सोमवार, 20 दिसंबर 2010

कांग्रेस का 83वां अधिवेशन संपन्‍न

आतंकी गतिविधियां बंद करे पाक: प्रधानमंत्री

(लिमटी खरे)

बुराड़ी (नई दिल्ली)। वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह ने कहा है कि वे पाकिस्तान का भला चाहते हैं, और उन्होंने पाकिस्तान को चेताया कि वह अपनी सरजमी पर भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों का संचालन न होने दे। प्रधानमंत्री आज कांग्रेस के 83वंें महाधिवेशन को संबोधित कर रहे थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत चाहता है कि पाकिस्तान के साथ भारत के दोस्तानाा ताल्लुकात हों, लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकी गतिविधियों का संचालन बंद करे। पीएम ने कहा कि पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपनी जमीन पर भारत के खिलाफ फैल रही दहशतगर्दी की गतिविधियों को प्रश्रय न दे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी पड़ोसी देशों से भारत के संबंध मधुर रहें।

डॉ.मनमोहन सिंह ने आव्हान किया कि आज आवश्यक्ता इस बात की है कि दक्षिण एशिया के सारे देश खुशहाल रहें, और यह तभी संभव हो पाएगा जब सारे देश मिलकर भुखमरी,, बेरोजगारी और बीमारी से एक साथ मिलकर मुकाबला करें न कि एक दूसरे से लड़ें। उन्होने कहा कि भारत की विदेश नीति का मतलब एकदम साफ है कि सारे लोगों के साथ मिलकर हम भारत और विश्व के अन्य देशों की भलाई के लिए काम करें।

सोनिया को लगाया पीएम ने मस्का
अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को प्रसन्न करने में कोई कसर नहीं रखी। डॉ.सिंह ने कहा कि श्रीमति सोनिया गांधी की साफ सुथरी राजनीति, विनम्रता और कांग्रेस को मजबूत करने की उनकी कोशिशों के वे कायल हैं। उन्होंने कहा कि यह उनकी खुशकिस्मती है कि आज सोनिया गांधी के नेतृत्व मंे उन्हें काम करने का मौका मिल रहा है। कार्यकर्ताओं का आव्हान करते हुए डॉ.सिंह ने कहा कि देश की तरक्की मेें कांग्रेस की महती भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। कांग्रेस ही इकलौती एसी पार्टी रही है जिसने देश को स्थिरता देने के साथ ही साथ हर वर्ग हर तबके के लोगों को साथ लिया है।

एमपी के मंत्रियों से खासे खफा दिखे कार्यकर्ता
मध्य प्रदेश कोटे से केंद्र में सत्ता सुख भोगने वाले मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया और अरूण यादव से कार्यकर्ता बुरी तरह खफा ही नजर आए। एमपी से आए कार्यकर्ताओं के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार केंद्र के ये मंत्री जब भी मध्य प्रदेश के दौरे पर आते हैं तो इन्हें महज अपने संसदीय क्षेत्र की ही चिंता सताती रहती है। यद्यपि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने मंत्रियों को साफ हिदायत दी है कि वे कार्यकर्ताओं का पूरा पूरा ध्यान रखें किन्तु उनकी इस नसीहत के बाद भी कार्यकर्ताओं को कुछ खास सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि अगर सोनिया गांधी की लताड़ का अक्षरशः पालन हो जाए तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस को कोई पराजित नहीं कर सकता है।

सोनिया ने सराहा पत्रकारों को
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मीडियाकर्मियों की तपस्या के लिए उनका धन्यवाद करने के साथ यहां आयोजित पार्टी के तीन दिवसीय महाधिवेशन का सोमवार को समापन किया। सार्वजनिक तौर पर हंसने मुस्कराने में आमतौर पर कंजूसी बरतने वाली सोनिया ने आपने समापन भाषण के अंत में कहा कि वे मीडिया के साथियों को बधाई देती हैं क्योंकि ऐसे मौकों पर उन्हें भी काफी तपस्या करनी पड़ी है।

अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष के मसले पर हस्ताक्षेप की मांग
मध्य प्रदेश के कांग्रेस के विधायकों ने सूबे में कांग्रेस के गिरते जनाधार पर गहरी चिंता जाहिर की है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि एमपी के कुछ विधायकों ने श्रीमति सोनिया गांधी से मिलकर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के मामले में कोई फैसला न हो पाने के कारण कांग्रेस के सुस्सुप्तावस्था में जाने की शिकायत दर्ज कराई है। विधायकों ने इसके पूर्व कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह, एमपी के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से भेंट कर उनसे इस बारे में चर्चा की। विधायकों में प्रमुख तौर पर आरिफ अकील, अरूणोदय चौबे, गोविंद राजपूत, उमंग सिंघार, जगदीश जाटव, शिवनारायण मीणा, यादवेंद्र सिंह, तुलसी सिलावट, के.पी.सिंह, रामलाल मालवीय आदि शामिल थे।

दिल्‍ली में पारा लुढका

रात और सर्द हुई राजधानी की

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। दिल्ली में एक बार फिर हाड़ गलाने वाली ठंड का आगाज हो चुका है। रविवार को यद्यपि तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं थी, किन्तु रविवार और सोमवार की दर्मयानी रात में पारा एकाएक लुढक गया। सोमवार की सुबह राजधानी का आसमान कोहरे से ढका हुआ था। रविवार की रात को दिल्ली में सामान्य से एक डिग्री कम अर्थात 7.5 डिग्री तापमान दर्ज किया गया। मौसम विभाग के सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को दिल्ली का तापमान 22 डिग्री और न्यूनतम तापमान सात डिग्री रहने की उम्मीद है।

आयुर्विज्ञान महाविद्यालय खोलने उठाया केंद्र ने कदम

मेडीकल कालेज अब कार्पोरेट सेक्टर के हाथ!

वर्ममान में महज 316 मेडीकल कालेज हैं देश भर में

फार्मा कंपनियां और बड़े अस्पतालों के समूहों ने दिखाई दिलचस्पी
सरकार के फैसले के बाद मिलने लगे हैं एमसीआई को प्रस्ताव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कम निवेश में ज्यादा कमाई के चक्कर में कंपनियां मेडीकल के बजाए इंजीनियरिंग और मेनेजमेंट कालेज खोलने पर अपना ध्यान केंद्रित रखती हैं। देश में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने कार्पोरेट सेक्टर में आर्युविज्ञान महाविद्यालय खोलने की अनुमति प्रदान कर दी है।

मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के सूत्रों का कहना है कि इसके लिए वे ही कंपनियां आवेदन कर सकेंगी जो कंपनी एक्ट के तहत पंजीबद्ध हैं। केंद्र सरकार को इसके लिए 78 प्रस्ताव मिले हैं जिनकी जांच की जा रही है। सूत्रों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में सब कुछ अगर ठीक ठाक रहा तो अगले शैक्षणिक सत्र से कार्पोरेट सेक्टर की कंपनियां मेडीकल कालेज आरंभ कर सकती हैं।

गौरतलब होगा कि देश में वर्तमान में लगभग साढ़े छः लाख चिकित्सकों की कमी है। इसी के मद्देनजर केंद्र, राज्य सरकार, विश्वविद्यालयों, सोसायटी, ट्रस्ट के साथ ही साथ अब कार्पोरेट सेक्टर की कंपनियों को भी मेडीकल कालेज खोलने की अनुमति प्रदान की गई है। इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है।

ज्ञातव्य है कि देश में वर्तमान में 2400 इंजीनियरिंग तो 2200 मेनेजमेंट के महाविद्यालय अस्तित्व में हैं। इनके मुकाबले मेडीकल कालेज की तादाद महज 316 ही है। देश में हर साल एक लाख चिकित्सकों की आवश्यक्ता महसूस की जा रही है। इंजीनियरिंग और प्रबंधन कालेज की तादाद को देखकर अभी तक इस क्षेत्र में कार्पोरेट घरानों का प्रवेश वर्जित ही रखा गया है।

