बुधवार, 12 दिसंबर 2012

न्यायालयों की परवाह भी नहीं रही सरकार को!


0 संदर्भ: सर पर मैला ढोने की परंपरा

न्यायालयों की परवाह भी नहीं रही सरकार को!

(लिमटी खरे)

जब स्कूल कालेज में विद्यार्थी राजनीति शास्त्र का अध्ययन करते हैं तब उन्हें समझाया जाता है कि देश में न्यायपालिका सर्वोपरि है। जब वह बच्चा पढ लिखकर फारिग होता है तब वास्तविक जीवन में उसे एसा प्रतीत नहीं होता है। रोजमर्रा के जीवन में जब वह मीडिया से सरकार के साथ रूबरू होता है तब उसे पता चलता है कि देश में सरकार से बड़ा शायद ही कोई है। बार बार माननीय न्यायालयों के चेताने के बाद भी सरकार वादे पर वादे किए जा रही है। इस साल अगस्त में देश की सबसे बड़ी अदालत ने देश की सबसे बड़ी पंचायत को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि भारत गणराज्य की स्थापना और आजादी के साढ़े छः दशक पूरे होने के बाद सर पर मैला ढोने की प्रथा का लागू रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। विडम्बना ही है कि मनुष्य की विष्ठा आज भी मानव द्वारा ही ढोई जा रही है। सरकारों ने इस मामले में अब तक कितनी राशि व्यय की है इस बारे में अगर जानकारी एकत्र की जाए तो देशवासियों के हाथों के तोते उड़ जाएंगे कि विष्ठा के मामले में भी देश के नीतिनिर्धारकों ने गफलत कर कमाई करने से अपने आप को नहीं रोका जा सका है।

