मंगलवार, 23 जून 2009

खासोआम है शीला सरकार का बजट

(लिमटी खरे)

मंहगाई बढ़ाने की सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए शीला सरकार के वित्त मंत्री डॉ.अशोक वालिया ने इस बार दिल्ली की जनता को विशाल जनादेश का तोहफा सीधा सरल बजट देकर दिया है। तीसरी बार दिल्ली की कुर्सी पर काबिज हुई शीला दीक्षित के सामने चुनौतियों के अंबार के बावजूद इस तरह के बजट की उम्मीद नहीं की जा रही थी।बजट के पिटारे में डॉ.वालिया ने आम आदमी के लिए राहत का पैकेज ही सामने लाया है। सरकार ने किसी भी तरह का अतिरिक्त कर न लगाकर लोगों के अंदर भरोसा जताने का प्रयास किया है कि अगर वे वास्तव में विकास चाहते हैं तो कांग्रेस का दामन न छोड़ें।गौरतलब होगा कि बजट पूर्व अर्थशास्त्रियों के हवाले से मीडिया चीख चीख कर लोगों की नींद में खलल डाल रहा था कि दिल्ली सरकार का बजट इतना भयावह होगा कि आम दिल्लीवासी की रूह कांप जाएगी। वस्तुत: एसा कुछ दिखा नहीं। मीडिया की कपोल काल्पित बातें एक बार फिर उजागर हो गईं।मीडिया अटकलें लगा रहा था कि बजट में बिजली, रसोई गैस, दाल आदि पर दी जाने वाली सब्सीडी को सरकार समाप्त कर देगी, मीडिया के इन कायसों को झुठलाते हुए शीला दीक्षित सरकार ने आम आदमी की ओर एक कदम बढ़ाने का प्रशंसनीय प्रयास किया है।इस मनभावन बजट में आम आदमी से जुड़ी एक विशेष व्यवस्था ``परिवहन`` पर शीला सरकार ने खासा ध्यान दिया है। आने वाले समय में सड़कों पर लो फ्लोर बस तो भूमिगत एवं उपरी मार्ग पर दिल्ली मेट्रो की सेवा में तेजी से विस्तार हो सकेगा। वैसे भी अगले साल होने वाले राष्ट्रमण्डल खेलों के मद्देेनजर इनका विस्तार आवश्यक हो गया था।शीला सरकार ने आम आदमी से जुड़ी जलआपूर्ति और जल मल निकासी तथा शहरी विकास पर को दूसरी प्राथमिकता पर रखते हुए इसके लिए बजट का कुल 13.66 प्रतिशत हिस्सा आवंटित किया है। उम्मीद की जाएगी कि दिल्ली में इन व्यवस्थाओं को पटरी पर लाया जा सकेगा।2010 में होने वाले कामन वेल्थ गेम्स केंद्र और दिल्ली सरकार की प्रथमिकता में सबसे उपर हैं। यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने इनके लिए 245 करोड़ से अधिक का प्रावधान किया है। यह राशि आगे बढ़ाई भी जा सकती है। वैसे भी दिल्ली में इन गेम्स को संपन्न कराना शीला सरकार के लिए एक चुनौति से कम नहीं है।इस बार शीला सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य के बारे में भी पहली बार सोचा है। मिलावटी शराब के प्रकरणों में आजीवन कारावास तो सार्वजनिक स्थानों को खुले मदिरालय में तब्दील करने वालों को पांच हजार रूपए के दण्ड से नवाजने का प्रावधान भी किया गया है। गौरतलब होगा कि दिल्ली में जहां तहां लोग खड़े होकर मदिरापान करते नजर आ ही जाते हैं, जिससे रहवासी विशेषकर महिलाएं प्रभावित हुए बिना नहीं हैं।इस बजट के नकारात्मक पहलू भी हैं। राष्ट्रमण्डल खेल से इतर दिल्ली वासियों की जरूरतें भी हैं, जिनका ध्यान रखना दिल्ली सरकार का फर्ज था। आम आदमी के लिए आवश्यक स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर शीला सरकार का ध्यान न जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जाएगा।कामनवेल्थ गेम सफलता पूर्वक संपन्न कराना दिल्ली सरकार नहीं वरन दिल्ली की जनता का भी नैतिक दायित्व है, किन्तु अपना पेट काट, बच्चों के मुंह से निवाला छीनकर इसे संपन्न कराना कहां तक उचित माना जाएगा। दिल्ली की आबादी में पिछले कुछ सालों में हुए विस्फोट के उपरंात यहां स्कूली और उच्च शिक्षा के लिए नए संस्थानों की दरकार एक असेZ से है।इतना ही नहीं दिल्ली सरकार के बजट में बाल श्रमिक, श्रम कल्याण, अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, जेल, कला, पर्यटन, संस्कृति, कला, उद्योग आदि के क्षेत्रों की उपेक्षा अचरज की बात है। दिल्ली सरकार का पूरा ध्यान कामन वेल्थ गेम ही हैं, किन्तु शीला जी आपकी रियाया की इससे इतर जरूरतों को आप नहीं पूरा करेंगी तो अगली मर्तबा यही जनता जनार्दन आपको सत्ता के गलियारे से उठाकर बाहर फेंकने में गुरेज नहीं करेगी।