महाधिवेशन में रही बदइंतजामी

बदइंतजामी के साए में हुआ अधिवेशन
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस के मत्थे रहा कांग्रेस का 83वां महाधिवेशन पूरी तरह से बदइंतजामी के साए में संपन्न हुआ।  दिल्ली के नेताओं ने इसके इंतजामों का खूब ढिंढोरा पीटा, मीडिया में भी अधिवेशन की सफलता और इंतजामों को लेकर कसीदे गढ़े गए, किन्तु रविवार को जब यहां बुराड़ी गांव में अधिवेशन शुरू हुआ, तो सारे दावों की हवा ही निकल गई।
गौरतलब है कि इसी बुराड़ी के मैदान में निरंकारी लाखों का समागम करते हैं। लेकिन यहां कुल 15 हजार लोगों के आने से ही सभास्थल के बाहर दो किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया। किसी को नहीं मालूम था कि उसके जाने का रास्ता किधर से है। कहीं कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाए गए। शामियानों वालों ने गेट तो खूब ऊंचे लगा दिए, मगर उन पर कुछ नहीं लिखवाया गया। यहां तक कि प्रवेश और निर्गम एक ही रास्ते से था। वहीं पार्किंग थी। बड़े कांग्रेसी नेताओं, मंत्रियों सहित पत्रकारों, महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं, सीनियर सिटीजन्स को अपनी गाडिय़ों से एक किलोमीटर से ज्यादा पहले छोड़कर जाम लगी सड़क से पैदल आना पड़ा।

दो बार गाया गया वंदे मातरम
हद तो तब हो गई कि जब कांग्रेस के किसी भी कार्यक्रम की शुरू में गाए जाने वाले वंदे मातरम को दो -दो बार गाया गया। पहली बार तो वंदे मातरम शुरू होते ही साउंड सिस्टम धोखा दे गया। कार्यकर्ता पशोपेश में रहे फिर थोड़ी देर बाद दूसरी बार वंदे मातरम का गान हुआ।

एमपी वालों को लगा मानो सूबे में ही हैं
सभास्थल पर बार बार बिजली के जाने से मध्य प्रदेश से आए प्रतिनिधियों को लगा मानो वे अपने प्रदेश में ही हैं। हास परिहास के दौरान इस तरह की बातों का कार्यकर्ताओं ने जमकर मजा लिया। सभा स्थल पर साउंड सिस्टम कई बार फेल हुआ। एक बार तो साउंड सिस्टम फेल होने का बिहार के कार्यकर्ताओं ने जमकर फायदा उठाया। उन्होंने बिहार के प्रभारी मुकुल वासनिक के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। करीब 10 मिनट तक स्टेज पर बैठीं सोनिया गांधी सहित पार्टी के तमाम बड़े नेता खामोशी से यह हंगामा देखते रहे। कार्यक्रम में बिजली ने कई बार धोखा दिया। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित खुद बिजली की जांच-पड़ताल करने के लिए भाग-दौड़ करती रहीं।
खान पीन व्यवस्था रही बदहाल
सम्मेलन में खाने पीने की व्यवस्था को लेकर खासा खाका तैयार किया गया था। बाद में जब सम्मेलन संपन्न हुआ तब इन दावों की हकीकत सामने आ ही गई। खाने की छोडिए़, लोग चाय कॉफी को भी तरस गए। सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक रहे कार्यकर्ता, मीडिया कर्मियों को खाने के लिए लंबी लाइनें लगाना पड़ीं। लेकिन जब खाने तक पहुंचे पता चला खाना ही खत्म हो गया। कच्चे अधपके चावल और कच्ची तो कहीं जली रोटियांे का लुत्फ उठाया कार्यकर्ताओं ने। उधर दूसरी ओर मंत्रियों और बड़े नेताओं के लिए खाने का इंतजाम पूरी तरह से चाक चौबंद रहे।

