रविवार, 7 अप्रैल 2013

देश में न्यायधीशों का टोटा!


देश में न्यायधीशों का टोटा!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री ने समुचित न्याय सुनिश्चित कराने और लंबित मुकदमों को निपटाने के लिए न्यायधीशों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि की आवश्यता पर बल दिया है। आज नई दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने कहा देश की अदालतों में ३ करोड़ से भी ज्यादा मामले लंबित है और इनमें से २६ प्रतिशत मामले ५ वर्ष से अधिक पुराने है।
उन्होंने कहा कि लंबित मामलों की बड़ी संख्या को निपटाने और मामलों की सुनवाई की गति बढ़ाने की समस्या का भान सरकार को है। वर्तमान समय में १० लाख की आबादी पर लगभग १५ न्यायधीशों के अनुपात को बिल्कुल अपर्याप्त बताते हुए डॉ सिंह ने राज्यों को पूरी केंद्रीय सहायता का आश्वासन दिया और मुख्मंत्रियों से लंबित मामलों और मुकदमों को निपटाने में देरी की दोहरी समस्याओं से निपटने के प्रयासों में सहयोग देने की अपील की।
उन्होंने बताया कि सरकार १४ वें वित्त आयोग से राज्यों को, विशेषकर न्यायिक क्षेत्र के लिए, अधिक धनराशि दिए जाने को कहेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र, आयोग से गंभीर अपराधों तथा वरिष्ठजनों ,महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों को तेजी से निपटाने के लिए त्वरित अदालतें गठित करने के लिए राशि निश्चित करने का भी आग्रह करेगा।
डॉ सिंह ने महिलाओं के प्रति अपराधों से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की अपील की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक हितों की तुष्टि के लिए कानून और प्राकृतिक न्याय के मौलिक सिंद्धातों के साथ समझौता नही किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने समावेशी और टिकाऊ वृद्धि पर आधारित विकास का पथ चुना है जिससे असमानताएं और असंतुलन में कमी आएगी और सभी के लिए सम्मान का जीवन सुनिश्चित हो सकेगा।
वहीं, इस अवसर पर भारत के प्रधान न्यायाधीश अल्तमश कबीर ने किशोर न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा देश की आबादी का ४२ प्रतिशत युवाओं का है और यदि उनकी उचित देखरेख नही की गई तो इससे अगले १५ वर्ष में काफी अव्यवस्था पैदा हो सकती है।
उन्होंने केंद्र और राज्यों से अतिरिक्त विवाद निपटान प्रणाली लागू करने के लिए मध्यस्थता केंद्र गठित करने में सहयोग की अपील की। उन्होंने न्यायालयों के बुनियादी ढ़ाचें में सुधार के लिए अधीनस्थ अदालतों में न्यायिक अधिकारियों की संख्या बढ़ाने या दोगुनी किए जाने की तरफ ध्यान देने का आग्रह किया।
कानून और न्याय मंत्री डॉ अश्विनी कुमार ने कहा कि सरकार ने लंबित मामले निपटाने के लिए विभिन्न योजनाओं के जरिए वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली के तौर पर मध्यस्थता, सुलह-समझौता, पंच और लोकअदालतों का समर्थन किया है। 

इमारत गिरने के मामले में पांच धराए


इमारत गिरने के मामले में पांच धराए

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। मुम्बई में ठाणे जिले में इमारत ढह जाने के मामले में एक सहायक निगम आयुक्त और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एनसीपी के एक पार्षद समेत पांच और लोगों को आज गिरफ्तार किया गया। इसके साथ ही इस मामले में अब तक आठ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आज गिरफ्तार किये गये लोगों में सहायक निगम आयुक्त बाबा साहेब अंडेल, कांस्टेबल एस.सईद, एनसीपी के स्थानीय पार्षद हीरा पाटिल, थाणे नगर निगम के क्लर्क किशन मडके और कलेक्शन एजेन्ट जब्बार पटेल शामिल है।
इन सभी लोगों के खिलाफ दूसरो की सुरक्षा और जान के लिए खतरा पैदा करने वाली लापरवाही बरतने तथा गैर इरादतन हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किये गये है। स्थानीय प्रशासन ने घटना वाले स्थल-शील फाटा के आस-पास कुछ गोदामों और दो अवैध इमारतों को कल गिरा दिया। इस बीच मरने वालों की संख्यां ७४ हो गई है। ३५ घायलों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। 

सलाम बने बेरूत के वजीरे आज़म


सलाम बने बेरूत के वजीरे आज़म

(टी.विश्वनाथन)

दुबई (साई)। बेरुत के ६८ वर्षीय निर्दलीय सांसद तम्मम सलाम को लेबनान का नया प्रधानमंत्री मनोनीत किया गया है। राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में सलाम ने कहा कि उनकी प्राथमिकता राष्ट्रीय हित की सरकार गठित करने और लेबनान को पड़ोसी देश सीरिया के संघर्ष में किसी भी पक्ष की तरफदारी से अलग रखने की होगी। ब्यौरा हमारे संवाददाता से।
लेबनान के नए प्रधानमंत्री को संसद के १२८ में से १२४ सांसदों ने समर्थन देकर उनके नेतृत्व में नई कैबिनेट के गठन का रास्ता साफ कर दिया है। नई सरकार जून में होने वाले संसदीय चुनाव को अजांम देगी। अपने पहले भाषण में तम्मम सलाम ने कहा कि वे लेबनान में विभिन्न गुटों की राजनीति से परे हटकर देश को मजबूत बनाने पर जोर देंगे। उन्होंने साफ किया कि उनका इरादा सीरिया के संकट से लेबनान को अलग रखना है। गौरतलब है कि लेबनान के दो परस्पर विरोधी राजनीतिक गुट सीरिया सरकार और विद्रोही गठबंधन को समर्थन देते रहे है। लेबनान में करीब ४ लाख सीरियाई शरणार्थियों ने शरण ले रखी है जो आर्थिक संकट का कारण बना हुआ है।

बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम


बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम

(अतुल खरे)

