शुक्रवार, 9 नवंबर 2012


फेरबदल से क्या अलीबाबा . . . . 5

घपले, घोटाले में आकंठ डूबी है कांग्रेस!

(लिमटी खरे)

‘‘कांग्रेस का इतिहास अति गौरवशाली कहा जा सकता है। भारत गणराज्य की स्थापना में कांग्रेस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इसमें महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू की भूमिका को भी कतई नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। आजादी के उपरांत कांग्रेस के लिए नेहरू गांधी परिवार का तात्पर्य माईनस महात्मा गांधी हो गया है। अर्थात जवाहर लाल नेहरू और फिरोज गांधी (कांग्रेस जिन्हें पूरी तरह भुला चुकी है) के वंशज ही हैं। युवा स्वप्नदृष्टा राजीव गांधी ने इक्कीसवीं सदी के भारत की कल्पना की थी। इक्कीसवीं सदी के भारत में कांग्रेस की बागड़ोर उनकी इटालियन पत्नि सोनिया गांधी के हाथ में है। सरकार की कामन भी 2004 के उपरांत अप्रत्यक्ष तौर पर उन्हीं के पास है। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में कांग्रेस को अपने ही लोगों के कारण जो लानत मलानत झेलनी पड़ी उससे वर्तमान कांग्रेसी तो शर्मसार नहीं दिखते पर कांग्रेस का उजला अतीत जरूर कांतिहीन होता जा रहा है। कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की दूसरी पारी में महज बीस महीनों में ही भ्रष्टाचार के आधा सैकड़ा मामले सामने आए हैं जिसमें दस लाख करोड़ रूपयों से ज्यादा का खेल खेला गया है। सरकार के सामने जनता के गाढ़े पसीने की कमाई की होली खेली जाती है और सरकार खामोश है। देश लुटता रहा, मंत्री सरकारी खजाने का धन लुटाते रहे। लेकिन वजीरे आजम, कांग्रेस की राजमाता और युवराज के अंदर इतना माद्दा नहीं था कि वे किसी से प्रश्न कर सकें, इन परिस्थितियों में कैसे कह दिया जाए कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके पुत्र कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ईमानदार हैं।‘‘
इक्कीसवीं सदी का पहला दशक भारत गणराज्य के लिए बुरे सपने समान कहा जा सकता है। इस दशक में जितने घपले घोटाले सामने आए हैं उनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। एक के बाद एक भ्रष्टाचार, घपले, घोटाले में घिरी कांर्ग्रेस के पास बचाव का कोई रास्ता नहीं दिखा। इसी बीच इक्कीसवीं सदी में योग साधना के आकाश में धूमकेतू बनकर उभरे स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने र्भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए अभियान छेड़ दिया। कांग्रेस के शातिर प्रबंधकों ने बाबा रामदेव को घेर दिया। बेचारा योगी किसी तरह से जान बचाकर दिल्ली के रामलीला मैदान से भाग खड़ा हुआ। इसके बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले गांधीवादी अण्णा हजारे की आवाज सिहनाद बनकर उभरी और फिर क्या था। समूचा देश कांग्रेस और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जुट होकर खड़ा हो गया। देश में गली गली में ‘‘मैं अण्णा हूं‘‘ की आवाज ने कांग्रेस को घुटनो पर बैठने मजबूर कर दिया।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में महज एक साल में ही दस लाख करोड़ रूपयों की भ्रष्टाचार के हवन कुण्ड में आहुती देने से हाहाकार मच गया। नेशनल कैंपेन अगेंस्ट करप्शन ने मई 2009 से जनवरी 2011 तक के बीच हुए प्रमुख भ्रष्टाचार के महाकांडों की फेहरिस्त तैयार की है। इसमें पहली पायदान पर संचार मंत्रालय द्वारा टूजी स्पेक्ट्रम लाईसेंस में केंद्रीय महालेखा नियंत्रक एवं परीक्षक ने पौने दो सौ लाख रूपए की हानि का प्रकरण है। इस प्रकरण में सीबीआई ने पूर्व संचार मंत्री आदिमत्थू राजा सहित अनेेक अफसरान को शिकंजे में कस दिया है।
जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि टूजी में ही कांग्रेस और द्रविड़ मुनैत्र कषगम के नेताओं ने साठ हजार करोड़ की रिश्वत ली है। इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की विपणन कंपनी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी देवास मल्टी मीडिया के बीच दो उपग्रहों के दस ट्रांसपोंडर को बारह वर्ष के लिए लीज पर देने के मामले में सीएजी ने प्राथमिक परीक्षण में दो लाख करोड़ रूपए का नुकसान आंका है।
उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का अनाज नेपाल, बंग्लादेश और अफ्रीका जैसे देशों में बेचने का मामला प्रकाश में आया जिसमें दो लाख करोड़ का घोटाला सामने आया है। इसके बाद नंबर आता है राष्ट्रीयकृत बैंक का भवन आवासीय ऋण घोटाला जिसे छत्तीस हजार करोड़ रूपयों का आंका गया है। सिटी बैंक में अरबों रूपयों के केंद्रीय सरकार के मैटल स्क्रेप ट्रेडिंग कार्पाेरेशन के छः सौ करोड़ रूपए के सोने का महाघोटाला भी इसी फेहरिस्त में शामिल है।
महाराष्ट्र प्रदेश के पूना के एक अस्तबल के मालिक हसन अली खान के स्विस बैंक, यूबीएस ज्यूरिक में सवा आठ अरब डालर अर्थात लगभग छत्तीस हजार करोड़ रूपए के खाते के रहस्य से भी पर्दा उठा। 2009 - 2010 के बजट में यह रहस्य भी सामने आया कि हसन अली के उपर लगभग साढ़े पचास हजार करोड़ रूपयों का आयकर बाकी है। सिविल सोसायटी के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने सरकार की मुखालफत की तो सरकार ने उन पर तत्काल शिकंजा कस दिया किन्तु एक जरायमपेशा व्यक्तित्व पर पचास हजार करोड़ का आयकर कैसे बाकी रह गया यह यक्ष प्रश्न आज भी अनुत्तरित ही है।
एक चाटर्ड एकाउंटेंट का कथन था कि हसन के विदेशी खातों में छत्तीस हजार करोड़ के बजाए डेढ़ लाख करोड़ रूपए होना अनुमानित है। आयकर चोर एक मामलू घोडों के अस्तबल का मालिक हसन अली कितना रसूखदार है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक अजीज डोवाल, प्रोफेसर आर.वैद्यनाथन, एस.गुरूमूर्ति, महेश जेठमलानी के अलावा कांग्रेस के आलाकमान से भी संबंधों का खुलासा हुआ है।
