आबादी वाले इस गांव में पानी की भारी समस्या है। हैंडपंप बंद है क्योंकि उनसे फ्लोराइड निकलता है। कलेक्टर ने फौरन ई.ई. पी.एच.ई. से बात कर समस्या का निदान करने को कहा। ई.ई. ने आश्वासन दिया कि अगले १० दिन में गांव में पानी की समस्या दूर कर दी जायेगी। रूबरू जनसुनवाई में दूरदराज से आये आवेदकों द्वारा अपनी पट्टे की जमीन/निज सम्पत्ति पर किसी अन्य द्वारा अतिक्रमण/अवैध कब्जा हटवाने, गंभीर बीमारी के इलाज हेतु सहायता राशि दिये जाने, राजस्व अभिलेखों में सुधार किये जाने, बी.पी.एल. का राशन कार्ड बनवाने, अनुकम्पा नियुक्ति दिलाने, नौकरी दिलाने, विकलांग पेंशन दिलाने, घरेलू हिन्सा से निजात दिलाने, बीमारी का इलाज करवाने, तथा अन्य विविध प्रकार के आवेदन दिये गये। कलेक्टर ने अधिकारियों को सभी प्रकरणों का संवेदनशीलतापूर्वक निदान करने को कहा।

नंदीशाला योजना से ५ साल में बदली महेन्द्र की किस्मत


नंदीशाला योजना से ५ साल में बदली महेन्द्र की किस्मत

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। दूध बेचकर अपना भरण-पोषण करने वाले महेन्द्र के पास मात्र ७-८ देशी गायें थीं। नगरपालिका क्षेत्र सिवनी के उपनगर डूंडासिवनी में रहने वाले महेन्द्र के पास अपनी आजीविका का साधन तो था, परन्तु मन में ऊंचा उठने की ललक भी थी। उन्होंने अपनी आमदनी बढाने की सोची। करीब पांच साल पहले महेन्द्र पशु चिकित्सा विभाग पहुंचे। अधिकारियों को अपनी समस्या बताकर कहा कि केवल ७-८ गायों से उनकी आमदनी अपेक्षा के अनुरूप नहीं बढ पा रही है। वो गायों की संख्या बढाना चाहते है, परन्तु गाय खरीदने के लिये उनके पास पूंजी नहीं है। महेन्द्र की समस्या जानकर अधिकारियों ने उसको पशुपालन विभाग द्वारा संचालित नंदीशाला योजना के अंतर्गत सांड प्रदाय का हितग्राही बना लिया। इस योजना के अंतर्गत अधिकारियों ने महेन्द्र को एक उन्नत नस्ल का साहीवाल सांड प्रदान किया। इस सांड द्वारा सभी गायों को प्राकृतिक गर्भाधान से गघ्भत किया गया, जिससे वर्तमान में महेन्द्र के पास उन्नत देशी नस्ल की ३० से ३५ गायें हो गई है। इन गायों का दूध बेचकर महेन्द्र ने गत वर्ष ३० से ४० हजार रूपये का शुद्व लाभ अघ्जत किया। महेन्द्र अब अपने इलाके के एक बडे पशुपालक बन गये है। नंदीशाला योजना से किस्मत इस कदर करवट लेगी यह तो खुद महेन्द्र ने भी नहीं सोचा था। महेन्द्र की इस दिन-दूनी बढती आमदनी को देखकर आसपास के ग्रामीण पशुपालक भी अपनी गायों को इस सांड से प्राकृतिक गर्भाधान कराकर उन्नत नस्लवृद्वि का लाभ पा रहे हैं।                 