मुंबई (साई)। एक 69 साल के बुजुर्ग की शादी के लिए दुआ करिए, जी हां यह सही है इस तरह का एक विज्ञापन देश की व्यवसायिक राजधानी मुंबई में समाचार पत्रों के एक पूरे पेज पर छाया रहा। इन्होंने चालीस साल से कम की कमसिन को अपनी अर्धांग्नी बनाया है।
पिछले दिनों मुंबई के एक अखबार में पूरे पेज का एक विज्ञापन निकला, ह्यवह एक महान व्यक्ति हैं, इनकी शादी के लिए दुआ कीजिये। लोगों को यह बात मजाक लगी। लेकिन जल्द ही उन्हें पता चला कि ट्रैवेल एजेंसी की दुनिया की जानी मानी हस्ती 69 वर्षीय दिनशाह विमदलाल को एक अंगरेजी बोलने वाली 40 साल से कम उम्र की पतली-दुबली मांसाहारी, जिंदादिल और साहसी दुल्हन की तलाश है।
ह्यफ्रेंडली मीटिंगह्ण जारी है विज्ञापन को पढ़ने के बाद लोगों को लगा कि मैक्सिको के रहने वाले इस कारोबारी ने वाकई शादी करने का निर्णय किया है, और उसे एक भारतीय दुल्हन की तलाश है। अरबपति कारोबारी दिनशाह ने एपीजे हाउस में पिछले चार दिनों के अंदर 30 महिलाओं का इंटरव्यू लिया। 40 वर्ष तक की कोई भी महिला इस फ्रेंडली मीटिंग में आ सकती है।
दिनशाह का कहना है कि मैं दिल से अभी भी जवान हूं इसलिए 40 साल से अधिक उम्र की महिला मेरे लिए बुजुर्ग जैसी होंगी। कौन हैं दिनशाह मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से पढ़ाई करने के बाद दिनशाह 1967 में कनाडा चले गये। कुछ साल बाद 1975 में कनाडा से लॉस एंजिलिस में दिनशाह ने अपनी ट्रैवेल कंपनी को जमाया।
बाद में दिनशाह ने अपनी कंपनी को बेच दिया और अपनी पत्नी फिरोजा के साथ मैक्सिको जाने का निर्णय किया। उनकी पत्नी की मृत्यु तीन साल पहले एक कार दुर्घटना में हो गयी। अकेलेपन से लड़ना मुश्किलरू जिंदगी के इस पड़ाव में अकेलेपन से लड़ना दिनशाह के लिए भारी पड़ रहा है।
दिनशाह ने कहा कि पत्नी की मृत्यु के बाद मैं खुद को बेहद अकेला महसूस करने लगा। मैं अपना जीवन पत्नी के साथ साझा करना चाहता हूं, जो मेरे साथ सैर कर सके। दिनशाह की नये साथी की तलाश अब तक असफल रही है। दिनशाह ने कहा कि पिछले दिनों मैंने जिन महिलाओं का इंटरव्यू लिया उससे मुझे काफी निराशा हाथ लगी, अभी तक एक भी महिला ऐसी नहीं मिली जो मेरी पत्नी बनने के योग्य हों।
दुल्हन का इंटरव्यू रू इस दौरान दिनशाह को कुछ विचित्र उम्मीदवार भी देखने को मिले। दिनशाह ने बताया कि एक आदमी मेरे पास आया और बोला कि मुझे किसी पुरु ष के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं है। इसी तरह एक महिला आयीं और उन्होंने कहा कि मेरा मकान 10 लाख रु पये में गिरवी रखा गया है और इसे छुड़ाने के लिए मैं आपसे शादी करना चाहती हूं।
सबसे अधिक मजेदार बात यह हुई कि एक लड़की अपने प्रेमी के साथ इंटरव्यू देने आयी और उसने कहा कि मुझे लगा कि यहां किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू हो रहा है। उस लड़की को दिनशाह ने बताया कि यह किसी नौकरी के लिए नहीं बल्कि दुल्हन के लिए यहां इंटरव्यू चल रहा है।
दिनशाह ने कहा कि मैंने जितनी भी महिलाओं का इंटरव्यू लिया उनमें से अधिकतर महिला मेरी संपत्ति को देख कर मुझसे शादी करना चाहती थीं। दिनशाह ने कहा कि ह्ययदि मुंबई में अपनी पसंद की दुल्हन नहीं मिली तो मुझे काफी निराशा होगी।

क्या नशे के आदी हैं जनसंपर्क के मुलाजिम!

