शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

झाबुआ पावर करेगा पहले से ही प्रदूषित नर्मदा को और गंदा

आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर . . . 9

झाबुआ पावर करेगा पहले से ही प्रदूषित नर्मदा को और गंदा

नर्मदा का पीएच दर्ज किया गया 9.02

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। तरह तरह के प्रदूषणों के चलते पुण्य सलिला नर्मदा अपने उदगम अमरकंटक से दाहोद के बीच बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। इसका पीएच 9.02 दर्ज किया गया है जो मानक से कहीं अधिक है। संस्कारधानी जबलपुर के समीप बरगी बांध के मुहाने पर लगने वाले मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कोल आधारित पावर प्लांट से इसका प्रदूषण कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।
प्रचलित मान्यता यह है कि यमुना का पानी सात दिनों में, गंगा का पानी छूने से, पर नर्मदा का पानी तो देखने भर से पवित्र कर देता है। साथ ही जितने मंदिर व तीर्थ स्थान नर्मदा किनारे हैं उतने भारत में किसी दूसरी नदी के किनारे नहीं है। लोगों का मानना है कि नर्मदा की करीब ढाई हजार किलोमीटर की समूची परिक्रमा करने से चारों धाम की तीर्थयात्रा का फल मिल जाता है। परिक्रमा में करीब साढ़े सात साल लगते हैं।
जाहिर है कि लोगों की परंपराओं और धार्मिक विश्वासों में रची-बसी इस नदी का महत्व कितना है। लेकिन दुर्भाग्य से जंगल तस्करों, बाक्साइट खदानों और हमारी विकास की भूख से यह वादी इतनी खोखली और बंजर हो चुकी है कि आने वाले दिनों में उसमें नर्मदा को धारण करने का सार्म्थय ही नहीं बचेगा। इसकी शुरुआत नर्मदा के मैलेपन से हो चुकी है।
मजे की बात है कि सरकार का जल संसाधन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण मंडल नदी जल में प्रदूषण की जांच करता है और प्रदूषण स्तर के आंकड़े कागज़़ों में दर्ज कर लेता है, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए सरकार कोई भी गंभीर उपाय नहीं कर पाता है। सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अमरकंटक और ओंकारेश्वर सहित कई स्थानों पर नर्मदा जल का स्तर क्षारीयता पानी में क्लोराईड और घुलनशील कार्बनडाईऑक्साइड का आंकलन करने से कई स्थानों पर जल घातक रूप से प्रदूषित पाया गया।

भारतीय मानक संस्थान ने पेयजल में पीएच 6.5 से 8.5 तक का स्तर तय किया है, लेकिन अमरकंटक से दाहोद तक नर्मदा में पीएच स्तर 9.02 तक दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट है कि नर्मदाजल पीने योग्य नहीं है और इस प्रदूषित जल को पीने से नर्मदा क्षेत्र में गऱीब और ग्रामीणों में पेट से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां फैल रही है, इसे सरकारी स्वास्थ्य विभाग भी स्वीकार करता है। जनसंख्या बढऩे, कृषि तथा उद्योग की गतिविधियों के विकास और विस्तार से जल स्त्रोतों पर भारी दबाव पड़ रहा है।

कांग्रेसियों को भय कि कहीं भारी ना पड़ जाए ‘प्यारेलाल कांग्रेस‘

कांग्रेसियों को भय कि कहीं भारी ना पड़ जाए प्यारेलाल कांग्रेस

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। सिवनी में कांग्रेस के अंदर ही अंदर चल रही चर्चाएं अब सार्वजनिक होने लगी हैं। लोगों का मानना है कि कांग्रेस के साथ ही साथ चल रही समानांतर यानी पैरेलल जिसे मजाक में कां्रग्रेसी प्यारेलाल (पैरेलल) कांग्रेस भी कह रहे हैं वास्तविक कांग्रेस पर भारी ना पड़ जाए।
कांग्रेस द्वारा गत दिवस जारी सूची में पांच स्थाई एवं 10 विशेष आमंत्रित सदस्यों का समावेश किया गया है। इस सूची को लेकर ही कांग्रेस के अंदर जमकर घमासान मच गया है। सालों से कांग्रेस का झंडा डंडा, दरी फट्टा उठाने वाले नेताओं को यह सूची और प्यारेलाल कांग्रेस का रवैया रास नहीं आ रहा है।

सदस्यता रिन्यू नहीं, कैसे बना दिया आमंत्रित!
एक सांध्य दैनिक ने अपनी खबर में इस बात का उल्लेख किया है कि इस सूची में शामिल सुबोध मालू की सदस्यता का रिन्यूवल लंबे समय से नहीं किया गया है, एवं इन्हें इस सूची में शामिल कर लिया गया है। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि सुबोध मालू की सदस्यता दस साल से रिन्यू ही नहीं हुई है।

