सोमवार, 7 अप्रैल 2014

बिना घोषणा पत्र चल रहे प्रत्याशी!

बिना घोषणा पत्र चल रहे प्रत्याशी!

कांग्रेस, भाजपा का घोषणा पत्र नदारत!

(अखिलेश दुबे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बिना घोषणा पत्र के ही चुनावी समर में उतरे हुए हैं। घोषणा पत्र के अभाव में प्रत्याशी अपनी पार्टी की रीति-नीति ही स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं। बालाघाट और सिवनी लोकसभा क्षेत्रों में भी दोनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशियों द्वारा कार्यकर्ताओं से घोषणापत्र के बारे में मुंह ही चुराया जा रहा है।
भाजपा के नेशनल हेडक्वार्टर 11, अशोक रोड में चल रही चर्चाओं के अनुसार भाजपा का घोषणापत्र वैसे तो तैयार है पर भाजपा के नए चेहरे नरेंद्र मोदी के ग्रीन सिग्नल के अभाव में इसे जारी नहीं किया जा पा रहा है। अगर भाजपा द्वारा इसे सात अप्रैल को जारी नहीं किया जाता है तो यह चुनाव आयोग के हंटर के दायरे में आ सकता है। गौरतलब है कि बालाघाट और मण्डला संसदीय क्षेत्र में 10 अप्रैल को मतदान होना है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी तो हो गया है किन्तु यह प्रिंट होकर अभी तक पर्याप्त मात्रा में कांग्रेस मुख्यालय नहीं पहुंच सका है। अब जब यह मुद्रित होकर आएगा उसके बाद इसे राज्यों की इकाई को भेजा जाएगा, जहां से इसे लोकसभा क्षेत्रों में भेजा जाएगा।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो से महेश रावलानी ने बताया कि भाजपा में कार्यकर्ताओं द्वारा घोषणा पत्र का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा जब भी अपने प्रत्याशी से घोषणा पत्र की बात की जाती है तो प्रत्याशी द्वारा बात बदल दी जाती है।
वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार घोषणा पत्र के बारे में सीना तानकर कहते हैं कि उनकी पार्टी का घोषणा पत्र जारी हो गया है। पर जब उनसे यह पूछा जाता है कि कार्यकर्ताओं को घोषणा पत्र कब मिलेगा? के जवाब में ये कहते हैं कि आज का युग हाईटेक है, इंटरनेट पर घोषणा पत्र है। कार्यकर्ता निकालें और पढ़ लें। सवाल यह उठता है कि कार्यकर्ता तो पढ़ लेगा पर जनता को क्या दिखाएगा?

वहीं, कांग्रेस मुख्यालय 24, अकबर रोड पर कांग्रेस के एक नेता का कहना था कि प्रत्याशियों को चाहिए था कि अगर उन्हें घोषणा पत्र नहीं मिला तो वे इंटरनेट से उसकी पीडीएफ फाईल निकलवाकर उसे मुद्रित करवा लेते। कम से कम कार्यकर्ताओं और जनता के सामने उनकी भद्द पिटने से तो बच जाती।

भाजपा की रैली में हजारों के पेट्रोल की चर्चाएं

भाजपा की रैली में हजारों के पेट्रोल की चर्चाएं

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। भारतीय जनता पार्टी के बालाघाट संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी बोध सिंह भगत के समर्थन में युवाओं द्वारा निकाली गई मोटर सायकल रैली की चर्चाएं गली मोहल्ले में जमकर चल रही हैं।
भाजपा के एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि गत दिवस युवाओं द्वारा भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में एक वाहन रैली निकाली गई। इस रैली में लगभग एक दर्जन मोटर सायकल चल रही थीं। मोटर सायकल की संख्या देखकर भाजपा के प्रत्याशी असहज ही महसूस करते रहे।

उक्त नेता ने बताया कि जब वाहन रैली के पीयूएल के बारे में भाजपा नेताओं को बताया गया तो महज एक दर्जन मोटर सायकल में पांच अंकों की बड़ी राशि का पीयूएल डलवाए जाने की बात सामने आई तो वे भी भौंचक्के रह गए।