क्या नशे के आदी हैं जनसंपर्क के मुलाजिम!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। राज्य शासन द्वारा बीमारों को चौबीसों घंटे निशुल्क सहायता उपलब्ध कराने के लिए 108 नंबर पर टोल फ्री नंबर आरंभ किया गया है। भाजपा विधायकों ने इस अवसर पर इस नंबर के ज्यादा से ज्यादा प्रसार की अपील की है। दुख का विषय तो यह है कि प्रदेश सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद जनसंपर्क विभाग अपनी विज्ञप्ति में 108 के बजाए 109 नंबर इसके लिए बता रहा है।
राज्य शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जीवीके ईएमआरआई के माध्यम से संजीवनी १०८ एंबुलेंस सेवा का विस्तार अब प्रदेश के सभी जिलों में कर दिया गया है। इस संजीवनी १०८ एम्बुलेंस सेवा द्वारा पुलिस, चिकित्सकीय एवं अग्नि संबंधी आपात परिस्थितियों में नागरिकों को २४ घंटे निरूशुल्क सहायता उपलब्ध कराई जाती है। राश्य विकास दिवस के मौके पर ६ अप्रैल को जिला चिकित्सालय में आयोजित एक कार्यक्रम में शासन द्वारा जिले को उपलब्ध कराये गये ९ संजीवनी १०८ एम्बुलेंस आकस्मिक सेवा वाहनों का हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ/लोकार्पण किया गया।
इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सिवनी की विधायिका श्रीमती नीता पटेरिया ने कहा कि सरकार द्वारा इस सेवा का जिलों में भी विस्तार निःसंदेह सराहनीय है। किसी भी आपातकालीन स्थिति में टोल फ्री नंबर १०८ कॉल करने पर अगले १५ से २५ मिनिट के भीतर संजीवनी एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध हो जायेगी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जनता को स्वास्थ्य उपचार की त्वरित सेवा दिलाने के लिये प्रारंभ की गई इस एम्बुलेंस सेवा से किसी आपात स्थिति में लोगों की जान बचाने मदद मिलेगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने कहा कि आपात स्थिति कभी भी, कहीं भी हो सकती है। नागरिकगण किसी आपात स्थिति में कतई न घबरायें, बस टोल फ्री नंबर १०८ याद रखें, सबसे पहले इस नंबर पर कॉल करें, बहुत ही अल्प समय में यह एम्बुलेंस आपके पास उपलब्ध हो जायेगी। उन्होंने एम्बुलेंस सेवा मेनेजमेन्ट से कहा कि वे सभी संजीवनी एम्बुलेंस वाहनों में उपलब्ध चिकित्सा सेवायें हर वक्त तैयार रखें और कोई भी कॉल आने पर तत्परता से मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस संजीवनी एम्बुलेंस के माध्यम से सरकार द्वारा जिले के नागरिकों को एक अत्यन्त महत्वपूर्ण सेवा प्रदाय कर दी गई है। नागरिकगण इसका लाभ उठायें।
बरघाट विधायक कमल मर्सकोले ने कहा कि सरकार ने नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करते हुए इस सेवा का विस्तार अब जिलों में भी कर दिया है। इस एम्बुलेंस सेवा और इसके टोल फ्री नंबर १०८ का गांव-गांव तक व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिये।      
प्रभारी कलेक्टर एवं सीईओ. जिला पंचायत श्रीमती प्रियंका दास ने कहा कि आज से ९ संजीवनी १०८ एम्बुलेंस सेवा वाहनों का शुभारंभ हो चुका है। उन्होंने कहा कि जिले के भौगोलिक क्षेत्रफल के हिसाब से ९ एम्बुलेंस वाहन कम हैं, जिले को और अधिक एम्बुलेंस वाहन मुहैया कराने के लिये शासन स्तर से प्रयास किये जायेंगे। जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने कहा कि १०९ टोल फ्री नंबर का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार होना चाहिये। ताकि हर जरूरतमंद व्यक्ति इसका लाभ उठा सकें। यहां यह उल्लेखनीय है कि 109 नंबर पर फोन लगाने पर ना तो घंटी जाती है और ना ही कोई रिस्पांस ही मिल रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वाय.एस. ठाकुर ने इस मौके पर बताया कि इन ९ एम्बुलेंस वाहनों को जिले के प्रत्येक तहसील मुख्यालय में एक निर्धारित स्थान पर रखा जायेगा। संजीवनी १०८ एम्बुलेंस की सेवायें प्राप्त करने के लिये कोई भी नागरिक टोल फ्री नंबर १०८ पर मोबाइल या लैंडलाईन किसी से भी कॉल कर किसी भी समय इस सुविधा का लाभ उठा सकते है। यह टोल फ्री नंबर १०८ बिना किसी कोड के लगाया जा सकता है। यह सुविधा पूरी तरह निरूशुल्क है और किसी भी आपातकालीन स्थिति में १०८ नंबर पर कॉल कर वांछित सेवा बिना कोई शुल्क दिये प्राप्त की जा सकती है।
संजीवनी १०८ एक्सप्रेस एम्बुलेंस वाहन सेवा के जिला प्रबंधक डॉ. अनीस कुरील ने बताया कि टोल फ्री नंबर १०८ डायल करने पर नगरीय क्षेत्र में १५ मिनिट के भीतर और ग्रामीण क्षेत्र में २५ मिनिट के भीतर यह एक्सप्रेस एम्बुलेंस सेवा मौके पर पहुंच जायेगी।
संजीवनी एक्सप्रेस सेवा वाहन के लोकार्पण के मौके पर भाजपा जिला महामंत्री संतोष नगपुरे, सिविल सर्जन डॉ. सोनी, डॉ. पटेरिया, डॉ नेमा, डॉ. सूर्यवंशी, डॉ. ओगारे व अन्य डाक्टर्स भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में अंत डॉ. हर्षवर्धन जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया गया।
0 ये सुविधायें होगी संजीवनी १०८ एम्बुलेंस सेवा वाहनों में
जिले में संचालित सभी संजीवनी १०८ एम्बुलेंस सेवा वाहनों में जीवन रक्षक उपकरणों में पल्स आक्सीमीटर, निबोलाईजर, सक्शन मशीन, हेड इमोवेलाईजर, सरवाईकल कॉलर, रस्सा, एस्ट्रीकेशन किट, जीवन रक्षक दवायें (इमरजेंसी ड्रग्स), एक आक्सीजन सिलेंडर, २४ घंटे मेडिकल टेक्निशियन एवं एक पायलट की सतत सुविधायें उपलब्ध रहेंगी।
0 इन आपातकालीन परिस्थतियों में ले सकते हैं १०८ एम्बुलेंस सेवा का लाभ
विभिन्न प्रकार की आपातकालीन परिस्थितियों जैसे सडक हादसा, गंभीर चोट, हृदय रोग, तेज पेट दर्द, आत्महत्या/ आत्मघात, एलघ्जक रिएक्शन, नवजात संबंधी समसया, जानवरों द्वारा काटा जाना, सर्पदंश, बाल रोग, मानसिक अवसाद, विषाक्तता, फड पॉयजङ्क्षनग, गर्भावस्था, प्राकृतिक आपदायें, स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां, मौसमी बीमारियां, लकवा, मिर्गी/मधुमेह का दौरा, बेहोशी, बुखार, इन्फेक्शन, आग से जलना, पानी में डूब जाना व अन्य प्रकार की दुर्घटनाओं में इन संजीवनी १०८ एम्बुलेंस सेवा वाहनों का लाभ लिया जा सकता है।                                                                                                
जब यह विज्ञप्ति मीडिया के पास प्रकाशन के लिए भेजी गई तो मीडिया में इस बात की चर्चाएं होने लगीं कि क्या जनसंपर्क विभाग नशे का आदी है, जो कि विज्ञप्ति जारी करने के पहले उसे ना तो पढ़ता है और ना ही चेक करता है। जनता के करों से संग्रहित राजस्व से पगार पाने वाले सरकारी नुमाईंदों को अब सब तरह से गफलत करने की छूट संभवतः एक उच्चाधिकारी द्वारा दी गई है।

घंटों इंतजार करवा रही चालान काटने के लिए पुलिस


घंटों इंतजार करवा रही चालान काटने के लिए पुलिस

(संदीप छांगवानी)

