मंगलवार, 25 मार्च 2014

एसी ट्रायवल की लापरवाही से हजारों छात्रों की छात्रवृत्ति अधर में

0 समाकेतिक छात्रवृत्ति: ट्रायवल में हो गए दो डीडीओ!

एसी ट्रायवल की लापरवाही से हजारों छात्रों की छात्रवृत्ति अधर में

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। समाकेतिक छात्रवृत्ति योजना के तहत शिक्षा विभाग के साथ ही साथ आदिवासी विकास विभाग में भी जमकर घालमेल की शिकायतें प्रकाश में आ रही हैं। हालात देखकर लगने लगा है कि कल 25 मार्च तक आदिवासी विकास विभाग के अधीन कार्यरत शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दिए जाने के देयक शायद ही कोषालय भेजे जा सकें, क्योंकि अधिकांश शालाओं में दो-दो डीडीओ (आहरण संवितरण अधिकारी) हो गए हैं।
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सहायक आयुक्त कार्यालय की घोर लापरवाही और अर्कमण्य कार्यशैली के चलते आदिवासी विकासखण्ड में प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में अध्ययनरत हजारों की तादाद में विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति वितरण पर प्रश्न चिन्ह लग गए हैं।
वहीं, जिला कलेक्टरेट के सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि गत दिवस जिला कलेक्टर भरत यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में जिला कलेक्टर ने भी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की थी। सूत्रों के अनुसार शासन के स्पष्ट आदेशों के तीन साल बाद भी विकास खण्ड में कार्यरत नियमित शिक्षकों के वेतन निकालने हेतु आहरण संवितरण अधिकार विकास खण्ड अधिकारी (बीडीओ) से वापस लेकर संकुल प्राचार्य को नहीं सौंपे गए हैं।
एक शिक्षक ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर अपनी पीड़ा बयान करते हुए कहा कि एसी कार्यालय और विकास खण्ड कार्यालय में दलालों और चाटुकारों का जमकर बोलबाला हो गया है। यहां बिना चढ़ावेके कोई भी कार्य नहीं होता है। आलम यह है कि अपना जीपीएफ, पेंशन एवं अन्य समस्याओं के लिए भी शिक्षकों को इन दलालों के रास्ते से ही होकर गुजरना पड़ रहा है।

नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति
एसी कार्यालय के सूत्रों ने आगे बताया कि सहायक आयुक्त श्री शेंडे की लापरवाही के चलते इस सत्र में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित ही रहेंगे, जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह महत्वाकांक्षी योजना शासन की सौ दिवसीय कार्ययोजना में शामिल है। इस संबंध में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री शेण्डे (9424678595) ने बताया कि ऐसा नहीं है। विद्यार्थियों को इस सत्र की छात्रवृत्ति अवश्य मिलेगी। जब उनसे यह पूछा गया कि यह कब मिल पाएगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति के मामले में कुछ गड़बड़ी अवश्य ही हुई है पर इसे जल्द ही सुधारकर देयक बनवाकर कोषालय भेज दिए जाएंगे।

दो-दो हैं डीडीओ
वहीं, सूत्रों ने आगे बताया कि आदिवासी विकास विभाग के नियमित शिक्षकों के वेतन का आहरण विकास खण्ड अधिकारी (बीडीओ) के द्वारा किया जा रहा है जबकि सहायक अध्यापक आदि के वेतन का आहरण संकुल प्राचार्य द्वारा किया जा रहा है। इस तरह एक ही संकुल में दो-दो डीडीओ कार्य कर रहे हैं।

यह है परेशानी
सूत्रों के अनुसार हाल ही में संपन्न हुई प्राचार्यों की बैठक में यह मामला प्रकाश में आया है। प्राचार्यों ने बताया कि आदिवासी विकास खण्ड में विभाग द्वारा संचालित की जाने वाली प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों की मेपिंग एवं फीडिंग विकास खण्ड अधिकारियों के डीडीओ में लॉक एण्ड सेव यानी सुरक्षित हो गई है। अब संकुल प्राचार्यों के समक्ष यह दुविधा है कि वे बीडीओ के खाते से छात्रवृत्ति का आहरण कैसे करें?


हां, विसंगतियों के बारे में बात संज्ञान में आई है, पर इस तरह के कोई निर्देश उपर से नहीं आए हैं और न ही हमारे द्वारा दिए गए हैं कि मेपिंग को बीडीओ के पास लॉक एण्ड सेव किया जाए। यह मामला प्रकाश में आया है। ऊपर बात हो रही है। मार्च माह में छात्रवृत्ति मिलना मुश्किल है पर बात हो चुकी है, आने वाले माहों में बच्चों को इस सत्र की छात्रवृत्ति दिला दी जाएगी।
श्री शेण्डे,

सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, सिवनी.

