सोमवार, 7 जून 2010

ममता जुटीं सोनिया को खुश करने में

कपूरथला में बनेंगे ‘‘मेड इन रायबरेली‘‘ कोच

बिना निविदा आमंत्रण, हो गया भूमिपूजन!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 07 जून। स्थानीय निकयों के चुनावों में आशातीत सफलता पाने के बाद अब त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को प्रसन्न करने की कवायद आरंभ कर दी है। ममता बनर्जी चाहती हैं कि कोलकता की रायटर्स बिल्डिंग पर वाम मोर्चे के लाल झंडे के स्थान पर उनकी पार्टी की ध्वजा फहराई जाए, यह काम सोनिया गांधी के साथ तालमेल बनाए बिना ममता को संभव नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि पंजाब के कपूरथला में बनने वाले रेल्वे के कोच पर अब ‘‘मेड इन रायबरेली‘‘ की सील लगी दिखाई देने वाली है।

कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी को अपने पसंदीदा रेल्वे महकमे की जवाबदारी मिले के बाद भी उन्होंने सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में प्रस्तावित रेल कोच फेक्टरी का काम आरंभ नहीं करवाया था। उधर रेल्वे के सूत्रों का दावा है कि यह काम ममता दीदी के इशारों पर ही मंथर गति से चलाया जा रहा था।
जमीनी हकीकत पर अगर नजरें इनायत की जाएं तो रायबरेली में रेल कोच कारखाने का निर्माण अगले साल तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। मजे की बात तो यह है कि 2011 में अस्तित्व में आने वाले इस कारखाने के लिए अभी तक जमीन तक मुहेया नहीं हो सकी है। कारखाने के निर्माण में हो रहे हीला हवाला के चलते सोनिया गांधी खासी खफा बताई जा रहीं हैं। आलम यह है कि पूर्व रेल मंत्री और स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव के राजद के यूपी सूबे के अध्यक्ष अशेक सिंह इस मामले मंे काम न आरंभ करने की दशा में अमरण अनशन की धमकी तक दे चुके हैं।

उधर पश्चिम बंगाल के स्थानीय निकाय चुनावों में आशा से अधिक सफलता पाने के बाद अब ममता बनर्जी की निगाहें प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जाकर टिक गईं हैं। ममता के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे इस बात को भली भांति जानतीं हैं कि यह काम बिना कांग्रेस के सहयोग के परवान चढने वाला नहीं है। यही कारण है कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इस बात की घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी का समर्थन सरकर को पांच साल तक अनवरत जारी रहेगा।

इसी बीच कांग्रेस के चतुर सुजान प्रबंधकों की फौज में से एक ने ममता बनर्जी को यह संदेश पहंुचा दिया है कि रेल कोच कारखाने में हो रही देरी से आलाकमान की भवें तन रहीं हैं, कहीं एसा न हो कि इसका प्रतिकूल प्रभाव आने वाले विधानसभा चुनावों में त्रणमूल और कांग्रेस के गठबंधन पर पडे। इस खबर ने ममता की पेशानी पर चिंता की गहरी लकीरें उकेर दीं हैं। उन्होंने अपने ट्रबल शूटर प्रबंधकों को इसके मार्ग प्रशस्त करने के लिए ताकीद किया।

सूत्रों की मानें तो प्रबंधकों ने शार्ट कट रास्ता अख्तिायार करने का मशविरा ममता बनर्जी को दे दिया है। इस तरीके में सांप भी मर जाएगा और लाठी भी सलामत रहेगी। बताया जाता है कि पंजाब के कपूरथला रेल कोच कारखाने में बनने वाले रेल कोच को अधनिर्मित हालातों में रायबरेली लाया जाएगा, जहां इन्हें सजाया जाएगा। सजाने के उपरांत इन कोच को कपूरथला में निर्मित के स्थान पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में निर्मित बताया जाएगा। शेष भारत की जनता को इस बात का पता नहीं चल पाएगा कि यह काम कपूरथला में किया गया है या फिर रायबरेली में। चर्चा है कि सोनिया गांधी भी इस प्रस्ताव पर सहमत हो गईं हैं। प्रबंधकों को डर इस बात का सता रहा है कि अगर किसी ने ‘‘सूचना के अधिकार‘‘ में इस बात की जानकारी निकालकर सार्वजनिक कर दी तो कांग्रेस अध्यक्ष को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