राष्ट्रीय फ्रेमवर्क की बैठक में नहीं पहुंचा सूबे का कोई नुमाईंदा

मध्य प्रदेश को नहीं है वोकेशनल कोर्स में दिलचस्पी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। नवमीं कक्षा से ही विद्यार्थियों को व्यवसायिक दक्षता का प्रशिक्षण देने के लिए राष्ट्रीय वोकेशनल एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के मामले में मध्य प्रदेश की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा मंगलवार को दिल्ली में आयोजित माध्यमिक शिक्षा मंत्रियों की इस संदर्भ की बैठक में मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस सहित आला अफसरान भी गायब रहे।
एचआरडी मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में एमपी सहित डेढ़ दर्जन राज्यों के मंत्रियों ने आने पर अपनी सहमति जताई थी। बाद में इस बैठक में देश के महज चार सूबों के शिक्षा मंत्रियों ने शिरकत की। बैठक में कपिल सिब्बल ने कहा कि नवमी कक्षा से ही बच्चों को व्यवसायिक प्रशिक्षण देने का उद्देश्य युवाओं के लिए रोजगार के मौके प्रशस्त करना है। साथ ही साथ एसी विधाओं को भी बचाने और पुर्नजीवित करने के प्रयास हो सकेंगे जो लुप्त होने की कगार पर ही खड़ी हैं। सिब्बल का कहना था कि वोकेशनल एजुकेशन का करीकुलम हर सूबा अपनी स्थानीय जरूरत, मांग, उपलब्ध संसाधनों के हिसाब से तैयार करे।
मानव संसाधन विभाग के सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार अब स्थानीय कला और कौशल के संरक्षण के लिए कार्ययोजना बनाने की कार्यवाही कर रही है। विडम्बना ही कही जाएगी कि मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों की सरकारों द्वारा इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं ली जा रही है। मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस और आला अफसरान द्वारा इस बैठक से अपने आपको इस बैठक से दूर रखने से साफ हो जाता है कि बच्चों के भविष्य को लेकर मध्य प्रदेश की सरकार कितनी संजीदा है।

स्थानीय विलुप्त होेती कलाओं को करना होगा पुर्नजीवित

मध्य प्रदेश के बुंदेल खण्ड की चंदेरी साड़ियां, महाकौशल में बुनकरों द्वारा हाथ करघे के माध्यम से बुने जानी वाली साड़ियां, वनवासियों आदिवासियों और वंशकारों द्वारा बनाया जाने वाला बांस का सामान सहित अनेक कुटीर उद्योग शासन की सहायता और पर्याप्त देख संभाल न हो पाने के चलते दम तोड़ता जा रहा है, जिसे बचाने के लिए वोकेशनल एजूकेशन एक कारगर हथियार साबित हो सकता है।

इस तरह बह रहा है गरीब गुरबों के पसीने से संचित धन

ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)

इस तरह बह रहा है गरीब गुरबों के पसीने से संचित धन
भारत गणराज्य में बुंदेल खण्ड की कहावत ‘‘अंधा पीसे कुत्ता खाए‘‘ अर्थात अंधा गेंहू पीसता जाए और उसी के सामने कुत्ता उस गेंहू के आटे को चट करता जाए, को भारत गणराज्य की सभी सरकारों द्वारा चरितार्थ किया जा रहा है। गरीब गुरबों से करों के माध्यम से एकत्र की गई राशि को जब उन्हीं के हितों में बनी योजनाओं के लिए व्यय किया जाता है तब उसमें राजनेताओं और नौकरशाहों की जुगलबंदी के चलते भ्रष्टाचार का खेल आरंभ होता है। भारत के महालेखापरीक्षक द्वारा हाल ही में जारी बीसवें प्रतिवेदन में साफ तौर पर इस बात को रेखांकित किया गया है। इसके प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि फरवरी 2007 में आरआरडब्लूएच के तहत बासठ लाख का एक प्रोजेक्ट महाराष्ट्र प्रदेश के सुवेद फाउंडेशन नामक एनजीओ को प्रदाय किया गया था। इस एनजीओ को एक ही परिवार मिलकर संचालित कर रहा था। इसके सात एक्जीक्यूटिव सदस्यों में से पांच एक ही परिवार के हैं, और तो और पति और पत्नि इसके अध्यक्ष और सदस्य का महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि इस एनजीओ के मेन्डेट का ग्रामीण विकास से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था।