सिवनी (साई)। जहां एक ओर स्वामी विवेकानंद के नाम पर भाजपा द्वारा युवाओं को भाजपा में जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। वहीं नगर में थाना कोतवाली द्वारा दोपहिया वाहनों पर की जा रही कार्यवाही भाजपा और मुख्यमंत्री की छवि पर बुरा असर डाल रही है, जहां चालानी कार्यवाही खासकर युवाओं को पुलिस द्वारा काफी परेशान किया जा रहा है। वहीं उनके वाहनों में चालानी कार्यवाही करने में घंटों का समय व्यर्थ करके युवाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। वहीं युवाओं में यह भी चर्चा है कि ऐसे में भाजपा द्वारा चलाये जा रहे युवाओं को जोडऩे का अभियान कैसे सफल होगा। वहीं वाहन चालकों का कहना है कि जगह- जगह रूककर सवारी भरने वाली वीडियोकोच बसों पर पुलिस व यातायात विभाग मौन क्यों है?
मिली जानकारी अनुसार नगर में विगत कुछ दिनों से देर शाम थाना कोतवाली के सामने कोतवाली में पदस्थ सहायक निरीक्षक बट्टी द्वारा नये नवेले नगर सैनिकों को साथ में रखकर वाहन चौकिंग प्रारंभ की जाती है। इस चौकिंग को मात्र दोपहिया वाहनों की चौङ्क्षकंग तक सीमित रखा जाता है। जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग 07 को इस मार्ग से छोटे-बड़े चौपहिया वाहन भी गुजरते हैं, किंतु उनकी चौकिंग पर ध्यान न देकर सिर्फ दोपहिया वाहन चालकों को पकड़ा जाता है। वहीं लाठी का रौब दिखाकर रोडों पर डंडे पटककर नये- नवेले नगर सैनिक दोपहिया वाहन चालकों को रोककर उनकी वाहन की चॉबी निकालकर सहायक निरीक्षक बट्टी के सुपुर्द कर देते हैं। इसके बाद शुरू होता है बट्टी का रौब। घंटो घड़े रखकर बट्टी नियमों में उलझकर वाहन चालकों का समय व्यर्थ करते हैं और उसके उपरांत यदि कोई वाहन चालक उनसे ऊंची आवाज में बात करता है तो उन्हें कोप का भाजन भी बनना पड़ता है। उनकी हिटलरशाही से बीते कुछ दिनों से वाहन चालक निश्चित तौर पर युवा वर्ग इतना प्रताड़ित हो गया है। भाजपा के चाल, चरित्र पर सवालिया निशान उठाने लगा है।
वहीं युवाओं का कहना है कि नगर में हो रही वाहन चौकिंग साधुवाद के पात्र है, किंतु वाहन चौकिंग के बाद दी जा रही प्रताडऩा उन्हें काफी परेशान करती है। युवाओं ने बताया है कि चालान काटने वाले अधिकारी बट्टी द्वारा उन्हें घंटों खड़ा रखकर परेशान किया जाता है और उसके उपरांत चालान काटा जाता है।
युवाओं का कहना है कि इन चालानी एवं वाहन चौकिंग कार्यवाही में सिर्फ दोपहिया वाहनों की चौकिंग तक सीमित रखा जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 07 होने के कारण इस मार्ग से अनेकों बड़े वाहन भी गुजरते हैं, किंतु उन वाहनों की चौकिंग नहीं की जाती। युवाओं का कहना है कि भाजपा द्वारा स्वामी विवेकानंद के नाम पर जो युवाओं को भाजपा में शामिल करने की कवायद की जा रही है, इस कार्यवाही से वह काफी थोथी साबित हो रही है। चूंकि भाजपा शासन में कोतवाली पुलिस द्वारा वाहन चौकिंग के माध्यम से युवाओं का शोषण किया जा रहा है, उससे जिला भाजपा मुख्यमंत्री एवं सिवनी विधायक की छवि काफी धूमिल हो रही है।
0 एसडीओपी के आदेश के 35 मिनट बाद कटा चालान
बीती 04 अप्रैल की रात्रि चालानी कार्यवाही में एसआई बट्टी द्वारा अपनी हिटलरशाही दिखाते हुए पहले तो एक वाहन का चालान काटने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे, वाहन मालिक द्वारा उन्हें चालान काटने के लिए बार- बार कहा गया, किंतु वे अपनी बगले झांकते नजर आये। रात्रि लगभग 11रू45 बजे इस मामले की जानकारी एसडीओपी सिद्धार्थ बहुगुणा को लगी तो उन्होंने वाहन मालिक से मोबाईल पर बात की, उसके बाद एसडीओपी बहुगुणा ने एसआई बट्टी को चालान काटने के निर्देश दिये, किंतु 35 मिनट तक इधर- उधर झांकने के बाद उन्होंने रात्रि लगभग 12.30 बजे  चालान काटा।
0 सोहाने पेट्रोल पंप से छिंदवाड़ा चौक तक यातायात व्यवस्था लचर
बीते काफी समय से नगर के राष्ट्रीय राजमार्ग 07 सोहाने पेट्रोल पंप से छिंदवाड़ा चौक तक यातायात व्यवस्था काफी लचर पड़ी है, किंतु इस ओर झांकने की बजाय कोतवाली पुलिस शाम को अपनी चालानी कार्यवाही में व्यस्त हो जाती है। यदि वह पहले नगर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करके बाद में चालानी कार्यवाही करे तो शायद जनता भी इस चालानी कार्यवाही में उनका सहयोग करे।
0 नियमों से अनभिज्ञ बट्टी
थाना कोतवाली में पदस्थ एसआई बट्टी इन दिनों नगर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने में काफी व्यस्त है, किंतु वह यातायात नियमों से अनभिज्ञ है कि उन्हें यह नहीं मालूम कि शोरूम से उठी नई गाड़ी जो मात्र 146 किमी चली थी, जिसे रोककर लगभग 15 मिनट तक परेशान करने के बाद छोड़ा गया। उक्त युवक को तब पछतावा हुआ कि नई- नवेली गाड़ी पर पुलिस का ग्रहण लग गया, जिससे युवक काफी परेशान रहा।  

कैथल में पहुंचने पर हुआ अण्णा का जोरदार स्वागत


कैथल में पहुंचने पर हुआ अण्णा का जोरदार स्वागत

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। समाजसेवी अन्ना हजारे का कैथल पहुंचने पर लोगों ने जोरदार स्वागत किया। जाट स्कूल खेल मैदान में आयोजित कार्यक्रम में अन्ना को देखने एवं सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। जाट स्कूल में अन्ना समर्थक राधेश्याम प्रजापति के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न समाजसेवी संगठनों ने अन्ना हजारे का स्वागत किया। हजारे ने कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि कैथल में लोगों के जोश को देखते हुए उनमें भी २५ साल के युवा जैसा जोश आ गया है। भाषण में उन्होंने कहा कि सारी जगह गड़बड़ है। जनतंत्र मोर्चा का गठन देश की जनता को जागरूक करके विशाल जनआंदोलन खड़ा करने के लिए किया गया है। वे रानजीति में नहीं आएंगे न ही किसी राजनैतिक दल को समर्थन देंगे। उनका मकसद असली मालिक जनता को उसका हक दिलवाना है। अन्ना ने कहा कि हार्ट अटैक या किसी बिमारी से मरने से अच्छा है कि वे देश के लिए अपनी जान दें। इसी कारण पूरे देश की यात्रा पर निकले हैं। ताकि जनता को जागरूक किया जा सके। उन्होंने कार्यक्रम आयोजक राधेश्याम को बधाई देते हुए कहा कि आजादी के बाद ६६ सालों में भी सुधार नहीं हो पाया। अंगरेजी शासन के १५० सालों में भी इतनी लूट नहीं हो पाई थी, जिनती की आजादी के बाद हुई। कार्यक्रम में अन्ना समर्थक राधेश्याम प्रजापति, ओमप्रकाश करोड़ा, एडवोकेट पुनीत चौधरी, गुरूतेगबहादुर सेवा दल के मनिंद्र सिंह एडवोकेट, सरदार वीरेंद्र सिंह, राजेश पंडित, डा. अश्वनी हृतवालसुरेंद्र राणा, सीता राम दयौरा, कृष्ण सौंगल, नरेंद्र सिंह, सहित कई गणमान्य लोगों एवं संगठनों ने अन्ना का कैथल पहुंचने पर स्वागत किया। अन्ना के साथ इस यात्रा में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह, संतोष भारतीय, मौलाना सुफी जिलानी भी मौजूद थे।