एक बार फिर देश की सबसे बड़ी अदालत ने सर पर मैला उठाने की परंपर पर अपनी तल्ख नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में सर पर मैला ढोने की कुप्रथा बरकरार रहने पर मंत्री माफी मांगते हैं लेकिन सरकारी अधिकारी इसे खत्म करने के लिए कारगर कार्रवाई नहीं करते हैं।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने सिर पर मैला ढोने की प्रथा खत्म करने और ऐसे सफाईकर्मियों के पुनर्वास हेतु कारगर कार्रवाई नहीं करने पर हरिद्वार के डीएम को आड़े हाथ लिया। जजों ने कहा, ‘यदि प्रेस रिपोर्ट सही हैं तो यहां तक कि आपके केंद्रीय मंत्री ने भी मैला ढोने की कुप्रथा जारी रहने पर माफी मांगी है।इसके साथ ही कोर्ट ने डीएम को उन स्थानों का निजीरूप से दौरा करने का निर्देश दिया जहां यह कुप्रथा अब भी जारी है और ऐसे सफाईकर्मियों के पुनर्वास के लिए तत्काल आवश्यक कमद उठायें।
न्यायाधीश उन मीडिया रिपोर्ट का जिक्र कर रहे थे जिनमें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मैला ढोने के मसले पर कल राष्ट्र से माफी मांगी थी। जजों ने कोर्ट में मौजूद डीएम से कहा, ‘कृपया ध्यान दीजिए। आप युवा अधिकारी है। अपनी जिंदगी खराब मत करो।अदालत ने झूठा हलफनामा दाखिल करने के मामले में चार दिसंबर को जिलाधिकारी को तलब किया था। जिलाधिकारी ने इस हलफनामे में कहा था कि उसके जिले में सिर पर मैला ढोने वाला कोई नहीं है लेकिन सफाई कर्मचारी आंदोलन ने इस दावे को गलत बताया था। इस गैर सरकारी संगठन का कहना था कि जिले में अभी भी करीब 174 सिर पर मैला ढोने वाले कर्मी हैं।
इतना ही नहीं इस साल अगस्त में उच्चतम न्यायालय ने सिर पर मैला ढोने की प्रथा प्रतिबंधित करने में विफल रहने पर केन्द्र को फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि केन्द्र सरकार ने बार-बार वादे किये कि वह इस प्रथा को समाप्त करने के लिए संबंधित कानून में संशोधन करेगी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आजादी के ६५ वर्ष बाद भी सिर पर मैला ढोने की प्रथा जारी रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और सी के प्रसाद की पीठ ने अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल हरेन रावल से कहा है कि २७ अगस्त को अदालत को बताया जाए कि क्या इस प्रथा को समाप्त करने के बारे में संसद के मॉनसून सत्र में संबंधित विधेयक लाया जाएगा। बावजूद इसके मानसून सत्र तो छोड़िए शीत सत्र भी परवान चढ़ रहा है।
इसके पहले वर्ष 2009 में तत्कालीन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्रीमती सुब्बूलक्ष्मी जगदीसन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उŸार में बताया था कि मैला उठाने की परम्परा को जड़ मूल से समाप्त करने के लिए रणनीति बनाई गई है। उन्होंने बताया कि मैला उठाने वाले व्यक्तियों के पुनर्वास और स्वरोजगार की नई योजना को जनवरी, 2007 में शुरू किया गया था। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत अभी देश के 1.23 लाख मैला उठाने वालों और उनके आश्रितों का पुनर्वास किया जाना है।
दुख तो तब होता है कि जब सर पर मैला ढोने की परंपरा आज भी बदस्तूर जारी होने की बात मीडिया की सुर्खियां बनती है ओर सरकार में बैठे नुमाईंदे इस मामले में गोल मोल जवाब देकर देश को गुमराह करते हैं। उससे अधिक पीड़ा उस वक्त होना लाजिमी है जब विपक्ष में बैठे जनसेवक भी सरकार की हां में हां मिलाकर उनकी गलत बातों का समर्थन प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर करने लगते हैं।
2011 के आरंभ में तत्कालीन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक ने मीडिया को मैनेज किया और घराना पत्रकारिता वाले मीडिया ने मुकुल वासनिक की तारीफों में कशीदे गढ़कर यह तान छेड़ दी कि मैला ढोने वालों का लेखा जोखा मांगेंगे वासनिक। इस तरह की गैर कानूनी एवं सामंती प्रथा को समाप्त करने के लिए वासनिक ने उस वक्त अनेक दलीलें भी दी थीं।
बकौल वासनिक मैला ढोनेकी प्रथा से मुक्ति के लिए बने 1993 के कानून का सही ढंग से पालन ना हो पाने के चलते यह कुप्रथा कायम है। उस वक्त सफाई कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने एक प्रतिवेदन वासनिक को सौंपा था जिसमें देश के 14 राज्यों में कहां कहां, किन किन जिलों मोहल्लों में सफाईकर्मी मैला ढोने की प्रथा जैसे अमानवीय कार्य में लगे हैं का फोटो सहित पूरा ब्योरा सौंपा था।
इस संबंध में सफाई कर्मचारियों के आव्हान पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी ने वजीरे आज़म डॉ।मनमोहन सिंह को एक पत्र भी लिखा था। कांग्रेस इस सामंती कुप्रथा या सफाई कर्मचारियों के लिए कितनी संजीदा है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि लगभग दो साल बीतने के बाद भी फोटो सहित पूरे ब्योरे के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने इस बारे में कोई पहल करना उचित नहीं समझा। वहीं सोनिया गांधी के दिखावटी पत्र पर सरकार ने कोई कार्यवाही ना कर दर्शा दिया है कि सरकार की मंशा भी इस सामंती कुप्रथा से निपटने की नहीं है।
विपक्ष में बैठे दलों की कुंभकर्णीय निंद्रा नहीं टूटी पर सफाई कर्मियों के दबाव में आकर मजबूरी में सरकार को दिखावे के लिए कुछ करना पड़ा। बताते हैं कि दिसंबर 2011 में सफाई कर्मियों के सचित्र ब्योरे को ही सरकार ने एक एनजीओ को लंबी राशि देकर तैयार करवाना बताया जाकर देश के लगभग 15 राज्यों के मुख्य सचिवों को बुलवा लिया। नतीजा फिर ढाक के तीन पात ही रहा।
इसी बीच इस साल जनवरी में एनसीआर से प्रकाशित एक प्रमुख समाचार पत्र ने यह खबर प्रकाशित कर सनसनी फैला दी कि महज एक रोटी और दस रूपए महीने के पारिश्रमिक पर आज भी राजस्थान में सर पर ढुल रहा है मैला। इस खबर से कुछ सनसनी तो फैली पर चूंकि यह मामला मीडिया के लिए चटखारे का नहीं था इसलिए खबर अंदर के पन्नों ही दबकर रह गई।
कहा जाता है कि महज एक रोटी और दस रूपए महीना के एवज में राजस्थान के टोंक में सर पर मैला आज भी ढुल रहा है। यह राजस्थान की कांग्रेस सरकार के लिए शर्म की बात है। टोंक के इरा चौक सहित लगभग आधा दर्जन बस्तियों में यह काम बदस्तूर जारी है इस काम में वहां के लगभग ढाई सौ परिवार लगे हुए हैं।
लोगों की विष्ठा से पैसे कमाने को व्यपार बनाने वाले सुलभ इंटरनेशल के संस्थापक विंदेश्वर पाठक ने भी इस बात को स्वीकारा था कि राजस्थान में यह कुप्रथा जारी है। उनके अनुसार सरकार ने नई दिशाएं नाम की एक योजना आरंभ की थी पर बाद में सरकारी अनुदान के अभाव में इस योजना ने दम तोड़ दिया था।
कितने आश्चर्य की बात है कि मनुष्यकी विष्ठा (मल) को मनुष्य द्वारा ही उठाए जाने की परंपरा इक्कीसवीं सदी में भी बदस्तूर जारी है। देश प्रदेश की राजधानियों, महानगरों या बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को भले ही इस समस्या से दो चार न होना पड़ता हो पर ग्रामीण अंचलों की हालत आज भी भयावह ही बनी हुई है।
कहने को तो केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा शुष्क शौचालयों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाता रहा है, वस्तुतः यह प्रोत्साहन किन अधिकारियों या गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की जेब में जाता है, यह किसी से छुपा नहीं है। करोड़ों अरबों रूपए खर्च करके सरकारों द्वारा लोगों को शुष्क शौचालयो के प्रति जागरूक किया जाता रहा है, पर दशक दर दशक बीतने के बाद भी नतीजा वह नहीं आया जिसकी अपेक्षा थी।
सरकारो को देश के युवाओं के पायोनियर रहे महात्मा गांधी से सबक लेना चाहिए। उस समय बापू द्वारा अपना शौचालय स्वयं ही साफ किया जाता था। आज केंद्रीय मंत्री जगदीसन की सदन में यह स्वीकारोक्ति कि देश के एक लाख 23 हजार मैला उठाने वालों का पुर्नवास किया जाना बाकी है, अपने आप में एक कड़वी हकीकत बयां करने को काफी है।
सरकार खुद मान रही है कि आज भी देश में मैला उठाने की प्रथा बदस्तूर जारी है। यह स्वीकारोक्ति निश्चित रूप से सरकार के लिए कलंक से कम नहीं है। यह कड़वी सच्चाई है कि कस्बों, मजरों टोलों में आज भी एक वर्ग विशेष द्वारा आजीविका चलाने के लिए इस कार्य को रोजगार के रूप में अपनाया जा रहा है।
सरकारों द्वारा अब तक व्यय की गई धनराशि में तो समूचे देश में शुष्क शौचालय स्थापित हो चुकने थे। वस्तुतः एसा हुआ नहीं। यही कारण है कि देश प्रदेश के अनेक शहरों में खुले में शौच जाने से रोकने की प्रेरणा लिए होर्डिंग्स और विज्ञापनों की भरमार है। अगर देश में हर जगह शुष्क शौचालय मौजूद हैं तो फिर इन विज्ञापनों की प्रसंगिकता पर सवालिया निशान क्यों नहीं लगाए जा रहे हैं? क्यों सरकारी धन का अपव्यय इन विज्ञापनों के माध्यम से किया जा रहा है?
उत्तर बिल्कुल आईने के मानिंद साफ है, देश के अनेक स्थान आज भी शुष्क शौचालय विहीन चिन्हित हैं। क्या यह आदी सदी से अधिक तक देश प्रदेशों पर राज करने वाली कांग्रेस की सबसे बड़ी असफलता नहीं है? सत्ता के मद में चूर राजनेताओं ने कभी इस गंभीर समस्या की ओर नज़रें इनायत करना उचित नहीं समझा है। यही कारण है कि आज भी यह समस्या कमोबेश खड़ी ही है।श्विडम्बना ही कही जाएगी कि एक ओर हम आईटी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का दावा कर चंद्रयान का सफल प्रक्षेपण कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शौच के मामले में आज भी बाबा आदम के जमाने की व्यवस्थाओं को ही अंगीगार किए हुए हैं। इक्कीसवीं सदी के इस युग में आज जरूरत है कि सरकार जागे और देश को इस गंभीर समस्या से निजात दिलाने की दिशा में प्रयास करे। (साई फीचर्स)

नीता पटेरिया हैं सीएम मैटेरियल!


नीता पटेरिया हैं सीएम मैटेरियल!