कागजों पर चल रही साक्षर भारत योजना

कागजों पर चल रही साक्षर भारत योजना

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। साक्षर भारत योजनांतर्गत सिवनी विकास खण्ड में चल रहे कार्यों में जमकर अनियमितताएं प्रकाश में आ रही हैं। मास्टर्स ट्रेनर्स प्रशिक्षण, विकास खण्ड स्तर पर कार्यालयों के बिल बाउचर, प्रेरक प्रशिक्षण में हुए व्यय प्रशिक्षण बैठकों में लिए गए निर्णय, आदि के बारे में तरह-तरह की चर्चाएं फिजां में तैर रही हैं।
इस योजना में बैठकें कब और कहां हुईं?, कितने केंद्र संचालित हैं?, चार हजार रूपए के हिसाब से कौन सी सामग्री और कहां से क्रय की गई? ग्राम साक्षर समितियों द्वारा सामग्री कहां से क्रय की गई? सिवनी विकास खण्ड स्तर पर आयोजित प्रेरक प्रशिक्षण में प्रशिक्षण प्रदान करने वाले मास्टर ट्रेनर्स के यात्रा भत्ते किस आधार पर दिए गए? आदि जैसी बातें भी प्रकाश में आ रही हैं जिनके उत्तर अब तक अप्राप्त ही हैं।
इस संबंध में जब बींझावाड़ा के प्रधान पाठक आर.एस.कुमरे (9425445951) से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो बमुश्किल ही उन्होंने फोन उठाया। गौरतलब है कि कल उन्होंने फोन उठाने की जहमत भी नहीं उठाई थी। जब उनसे पूछा गया कि सिवनी विकास खण्ड में कितनी साक्षर समितियां कार्य कर रही हैं तो उन्होंने कहा कि देखकर बताना पड़ेगा, वैसे आप यह जानकारी किस उद्देश्य से चाह रहे हैं?
जब उन्हें बताया गया कि समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली खबरों की पुष्टि के लिए उनका पक्ष जानना आवश्यक है तब उन्होंने कहा कि वे तो महज डाकिये का ही काम करते हैं? यह एक जवाबदेही जबरन की उनके ऊपर आन पड़ी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो भी राशि आई थी वह चेक के माध्यम से संबंधित ग्राम पंचायत के खाते में ट्रांसफर कर दी थी।
इसमें चार हजार रूपए प्रति केंद्र के हिसाब से हुई खरीद के बारे में उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कहीं भी खरीद नहीं की गई है। खरीदी ग्राम पंचायत स्तर पर हुई है। सरपंच-सचिव द्वारा इसमें सामग्री खरीदी गई है। खरीदी गई सामग्री गुणवत्ता वाली है या गुणवत्ता विहीन यह तो संबंधित ग्राम पंचायत ही बता पाएगी।
जब उनसे यह पूछा गया कि समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया गया है कि सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि इस मामले में चार हजार रूपए प्रति केंद्र के हिसाब से जिला मुख्यालय में नेहरू रोड स्थित एक प्रतिष्ठान से गुणवत्ता विहीन सामग्री की खरीदी की गई है, जिसमें दरी फट्टा सहित समस्त सामग्री महज पंद्रह सौ रूपए में खरीदी गई हैं और चार सौ रूपए नगद उस केंद्र के प्रभारी को वापस किए गए हैं, शेष 2100 रूपए का क्या हुआ? इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह की किसी भी खरीद की जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि जो भी हुआ है वह राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देशों के हिसाब से ही किया गया है। इस मामले में ज्यादा जानकारी ग्राम पंचायत स्तर पर ही मिल पाएगी।

बताया जाता है कि चार हजार रूपए प्रति केंद्र के हिसाब से लगभग दो सौ केंद्र के लिए एक ही प्रतिष्ठान से खरीदी की गई है। इस लिहाज से आठ लाख रूपए की खरीदी की गई है। वहीं विकास खण्ड सिवनी प्रभारी के अनुसार 129 केंद्र कार्यरत हैं। अगर उनकी बात को ही सच मान लिया जाए तो पांच लाख सोलह हजार रूपए की खरीदी की गई है। इसमें अगर केंद्र 200 हैं तो 1500 रूपए के हिसाब से आठ लाख रूपए में से कुल तीन लाख रूपए और अगर 129 केंद्र हैं तो पांच लाख सोलह हजार रूपए में से एक लाख 93 हजार पांच सौ रूपए की खरीद की गई है।

किसकी देखरेख में हो रहे निर्माण कार्य!

किसकी देखरेख में हो रहे निर्माण कार्य!