चीनी मिल मालिकों की बल्ले-बल्ले


चीनी मिल मालिकों की बल्ले-बल्ले

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। आखिरकार केन्द्र सरकार ने एक बार फिर जता दिया कि वह पूंजीपतियों और सरमायेदारों के लिए ही सोचती है और आम जनता और किसानों के दुख दर्द से उसे कोई वास्ता नहीं।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के प्रवक्ता विकास बालियान ने कहा कि सी रंगाराजन कमेटी की रिपोर्ट केन्द्र सरकार ने किस्तों में लागू कर चीनी मिल मालिकों को दोनों हाथों से खुलेआम लूट खसौट करने की आजादी देनी शुरू कर दी है। जहां पहले सी रंगाराजन की सिफारिशों को मानते हुए 10 प्रतिशत चीनी की लेवि देने की बाध्यता चीनी मिलों से समाप्त की वहीं विदेशों से आयात करने पर कच्ची चीनी पर 60 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत ही डयूटी लगाने की घोषणा कर दी। वहीं आज चीनी से सरकारी नियन्त्रण खत्म कर आम उपभोक्ताओं को भी चीनी मिल मालिकों के हाथों ही गिरवी रख दिया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011-12 में चीनी मिले अदालत चली गयी और उन्होंने अपील की कि उत्तर प्रदेश में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य 145 रूपये कुन्तल ही दिलाया जाये। जबकि राज्य सरकार ने 240 रूपये कुन्तल का रेट घोषित कर रखा था। चीनी मिल मालिकों ने दलील देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ने का राज्य सरकार द्वारा मूल्य घोषित होगा या केन्द्र सरकार द्वारा घोषित मूल्य लागू होगा। इस बात पर सात सदस्य की संवैधानिक पीठ फैंसला लेना है। अगर उस पीठ ने कहा कि राज्य सरकार का रेट ही सही है तो हम तत्काल किसानों को 240 रूपये प्रति कुन्तल की दर से ही रेट दे देंगे। परंतु अगर पीठ ने कहा कि केन्द्र सरकार का ही रेट मान्य होना चाहिए तो राज्य सरकार को रेट तय करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में किसान हमारा पैसा वापिस नहीं करेंगे। इसलिए मिलों ने उस वक्त 55 लाख गन्ना किसानों के 95 रूपये के अन्तर मूल्य भुगतान 5400 करोड रूपये का रोक दिया था। जिसके बाद वीएम सिंह ने अदालत में गुहार लगायी कि हमें भी सुना जाये और उन्होंने किसानों का पक्ष रखते हुए उच्चतम न्यायालय में कहा कि उत्तर प्रदेश का गन्ना किसान केन्द्र के मूल्य निर्धारण क्षेत्र में नहीं आता है। वह गन्ना आयुक्त के निर्देश पर फार्म सी के तहत समझौता होने के बाद मिलों को गन्ना देता है। ऐसे में उसे राज्य सरकार द्वारा घोषित मूल्य ही मिलना चाहिए। जिस पर 17 जनवरी 2012 को उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि किसानों का बकाया रूपया 240 रूपये प्रति कुन्तल की दर से तत्काल दे दिया जाये।
इसके बाद खेल शुरू हुआ और 20 जनवरी 2012 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार सी रंगाराजन के नेतृत्व वाली पांच  सदस्यी कमेटी गठित की जिसमें कुछ मिल मालिकों से बातचीत कर पांच अक्टूबर 2012 को अपनी रिपोर्ट दे दी। रिपोर्ट में सिर्फारिस की गयी थी कि चीनी मिलों से 10 प्रतिशत लेवी का कोटा समाप्त कर दिया जाये। विदेश से चीनी आयत पर लगने वाला 5 प्रतिशत शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया जाये। चीनी के मूल्य निर्धारण से सरकारी नियन्त्रण घटा लिया जाये। राज्य सरकार से गन्ना मूल्य निर्धारित करने का अधिकार ले लिया जाये। किसान किसी भी मिल को गन्ने देने को आजाद रहे। गन्ना किसान समूह के रूप में न मानकर इकाई के रूप में माना जाये। रंगाराजन की इस गन्ना किसान व आमउपभोक्त विरोधी रिपोर्ट का राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन केे बैनर तले वीएम सिंह और पूर्व सेनाध्यक्ष वीके ंिसह के नेतृत्व में 4 दिसम्बर को संसद घेराव कर जंतर मंतर पर एक विशाल जनसभा आयोजित की जिसके दबाव के बाद उसी दिन शाम को केन्द्र सरकार ने चिट्ठी लिखकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह को लिखित सूचना दी कि रंगाराजन की रिपोर्ट लागू नहीं की जा रही है और उसे लागू करने से पूर्व एक बार फिर सभी से राय ली जायेगी।
बालियान ने कहा कि केन्द्र सरकार ने रंगाराजन रिपोर्ट में की गयी उन सिफारिशों को धीरे धीरे लागू कर शुरू कर दिया है जो चीनी मिलों के हितों में है। इन सिफारिशों के लागू होने के बाद चीनी के दामों में बेहताशा वृद्धि हो जायेगी। जिसका नुकसान आम उपभोक्ताओं को उठाना पडेगा। चीनी का सबसे ज्यादा उद्योग ग्रामीण अंचल में ही होता है।
चीनी मिले गन्ना किसानों का शोषण कर उन्हें धीरे धीरे गन्ने की फसल से मुंह मोडने को मजबूर कर रही है। चीनी मिल मालिकों की मंशाएं है कि विदेशों से कच्ची चीनी मंगाकर उसे रिफाइंड कर बाजार में बेचा जाये। विदेशों से आने वाली कच्ची चीनी (राशुगर) की मिठास साधारण चीनी से आधी होती है। आने वाले समय में सरकारी नियन्त्रण न रहने के बाद जहां चीनी महंगी खरीदनी पडेगी वहीं चीनी की मिठास कम होने से ज्यादा भी लगेेगी। चीनी मिले अपना माफिया राज देश में लाना चाहती है और केन्द्र सरकार आम जनता और गन्ना किसानों के हितों की रक्षा न करते हुए चीनी मिल मालिकों के हितों को ही साधने का काम कर रही है। 

चुनाव आते ही बढ़ने लगी सियासी कदमताल


चुनाव आते ही बढ़ने लगी सियासी कदमताल

(अब्दुल रशीद)