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त जे.एम.लिंगदोह, पूर्व राजस्व सचिव जावेद चौधरी, सहित अनेक अफसरों ने केरल के पामोलिन कांड में आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पी.जे.थामस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाए जाने को चुनौती दी। बाद में सरकार को इस मामले में अपने कदम वापस लेने पड़े और भ्रष्ट अधिकारी थामस को सीवीसी के पद से हटाना ही पड़ा। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा व्यवस्था की पोल तब खुली जब पचपन हजार करोड़ रूपयों की लड़ाकू हवाई जहाज की खरीद से संबंधित गोपनीय नस्ती सड़क पर लावारिस हालत में मिली।
तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने निजी एयरलाईंस की मदद करते हुए एयर इंडिया के डैनों की हवा निकाल दी। आज आलम यह है कि एयर इंडिया भारी कर्जे में है और उसके पास तेल के बाकी पैसे चुकाने तक को पैसे नहीं है। आज एयर इंडिया के कर्मचारियों को तनख्वाह देने के बांदे हैं। खाद्य मंत्री शरद पंवार पर आरोप है कि उन्होने अदूरदर्शिता का परिचय देते हुए कम दाम वाली चीनी और प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी जिससे देश में इनका संकट तो पैदा हुआ ही साथ ही साथ इनकी दरें तेजी से उपर आईं। फिर पंवार ने इनका आयात आरंभ किया।
कार्पाेरेट घरानों की तगड़ी पैरोकार नीरा राड़िया के टेप ने तो मानो भारत के सियासी तालाब में मीटरांे उंची लहरें उछाल दीं। नीरा राडिया के टेप कांड में जब यह बात सामने आई कि द्रमुक के सांसद आदिमुत्थु राजा को मंत्री बनाए जाने लाबिंग की गई तब लोगों के हाथों के तोते उड़ गए। इसमें अनेक मंत्रियों पर सरेआम पंद्रह फीसदी कमीशन लेकर देश सेवा तक करने की बात भी कही गई। विडम्बना यह कि साफ साफ आरोपों के बाद भी न तो मनमोहन कुछ करने की स्थिति में हैं और न ही इस मामले में सोनिया गांधी ही कुछ कर पा रही हैं।
मामला अभी शांत नहीं हुआ है। सीएजी ने कामन वेल्थ गेम्स में हजारों करोड़ रूपयों की होली खेलने की बात कही गई। कांग्रेस के चतुर सुजान मंत्री कपिल सिब्बल कभी कलमाड़ी के बचाव में सामने आए तो कभी तत्कालीन संचार मंत्री ए.राजा के। अंततः दोनों ही को जेल की रोटी खानी पड़ रही है। केंद्रीय महालेखा नियंत्रक और परीक्षक ने कामन वेल्थ गेम्स में सत्तर हजार करोड़ रूपयों की अनियमितता पकड़ी है।
बिहार सरकार ने वहां के पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह द्वारा अरबों रूपयों के नदी तटबंधों के ठेकों की जांच के आदेश भी जारी किए हैं। सीबीआई ने उनके पुत्र को एक करोड़ रूपए रिश्वत लेते रंगें हाथों धरा है। इतना ही नहीं सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के आरोपी प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.एस.लाली को निलंबित कर उनके एवं मध्य प्रदेश काडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी अरूणा शर्मा के खिलाफ जांच की सुस्तुति की है। रूस से विमानवाहक जंगी जहाज खरीदने के सिलसिले में रक्षा मंत्रालय द्वारा वरिष्ठ नौसेना अधिकारी की बर्खास्तगी की गई। सम्प्रग सरकार के लिए स्विस बैंक सहित अन्य बैंकों में जमा अस्सी लाख करोड़ रूपए से ज्यादा की देश वापसी आज भी पहेली बनी हुई है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने विदेशी बैंक के खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने को कहा गया है।
मैडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ.केतन देसाई को केंद्रीय जांच ब्यूरो के छापे के बाद पद से हटाया गया। अनेक गैर सरकारी स्वैच्छिक संगठनों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना में अड़तीस हजार करोड़ रूपयों से ज्यादा के गोलमाल के आरोप लगाए हैं। नाफेड में चार हजार करोड़ रूपयों के नियमों को बलात ताक रख किए गए निवेश की जांच जारी है। केंद्र सरकार ने दिल्ली विकास अभिकरण में मकान आवंटन में घपलों की जांच आरंभ की है।
यह है देश में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी पारी का हाल सखे! इतना सब कुछ होता रहा। समाचार पत्रों के साथ ही साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया और वेब मीडिया का गला चीखते चीखते रूंध गया किन्तु न तो मनमोहन के कानों में जूं रेंगी और न ही सरकार टस से मस हुई। मीडिया की आवाज सोनिया के दरबार में भी नक्कारखाने में तूती की ही आवाज साबित हुई। युवा भारत का कथित तौर पर स्वप्न देखने का दावा (मीडिया में प्रायोजित कर) करने वाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी भ्रष्टाचार के मामले में मौन साध लेते हैं।
भ्रष्टाचार पर जब हाय तौबा हदें लांघ जाती है तब मनमोहन सिंह देश के मीडिया घरानों के चुनिंदा संपादकों की टोली को बुलाकर उनके सामने खुद को बेबस और असहाय बताकर अपने कर्तव्यों की इती श्री कर लेते हैं। सवाल यह है कि अगर मनमोहन सिंह ईमानदार हैं उनमें नैतिकता है तो वे अपने आप को कमजोर बताने के बजाए प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र क्योें नही दे देते? आखिर क्या वजह है कि वे मजबूर होते हुए दूसरों की लानत मलानत झेलकर अपनी ईमानदार छवि को खराब कर रहे हैं? जाहिर है सत्ता की मलाई उन्हें यह सब करने पर मजबूर कर रही है।
वहीं दूसरी ओर राजनीति का ककहरा सीख रहे नेहरू गांधी परिवार (राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नहीं) की पांचवीं पीढ़ी के प्रतिनिध कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी द्वारा भ्रष्टाचार के मामले को गठबंधन की मजबूरीबताई जाती है। राहुल गांधी शायद भूल जाते हैं कि किसी भी कीमत पर किन्हीं भी हालातों में गठबंधन धर्मकभी भी राष्ट्र धर्मसे बड़ा कतई नहीं हो सकता है। सरकार के सामने जनता के गाढ़े पसीने की कमाई की होली खेली जाती है और सरकार खामोश है। देश लुटता रहा, मंत्री सरकारी खजाने का धन लुटाते रहे। लेकिन वजीरे आजम, कांग्रेस की राजमाता और युवराज के अंदर इतना माद्दा नहीं था कि वे किसी से प्रश्न कर सकें, इन परिस्थितियों में कैसे कह दिया जाए कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके पुत्र कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ईमानदार हैं। (साई फीचर्स)
(क्रमशः जारी)

लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 9

गिरिजा शंकर के खिलाफ पत्रकारों ने मोर्चा खोला

भोपाल (साई)। गिरिजाशंकर को लेकर संघ से जुड़े कई पत्रकारों ने मोर्चा खोल दिया है। विभिन्न पत्रकारों ने अलग अलग रूप से मुख्यमंत्री को अपनी भावना से अवगत कराया है और विरोध दर्ज कराया है सूत्रों की माने तो संघ से जुड़े पत्रकार, पूर्व में इंदौर स्वदेश के संपादक व वर्त्तमान में चरवैती के संपादक जयकिशन गौड़ इस दौड में सबसे आगे थे और किन्तु शिवराज सरकार ने उन्हें लालबत्ती का वादा कर मझदार में छोड दिया वहीँ जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार भगवती धर वाजपेयी भी इस दौड में थे किन्तु नियुक्ति का निर्णय शिवराज द्वारा पूर्व में ही लिया जा चुका था संघ विचारधारा के पत्रकारों का मानना है कि ष्कांग्रेस शासनकाल में मलाई काटने वाले पत्रकार आज भी सरकार के करीब हैं और संघ की विचाधारा से जुड़े पत्रकार आज भी अपनी सही जगह नहीं पा सके हैंष्। वहीँ संघ इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है।
0 कौन हैं गिरिजा शंकर
मूलतः छतीसगढ़ के रहने वाले गिरिजाशंकर पूर्व में कांग्रेस शासन काल में दिग्विजय सिंह व अजित जोगी व छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के भी मीडिया सलाहकार रह चुके है। वे दिग्विजय सिंह के दलित एजेंडा को भी अमली जामा पहना चुके हैं संघ की विचाधारा से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सूत्रों की माने तो उनका कहना है की ष्मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग से गिरिजाशंकर का समस्त परिवार उपकृत है और मुख्यमंत्री ने वामपंथी विचारधारा के व्यक्ति को सलाहकार संपादक बना अपने लिए एक नयी मुसीबत मोल ले ली है। मुख्यमंत्री का ये मीडिया प्रेम समझ से परे है।ष्
शिवराज के लिए नित नयी परेशानियां सामने आने के चलते दबी जबान में मंत्रिमंडल सहयोगी भी ष्मतिभ्रष्टष् शब्द का प्रयोग कर इस मामले पर अपनी कन्नी काट रहे हैं।
वहीँ जनसम्पर्क विभाग से जुड़े लोगों का कहना है-इससे पहले एक बार दिल्ली से आलोक तोमर को पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के जमाने में मध्यप्रदेश सन्देश का सलाहकार सम्पादक बनाया गया था, लेकिन वह प्रयोग असफल रहा था, अधिकारी मानते हैं ऐसा ही हश्र इस प्रयोग का भी होगा। अब देखना है कि मुख्यमंत्री आगे किसे उपकृत करते हैं? मुख्यमंत्री को भरोसा है कि नयी नियुक्तियों के बाद सरकार के प्रतिदिन काले होते चेहरे में कुछ निखार लाया जा सकेगा।
(इनसाईट टीवी न्यूज से साभार)

मनरेगा के लिए फास्ट ट्रेक अदालतें


मनरेगा के लिए फास्ट ट्रेक अदालतें

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना में हो रहे भ्रष्टाचार के लंबित मामलों पर देश की सर्वोच्च अदालत ने नई व्यवस्था दी है। विभिन्न राज्यों में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लागू करने में हुए विभिन्न घोटालों से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित करने के लिए कहा है। 
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और मदन बी. लोकुर की एक खंडपीठ ने कहा है कि ऐसी अदालतें आंध्र प्रदेश में चल रही हैं और ओडिशा भी ऐसी अदालतों की स्थापना पर विचार कर सकता है। खंडपीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और ओडिशा में ग्रामीण रोजगार योजना लागू करने में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों की सुनवाई २७ नवंबर को होगी।
इससे पहले अदालत ने इन कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच के सिलसिले में १४ सितम्बर को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था।

भट्ट सहित 6 पर आरोप तय


भट्ट सहित 6 पर आरोप तय

(जलपन पटेल)

अहमदाबाद (साई)। गुजरात में जामनगर की एक सत्र अदालत ने आई पी एस अधिकारी संजीव भट्ट और छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ १९९० के हिरासत में मौत के एक मामले में हत्या और यातना के आरोप तय किये हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एन.टी. सोलंकी ने इन सभी पर हत्या, नुकसान पहुंचाने, शांति भंग करने के लिए उकसाने के वास्ते, जानबूझ कर अपमान करने और डराने धमकाने के आरोप लगाए हैं।
ज्ञातव्य है कि संजीव भट्ट की १९९० में पुलिस सहायक अधीक्षक के रूप में जाम खंभालिया में पोस्टिंग थी तब वहां सांप्रदायिक दंगे हुए थे। उसने कुछ लोगों को हिरासत में लिया था जिसमें से प्रभूदा विसनानी की थोड़े दिनों के बाद मृत्यु हो गई थी जिसमें भट्ट और अन्य छह पुलिसकर्मचारियों के खिलाफ पुलिस हिरासत में यातना देना और हत्या के आरोप की एक फरियाद दर्ज की गई थी
लेकिन उस समय मजिस्ट्रेट कोर्ट में राज्य सरकार ने यह हिरासत में मृत्यु का केस नहीं है ऐसा कहके इस कार्रवाई का विरोध किया था। लेकिन २००२ के गुजरात दंगों में संजीव भट्ट द्वारा मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आरोप लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने पिछले साल यह केस में अपना डिफेंस वापस ले लिया जिससे भट्ट के खिलाफ आरोप तय करने का रास्ता साफ हों गया था।

