सोमवार, 20 दिसंबर 2010

राष्ट्रीय फ्रेमवर्क की बैठक में नहीं पहुंचा सूबे का कोई नुमाईंदा

मध्य प्रदेश को नहीं है वोकेशनल कोर्स में दिलचस्पी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। नवमीं कक्षा से ही विद्यार्थियों को व्यवसायिक दक्षता का प्रशिक्षण देने के लिए राष्ट्रीय वोकेशनल एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के मामले में मध्य प्रदेश की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा मंगलवार को दिल्ली में आयोजित माध्यमिक शिक्षा मंत्रियों की इस संदर्भ की बैठक में मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस सहित आला अफसरान भी गायब रहे।
एचआरडी मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में एमपी सहित डेढ़ दर्जन राज्यों के मंत्रियों ने आने पर अपनी सहमति जताई थी। बाद में इस बैठक में देश के महज चार सूबों के शिक्षा मंत्रियों ने शिरकत की। बैठक में कपिल सिब्बल ने कहा कि नवमी कक्षा से ही बच्चों को व्यवसायिक प्रशिक्षण देने का उद्देश्य युवाओं के लिए रोजगार के मौके प्रशस्त करना है। साथ ही साथ एसी विधाओं को भी बचाने और पुर्नजीवित करने के प्रयास हो सकेंगे जो लुप्त होने की कगार पर ही खड़ी हैं। सिब्बल का कहना था कि वोकेशनल एजुकेशन का करीकुलम हर सूबा अपनी स्थानीय जरूरत, मांग, उपलब्ध संसाधनों के हिसाब से तैयार करे।
मानव संसाधन विभाग के सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार अब स्थानीय कला और कौशल के संरक्षण के लिए कार्ययोजना बनाने की कार्यवाही कर रही है। विडम्बना ही कही जाएगी कि मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों की सरकारों द्वारा इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं ली जा रही है। मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस और आला अफसरान द्वारा इस बैठक से अपने आपको इस बैठक से दूर रखने से साफ हो जाता है कि बच्चों के भविष्य को लेकर मध्य प्रदेश की सरकार कितनी संजीदा है।

स्थानीय विलुप्त होेती कलाओं को करना होगा पुर्नजीवित

मध्य प्रदेश के बुंदेल खण्ड की चंदेरी साड़ियां, महाकौशल में बुनकरों द्वारा हाथ करघे के माध्यम से बुने जानी वाली साड़ियां, वनवासियों आदिवासियों और वंशकारों द्वारा बनाया जाने वाला बांस का सामान सहित अनेक कुटीर उद्योग शासन की सहायता और पर्याप्त देख संभाल न हो पाने के चलते दम तोड़ता जा रहा है, जिसे बचाने के लिए वोकेशनल एजूकेशन एक कारगर हथियार साबित हो सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: