सोमवार, 28 मई 2012

देश को मिल सकता है नया रेलमंत्री!


देश को मिल सकता है नया रेलमंत्री!

मुलायम का अभ्युदय है ममता के लिए खतरे की घंटी

रेल मंत्रालय भी है नेताजी की पसंद

ममता को घेरने में जुटे पटेल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। बार बार कालर पकड़कर कांग्रेस के साथ गुण्डागर्दी से पेश आने वाली त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से अब कांग्रेस पीछा छुड़ाने आतुर नजर आ रही है। मुलायम की ओर पींगें बढ़ाने के साथ कांग्रेस के रणनीतिकारों द्वारा ममता बनर्जी को चारों ओर से घेरने की तैयारियां पूरी कर ली हैं। जल्द ही ममता बनर्जी के तेवर ढीले नजर आ सकते हैं। अगर सब कुछ सही सही हुआ और कोई विध्न नहीं आया तो देश को जल्द ही नया रेल मंत्री मिल सकता है।

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी की घुड़कियों से कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी आजिज आ चुकी हैं। वे बार बार ममता से पीछा छुड़ाना चाहती हैं पर केंद्र सरकार में सत्ता की मलाई चखने के लिए दो तिहाई बहुमत के जादुई आंकड़े के लिए उन्हें ममता बनर्जी की बेरहमियों को सहना मजबूरी है।

कांग्रेस की शह पर ही कांग्रेस के सांसद अधीर चौधरी द्वारा पेट्रोल की कीमत बढ़ने के मामले में विरोध करने पर ममता बनर्जी को आड़े हाथों लेते हुए ममता बनर्जी से दो टूक कह दिया है कि अगर वे इसके विरोध में हैं और उनमें हिम्मत है तो वे केंद्र में सरकार से समर्थन वापस क्यों नहीं ले लेती हैं?

कांग्रेस को सरकार चलाने के साथ ही साथ महामहिम राष्ट्रपति के चुनावों में सांसदों की तादाद भी आवश्यक है। मुलायम सिंह के 21 सांसद कांग्रेस का काम आसान करने में सक्षम दिख रहे हैं। हाल ही में वजीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए रात्रि भोज में मुलायम सिंह यादव चहकते नजर आए। मुलायम सिंह का कांग्रेस के बीच अभ्युद्य वास्तव में ममता बनर्जी के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की सौदेबाजी कांग्रेस को अभी रास नहीं आ रही है। मुलायम और ममता में अगर तुलना की जाए तो ममता कांग्रेस के लिए कम हानिकारक हैं। बताया जाता है कि मुलायम की सौदेबाजी का कोई स्तर नहीं होता है। मुलायम सौदेबाजी में किसी भी स्तर तक जा सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार मुलायम ने कांग्रेस से समर्थन के एवज में रेल मंत्रालय मांगा है। उधर, कांग्रेस भी इस बात के लिए तैयार है कि समाजवादी पार्टी को रेल मंत्रालय सौंप दिया जाए। इससे ममता बनर्जी से मुक्ति मिल सकती है। कांग्रेस ममता को एक और कैबनेट मंत्री का लोभ देकर रेल विभाग उससे वापस ले सकती है। गौरतलब है कि वैसे भी वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह को रेल मंत्री मुकुल राय कभी रास नहीं आए हैं।

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को मशविरा दिया है कि ममता को पश्चिम बंगाल में ही व्यस्त कर दिया जाए तो उनका केंद्र की ओर ज्यादा ध्यान नहीं जाएगा। इसके लिए ममता की धुर विरोधी दीपा दासमंुशी को पश्चिम बंगाल का कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर विचार किया जा रहा है। दीपा के अध्यक्ष बनने के बाद ममता पूरी तरह दीपा में उलझकर रह जाएंगी।

सियासी बाजीगर निकले गड़करी!


सियासी बाजीगर निकले गड़करी!

मोदी के सामने नतमस्तक हो, ताकतवर हुए गड़करी

एमपी में सियासी उठापटक की आशंका!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। मुंबई में भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी और गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। 23 मई तक मान मनौवल का दौर चलता रहा, पर मोदी नहीं माने अंततः संजय जोशी के इस्तीफे से इस नाटकीय प्रकरण का पटाक्षेप हुआ। सारे मामले में नितिन गड़करी की हार के बतौर देखने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है पर यह गड़करी का प्रबंधन है कि मीडिया में गड़करी को हार कर भी जीता बताया जा रहा है।

मुंबई में कार्यकारिणी की बैठक मे ंनरेंद्र मोदी के भाग ना लेने की खबरों ने नितिन गड़करी का पारा चढ़ा रखा था। गड़करी के ट्रबल शूटर ने इस मामले को हल किया। गड़करी के करीबी ने गुजरात के एक अरबपति व्यवसाई और एक एनआरआई को साधा। तेल के कारोबारी इस व्यवसाई एवं एनआरआई दोनों ही गुजरात सरकार को चलाने में परोक्ष तौर पर सक्रिय बताए जाते हैं। इन दोनों के माध्यम से अंत में मोदी सिद्ध हो ही गए।

सूत्रों का कहना है कि एनआरआई की गड़करी और मोदी दोनों से बराबर के संबंध हैं। गड़करी के लिए उक्त एनआरआई द्वारा एब्राड के हित साधे जाते हैं। इन दोनों ही से चर्चा के उपरांत मोदी को संजय जोशी की बली की शर्त पर मुंबई आने के लिए राजी िकिया गया। उधर, मोदी को बताया गया कि भाजपा उनके बिना अधूरी है अतः वे इस समय जैसा चाहे वैसा सौदा कर सकते हैं।