सैंडी के बाद अब एथेना का कहर


सैंडी के बाद अब एथेना का कहर

(यशवंत)

वाशिंग्टन डीसी (साई)। अमरीका में उत्तर पूर्वी तूफान के कारण न्यूयार्क, न्यूजर्सी और कनैक्टीकट मे कल भारी बर्फबारी हुई। एक लाख ६० हजार से अधिक नागरिकों को बिना बिजली के ही रहना पड़ रहा है। सैकड़ों हवाई उड़ानें रद्द कर दी गई। जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। एथेना नामक इस तूफान ने उत्तर पूर्वी तट पर वर्षा, बर्फबारी, तटीय बाढ़ और ५० मील प्रतिघंटे तक की तेज हवाओं से तबाही मचा दी है ।
एथेना की वजह से सैंकड़ों उड़ानों को रद्द कर दिया गया है और करीब एक लाख 60 हजार लोग बिना बिजली के रहने को मजबूर हैं। ये लोग श्सैंडीश् से मची तबाही के बाद उबरने का कोशिश कर रहे हैं। श्अथेनाश् तूफान की वजह से न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी और कनेक्टिकट में सात से 13 इंच मोटी बर्फ गिरी है।
राष्ट्रीय मौसम सेवा के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि यह तूफान शुक्रवार को कमजोर पड़ जाएगा। श्फ्लाइटअवेयर डॉट कॉमश् के अनुसार तूफान की वजह से 672 उड़ानों को रद्द किया गया है। ज्यादातर उड़ानें न्यू जर्सी के नेवार्क एयरपोर्ट, न्यू यॉर्क ला गार्दिया और जेएफके एयरपोर्ट से रद्द की गई हैं।
इस तूफान की वजह से गुरुवार को कनेक्टिकट के फेयरलैंड काउंटी में 11 इंच और न्यू हैवेन काउंटी में 13.5 इंच मोटी बर्फ गिरी। यहां 06 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव से कुछ दिन पहले चक्रवाती तूफान सैंडी ने भारी तबाही मचाई थी और प्रशासन बीते कई दिनों से जनजीवन को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटा है।
गौरतलब है कि तूफान की वजह से अब भी एक लाख 63 हजार लोग बिजली से महरूम हैं। न्यू जर्सी की कंपनी पब्लिक सर्विस इलेक्ट्रिक ऐंड गैस का कहना है कि 90 हजार कंस्यूमर अब भी बिना बिजली के हैं। प्रांत के गवर्नर क्रिस क्रिस्टी ने आगाह किया किया था कि इस तूफान के कारण भी बहुत लोगों को बिजली के रहना पड़ सकता है।

प्रवासी भारतीयों ने भेजे 75 अरब डॉलर


प्रवासी भारतीयों ने भेजे 75 अरब डॉलर

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। विदेशों में जाकर भारत गणराज्य का डंका बजाने वाले प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वदेश भेजी जाने वाली राशि के इस वित्त वर्ष में ७५ अरब डॉलर से भी ऊपर चले जाने की संभावना है। पिछले वर्ष प्रवासी भारतीयों ने भारत में ६६ अरब डॉलर की राशि भेजी थी। प्रवासी भारतीय मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी आफ इंडिया को बताया कि भारत में पैसा भेजने वाले प्रवासी भारतीयों में ४० प्रतिशत से अधिक पश्चिम एशिया क्षेत्र से आते हैं। 
ज्ञातव्य है कि खाडी के देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने के बाद से अपने उपार्जित विदेशी मुद्रा को भारत भेजने में लगे हैं। दिवाली के और पास आते ही बैंकों और मनी एक्सचेंज सेंटरों के जरिए धन को भारत भेजने की मानो होड़ सी लगी है। जानकारों का मानना है कि पिछले दो सालों से दिवाली के आते ही रुपया मजबूत होता है जिसकी वजह है प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वदेश धन भेजने की रफ्तार में तेजी और यही रूख इस बार भी कायम रहने की उम्मीद है।

राम का नाम लेने वाली पार्टी को अब लगने लगे राम बुरे


राम का नाम लेने वाली पार्टी को अब लगने लगे राम बुरे

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। भगवान राम के नाम का उपयोग कर सत्ता हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अब भगवान राम ही आखों में खटकने लगे हैं। जहां फिल्म में राधा को सेक्सी बताने के मुद्दे को संसद में उठाने की तैयारी कर रही है, वहीं उसके ही राज्य सभा सांसद राम जेठमलानी ने भगवान राम के बारे में एक विवादित बयान दे डाला है। जेठमलानी ने कहा कि भगवान राम एक बेहद बुरे पति थे और उनके भाई लक्ष्मण तो उनसे भी बुरे थे।
राम जेठमलानी ने स्त्री-पुरुष संबंधों पर लिखी किताब के विमोचन पर कहा, कि राम बेहद बुरे पति थे। और वे उन्हें बिल्कुल ...बिल्कुल पसंद नहीं करते। कोई मछुवारों के कहने पर अपनी पत्नी को वनवास कैसे दे सकता है। जेठमलानी ने आगे कहा, कि लक्ष्मण तो और बुरे थे। लक्ष्मण की निगरानी में ही सीता का अपहरण हुआ और जब राम ने उन्हें सीता को ढूंढने के लिए कहा तो उन्होंने यह कहते हुए बहाना बना लिया कि वह उनकी भाभी थीं। उन्होंने कभी उनका चेहरा नहीं देखा, इसलिए वह उन्हें पहचान नहीं पाएंगे। जेठमलानी के इस बयान पर अभी तक बीजेपी के किसी नेता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
गौरतलब है कि गुरुवार सुबह ही बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने फिल्म स्टूडेंट ऑफ द इयर में राधा को सेक्सी कहने पर ऐतराज जताते हुए इस मामले को संसद में उठाने का ऐलान किया था।  सुषमा स्वराज ने दिल्ली में आरएसएस के एक कार्यक्रम में कहाकि उन्हें पता चला है कि इन दोनों ही फिल्मों में हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। यह क्यों होता है कि गानों या फिल्मों में सिर्फ हिन्दू देवताओं का ही नाम आता है। स्टूडेंट ऑफ द इयर फिल्म के एक गाने में राधा का नाम है। पता नहीं क्यों लोग सीता, राधा, कौशल्या आदि का नाम ही इस्तेमाल करते हैं। अक्सर इनका नाम बुरे सेंस में ही इस्तेमाल कर लिया जाता है।
वैसे लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज हाल ही में रिलीज हुई दो फिल्मों ओ माई गॉड और स्टूडेंट ऑफ द ईयर से नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि वह अपनी राय से सहमति रखने वाले लोगों के साथ संसद में भी इस मुद्दे को उठाएंगी।  बीजेपी नेता ने कहा कि हजारों नाम ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है, फिर इन्हीं नाम को क्यों चुनते हैं। मैं इस मामले को संसद में उठाऊंगी अैर इस प्रचलन को रोकने की मांग करूंगी।