नए क्लेवर में आ रहा है सिमी
हिन्दुस्तान में आतंक और अनैतिक गतिविधियों का पर्याय बन चुका प्रतिबंधित इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) अब नए स्वरूप को तलाश रहा है। चारों ओर प्रतिबंध की आवाज के बाद अब सिमी का काडर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बेनर तले एकत्र करने की खबरें आ रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो पीएफआई ने दक्षिण भारत में भर्ती के उपरांत अब उत्तर भारत में पैर पसार रहा है। सूत्रांे ने यह बताया कि फरवरी 2006 में सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद सिमी के काडर को एकजुट रखने के लिए यह किया जा रहा है। गौरतलब होगा कि सरकार द्वारा सिमी पर तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है, और प्रतिबंध हटाने का वाद सिमी ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर किया था जो वह हार चुका है। सिमी के काडर के पीएफआई में समाहित होने पर सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह माना जा रहा है कि यह संगठन अब नक्सलियों को लुभाकर उनसे गठजोड़ की फिराक मंे है। अगर पीएफआई को इसमें कामयाबी मिली तो भारत गणराज्य की आने वाले कल की तस्वीर बहुत ही ज्यादा भयावह हो सकती है।

लाली का शगल रहा है नियम कायदों को ताक पर रखना
प्रसार भारती में सबसे ताकतवर माने जाने वाले दूरदर्शन के मुख्य कार्यकारी आधिकारी लाली का प्रमुख शगल नियम कायदों को तोड़ना रहा है। जब मामला महामहिम राष्ट्रपति के दरबार में पहुंचा तब उन्होंने भी मामले की नजाकत को देखकर लाली के खिलाफ जांच की अनुमति दे डाली। हाल ही का एक घटनाक्रम लाली के व्यवहार को दर्शाता है। दरअसल हुआ यूं कि लाली ने संसद भवन में उस प्रवेश द्वार को अंदर जाने के लिए चुना जिस प्रवेश द्वार का उपयोग माननीय सांसदों द्वारा किया जाता है। द्वारपालों को चकमा देकर उन्होने अंदर प्रवेश पा लिया। अंदर के द्वार पर तैनात संतरी ने उन्हें आगे न जाने की हिदायत देकर बेरंग वापस लौटा दिया। खुद को बहुत बड़ा ब्यूरोक्रेट समझने वाले लाली को आखिर वहां से वापस लौटकर उस द्वार से ही प्रवेश करने पर विवश होना पड़ा जिस द्वार से आम जनता प्रवेश करती है।

न्यायालय से बड़े हैं माननीय!
केंद्रीय राजनीति के सिरमोर सुषमा स्वराज, शत्रुध्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा अरूण जेटली, शाहनवाज हुसैन, सुमित्रा महाजन, अरूण जेतली, राम जेठमलानी, संजय निरूपम, अमर सिंह, केप्टन सतीश शर्मा, दीपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर, योगी आदित्यनाथ, महाबल मिश्र, नवीन जिंदल, हरेन पाठक, संदीप बंदोपाध्याय,करिया मुण्डा आदि जैसी हस्तियां देश के न्यायालयों के उपर हैं! जी हां, दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इन माननीयों पर कार्यवाही करने में केंद्र सरकार अपने आप को बौना ही पा रही है। शहरी विकास मंत्रालय में चल रही बयार के अनुसार लगभग दो वर्ष पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन माननीयों सहित नौकरशाहों के लुटियन जोन स्थित सरकारी बंग्लों पर हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। कहा जा रहा है कि लुटियन जोन में 71 अवैध निर्माण में से महज 16 निर्माणों पर ही केंद्र सरकार द्वारा कार्यवाही की गई है। गौरतलब होगा कि दिल्ली में प्रसिद्ध वास्तुकार लुटियन द्वारा बनाई गई कालोनी को लुटियन जोन कहा जाता है, जो संरक्षित क्षेत्र में आता है, यहां अवैध निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित ही है।