चुनाव में सिवनी को अछूता रखा प्रत्याशियों ने

चुनाव में सिवनी को अछूता रखा प्रत्याशियों ने

वोट देने का मन नहीं हो रहा: अधिवक्ता शर्मा

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। बालाघाट और मण्डला संसदीय क्षेत्र में दस अप्रैल को मतदान होना है। कांग्रेस भाजपा सहित अन्य दलों के उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी जमावट चुनाव हेतु लगभग जमा ही ली है पर कोई भी प्रत्याशी सिवनी के लिए क्या करेगा? इस मामले में वे मौन ही साधे हुए हैं। हर कोई राष्ट्रीय स्तर पर ही बहस जारी रखे हुए है।
गौरतलब है कि नब्बे के दशक के उपरांत सिवनी का पिछड़ापन किसी से छिपा नहीं है। नब्बे के दशक तक सिवनी के कलश में जो भी उपलब्धियां आईं उसके बाद सिवनी को जो कुछ भी मिला वह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रहा है। सिवनी न तो संभाग बन पाया, न ही यहां ब्रॉडगेज की सीटी बज पाई और फोरलेन आई भी तो वह आई जैसी लग ही नहीं रही है।
प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा द्वारा सिवनी के संदर्भ में न तो भविष्य की कोई योजनाएं ही बताई जा रही हैं, और न ही उनकी पार्टी के पूर्व सांसदों द्वारा किए गए कार्यों को ही रेखांकित किया जा रहा है। सियासी दलों के इस तरह के क्रियाकलापों के कारण मतदाता का मन अगर पार्टियों से ऊब जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
वहीं, अनेक लोगों का मन मतदान से उचाट होता दिख रहा है, तो अनेक लोग नोटा पर ही अपनी आस लगा रहे हैं। मतदान 10 अप्रैल को है, मीडिया में भी बार-बार चीख पुकार करने के बाद ही प्रत्याशियों के नामांकन आदि की सूचनाएं मिलीं जो जनता तक पहुंची। कहां कितने प्रत्याशियों ने कौन-कौन से शपथ पत्र भरे हैं, इस बारे में भी सिवनी का मीडिया अनजान ही है।

सिवनी लोकसभा सीट नहीं है, फोर लेन की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिख रही है, ब्रॉड गेज को शायद मै अपने जीवन काल में देख नहीं सकता। अधिकारियों का कहर जनता पर टूट रहा है। कहने को तो जिले मे दो सांसद हैं, पर पिछले पांच साल उन्होंने पलट कर नहीं देखा। कई साल से कोई मंत्री नहीं है। जब हमारी आवाज सुनने वाला ही कोई नहीं है तो इस बार वोट देने का मन नहीं हो रहा है।
पंकज शर्मा,

वरिष्ठ अधिवक्ता.