गडकरी की ज्यादातर कंपनियों के पते गलत: आयकर


गडकरी की ज्यादातर कंपनियों के पते गलत: आयकर

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। लगता है भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी की दूसरी पारी के एलान के पहले ही उन्हें गुमनामी के अंधेरे में जाना पड़ सकता है। नितिन गडकरी के पूर्ति ग्रुप की ज्यादातर कंपनियां और उनके पते फर्जी हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल ही में पूर्ति की कंपनियों के पतों पर छापे मारे, लेकिन अधिकतर कंपनियां बस कागजात पर ही मिलीं।
आयकर विभाग के आला दर्जे के सूत्रों ने बताया कि मुंबई के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने अपनी पहली रिपोर्ट नागपुर और कोलकाता के अधिकारियों साथ साझा की है। नागपुर पूर्ति ग्रुप का हेडक्वार्टर है और कोलकाता में भी कुछ कंपनियां हैं।  रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्ति के अपनी साझीदार कंपनियों से लेन देन का न तो कोई हिसाब किताब है और न कोई रिकॉर्ड रखा गया है।
एक अधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि इन कंपनियों के जो पते लिखाए गए हैं, वहां जांच दल तलाशी के लिए गया, लेकिन वहां कुछ है ही नहीं। ज्यादातर जगह तो दफ्तर नाम की कोई चीज ही नहीं थी। न कोई रिकॉर्ड है न खाते। उक्त अधिकारी ने बताया कि अब वे पूर्ति की इन्वेस्टर होने का दावा करने वाली इन कंपनियों में आने वाले धन का हिसाब किताब जांच रहे हैं।
पूर्ति पावर एंड शुगर लिमिटेड से जुड़ी पांच कंपनियों के पते मुंबई के अंधेरी से ठाणे में ट्रांसफर कराए गए। इनकी सूचना रजिस्ट्रार को दी गई। पहले इनके पते मुंबई की चॉल में थे। लेकिन ठाणे में गोदामों में कंपनियों के दफ्तर चल रहे हैं। आयकर अधिकारियों का कहना है कि ये कहने भर को ही दफ्तर हैं और वहां कुछ खास नहीं है।
नितिन गडकरी किसी भी तरह की जांच करा लेने का दावा करते रहे हैं लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की इस रिपोर्ट के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पार्टी में भी उनके खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। संघ भी उनका साथ छोड़ता नजर आ रहा है। संघ ने कहा है कि गडकरी के बारे में फैसला पार्टी को करना है। 

माले मुफ्त बटोर रहे राहुल सोनिया!


माले मुफ्त बटोर रहे राहुल सोनिया!

(दीपक अग्रवाल)

मुंबई (साई)। कांग्रेसनीत महाराष्ट्र सरकार ने गांधी परिवार के ट्रस्ट को मुंबई की 90 करोड़ की बेशकीमती जमीन मुफ्त में दे दी। एक निजी समचार चैनल ने यह खुलासा किया है। चौनल के मुताबिक गांधी परिवार के ट्रस्ट एसोसिएट जर्नल्स को यह जमीन नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के दफ्तर के निर्माण के लिए दी गई थी लेकिन 30 साल बाद भी जमीन पर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है।
इस कारण यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या गांधी परिवार ने 90 करोड़ की जमीन दबा रखी है? कहा जा रहा है कि असल में यह जमीन गरीब दलित छात्रों के होस्टल के निर्माण के लिए आवंटित की गई थी। शिवसेना के सांसद संजय राऊत ने आरोप लगाया है कि गांधी परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नियमों में ढील दे दी। इस खुलासे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
उनका कहना है कि ज्यादा जानकारी जुटाने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करेंगे। चैनल का कहना है कि गांधी परिवार को जमीन देने के लिए लीज की शर्ताे का पालन नहीं किया गया। साथ ही भुगतान की शर्ताे का भी पालन नहीं किया गया।  हाल ही में जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे पर धांधली के आरोप लगाए थे। स्वामी ने आरोप लगाया था कि दो समाचार पत्रों की 1600 करोड़ की संपत्ति हड़पने के लिए दोनों ने धांधली की थी। स्वामी ने कहा था कि कौमी आवाज और नेशनल हेराल्ड की बेशकीमती जमीन को हड़पने के लिए दोनों ने नई कंपनी बना ली।
इसमें सोनिया और राहुल के 76 फीसदी शेयर हैं। इस कंपनी को कांग्रेस ने 90 करोड़ रूपए का कर्ज दिया था। कांग्रेस ने भी कर्ज देने की बात कबूली थी। हालांकि कांग्रेस ने कहा था कि यह लोन बिना ब्याज पर दिया गया था। यह किसी को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं दिया गया था। स्वामी ने इस मामले को लेकर कांग्रेस की मान्यता रद्द करने की मांग की थी। वह चुनाव आयोग में गए थे लेकिन आयोग ने कांग्रेस की मान्यता रद्द करने से इनकार कर दिया। अब स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

निजी कंपनी पर मेहरबान कैलाश


निजी कंपनी पर मेहरबान कैलाश

(विजय सिंह राजपूत)