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश भाजपा में इन दिनों महिला नेताओं की खोज खबर लेना आरंभ हो गया है। मध्य प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया के व्यक्तिव को सभी के द्वारा सराहा जा रहा है। यहां तक कि भाजपा के प्रदेश के निजाम प्रभात झा भी श्रीमति पटेरिया का लोहा मान रहे हैं। जनपद सदस्य से लेकर सांसद और विधायक तक का सफर तय करने वाली श्रीमति पटेरिया ने अभी तक एक भी चुनाव में पराजय नहीं झेली है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दिल्ली से भोपाल आते समय रेल यात्रा के दौरान प्रभात झा ने कुछ राजनैतिक व्यक्तित्वों के साथ चर्चा के दौरान इस बात को रेखांकित किया कि मध्य प्रदेश भाजपा में दो ही महिला नेत्रियां डायनामिक हैं। पहलीं हैं श्रीमति सुषमा स्वराज जो नेता प्रतिपक्ष बनकर अपनी जवाबदेही का निर्वहन सफलता पूर्वक कर रही हैं। दूसरी हैं श्रीमति नीता पटेरिया जिन्हें अभी वास्तविक तौर पर मौका नहीं मिल पाया है।
वहीं झा के साथ उपस्थित एक नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि इस यात्रा में झा ने इशारों ही इशारों में श्रीमति पटेरिया को मध्य प्रदेश में सीएम मेटेरियल भी कह दिया। प्रभात झा के द्वारा इंगित इस बात को लेकर मध्य प्रदेश भाजपा में अब उत्साह की लहर दौड़ने लगी है।
ज्ञातव्य है कि श्रीमति नीता पटेरिया सबसे पहले जनपद सदस्य का चुनाव जीतीं। इसके उपरांत मध्य प्रदेश के कद्दवर नेता हरवंश सिंह ठाकुर की मांद में घुसकर नीता पटेरिया ने छपारा से जिला पंचायत का चुनाव भी जीता। जिला पंचायत के उपरांत श्रीमतति पटेरिया ने पांच साल तक सांसद के दायित्वों का भी सफलता पूर्वक निर्वहन किया। श्रीमति पटेरिया सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद बनीं, इसके बाद यह सीट बालाघाट और मण्डला संसदीय क्षेत्रों में विलुप्त कर दी गई।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि आमानाला प्रकरण, पुजारी की थाली से पैसे उठाने का प्रकरण, बिजली चोरी का प्रकरण उनके विरोधियों द्वारा षणयंत्र के तहत उठाए गए, किन्तु जनता के सामने सारी सच्चाई आने से ये सारे फर्जी प्रकरणों के गुब्बारे की हवा निकल गई। श्रीमति पटेरिया की छवि को खराब करने के लिए विध्नसंतोषी अभी भी काफी सक्रिय बताए जा रहे हैं, पर इनकी परवाह ना करते हुए श्रीमति पटेरिया अपने पथ पर निर्विध्न बढ़ी चली जा रही हैं।
उधर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश में कराए गए एक सर्वेक्षण में श्रीमति नीता पटेरिया को सुषमा स्वराज के उपरांत नंबर दो की दबंग महिला नेत्री बताया गया है। श्रीमति नीता पटेरिया की कुशल नेतृत्व क्षमता, सांसद और विधायक के रूप में सफल कार्यकाल के साथ ही साथ संगठनात्मक क्षमता एवं कुशल वक्ता होना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

अकेले लाजपत आहूजा बे-लाज नहीं हो सकते


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 24

अकेले लाजपत आहूजा बे-लाज नहीं हो सकते

(स्वराज न्यूज डॉट काम)

भोपाल (साई)। म।प्र।जनसंपर्क विभाग के उप सचिव एवं संचालनालय में अपर सचिव लाजपत आहूजा फिर एक बार लघु समाचार पत्रों के प्रकाशकों के निशाने पर है। मामला है विज्ञापन नीति का। यह वह नीति है जो केवल विभाग की कागजी खानापूर्ति के लिए तथा कभी कभार भ्रटाचार से बचाव में अधिकारियों के लिए विभागीय मंत्री एवं मुख्य मंत्री को समय-समय पर होने वाली बैठकों में जाने के लिए उनके हाथ और वाक्पटुता के काम आती है और उनकी गरिमा को महिमा मंडित करती है।
इस प्रकार की नीति से विज्ञापन जारी करने में वरिष्ठ एवं वरिष्ठतम अधिकारियों के निजीहितार्थ क्रियान्वयन में कोई फर्क  नहीं पड़ता है। होता वही है जो ये लोग चाहते है। इस नीति में आन्तरिक,निजी व्यवहारिक,कमीशन एवं लाभ लेने वाले की सामाजिक एवं प्रशासनिक हैसियत ही मापदण्ड होती है। इस नीति का नाम लेकर तब ज्यादा चर्चा रहती है जब कमीशन खोरी की अतिमहत्वाकांक्षां में आवंटन से ज्यादा बजट को ठिकाने लगा दिया जाता है।
बाद में जैसे ही आडिट दल आकर कहता है कि आप अपने आप को संभालो तो उसके लिए फामूर्ला नं। एक होता है कि प्रचार कराओ कि बजट खत्म हो गया है। यदि लंबी रूकावट का दौर चलाना है तो फामूर्ला न।दो अपनाओं अर्थात उच्च स्तरीय स्टाइलिस अपने आप को किसी वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की तरह रूतवा रखने वाले ग्वालियर अंचल का अन्न जल लेकर पैदा हुए अडियल संाड की तरह अड़े रहने वाले आदणीय लाजपत आहूजा को कमान सैाप दो। यह जनसंपर्क विभाग की पीढी दर पीढी निरन्तर चलने वाली सत्त प्रक्रिया है।
इस नीति की प्रक्रिया में लाजपत आहूजा का सीधा कोई रोल नही होता है। बल्कि यह नीति हमेशा से मुख्यमँत्री के सचिव, विभागीय मंत्री के निजसहायक,एवं आयुक्त जनसंपर्क की आन्तरिक नीति के तहत भ्रष्ट गठजरोड़ का अंग है। यह सर्व विदित है कि अपने पार्टी कार्यकर्ताओं ,चापलूसों एवं गैर-पत्रकारों ,गैर-पत्रकार संगठनों को जब-जब मुख्यमंत्री ,मंत्री अथवा पार्टी के नेताओं ने जनसंपर्क आयुक्त को आर्थिक लाभ,वाहन अथवा विज्ञापन जारी करने के लिए लिखा तो बिना किसी मापदण्ड के बिना नियम प्रक्रिया अपनायें मांगने वाले को हाथों हाथ थमा दिया।
जनसंपर्क आयुक्त को लिखने वालो ने लगे हाथ अपना उल्लू भी सीधा कर लिया। मंत्री या मुख्यमंत्री ने जो भी लिखा उसमें कूटरचित तरीके से अपनी राशि का आंकड़ा फिट करके अनुमोदन करा लिया ।  इन परिस्थितियों में संचालनालय के किसी भी अधिकारी की औकात नहीं है कि मंत्री या मुख्यमंत्री से अनुमोदित फाइल को नकार दे ,अथवा टीका टिप्पणी कर दे।
इस प्रकार पहले बे-मन से बाद में तन-मन संचालनालय के लोग भी अपनी दुकान चलाने लगते है। इस प्रकार बजट का बंटवारा अपनी हैसियत के हिसाब से निरन्तर होता रहता है। इसमें कोई बड़े बैनरों के लिए दलाली करता है,कोई मंत्रियों एवं विधायकों के पत्रों के सहारे सुविधाऐं जुटाता है ,किसी ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम से इवेन्ट कंपनी बना रखी है ,कोई अपने परिवार के सदस्य के नाम से अखवार,पत्रिका निकालकर लाभ ले रहा है ,किसी नेे ठेके से किताबें लिखवा कर महान विद्धान बनाकर पुरूष्कार दिलवाया है।
इस विभाग का षडय़न्त्र एवं बजट का ख्ेाल सीधा एवं सुरक्षित है । क्योकि किसी राजनीतिक दल,कोई भी चौनल,कोई भी ख्यातिनाम समाचार पत्र कोई भी मंत्री विधायक यहां तक मुख्य मंत्री भी इस विभाग के विरूद्ध नहीं बोल सकते क्योकि सरकार ,दल,मीडिया की काली कमाई,माफिया और व्यवस्था सबकी जड़ें यहाँ छिपी है। अच्छा होगा लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशक एवं संपादक पहले पत्रकार बनें फिर विभाग और स्वयं भी समीक्षा बैठकें कराऐं । नतीजा जरूर निकलेगा । यहॉ सरकार को पत्रकारों की नहीं मीडिया एण्ड इवेन्ट्स मैंनेजमेंन्ट सिस्टम वालों की आवश्यकता है। यहॉ अकेले लाजपत अडिय़ल बन सकते है । परन्तु बे-लाजपत विभाग में बहुत है।

आकाशवाणी ने बताया कमल नाथ को सीएण्डआई मिनिस्टर!