रेल विभाग के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि रेल फर्निशिंग कारखाने की आधारशिला भी रख दी गई है। आनन फानन में रेल के सहयोगी प्रतिष्ठान राइट्स के पास इसका काम था, रेल विभाग ने इस काम को राइट्स के हाथों से लेकर अब इरकान को दे दिया है। इरकान ने लगभग 57, 36 और 30 करोड रूपयों की निविदा भी आमंत्रित कर दी है, जिन्हें दिल्ली में बुधवार 9 जून को खोला जाएगा। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि बिना निविदा आमंत्रित किए ही इस कारखाने का भूमि पूजन भी करवा दिया गया है।

थुरूर के बाद अब पंवार की चला चली की बेला

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

आईपीएल की आग में झुलस न जाएं पवार
लगता है इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का जिन्न अनेक मंत्रियों, राजनेताओं और जनसेवकों को लील कर ही दम लेगा। आईपीएल के चेयरमेन रहे ललित मोदी और कंेद्रीय विदेश राज्यमंत्री रहे शशि थुरूर के बीच हुई तकरार के बाद दोनों ही को अपना अपना पद गंवाना पडा था। आईपीएल की आग अभी बुझती नहीं दिख रही है। आज भी उसकी राख गर्म है, जाहिर है राख के नीचे शोले सुलग ही रहे हैं। कुछ दिनों की खामोशी के बाद अब केंद्रीय कृषि मंत्री और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शरद पंवार के इर्द गिर्द विवादों की सुई घूमना आरंभ हो गया है। मीडिया की सुर्खियां बनी एक खबर में कहा गया है कि पुणे टीम में पंवार के परिजनों की 16 फीसदी हिस्सेदारी है। पवार पर लगे आरोपों पर भाजपा ने तल्ख तेवर अपनाने के बजाए रस्म अदायगी कर उनका त्यागपत्र मांग लिया है। राजनीति के मंझे खिलाडी पंवार के लिए इस तरह के पंगों से बाहर निकलना कोई टेडी खीर नहीं है। अलबत्ता अगर भाजपा इसे मुद्दा बना लेती है तो फिर पंवार के लिए भाजपा का चक्रव्यूह तोडना थोडा मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी मंहगाई पर पवार की अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस उनसे खफा ही चल रही है, इन परिस्थितियों में कांग्रेस अगर एक तीर से कई निशाने साध ले तो किसी को अश्चर्य नहीं होना चाहिए।
मामा ओबामा को पसंद आई चपाती
जब दुनिया के चौधरी अमेरिका के पहले नागरिक की शपथ ली थी बराक ओबामा ने तभी लोगों की जुबान पर चढ गया था, ‘‘किसका मामा है ओबामा‘‘। अब दुनिया के इस चौधरी को ललक है तो भारतीय चपाती खाने की। हाल ही में भारत अमरिका सामरिक संवाद के स्वागत समारोह में ओबामा ने चपाती के प्रति अपनी जिज्ञासा को उजागर किया। विदेश मंत्री एम.एस.कृष्णा से चर्चा के दौरान ओबामा ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि उनकी केबनेट की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को दिल्ली का एक होटल बहुत ही रास आया है, विशेषकर वहां की चपाती। उस होटल में ‘‘हिलेरी प्लेटर‘‘ नाम का मेन्यू भी है। ओबामा ने चुटकी लेते हुए कहा कि उनका इरादा दिल्ली में किसी होटल में ‘‘ओबामा प्लेटर‘‘ बनाने का है। ओबामा बोले कि उनकी केबनेट के एक तिहाई सदस्य हिन्दुस्तान की यात्रा का आनंद ले चुके हैं। इसी बीच भारत के विदेश मंत्री को मुगालता न हो सो चट से ओबामा ने कहा कि हमारी केबनेट के सदस्य अगर भारत यात्रा पर गए थे, तो जाहिर सी बात है कि वे चपाती का लुत्फ उठाने अकेले तो गए नहीं होंगे।