इंदौर (साई)। सरकार से अगर किसी ने कर्ज लिया है तो उसकी भरपाई करनी ही होती है। कुछ उदहारणों को अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी मामलों में कर्ज वसूली के लिए सरकार काफी हद तक सख्ती बरतती है। मध्य प्रदेश के रखूसदर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ना जाने क्यों एक निजी कंपनी पर खासे मेहरबान दिख रहे हैं।
निजी क्षेत्र की कंपनी एस.कुमार्स समूह की बिजली कंपनी एंटेग्रा पर मप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम (एमपीएसआईडीसी) का 90.22 करोड़ रूपए बकाया है। उद्योग विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मंत्री की सिफारिश है कि कंपनी से महज 38 करोड़ रू. लेकर हिसाब-किताब बराबर कर दिया जाए। गनीमत है कि एमपीएसआईडीसी ने साफ लिख दिया है कि यह प्रस्ताव स्वीकार योग्य नहीं है। फिलहाल अंतिम फैसला राज्य सरकार के हाथ है। एंटेग्रा महेश्वर में बिजली परियोजना स्थापित कर रही है।
देखा जाए तो प्रदेश में 11 साल से डिफाल्टर इस कंपनी पर कैलाश की करोड़ों की यह दरियादिली संदेह के घेरे में है। इस कंपनी का नाम पहले श्री महेश्वर हाइडल पॉवर कॉरपोरेशन लि. था। अब एंटेग्रा है। एमपीएसआईडीसी ने मप्र में पहली निजी बिजली परियोजना के लिए एस. कुमार्स समूह को 1995 से 2001 तक 56.25 करोड़ रूपए की राशि बतौर कर्ज दी।  ब्याज समेत कर्ज वसूली के लिए एस. कुमार्स समूह से कई समझौते किए गए, लेकिन एमपीएसआईडीसी के दस्तावेज बताते हैं कि कंपनी किसी भी समझौते पर कायम नहीं रही।
एक नए फॅार्मूले के तहत 7 मई, 2012 को एस. कुमार्स समूह की कंपनी एंटेग्रा द्वारा उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को दिए गए प्रस्ताव-ए में कहा गया कि एकमुश्त समझौते के तहत कंपनी केवल 38 करोड़ रूपए ही अदा कर सकती है। जिसकी शर्त है- पांच करोड़ प्रस्ताव मंजूर होने के बाद, शेष 33 करोड़ 5.5 करोड़ की 6 किस्तों में पहले पेमेंट के 6 माह बाद से। कंपनी पर बकाया 90.22 करोड़ के मान से इस प्रस्ताव को स्वीकार करने पर एमपीएसआईडीसी का 52 करोड़ का घाटा तय है। फिर भी कैलाश ने 18 मई, 2012 को इसी प्रस्ताव पर लिखा कि अकाउंट सेटल करने के लिए कंपनी का प्रपोजल, स्वीकार किया जा सकता है। आवश्यक कार्रवाई करें। मंत्री की सिफारिश के बाद प्रस्ताव एमपीएसआईडीसी के पास पहुंचा। इस निजी कंपनी की आदतन वादाखिलाफी का रिकॉर्ड बताते हुए एमपीएसआईडीसी के अधिकारियों ने अपर मुख्य सचिव को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी। मंत्री की सिफारिश के बावजूद अफसरों ने राज्य हित में कंपनी के ताजा प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
वैसे अनेक मामलों में विवादित उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को उस एमपीएसआईडीसी की चिंता नहीं है, जिसके तमाम उद्योगपति करीब 2800 करोड़ रूपए दबाकर बैठे हैं। जबकि एमपीएसआईडीसी अपने निवेशकों को उनका मूलधन भी लौटाने की स्थिति में नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष पर माओवादी हमला!


नेता प्रतिपक्ष पर माओवादी हमला!

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। माओवादियों ने गुरूवार सुबह पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा को उनके गृहग्राम फरसपाल से आठ किमी दूर ग्राम कंवलनार व भोगाम के बीच ब्लास्ट से उड़ाने का प्रयास किया। वाहन बुलेट प्रूफ होने से कर्मा विस्फोट में बाल-बाल बच गए। लेकिन, वाहन चालक सुखेश्वर जोल्हे घायल हो गया।
विस्फोट के बाद माओवादियों ने आधे घंटे तक फायरिंग भी की। फॉलो पार्टी की जवाबी कार्रवाई के बाद माओवादी भाग गए। घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए जगदलपुर भेजा गया है। कर्मा को अंदरूनी चोट के चलते विशेष हेलिकॉप्टर से राजधानी भेजा गया और वहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जबकि, घायल ड्राइवर सहित एक अन्य जवान का उपचार मेडिकल कॉलेज जगदलपुर (मेकाज) में चल रहा है। राज्य के गृह मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि घटना के बाद पुलिस पार्टी व सीआरपीएफ की 111वीं बटालियन रवाना हुई।
कर्मा कांग्रेस पार्टी के आयोजन में शरीक होने के लिए बारसूर के लिए अपने घर फरसपाल से रवाना हुए थे। सात गाडियों के काफिले में उनकी गाड़ी चौथे क्रम पर थी। माओवादियों ने कर्मा की गाड़ी को ही टारगेट किया। विस्फोट कर्मा के वाहन के इंजन के नीचे हुआ इससे गाड़ी करीब दस फीट दूर जा गिरी। इसके बाद माओवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी।
मुठभेड़ के बाद माओवादी फरसपाल की पहाडियों की ओर भाग गए। इनकी संख्या 20 से 25 के बीच बताई जा रही है। दंतेवाड़ा के पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुताबिक जहां ब्लास्ट हुआ, वहां बम पहले से प्लांट था। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि सड़क पर 4-5 फीट गड्ढा हो गया। इसमें 20 से 30 किलो बारूद का इस्तेमाल हुआ था। घटना को एलओसी पार्टी ने अंजाम दिया।
यहां उल्लेखनीय होगा कि महेंद्र कर्मा पर माओवादी इसके पहले तीन बार जानलेवा हमला कर चुके हैं। 21 अगस्त 1991 को भैरमगढ़ थाने के बरदेला के पास काफिले पर फायरिंग हुई। 2005 में चिंतागुफा इलाके में प्रवास के दौरान काफिले पर ब्लास्ट किया गया। और 8 मार्च 2007 को दंतेवाड़ा के अरनपुर घाटी के पास विस्फोट कर कर्मा को उड़ाने काप्रयास किया गया, जिसमें एक जवान घायल हुआ था। 

मेघा पाटकर रिहा


मेघा पाटकर रिहा

(प्रदीप माथुर)