सिवनी और जबलपुर के मध्य फायनल मुकाबला आज से

13 वर्ष आयु समूह क्रिकेट प्रतियोगिता
हनी और सत्यम पर टिकीं नजरें
(अब्दुल राजिक कुरैशी)
सिवनी (साई)। सिवनी की टीम ने जबलपुर में खेली जा रही 13 वर्ष आयु समूह की संभागीय क्रिकेट प्रतियोगिता के फायनल में प्रवेश कर लिया है। इस प्रतियोगिता के सात अप्रैल से खेले जाने वाले दो दिवसीय फायनल में सिवनी का मुकाबला अब जबलपुर के साथ खेला जाएगा।
गौरतलब होगा कि इस प्रतियोगिता के अपने पहले मुकाबले में सिवनी ने छिंदवाड़ा की टीम को खेल के हर क्षेत्र में परास्त करते हुए उसे प्रतियोगिता से बाहर का रास्ता दिखाया था। इसके बाद बालाघाट के विरूद्ध खेले गए सेमी फायनल मुकाबले में सिवनी की टीम ने एक बार फिर अपने कौशल का प्रदर्शन करते हुए बालाघाट को निहायत ही एकतरफा मुकाबले में परास्त करते हुए फायनल में खेलने की पात्रता हासिल कर ली है। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि इस सेमी फायनल मुकाबले के हीरो सिवनी के वत्सल (हनी) नागलकर रहे।
बालाघाट के विरूद्ध खेले गए सेमीफायनल मुकाबले में सिवनी की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। हालाकि सिवनी की टीम की शुरूआत अच्छी नहीं रही और उसके शीर्ष क्रम के तीन बल्लेबाज 32 के अल्प स्कोर पर ही पवैलियन लौट चुके थे।
ऐसी विषम परिस्थितियों में बल्लेबाजी करने उतरे वत्सल (हनी) नागलकर ने सत्यम मर्सकोले के साथ मिलकर मैदान संभाला और दोनों ही बल्लेबाजों ने समझदारी पूर्वक खेलते हुए पहले तो सुरक्षात्मक रूख अख्तियार किया और विकटों के पतन के सिलसिले को रोका। दोनों ही बल्लेबाजों ने क्रीज पर जमने के बाद गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए मैदान के चारों तरफ आकर्षक प्रहार करते हुए रन बटोरना शुरू किया।
सत्यम मर्सकोले और वत्सल नागलकर ने मिलकर पांचवे विकेट के लिए 140 रन जोड़े। दोनों ही बल्लेबाजों ने अपने-अपने अर्द्धशतक भी बनाए। सत्यम ने सात चौकों की सहायता से जहां 65 रन बनाए वहीं वत्सल ने भी 53 रनों का योगदान दिया। इस तरह कमजोर शुरूआत के बाद भी सत्यम और वत्सल की जिम्मेदारी भरी पारी की बदौलत सिवनी की टीम निर्धारित 40 ओवरों में 203 रन बनाने में सफल रही।
मुकाबले के दूसरे हिस्से में भी सिवनी के खिलाड़ी एक बार फिर आक्रमक तेवरों के साथ मैदान पर उतरे और उन्होंने जवाबी पारी खेलने उतरी बालाघाट की टीम को सस्ते में ही हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। वत्सल नागलकर ने शानदार गेंदबाजी करते हुए छः विकेट झटके, उनका बखूबी साथ देते हुए आर्यन और गजेन्द्र ने भी दो-दो विकेट हासिल किए। बालाघाट की टीम मात्र 90 रन ही बना सकी और इस तरह सिवनी ने यह मुकाबला 113 रनों से जीत लिया।
सिवनी की टीम के फायनल में प्रवेश करने पर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राजकुमार ‘पप्पू‘ खुराना एवं सचिव अरविंद दीक्षित ‘गुरू‘ ने बधाइयां एवं शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए फायनल में भी शानदार प्रदर्शन की अपेक्षाएं की हैं। यहां यह उल्लेखनीय होगा की सिवनी के इस शानदार प्रदर्शन में टीम के मैनेजर हिमांशु सतनामी का भी बड़ा योगदान है जो खिलाड़ियों का निरंतर ही उत्साहवर्धन करते हुए समय-समय पर उचित मार्गदर्शन भी दे रहे हैं।

गर्मी में खून के आंसू रूलाती नगर पालिका

गर्मी में खून के आंसू रूलाती नगर पालिका

(शरद खरे)