डेलीवेजिज पर चल रही है प्रदेश की हुड्डा सरकार: रामविलास


डेलीवेजिज पर चल रही है प्रदेश की हुड्डा सरकार: रामविलास

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। हरियाणा प्रदेश में भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार डेलीवेजिज पर चल रही है। हजकां से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की सदस्यता अदालत से कभी भी रद्द हो सकती है ऐसे में अल्पमत में चल रही यह सरकार कभी भी गिर सकती है।
यह बात भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रामविलास शर्मा ने मंगलवार को कैथल के एक पैलेस में भारी संख्या में उमड़े भाजपा हजकां कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करते हुए कही। प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने पर आज कैथल में रामविलास शर्मा का स्वागत समारोह  आयोजित किया गया था। स्वागत समारोह में भाजपा हजकां गठबंधन कार्यकर्त्ताओं द्वारा प्रो. रामविलास का नोटों की माला व फूल  मालाएं पहनाकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
यहां कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करते हुए रामविलास शर्मा ने कहा कि आज देश विभिन्न परिस्थितियों से जूझ रहा है। देश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, वहीं लालच ने न्याय के ऊपर कब्जा किया हुआ है। देश की राजधानी दिल्ली में एक दलित लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ, जिसने देश वासियों को झकझोर कर रख दिया। वहीं हरियाणा प्रदेश में अपना घर में जो कांड हुआ वह शर्मसार कर देने वाला है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी का मूड ठीक रखने के लिए हुड्डा ने पलवल, फरीदाबाद, गुडग़ांव सहित अन्य स्थानों की बेशकीमती पंचायती जमीन रॉबर्ड वाड्रा को सस्ते भाव में दे दी। इतना ही नहीं, इन कांग्रेसियों का विदेशों में भी 400 लाख करोड़ रुपए का काला धन जमा है, जो राजीव गांधी ट्रस्ट या राहुल गांधी के नाम है।
केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा भाजपा और आर.एस.एस. के शिविरों में हिंदू आतंकवादी तैयार करने के ब्यान की कड़ी आलोचना करते हुए रामविलास शर्मा ने कहा कि शिंदे ने यह ब्यान देकर जहां 100 करोड़ हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंचाई है, वहीं उनके इस ब्यान से अफजल गुरू जैसे आतंकी का हौसला बढ़ा है। शिंदे के इस ब्यान पर उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
भाजपा हजकां गठबंधन पर बोलते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि जब से यह गठबंधन हुआ है, प्रदेश में भाजपा हजकां गठबंधन की एक लहर चल रही है। महंगाई, भ्रष्टाचार से यह गठबंधन ही जनता को निजात दिला सकता है। उन्होंने कार्यकर्त्ताओं को किसी भी समय होने वाले चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा। भाजपा प्रदेश सह प्रवक्ता धर्मवीर डागर ने अपने संबोधन में कहा कि भाजपा हजकां गठबंधन की सरकार आने पर ऐसा कानून बनाया जाएगा, जिसके तहत तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों में उसी क्षेत्र के लोगों को रोजगार दिया जाएगा।
इससे प्रदेश मेें भेदभाव की नीति भी खत्म होगी। स्वागत समारोह में बलदेव राज कंसल व ओमप्रकाश गोघ ने दर्जनों समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा। स्वागत समारोह को छछरौली के पूर्व विधायक कंवरपाल गुर्जर, पूर्व विधायक बनारसी दास, एडवोकेट प्रदीप हरित, भाजपा जिलाध्यक्ष राजपाल तंवर, बलकार पूंडरी आदि ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं कैथल जिला प्रभारी आत्म प्रकाश मनचंदा, भाजपा कुरुक्षेत्र जिला अध्यक्ष धुमन किरमच, हजकां कैथल जिलाध्यक्ष नरेश ढांडे, भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य रणधीर गोलन, रवि भूषण गर्ग, कलायत मंडल अध्यक्ष कुलदीप परमार, कृष्ण ढांड, हजकां शहरी अध्यक्ष जोगिंद्र प्रताप, ऋषिपाल भुक्कल खरक, घनश्याम दास प्रदेश महामंत्री, वीरेंद्र छौत जिला महामंत्री, सतीश शर्मा सिरटा जिला महामंत्री, हरिचंद जांगड़ा, युवा प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र क्योड़क, जगन गुर्जर, सुभाष चुघ, राजरमन दीक्षित, दिनेश कौशिक सहित अन्य भाजपा हजकां कार्यकर्त्ता भी मौजूद थे। 