भोपाल (साई)। जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहा है वैसे वैसे राजनैतिक सरगर्मियाँ तेज हो रही है। अब बदहाल और अधमरा सा दिखने वाले आम आदमी का दर्द सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को हि सताने लगा है। जहां विपक्ष के पास आरोपों का अंबार है वहीं सत्ता पक्ष के पास घोषनाओं का भंडार है। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है की ऐसी राजनैतिक सरगर्मी चुनाव के वक्त ही क्यों दिखती है। दरअसल इसका सीधा सा संबंध सत्ता की चाभी से है जो आम आदमी के वोट के रूप में आम आदमी के पास रहता है। यह बेहद दिलचस्प बात है की जिन्हें आम लोगों से वाकई सरोकार होता है वे बिना किसी पद या चुनाव जीते भी आम आदमी का भला कर सकता है, क्योंकि आम जनता को निष्पक्ष न्याय,दो वक्त कि रोटी, स्वस्थ्य वातावरण और सुरक्षित भविष्य के अलावा चाहिए ही क्या? चूँकि वे अपने देश के संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों से अनभिज्ञ होते हैं,ऐसे में उनको उनका हक़ दिला दिया जाए इतना ही कर देने से देश में विकास की गंगा बह सकती है और ऐसा कोई भी राष्ट्रीय पार्टी कर सकता है, बशर्ते उस पार्टी में काम करने की इच्छाशक्ति हो। बीते दिनों अ.भा. कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देंश पर कांग्रेस की प्रदेशव्यापी परिवर्तन यात्रा का शुभारंभ सीधी जिले के धौहनी विधान सभा क्षेत्र के सुदूर आदिवासी अंचल टिकरी से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह की उपस्थिति में हुआ। ऐसा कहा जा रहा है यह परिवर्तन यात्रा राज्य के सभी 230 विधान सभा क्षेत्रों में आयोजित होगी। तो क्या यह मान लिया जाए की यह परिवर्तन यात्रा आम जनता के हक़ के लिए किया जा रहा है,यदि ऐसा है तो पहले ऐसी पहल क्यों नहीं की गई। कहीं ऐसा तो नहीं यह परिवर्तन यात्रा बस सत्ता हासिल करने के लिए है.
0 कांग्रेस का आरोप
मध्य प्रदेश  कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया अंचल की पहली विशाल आमसभा को संबोधित करते हुए भूरिया ने कहा कि भाजपा सरकार ने पूंजीपतियों के इशारे पर पूरे प्रदेश में आदिवासियों और दलितों की जमीन कौड़ियों के भाव छीन ली हैं। उचित मुआवजा तो दूर की बात है उन्हें रहने तक की जमीन नहीं छोड़ी है। शिवराज सरकार के राज में 27 हजार से अधिक बलात्कार हुए हैं। पूरे देश में महिला उत्पीड़न, कुपोषण, बलात्कार, अपराध में एक नम्बर पर है। कांगेस की सरकार के जमाने में दलितों और आदिवासियों को एक बत्ती कनेक्शन मुफ्त में दिया जाता था और सभी किसानों को 5 हार्स पावर की बिजली मुफ्त थी जिसे भाजपा सरकार ने बंद कर दिया है। कांग्रेस की सरकार बनने पर हम वापस एक बत्ती कनेक्शन एवं किसानों को 5 हार्स पावर के सिंचाई पम्प पर मुफ्त में बिजली बहाल करेंगे। केन्द्र सरकार ने विगत तीन वर्षाे मेंप्रदेश सरकार को 32 हजार करोड़ से अधिक की राशि विकास योजनाओं के लिये दी, लेकिन सिर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबी भाजपा सरकार ने उसे कहां खर्च किया, वह धनराशि कौन खा गया, मुख्यमंत्री उसका हिसाब ही नहीं दे पा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने परिवर्तन यात्रा को प्रदेश की जनता को भाजपाई शोषण से मुक्त करने के लिए जरूरी बताते हुए प्रदेश सरकार की जमकर खबर ली। आपने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को भरोसा दिलाया कि सीधी-सिंगरौली जिले की सातों विधानसभा क्षेत्रों में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का परचम लहरायेगा। वे अपने जिलों की जनता की तरफ से यह वादा करते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सीधी लोकसभा के उपचुनाव में हुई पराजय की पीड़ा मुख्यमंत्री बर्दाश्त नही कर पाये और सीधी जिले के दो टुकड़े कर दिया। मुख्यमंत्री सीधी को गोद लेने की घोषणा करते हैं और सिंगरौली को सिंगापुर बनाने का सपना दिखाते हैं। अविभाजित सीधी जिले को सीमाएं बनाकर प्रशासनिक रूप से शिवराज सिंह अलग कर सकते हैं लेकिन हमारे दिलों को कैसे अलग कर सकते हैं। आज फिर वहीं परीक्षा सीधी-सिंगरौली जिले की जनता को देना है कि वह दाऊ साहब कुंवर अर्जुन सिंह की कर्मभूमि में भाजपा का कुटिल हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगी और झूठे घोषणावीर को सबक सिखायेगी। नेता प्रतिपक्ष ने पूरे प्रदेश में चल रहे जंगल राज एवं भ्रष्टाचार के लिये भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों को कठघरे में खड़ा किया। यदि सभी आरोपों को सच मान भी लिया जाए और यह भी मान लिया जाए के शिवराज सिंह चौहान घोषणावीर है, तो क्या ऐसा मान लेने से सिंगरौली में बढता प्रदूषण का स्तर घट जाएगा। क्या इस सच्चाई से  इनकार किया जा सकता है की सिंगरौली जिले में जो बिजली घर बिजली पैदा कर महानगरों को रौशन कर रहा है और राख से सिंगरौली को पाट रहा है वह कांग्रेस के द्वारा दशको पुर्व दिया गया सौगात नहीं। क्या ऐसा करके कांग्रेस ने सिंगरौली के लोगों के साथ इंसाफ किया था। परिवर्तन रैली से जनता का भला होगा या कांग्रेस कि सत्ता पाने की ललक पूरी होगी यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा है हां इतना तो तय है कि सियासत के दो पाटों में आम जनता को ही पिसना है।

साई वसणशाह दरबार की हरिद्वार यात्रा 14 अगस्त से


साई वसणशाह दरबार की हरिद्वार यात्रा 14 अगस्त से

(कमल आहूजा)