अंधा पीसे कुत्ता खाए की तर्ज पर चल रही पालिका

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। नगर पालिका में इन दिनों पूरी तरह मायूसी छाई हुई है। नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी को लोकसभा चुनावों में सिवनी विधानसभा की महती जवाबदेही सौंपी गई है इसलिए वे पूरी तरह व्यस्त हैं तो शासन के आदेशानुसार दो उपयंत्रियों को निलंबित कर दिया गया है। चुनाव की आपाधापी में शहर के प्रथम नागरिक की नजरें इस ओर इनायत शायद नहीं हो पा रही है कि बिना इंजीनियर्स के निर्माण कार्य किसकी देखरेख में संपादित हो रहे हैं।
अपनी कार्यप्रणाली के लिए सदा से ही सुर्खियों में रहने वाली नगर पालिका अभी भी पूरी तरह चर्चाओं का केंद्र बनी हुई है। कभी लोकायुक्त कार्यवाही, तो कभी घटिया निर्माण, तो कभी कमीशन बाजी के चलते नगर पालिका चर्चा में रही है। हाल ही में पूर्व पालिका अध्यक्ष पार्वती जंघेला के कार्यकाल के एक मामले में उच्च न्यायालय ने सख्त रवैया अपनाया है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो से नन्द किशोर ने शिवाजी नगर स्थित स्थानीय शासन विभाग के संचालनालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि कोर्ट के सख्त रवैए के उपरांत आनन-फानन में विभाग द्वारा दो उपयंत्रियों को निलंबित कर दिया गया। इन उपयंत्रियों के निलंबित करने के बाद नगर पालिका प्रशासन का अपना कोई भी उपयंत्री सिवनी में पदस्थ नहीं है। यहां अब जो भी उपयंत्री पदस्थ हैं वे अन्य विभागों से अटैच ही हैं।

लोकसभा चुनाव के चलते नगर के प्रथम नागरिक राजेश त्रिवेदी भी पूरी तरह व्यस्त ही नजर आ रहे हैं। आचार संहिता के चलते नए निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा हुआ है पर ऑन गोईंग वकर््स चल रहे हैं। इनमें सड़क, नाली आदि के निर्माण का कार्य जारी है। यक्ष प्रश्न यही सामने खड़ा हुआ है कि आखिर ये निर्माण कार्य किसकी देखरेख में करवाए जा रहे हैं।

कौन लगाएगा रिसते घावों पर मरहम?

कौन लगाएगा रिसते घावों पर मरहम?

(शरद खरे)

नब्बे के दशक तक प्रदेश के लोग सिवनी जिले के निवासियों की किस्मत पर रश्क किया करते थे। इसका कारण यह था कि सिवनी का भाग्य, सशक्त नेतृत्व के हाथों में सुरक्षित था। उस वक्त सिवनी की आवाज संसद में बुलंद करने के लिए पंडित गार्गीशंकर मिश्र और प्रदेश में डंका बजाने के लिए सुश्री विमला वर्मा जैसी शख्सियत मौजूद थीं। सुश्री विमला वर्मा ने सिवनी के लिए जो कुछ किया वह आज भी हमारे लिए धरोहर से कम नहीं है। सिवनी में एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध भीमगढ़ का निर्माण, बंडोल में दूध डेयरी, सिंचाई विभाग का मुख्य अभियंता कार्यालय, लोक निर्माण विभाग का अधीक्षण यंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय राजमार्ग संभाग और कार्यपालन यंत्री का कार्यालय, राज्य सड़क परिवहन का संभागीय कार्यालय, संभागीय वर्कशॉप, दूरदर्शन केंद्र, आर्युविज्ञान महाविद्यालयकी क्षमता वाला प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय, केंद्रीय विद्यालय और न जाने क्या-क्या उपलब्धियां हैं जो सुश्री विमला वर्मा के खाते में आज भी जाती हैं।
सुश्री विमला वर्मा ने खुद ही सक्रिय राजनीति से किनारा किया है अथवा उन्हें षणयंत्र के तहत घर बिठाया गया है इस बारे में वे ही बेहतर जानती होंगी, किन्तु उनके बाद किसी भी जनसेवक के खाते में यहां कोई बड़ी या उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं है। नब्बे के दशक के बाद सिवनी का भाग्य जिन लोगों के हाथों में रहा, उन्होंने सिवनी के हितों को साधने में पूरी ईमानदारी नहीं दिखाई। यही कारण है कि कल का समृद्ध सिवनी आज पिछड़ों की फेहरिस्त में सबसे आगे आन खड़ा हुआ है। रही सही कसर परिसीमन में सिवनी लोकसभा क्षेत्र को बिना किसी प्रस्ताव के गायब करने से पूरी हो गई। उस समय भी सिवनी के कथित संवेदनशील और सिवनी के हितों की रक्षा करने का दावा करने वाले नेताओं ने इसके विरूद्ध आवाज भी बुलंद करना मुनासिब नहीं समझा। सिवनी लोकसभा के गायब होने के घाव से मवाद आज भी रिस रहा है।
लोकसभा में सिवनी की पांच में से बची खुची चार विधानसभाओं में से केवलारी और लखनादौन को मण्डला तो बरघाट और सिवनी को बालाघाट संसदीय क्षेत्र का अंग बना दिया गया। मण्डला के सांसद बसोरी सिंह मसराम रहे तो बालाघाट पर के.डी.देशमुख का कब्जा रहा। विडम्बना ही कही जाएगी कि सिवनी के हितों की बातें दोनों ही सांसदों ने लोकसभा के पटल पर नहीं उठाईं। सिवनी में फोरलेन, ब्रॉडगेज और उद्योग के मामले आज भी लंबित हैं। कहने को तो फोरलेन कुछ हद तक बन गई है पर छपारा के आगे और मोहगांव से खवासा तक के हिस्से में कार्य रूका हुआ है। वहीं, सिवनी में भुरकल खापा में औद्योगिक विकास केंद्र की स्थापना हो चुकी है, पर अब तक एक भी उद्योग पूरी तरह अस्तित्व में आता नहीं दिख रहा है।

