बुधवार, 11 अगस्त 2010

फोरलेन विवाद का सच ------------06

सद्भाव को मिला तरफदारी का ईनाम!

नरसिंहपुर छिंदवाड़ा नागपुर और सिवनी छिंदवाडा फोरलेन सडक निर्माण सद्भाव की झोली में

जबर्दस्त पेनाल्टी वसूलने के मूड में हैं सड़क निर्माण कंपनियां

सड़कों के उड़े धुर्रे, फोरलेन बचाने आगे आए ठेकेदार और जनसेवक मौन

उत्तर दक्षिण गलियारे का सिवनी जिले में दक्षिण दिशा में खवासा तक सड़क का निर्माण करा रही सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी को विवादित हिस्से के अलावा भी काम रोकने के पारितोषक के रूप में सिवनी से छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर से बरास्ता छिंदवाड़ा, नागपुर फोरलेन के निर्माण का काम भूतल एवं राजमार्ग परिहन मंत्रालय द्वारा सौंप दिया गया है। यद्यपि यह काम उसे निविदा के आधार पर मिला है, पर माना जा रहा है कि सिवनी से होकर जाने वाले फोरलेन का काम अवरूद्ध करने के ईनाम के तौर पर सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह महती जवाबदारी मिली है।

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सिवनी से होकर गुजरने वाले फोरलेन के लगभग नौ किलोमीटर का हिस्सा विवादित माना जा रहा है, किन्तु मोहगांव से खवासा तक लगभग तीस किलोमीटर के निर्माण का काम यहां काम करा ही निर्माण कंपनी सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा रोका गया है। लगभग दो साल से रूके इस काम को आरंभ करवाने में सिवनी के सांसद और विधायक नाकामयाब रहे किन्तु सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सिवनी से छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा नागपुर सड़क के निर्माण का ठेका लेने में कामयाबी हासिल कर ली है।

गौरतलब है कि पेंच टाईगर रिजर्व और रक्षित वन के मसले के चलते तत्कालीन जिला कलेक्टर सिवनी पिरकीपण्डला नरहरि द्वारा 18 दिसंबर 2008 को जारी और 19 दिसंबर 2008 को पृष्ठांकित आदेश में मोहगांव से खवासा तक के वन और गैर वन क्षेत्रों से पेडों की कटाई का काम रोक दिया था। इसके पूर्व वन विभाग ने सडक का निर्माण करा रहे ठेकेदार द्वारा पेडों की कटाई करने पर 2008 के अक्टूबर माह में ही वन अपराध के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया था।

बताया जाता है कि इसी बीच राजधानी भोपाल की एक निजी फर्म ने सद्भाव से पेटी पर सड़क निर्माण का काम लिया था। शहर में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार उक्त भोपाल की फर्म ने सद्भाव से अपने प्लांट आदि लगाने के लिए पांच करोड़ रूपए की राशि अग्रिम भी ले ली थी। अब जबकि लंबे समय से सड़क के निर्माण का काम आरंभ नहीं हुआ है, तब उक्त फर्म द्वारा सद्भाव पर हर्जाने का दावा भी किया गया बताया जाता है।

बताया जाता है कि सड़क निर्माण की निविदा की शर्तों में इस बात का उल्लेख साफ तौर पर किया गया है कि अगर निर्धारित समयावधि पूरी होने पर काम ठेकेदार की ओर से पूरा नहीं किया जाता है तो इसका हर्जाना ठेकेदार को भरना होगा और अगर कमी सरकार की ओर से होगी तो इसमें ठेकेदार द्वारा सरकार से हर्जाना वसूलने का पूरा पूरा अधिकार होगा। इस मामले में ठेकेदार की पांचों उंगलियां घी में हैं। इसमें हर्जाने का प्रतिशत बहुत तगडा रखा गया है।

फोरलेन बचाने का ठेका लेने वाले नेताआंे ने भी अब तक कुछ इस तरह की उपजाउ भूमि तैयार की है ताकि ठेकेदार को हर्जाना वसूलने में काफी आसानी हो। एक अनुमान के अनुसार 18 दिसंबर 2008 से अब तक बीस माह हो चुके हैं, और इन बीस माहों में ठेकेदार को मिलने वाली हर्जाने की रकम कई सौ करोड़ में पहुंच जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

इसी तरह बताया जाता है कि फोरलेन निर्माण की निविदा शर्ताें में इस बात का भी उल्लेख है कि जब तक सडक के निर्माण का काम पूरा नहीं हो जाता है तब तक अधूरी या पुरानी सड़क का रखरखाव का जिम्मा भी संबंधित ठेकेदार का ही होगा। विडम्बना यह है कि दो सालों में सड़क के उड़े धुर्रों ने जिला वासियों के वाहनों का कचूमर निकाल दिया है, पर इस पर आंसू बहाने की फुर्सत न तो फोरलेन बचाने वाले ठेकेदारों को है और न ही जनसेवकों को।

बहरहाल लगभग बीस माह से रूके इस सड़क निर्माण को किसी षणयंत्र के तहत रोका गया है, इस बात को कमोबेश सभी मानने लगे हैं। इस षणयंत्र का हिस्सा बनने का पारितोषक सिवनी से खवासा तक का निर्माण करा रही सद्भाव कंपनी को सिवनी से ंिछंदवाड़ा और नरसिंहपुर से ंिछंदवाड़ा होकर नागपुर जाने वाले फोरलेन के काम को सौंपकर दिया गया हैं। यह ठेका निविदा के माध्यम से दिया गया बताया जाता है, किन्तु सिवनी की फिजा में तैर रही चर्चाओं के अनुसार सद्भाव के कुछ उच्च पदस्थ कारिंदे कुछ माहों से चिल्ला चिल्ला कर इस काम को हासिल होने का दावा करते आ रहे थे।

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