मनीष तिवारी की आईएण्डबी मिनिस्ट्री पर पकड़ ढीली!

आकाशवाणी ने बताया कमल नाथ को सीएण्डआई मिनिस्टर!

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले सरकारी श्रवण माध्यम आकाशवाणी पर आज सुबह आठ बजे के समाचार सुनते वक्त श्रोता उस समय चौंक गए जब पहली ही खबर में शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ को आकाशवाणी द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्री निरूपित कर दिया गया। सरकारी समाचार माध्यम को काफी विश्वसनीय माना जाता है पर इस तरह की भूल से सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी की विभाग पर पकड़ और कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।
आज प्रातः आकाशवाणी के समाचार बुलेटिन के अनुसार सरकार ने कहा है कि वह वॉलमार्ट के कथित लॉबिंग के मुद्दे की जांच कराने के लिए तैयार है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमलनाथ ने कहा कि वॉलमार्ट मामले की जांच कराई जाएगी, लेकिन इसकी घोषणा संसद में की जाएगी।
आकाशवाणी में वाणिज्य और उद्योग मंत्री (वस्तुतः शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री) कमलनाथ की बाईट भी सुनवाई गई जिसके अनुसार उन्होंने कहा कि हमें इस पर जांच बैठाने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, कोई संकोच नहीं है और हम इसमें पूरी जांच करेंगे। एक जांच बैठाएंगे और मैं हाउस में इसकी घोषणा करूंगा, इसकी और डिटेल की घोषणा करूंगा। ये हमारे लिए भी बहुत बड़ा चिंता का विषय है और हमें विश्वास है कि जो सच्चाई है सामने आएगी।
सूचना प्रसारण मंत्री के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दोरान कहा कि सरकारी समाचार माध्यम आकाशवाणी का विस्तार गांव गांव तक है आज भी गांवों में आकाशवाणी को ही लोगों के दिलों की धड़कन माना जाता है। इस तरह से अगर आकाशवाणी द्वारा चूक की जाती है तो इससे निश्चित तौर पर विभाग की छवि प्रभावित होती है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आकाशवाणी दिल्ली के समाचार कक्ष, समाचार संपादक आदि को इस त्रुटि का पता भी नहीं चला है और उनकी ओर से इस संबंध में कोई खेद भी व्यक्त नहीं किया जाना आश्चर्य जनक ही है।
वहीं दूसरे सरकारी समाचार माध्यम दूरदर्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि जब से मनीष तिवारी ने सूचना प्रसारण मंत्रालय की कमान संभाली गई है, तबसे मंत्रालय में प्रशासनिक पकड़ ढीली पड़ने लगी है। तिवारी से पहले मंत्रालय में अन्य विभागों के मंत्रियों की नोटशीट पर त्वरित कार्यवाही नहीं होती थी, किन्तु अब तो अन्य मंत्री सूचना प्रसारण मंत्रालय में जमकर हावी हो चुके हैं।

प्रथम चरण के चुनाव हेतु तैयार है गुजरात


प्रथम चरण के चुनाव हेतु तैयार है गुजरात

(जलपन पटेल)

अहमदाबाद (साई)। कशमकश भरे गुजरात सूबे में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मतदानकर्मी लगभग सभी मतदान केन्द्रों पर पहुंच गए हैं। पहले चरण में कल सौराष्ट्र और दक्षिणी क्षेत्र के पन्द्रह जिलों में ८७ विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे। ४६ महिलाओं समेत कुल ८४६ उम्मीदवार मैदान में है। पहले चरण का प्रचार कल समाप्त हो गया।
राज्य सचिवालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं। करीब १७ हजार मतदान केन्द्रों की संवेदनशील क्षेत्र के रूप में पहचान की गई है जहां अतिरिक्त एहतियाती प्रबंध किए गए हैं। निर्वाचन आयोग ने राज्य में कई जगहों पर डाक से मतदान करने की सुविधा दी है जहां चुनावी ड्यूटी पर लगे लगभग तीन लाख पुलिसकर्मी और अन्य कर्मचारी वोट दे सकेंगे।

बर्फबारी ने पर्यटकों को लुभाया


बर्फबारी ने पर्यटकों को लुभाया

(रीता वर्मा)