सहकारी बैंक के चुनावों में वंदन वर्मा व प्रमोेद त्यागी विजयी


सहकारी बैंक के चुनावों में वंदन वर्मा व प्रमोेद त्यागी विजयी

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर पद हेतु सरकुलर रोड स्थित चौधरी छोटूराम इंटर कालेज के छात्रावास में वोट डाले गये। जिनमें मतदान के उपरान्त विजयी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गयी। चार डायरेक्टर डा. विनोद, सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी, श्रीमती मछला देवी व वंदना वर्मा निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। घोषित परिणामों में ऊन, कैराना से अरूण तोमर ने 75 मतों में से 68 मत लेकर रिकार्ड स्थापित किया। विशेष समिति से वेदपाल सिंह ठेकेदार, खतौली से     अशोक कुमार, बघरा व शाहपुर से इंदरपाल जसोई, शामली, थानाभवन व चरथावल से र्ध्मेन्द्र प्रधन कासुपुर व अशोक चरथावल, पुरकाजी से प्रदीप कुमार विजयी घोषित किये गये। इसके अतिरिक्त वृतिक से मुदित वर्मा तथा एडवोकेट सर्किल से ठा. अनूप सिंह विजयी घोषित किये गये।
जिला सहकारी बैंक चेयरमैन हेतु 14 डायरेक्टर अपने मतों का प्रयोग करेंगे। कयास लगाये जा रहे है कि पूर्व चेयरमैन वंदना वर्मा चेयरमैन पद की प्रमुख दावेदार है और उन्हें सत्ता पक्ष के कई नेताओं का समर्थन प्राप्त है लेकिन घोषित चुनाव परिणामों में एक खेमा सक्रिय हो गया है जोकि वंदना वर्मा की जगह दूसरे को चेयरमैन बनाने का इच्छुक है। आने वाले 24 घंटे चेयरमैन प्रत्याशी की भूमिका में विशेष भूमिका अदा करेंगे। शामली जिला पंचायत की तरह यह चुनाव भी दिलचस्प हो सकता है। यदि समाजवादी पार्टी के नेता एक मंच पर बैठकर जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन का निस्तारण करते है तो चुनाव की स्थिति नहीं बनेगी ऐसा कुछ लोगों का मानना है। इस चुनाव में भी भीतरघात का खतरा सता रहा है। एग्रीकल्चर क्षेत्र से नसीम मियां उर्फ कमरूज्जमा विजयी घोषित किये गये। 

गर्भपात कराने वाले डाक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज


गर्भपात कराने वाले डाक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज

(ब्यूरो कार्यालय)

मुजफ्फरनगर (साई)। अवैध तरीके से गर्भपात कराने वाले डाक्टरों के खिलाफ अदालत के आदेश पर मामला दर्ज किया गया। इस मामले से नगर के अनेक प्राईवेट अस्पताल संचालको मे हडकम्प मचा हुआ है।
प्राप्त समाचार के अनुसार जनपद के नई मंडी थाना क्षेत्र के नसीरपुर रोड निवासी रेलवे से रिटायर्ड सत्यपाल सिह के मकान में सुनील नामक व्यक्ति किरायेदार के रूप मे रह रहा है। बताया जाता है कि सुनील की पत्नि पुष्पा चार माह की गर्भवती थी। विगत 23 नवम्बर 2012 को अपने परिजनों के साथ वह नसीरपुर रोड स्थित राजपूत नर्सिग होम पर अवैध तरीके से गर्भपात कराने के लिए गई हुई थी। चर्चा है कि लाल बाग निवासी मैनपाल सिह पुत्र महेन्द्र सिह जो कि मानव कल्याण समिति का पदाधिकारी है। मैनपाल के अनुसार उक्त नर्सिग होम के समीप वह स्वयं तथा कुंवरपाल, रतेरू आदि अनेक लोग बैठे हुए थे। पुष्पा के चीखने की आवाज सुनकर जब वे लोग मौके पर पहुंचे तो अधिक रक्त स्राव के कारण पुष्पा की मौत हो चुकी थी। अदालत के आदेश पर आरोपी डाक्टर मुकेश व डा.सीमा तथा दो अन्य लोगों के खिलापफ नई मन्डी थाने मे मामला दर्ज किया गया। इस मामले से अस्पताल संचालको ंमंे हडकम्प मचा हुआ है।

मंगलवार, 29 जनवरी 2013

बुनकरों के हाथ काटने की तैयारी में कांग्रेस


बुनकरों के हाथ काटने की तैयारी में कांग्रेस

(लिमटी खरे)

हाथकरघा यह नाम आज की युवा पीढ़ी को शायद ही पता हो, इसका कारण यह है कि पिछले लगभग दो ढाई दशकों में हाथकरघे की खट खट ध्वनि उन्होंने ना सुनी हो। एक समय था जब हर शहर में मोहल्लों मोहल्लों में खट खट खट खट की आवाजें दिन रात निर्बाध रूप से आती थीं। यह हाथकरघा की ध्वनि थी जो कपड़ा बुनती थी। बुनकर बंधुओं की आजीविका का साधन था हाथकरघा। कालांतर में जैसे जैसे विज्ञान का विकास हुआ हाथ करघा की ध्वनि गायब होती गई। इसके बाद उन्नत हाथकरघे आए पर अब तो गजब ही होने वाला है। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार ने अब हाथ करघों को सौर उर्जा से चलाने का जतन आरंभ किया है। नेहरू के साथ गांधी नाम का उपयोग और उपभोग करने वाली कांग्रेस के निशाने पर अब गांधी ही हैं, वर्तमान गांधी नहीं वरन महात्मा गांधी।

