सोमवार, 28 मई 2012

सियासी बाजीगर निकले गड़करी!


सियासी बाजीगर निकले गड़करी!

मोदी के सामने नतमस्तक हो, ताकतवर हुए गड़करी

एमपी में सियासी उठापटक की आशंका!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। मुंबई में भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी और गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। 23 मई तक मान मनौवल का दौर चलता रहा, पर मोदी नहीं माने अंततः संजय जोशी के इस्तीफे से इस नाटकीय प्रकरण का पटाक्षेप हुआ। सारे मामले में नितिन गड़करी की हार के बतौर देखने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है पर यह गड़करी का प्रबंधन है कि मीडिया में गड़करी को हार कर भी जीता बताया जा रहा है।

मुंबई में कार्यकारिणी की बैठक मे ंनरेंद्र मोदी के भाग ना लेने की खबरों ने नितिन गड़करी का पारा चढ़ा रखा था। गड़करी के ट्रबल शूटर ने इस मामले को हल किया। गड़करी के करीबी ने गुजरात के एक अरबपति व्यवसाई और एक एनआरआई को साधा। तेल के कारोबारी इस व्यवसाई एवं एनआरआई दोनों ही गुजरात सरकार को चलाने में परोक्ष तौर पर सक्रिय बताए जाते हैं। इन दोनों के माध्यम से अंत में मोदी सिद्ध हो ही गए।

सूत्रों का कहना है कि एनआरआई की गड़करी और मोदी दोनों से बराबर के संबंध हैं। गड़करी के लिए उक्त एनआरआई द्वारा एब्राड के हित साधे जाते हैं। इन दोनों ही से चर्चा के उपरांत मोदी को संजय जोशी की बली की शर्त पर मुंबई आने के लिए राजी िकिया गया। उधर, मोदी को बताया गया कि भाजपा उनके बिना अधूरी है अतः वे इस समय जैसा चाहे वैसा सौदा कर सकते हैं।

लो प्रोफाईल केरेक्टर नितिन गड़करी के पहले कार्यकाल में लोगों को लगा कि वे संघ से सांसे उधार लेकर चल रहे हैं। किन्तु जब दूसरी बार उनकी ताजपोशी की बात सामने आई तो गड़करी का दूसरा रूप देखने को मिला। नरेंद्र मोदी की जीत अवश्य हुई किन्तु इस मसले में संघ के निशाने पर रहने वाले नेताओं की हार भी इसमें छिपी हुई है।

अगले आम चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे करने की बात पर नितिन गड़करी की सहमति को उनकी हार के बतौर देखा जा रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि इसी तीर से संघ ने एल.के.आड़वाणी, सुषमा स्वराज, अरूण जेतली, वेंकैया नायडू, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह सरीसे घाघ नेताओं को पार्श्व में ढकेल दिया है।

गड़करी का प्रबंधन कौशल उस वक्त सामने आया जब संजय जोशी का त्यागपत्र, नरेंद्र मोदी का मुंबई पहुंचना आदि के बारे में गड़करी की हार प्रतिपादित किया गया, किन्तु मीडिया में इसे गड़करी की हार के बावजूद जीत निरूपित कर दिया गया। भाजपा के आला नेता गड़करी के इस गजब के मीडिया कौशल से हत्प्रभ ही नजर आ रहे हैं।

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