बुधवार, 11 अगस्त 2010

कैसे निपटा जाएगा इन खिलाडियों से

‘‘खिलाडी‘‘ पूरी तरह तैयार हैं राष्ट्रमण्डल खेलों के लिए

भ्रष्टाचार के शोरगुल के बीच कहीं ‘‘विशेष खिलाड़ियों‘‘ को न भूल जाए सरकार

खेल के बाद होगी जांच, मतलब तब तक भ्रष्टाचार की खुली है छूट

(लिमटी खरे)

देश की नाक का सवाल बन चुके राष्ट्रमण्डल खेलों के लिए सरकार तैयार हो अथवा न हो, स्टेडियम तैयार हों या न हों, पर मेहमानवाजी के लिए ‘‘अपराधियों‘ ने अपनी कमर कस रखी है। कामन वेल्थ गेम्स देश की नाक बचा सकें या न बचा सकें पर आयोजन समिति से जुडे लोगों की सेहत पर इसका जबर्दस्त और अच्छा असर साफ दिखाई पडने लगा है। खेल में गफलत को लेकर होने वाले हंगामे के बाद सरकार रक्षात्मक मुद्रा में आ चुकी है। सरकार का कहना है कि खेल हो जाएं फिर करा ली जाएगी जांच। सरकार के कथन से साफ हो जाता है कि खेल के आयोजन तक जिसे भ्रष्टाचार करना है तब तक के लिए उसे खुली छूट है।

खेलों के आयोजन में होने वाली भीड़ भाड़ के बीच अपराधी पूरी मुस्तैदी से अपना अभ्यास कर रहे हैं। दिल्ली में चलने वाली ब्लू लाईन यात्री बसों में लोगांे की जेब तराशी का काम बहुतायत में हो रहा है। इतना ही नहीं सधे हाथों वाले ‘‘खिलाडियों‘‘ द्वारा जेब से मोबाईल पार कर देना आम बात हो गई है। एक आंकलन के अनुसार दिल्ली में नित्य ही सौ से ज्यादा मोबाईल चोरी होते हैं, चूंकि मोबाईल अब उतने मंहगे नहीं रहे अतः इनमें से कुछ ही चोरी की रिपोर्ट लिखवाते हैं। माना जाता है कि पुलिस के लफड़े में पड़ने से बेहतर है अपनी सिम को खराब बताकर दूसरी सिम इशू करवा ली जाए।

कुछ दिनों पूर्व होटल ताज पेलेस में एक जापानी व्यक्ति का लेपटाल, डिजिटल केमरा, एप्पल का आई पेड, डिजिटल डिक्शनरी, पासपोर्ट और अन्य इलेक्ट्रानिक सामान पार कर दिया गया था। घटना के डेढ माह बात उसकी एफआईआर दर्ज की गई। घटना के कुछ दिनों बाद उसे एक एसएमएस मिला कि उसका आईपेड किसी ने ठीक करवाने की गरज से सर्विस सेंटर ले जाया गया था। चूंकि उसका माबाईल नंबर उस आईपेड के खरीदी रिकार्ड में दर्ज था, अतः कंपनी ने उसे एसएमएस भेजा था।

इसके पहले भी अनेक वारदातों को अंजाम दे चुके हैं दिल्ली के ये मंझे हुए खिलाडी। पिछले साल 19 अगस्त को पहाडगंज में जापानी युवती का बैग छीन लिया गया था। 18 अगसत को नई दिल्ली में जापान से आई दो महिलाओं के साथ मारपीट की गई थी। 31 जुलाई को कनाट प्लेस पर स्थित पार्क होटल में दो रईसजादों ने विदेशी महिला के साथ बदसलूकी की थी। 06 जून को म्यांमार से आई एक महिला जो अपनी बेटी का इलाज करवाने कलावती सरन बाल अस्पताल गई थी के साथ रात के अंधेरे में अज्ञात शख्स ने बलात्कार कर लिया था। 03 अप्रेल को कनाट प्लेस पर ही दिनदहाडे बाईक सवारों ने डेनमार्क से आई महिला का बैग झपट लिया था।

राष्ट्र मण्डल खेलों के आयोजन के साथ देश की राजनैैतिक राजधानी दिल्ली में बढने वाले अपराध के ग्राफ को देखकर दिल्ली पुलिस ने कमर कसना आरंभ कर दिया है। दिल्ली में 22 नए थानों के साथ अब पुलिस थानों की संख्या 155 हो गई है। विडम्बना यह है कि दिल्ली पुलिस का आधे से अधिक बल ‘‘व्हीव्हीआईपी‘‘ की सेवाओं में ही खप जाता है। पीसीआर वेन में उंघते पुलिस कर्मियों को देखकर लगता है कि दिल्ली पुलिस के बल बूते नहीं है गेम्स के दौरान सुरक्षा मुहैया करवाना।