पता नहीं क्यों सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के गौरवशाली शालका पुरूष रहे राष्ट्रपिता महत्मा गांधी कांग्रेस के नए निजामों के निशाने पर हैं? पहले गांधी जयंती पर केंद्र सरकार द्वारा खादी को प्रोत्साहित करने वाली 20 फीसदी की छूट को समाप्त कर दिया अब आजादी की लड़ाई में चरखा चलाकर स्वदेशी का संदेश देने के कार्यक्रम पर कांग्रेस की नजर लग गई है। आने वाले समय में बुनकरों के द्वारा चलाए जाने वाला चरखा सौर उर्जा या बिजली से चलाया जाएगा।
कांग्रेस के नए निजाम चरखे के स्वरूप और चरित्र को ही बदलने का ताना बाना बुन रहे हैं जो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के शब्दों में ‘‘आजादी का बाना‘‘ था। गौरतलब होगा कि महत्मा गांधी ने अहिंसा आंदोलन में खादी और चरखे को रचनात्मकता के साथ स्वराज आंदोलन का एक प्रतीक बनाया था। बापू ने उस समय देश के लगभग तीस हजार गांव के 20 लाख बुनकरों को एक सूत्र में पिरोकर आजादी की अहिंसक लड़ाई के लिए प्रोत्साहित किया था।
हालात देखकर यह लगने लगा है कि देश पर आजादी के उपरांत आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी के द्वारा प्रेरित खादी कार्यक्रम को समूल ही नष्ट करने की जुगत लगाई जा रही है। खादी संस्थाएं केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ खड़ी नजर आ रही हैं। संस्थाओं का मानना है कि अगर चरखे को बिजली या सौर उर्जा से चलाया जाएगा तो हाथ से तैयार सूत और मिलों में तैयार सूत में क्या अंतर रह जाएगा।
गौरतलब होगा कि खादी के उत्पादन पर विशेष जोर देने वाले मोहन दास करम चंद गांधी ने खादी के उत्पादन में किसी भी तरह की मशीन की इजाजत नहीं दी थी। वैसे भी अगर खादी उत्पादन में मशीनों का प्रयोग होने लगेगा तो बुनकरों के सामने आजीविका की जबर्दस्त समस्या खड़ी होने की उम्मीद है, क्योंकि बिजली या सौर उर्जा से चलने वाला चरखा निस्संदेह कम से कम दस बुनकरों के हाथ का काम छीन लेगा।
उल्लेखनीय होगा कि चरखे से सूत कातकर खादी का निर्माण कुटीर उद्योगों की श्रेणी में आता है, और इससे अशिक्षित भी इसका प्रयोग कर अपनी आजीविका चला सकता है। इसके लिए अधिक मेहनत की आवश्यक्ता भी नहीं होती है। यह काम घरेलू महिलाएं भी अपने खाली समय में आसानी से कर सकती हैं।
अस्सी के दशक के आरंभ तक देश के विद्यालयों में क्राफ्ट का एक कालखण्ड होता था, जिसमें बच्चों को कतली पोनी और चरखे के माध्यम से कपास से सूत कातना सिखाया जाता था, कालांतर में चरखा और कतली पोनी इतिहास की वस्तु हो बन गई हैं। अब तो मानो कतली पोनी का नाम ही युवाओं यहां तक कि प्रोढ़ हो चुकी पीढ़ी के जेहन से विस्म  ृत हो गया है।
अनेक स्थानों पर वहां के जनसेवकों ने सालों साल तक बुनकरों के परिवारों की आजीविका के मद्देनजर हाथकरघा को जिंदा रखा और इससे अस्पताल की पट्टियां और अन्य कपड़ों का उत्पादन सरकार के आदेशों से करवाया, पर अब लगने लगा है कि मानो बुनकरों का बुरा समय आ चुका है। सत्तर के दशक में हाथकरघा की खट खट खट अपने आप में एक रोमांच पैदा किया करती थी।
एक तरफ गुजरात के ब्रांड एम्बेसडर और सदी के महानायक गुजरात में बापू के आश्रम में जाकर चरखा चलाकर खादी अपनाने का संदेश दे रहे हैं, दूसरी ओर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा गरीब बुनकरों के हाथ काटने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं, जिसकी निंदा और विरोध किया जाना चाहिए। वैसे भी कल तक जनसेवकों की पहली पसंद मानी जाने वाली खादी का स्थान अब टेरीकाट, पालिस्टर जीन्स, कार्टराईज और अधनंगे वस्त्रों आदि ने ले लिया है। (साई फीचर्स)