अप्रैल महीने का पहला सप्ताह बीतने को है। सदा की भांति शहर में पानी का संकट सर चढ़कर बोल रहा है। दशकों बीत गए पर नगर पालिका प्रशासन द्वारा जिला मुख्यालय के निवासियों को शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने की योजना अब तक न तो बनाई गई है और न ही किसी योजना को पूरी तरह मूर्तरूप ही दिया गया। नब्बे के दशक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा सुआखेड़ा जलावर्धन योजना का श्रीगणेश किया गया था। इसमें यह बात प्रमुख थी कि इसके आरंभ होते ही जिला मुख्यालय के निवासियों को दिन में दो बार पर्याप्त पानी मिल सकेगा।
इस योजना के आरंभ हुए सालों बीत गए पर दो तो क्या एक वक्त भी पर्याप्त पानी लोगों को मयस्सर नहीं हो पा रहा है। पालिका हर बार बिजली के बिल, तो कभी जलकर की कम दरों का रोना रोकर अपना पल्ला झाड़ने का असफल प्रयास करती है। कहते हैं कि जब राजेश त्रिवेदी ने वर्तमान नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष की आसनी संभाली थी, उस वक्त उन्होंने शहर भर के सार्वजनिक नलों की सूची बुलवाई थी और मातहतों को निर्देश दिए थे कि सार्वजनिक नलों को जिन्होंने अपने-अपने घरों के अंदर कर लिया है, उनके नलों को काट दिया जाए। इस पर अमल भी हुआ किन्तु चुन-चुनकर। उस वक्त जिन्होंने चुनाव में अध्यक्ष की मुखालफत की थी उनके नलों को काट दिया गया था।
 आज पानी के मामले में आज़ाद भारत में ब्रितानी हुकूमत की यादें ताजा हो रही हैं। वयोवृद्ध हो चुकी पीढ़ी बताती है कि गुलामी के दौर में घोड़ों पर बैठकर आने वाले ब्रितानी गोरों द्वारा साफ तौर पर कहा जाता था कि पानी पिलाने की जवाबदेही गोरी सरकार की नहीं है। इसके परिणाम स्वरूप उस समय घरों-घर, मोहल्ले-मोहल्ले कुएं बावली अस्तित्व में आई थीं। आज़ादी के बाद यह व्यवस्था बदली। नगर पालिकाओं के जिम्मे नागरिकों को स्वच्छ पेयजल मुहैया करवाने की जवाबदेही आहूत हुई।
वर्तमान में नगर पालिका परिषद पूरी तरह निकम्मी ही साबित होती दिख रही है। नगर में पानी की त्राहि-त्राहि मची हुई है और पालिका प्रशासन कुंभकर्णीय निंद्रा में सो रहा है। न तो अध्यक्ष को चिंता है, न उपाध्यक्ष को और न ही चुने हुए पार्षदों को। विवेकानंद वार्ड में पानी की दिक्कत को समझा जा सकता है। यहां पानी की सप्लाई फिल्टर प्लांट वाली टंकी से होती है। पालिका के कारिंदों का कहना है कि यहां की टंकी से, पहले अध्यक्ष के निवास स्थान वाले वार्ड में पानी का प्रदाय होता है उसके बाद विवेकांनद वार्ड में बचे खुचे पानी को भेज दिया जाता है। जाहिर है यहां पानी की किल्लत होना ही है।

शहर में चार बड़े और दो छोटे तालाब हैं। पालिका का ध्यान इस ओर कतई नहीं है। पालिका में तो निर्माण कार्य का काम मुस्तैदी से संपन्न होता है। कहा जाता है कि कमीशन के गंदे धंधेके कारण यह होता है। वस्तुतः शहर वासियों को पानी वह भी साफ पानी मुहैया करवाना पालिका की जवाबदेही है। बेहतर होगा कि तालाबों के पास बोरिंग करवाई जाए जिससे यहां के नलकूप तालाब के पानी से रीचार्ज हों एवं नागरिकों को टैंकर या ट्यूब वेल के माध्यम से साफ पानी मुहैया हो सके।

आयोग का हंटर, हटाए गए छिंदवाड़ा कलेक्टर

आयोग का हंटर, हटाए गए छिंदवाड़ा कलेक्टर

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। लोकसभा चुनवा के मद्देनजर चुनाव आयोग ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। लगातार शिकायत मिल रही शिकायतों को देखते हुए चुनाव आयोग ने छिंदवाड़ा कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी को हटा दिया है।
इस संबंध में आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिए है कि रविवार शाम पांच बजे तक चौधरी को हटाकर उनके स्थान पर 2005 बैच के आईएएस संजीव सिंह को छिंदवाड़ा का कार्यभार सौंपा जाए। जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी को मंत्रालय में उपसचिव के पद पर पदस्थ करने के आदेश जारी किए गए है।

आयोग के सूत्रों का कहना है कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार कमलनाथ के वाहनों को जबरन जब्त करना और कार्यकर्ताओं को परेशान करने की शिकायत जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गंगाप्रसाद तिवारी ने आयोग से की थी। उन्होंने दो दिन पहले शिकायत में बताया था कि श्री चौधरी द्वारा भजपा के प्रभाव के कारण परेशान किया जा रहा है। आयोग ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए श्री चौधरी को छिंदवाड़ा से हटा दिया है। उनके स्थान पर अब संचालक कोशल उन्नयन संजीव सिंह को पद संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है।