उल्हासनगर (साई)। हरिद्वार में भगवान झुलेलाल की पूजा-आराधना हेतु साई वसणशाह दरबार की ओर से पूज्य बहराणा साहब के भव्य कार्यक्रम का आयोजन इस वर्ष भी किया गया है। सैकड़ों की संख्या में भक्तगण हरिद्वार यात्रा के लिए तैयारी कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर साई वसणशाह दरबार की ओर से प्रिन्स साई कालिराम की ओर से भक्तों से अपील की गयी है कि जो भी भक्त हरिद्वार यात्रा पर एसवीएस मंडली के साथ चलना चाहता हो वो दरबार साहब में आकर अपना नाम दर्ज करवा सकता है ताकि उन भक्तों की टिकट और अन्य सुविधाओं का बंदोबस्त किया जायेगा। उल्हासनगर से हरिद्वार की यह यात्रा 14 अगस्त हो शुरू होगी।
उल्हासनगर कैंप-5 स्थित विश्व प्रसिद्ध साई वसणशाह दरबार की ओर से इस वर्ष भी आगामी 14 अगस्त को हरिद्वार में लाल साई की याद में और उनकी पूजा-आराधना हेतु पूज्य बहराणा साहब का आयोजन किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए प्रिन्स साई कालिराम ने बताया कि 14 अगस्त को हरिद्वार के लिए भक्तों की टोली हरिद्वार पहुंचकर वहां बहराणा साहब की धूम मचायेगी। उन्होंने भक्तों से अपील करते हुए कहा कि जो भी भक्त इस यात्रा में शामिल होना चाहता है वह जल्द से जल्द साई वसणशाह दरबार में आकर अपना नाम दर्ज करवा ले ताकि उस भक्त की टिकट के साथ-साथ अन्य सुविधाओं का बंदोबस्त किया जा सके।