छिंदवाड़ा (साई)। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पेंच बांध परियोजना का विरोध करने पर गिरफ्तार की गईं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी डी आर गूजरकर ने रिहा करने के आदेश दे दिए। वहीं मेधा ने एक अन्य मामले में जिला प्रशासन की ओर से दर्ज मामले में बॉन्ड भरने से इंकार कर दिया है।
गौरतलब है कि चौरई विकासखंड के माचागोरा में प्रस्तावित पेंच बांध परियोजना का निर्माण काम शुरू किए जाने के विरोध में छिंदवाड़ा पहुंचीं पाटकर को रविवार को नजरबंद कर दिया गया था। उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जिला जेल भेज दिया गया। इसके बाद से मेधा अनशन पर थीं।
अब मेधा पाटकर का कहना है कि पेंच परियोजना की जांच तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। उनका कहना है कि सरकार ने गरीब किसानों के साथ अन्याय किया है। 

कमल नाथ वैध सांसद हैं: कोर्ट ने खारिज की याचिका


कमल नाथ वैध सांसद हैं: कोर्ट ने खारिज की याचिका

(सुरेंद्र जायस्वाल)

जबलपुर (साई)। हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री व छिंदवाड़ा के सांसद कमलनाथ के निर्वाचन को वैध करार देते हुए पराजित प्रत्याशी चौधरी चन्द्रभान सिंह द्वारा दायर चुनाव याचिका खारिज कर दी। मामला चुनाव प्रचार खर्च के ब्यौरे को कठघरे में रखे जाने से संबंधित था। कमल नाथ के परिवार की एविएशन कंपनी के हेलीकाप्टर के उपयोग पर उन्हें इसका किराया नहीं देना पड़ा।
प्रशासनिक न्यायाधीश कृष्ण कुमार लाहोटी की एकलपीठ ने 31 अक्टूबर को उभयपक्षों की बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि चुनाव याचिकाकर्ता ऐसे कोई ठोस तथ्य पेश करने में नाकाम रहा है जिनके आधार पर निर्वाचन शून्य किया जाए। याचिकाकर्ता देयकों के अलावा आरोप को साबित करने वाले अन्य साक्ष्य भी जुटाने में पूरी तरह नाकाम रहा है। इसलिए उसकी याचिका निरस्त करने योग्य है।
मामले की सुनवाई के दौरान कमलनाथ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा पैरवी व शशांक शेखर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि यह चुनाव याचिका मेंटेनेवल नहीं है अतः खारिज कर दिए जाने योग्य है। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान विजयी प्रत्याशी कमलनाथ ने चुनाव आयोग के समक्ष चुनाव प्रचार खर्च का जो ब्यौरा प्रस्तुत किया था वह पूर्णतः सत्य था। जहां तक प्रचार में इस्तेमाल किए गए हेलीकॉप्टर के खर्च का सवाल है तो वह 5 घंटे 46 मिनिट के हिसाब से महज 5 लाख 95 हजार 300 रूपए था। चूंकि स्पान एयरलाइंस कमलनाथ के परिवार की कंपनी है अतः उन्हें किसी तरह का किराया अदा नहीं करना पड़ा, केवल ईधन का खर्च ही भुगतान किया गया था, जिसे ब्यौरे में शामिल किया गया।
इधर दूसरी ओर चुनाव याचिकाकर्ता चौधरी चन्द्रभान सिंह के अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि कमलनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान हवाई प्रचार का जो खर्च दर्शाया है वह वास्तवित से बेहद कम है। लिहाजा, वास्तविक खर्च की रोशनी में निर्वाचन शून्य करार देकर छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर नए सिरे से चुनाव का रास्ता साफ कर दिया जाए। चुनाव प्रचार के दौरान छिंदवाड़ा के आकाश में कमलनाथ का हेलीकॉप्टर रोजाना लगभग दो घंटे उड़ा करता था। इस तरह 18 दिनों में 36 घंटे के उपयोग का खर्चा 65 हजार प्रतिघंटे के हिसाब से बहुत अधिक होता है जिसे काफी कम दर्शाया गया। चुनाव प्रचार खर्च की अधिकतम सीमा 25 लाख थी जिसका कमलनाथ से उल्लंघन किया था।

फोरलेन के मार्ग प्रशस्त: वर्मा


फोरलेन के मार्ग प्रशस्त: वर्मा

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। सिवनी। फोर लेन निर्माण में आने वाले व्यवधान अब समाप्त होते दिख रहें हैं। प्रदेश वन्य प्राणी बोर्ड ने प्राधिकरण के प्रस्ताव को स्वीकार कर दिल्ली भेज दिया हैं। इसे लेकर जन मानस काफी आदोलित हैं और कई तरह के नकारात्मक प्रचार प्रसार से केन्द्र सरकार के बारे में भ्रम फैलाया जा रहा हैं। इसलिये इसे शीष्र ही स्वीकार कर काम चालू कराया जाये। उक्ताशय की मांग जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने प्रधानमंत्री,राहुल गाध्ंाी,भू तल परिवहन मंत्री सी.पी. जोशी और वन एवं पर्यावरण मंत्री श्रीमती जयंती नटराजन को एक पत्र भेज कर की हैं।
इंका नेता वर्मा ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में आगे उल्लेख किया है कि प्रधानमंत्री स्वर्णिम चर्तुभुज के अंर्तगत उत्तर दक्षिण गलियारे में निर्माणाधीन मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में सिवनी से खवासा के निर्माण कार्य में कुरई घाट में विवाद हो गया था। माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार एन.एच.ए.आई और वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा संयुक्त प्रस्ताव स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड में प्रस्तुत किया गया था। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने अपनी बैठक दिनांक 28 जुलाई 2012 को इस संशोधित प्रस्ताव को अपनी मंजूरी देकर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड में प्रस्तुत करने की अनुशंसा कर दी हैं। विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 8 नवम्बर 2012 को यह प्रस्ताव दिल्ली भेज दिया गया हैं।
अपने पत्र में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने उल्लेख किया है कि इसे लेकर जिले का जन मानस काफी आंदोलित हें और समय समय पर इस मांग को लेकर जनांदोलन भी होते रहें हैं। पिछले दिनों जब कांग्रेस महासचिव श्री राहुल गांधी जिले के प्रवास में आये थे तब उनके समक्ष भी जोरदार तरीके से इस मांग को रखा गया था। उन्होंने जिलें की जनता को आश्वस्त किया था कि शीघ्र ही इस मांग को पूरा किया जायेगा। राहुल जी के इस आश्वासन से जनता आश्वस्त हो गयी थी कि शीघ्र ही यह मांग पूरी हो जायेगी।
इंका नेता वर्मा ने पत्र में यह भी लिखा हैं कि जिले की जीवन दायिनी कही जाने वाली फोर लेन के इस मामले में बहुत अधिक आधारहीन नकारात्मक प्रचार प्रसार भी हो रहा हैं जिससे केन्द्र सरकार के संबंध में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि वह इसमें अड़गें लगा रही है। वैसे भी वर्तमान सड़क का पिछले पांच साल से रख रखाव नहीं होने के कारण यह सड़क इतनी अधिक खस्ता हाल हो गयी थी कि इस कारण एन.एच. 7 पर कई बार ना केवल जाम लगा वरन वाहन दुर्घटनाओं में कई लोगों की जान भी चली गयी थी। 
पत्र के अंत में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने अनुरोध किया है कि शीघ्र ही इस प्रस्ताव को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से स्वीकृति दिलाने का कष्ट करें ताकि शीघ्र यह महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना पूरी हो सके और समय और ईंधन बचाने के मूल मंत्र के तहत बन रहे इस कॉरीडोर का लाभ जनता को मिल सके।

