शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

महिला शिक्षिका परेशान, बच्चे खा रहे जूते और गालियां

प्रधान पाठक पर लगाए शिक्षिका और विद्यार्थियों ने संगीन आरोप
(अरूण चंद्रौल/रफीक खान)
केवलारी (साई)। केवलारी तहसील में सब कुछ सामान्य नजर नहीं आ रहा है। केवलारी विकासखण्ड के ग्राम कंचनवाड़ा की प्राथमिक शाला में आताताई प्रधान पाठक की हरकतों से महिला शिक्षिका और विद्यार्थी आजिज आ चुके हैं। प्राचार्य पर महिला शिक्षिका के साथ छेड़छाड़ और बच्चों को जूतों से पीटने, गाली बकने के संगीन आरोप लगे हैं।
मध्य प्रदेश शासन के मुखिया तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी अधूरी छूटी हुई घोषणाओं, वादों को पूरा करने में लगे हैं, और लाडली लक्ष्मी, स्कूल चलंे हम, छात्रवृत्ति, गणवेश, मध्यान्ह भोजन, निःशुल्क शिक्षा सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में दिये जाने के लिए भरसक प्रयास करते चले आ रहे है। शिक्षा धन प्रदान करने के लिये अनेंकों योजनाओं के माध्यम से उनका प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है, जिनका लाभ ग्रामीण क्षेत्र के कोने-कोने में बसे बसाहटों के निर्धन छात्रा-छात्राओ को मिल सकें, ऐसा प्रयास किया जा रहा है। दूसरी तरफ उनके इन सब सार्थक प्रयासों पर पानी फेरने के लिए विकास खण्ड केवलारी में एक शिक्षा मन्दिर ऐसा है, जहां पर विद्यार्थियों को शिक्षा के बदले जूते और गालियां मिल रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विकास खण्ड केवलारी के ग्राम कंचनवाड़ा की प्राथमिक शाला में तीन शिक्षक पदस्थ हैं, जिसमें से एक प्रधान पाठक टेकचन्द उइके हैं। बतौर एच.एम. की हरकतों से वे सदा ही चर्चा का विषय ही बने हुए हैं। प्रधान पाठक की हरकतों के चलते आज पालक शिक्षक संघ अध्यक्ष धरमसिंग उइके, भोलाशंकर बिसेन जनपद सदस्य सहित चमरूलाल, अंजनी, सुमेन्द्र, सविता दमाहे, फूलकली, रेखाबाई, गंगोत्री, लक्ष्मी, गायत्री बाई, अनीता, शांता बाई चन्द्रकला, कुन्ती बाई, राजकुमार, फूलबती, रतना बाई सहित अन्य पालकगणों ने प्राथमिक शाला पहुंचकर पंचनामा तैयार किया।
इस पंचनामा में कहा गया है कि आज दोपहर वे सभी शाला में पहुंचे और बच्चांे से मिले। इस दल को बच्चों ने बताया कि हर दिन मध्यान्ह भोजन तो समय से मिलता है, किन्तु शाला के प्रधान पाठक टेकचन्द उइके शाला में नहीं आते। बच्चों ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि हेड मास्टर साहेब जब आते भी हैं तो महज एक या दो घण्टे रूकते हैं।
बच्चों ने आगे बताया कि प्रधान पाठक आते हैं और बच्चों के साथ जूते चप्पल, छड़ी डस्टर, जो भी हाथ में आ जाए उससे पीट पीट कर बुरा हाल कर देते हैं। इतना ही नहीं बच्चों को प्रधान पाठक द्वारा गंदी-गंदी गालियां भी बकी जाती हैं।
बच्चों ने बताया कि उन्हें अमानवीय तरीके से डराया धमकाया जाता है। इसमें आगे लेख किया गया है कि कु.रंजीता देशमुख शिक्षिका से जानकारी लेने पर बताया गया कि प्रधान पाठक टेकचन्द उइके उपस्थिति रजिस्टर में ओडी लेकर केवलारी गए हैं। जब दल ने उपस्थिति रजिस्टर देखा तो ज्ञात हुआ कि टेकचन्द उइके के नाम के आगे 5 और 6 फरवरी को सीएल ओडी लिखा है। इसके साथ ही साथ 7 फरवरी में सीएल लिखा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच दल के प्रतिवेदन में लेख किया गया है कि दूसरे सहायक शिक्षक धनश्याम बसोड़ी केवलारी डाइट में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। अध्ययनरत छात्राओं ने बताया कि उनके प्रधान पाठक हमेशा गुस्से में रहते हैं, आते हैं तो गाली गलौच कर चूता चप्पल मारते हैं और टेबिल पर सिर रखकर सो जाते हैं। कुछ देर रूकने के बाद वह स्कूल छोड़कर चले जाते हैं।
बच्चों के अनुसार प्रधान पाठक द्वारा उन्हें पढ़ाया नहीं जाता है। वहीं दूसरी ओर एक महिला शिक्षिका ने बताया कि वे प्रधान पाठक टेकचन्द उइके से बहुत परेशान हो गई हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें शैक्षणिक कार्य करने में परेशानी हो रही है, आये दिन प्रधान पाठक उनके साथ अनावश्यक रूप से अश्लील टीका टिप्पणी, छीटा कशी करते हुए जलील करते चले आ रहे हैं, जिसके कारण वे मानसिक रूप से बेहद तनावग्रस्त चल रहीं हैं।
उक्त शिक्षिका के अनुसार प्रधान पाठक का व्यवहार उक्त शिक्षिका के प्रति कतई अच्छा नहीं है। उन्होंने मौके पर पहुंचे जांच दल को बताया कि प्रधान पाठक उनकी उपस्थिति पंजी की उपस्थिति को काटकर अनुपस्थित दर्शा देते हैं। इतना ही नहीं उन्होेंने प्रधान पाठक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधान पाठक द्वारा उक्त महिला शिक्षिका के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है, वह भी विद्यार्थियों के सामने। उक्त महिला शिक्षिका के अनुसार प्रधान पाठक उन्हें झूठे आदिवासी मामलों में फंसाने की धमकी भी दिया करते हैं।
उक्त महिला शिक्षिका ने बताया कि उनके द्वारा 11 जून 2013 को ऑनलाईन आवेदन क्रमांक 69049 द्वारा जिला कलेक्टर सिवनी को, 10 जून 2013 को जिला शिक्षा अधिकारी सिवनी को, 24 अप्रैल 2013 को थाना प्रभारी महिला अपराध प्रकोष्ठ सिवनी को, 29 अगस्त 2013 को राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा को भी लिखित शिकायत भेजी जा चुकी है।
हैरान परेशान उक्त महिला शिक्षिका का कहना है कि बार-बार शिकायत के बाद भी उसकी सुनवाई नहीं होने से उसका मनोबल टूटने लगा है। उक्त पीड़ित महिला शिक्षिका ने कहा कि बार-बार शिकायत के बाद भी पता नहीं क्यों उच्चाधिकारी कार्यवाही से कतरा रहे हैं। उक्त शिक्षिका की पीड़ा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने आत्महत्या पर मजबूर होने तक की बात कह डाली।