सूर्य चंद्र गहण के दौरान क्या करें क्या ना करें


सूर्य चंद्र गहण के दौरान क्या करें क्या ना करें

(पंडित दयानंद शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 अप्रैल से वर्ष का चौथा महीना शुरू हो गया है। लेकिन हिन्दू कैलेंडर यानी पंचांग के अनुसार 11 अप्रैल से नव वर्ष  2013 (गुरुवार) से शुरू होगा। पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार इस वर्ष  2013-14 में तीन ग्रहण लगने वाले हैं। इनमें दो सूर्य ग्रहण होंगे और एक चन्द्रग्रहण।
पहला सूर्य ग्रहण 9 मई,2013   की रात में लगेगा। इसलिए यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। दूसरा सूर्यग्रहण 3 नवंबर को लगेगा, यह भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इन दोनों सूर्यग्रहण में सूतक के दान, स्नान का विचार करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इनका असर भारत पर नहीं होगा।
इस वर्ष का एक मात्र चन्द्रग्रहण 25 अप्रैल की मध्य रात्रि के बाद 1 बजकर 22 मिनट पर लगेगा और 1 बजकर 53 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। ग्रहण का सूतक 25 तारीख को भारतीय मानक समय के अनुसार 4 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा। ग्रहण के समय चन्द्रमा तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में होगा। तुला राशि एवं स्वाति नक्षत्र में जिनका जन्म हुआ है उन्हें चन्द्रग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए चन्द्रमा एवं शुक्र के मंत्र का जप करना चाहिए।
ग्रहगोचर के आधार पर -----
पंचाग भवानीशंकर निर्णयसागर चण्डमार्तण्ड पंचाग नीमच के आधार पर इस वर्ष भूमण्डल पर पॉच ग्रहण पडेगे परन्तु भारत में एक भी ग्रहण मान्य नही होगा । प्रथम ग्रहण पूर्णिमा चौत्र मास शुक्ल पक्ष में दिनांक 25 अप्रैल 2013 को पडने वाला चन्द्रग्रहण अंगुलाल्प ग्रास आदेश्य नही माना जा सकता । क्योकि अंगुलाल्पग्रास ग्रहण को मनुष्य की आखों से नही देखा जा सकता है ।
अतः इस ग्रहण का दोष मान्य नही है । अतः इस ग्रहण को अनादेश्य नही पालने वाला माना गया है । यह ही उपरोक्त पंचाग ने अपना निर्णय दिया है । आचार्य भास्कराचार्य ने भी यहा पुष्टि की है कि अंगुलाल्प ग्रास को नहीप पालने में ही बुद्विमानी है ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार कुछ पंचाग ने इस ग्रहण को माना है । परन्तु सेवाक्रम की बात करे तो इस ग्रहण जो मनुष्य की आखो से नही दिखे तो ऐसे ग्रहण को मानने की अनुमति हमारे धर्मसिन्धु निर्णयसिन्धु ग्रन्थ भी नही देते है । शास्त्र में यह भी कहा जाता है कि देखो को ग्रहण और सुने का सूतक मान्य होता है ।
सूर्यग्रहण में सूतक 12 घंटे पहले और चंद्रग्रहण में सूतक 9 घंटे पहले लगता है । सूतक काल में जहाँ देव दर्शन वर्जित माने गये हैं वहीं मन्दिरों के पट भी बन्द कर दिये जाते हैं । इस दिन जलाशयों, नदियों व मन्दिरों में राहू, केतु व सुर्य के मंत्र का जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है और ग्रहों का दुष्प्रभाव भी खत्म हो जाता है ।
हमारे ऋषि मुनियों ने सुर्यग्रहण लगने के समय भोजन करने के लिये मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में किटाणु बहुलता से फैल जाते हैं । खाद्य वस्तु, जल आदि में सुक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। 
इसलिये ऋषियों ने पात्रों में क़ुश अथवा तुलसी डालने को कहा है, ताकि सब किटाणु कुश में एकत्रित हो जायें और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके। पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है, ताकि किटाणु मर जायें। ग्रहण के बाद स्नान करने का विधान इसलिये बनाया गया ताकि स्नान के दौरान शरीर के अन्दर ऊष्मा का प्रवाह बढे, भीतर बाहर के किटाणु नष्ट हो जायें, और धूल कर बह जायें।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार ग्रहण के दौरान भोजन न करने के विषय में जीव विज्ञान विषय के प्रोफेसर टारिंस्टन ने पर्याप्त अनुसन्धान करके सिद्ध किया है कि सुर्य चन्द्र ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसके कारण इस समय किया गया भोजन अपच, अजीर्ण आदि शिकायतें पैदा कर शारीरिक या मानसिक हानि पहुँचा सकता है ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार भारतीय धर्म विज्ञान वेत्घ्ताओं का कहना है कि सूर्य-चन्घ्द्र ग्रहण लगने से 10 घंटे पूर्व से ही इसका कुप्रभाव शुरू हो जाता है। अंतरिक्ष प्रदुषण के समय को सूतक काल कहा जाता है। इसलिए सूतक काल और ग्रहण काल के समय में भोजन तथा पेय पदार्थों के सेवन की मनाही की गयी है। चॅंकि ग्रहण से हमारी जीवन शक्ति का ह्रास होता है और तुलसी दल (पत्र) में विद्युत शक्ति व प्राण शक्ति सबसे अधिक होती है, इसलिए सौर मंडलीय ग्रहण काल में ग्रहण प्रदूषण को समाप्घ्त करने के लिए भोजन व पेय सामग्री में तुलसी के कुछ पत्घ्ते डाल दिए जाते हैं। जिसके प्रभाव से न केवल भोज्घ्य पदार्थ बल्कि अन्घ्न, आटा आदि भी प्रदूषण से मुक्घ्त बने रह सकते हैं।
पुराणों की मान्घ्यता के अनुसार राहू चन्घ्द्रमा को तथा केतू सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों छाया की संतान है । चन्घ्द्रमा और सूर्य की छाया के साथ साथ चलते हैं । चन्घ्द्रग्रहण के समय कफ की प्रधानता बढ़ती है, और मन की शक्ति क्षीण होती है । जबकि सूर्य ग्रहण के समय जठराग्नि नेत्र तथा पित्घ्त की शक्ति कमजोर पड़ती है ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार ग्रहण लगने से पूर्व नदी या घर में उपलब्घ्ध जल से स्घ्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करना चाहिए । भजन कीर्तन करके ग्रहण के समय का सदुपयोग करें । ग्रहण के दौरान कोई कार्य न करें । ग्रहण के समय में मंत्रों का जप करने से सिध्घ्दि प्राप्घ्त होती है ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूर्त्त्घ्याग करना, केश विन्घ्यास करना, रति क्रीडा करना, मंजन करना वर्जित किए गये हैं । कुछ लोग ग्रहण के दौरान भी स्घ्नान करते हैं । ग्रहण समाप्घ्त हो जाने पर स्घ्नान करके ब्राम्घ्हण को दान करने का विधान है । कहीं कहीं वर्स्घ्त्धोने, बर्तन धोने का भी नियम है । पुराना पानी, अन्घ्न नष्घ्ट कर नया भोजन पकाया जाता है, और ताजा भरकर पीया जाता है, क्घ्योंकि डोम को राहू केतु का स्घ्वरूप माना गया है ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर पूर्व और चंद्रग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे) । बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं । ग्रहण के दिन पत्घ्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए । बाल और वर्स्घ्त्नहीं निचोड़ने चाहिए एवं दंत धावन नहीं करना चाहिए । ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना मल मूर्त्का त्घ्याग करना, मैथून करना और भोजन करना ये सब वर्जित कार्य हैं । ग्रहण के समय मन से सत्घ्पार्त्को उद्देश्घ्य करके जल में जल डाल देना चाहिए ऐसा करने से देने वाले को उसका फल प्राप्घ्त होता है और लेने वाले को उसका दोष भी नहीं लगता है । ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्घ्न, जरूरत मंदों को वर्स्घ्त्दान देने से अनेक गुना पुण्घ्य प्राप्घ्त होता है।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगा जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।
देवी भागवत में आता हैः सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुतुन्द नामक नरक में वास करता है। फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है फिर गुल्मरोगी, काना और दंतहीन होता है। ग्रहण के अवसर पर पृथ्घ्वी को नहीं खोदना चाहिए ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर ( 9 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालकक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं। ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। जबकि पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जररूतमंदों को वस्त्र और उनकी आवश्यक वस्तु दान करने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
गर्भवती स्त्रियों के लिये सावधानी------
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार गर्भवती स्त्री को सूर्य दृ चन्घ्द्रग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्घ्योकि उसके दुष्घ्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन जाता है । गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है । इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहू केतू उसका स्घ्पर्श न करें ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ भी कैंची, चाकू आदि से काटने को मना किया जाता है , और किसी वस्घ्त्र आदि को सिलने से मना किया जाता है । क्घ्योंकि ऐसी मान्घ्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं  या फिर सिल (जुड़) जाते हैं ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार क्या सावधानियां रखे ग्रहण के समय..???
1 ग्रहण के सोने से रोग पकड़ता है किसी कीमत पर नहीं सोना चाहिए।
2 ग्रहण के समय मूर्त्दृ त्घ्यागने से घर में दरिद्रता आती है ।
3 शौच करने से पेट में क्रीमी रोग पकड़ता है । ये शार्स्घ्त्की बातें हैं इसमें किसी का लिहाज नहीं होता।
4 ग्रहण के समय संभोग करने से सूअर की योनी मिलती है ।
5 ग्रहण के समय किसी से धोखा या ठगी करने से सर्प की योनि मिलती है ।
6 जीव-जन्घ्तु या किसी की हत्घ्या करने से नारकीय योनी में भटकना पड़ता है ।
7 ग्रहण के समय भोजन अथवा मालिश किया तो कुष्घ्ठ रोगी के शरीर में जाना पड़ेगा।
8 ग्रहण के समय बाथरूम में नहीं जाना पड्रे ऐसा खायें।
9 ग्रहण के दौरान मौन रहोगे, जप और ध्घ्यान करोगे तो अनन्घ्त गुना फल होगा।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार घ् ग्रहण विधि निषेध घ्
 १. सूर्यग्रहण मे ग्रहण से चार प्रहर पूर्व और चंद्र ग्रहण मे तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिये । बूढे बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चंद्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुध्द बिम्बदेख कर भोजन करना चाहिये । (१ प्रहर = ३ घंटे)
 २.  ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोडना चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहियेव दंत धावन नहीं करना चाहिये ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल मूत्र का त्याग करना, मैथुन करना औरभोजन करना - ये सब कार्य वर्जित  हैं ।
 ३. ग्रहण के समय मन से सत्पात्र को उद्दयेश्य करके जल मे जल डाल देना चाहिए ।  ऐसा करने से देनेवालेको उसका फल प्राप्त होता है और लेनेवाले को उसका दोष भी नहीं लगता।
४. कोइ भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये और नया कार्य शुरु नहीं करना चाहिये ।
 ५. ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थाे मे तिल या कुशा डाली होती है, वे पदार्थ दुषित नहीं होते । जबकि पके हुएअन्न का त्याग करके गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिये ।
 ६. ग्रहण वेध के प्रारंभ मे तिल या कुशा मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति  मे ही करना चाहिये और ग्रहण शुरु होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिये ।
 ७. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदों को वस्त्र दान से अनेक गुना  पुण्य प्राप्तहोता है ।
 ८. तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किंतु  संतानयुक्त ग्रहस्थको ग्रहणऔर संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिये।
 ९. श्स्कंद पुराणश् के अनुसार ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षाे का एकत्र किया हुआसब पुण्यनष्ट हो जाता है ।
 १०. श्देवी भागवतश् में आता है कि भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिये ।
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार ग्रहण के समयकेसे करें  मंर्त्सिध्दि ..???
1.   ग्रहण के समय घ् ह्रीं नमः मंत्र का 10 माला जप करें इससे ये मंर्त्सिध्घ्द हो जाता है । फिर अगर किसी का स्घ्वभाव बिगड़ा हुआ है .... बात नहीं मान रहा है .... इत्घ्यादि ..... । तो उसके लिए हम संकल्घ्प करके इस मंर्त्का उपयोग कर सकते हैं ।
2.  श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके श्घ् नमो नारायणायश् मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्ध होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणाशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाकसिद्धि प्राप्त कर लेता है।