शिमला (साई)। हिमाचल प्रदेश के मशहूर पर्यटन स्थलों शिमला, मनाली और डलहौजी में कल इस मौसम का पहला हिमपात हुआ। राज्य के ऊपरी इलाकों में भारी हिमपात के कारण कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है।कश्मीर घाटी में भी गुलमर्ग और शोपियां में बर्फबारी हुई जबकि श्रीनगर और अनंतनाग जिलों में बारिश हुई।उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊ क्षेत्रों के ऊपरी इलाकों में फिर हिमपात हुआ है।  राज्य के कई हिस्सों में बारिश के कारण तापमान सामान्य से तीन-चार डिग्री सेल्सियस कम हो गया है।उत्तर भारत के अन्य इलाकों में भी बारिश के कारण सर्दी बढ़ गई है। दिल्ली में हल्की बारिश से दिन का तापमान नौ डिग्री सेल्सियस गिर गया।
प्रदेश में लंबे समय से बर्फबारी का इंतजार कर रहे बागवानों की उम्मीद जगी है। मंगलवार को ऊंचे व मध्यम क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी शुरू होने से बागवानों को सेब के पौधों में लगने वाले रोगों से निजात मिलने की संभावना भी बनी है। सर्दियों के मौसम में सेब के पौधों को लगने वाले रोगों की बर्फबारी न होने से प्रबल संभावना बढ़ जाती है। सेब के पौधों में केंकर व वुली एफिड जैसे रोग नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि इसकी रोकथाम के लिए फफूंदी नाशक दवा भी उपलब्ध है। इनका छिड़काव करने से कुछ समय के लिए इन रोगों की रोकथाम हो जाती है। वातावरण में नमी की कमी व सूखा बढ़ने से फफूंदी नाशक रोग फिर से पौधों को अपनी जकड़ में ले लेता है। केंकर रोग से पौधों के तनों की बाहरी खाल निकलनी शुरू हो जाती है, जिससे पौधों के तने में दरारे पड़नी शुरू हो जाती है। धीरे-धीरे पौधा सूखने की कगार पर चला जाता है। पौधों के तनों में सफेद चूने का लेप लगाकर इस रोग की रोकथाम की जा सकती है।
वहीं जानकारों का कहना है कि पौधों में वुली एफिड एक संक्रमक बीमारी है। इसमें छोटे-छोटे कीड़े पौधों के तनों में रूई की तरह जाल तैयार करते हैं और खुश्क मौसम में अंडों से कीट लगातार तैयार होते रहते हैं। इस रोग से पौधों की आयु अवस्था धीरे-धीरे कम होती रहती है। पौधों से पैदा होने वाली सेब की फसल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है हालांकि इस रोग की रोकथाम के लिए फफूंदी नाशक दवा भी उपलब्ध है, मगर इस पर पूरी तरह से रोकथाम के लिए सर्दी के मौसम में बर्फ का गिरना जरूरी है। बागवानी विशेषज्ञ का भी मानना है कि वुली एफिड रोग की रोकथाम के लिए बर्फबारी आवश्यक है। बर्फ गिरने से बागवानी के रुके कार्य को भी बागवान शुरू कर पाएंगे। पौधों में तौलिए के अलावा खाद डालने का कार्य भी बर्फबारी के बाद ही शुरू करना बागवानों के लिए लाभकारी रहता है।
एक जानकार ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि वुली एफिड जैसी संक्रमक बीमारी सेब के पौधों को नुकसान पहुंचाती है। इस रोग से निदान पाने के लिए सर्दी के मौसम में बर्फ का गिरना बहुत जरूरी है। हालांकि रोग की रोकथाम के लिए फफूंदी नाशक दवा का छिड़काव भी उपलब्ध है। इस रोग से पौधों के तनों में रूईदार जाली बनने से इसके भीतर लगातार कीट बनते रहते हैं। सेब का तना बर्फ से ढकने के बाद ये कीट लगातार ठंड के कारण फिर से उत्पन्न फिर से उत्पन्न नहीं हो पाते, जिससे इस रोग से निजात मिलने में सहायता मिलती है।
शिमला के नजदीकी पर्यटन स्थलों- कुफरी, फागु और नरकंडा में बर्फबारी ने यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा कर दिया है। मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया कि लाहौल और स्पीति, किन्नौर, कुल्लू, शिमला और चंबा जिलों के उंचाई वाले क्षेत्रों में औसत दर्जे की बर्फबारी होने की खबरें हैं। वहीं राज्य के कम उंचाई वाले क्षेत्र धर्मशाला, पालमपुर, सोलन, नाहन, चंबा और मंडी में बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश भर के मध्यम और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 13 और 14 दिसंबर को भारी बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
वहीं, शिमला में बर्फबारी ने होटल मालिकों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में जोरदार बर्फबारी होने से कई इलाकों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है। बदरीनाथ, केदारनाथ समेत ऊंचाई वाले कई जगह बर्फ से ढक गए हैं। मंगलवार सुबह से ही अचानक मौसम में आए बदलाव के कारण ऊंची चोटियां बर्फ से सफेद हो गईं, जबकि कुछ जगह पर लंबे समय बाद हल्की बारिश हुई। बर्फ और बारिश से यहां कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। वहीं, मौसम में परिवर्तन से किसानों और पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे खिल गए है। औली में स्कीईंग कारोबार से जुड़े व्यवसायियों को आशा है कि इस बार जमकर बर्फ गिरने से टूरिस्टों की आमद बढ़ने से व्यवसाय में इजाफा होगा। फल उत्पादक काश्तकार भी समय पर बर्फ गिरने से सेब के बेहतर उत्पादन को लेकर आशावान हैं। उत्तराखंड में लंबे समय बाद बर्फ और बारिश हो रही है।
चंडीगढ़ से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से विक्की आनंद ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के विभिन्न इलाकों में मंगलवार को बारिश की फुहारें पड़ीं। न्यूनतम तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले कई दिन से चंडीगढ़ में धूप खिलने के बाद मंगलवार सुबह वहां के निवासियों का सामना बारिश की हल्की फुहारों से हुआ। न्यूनतम तापमान में सामान्य से पांच अंक की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 11 ़ 8 डिग्री सेल्सियस हो गया। पंजाब में मोहाली , लुधियाना और पटियाला में भी बारिश हुई। पटियाला में न्यूनतम तापमान 10 ़ 7 डिग्री और अमृतसर व लुधियाना दोनों जगह नौ डिग्री रहा। हरियाणा के हिसार में न्यूनतम तापमान 12.6 डिग्री , अंबाला में 10 ़ 6 डिग्री और करनाल में 8.2 डिग्री रहा। भिवानी में न्यूनतम तापमान 13.6 डिग्री सेल्सियस रहा। हरियाणा के अंबाला , भिवानी , हिसार , करनाल और पंचकुला समेत अन्य स्थानों पर मंगलवार को बारिश भी हुई। मौसम विभाग ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम में यह बदलाव आया है।
वहीं उत्तर प्रदेश से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से दीपांकर श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके आसपास के जिलों में पिछले कुछ दिनों से चल रही पछुआ हवाओं की वजह से तापमान में उतार - चढाव का दौर जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले समय में तापमान में कोई खास बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पछुआ हवाओं की वजह से मैदानी इलाकों में सर्दी बढ़ गई है। आने वाले समय में हवाएं चलेंगी और तापमान में उतार - चढाव नजर आएगा। मौसम विभाग के अनुसार , सोमवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया , जबकि मंगलवार को अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस रहा।
मध्य प्रदेश से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से सोनल सूर्यवंशी ने बताया कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में बीते दिन दोपहर में एक से डेढ़ पाव के ओले गिरे जिससे फसल पूरी तरह चौपट होने की संभावनाएं जताई जा रही है।

नहीं रहे रविशंकर


नहीं रहे रविशंकर

(यशवंत)

न्यूयार्क (साई)। मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर का अमरीका में निधन हो गया है। वे 92 वर्ष के थे। पंडित रविशंकर को पिछले दिनों साँस लेने में तकलीफ के चलते सैन डिएगो के स्क्रिप्स मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह चार बजकर तीस मिनट पर उनका निधन हो गया।वे पिछले कुछ दिनों से फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे थे।
पंडित रविशंकर भारत के महान संगीतकार थे और भारतीय संगीत को पश्चिम में लोकप्रिय बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पश्चिमी देशों में भी वो काफी लोकप्रिय थे। देश-विदेश के तमाम पुरस्कारों के अलावा उन्हें अब तक तीन ग्रैमी पुरस्कार भी मिल चुके हैं। भारत में पद्मविभूषण के अलावा उन्हें सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है।
पंडित रविशंकर का जन्म वाराणसी में 7 अप्रैल 1920 को हुआ था। इनका सितार वादन न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में जाना जाता था। भारतीय संगीत का पताका पश्चिम में पंडित रविशंकर ने ऐसा लहराया कि पूरी दुनिया लोहा मानने लगा था। शुरू से ही पंडित रविशंकर का रुझान कला की ओर रहा और उन्होंने खुद को साबित भी किया।
1999 में पंडित रविशंकर को भारत का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्हें ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया था। पंडित रविशंकर की उम्र 92 साल हो रही थी। इन्होंने अलाउद्दीन खान से सितार वादन की शिक्षा ली थी। वह ऑल इंडिया रेडियो में म्यूजिक डाइरेक्टर भी रहे। पंडित रविशंकर 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे। रविशंकर के निधन की खबर से देश भर में शोक का माहौल है।

