सोमवार, 20 दिसंबर 2010

आयुर्विज्ञान महाविद्यालय खोलने उठाया केंद्र ने कदम

मेडीकल कालेज अब कार्पोरेट सेक्टर के हाथ!

वर्ममान में महज 316 मेडीकल कालेज हैं देश भर में

फार्मा कंपनियां और बड़े अस्पतालों के समूहों ने दिखाई दिलचस्पी
सरकार के फैसले के बाद मिलने लगे हैं एमसीआई को प्रस्ताव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कम निवेश में ज्यादा कमाई के चक्कर में कंपनियां मेडीकल के बजाए इंजीनियरिंग और मेनेजमेंट कालेज खोलने पर अपना ध्यान केंद्रित रखती हैं। देश में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने कार्पोरेट सेक्टर में आर्युविज्ञान महाविद्यालय खोलने की अनुमति प्रदान कर दी है।

मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के सूत्रों का कहना है कि इसके लिए वे ही कंपनियां आवेदन कर सकेंगी जो कंपनी एक्ट के तहत पंजीबद्ध हैं। केंद्र सरकार को इसके लिए 78 प्रस्ताव मिले हैं जिनकी जांच की जा रही है। सूत्रों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में सब कुछ अगर ठीक ठाक रहा तो अगले शैक्षणिक सत्र से कार्पोरेट सेक्टर की कंपनियां मेडीकल कालेज आरंभ कर सकती हैं।

गौरतलब होगा कि देश में वर्तमान में लगभग साढ़े छः लाख चिकित्सकों की कमी है। इसी के मद्देनजर केंद्र, राज्य सरकार, विश्वविद्यालयों, सोसायटी, ट्रस्ट के साथ ही साथ अब कार्पोरेट सेक्टर की कंपनियों को भी मेडीकल कालेज खोलने की अनुमति प्रदान की गई है। इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है।

ज्ञातव्य है कि देश में वर्तमान में 2400 इंजीनियरिंग तो 2200 मेनेजमेंट के महाविद्यालय अस्तित्व में हैं। इनके मुकाबले मेडीकल कालेज की तादाद महज 316 ही है। देश में हर साल एक लाख चिकित्सकों की आवश्यक्ता महसूस की जा रही है। इंजीनियरिंग और प्रबंधन कालेज की तादाद को देखकर अभी तक इस क्षेत्र में कार्पोरेट घरानों का प्रवेश वर्जित ही रखा गया है।

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