महज सत्रह दिन बाद लोकसभा चुनाव हैं पर सिवनी जिले में चुनाव का माहौल दिख ही नहीं रहा है। जिला मुख्यालय सिवनी में तो ऐसा लग रहा है मानों चुनाव में अभी समय है। न कोई विशेष हलचल है और न ही कोई शोर शराबा। वैसे यह सब कुछ परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए सुखद माना जा सकता है किन्तु तकलीफ इस बात की है कि अगर इस बार भी लोकसभा में सिवनी जिले का प्रतिनिधित्व करने वालों ने पिछले सांसदों की तरह ही मौन साधे रखा तो सिवनी के निवासी कहां, और किसके पास जाकर शिकायत दर्ज करवाएंगे?

‘नरेंद्र मोदी पर मानव बम से हो सकता है हमला‘


नरेंद्र मोदी पर मानव बम से हो सकता है हमला

(अमित कौशल)

नई दिल्ली (साई)। भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों के दौरान हत्या की जा सकती है। आईबी की ओर से जारी किए गए हालिया अलर्ट में यह आशंका जताई गई है।
आईबी ने अपने अलर्ट में बताया है कि रैली के दौरान कोई मानव बम मोदी पर जानलेवा हमला कर सकता है। यह हमला ठीक वैसे ही हो सकता है, जैसा की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर किया गया था। सूत्रों के अनुसार, 1991 में जिस तरह से लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या के लिए मानव बम का इस्तेमाल किया था, वैसे ही मोदी की हत्या की जा सकती है।
अलर्ट में बताया गया है कि नरेंद्र मोदी को अगर गोली नहीं मारी जाती है, तो कोई मानव बम भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर रैली में शामिल होकर हमला कर सकता है। हालांकि अलर्ट में यह नहीं बताया गया है कि मानव बम महिला होगी या कोई पुरुष। आईबी ने आशंका जताई है कि मोदी पर यह हमला उनके चुनावी अखाड़े वाराणसी या वडोदरा में हो सकता है। गौरतलब है कि पीएम उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद से ही मोदी की सुरक्षा को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया था।

सेना के पास 20 दिनों की लड़ाई के लिए भी गोला बारूद नहीं


सेना के पास 20 दिनों की लड़ाई के लिए भी गोला बारूद नहीं

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्मी, इंडियन आर्मी हथियारों की भारी कमी से जूझ रही है। यह कमी टैंक, एयर सिक्योरिटी यूनिट और तोपखाने सहित कई चीजों में है। हालांकि, आर्मी ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसके पास 20 दिनों की लड़ाई के लिए भी पर्याप्त गोला बारूद नहीं है। रूल्स के मुताबिक, आर्मी के पास उतने हथियारों के भंडार (वॉर वेस्टेज रिजर्व) होने चाहिए कि अगर जबर्दस्त वॉर जैसे हालात पैदा हों तो कम से कम 40 दिनों तक मुकाबला किया जा सके।
नई गवर्नमेंट का इंतजार!
आर्मी चीफ जरनल बिक्रम सिंह ने हाल में ही कहा था कि अगर हथियारों के लिए उचित बजट सपोर्ट मिलता है तो आर्मी के पास 2015 तक 50 परसेंट वॉर वेस्टेज रिजर्व होना चाहिए। यानी अभी आर्मी के पास फिलहाल 50 परसेंट वॉर वेस्टेज रिजर्व भी नहीं है। माना जा रहा है कि 2019 तक ही ऐसा हो पाएगा। अब आर्मी नई गवर्नमेंट के बनने का इंतजार कर रही है, ताकि 19,250 करोड़ रुपये के गोला-बारूद की खरीद हो सके। इससे ही आर्मी पूरी लड़ाई लड़ने में समर्थ हो सकेगी।
 तत्काल जरूरत
गोला-बारूद की कमी को तत्काल दूर करना इसलिए भी जरूरी हो गया है कि सेना ने एक नया स्ट्राइक कॉर्घ्प्स तैयार करना शुरू कर दिया है जिसमें 90,000 जवान और ऑफिसर्स होंगे। और सात साल में बनेगी. इसमें इंफैंट्री बटालियन, बख्तरबंदए तोपखाना और एयर डिफेंस यूनिट इत्यादि होंगे। इसके लिए बड़े पैमाने पर गोला-बारूद की जरूरत होगी। नए तोपों, हेलीकॉप्टरों, ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के एडवांसमेंट का काम भी अभी अधूरा है।

आखिर क्यों हुआ अमिताभ का राजनीति से मोहभंग?