पचौरी को जबर्दस्त झटका दिया दिग्गी राजा ने
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेश पचौरी भले ही कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के करीबी हों, पर उसी सूबे में दस साल लगातार तलवार की धार पर शासन करने वाले शक्तिशाली महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के आगे आज भी वे बौने ही हैं। 2008 अप्रेल में चौबीस साल तक राज्य सभा के रास्ते संसदीय सौंध में बिताने के बाद सेवानिवृत हुए सुरेश पचौरी को उम्मीद थी कि वे हाल ही में होने वाले राज्य सभा चुनावों में मध्य प्रदेश के रास्ते एक बार फिर केंद्र की राजनीति में पहुंच सकेंगे, पर उनकी आशाओं पर राजा दिग्विजय सिंह ने तुषारापात ही कर दिया। राज्य सभा प्रत्याशी के लिए नाम करने के अंतिम दौर में पचौरी के सरपरस्त रहे कमल नाथ और राजा दिग्विजय सिंह की राय जब मांगी गई तो दोनों ही ने पचौरी का साथ देने से किनारा कर लिया। अंततः पचौरी खेमे की माने जानी वालीं प्रदेश की पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधो के नाम पर आम सहमति बन गई। साधो को टिकिट दिलाने में पचौरी अवश्य ही कामयाब हो जाएं पर अब केंद्र और राज्य की राजनीति में उनकी सांसे उखडने ही लगी हैं। जुलाई में प्रदेश में अध्यक्ष का चुनाव होना है, तब शायद ही पचौरी ताकतवर रह पाएं।
कांग्रेस के लिए ममता हो गईं अपरिहार्य
पिछले पांच सालों में संप्रग सरकार के प्रमुख घटक कांग्रेस के लिए लालू प्रसाद यादव जरूरत बनकर उभरे थे, इस बार वे राजनैतिक परिदृश्य से अचानक ही गायब हो गए हैं। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, यह सतत प्रक्रिया है। इस बार लालू प्रसाद यादव का वेक्यूम भरने का जिम्मा उठाया है पश्चिम बंगाल की त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने। ममता ने स्थानीय निकाय चुनावों में बाजी मारकर साफ कर दिया है कि उनकी बेसाखी के बिना कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वेतरणी पार नहीं कर सकती है। कल तक वाम मोर्चे का गढ रहा बंगाल अब ममता के कब्जे में ही दिखाई दे रहा है। ममता के बढते कद से सबसे अधिक परेशान कांग्रेस के तथाकथित थिंक टेंक प्रणव मुखर्जी हैं। प्रणव दा अब कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को सफाई देने की स्थिति में भी नहीं बचे हैं कि आने वाले समय में होने वाले विधानसभा चुनाव के इस सेमी फायनल में कांग्रेस बाहर क्यों और कैसे हो गई है। सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी के मुंह लगे एक ताकतवर महासचिव ने प्रणव की इस असफलता के अस्त्र से प्रणव मुखर्जी की जडों में मट्ठा डालना भी आरंभ कर दिया है। देखना यह है कि प्रणव दा अब 10 जनपथ से अपनी नजदीकियां बरकरार रख पाते हैं या फिर पार्श्व में ढकेल दिए जाते हैं।
चिदम्बरम जी अब छग और एमपी हो गया लाल