दिल्ली के रेल्वे स्टेशन और बस स्टेंड पर जेब तराशों का हुजूम लगा रहता है। एसा नहीं कि पुलिस को यह न पता हो कि कौन कौन इस धंधे में लिप्त है, बावजूद इसके पुलिस की चुप्पी आश्चर्यजनक है। इस मामले में एक पुराना वाक्या बहुत ही प्रासंगिक होगा। मुंबई में सालों पहले एक पुलिस उपायुक्त की तैनाती बाहर के किसी जिले से हुई। उसने रविवार को मुंबई पहुंचकर अपना आशियाना एक होटल को बना लिया। शाम ढलते ही जब वह घूमने निकला किसी ने उसका बटुआ पार कर दिया। डीसीपी महोदय सिविल ड्रेस में थाने पहुंचे और एफआईआर लिखाना चाहा।

थाने में बैठे दीवान जी ने उनसे पैसे मांगे। इस पर लाल पीले हो गए डीसीपी साहेब, और कहा अगर पैसे होते तो थाने आते ही क्यों? दीवान जी ने उनकी एक न सुनी, वहां से रूखसत कर दिया बिना एफआईआर लिखे ही। अगले दिन डीसीपी साहेब ने ड्रेस कसी और कार्यभार ग्रहण किया। फिर उसी थाने के एसएचओ और उन्हीं दीवान जी को तलब किया गया। वर्दी में साहब को देख दीवान जी की हवा निकल गई।

डीसीपी ने शाम को साढे चार बजे तक का समय दिया और उनका खोया बटुआ ढूंढकर लाने का फरमान सुनाया। फिर क्या था, दीवान जी ने जमीन आसमान एक कर दिया। इलाके के सारे जेब तराशों को बुला भेजा। साहब का बटुआ चार बजे ही उनकी टेबल पर सही सलामत पहुंच गया। तब साहेब ने कहा पुलिस को सब पता होता है कि कौन कहां क्या करता है, पर पुलिस मुस्तैद नहीं रहती है।

यही आलम दिल्ली का है। दिल्ली पुलिस को सब पता है कि कौन सा चोर किस इलाके में हाथ साफ कर रहा है। दिल्ली सरकार के फरमान के बाद भी आज तक सत्तर फीसदी किराएदारों का सत्यापन नहीं कराया गया है। इनके बारे में पुलिस को इत्तला नहीं की गई है। आज भी न जाने कितने तरह के लोग दिल्ली में कहां कहां से आकर रह रहे हैं इस बारे में कोई नहीं जानता है।

कामन वेल्थ गेम्स में सबसे खतरनाक बात तो यह है कि गेम्स पर दहशतगर्दों का साया पड सकता है। देश की खुफिया एजेंसियों को राष्ट्रमण्डल खेलों पर आतंकी खतरे के सकेत भी मिले हैं। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि गुुजरात के समुद्री रास्ते से अनेक आतंकी सरहद पार से भारत में घुस आए हैं। एजेंसियों ने एक दर्जन आतंकवादियों के मुरादाबाद पहुंचने की पुष्टि कर दी है। इन आतंकियों के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में घुसने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि डीजीपी ने मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, गुप्तचर इकाई के अधिकारियों सहित पुलिस को इस मामले की इत्तला देकर चोकस रहने को कहा है। कामन वेल्थ गेम्स के साथ ही साथ देश के अनेक नेता हैं इन आतंकवादियों के निशाने पर।

समय रहते अगर दिल्ली पुलिस ने अपना शिकंजा नहीं कसा तो कामन वेल्थ गेम्स में आने वाले मेहमान भारत गणराज्य की मेजबानी में होने वाले इस महाआयोजन का जो विकृत चेहरा लेकर वापस जाएंगे, उससे जरूर देश की नाक नीची होने से कोई रोक नहीं सकेगा। इससे आने वाले समय में देश में आने वाले टूरिस्ट की संख्या में अगर कमी आ जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