आखिर क्यों हुआ अमिताभ का राजनीति से मोहभंग?

(एडविन अमान)

नई दिल्ली (साई)। एक बार फिर से अभिनेता अमिताभ बच्चन ने दोहराया है कि वह कभी राजनीति के बारे में सोच नहीं सकते हैं क्योंकि वह अपने आप को राजनीति के लायक नहीं समझते हैं। कभी देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जिगरी दोस्त रहे अमिताभ बच्चन का बचपन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ही छत्र-छाया में बिता है।
राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन मौजूद सपा की राज्यसभा सासंद हैं तो वहीं कभी अमिताभ और रालोद नेता अमर सिंह की गहरी दोस्ती रही है बावजूद इसके अमिताभ राजनेताओं को तो पसंद करते हैं लेकिन राजनीति को नहीं। बाल ठाकरे के चहेते रहे अमिताभ बच्चन इन दिनों गुजरात का विज्ञापन करते नजर आते हैं तो व्यक्तिगत रूप से वह मोदी के भी प्रिय हैं, इसके बावजूद अमिताभ को राजनीति रास नहीं आती है।
चुनावी समर में अप्रत्यक्ष रूप से अमिताभ कमल के साथ दिख रहे हैं इसके पीछे कारण शायद यह है कि अमिताभ ने साल 1984 में दोस्त राजीव गांधी के कहने पर कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राजनीति का वो शर्मनाक और गंदा चेहरा देखा है जिसकी वजह से उनके दिल-दिमाग पर राजनीति की एक ऐसी तस्वीर छप गयी है जिसकी वजह से उन्हें राजनीति ही गंदी लगने लगी है।
ज्ञातव्य है कि साल 1984 में इलाहाबाद से एमपी बनने के बाद ही कांग्रेस में बोफोर्स घोटाला सामने आया था। जिसके छींटे राजीव गांधी के साथ-साथ अमिताभ बच्चन और उनके भाई अजिताभ बच्चन पर भी पड़े थे हालांकि अमिताभ बच्चन और उनके भाई दोनों इस मामले से बिल्कुल अनभिज्ञ थे और कुछ समय बाद यह साबित भी हो गया। लेकिन इस घटना क्रम ने अमिताभ के दिल-दिमाग पर ऐसा असर डाला जिसकी वजह से उनकी नजर में राजनीति की परिभाषा ही बदल गयी और उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया और मात्र तीन साल में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
आखिर चुनाव में अमिताभ किसके साथ? मालूम हो कि अमिताभ का वापस राजनीति में कदम रखने वाला प्रश्न इसलिए दोबारा उठा है क्योंकि अपनी आने वाली फिल्म भूतनाथ रिटर्न्स में वह एक ऐसे भूत के किरदार में दिखेंगे, जो चुनाव लड़ रहा है। जिसके बारे में अमिताभ ने कहा कि मैं राजनीति में तटस्थ हूं और राजनीति में शामिल नहीं होंउंगा। रही बात फिल्म की तो इसमें मैंने एक रोल प्ले किया है क्योंकि मैं एक कलाकार हूं। गौरतलब है कि बीआर चोपड़ा प्रोडक्शन की फिल्म भूतनाथ रिटर्न्सक11 अप्रैल को रिलीज हो रही है।