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा . . .

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा . . .

(जाकिया ज़रीन)

हैदराबाद (साई)। उर्दू अदब में मीर और गालिब के बाद सबसे बड़ा नाम जो लिया जाता है, वह अल्लामा इकबाल का है. उन्होंने उर्दू कविता को न केवल दर्शन की गहराई में उतारा बल्कि कई ऐसे गीत लिखे जो भारत और पाकिस्तान में आज भी लोगों की जुबान पर खुद ब खुद चले आते हैं. इकबाल के तराने जहां भारत की आजादी के आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों में जोश भरते थे वहीं कई लोग मानते हैं कि उन्होंने द्विराष्ट्र सिद्धांत और पाकिस्तान के गठन को वैचारिक आधार प्रदान किया था.
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा, अली जावेद ने कहा सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा.. जैसा गीत लिखने वाला शायर हिंदुस्तान के बंटवारे की आवाज कभी नहीं उठायेगा. उन्होंने सिर्फ अलग राज्य बनाने की मांग रखी थी, जिसे बाद में तोड़-मरोड़ कर पाकिस्तान का मांग करनेवाला शायर कहा जाने लगा.प्रोफेसर अली जावेद ने कहा कि अल्लामा इकबाल को किसी मजहब या जुबान के खांचे से नहीं देखा जा सकता.
मुहम्मद इकबाल का जन्म नौ नवंबर 1877 को अविभाजित हिन्दुस्तान में हुआ था. इकबाल के दादा सहज सप्रू हिंदू कश्मीरी पंडित थे, जो बाद में सियालकोट में बस गये. उनकी प्रमुख रचनाओं में असरार-ए-खुदी, रुमुज ए बेखुदी और बंग-ए-दारा शामिल है. 21 अप्रैल 1938 को इकबाल की मृत्यु हो गयी.

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा . . .

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा . . .

(जाकिया ज़रीन)

हैदराबाद (साई)। उर्दू अदब में मीर और गालिब के बाद सबसे बड़ा नाम जो लिया जाता है, वह अल्लामा इकबाल का है. उन्होंने उर्दू कविता को न केवल दर्शन की गहराई में उतारा बल्कि कई ऐसे गीत लिखे जो भारत और पाकिस्तान में आज भी लोगों की जुबान पर खुद ब खुद चले आते हैं. इकबाल के तराने जहां भारत की आजादी के आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों में जोश भरते थे वहीं कई लोग मानते हैं कि उन्होंने द्विराष्ट्र सिद्धांत और पाकिस्तान के गठन को वैचारिक आधार प्रदान किया था.
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा, अली जावेद ने कहा सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा.. जैसा गीत लिखने वाला शायर हिंदुस्तान के बंटवारे की आवाज कभी नहीं उठायेगा. उन्होंने सिर्फ अलग राज्य बनाने की मांग रखी थी, जिसे बाद में तोड़-मरोड़ कर पाकिस्तान का मांग करनेवाला शायर कहा जाने लगा.प्रोफेसर अली जावेद ने कहा कि अल्लामा इकबाल को किसी मजहब या जुबान के खांचे से नहीं देखा जा सकता.
मुहम्मद इकबाल का जन्म नौ नवंबर 1877 को अविभाजित हिन्दुस्तान में हुआ था. इकबाल के दादा सहज सप्रू हिंदू कश्मीरी पंडित थे, जो बाद में सियालकोट में बस गये. उनकी प्रमुख रचनाओं में असरार-ए-खुदी, रुमुज ए बेखुदी और बंग-ए-दारा शामिल है. 21 अप्रैल 1938 को इकबाल की मृत्यु हो गयी.

मोबाईल से विरक्ती होने लगी लोगों को!


मोबाईल से विरक्ती होने लगी लोगों को!

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। देश में मोबाइल फोन की संख्या में कमी का ट्रेंड जारी है। बुधवार को ट्राई की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार लगातार तीसरे महीने में मोबाइल यूजर्स की संख्या में कमी आई है। अगर यही ट्रेंड रहा तो कुछ महीने पहले तक 1 अरब के आंकड़े को छूने जा रहे आंकड़े के 90 लाख से कम हो जाने की आशंका है।
टेलिकॉम इंडस्ट्री के जानकारों के कई कारणों से देश में मोबाइल की संख्या में कमी हो रही है। इनमें सबसे बड़ा कारण है 60 दिन लगातार बंद पड़े नंबर को डिसकनेक्ट करने का अभियान। इसके अलावा मोबाइल नंबर पोर्टिबलिटी में भी तेजी आई है, जिससे नए ग्राहक बनने कुछ कम हुए हैं। वहीं मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों ने हाल के दिनों में इस दिशा में खास अभियान छेड़ा भी नहीं है।
ताजे आंकड़ों के अनुसार देश में मोबाइल की संख्या 90 करोड़ 66 लाख है। एक महीने में इसमें 27 लाख की कमी दर्ज की गई है। अगर तिमाही का रिकार्ड देखा जाए तो इसमें दो करोड़ चालीस लाख की कमी दर्ज की गई है। इसके साथ ही साथ मोबाईल पोर्टेबिलिटी के लिए कुल 6 करोड़ पचास लाख आवेदन दिए गए हैं।