नक्सलवादियों पर काबू पाने की केंद्रीय गृह मंत्री की सारी तैयारियों को धता बताकर नक्सलवादियों ने छत्तीसगढ और मध्य प्रदेश में आतंक बरपाकर साफ कर दिया है कि उन्हें न तो राज्यों की सरकार और न ही केंद्र के कदमों से कोई लेना देना नहीं है। भारत गणराज्य में समूचे देश के अनेक सूबों में नक्सलवादी अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं और केंद्र सरकार नीरो की तरह चैन की ही बंसी बजा रही है। पिछले दिनों छत्तीसगढ के जगदलपुर और मध्य प्रदेश के बालाघाट में नक्सलियों ने जो तांडव किया है वह किसी से छिपा नहीं है। बालाघाट जिले में सर्च का काम सीआरपीएफ के जिम्मे है। यहां रीवा की बटालियन की एक कंपनी तैनात है। मजे की बात तो यह है कि कंपनी के सभी 138 जवानों के जिम्मे बालाघाट में पुलिस और प्रशासन की बंग्ला डियूटी संभालने का काम ही है। कल तक जिस काम को नगर सेना (होम गार्ड) या जिला पुलिस बल के जिम्मे होता था आज वह काम विशेष सशस्त्र बल के जवानों के कांधों पर है। सच ही है राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव में बालाघाट और जगदलपुर जैसी घटनाएं घटना आम बात है।
लालू मुलायम पर कांग्रेस की नजर
तलवार की धार पर चलने वाली कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की कुर्सी के पाये अब कमजोर होते दिख रहे हैं। एक के बाद एक सहयोगी दलों के मंत्रियों के दागदार और कांग्रेस के मंत्रियों के जवाबदारी से मुंह मोडने के चलते कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक आईं हैं। कहा जा रहा है कि स्पेक्ट्रम घोटाले में ए.राजा को अगर दोषी माना जाएगा तो उनका त्यागपत्र अवश्यंभावी है। इसके अलावा अगर शरद पवार को आईपीएल का जिन्न खा जाएगा तब कांग्रेस अल्पमत में सरकार नहीं चला पाएगी। वैसे भी ममता की बयानबाजी, आझागिरी के अडियल रवैए से कांग्रेस नेतृत्व परेशान है। कांग्रेस के प्रबंधक इसका तोड ढूंढने की जुगत में लगे हैं। कांग्रेस को सबसे साफ्ट टारगेट के तौर पर लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव ही दिखाई पड रहे हैं। सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल को मुलायम सिंह से बातचीत के लिए लगाया गया है। मुलायम सत्ता में हिस्सेदारी के साथ ही समर्थन देने की शर्त रख रहे हैं। इसके अलावा रालोद के अजीत सिंह का मन टटोलने के लिए मोती लाल वोरा को पाबंद किया गया है। देखना यह है कि एक साल पूरा होने के उपरांत अब संप्रग का नया चेहरा क्या होगा।
अब शुद्ध पेयजल के लिए भी आयोग
भारत गणराज्य के नागरिकों को ब्रितानी गुलामी से मुक्ति के बासठ सालों बाद भी बुनियादी चीजें मिलें न मिलें पर राजनेताओं के लिए लाल बत्ती और उनके वेतन भत्ते, विलासिता की चीजों के मार्ग अवश्य ही प्रशस्त हो जाते हैं। देश में हर मामले में न जाने कितने आयोगों का गठन किया जा चुका है। अपने मूल उद्देश्य और काम को समयावधि में शायद ही किसी आयोग ने पूरा किया हो, हर बार इसका कार्यकाल बढाया ही गया है। जब पता है कि काम निर्धारित तय अवधि में पूरा नहीं किया जा सकता है, तो फिर बेहतर होगा कि इसकी समयावधि तय ही न की जाए। हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रदूषण मुक्त साफ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक आयोग बनाने पर विचार करने की बात कही है। राज्य सभा में बीते दिनों शहरी ग्रामीण विकास मंत्री सी.पी.जोशी ने देश में आर्सेनिक, फ्लोराईड और अन्य हानिकारक लवणों से युक्त पेयजल के बारे में पूछे सवाल के जवाब में कहा कि इस हेतु सरकार एक उच्च स्तरीय वैज्ञानिक सलाहकार आयोग के गठन पर गंभीरता से विचार कर रही है। अघोषित परंपरा के मुताबिक इस आयोग में भी किसी राजनेता को बिठाकर उपकृत ही किया जाएगा।