अंको से मिलेगी केवीएस के बच्‍चों को निजात

केंद्रीय विद्यालय में भी होगी ग्रेडिंग प्रणाली

सभी कक्षाओं में लागू होगा सीसीई सिस्टम

रिपोर्ट कार्ड का प्रारूप तय करेगा केवीएस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। प्राप्तांक के टेंशन से जल्द ही केंद्रीय विद्यालय के विद्यार्थी मुक्त हो जाएंगे। आने वाले समय मंे केंद्रीय विद्यालय संगठन में सतत समग्र मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई) लागू हो जाएगी। वर्तमान में कक्षा नवमी और दसवी के लिए लागू सीसीई अब सभी कक्षाओं में लागू होगी। केवीएस की इस कार्ययोजना में अगर कोई फच्चर नहीं फसा तो आने वाले समय में विद्यार्थियों को नंबर के स्थान पर ग्रेड मिला करेंगे।

केवीएस के सूत्रों का कहना है कि सीसीई को केंद्रीय विद्यालयों में चालू शैक्षणिक सत्र 2010 - 20011 से कक्षा छटवीं से दसवीं तक लागू किया जाएगा। जबकि दूसरी से पांचवी कक्षा के लिए प्रथक से गाईड लाईन जारी की जाएंगी। केंद्रीय विद्यालय संगठन की यह अभिनव योजना केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की कक्षा नवमी और दसवीं में लागू की गई है, को सभी कक्षाओं में लागू करने की है। सूत्रों ने कहा कि यह वर्तमान शिक्षा सत्र से कक्षा छटवीं से दसवीं तक लागू हो जाएगी।

सूत्रों का कहना है कि कक्षा नवमी और दसवीं के लिए यह प्रणाली सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर ही लागू की जाएगी, एवं अन्य कक्षाओं के लिए कार्ययोजना का खाका केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा तैयार किया जाएगा। इसके तहत विद्यार्थियों की प्रतिभा और प्रदर्शन का आंकलन अब नंबर के स्थान पर ग्रेड के मुताबिक किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि केवीएस के शिक्षा अधिकारी पी.वी.साईरंगाराव ने इस आशय के दिशा निर्देश समस्त केंद्रीय विद्यालयों के प्राचार्य को जारी कर दिए हैं।

इस परिपत्र में कहा गया है कि विद्यार्थियों का समेटिव और फार्मेटिव असिसमेंट किया जाए। फार्मेटिव असिसमेंट साल में चार बार किया जाएगा। इसमें दस दस प्रतिशत के हिसाब से कुल चालीस फीसदी और समेटिव असिसमेंट दो बार कर इसमें तीस तीस फीसदी अंकों के साथ साठ फीसदी अंक प्रदान किए जाएंगे। यह मूल्यांकन अप्रेल से सितम्बर आर अक्टूबर से मार्च के बीच के प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा। पहला और तीसरा फार्मेटिव असिसमेंट लिखित परीक्षण तो दूसरा और चौथा अलिखित होगा। इसकी रूपरेखा तय करने के लिए शाला प्रबंधन स्वतंत्र होगा।

फोरलेन विवाद का सच ------------06

सद्भाव को मिला तरफदारी का ईनाम!

नरसिंहपुर छिंदवाड़ा नागपुर और सिवनी छिंदवाडा फोरलेन सडक निर्माण सद्भाव की झोली में

जबर्दस्त पेनाल्टी वसूलने के मूड में हैं सड़क निर्माण कंपनियां

सड़कों के उड़े धुर्रे, फोरलेन बचाने आगे आए ठेकेदार और जनसेवक मौन

उत्तर दक्षिण गलियारे का सिवनी जिले में दक्षिण दिशा में खवासा तक सड़क का निर्माण करा रही सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी को विवादित हिस्से के अलावा भी काम रोकने के पारितोषक के रूप में सिवनी से छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर से बरास्ता छिंदवाड़ा, नागपुर फोरलेन के निर्माण का काम भूतल एवं राजमार्ग परिहन मंत्रालय द्वारा सौंप दिया गया है। यद्यपि यह काम उसे निविदा के आधार पर मिला है, पर माना जा रहा है कि सिवनी से होकर जाने वाले फोरलेन का काम अवरूद्ध करने के ईनाम के तौर पर सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह महती जवाबदारी मिली है।

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सिवनी से होकर गुजरने वाले फोरलेन के लगभग नौ किलोमीटर का हिस्सा विवादित माना जा रहा है, किन्तु मोहगांव से खवासा तक लगभग तीस किलोमीटर के निर्माण का काम यहां काम करा ही निर्माण कंपनी सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा रोका गया है। लगभग दो साल से रूके इस काम को आरंभ करवाने में सिवनी के सांसद और विधायक नाकामयाब रहे किन्तु सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सिवनी से छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा नागपुर सड़क के निर्माण का ठेका लेने में कामयाबी हासिल कर ली है।