खेल खतम पैसा हजम
भारत की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में हाल ही में संपन्न हुए कामन वेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार की अनुगूंज लंबे समय तक सुनाई दी गई। भ्रष्टाचार की अविरल गंगा खेल के इस महाकुंभ में बही और देश में जनादेश प्राप्त नुमाईंदों ने अपने अपने मुंह सिलकर रखे। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने भरोसा दिलाया था कि गेम्स के बाद आरोपों की जांच की जाएगी। सरकार टू जी के चक्कर में अपनी बात भूल गई। गेम्स के दौरान दिल्ली के हर वार्ड में कम से कम दो वॉटरलेस यूरिनल ब्लाक बनाने की योजना बनाई गई थी, जो अब ठंडे बस्ते के हवाले हो चुकी है। आज आलम यह है कि कंपनियों ने महज तीन सौ यूरिनल बनाकर काम बंद कर दिया है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि कंपनियों को इन यूरिनल्स से पर्याप्त आमदानी नहीं हो पा रही है। एमसीडी ने यूरिनल्स पर विज्ञापन लगाने का अधिकार कंपनियों को दिया था, किन्तु बने यूरिनल्स पर विज्ञापनों की तादाद बेहद ही कम है, जिससे इसे बनाने वाली कंपनियों ने इससे हाथ खींच लिए हैं।

बिहार की 15वीं विधानसभा में हैं अनेक रंग
बिहार में पंद्रहवीं विधानसभा में अनेक चमत्कार दिखाई पड़ रहे हैं। 243 सीटों वाली विधानसभा में युवाओं की भागीदारी बढ़ना एक अच्छा संकेत माना जा रहा है। इस बार अस्सी के पेटे वाले विधायकों की संख्या महज तीन ही है। सदन में इस बार प्रदेश की जनता के भाग्य का फैसला 141 दागदार विधायक करेंगे। 96 सदस्य स्नातक से कम शैक्षणिक योग्यता वाले हैं तो दस तो बिल्कुल ही निरक्षर हैं। इस बार 47 विधायक करोड़पति हैं। पांचवीं पास विधायकों की संख्या चार, आठवीं पास की सात, दसवीं की 28, बारहवीं की 47 तादाद है। प्रोफेशनल ग्रेजुएट की संख्या 19, एमए पास की तादाद 42, पीएचडी पास की संख्या 21 है। महिला विधायकों की तादाद पिछली बार 26 से बढकर 34 पहुंच गई है, जो सुखद संकेत माने जा सकते हैं। अति पिछडों की तादाद सात से बढ़कर 17 यादव विधायक जो पहले 54 थे अब घटकर 39, कुर्मी 22 से घटकर 19 तो सवर्ण की संख्या 59 से बढ़कर 76 हो गई है। इस बार बिहार के नतीजों ने काफी कुछ उलट पलट कर रख दिया है।

कैदियों को मयस्सर नहीं है तीमारदारी!
देश के आदर्श जेल समझे जाने वाले केंद्रीय कारागार की श्रेणी वाले तिहाड़ जेल में कैदियों या विचाराधीन कैदियों को इलाज और तीमारदारी न मिल पाने से एक के बाद एक वे दम तोड़ते जा रहे हैं। पिछले दो माह में तिहाड़ जेल में चार कैदी इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके हैं। जेल प्रशासन सदा की ही तरह न्यायिक जांच की बात कहकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार तिहाड़ की जेल संख्या आठ में बंद हत्या के एक आरोपी कैदी देवीराम पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहा था। जेल के ही चिकित्सालय में उसका इलाज चल रहा था। पिछले शनिवार को उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई। जेल के चिकित्सकों ने उसे दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल रिफर कर दिया। जेल प्रशासन की लालफीताशाही के चलते उस कैदी को समय पर चिकित्सालय नहीं पहुंचाया जा सका। आरोपित है कि इलाज के अभाव में देवीराम ने दम तोड़ दिया। मानवाधिकार के नाम पर दुकानदारी करने वाले संगठन इस मामले में पूरी तरह ही मौन साधे बैठे हैं।