एस.एम.एस. द्वारा वोटर लिस्ट में अपनी स्थिति जान सकेंगे मतदाता

एस.एम.एस. द्वारा वोटर लिस्ट में अपनी स्थिति जान सकेंगे मतदाता

(सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। भारत निर्वाचन आयोग ने नागरिकों को मतदाता सूची में अपना नाम होने की जानकारी एस.एम.एस. द्वारा भी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की है।
मतदाता मोबाइल से एस.एम.एस. भेजकर अपना मतदान केन्द्र एवं मतदाता सूची में किस सरल क्रमांक पर नाम है, की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। कोई भी मतदाता किसी भी मोबाइल से 51969 पर एस.एम.एस. कर मतदाता सूची में अपना नाम होने तथा मतदान केन्द्र की जानकारी प्राप्तस कर सकेगा।

प्रक्रिया अनुसार मोबाइल पर एस.एम.एस. बॉक्स में जाकर अंग्रेजी भाषा में केपीटल एमपी टाइप कर एक स्पेस देकर ईपीआईसी टाइप करना होगा (बिना गेप के)। उसके बाद एक स्पेस देकर कार्ड पर दिया गया नंबर टाइप कर उसे 51969 पर एस.एम.एस. करना होगा। एस.एम.एस. करने पर मतदाता का नाम किस मतदान केन्द्र पर व किस सरल क्रमांक पर है, उसका रिटर्न मेसेज मोबाईल पर प्राप्त होगा। मतदाताओं से एस.एम.एस. की सुविधा का उपयोग कर अपने मतदान केन्द्र का नाम एवं मतदाता सूची में सरल क्रमांक इत्यादि की जानकारी मोबाईल पर प्राप्त करने का अनुरोध किया गया है।

भारत डेविस कप वर्ल्ड प्ले समूह के लिए क्वॉलिफ़ाइ किया

भारत डेविस कप वर्ल्ड प्ले समूह के लिए क्वॉलिफ़ाइ किया

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। भारत की डेविस कप टीम ने कोरिया पर उसकी ही सरजमीं पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर वर्ल्ड ग्रुप प्ले ऑफ में प्रवेश किया। सोमदेव देववर्मन ने रविवार को एशिया ओसनिया के मुकाबले में योंग क्यू लिम को हरा दिया। सोमदेव ने पहला उलट एकल 6-4 , 5-7 , 6-3 , 6-1 से अपने नाम किया, जिससे भारत 3-1 से जीत गया। इस जीत के साथ ही दूसरा उलट एकल का कोई मतलब नहीं रह गया और उसे रद्द कर दिया गया।
भारतीय टीम के सदस्य सनम सिंह ने ट्वीट किया, ‘सोमदेव देववर्मन ने शानदार प्रयास किया और हमें कोरिया के खिलाफ जीत दिलायी।रोहन बोपन्ना ने भी ट्वीट किया, ‘आक्रामक सोमदेव।बोपन्ना ने शनिवार को महत्वपूर्ण युगल में साकेत मायनेनी के साथ मिलकर जीत दर्ज की थी और भारत को बढ़त दिलायी थी।

सोमदेव ने पहले दिन भी कठिन मुकाबले में जीत हासिल की थी। भारत के नंबर एक खिलाड़ी सोमदेव को उनके कभी हार नहीं मानने के जज्बे के लिये काफी सराहा जाता है और रविवार को फिर उन्होंने कोरिया के शीर्ष एकल खिलाड़ी के खिलाफ ऐसा ही खेल दिखाया। लिम ने शुरुआती एकल मैच में सनम सिंह को पराजित किया था, लेकिन वह सोमदेव के सामने नहीं टिक सके। भारत ने इस जीत के साथ ही कोरिया के खिलाफ अपने ओवरऑल रिकार्ड में भी सुधार किया, जो अब 4-6 हो गया है।