गौरतलब है कि पेंच टाईगर रिजर्व और रक्षित वन के मसले के चलते तत्कालीन जिला कलेक्टर सिवनी पिरकीपण्डला नरहरि द्वारा 18 दिसंबर 2008 को जारी और 19 दिसंबर 2008 को पृष्ठांकित आदेश में मोहगांव से खवासा तक के वन और गैर वन क्षेत्रों से पेडों की कटाई का काम रोक दिया था। इसके पूर्व वन विभाग ने सडक का निर्माण करा रहे ठेकेदार द्वारा पेडों की कटाई करने पर 2008 के अक्टूबर माह में ही वन अपराध के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया था।

बताया जाता है कि इसी बीच राजधानी भोपाल की एक निजी फर्म ने सद्भाव से पेटी पर सड़क निर्माण का काम लिया था। शहर में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार उक्त भोपाल की फर्म ने सद्भाव से अपने प्लांट आदि लगाने के लिए पांच करोड़ रूपए की राशि अग्रिम भी ले ली थी। अब जबकि लंबे समय से सड़क के निर्माण का काम आरंभ नहीं हुआ है, तब उक्त फर्म द्वारा सद्भाव पर हर्जाने का दावा भी किया गया बताया जाता है।

बताया जाता है कि सड़क निर्माण की निविदा की शर्तों में इस बात का उल्लेख साफ तौर पर किया गया है कि अगर निर्धारित समयावधि पूरी होने पर काम ठेकेदार की ओर से पूरा नहीं किया जाता है तो इसका हर्जाना ठेकेदार को भरना होगा और अगर कमी सरकार की ओर से होगी तो इसमें ठेकेदार द्वारा सरकार से हर्जाना वसूलने का पूरा पूरा अधिकार होगा। इस मामले में ठेकेदार की पांचों उंगलियां घी में हैं। इसमें हर्जाने का प्रतिशत बहुत तगडा रखा गया है।

फोरलेन बचाने का ठेका लेने वाले नेताआंे ने भी अब तक कुछ इस तरह की उपजाउ भूमि तैयार की है ताकि ठेकेदार को हर्जाना वसूलने में काफी आसानी हो। एक अनुमान के अनुसार 18 दिसंबर 2008 से अब तक बीस माह हो चुके हैं, और इन बीस माहों में ठेकेदार को मिलने वाली हर्जाने की रकम कई सौ करोड़ में पहुंच जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

इसी तरह बताया जाता है कि फोरलेन निर्माण की निविदा शर्ताें में इस बात का भी उल्लेख है कि जब तक सडक के निर्माण का काम पूरा नहीं हो जाता है तब तक अधूरी या पुरानी सड़क का रखरखाव का जिम्मा भी संबंधित ठेकेदार का ही होगा। विडम्बना यह है कि दो सालों में सड़क के उड़े धुर्रों ने जिला वासियों के वाहनों का कचूमर निकाल दिया है, पर इस पर आंसू बहाने की फुर्सत न तो फोरलेन बचाने वाले ठेकेदारों को है और न ही जनसेवकों को।

बहरहाल लगभग बीस माह से रूके इस सड़क निर्माण को किसी षणयंत्र के तहत रोका गया है, इस बात को कमोबेश सभी मानने लगे हैं। इस षणयंत्र का हिस्सा बनने का पारितोषक सिवनी से खवासा तक का निर्माण करा रही सद्भाव कंपनी को सिवनी से ंिछंदवाड़ा और नरसिंहपुर से ंिछंदवाड़ा होकर नागपुर जाने वाले फोरलेन के काम को सौंपकर दिया गया हैं। यह ठेका निविदा के माध्यम से दिया गया बताया जाता है, किन्तु सिवनी की फिजा में तैर रही चर्चाओं के अनुसार सद्भाव के कुछ उच्च पदस्थ कारिंदे कुछ माहों से चिल्ला चिल्ला कर इस काम को हासिल होने का दावा करते आ रहे थे।

शिक्षा माफिया की जद में सीबीएसई (11)

इक्कीसवीं सदी में भी बिना पंखे, कंप्यूटर के संचालित हो रहा है सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल
 