शैंपू उत्पादक और स्किन स्पेशलिस्ट आमने सामने
तेरी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद कैसे? की तर्ज पर अब बालों में रूसी अर्था डेंड्रफ के मसले पर त्वचा रोग विशेषज्ञ और शैंपू निर्माता कंपनियां आमने सामने ही दिखाई पड़ रही हैं। अमूमन सौ में से अस्सी लोग डेंड्रफ की चपेट में होते हैं। शैंपू निर्माता कंपनियों ने इस बात का पूरा पूरा फायदा उठाते हुए लोगों की भावनाओं को जमकर उकेरा, और नतीजा आज बाजार में एंटीडेंड्रफ शैंपू की भरमार है। दृश्य और श्रवण, वेव और प्रिंट मीडिया इसके विज्ञापनों से पटे पड़े हैं। शेंपू निर्माता कंपनियों की पौ बारह देखकर स्किन स्पेशलिस्ट्स का आंग भर आया और उतर गए अखाड़े में। उनका कहना है कि एंटीडेंड्रफ शेंपू के दावे सरासर झूठ है। इनकी निर्माता कंपनियों ने लोगों की भावनाओं को भड़काकर तबियत से मलाई काटी है। एक्सपर्टस का कहना है कि डेंड्रफ से बाल गिरने की बात बेमानी है, इस तरह के मिथक को तोड़ना आवश्यक है कि डेंड्रफ गंजेपन का एक कारक है। अब देखना यह है कि लोग एंटीडेंड्रफ शेंपू को अपनाते हैं या फिर स्किन स्पेशलिस्ट की शरण में जाते हैं।

सुषमा भी ट्विट पर!
पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थुरूर के बड़बोलेपन के कारण चर्चित हुई सोशल नेटवर्किंग वेब साईट ट्विटर के मीडिया के सुर्खियों में आते ही जनसेवकों ने इसके माध्यम से अपना प्रचार प्रसार आरंभ कर दिया है। वालीवुड की मशहूर हस्तियों के एक ट्विट पर मीडिया की सुर्खियां बनने उपरांत जनसेवकों और राजनेताओं ने भी ट्विटर को अपनाना आरंभ कर दिया है। राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी आदि के चर्चित होने के बाद भाजपा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के चाहने वालों ने भी उन्हें ट्विटर पर जाने का मशविरा दे डाला है। अब सुषमा स्वराज भी ट्विट ट्विट करने लगी हैं। मीडिया से रोज रोज रूबरू होने के झंझट से बचने के लिए सुषमा स्वराज का यह प्रयास कितना सफल होता है, यह तो समय ही बताएगा किन्तु बीजेपी सुषमा स्वराज डॉट काम के नाम से ट्विट करने वाली सुषमा को फालो करने वाले मीडिया पर्सन की तादाद अभी बेहद ही कम है। जाहिर है सुषमा स्वराज को उम्मीद होगी कि जल्द ही उनके प्रशंसकों की तादाद में इजाफा हो जाएगा।

लोगों को रास नहीं आ रहा बाबा का राजनीति प्रोग्राम
इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में स्वयंभू योग गुरू बनकर उभरे बाबा रामदेव के अनुयाईयों की खासी तादाद है। संभवतः अपने लाखों करोड़ों प्रशंसकों को देखकर बाबा रामदेव के मानस पटल पर भी राजनैतिक उमंगे कुलाछें भरने लगी होंगी। यही कारण है कि योग सिखाने के मूल काम के बजाए बाबा ने राजनीति की पगडंडी पर कदम बढ़ाने आरंभ कर दिए। बाबा रामदेव ने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के नाम से एक संस्था गठित कर दी और फिर लगे केंद्र सरकारों को गरियाने। कभी विदेशों में जमा काले धन को भारत लाने का संकल्प लेते हैं तो कभी राजनीति को भ्रष्टाचार के दलदल से मुक्त कराने का कौल लेते हैं बाबा रामदेव। बाबा रामदेव के इन कस्मे वादों पर जनता को ज्यादा एतबार नहीं दिखता। इसका कारण यह है कि कुछ सालों पूर्व बाबा रामदेव ने साफ तौर पर घोषणा की थी कि जब तक वे भारत गणराज्य के आखिरी आदमी को निरोग नहीं कर देंगे तब तक वे भारत के बाहर कदम नहीं रखेंगे, फिर दनादन विदेशी धरती पर जाकर धूम मचा आए बाबा रामदेव। लोगों को लगने लगा है कि कहीं इसी तरह बाबा का यह कौल भी न हो कि बाबा में राजनीति में आएं और राजनति की दिशा और दशा दोनों ही बदल जाए।