ई रिजर्वेशन अब 23 घंटे
रेल यात्रियों की सुविधा में ममता बनर्जी ने इजाफा करते हुए अब ई रिजर्वेशन चोबीस में से 23 घंटे के लिए खोल दिया है। रेल्वे के सूत्र बताते हैं कि इसके साथ ही साथ 139 नंबर पर पीएनआर की मौजूदा स्थिति जानने के लिए अब रात में परेशान नहीं होना पडेगा। रेल्वे की आईआरसीटीसी की वेव साईट को मेनटनेंस के लिए रात साढे ग्यारह से रात साढे बारह तक के लिए ही बंद किया जाएगा। शेष समय यह वेव साईट बाकायदा काम ही करती रहेगी। तत्काल का आरक्षण इसके माध्यम से 48 घंटे के पूर्व नहीं करवाया जा सकेगा। रेल मंत्री को यह बात शायद ही पता हो कि तत्काल का आरक्षण जैसे ही खुलता है रेल्वे की उक्त वेव साईट बहुत ही धीमी हो जाती है, इसका कारण महानगरों में बैठे आईआरसीटीसी के एजेंट हैं, जो ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में रेल्वे अधिकारियों की मिली भगत से वेव साईट को धीमा कर देते हैं। तत्काल रिजर्ववेशन के लिए यह वेव साईट सुबह आठ से रात ग्यारह बजे तक ही काम करेगी।
सबसे मंहगा कैदी है स्कूल ड्राप आउट
पाकिस्तान में कभी पढाई को बीच में ही छोड देने वाला मोहम्मद अजमल आमिर कसाब आज की तारीख में भारत का सबसे मंहगा कैदी बन गया है। 26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए सबसे बडे आतंकी हमले के इकलौते जिन्दा पकडे गए दोषी कसाब पर भारत सरकार ने नवंबर 2009 तक एक साल में ही तीस करोड रूपए से अधिक खर्च किए हैं। 1987 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ओकारा जिले के फरीदकोट गांव में पैदा हुए कसाब के पिता गांव में ही खाने पीने की दुकान लगाया करते थे। पांच भाई बहनों में तीसरे नंबर के कसाब ने आर्थिक तंगी के चलते 2000 में स्कूल जाना बंद कर दिया था, एवं 2005 तक वह दरगाह में छोटा मोटा काम कर गुजारा चलाता था। स्पेशल कोर्ट से सजा पाने के बाद कसाब अब उंची अदालत में अपील करने की इच्छा रख रहा है। वैसे भी कसाब को जिंदा रखने के ओचित्य पर देश में अघोषित बहस चल रही है। कुछ का मानना है कि एसे दुर्दांत अपराधी को सरेराह फांसी पर लटका देना चाहिए, तो कुछ कूटनीतिक कारणों से कसाब को जिन्दा रखने के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं।
गोबर का गडबडझाला!
‘‘तुम्हारे दिमाग में गोबर भरा है, सब गुड गोबर कर दिया‘‘ इस तरह के महावरों का प्रयोग आपने बचपन से अब तक कई मर्तबा किया होगा पर क्या आपने कभी सोचा है कि यही गोबर इतना कीमती हो जाएगा कि इसे आयात करना पडे! जी हां यह सच है, देश की सरकार वर्ष 2005 से गोबर को विदेशों से खरीदकर भारत ला रही है। देश में घटते पशुधन के चलते खाद में कमी आ रही है, यह बात सच है। आधुनिकीकरण, शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते पशुओं की तादाद में रिकार्ड कमी दर्ज की गई है। विदेशों से वेस्ट मेटेरियल आयात करने के मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय बहुत जुदा ही नजर आ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि गोबर की खाद और पशुमूत्र की कमी देश में