कांग्रेस में कामकाज ले चापलूसी की जगह: जयराम रमेश

कांग्रेस में कामकाज ले चापलूसी की जगह: जयराम रमेश

(मोदस्सिर कादरी)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से युवा टीम बनाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी में कामकाज को परिक्रमा (चापलूसी) की जगह लेनी चाहिए।
70 साल की उम्र में सभी कांग्रेसी नेताओं को संन्यास लेने का सुझाव देने वाले रमेश ने राहुल गांधी को लंबी रेस का घोड़ा (मैराथन मैन) बताया है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने रमेश के 70 साल की उम्र मंभ संन्यास वाले बयान से खुद को दूर कर लिया था।
जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी के पास पार्टी को फिर से संगठित करने की योजना है और उनके पास युवा टीम होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कामकाज को परिक्रमा की जगह लेनी चाहिए। हमने परिक्रमा की राजनीति काफी देखी है। अब कामकाज की राजनीति होनी चाहिए।राजनीतिक भाषा में परिक्रमा का मतलब चापलूसी होता है।
पार्टी के सीनियर लीडर रमेश ने कहा कि राहुल के पास पार्टी के लिए योजना और नजरिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष कैंडिडेट्स के सिलेक्शन की प्रक्रिया बदलना चाहते हैं। राहुल का प्राइमरीकॉन्सेप्ट पार्टी के कार्यकर्ता को शक्ति देने की प्रक्रिया की शुरुआत है।
70 साल की उम्र में संन्यास के नजरिये पर रमेश ने कहा कि वह यह बात रखना चाहते थे कि अलग-अलग पृष्ठभूमि से पार्टी में और युवा चेहरे आने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘राजनीति में, सभी स्तरों पर हमें नई पृष्ठभूमियों से नये लोगों को लाना चाहिए। यह कुछ लोगों का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। हमें निरंतर रूप से संगठन को नया बनाना चाहिए।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले रमेश ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि वह अपवाद नहीं हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ने विपक्ष में बैठने का मन बना लिया है और अब नरेंद्र मोदी को रेस कोर्स रोड तक पहुंचने से रोकने का प्रयास कर रही है, रमेश ने कहा कि ऐसा नहीं है।

रमेश ने कहा, ‘यह काल्पनिक प्रश्न है। अगर जनता जनादेश देती है, हम सरकार बनाते हैं। अगर वे बीजेपी को जनादेश देते हैं तो हम विपक्ष में बैठेंगे।जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ‘हम 1998 से 2004 तक विपक्ष में बैठे और अगर आप विपक्ष में कांग्रेस और विपक्ष में बीजेपी को देखें तो हमारा रेकॉर्ड ज्यादा रचनात्मक रहा है।

गूगल ला रहा है हाई स्पीड इंटरनेट वाला मोबाइल नेटवर्क!

गूगल ला रहा है हाई स्पीड इंटरनेट वाला मोबाइल नेटवर्क!

(एडविन अमान)

नई दिल्ली (साई)। हाई-एंड स्मर्ा्टफोन लेने के बावजूद यूजर्स इंटरनेट स्पीज्ड की समस्या से जूझते नजर आते हैं। हालांकि, इंटरनेट की स्पीड फोन से ज्यादा मोबाइल नेटवर्क पर निर्भर करती है, लेकिन फिर भी अगर आप फोन पर इंटरनेट की स्लो स्पीइड से परेशान हैं तो आपके लिए एक अच्छीे खबर है। मशहूर टेक्नॉलजी कंपनी गूगल अब मोबाइल नेटवर्क के क्षेत्र में उतरने का मन बना रही है।
दुनिया को सबसे सफल मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ऐंड्रॉयडऔर सर्च इंजन गूगल सर्चदेने वाली कंपनी गूगल ने अब मोबाइल नेटवर्क मार्केट में उतरने का फैसला किया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अब खुद का वायरलेस नेटवर्क शुरू करने की योजना बना रही है, जो यूजर को फोन करने से लेकर, मेसेज भेजने और इंटरनेट का इस्तेनमाल करने की सुविधा देगी। गूगल अमेरिका में पहले से ही सबसे तेज ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शलन की सुविधा मुहैया करवा रही है।

कम होगी कीमत

योजना के तहत, गूगल मौजूदा मोबाइल नेटवर्क कंपनियों से ही 3जी और 4जी नेटवर्क खरीदकर उसे कम कीमत में यूजर तक पहुंचाएगी। ऐसी स्थिति में गूगल एक वर्चुअल मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर (डटछव्) की भूमिका में होगा, यानी एक ऐसा नेटवर्क ऑपरेटर जो मौजूदा नेटवर्क के माध्यरम से अपने सर्विस प्लाकन ग्राहकों तक पहुंचाता है।