भू-अर्जन लिपिक निलंबित


भू-अर्जन लिपिक निलंबित

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। जिला कलेक्टर अजीत कुमार ने उच्चाधिकारी के आदेशों व निर्देशों का पालन न करने, पदीय कर्त्तव्यों के प्रति उदासीनता, अनुशासनहीनता एवं स्वेश्छाचारितापूर्ण व्यवहार के कारण कलेक्ट्रेट की भू-अर्जन शाखा में पदस्थ सहायक ग्रेड ३ पी.के. सक्सेना को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलम्बन अवधि के दौरान लिपिक सक्सेना का मुख्यालय तहसील कार्यालय सिवनी नियत किया गया है। निलम्बन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।
इस संबंध में जारी निलंबन आदेशानुसार निलंबित लिपिक सक्सेना को २४ अगस्त, एक अक्टूबर एवं ९ अक्टूबर को तीन कारण बताओं नोटिस जारी किये गये थे। परन्तु सक्सेना द्वारा इनमें से किसी भी नोटिस का समाधानकारक जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। सक्सेना को ६ दिसंबर को प्रातः ११ बजे कलेक्टर के समक्ष उपस्थित होने को भी कहा गया, परन्तु इसके बावजूद भी लिपिक सक्सेना कलेक्टर के समक्ष उपस्थित नहीं हुए और ६ दिसंबर को बिना किसी पूर्व सूचना, आवेदन, पूर्वानुमति के कार्यालय में अपने पदीय कर्त्तव्यों से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित भी रहे। उनका यह कृत्य म।प्र। सिविल सेवा आचरण नियम, १९६५ के नियम ३ सामान्य (१) के उपखंड (एक) (दो) (तीन) का उल्लंघन है। जिसके फलस्वरूप सक्सेना को निलंबित कर दंडित किया गया है।

साप्ताहिक जनसुनवाई में पहुंचे ११८ आवेदक


साप्ताहिक जनसुनवाई में पहुंचे ११८ आवेदक

(नरेंद्र ठाकुर)

सिवनी (साई)। साप्ताहिक जनसुनवाई कार्यक्रम के तहत कलेक्टर अजीत कुमार एवं अपर कलेक्टर आर।बी। प्रजापति ने साप्ताहिक जनसुनवाई की। जनसुनवाई के दौरान आज जिले के ११८ आवेदकों ने अपने समस्या आवेदन दिये। कलेक्टर अजीत कुमार ने उन्हे प्राप्त सभी प्रकार के प्रकरणों में सुनवाई कर दूरभाष पर संबंधित विभागाधिकारियों को इन प्रकरणों का त्वरित निराकरण करने के निर्देश दिये।
जनसुनवाई में पोस्ट मैट्रिक कन्या छात्रावास डूंडासिवनी में निवासरत शारीरिक रूप से असमर्थ छह छात्राओं द्वारा कलेक्टर को आवेदन देकर छात्रावास से भैरोगंज स्थित शासकीय महाविद्यालय तक जाने-आने के लिये चार पहिया वाहन की व्यवस्था किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके छात्रावास से महाविद्यालय की दूरी अधिक है और शारीरिक अपंगता के कारण उन्हें कॉलेज आने-जाने में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड रहा  है। कलेक्टर ने छात्राओं का आवेदन लेकर उनकी इस वाजिब समस्या के निदान के लिये हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया। छात्राओं ने बताया कि वे इस संबंध में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास से भी मिलकर अपनी समस्या उनके समक्ष रख चुकी है। परन्तु अबतक समस्या का निदान नहीं हो पाया है।
रूबरू होकर जनसुनवाई के तहत दूरदराज से आये आवेदकों द्वारा अपनी पट्टे की जमीन/निज सम्पत्ति पर किसी अन्य द्वारा अतिक्रमण/अवैध कब्जा हटवाने, गंभीर बीमारी के इलाज हेतु सहायता राशि दिये जाने, राजस्व अभिलेखों में सुधार किये जाने, बीपीएल का राशन कार्ड बनवाने, अनुकम्पा नियुक्ति दिलाने, विकलांग पेंशन दिलाने, पति द्वारा त्यक्त कर दिये जाने पर भरण पोषण की राशि दिलवाने, घरेलू हिन्सा से निजात दिलाने तथा अन्य विविध प्रकार के आवेदन दिये गये। कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को भेजकर उन्हें सभी श्रेणी के प्रकरणों का तत्परता एवं संवेदनशीलतापूर्वक निदान करने को कहा है।

चुनाव हेतु पीओएल देने के लिये पेट्रोलपंप अधिकृत


चुनाव हेतु पीओएल देने के लिये पेट्रोलपंप अधिकृत

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (मंडी निर्वाचन) अजीत कुमार ने कृषि उपज मंडी निर्वाचन २०१२ के दौरान मतदान दलों के परिवहन वाहनों, सेक्टर मजिस्ट्रेट एवं जोनल अधिकारियों को आवंटित वाहनों में पीओएल प्रदान करने के लिये पेट्रोलपंप को अधिकृत कर दिया है। उन्होंने पेट्रोल पंप संचालकों से कहा है कि वे अपने-अपने पेट्रोल पंप में पर्याप्त मात्रा में पेट्रोल/डीजल का स्टॉक रखें।
इस संबंध में जारी आदेशानुसार सिवनी शहर के लिये मेसर्स हिन्दुस्तान पेट्रोलियम एवं मेसर्स एमएचकेएसएम हुसैन अली सिवनी, बरघाट के लिये मेसर्स अरिहंत पेट्रोलियम एवं मेसर्स तिलक पेट्रोलियम खूंट बरघाट, केवलारी के लिये मेसर्स अवधिया पेट्रोलियम एवं मेसर्स चौधरी पेट्रोलियम केवलारी, छपारा के लिये मेसर्स चौकसे पेट्रोलियम छपारा, लखनादौन के लिये मेसर्स सोहाने ब्रदर्स एवं मेसर्स राय पेट्रोलियम ग्राम बम्होडी लखनादौन, तथा घंसौर के लिये मेसर्स सांई कृपा पेट्रोलियम छीतापार एवं मेसर्स जय जिनेन्द्र पेट्रोलियम घंसौर को अधिकृत किया गया है।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा है कि इन पेट्रोल पम्पस के संचालक कृषि उपज मंडी निर्वाचन के रिटघ्नग अधिकारियों या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी/कर्मचारियों के द्वारा पर्ची प्रस्तुत करने पर वाहनों में निर्धारित मात्रा में पेट्रोल उपलब्ध करायेंगे।                                 