अंधेरे में रखा जा रहा है नाथ को
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के करीबी अबरार अहमद को सिवनी का प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अबरार अहमद की इस सूची को फायनल कराने में महती भूमिका रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि दरअसल, सिवनी में अबरार अहमद को कुछ नेताओं ने हाईजेक कर लिया है। देर रात चलने वाली बैठकों में सोडे की डकारों और धुएं के छल्लों के बीच कांग्रेस की भविष्य की रणनीति तय की जाती है। कहा जा रहा है कि इन सारे मामलों में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ को अंधेरे में ही रखा जा रहा है। चर्चा है कि कांग्रेस के कुछ नेता षणयंत्र के तहत पहले फोरलेन के लिए परोक्ष रूप से कमल नाथ को दोषी ठहराते हुए लोगों को उकसाते रहे, फिर बाद में अब अबरार अहमद को मिसगाईडकर कमल नाथ के खिलाफ कांग्रेस में ही माहौल बनाने का जतन कर रहे हैं।

कांग्रेस से निष्काशित बन गए सदस्य!
कांग्रेस के एक अन्य नेता ने भी नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि इस समिति के एक अन्य सदस्य कांग्रेस से निष्काशित हैं। उन्होंने बताया कि मोहम्मद आरिफ को पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू के खिलाफ कुल्हाड़ी का काम करने पर कांग्रेस से निष्काशित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि इनकी बहाली अब तक कांग्रेस में नहीं की गई है, फिर कैसे इन्हें समिति का सदस्य बना दिया गया है।

इस संबंध में जब जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी (9425176341) से वास्तविकता का पता करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाईल स्विच्ड आफ मिला।

किसकी सदस्यता रिन्यू हुई किसकी नहीं, इस बात के बारे में जिला अध्यक्ष ही आपको बता सकते हैं। वैसे बूथ वाईज सदस्यता पंजी देखकर ही बताया जा सकेगा कि किसकी सदस्यता हुई किसकी नहीं। रही बात मो.आरिफ के निष्काशन की तो उनके निष्काशन को वापस लिया गया या नहीं इस बारे में भी जिला अध्यक्ष ही आपको पूरी जानकारी दे पाएंगे। सिवनी प्रभारी मोहम्मद अबरार ने हमसे भी इस बारे में मशविरा किया गया था।

इमरान पटेल, नगर अध्यक्ष, शहर कांग्रेस कमेटी, सिवनी

बारूद के ढेर पर है सिवनी!

बारूद के ढेर पर है सिवनी!

(शरद खरे)