पत्रकार गैंगरेप: तीन साझे आरोपियों को हो सकती है मौत की सजा


पत्रकार गैंगरेप: तीन साझे आरोपियों को हो सकती है मौत की सजा
(अतुल खरे)
मुंबई (साई)। शक्ति मिल परिसर में टेलीफोन ऑपरेटर के साथ सामूहिक बलात्कार के चार मुजरिमों को उम्रकैद की सजा सुनाने के बाद मुंबई की एक अदालत ने फोटो पत्रकार सामूहिक बलात्कार कांड में तीन साझे अभियुक्तों के खिलाफ आज नया अभियोग निर्धारित किया।
इन अभियुक्तों के खिलाफ बार-बार अपराध करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ई) के तहत अतरिक्त अभियोग निर्धारित किए गए, जिसके तहत उन्हें अधिकतम मौत की सजा तक हो सकती है।
इससे पहले अदालत ने इस संबंध में अभियोजन पक्ष का आवेदन मंजूर किया। लेकिन तीन साझे अभियुक्तों-कासिम बंगाली, विजय जाधव और मोहम्मद सलीम अंसारी ने खुद को बेगुनाह बताया और यह कहते हुए आरोप पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया कि वे अबतक टेलीफोन ऑपरेटर कांड के फैसले को भी नहीं पढ़ पाए हैं।
इससे पहल प्रधान सत्र न्यायाधीश शालिनी फंसालकर जोशी ने इस मामले में सुनवाई स्थगित करने और अभियोजन पक्ष के ताजे आरोप संबंधी अनुरोध पर फैसला हो जाने के बाद सजा की मात्रा के मुद्दे पर आगे बढ़ने के बचाव पक्ष का अनुरोध खारिज कर दिया बचाव पक्ष ने यह कहते हुए स्थगन की मांग की कि वह विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम के आवेदन को चुनौती देने के लिए बंबई हाईकोर्ट जाना चाहता है। निकम ने अतिरिक्त आरोप तय करने के लिए यह आवेदन दिया है। निकम ने बताया कि आईपीसी की धारा 376 (ई) के तहत अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान है।
अदालत ने स्थगन से इनकार करते हुए कहा कि सुनवाई चलने के दौरान भी आरोपी उसके आदेश को चुनौती दे सकते हैं। इसी अदालत ने 21 मार्च को टेलीफोन ऑपरेटर सामूहिक बलात्कार कांड में विजय जाधव, मोहम्मद कासिम, हाफिज शेख उर्फ कासिम बंगाली और मोहम्मद सलीम अंसारी मोहम्मद अशफाक शेख को उम्रकैद की सजा सुनायी थी।
विजय जाधव, कासिम बंगाली और मोहम्मद सलीम अंसारी दोनों ही मामलों में दोषी ठहराए गए हैं, जबकि सिराज खान फोटो पत्रकार सामूहिक बलात्कार कांड (पिछले साल 22 अगस्त) तथा मोहम्मद अशफाक शेख टेलीफोन ऑपरेटर सामूहिक बलात्कार कांड (31 जुलाई पिछले साल) में दोषी पाया गया। 

धोनी ने किया खिलाड़ियों का बखान


धोनी ने किया खिलाड़ियों का बखान

(गौरव वर्मा)

ढाका (साई)। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भरोसा जताया है कि खराब फॉर्म से जूझ रहे युवराज सिंह टी-20 विश्व कप के बाकी मैचों में अच्छा प्रदर्शन करेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि युवराज भारी दबाव में हैं और लय हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं.
धोनी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘युवराज टी-20 क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से हैं, लेकिन यह सही है कि फिलहाल वह सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं हैं. वनडे टीम से बाहर किए जाने के बाद टी-20 टीम में वापसी करना थोड़ा कठिन होता है, लिहाजा उन पर दबाव है.
युवराज जरूर करेंगे वापसी
धोनी ने कहा, ‘यह कहना आसान है कि यह छोटा प्रारूप है लेकिन जब कोई खिलाड़ी टीम में आता है तो उस पर दबाव बनना लाजमी है.युवराज ने रविवार को वेस्टइंडीज के खिलाफ 19 गेंदों में सिर्फ 10 रन ही बनाए थे. लेकिन धोनी को उनकी वापसी का यकीन है. उन्होंने कहा, ‘इसमें एक या दो मैच का समय लगता है. हमें पता है कि वह कितने उम्दा मैच विनर हैं. वह अपने दम पर मैच जिता सकते हैं.
 मिश्रा की ताकत है फ्लाइट गेंदें
भारत के दोनों मैचों में मैन ऑफ द मैचरहे अमित मिश्रा के बारे में धोनी ने कहा कि उन्होंने इस लेग स्पिनर को अपनी ताकत के इस्तेमाल की सलाह दी थी. धोनी ने बताया, ‘मैने उससे कहा कि वह अपनी ताकत का इस्तेमाल करे. पाकिस्तान के खिलाफ वह नर्वस था तो मैंने उसे कहा कि गेंद को फ्लाइट कराए जो उसकी ताकत है.
वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में 16 डॉट गेंदें फेंकने वाले भुवनेश्वर कुमार के प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए धोनी ने कहा कि उनका काम नई गेंद का सही इस्तेमाल और ज्यादा ढीली गेंदें नहीं देना था. भुवनेश्वर ने सही दिशा में गेंद डाली और गेंद को बखूबी स्विंग कराया.
शमी हैं डेथ ओवरों के विशेषज्ञ
धोनी ने डेथ ओवरों के लिये शमी को जहां स्थायी विकल्प बताया, वहीं इस बाबत जडेजा, अश्विन और मिश्रा को भी आजमाने की बात कही. उन्होंने कहा, ‘भुवी नई गेंद का बेहतरीन गेंदबाज है. मैं यह नहीं कह रहा कि वह डेथ ओवर अच्छे नहीं डाल सकता, पर मैं जडेजा को भी डेथ ओवरों में आजमाना चाहता हूं. शमी डैथ ओवरों का विशेषज्ञ है लेकिन मैं एक और गेंदबाज को आजमाना चाहता हूं जो जडेजा, अश्विन या कोई भी हो सकता है.