चुनाव में बिल्कुल निष्पक्ष रहें सभी शासकीय सेवक


चुनाव में बिल्कुल निष्पक्ष रहें सभी शासकीय सेवक

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मंडी आम निर्वाचन २०१२ के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड द्वारा शासकीय विभागों और कघ्मयों के लिये भी आदर्श आचरण संहिता लागू की गई है। इस संहिता के प्रावधान मंडी निर्वाचन परिणाम घोषित होने की दिनांक तक प्रभावशील रहेंगे।
मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड द्वारा शासकीय विभागों और र्किमयों के लिये जारी आदर्श आचरण संहिता के तहत निर्वाचन घोषणा की तारीख से मंडी निर्वाचन समाप्ति तक चुनाव ड्यूटी में लगाये गये किसी भी शासकीय अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण नहीं किया जाना चाहिये। शासकीय सेवकों को पूरे चुनाव के दौरान बिल्कुल निष्पक्ष रहना चाहिये और निष्पक्षता दिखाई भी देनी चाहिये। यह आवश्यक है कि शासकीय सेवक किसी को यह महसूस न होने दें, कि वे निष्पक्ष नहीं है। जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास होना चाहिये तथा उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये जिससे ऐसी आशंका भी हो, कि वे किसी उम्मीदवार की मदद कर रहे हों।
चुनाव के दौरे के समय यदि कोई मंत्री निजी मकान पर आयोजित किसी कार्यक्रम का आमंत्रण स्वीकार कर ले, तो किसी शासकीय या मंडी समिति में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी को उसमें शामिल नहीं होना चाहिये। यदि कोई निमंत्रण पत्र प्राप्त हो तो उसे नम्रतापूर्वक अस्वीकार कर देना चाहिये। किसी सार्वजनिक स्थान पर चुनाव सभा के आयोजन के लिये अनुमति देते समय विभिन्न उम्मीदवारों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये। यदि एक ही दिन और समय पर कई उम्मीदवार एक ही जगह पर सभा करना चाहते है, तो उस उम्मीदवार को अनुमति दी जानी चाहिये जिसने सबसे पहले आवेदन-पत्र दिया हो।
विश्रामगृहों या अन्य स्थानों में शासकीय आवास सुविधा का उपयोग सभी उम्मीदवारों को समान शर्ताे पर करने दिया जाना चाहिये, परन्तु किसी भी उम्मीदवार को ऐसे भवन या उसके परिसर का उपयोग चुनाव प्रचार करने के लिये अनुमति नहीं दी जानी चाहिये। चुनाव के लिये आयोजित आमसभा में कोई भी शासकीय/मंडी व्यय नहीं होना चाहिये। ऐसी सभा में उन कर्मचारियों को छोडकर जिन्हें ऐसी सभा के आयोजन में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने या सुरक्षा के लिये तैनात किया गया हो, अन्य कर्मचारियों को शामिल नहीं होना चाहिये।
 यदि कोई मंत्री चुनाव के दौरान जिले के किसी मंडी क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिये क्षेत्र का भ्रमण करें तो ऐसा भ्रमण चुनावी दौरा माना जाना चाहिये और उसमें सुरक्षा के लिये तैनात कर्मचारियों को छोडकर अन्य किसी शासकीय/मंडी समितियों के कर्मचारी को साथ नहीं रहना चाहिये। ऐसे दौरे के लिये शासकीय/मंडी समिति का वाहन या अन्य सुविधायें उपलब्ध नहीं कराई जानी चाहिये।
निर्वाचन की घोषणा से निर्वाचन समाप्त होने तक मंडी निधि या मंडी से संबंधित किसी अन्य निधि के अंतर्गत कोई नया अनुदान या नया निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिये इस अवधि के दौरान मंडी निधि से संबंधित किसी योजना का शिलान्यास या उद्घाटन भी नहीं किया जाना चाहिये। परन्तु समर्थन मूल्य पर प्रदेश के किसानों से गेहूं का उपार्जन कर समय पर उसके भंडारण को सुनिश्चित करना अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील कार्य है। अतरू इस कार्यक्रम के अंतर्गत गेहूं के उपार्जन एवं उपाघ्जत गेहूं के भंडारण के लिये कैप्स आदि के निर्माण की छूट रहेगी।
 भारत सरकार एवं राश्य सरकार की पूर्व में घोषित/क्रियान्वित ऐसी विभिन्न योजनायें/निर्माण कार्य, जो कि मंडी प्रांगण में कराये जाना हो, की छूट रहेगी। चुनाव के दौरान समाचार-पत्र तथा प्रचार के अन्य माध्यमों से सरकारी/मंडी निधियों के खर्चे पर ऐसा विज्ञापन जारी नहीं किया जाना चाहिये, जिनमें चुनाव लडने वाले अभ्यघ्थयों की उपलब्धियों को प्रचारित या रेखांकित किया गया हो या चुनाव में अभ्यघ्थयों के हितों को आगे बढाने में सहायता मिलती हो।
मध्यप्रदेश राश्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड द्वारा सभी शासकीय सेवकों से इस आदर्श चुनाव आचरण संहिता के सभी प्रावधानों का अक्षरशरू पालन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।

गला काट प्रेमी पहुंचा थाने


गला काट प्रेमी पहुंचा थाने

(एस.के.सोंधिया)

शहडोल (साई)। एक प्रेमी ने आज दोपहर यहां अपनी कथित प्रेमिका की कुल्हाडी से गला काटकर हत्या कर दी तथा खुद कोतवाली में उपस्थित हो गया। पुलिस ने बताया कि महात्मा गांधी स्टेडियम के पीछे रहने वाली बाईस वर्षीय युवती आज दोपहर जब अपने घर से डिग्री कालेज में एमए की परीक्षा देने निकली, तभी प्रवीण शुक्ला (27) ने उसे रास्ते में रोक लिया तथा अपने पास रखी कुल्हाडी से उसके गले पर वार किए, जिससे युवती ने घटनास्थल पर ही दम तोड दिया। आरोपी युवक ने युवती को मारने के बाद लगभग 200 मीटर दूर स्थित कोतवाली पुलिस थाना पहुंचा और वहां आत्मसमर्पण कर दिया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रसना ठाकुर ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा है कि प्रथमदृष्टया यह मामला प्रेम प्रसंग का प्रतीत होता है। आरोपी युवक पडोसी उमरिया जिले के पाली कस्बे का निवासी है। उसे पुलिस ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है और मामले की छानबीन कर रही है। उन्होंने बताया कि मृत युवती के पिता भी उसी डिग्री कालेज में प्रोफेसर हैं, जहां वह पढती है।

मेडिकल आफीसर को कारण बताओ नोटिस


मेडिकल आफीसर को कारण बताओ नोटिस

(संजय कौशल)

नरसिंहपुर (साई)। राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में उदासीनता एवं लापरवाही के आरोप में मेडिकल आफीसर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खुरपा चौधरी डॉ. वीरेन्द्र सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि खुरपा में 8 दिसम्बर को आयोजित महिला एवं पुरूष नसबंदी शिविर में शून्य उपलब्धि पाये जाने पर नोटिस जारी किया गया है। नोटिस का जवाब 3 दिवस के भीतर देने के लिए कहा गया है।

2962 बुजुर्ग जायेंगे रामेश्वरम, द्वारिकापुरी धाम व जगन्नाथपुरी


2962 बुजुर्ग जायेंगे रामेश्वरम, द्वारिकापुरी धाम व जगन्नाथपुरी

(राजीव सक्सेना)