अमिताभ के घर के बाहर कुत्ते छोड़ रहे हैं लोग

अमिताभ के घर के बाहर कुत्ते छोड़ रहे हैं लोग

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। पिछले काफी समय से लोग अपने पालतू कुत्तों को बॉलिवुड ऐक्टर अमिताभ बच्चन के घर के बाहर छोड़कर जा रहे हैं।
खबरों के मुताबिक, हफ्ते में कम से कम एक अच्छी नस्ल का पालतू कुत्ता बच्चन के घर, जलसा, के बाहर पाया जाता है। दरअसल, अमिताभ बच्चन को जानवरों से बहुत प्यार है और लोगों को लगता है कि वे अपने पालतू कुत्ते को उनके घर के बाहर छोड़कर जाएंगे, तो वह उन्हें गोद ले लेंगे। अब तक बच्चन द्वारा उनमें से एक भी कुत्ते को गोद लेने की खबर तो नहीं मिली, लेकिन ऐक्टिविस्ट्स ने पिछले दो सालों में अब तक ऐसे करीब 60 कुत्तों को बच्चन के घर के आस-पास घूमते पाया और उन्हें शरण दी है।
यूथ ऑर्गनाइज़ेशन इन डिफेंस ऑफ ऐनिमल्स (योडा) नाम के एनजीओ के सह-संस्थापक, अभिषेक सोपरकर ने बताया, ‘इनकी संख्या बढ़ने से पहले तक शुरुआत में ऐक्टिविस्ट्स इसे महज़ एक संयोग समझते थे। ये सभी अच्छी नस्ल के कुत्ते हैं। इनके मालिक इन्हें आम तौर पर शनिवार की रात छोड़ जाते हैं। आखिरकार, एक दिन हमारे एक वॉलनटिअर और पशु प्रेमी ने ऐसा होते हुए देखा और हमें कॉल की।
सोपरकर ने आगे बताया, ‘योडा को ऐक्टर सोनाली सहगल की कॉल आई, जिन्होंने दो साल के एक ग्रेट डेन को बच्चन्स के बंगले के पास देखा था। उसे स्किन इन्फेक्शन था और सोनाली उसे बॉम्बे एसपीसीए के पास ट्रीटमेंट के लिए ले गई थीं। किसी ने मालिक को उसे छोड़ते हुए नहीं देखा था। हमें बस इतना पता है कि हमें वह बच्चन्स के बंगले के पास मिला था। शायद मालिक ने सोचा होगा कि इसे बच्चन गोद ले लेंगे क्योंकि वह ग्रेट डेन है।ग्रेट डेन जर्मन ब्रीड का कुत्ता है, जो अपने बड़े आकार के कारण पॉप्युलर है।
सोपरकर के मुताबिक, जनवरी में भी योडा को एक कॉकर स्पैनियल, एक जर्मन शेफर्ड और एक पमेरियन मिला था। ऐसा लगता है, जो मालिक अपने कुत्तों को छोड़ना चाहते हैं, वे उन्हें बच्चन्स के बंगले के बाहर ही छोड़ना पसंद करते हैं। बल्कि इन दिनों तो एक जोक भी खूब चर्चा में है कि जो लोग अच्छी नस्ल के कुत्ते गोद लेना चाहते हैं, वे एक बार बच्चन्स के बंगले के आस-पास वॉक करने चले जाएं।

ऐनिमल वेलफेअर ऐक्टिविस्टस कहते हैं कि बांद्रा और जुहू के बीच रहने वाले बहुत से अमीर परिवार ऐसे महंगे कुत्ते खरीदते हैं, लेकिन बाद में जब वे उनका पालन-पोषण करने में समर्थ नहीं होते या जब उनका पेट एक समस्या बन जाता है, तो वे उन्हें छोड़ देते हैं। सोपरकर बोले, ‘मुझे पूरा यकीन है कि मालिक यही सोचते होंगे कि उनके कुत्ते को बच्चन्स गोद ले लेंगे, लेकिन हम ही उन्हें आखिरकार शरण देते हैं। उनके बीमार या घायल होने पर उनका इलाज कराते हैं और फिर उन्हें गोद देने के लिए आगे भेजते हैं।