अपना किया न भूलें जसवंत सिंह: उमा भारती


अपना किया न भूलें जसवंत सिंह: उमा भारती

(मोदस्सिर कादरी)

नई दिल्ली (साई)। बीजेपी नेता साध्वी उमा भारती ने कहा है कि जसवंत सिंह को भूलना नहीं चाहिए कि उन्होंने मुझे डिसिप्लिनरी ग्राउंड्स पर पार्टी से निकलने का आदेश सुनाया था। और मोदी पर समय के साथ उनके विचार बदल गए हैं।
उमा ने सीनियर बीजेपी लीडर जसवंत सिंह के बाड़मेर से निर्दलीय के रूप में पर्चा भरे जाने और पार्टी पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाने पर ये बातें कहीं। उनका इशारा नवंबर 2004 में लाल कृष्ण आडवाणी से विवाद के बाद पार्टी से हुए उनके सस्पेंशन की तरफ था। तब उन्होंने पार्टी से अलग होकर भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई थी।
इससे पहले बीजेपी के दिग्गज नेता जसवंत सिंह ने सोमवार को राजस्थान के बाड़मेर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा। नामांकन के वक्त जसवंत ने कहा कि मुझे बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी का आशीर्वाद प्राप्त है। गौरतलब है कि बीजेपी ने बाड़मेर से पिछले सप्ताह ही कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए जाट नेता कर्नल सोनाराम को टिकट दिया है।
जसवंत सिंह के नामांकन पर बीजेपी ने कहा कि वह नाम वापस लेने की तारीख तक जसवंत सिंह का इंतजार करेगी। अगर उन्होंने उम्मीदवारी से नाम वापस नहीं लिया तो उनके ऊपर कार्रवाई पर विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि उमा भारती भी टिकट बंटवारे से खासी नाराज थीं, और उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर भी की थी। उमा को पार्टी ने झांसी से टिकट दिया है, जबकि उन्होंने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी।

वी हटा लें आडवाणी, सुनने लगेंगे मोदी: केजरीवाल


वी हटा लें आडवाणी, सुनने लगेंगे मोदी: केजरीवाल

(सोनाली खरे)

नई दिल्ली (साई)। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा में टिकट बंटवारे पर उभरे कलह पर तंज करते हुए सोमवार को कहा कि वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी यदि चाहते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री एवं भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी उनकी बातों पर गौर करें तो उन्हें अपने नाम से वीअक्षर हटा लेना चाहिए।
केजरीवाल मोदी पर आरोप लगाते आए हैं कि उनकी उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और अडानी से काफी निकटता है। केजरीवाल ने ट्विटर पर कहा, ‘अगर आडवाणी चाहते हैं कि मोदी उनकी बात सुनें, तो उन्हें अपने नाम से वी हटा लेना चाहिए।अंग्रेजी में advani में से वी हटाने पर (अडानी) होगा, जो कि गुजरात का बड़ा कारोबारी घराना है। केजरीवाल कई बार यह चुके हैं कि गुजरात को अडाणी और अंबानी चलाते हैं। अरविंद केजरीवाल मंगलवार को वाराणसी में रैली करेंगे, जहां वह नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं।

‘मोदी का गुणगान पार्टी विरोधी गतिविधि है‘


 मोदी का गुणगान पार्टी विरोधी गतिविधि है

(नीलिमा सिंह)

पटना (साई)। जनता दल युनाइटेड ने अपने राज्यसभा सांसद साबिर अली को पार्टी से निकाल दिया है. वे वर्तमान में पार्टी के राज्य सभा सांसद हैं.
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव केसी त्यागी ने पार्टी के इस फ़ैसले की जानकारी दी. उन्होंने बताया है, ‘साबिर अली को हमेशा के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है.उन्होंने आगे कहा, ‘मोदी का गुणगान पार्टी विरोधी गतिविधि है. पार्टी अनुशासन से बड़ा कोई नहीं है.
साबिर अली ने नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करते हुए कहा था, ‘मोदी की नीतियां अच्छी लगती हैं. और सरकार उसी की हो जिसकी नीतियां अच्छी हों.जदयू ने साबिर अली को बिहार के शिवहर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था. पार्टी से निकालने के साथ ही उनका लोकसभा टिकट भी वापस ले लिया गया है.
वहीं साबिर अली को पार्टी से निकाले जाने का विरोध शुरू हो गया है. साबिर अली बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के रक्सौल के निवासी हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाने के बाद जद-यू और भाजपा का कई सालों पुराना गठबंधन टूट गया था.