पोल खोलती पोशाकें
अमेरिका में अपनी नौकरी के अंतिम दिनों को काट रहीं भारतीय राजनयिक मीरा शंकर की तलाश की वजह बनी थी, भारत की पारंपरिक महिलाओं की पोषाक साड़ी। इसके बाद से भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में पोषाकों पर चर्चा चल पड़ी है। पब्लिक डिप्लोमेसी पर एक सेमीनार में विदेश विभाग के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए। नौकरशाह रहे राजनयिकों की बहस पहले तो बहुत ही स्वस्थ्य माहौल में चल रही थी किन्तु बाद में वह अचानक ही व्यक्तिगत वेषभूशा पर आकर ठहर गई। विदेश विभाग में सचिव रहे अनेक राजनयिकों ने अपने अपने खट्टे मीठे अनुभवों को आपस में बांटा। अधिकारियों ने मंत्रियों के कपड़ों और सूट टाई पर भी खुलकर प्रकाश डाला। एक अधिकारी ने तो एक पूर्व चर्चित मंत्री जो वर्तमान में भी मलाईदार मंत्रालय मे हैं के बारे मंे काफी कुछ कह डाला। इतना ही नहीं विदेशमंत्री एम.एस.कृष्णा के पास हर दिन के लिए एक अलग और नया सूट होने की बात भी किसी राजनयिक के मुखारबिंद से बाहर आ ही गई।

छत्तीसगढ़ है मानव तस्करों के निशाने पर
मध्य प्रदेश से टूटकर प्रथक हुआ 34 फीसदी आदिवासी आबादी वाला आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ अब मानव तस्करी का प्रमुख गढ़ बनता जा रहा है। केंद्रीय गुप्तचर ब्यूरो और गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि छग राज्य की बालाओं को बहला फुसला कर महानगरों और अन्य राज्यों में ले जाकर बेचा जा रहा है। पिछले तीन साल के आंकड़े उठाकर अगर देखा जाए तो छत्तीगढ़ में 18 हजार 664 लोग गायब हो चुके हैं। कहा जा रहा है कि महानगरों की लग्जीरियस लाईफ के बारे में स्वप्न बाग दिखाकर छत्तीसगढ़ की युवा बालाओं को अकर्षित कर उन्हें बड़े शहरों के रेड लाईट इलाकों में दलालों के हाथों बेच दिया जाता है। पिछले कुछ सालों में बड़ी तादाद में बालाओं को दिल्ली, मुंबई, पुणे, अमदाबाद, चेन्नई, कोलकता जैसे शहरों में प्लेसमेंट एजेंसियों को तक बेचा गया है। इतना सब कुछ हो रहा है और रमन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य की भाजपा और कांग्रेसनीत केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है।

पुच्छल तारा
गुटखा पाउच के माध्यम से अरब खरबपति बनने वाले व्यवसाईयों के लिए बुरी खबर है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने अगले मार्च माह से प्लास्टिक के पाउच में गुटखा बेचने पर पाबंदी लगा दी है। न्यायालय की पाबंदी पर सरकारें पाबंद दिखाई नहीं पड़ती हैं। फिर भी इसी संदर्भ में छत्तीसगढ़ के रायुपर से माधवी श्रीवास्तव ने एक जोरदार ईमेल भेजा है। माधवी लिखती हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत जो स्थिति बनेगी वह बहुत ही मजेदार होगी। वे लिखती हैं कि राम ने श्याम से कहा कि अगर गुटखा प्लास्टिक के बजाए कागज के पाउच में बिकेगा तो रोजाना ही जेब लाल हो जाएगी। हाजिर जवाब श्याम ने जवाब दिया क्यों टेंशन लेते हो मेरे लाल कोर्ट ने प्लास्टिक के पाउच में गुटखा बेचना प्रतिबंधित किया है न, अरे कक्का, जेबई प्लास्टिक की सिलवा लो न यार, उस पर तो कोई पाबंदी नहीं है।