है। विदेशों से इसका आयात हो रहा है, पर समस्या यह है कि मंहगी कीमत और ढुलाई दरों को अगर सहन भी कर लिया जाए तो विदेशांे से आने वाले बेक्टीरिया और वायरस को कैसे रोका जाए। अगर इसमें एंटी बायोटिक्स या अन्य रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है तो इसे जैविक खाद की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। लगभग 15 साल पहले गुजरात में एक जहाज भरकर गोबर लाया गया था, बताते हैं कि गायों को बहुत अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक देने से गोबर जहरीला हो गया था, तब भारत में इसे निशुल्क भेजने का लालच दिया गया था, क्योंकि इस जहरीले गोबर को अगर समुद्र में डाला जाता तो पानी बहुत ही जहरीला हो जाता। विदेशों की गंदगी और जहर हम भारतीय किस कदर अंगीकार करते हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है। जय हो, हमारे जनसेवक पांच सालों से सो रहे हैं, और सरकार है कि मनमानी पर उतारू है।
कांग्रेस का अल्पसंख्यकों से मोहभंग!
कल तक अल्पसंख्यकों की बिसात पर राजनैतिक मुहरे चलने वाली कांग्रेस का अब लगता है कि कांग्रेस से मोहभंग हो गया है। मध्य प्रदेश से राज्य सभा के लिए एक सीट पर नाम तय करने पर कांग्रेस ने सूबे के अस्सी लाख मुसलमानों को किनारे ही किया है। राजा दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में अबू आजमी को राज्यसभा से सूबे से पहंुचाया गया था। इस बार मुस्लिमों को उम्मीद थी कि उनके वर्ग को कांग्रेस तवज्जो देकर प्रतिनिधित्व देने का प्रयास करेगी, वस्तुतः एसा होता नजर ही नहीं आ रहा है। वैसे भी मुस्लिमों को कांग्रेस का वोट बेंक ही माना जाता रहा है। 2009 में 12 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं थीं, इसमें भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र का वर्चस्व रहा है। अल्पसंख्यक मुसलमानों का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पिछले दो दशकों में कोई भी लोकसभा नहीं पहंुच सका है, अबू आजमी को अगर छोड दिया जाए क्योंकि वे प्रदेश से बाहर के थे, तो कांग्रेस ने सुरेश पचौरी को चार बार के अलावा अर्जुन सिंह, एवं माबल रिबेलो को भी राज्य सभा से भेजा। हो सकता है कांग्रेस को लगता हो कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार दूसरी बार बनी है, और भाजपा की रीति नीति के चलते मुसलमान उसके करीब नहीं जा सकते, इससे वे मजबूरी में कांग्रेस का ही साथ देने पर मजबूर होंगे।
पुच्छल तारा
हमारी यादें किस कदर हमें उलझा देतीं है कि जब हम हंसना चाहें तो रोते हैं और जब रोना चाहें तो हंसने पर मजबूर हो जाते हैं। मुंबई से तृप्ती वर्मा ईमेल भेजती हैं कि हमारी याददाश्त बहुत ही कन्फयूजिंग रोल प्ले करती हैं। हमारी पुरानी यादें हमं हंसने पर मजबूर कर देतीं हैं जब हम याद करते हैं कि हम अपने मित्र सखा ही पहली प्रथमिकता होते थे और उनके साथ एक साथ मिलकर रोया करते थे, और अब जब सभी अपने अपने कामों में व्यस्त हैं किसी के पास किसी से मिलने का समय नहीं है, सभी की प्राथमिकताएं अब बदल गईं हैं, तब हम रोते हैं उस बात को याद करके जब हम सभी एक साथ मिलकर ठहाके लगाया करते थे, दरअसल आज वे क्षण हमें नहीं मिल पाते हैं।

गुरूजी गुरूजी न रहे