शाहरुख नहीं, आर्यन पर मर रही हैं लड़कियां


शाहरुख नहीं, आर्यन पर मर रही हैं लड़कियां

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। ऐसा लगता है कि बॉलीवुड सुपर स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन भी शाहरुख के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. न सिर्फ भारत में बल्कि विदेश में भी वह महिलाओं को आकर्षित कर रहे हैं.
हाल ही में ट्विटर पर शाहरुख के बेटे की एक तस्वीर पोस्ट की गई थी जिसमें दो लड़कियां उनके बेटे को किस कर रहीं थीं. 16 साल के आर्यन फिलहाल लंदन में पढ़ाई कर रहे हैं. यह तस्वीर ट्विटर पर जैनब अब्दुल्लानी ने पोस्ट की थी जिसमें उन्होंने शाहरुख के बेटे आर्यन को लेडीज मैनका नाम दिया था.
शाहरुख खान को हमेशा से अपनी पत्नी गौरी के साथ अच्छे रिश्तों के लिए जाना जाता रहा है, और कभी भी अपनी सह अभिनेत्रियों के साथ उनके रिश्तों की चर्चा नहीं रही है. फिल्मों में उनकी रोमांटिक छवि के चलते दुनिया भर में उनकी महिला प्रशंसकों की अच्छी खासी संख्या है. 

पहले चरण की छटाई संपन्न


पहले चरण की छटाई संपन्न

मण्डला में 11, बालाघाट में बचे 19

(दीप्ति)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश में पहले चरण के नौ संसदीय क्षेत्र में उम्मीदवारों द्वारा जमा करवाये गये 144 नाम-निर्देशन पत्र की संवीक्षा (स्क्रूटनी) का कार्य आज संपन्न हुआ। नामांकन पत्रों की जाँच के बाद 10 नाम-निर्देशन पत्रों को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा निरस्त किया गया। सबसे अधिक 8 सतना में तथा होशंगाबाद एवं जबलपुर संसदीय क्षेत्र में 1-1 नामांकन पत्र निरस्त किये गये।
सतना में नामांकन पत्रों की जाँच के जिन उम्मीदवारों के नामांकन पर्चे निरस्त हुए उनमें निर्दलीय प्रत्याशी सर्वश्री राजेश कुमार, मुबारक अली, प्रकाश, मो. मुख्तार अहमद, रईस कव्वाल, गोंडवाना कांग्रेस पार्टी के गेवीप्रसाद, समता समाधान पार्टी के पुष्पेन्द्र, राष्ट्रीय समानता दल के स्वामीदीन शामिल हैं। जबलपुर में हुई स्क्रूटनी में निर्दलीय उम्मीदवार सुश्री सोनम दुबे तथा होशंगाबाद में इंडियन नेशनल कांग्रेस के बबलू रावत का नामांकन पर्चा विभिन्न कारणों से खारिज किया गया।
इस प्रकार अब पहले चरण के संसदीय क्षेत्रों में उम्मीदवारों की संख्या 134 रह गई है। इसमें सतना में 18, रीवा में 17, सीधी में 15, शहडोल में 14, जबलपुर में 15, मण्डला में 11, बालाघाट में 19, छिन्दवाड़ा में 17 और होशंगाबाद में 8 उम्मीदवार शेष बचे हैं। आगामी 26 मार्च तक उम्मीदवारों द्वारा नाम वापस लिये जा सकेंगे।

चौबीसों घंटे हो रही पेड न्यूज पर निगरानी


चौबीसों घंटे हो रही पेड न्यूज पर निगरानी

(संतोष पारदसानी)

भोपाल (साई)। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार माध्यमों से पेड न्यूज के प्रकाशन एवं प्रसारण पर निगरानी रखने के लिये जिला स्तर तथा राज्य स्तर पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भोपाल में एमसीएमसी प्रकोष्ठ कार्य कर रहा है।
इन प्रकोष्ठ के लिये 52 अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया पर प्रसारित होने वाली निर्वाचन संबंधी प्रचारात्मक खबरों की 24 गुणा 7 आधार पर आवश्यकता पड़ने पर रिकॉर्डिंग का काम करने के लिये टीवी मॉनीटर्स एवं अमले की व्यवस्था की गई है। प्रिन्ट मीडिया में प्रकाशित होने वाली खबरों के परि-निरीक्षण के लिये मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में समाचार पत्र परि-निरीक्षण प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इस प्रकोष्ठ में प्रतिदिन स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाली खबरों का परि-निरीक्षण कार्य किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर चुनाव संबंधी खबरों की निगरानी के लिये सी-डेक को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सी-डेक के अधिकारी प्रतिदिन अपनी रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को दे रहे हैं।

बालाघाट सहित पांच जगहों पर फारवर्ड ब्लॉक का चुनाव चिन्ह आरक्षित


बालाघाट सहित पांच जगहों पर फारवर्ड ब्लॉक का चुनाव चिन्ह आरक्षित

(प्रदीप आर्य)

भोपाल (साई)। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश के पाँच लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक के लिए चुनाव चिन्ह शेरको आरक्षित किया है।
आयोग ने जिन संसदीय क्षेत्र में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए शेरचुनाव चिन्ह आरक्षित/आवंटित करने के निर्देश दिये है, उनमें सतना, रीवा, जबलपुर, बालाघाट और छिंदवाड़ा शामिल है। उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक को पश्चिम बंगाल में राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है।