लो प्रोफाईल केरेक्टर नितिन गड़करी के पहले कार्यकाल में लोगों को लगा कि वे संघ से सांसे उधार लेकर चल रहे हैं। किन्तु जब दूसरी बार उनकी ताजपोशी की बात सामने आई तो गड़करी का दूसरा रूप देखने को मिला। नरेंद्र मोदी की जीत अवश्य हुई किन्तु इस मसले में संघ के निशाने पर रहने वाले नेताओं की हार भी इसमें छिपी हुई है।

अगले आम चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे करने की बात पर नितिन गड़करी की सहमति को उनकी हार के बतौर देखा जा रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि इसी तीर से संघ ने एल.के.आड़वाणी, सुषमा स्वराज, अरूण जेतली, वेंकैया नायडू, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह सरीसे घाघ नेताओं को पार्श्व में ढकेल दिया है।

गड़करी का प्रबंधन कौशल उस वक्त सामने आया जब संजय जोशी का त्यागपत्र, नरेंद्र मोदी का मुंबई पहुंचना आदि के बारे में गड़करी की हार प्रतिपादित किया गया, किन्तु मीडिया में इसे गड़करी की हार के बावजूद जीत निरूपित कर दिया गया। भाजपा के आला नेता गड़करी के इस गजब के मीडिया कौशल से हत्प्रभ ही नजर आ रहे हैं।

कंट्रोल ब्लास्टिंग नहीं हो रही झाबुआ पावर में!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  90

कंट्रोल ब्लास्टिंग नहीं हो रही झाबुआ पावर में!

ब्लास्ट के टुकड़े गिर चुके हैं मिश्रा के कार्यालय पर

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में कंट्रोल ब्लास्टिंग का अभाव साफ तौर पर देखा जा रहा है। असुरक्षित ब्लास्टिंग में जिला प्रशासन, खनिज विभाग और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों की भूमिका संदेहास्पद ही मानी जा रही है।
संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों का दावा है कि यहां निर्माण कार्य के दौरान होने वाले ब्लास्ट में दस मीटर की सीमा तय की गई है। कई मर्तबा तो ब्लास्ट इतने जबर्दस्त होते हैं कि मानकों को धता बताते हुए टुकड़े और पत्थर काफी दूर तक उड़ते नजर आते हैं।  बताया जात है कि अनेक बार ब्लास्ट के दौरान उड़ने वाले पत्थर संयंत्र में स्थित महाप्रबंधक के अस्थाई कार्यालय पर भी जाकर गिरे हैं।
सूत्रों के अनुसार ब्लास्ट का ठेका घंसौर के एक नेता नुमा ठेकेदार को दिया गया है। इसके साथ ही साथ घंसौर के एक अन्य ठेकेदार से ब्लास्ट का काम नहीं बनता है। इन ठेकेदारों द्वारा डिमोस्ट्रेशन भी नहीं दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो एक मर्तबा संयंत्र के तत्कालीन महाप्रबंधक द्वारा ठेकेदार से कहा गया कि वे 15 मीटर दूर खड़े हैं तब ब्लास्ट किया जाए। ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में उक्त ठेकेदार द्वारा संयंत्र के महाप्रबंधक मिश्रा की बात को अनसुना कर दिया गया था।
बताया जाता है कि एक स्थानीय नेता नुमा ठेकेदार के पास यहां सत्तर करोड़ रूपए से अधिक के निर्माण, ब्लास्ंिटग आदि के काम हैं, जिसके चलते स्थानीय स्तर पर होने वाली अनियमितताओं पर प्रशासन के साथ ही साथ पीसीबी के अधिकारी भी मौन साधे बैठे हैं।

(क्रमशः जारी)

विवादस्पद मुद्दों पर सहमति के जुगाड़ में दादा


विवादस्पद मुद्दों पर सहमति के जुगाड़ में दादा

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि केन्द्र खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अन्य विवादास्पद मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार वस्तु और सेवा कर लागू करने, खुदरा सहित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में उदारीकरण और दीर्घावधि निवेश के लिए वित्तीय बाजारों को मजबूत करने जैसे कई लम्बित मुद्दो पर आम सहमति की नीति बनाने की कोशिश कर रही है।

श्री मुखर्जी, कोलकाता में कल ग्लोबल इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत ने विकास के रास्ते में कठिन परिस्थितियों से उबरने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि देश बिना किसी बड़ी बाधा के संकट से निकल आया है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने नोट किया कि भारत ने अन्य देशों की तुलना में विकास की गति तेजी से बहाल की है। समग्र और सतत विकास की सरकार की प्राथमिकता पर जोर देते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिए एक व्यापक नीति पर जोर दे रही हैं।

धरे गए जगन


धरे गए जगन

(ऋतु सक्सेना)

हैदराबाद (साई)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले मे वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया है। तीन दिन की पूछताछ के बाद उन्हें कल शाम हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया है कि जगनमोहन रेड्डी को कथित रूप से आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के लिए गिरफ्तार किया गया है।

सीबीआई ने उन पर षड्यंत्र, धोखाधड़ी, विश्वासघात और खातों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उन्हें आज अदालत में पेश किया जाएगा। आंध्र प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अत्यधिक सतकर्ता का आदेश जारी किया गया है। हैदराबाद, विजयवाड़ा, विशाखापटनम, कड़प्पा और राज्य के अन्य प्रमुख स्थानों पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात की गई है। हैदराबाद पुलिस ने शहर में निषेधाज्ञा लागू कर दी है।