नई दिल्ली (साई)। मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में अधिक से अधिक बुजुर्गाे को तीर्थ-यात्रा करवाने के उद्देश्य से शासन ने 8 नई ट्रेन का रूट निर्धारित किया है। इसमें ग्वालियर संभाग को मिली तीन ट्रेन शामिल हैं। इन ट्रेनों के जरिए ग्वालियर संभाग के 2 हजार 962 बुजुर्गों को निःशुल्क तीर्थ यात्रा का मौका मिलेगा। ग्वालियर अंचल के तीर्थ यात्रियों को इस बार प्रदेश सरकार अपने खर्चे पर पवित्र रामेश्वरम, जगन्नाथपुरी व द्वारिकापुरी तीर्थ करायेगी।
विदित हो मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत मौजूदा माह में 21 दिसम्बर को भी ग्वालियर अंचल के 979 बुजुर्ग विशेष ट्रेन से जगन्नाथपुरी यात्रा पर जा रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत निर्धारित किए गए ट्रेन रूट के तहत यह तीर्थ-यात्री ट्रेन 11 से 31 जनवरी के बीच विभिन्न स्थान से चलेंगी। गौरतलब है कि अभी तक तीर्थ-दर्शन योजना में मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थान से तीर्थ-यात्रा के लिए 44 ट्रेन का कार्यक्रम जारी हो चुका है।
गुना से रामेश्वरम् जाने वाली ट्रेन में गुना से 245, शिवपुरी से 340 तथा ग्वालियर से 400 यात्री जाएँगे। दतिया से द्वारकापुरी जाने वाली ट्रेन में दतिया से 280 एवं ग्वालियर से 709 तीर्थ-यात्री जाएँगे। शिवपुरी से जगन्नाथपुरी ट्रेन में शिवपुरी से 442, गुना से 325, अशोकनगर से 221 बुजुर्ग तीर्थ यात्रा के लिये जायेंगे।
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शिवपुरी से जगन्नाथपुरी 11 जनवरी, दतिया से द्वारकापुरी 18 जनवरी, गुना से रामेश्वरम् 31 जनवरी, कटनी से शिरडी 12 जनवरी, रीवा से रामेश्वरम् 17 जनवरी, कटनी से तिरुपति 24 जनवरी, शाजापुर से रामेश्वरम् 24 जनवरी और दमोह से द्वारकापुरी 31 जनवरी को ट्रेन जाएगी।
अगली तीर्थ यात्राओं में कटनी से शिरडी ट्रेन में कटनी से 257, जबलपुर से 500, नरसिंहपुर से 222, रीवा से रामेश्वरम् ट्रेन में रीवा से 486, कटनी से 268, नरसिंहपुर से 226 तीर्थ यात्री जायेंगे। इसी प्रकार कटनी से तिरुपति ट्रेन में कटनी से 257, जबलपुर से 500, नरसिंहपुर से 222, शाजापुर से रामेश्वरम् ट्रेन में शाजापुर से 312, रतलाम से 303, झाबुआ से 213 और अलीराजपुर से 151, दमोह से द्वारकापुरी ट्रेन में दमोह से 240, सागर से 459, विदिशा से 280 तीर्थ यात्री जायेंगे।

पलेरा में अंत्योदय मेला 12 को


पलेरा में अंत्योदय मेला 12 को

(सिद्धार्थ वर्मा)

टीकमगढ़ (साई)। राज्य सरकार के निर्देशानुसार विभिन्न योजनाओं में पात्र हितग्राहियों को एक ही जगह लाभांवित करने के उद्देश्य से जिले में अन्त्योदय मेलो के आयोजनों की श्रृंखला जारी है। इसी क्रम में पलेरा विकासखंड अंतर्गत हितग्राहियों को लाभांवित करने के लिये 12 दिसंबर 2012 को पलेरा में अन्त्योदय मेले का आयोजन किया जाना है। कलेक्टर श्री रघुराज राजेन्द्रन ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को अन्त्योदय मेले की तैयारियां सुनिश्चित कराने हेतु निर्देशित किया है।

8 एवं 9 जनवरी 2013 को होगी गौण खनिज खदानों की नीलामी


8 एवं 9 जनवरी 2013 को होगी गौण खनिज खदानों की नीलामी

(एम.के.देशमुख)

बालाघाट (साई)। बालाघाट जिले में स्थित गौण खनिज रेत, पत्थर एवं मुरूम की खदानों की वर्ष 2013 से 2015 तक की अवधि के लिए आगामी 8 एवं 9 जनवरी को नीलामी की जायेगी। गौण खनिज खदानों को पटटे पर लेने के लिए इच्छुक  व्यक्ति 8 एवं 9 जनवरी 2013 को कलेक्ट्रेट प्रातरू 11 बजे उपस्थित होकर नीलामी में बोली लगा सकते है।
जिला खनिज अधिकारी श्री प्रेम प्रकाश राय ने बताया कि आगामी 8 जनवरी 2013 को प्रथम चरण में बालाघाट, बैहर, परसवाड़ा, बिरसा, लांजी एवं किरनापुर तहसील की गौण खनिज खदानों की नीलामी की जायेगी। प्रथम चरण में नीलामी से शेष बची खदानों एवं लालबर्रा, कटंगी, तिरोड़ी, वारासिवनी व खैरलांजी तहसील की गौण खनिज खदानों की 9 जनवरी 2013 को नीलामी की जायेगी। नीलामी कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामुदायिक भवन में प्रातरू 11 बजे से प्रारंभ होगी। नीलामी के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए जिला खनिज कार्यालय से सम्पर्क किया जा सकता है।
वर्ष 2013-15 की अवधि के लिए 8 जनवरी 2013 को बालाघाट तहसील के अंतर्गत गायखुरी, अतरी, भटेरा, धापेवाड़ा, खैरी, भमोड़ी, घंघरिया की रेत खदान, ग्राम मानेगांव की मुरूम खदान तथा ग्राम चमरवाही, मोहगांव व भानपुर की पत्थर खदान की नीलामी की जाना है। इसी प्रकार परसवाड़ा तहसील के ग्राम खुरमुंडी की रेत खदान, बैहर तहसील के ग्राम बिरवा, पांडूतला, परसामऊ, केवलारी, बम्हनी, लगमा व हर्रानाला की रेत खदान, ग्राम समनापुर की मुरूम खदान तथा बिरसा तहसील के ग्राम टिंगीपुर व चारटोला की रेत खदान की नीलामी की जायेगी। इसी प्रकार लांजी तहसील में ग्राम परसोड़ी, कोचेवाही, सर्रा, बापड़ी की रेत खदान, ग्राम कालीमाटी, लांजी, कुल्पा की मुरूम खदान व ग्राम कलपाथरी, देवलगांव, पाथरगांव, टेडवा व कालीमाटी की पत्थर खदान, किरनापुर तहसील के ग्राम पिपरटोला, कोस्ते, मुंडेसरा, पिपंलगांव, बिनोरा, डूडवा, मंगोलीकला, परसवाड़ा, ढोरिया-परसवाड़ा, सेवती व कड़कना की रेत खदान व ग्राम डूडवा की पत्थर खदान की 8 जनवरी 2013 को नीलामी की जायेगी।
9 जनवरी को वारासिवनी तहसील के ग्राम जागपुर, सिकन्द्रा, वारासिवनी, रामपायली के बकोड़ीघाट, कटंगटोला, बासी, खापा, सांवगी, चंदोरी, बुदबुदा, रामपायली-मोहगांवघाट, सिंगोड़ी, गटापायली की रेत खदान, ग्राम बोदलकसा, बिटोड़ी, पौनेरा-बासी, रेंगाझरी, झाड़गांव, बासी  बोदलकसा, जबरटोला, लिंगामारा की पत्थर खदान, ग्राम चंदोरी व मुरझड़ की मुरूम खदान, खैरलांजी तहसील के ग्राम मोवाड़, गजपुर की रेत खदान, मोवाड़, सालेबर्ड़ी, डोंगरिया की मुरूम खदान, ग्राम कचेखनी, मानेगांव व सालेबर्डी की पत्थर खदान, लालबर्रा तहसील के ग्राम धपेरा, मानपुर, डोकरबंदी, पनबिहरी की रेत खदान, ग्राम बम्हनी व निलजी की पत्थर खदान, ग्राम कनकी व खमरिया की मुरूम खदान, कटंगी तहसील के ग्राम जराहमोहगांव, चिचगांव, की रेत खदान, ग्राम खमरिया, चिकमारा, बिसापुर की मुरूम खदान तथा तिरोड़ी तहसील के ग्राम अतरी, बोनकट्टा, हरदोली व खरपड़िया की रेत खदान की नीलामी की जायेगी।