सोमवार, 9 नवंबर 2009

स्वाइन फ्लू यानी भय का वायरस

स्वाइन फ्लू यानी भय का वायरस



(लिमटी खरे)



मेिक्सको के रास्ते भारत में पहुंची महामारी स्वाइन फ्लू का कहर शनै: शनै: बढते ही जा रहा है। पहले इसकी जद में देश के महानगर आए फिर इस बीमारी ने राज्यों की ओर रूख करना आरंभ कर दिया है, जो सोचनीय है। राजस्थान की राजधानी जयपुर मेें यह बीमारी कहर बरपा रही है।


जागरूकता की कमी के चलते पिछले एक दशक में हिन्दुस्तान में नई नई बीमारियों ने अपना घर बना लिया है। लगभग पांच साल पहले दिल्ली को डेंगू नामक जानलेवा बुखार ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। इसके बाद डेंगू ने दो सालों के अंतराल के बाद राज्यों की ओर रूख किया है। आज देश भर में डेंगू नामक बीमारी से हजारों की तादाद में मरीज ग्रस्त हैं।


बीसवीं सदी के आरंभ के साथ ही देश में कालरा, हैजा, कालाजार, टीबी आदि बीमारियों ने देश में आतंक बरपाया था, जिसका इलाज उस काल में संभव नहीं था। समय के साथ इन असाध्य बीमारियों का इलाज खोजा गया और इन पर नियंत्रण पाया गया।


नब्बे के दशक में असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त आदि से फैलने वाले एड्स ने सभी को डरा दिया था। आज भी एड्स का खौफ बरकरार ही है। इक्कीसवीं सदी में डेंगू, चिकन गुनिया, बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों ने अपने पैर पसारे। वायरस जनित इन बीमारियों का इलाज है, किन्तु जागरूकता का अभाव लोगों को असमय ही काल के गाल में ढकेल रहा है।


स्वाइन फ्लू का आतंक महानगरों के बाद अब गुलाबी शहर जयपुर सहित संपूर्ण राजस्थान में तबाही मचाने की तैयारी में दिख रहा है। कहा जा रहा था कि स्वाइन फ्लू का वायरस जैसे जैसे ठंड बढेगी वैसे वैसे ज्यादा सक्रिय और प्रभावी होगा, बावजूद इसके न तो केंद्र सरकार ने एहतियाती कदम उठाए और न ही सूबों की सरकार ने। अभी तो सदीZ ने अपना असर भी नहीं दिखाया है, जब शीत ऋतु पूरे शबाब पर होगी तब हालात पर काबू पाने में केंद्र और राज्य सरकारों को एडी चोटी एक करनी होगी।


राजस्थान में सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि एच 1 एन1 वायरस के माध्यम से फैलने वाला स्वाइन फ्लू अपनी जद में यहां के शालेय विद्यार्थियों को ले रहा है। राज्य के दस बडे स्कूलों के आधा सैकडा बच्चों में स्वाइन फ्लू के वायरस की पुष्टि निश्चित तौर पर चिंताजनक ही मानी जाएगी।


राज्य सरकार के आंकडों पर गौर फरमाया जाए तो अब तक 144 से भी अधिक लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो गई है। यह आंकडा अभी और बढने की उम्मीद जताई जा रही है। राजस्थान चूंकि पर्यटन के नक्शे पर अहम स्थान रखता है, अत: यहां विदेशी पर्यटकों की खासी आमद होती है, तब इस वायरस के फैलने या आने के लिए खासा उपजाउ माहौल तैयार हो रहा है।


सूबे में लगभग डेढ सौ लोगों के इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद राज्य प्रशासन की कुंभकणीZय तंद्रा टूटी है। केंद्र सरकार इस मामले में अभी भी नीरो की तरह चैन की ही बंसी बजा रही है। केंद्र और राज्य सरकार की अनदेखी का इससे बडा उदहारण और कोई नहीं हो सकता है कि जब इस रोग की आहट यहां सुनाई दी तब यहां इसकी जांच के लिए आवश्यक उपकरण तक उपलब्ध नहीं थे, परिणामस्वरूप पुष्टि होते होते स्वाइन फ्लू का संक्रमण अपना अच्छा खासा असर दिखा चुका था।


एक बात आज भी समझ से परे ही है कि जब इस तरह की कोई बीमारी या समस्या सर उठाती है, तो जागने और उससे निपटने में हमारी सरकारें किस बात पर विचार कर देरी करतीं हैं। लगता है कि सरकारें इनसे निपटने शुभ महूर्त का इंतेजार ही किया करतीं हैं।


स्वाइन फ्लू के संक्रमण हेतु गंदगी सबसे बडा वरदान साबित हो रही है। विस्फोटक आबादी इस बीमारी के लिए उर्वरक का काम कर रही है। जागरूकता के अभाव के चलते जगह जगह गंदगी और भीड भाड इस बीमारी के संवाहक का ही काम कर रही है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश की इस तरह की परिस्थितियां स्पर्श और स्वांस से बढने वाली इस बीमारी के लिए उपजाउ माहौल के मार्ग ही प्रशस्त कर रहीं हैं।


डेंगू, बर्ड फ्लू, चिकन गुनिया, स्वाईन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारियों का सकारात्म पहलू यह है कि अब तक इन बीमारियों ने शहरों में ही अपना डेरा जमाया हुआ है। बिना चिकित्सकों के नीम हकीमों के भरोसे रहने वाले गांवों की ओर अगर इन बीमारियों ने रूख कर लिया तो स्थिति निश्चित तौर पर बेकाबू हो जाएगी। इसका प्रमुख कारण यह है कि भले ही सरकारें ग्रामीण स्वास्थ्य के बारे में चाहे जो दावा करें किन्तु जमीनी सच्चाई यह है कि ग्रामीण स्वास्थ्य के नाम पर सिर्फ और सिर्फ सरकारी आवंटनों को डकारा जा रहा है।


करोड़ों अरबों रूपए व्यय कर इन बीमारियों पर नियंत्रण का दावा कर आधा बजट अंदर करने वाली सरकारों में बैठे नुमाईंदें को अब अपने अलावा आम जनता के बारे में भी सोचना होगा, वरना आने वाले कल की भयावह तस्वीर में भरे रंगों में उनकी भागीदारी से उन्हेें कोई नहीं रोक पाएगा। हमारी नजर में स्वाईन फ्लू जानलेवा जरूर है पर यह भय का वायरस है, जो आने वाले कल में यर्थाथ में तब्दील हो भी सकता है।