दीपोत्सव और चुनाव दोनों ही नजदीक हैं। सिवनी में बात बात पर हत्याएं हो रही हैं। लोग खुलेआम हथियार लेकर घूमते दिख जाते हैं। शाम ढलते ही लोग शराब के नशे में झूमते दिख जाते हैं। देर रात तक चौक चौराहों पर लोग शराब के नशे में बर्राते नजर आते हैं। सिवनी शहर में कभी भी किसी भी दुर्घटना के घटने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका कारण शहर में जहां तहां एक्सप्लोसिव एक्ट का उल्लंघन ही प्रमुख वजह माना जाएगा। शहर के अंदर फटाखों के अलावा बारूद का ढेर लगा हुआ है। हाल ही में महावीर मढिया के सामने अनुग्रह गैस एजेंसी के बाजू में एक गोदाम में बड़ी तादाद में माचिस के खोके उतारे गए। राहगीरों की आपत्ति के बाद पुलिस ने लारी के कागज बुलवा लिए किन्तु इसके बाद क्या कार्यवाही हुई इस बारे में सिवनी पुलिस मौन ही है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में जब सिवनी में मीनाक्षी शर्मा जिला पुलिस अधीक्षक थीं, उस वक्त एन बुधवारी बाजार से लगे दारोगा मोहल्ले में बारूद फटने से एक व्यक्ति के चिथड़े उड़ गए थे। वह घर पर बारूद क्यों रखा हुआ था? घर पर वह बारूद के साथ खेल रहा था या फिर बम बना रहा था, डेटोनेटर बना रहा था, इस बारे में सिवनी पुलिस ने मौन ही साधे रखा था। पिछले दिनों सिवनी में हड्डी गोदाम से बड़ी तादाद में बम गोले असलाह बरामद हुआ था। इसके तार दारोगा मोहल्ला के हादसे से जुड़ सकते हैं। हो सकता है दारोगा मोहल्ला में भी बन बनाने का काम चल रहा हो। सिवनी में बड़ी संख्या में बम मिलना वाकई चिंताजनक ही माना जाएगा।
सिवनी शहर में घनी आबादी में अगर इस तरह के हादसे हो रहे हों तो यह निश्चित तौर पर पुलिस की असफलता ही मानी जाएगी। बार बार चेताने के बाद भी किराएदारी या मुसाफिरी दर्ज कराना आवश्यक ना बनाया जाना और इसको कड़ाई से लागू ना किया जाना वाकई आश्चर्यजनक ही कहा जाएगा। कुछ माह पूर्व पुलिस महानिरीक्षक संजय झा ने जिले में किराएदारी की सूचना देना और मुसाफिरी दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया था। दो वर्ष पूर्व भाजपा के युवा नेता नरेंद्र ठाकुर ने मुसाफिरी और किराएदारी अनिवार्य कराने की मांग की थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई है। आज भी आई जी के निर्देशों के बाद भी पुलिस प्रशासन इस दिशा में ध्यान नहीं दे रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक संजय झा के आदेश के उपरांत भी सिवनी में किराएदारी के सत्यापन का काम अभी तक आरंभ नहीं हो सका है, जो वाकई अपने आप में आश्चर्यजनक के साथ ही साथ अनेक संदेहों को जन्म देने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। दक्षिण भारत का एक कातिल हत्यारा सिवनी की अभिषेक कालोनी में ना केवल रहकर चला गया वरन् नगर पालिका परिषद ने सारी सीमाएं पार कर उसका राशन कार्ड तक बना दिया था। सिवनी शहर में माचिस का बल्क में स्टोरेज भी किसी दिन किसी अनहोनी को जन्म दे सकता है। इसका सबसे खतरनाक पहलु यह है कि यह आबादी वाला क्षेत्र है। साथ ही साथ महज दस कदम पर ही अनुग्रह गैस एजेंसी है। सिवनी में फटाखा व्यवसाई भी अपना माल कहां रखते हैं यह बात भी शोध का ही विषय है।
क्या कभी जिला प्रशासन ने कभी फटाखा व्यवसाईयों से यह पूछने की जहमत उठाई है कि वे अपना स्टोरेज कहां रखते हैं। दीपावली के पहले फटाखा व्यवसाईयों को ज्वलनशील फटाखे बेचने के लिए लाईसेंस दिया जाता है। दीप पर्व और ग्यारस के उपरांत जिन फटाखा व्यवसाईयों को लाईसेंस दिया जाता है उनसे यह पूछने की जहमत भी प्रशासन नहीं उठाता कि उनके पास कितना माल बचा है और वह उन्होंने कहां खुर्द बुर्द किया है।
सिवनी शहर के हड्डी गोदाम और बारापत्थर की एकता कालोनी में बम मिले और आरोपी भी। इसका मतलब साफ है कि अब शहर का कोई भी क्षेत्र सुरक्षित नहीं बचा है। हर ओर डर ही डर है कि पुलिस की मुखबिर सूचना तंत्र के पंगु होने के चलते और नेताओं तथा मीडिया पर्सन्स की अनावश्यक तांक झांक और दबाव के कारण ही शहर के हालात बद से बदतर हो चुके हैं।
पिछले दिनों एक के बाद एक हत्याएं होती रहीं, शहर दहल गया पर नहीं दहला तो पुलिस प्रशासन। जिले भर में अवैध शराब का विक्रय खुलेआम हो रहा है। ठेकेदार पुलिस की मिली भगत से गांव गांव में चार पहिया वाहन लगाकर शराब को बेच रहे हैं। लखनादौन, घंसौर, केवलारी, छपारा, आदेगांव यहां तक कि बादलपार में भी अवैध शराब बिकने की खबरें आम हो गई हैं। दो माह पहले हुई जिला सर्तकर्ता समिति की बैठक में भी यह बात जमकर उछली थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि आज संपन्न हुई जिला योजना समिति की बैठक में एक बार फिर प्रभारी मंत्री को अवैध शराब के लिए ताकीद करना पड़ रहा है। जाहिर है कि जिले में आबकारी और पुलिस महकमा इन दिनों शराब ठेकेदारों के हाथों में नाच रहा है।

दीपावली और विधानसभा चुनाव दोनों ही जल्द होने वाले हैं। दीपावली में पटाखों का भण्डारण होगा, तो चुनाव में मसल पावर दिखाने के लिए हथियारों का जमकर इस्तेमाल हो सकता है। पुलिस ने असमाजिक तत्वों की फेहरिस्त तैयार कर ली है, जो सात आठ सौ के करीब बताई जा रही है। पता नहीं क्यों पुलिस इन्हें अपना मेहमान बनाने के लिए चुनाव की आचार संहिता लगने का इंतजार कर रही है। अगर कोई अवैध काम में लिप्त है तो उसे तो तत्काल ही धर दबोच लेना बेहतर होगा। इसके साथ ही साथ जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से एक ही अपेक्षा है कि वह अपना गोपनीय सूचना तंत्र मजबूत करे, एवं साथ ही साथ किराएदारी तथा मुसाफिरी दर्ज करवाने के काम को प्राथमिकता के आधार पर संपन्न करवाया जाए, ताकि शहर में अमन चैन वापस लौट सके और नागरिक एक बार फिर चैन की सांस ले सकें।