सिवनी। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का प्रलोभन दिखाकर पालक और विद्यार्थियों को जमकर लूटा जा रहा है, और प्रशासन की तंद्रा है कि टूटने का नाम नहीं ले रही है। सिवनी में संचालित होने वाली सीबीएसई की कतार में लगी शालाएं भले ही सीबीएसई से संबद्ध न हो पाई हों पर उसके नाम पर विद्यार्थियों को लुभाने में लगी हुई हैं। राज्य शासन की ओर से सिवनी में बिठाए गए जिला शिक्षा अधिकारी अगर सिवनी की शालाओं का औचक निरीक्षण कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करें तो इन शालाओं की अनियमितताओं के प्रकाश में आने में समय नहीं लगेगा।
 
सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल के बच्चों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार सीबीएसई के भय के चलते इस शाला ने आनन फानन में शाला का वर्ष 2010 - 2011 का शैक्षणिक सत्र शहर से लगभग सात किलोमीटर दूर जबलपुर रोड पर स्थानांतरित कर दिया है। शाला नए भवन में स्थानांतरित हुए लगभग एक माह से अधिक समय बीत चुका है, पर शाला प्रशासन ने अपने विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं भी मुहैया नहीं करवाई गई हैं।

सतही तौर पर अगर गौर फरमाया जाए तो इस शाला में खेल के मैदान के दक्षिणी दिशा के नाले पर बाउंड्री वाल का काम अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। गौरतलब है कि बारिश के मौसम में नाले में पानी का बहाव बहुत ही ज्यादा होता है। खुले मैदान में अगर छोटी कक्षा के बच्चे खेलते खेलते नाले तक जा पहुंचे तो किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही साथ बारिश में नाले से आने वाले कीट पतंगों और विषेले जीव जंतुओं को भी रोका नहीं जा सकता है। इस अनजाने खतरे से न केवल विद्यालय प्रशासन वरन् जिला प्रशासन भी अनिभिज्ञ है।
 
बार बार ध्यानाकर्षण के उपरांत विद्यालय प्रशासन द्वारा एक सिक्यूरिटी गार्ड की तैनाती अवश्य ही करवा दी गई है, पर इन सारे मामलात में जिला प्रशासन की भूमिका समझ से परे ही है। सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल के बच्चों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार बारिश के मौसम में उमस ने बच्चों को बेचेन कर रखा है, इसका कारण बडे कमरों में पंखों का अभाव ही है। कहा जा रहा है कि बिजली और अन्य खर्च को बचाने के चक्कर में सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल प्रशासन द्वारा अपने कक्षों में पर्याप्त मात्रा में पंखों को नहीं लगवाया गया है।

यहां एक बात और भी गौरतलब है कि सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल सिवनी द्वारा सीबीएसई के डंडे के डर से जिला मुख्यालय में कचहरी चौक के पास संचालित होने वाली शाला को आनन फानन शहर के बाहर निर्माणाधीन भवन में स्थानांतरित अवश्य कर दिया है, पर विद्यार्थियों के नए सत्र जो कि 20 जून से आरंभ हुआ था के एक माह बीतने के बाद भी संगणक (कम्पयूटर्स) को शोभा की सुपारी बनाकर पुराने कचहरी चौक के पास वाले भवन में ही संस्थापित किया हुआ है। जिसके परिणाम स्वरूप पहले यूनिट टेस्ट के आरंभ होने के साथ ही विद्यालय के बच्चे इक्कसवीं सदी में कम्पयूटर की प्रायोगिक शिक्षा से पूरी तरह महरूम ही हैं।

एक तरफ तो सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल विद्यालय प्रशासन द्वारा अपनी शाला को माध्यमिक शिक्षा मण्डल अर्थात मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड के स्थान पर केंद्रीय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शाला में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं करवाई जाना आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।

इस सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात तो यह है कि शाला में इस तरह की अनियमितताएं होने पर भी जिला शिक्षा अधिकारी के साथ ही साथ जिला प्रशासन द्वारा मुकर्रर प्रभारी अधिकारी अर्थात ओआईसी डिप्टी कलेक्टर द्वारा के कानों में भी इस मामले में जूं नहीं रेंग पा रही है। विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के पालकों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार शाला प्रशासन से इन अधिकारियों की स्वार्थपूर्ति होने के चलते ही संभवतः शासन के मुलाजिमों ने शाला प्रशासन को अभिभावकों की जेबें काटने का लाईसेंस प्रदान किया हुआ है।
 
(क्रमशः जारी)