मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

प्रत्यक्ष को भी प्रमाण की आवश्यक्ता


प्रत्यक्ष को भी प्रमाण की आवश्यक्ता

(लिमटी खरे)

देश भर में परिवहन का सबसे बडा साधन सडक मार्ग ही माना जाता है। सडकों पर दौडते वाहनों के सामने सबसे बडी समस्या के रूप में परिवहन, सेलटेक्स के साथ ही साथ टोल नाके बनकर उभरे हैं। इन वसूली वाले नाकों में जब चाहे तब वाहनों से अवैध वसूली की शिकयतें आम हैं। सरकारें इन शिकायतों पर ध्यान नहीं देती हैं, परिणामस्वरूप सडकों पर विवाद की स्थिति बनती रहती है।
अवैध वसूली का सबसे बडा अड्डा अंतरप्रांतीय परिवहन जांच चौकियां हैं। इन चौकियों को बाकायदा किन्तु अघोषित तौर पर ठेके पर दिया गया है। मध्य प्रदेश की परिवहन जांच चौकियों में हर दिन करोडों रूपयों की अवैध वसूली की जाती है। प्रदेश में सबसे अधिक आय और बेनामी आय वाली चौकियों में बडवानी की सेंधवा, मुरेना और सिवनी जिले की खवासा परिवहन जांच चौकी सदा से ही चर्चाओं में रही है।
इन परिवहन जांच चौकियों में सारा कारोबार रिमोट कंट्रोल से चलता है। अमूमन हर परिवहन, सेलटेक्स की जांच चौकियों में चौकी के दोनों ओर वाहनों की कतार देखते ही बनती है। जैसे ही इन चौकियों के आस पास कोई लाल पीली बत्ती वाली गाडी दिखाई पडती है, रिमोट से चलने वाली घंटी बजाते ही चौकियों के अंदर का माजरा ही बदल जाता है। नंबर दो में चलने वाले काम नंबर एक में तब्दील हो जाते हैं।
इन चौकियों में कर्मचारियों की मेस देखने लायक होती है। यहां समिष और निरामिष लजीज भोजन की उम्दा व्यवस्था होती है। मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, परिवहन सचिव, परिवहन आयुक्त आदि अगर प्रदेश की जांच चौकियों का औचक निरीक्षण कर लें तो वे पाएंगे कि एक समय में किसी भी चौकी में कुल तैनाती का महज चालीस फीसदी अमला ही मौजूद होता है। एक बात है, इन चौकियों में अपने कर्मचारियों के प्रति पूरी ईमानदारी बरती जाती है। माह के अंत में जब चौथ वसूली का हिसाब किताब होता है, तो सभी को ईमानदारी के साथ उसका हिस्सा दिया जाता है। मजे की बात तो यह है कि पुलिस से प्रतिनियुक्ति पर परिवहन विभाग में जाने की होड सी लगी होती है। इसका कारण यह है कि परिवहन विभाग में अवैध कमाई का सबसे अच्छा और फूलप्रूफ काम है।
मध्य प्रदेश में संेधवा की परिवहन जांच चौकी को कंप्यूटरीकृत किया गया है। इसके अलावा खवासा सहित अन्य परिवहन जांच चौकियों को भी इसी तरह कंप्यूटरीकृत करने का प्रस्ताव दो दशक से भी अधिक समय से लंबित है। इसका कारण यह है कि अगर इन्हें कंप्यूटरीकृत कर दिया गया तो यहां पदस्थ कर्मचारियों की अवैध कमाई को लकवा मार सकता है। यही कारण है कि शासन के प्रस्ताव के बावजूद भी इनका कंप्यूटरीकृत जानबूझकर लंबित रखा जा रहा है। गौरतलब होगा कि सिवनी जिले के खवासा में सालों पहले ग्यारह लाख रूपए की लागत से कंप्यूटरीकृत जांच चौकी का प्रस्ताव लाया गया था, जिसे आज तक अमली जामा नहीं पहनाया गया है।
पिछले दिनों मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अवनि वैश्य के घरेलू उपयोग के सामान के वाहन को उन्ही के सूबे एमपी के मुरैना की परिवहन जांच चौकी में रोककर वाहन चालक के साथ बदसलूकी करने का मामला प्रकाश में आया है। विडम्बना ही कही जाएगी कि एक सूबे के मुखिया के घरेलू उपयोग के सामान को लेकर आने वाले वाहन को परिवहन कर्मियों द्वारा अंतर्राज्यीय सीमा पर रोककर सरेआम चौथ वसूली और बदतमीजी की जाती है, और सूबे में शासन आंखे मूंदे बैठा रहता है। जब प्रशासनिक मुखिया के साथ इस तरह का हो रहा हो तब फिर आम आदमी के साथ क्या होता होगा इसकी कल्पना मात्र से ही रोंगटे खडे हो जाते हैं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ आदि सूबों की सीमाओं पर सेंधवा, नयागांव, खवासा, दतिया, मुरेना, झाबुआ, हनुमना, पिटोल, बुरहानपुर, खिलचीपुर, रजेगांव, सिकंदरा, शाहपुर, चिरूला, सतनूर, बोनकट्टा आदि स्थानों पर अंतराज्यीय परिवहन जांच चौकियां स्थापित हैं। इनमें से डेढ दर्जन से ज्यादा चौकियों में परिवहन और सेल टेक्स विभाग द्वारा कंप्यूटर लगाकर जोडने की कवायद सालों से की जा रही है।
इतना ही नहीं देश भर में सडक मार्ग में पडने वाले टोल नाकों पर भी अवैध वसूली जबर्दस्त तरीके से जारी है। अनेक स्थानों पर समयावधि पूरी होने के बाद भी आपसी सांठगांठ के चलते बाकायदा ‘‘दादागिरी‘‘ के साथ वाहन चालकों की जेब पर डाका डाला जाता है। बनाओ, चलाओ, वसूलो फिर शासन को सौंप दो (बीओटी) के आधार पर बनने वाली सडकों की राशि ठेकेदार द्वारा वसूली जाती है। इन सडकों या पुलों की राशि वसूलने में ठेकेदारों द्वारा मनमानी बरती जाती है।
देश भर में लोक निर्माण विभाग, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, नेशनल हाईवे अथारिटी आदि द्वारा दिए गए ठेकों पर जब तब विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है। इन नाकों पर ठेकेदार द्वारा मनमानी दरों पर वाहनों से टोल टेक्स वसूला जाता है। हद तो तब हो जाती है जब रसीद मांगने पर ठेकेदार द्वारा अनाधिकृत रसीदें दी जाती हैं। केंद्र सरकार के भूतल परिवहन विभाग द्वारा रस्म अदायगी के लिए 11 जून 2008 को देश के हर सूबे की सरकार को एक पत्र लिखकर इन अनियमितताओं और शिकायतों की ओर ध्यान आकर्षित कराया था।
केंद्र और राज्य सरकारों में बैठे जनसेवकों की अर्थलिप्सा और अपने अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए साम, दाम दंड भेद की नीति अपनाई जा रही है। सरकार द्वारा सांसद, विधायक, सरकारी वाहनों के साथ ही साथ अधिमान्य पत्रकारों के वाहनों को टोल टेक्स से छूट प्रदान की है, किन्तु टोल नाकों में बैठे ठेकेदार के गुर्गों द्वारा पत्रकारों के साथ भी अभद्र व्यवहार करना एक प्रिय शगल बन गया है। कुल मिलाकर जब एक सूबे के प्रशासनिक मुखिया के घर का सामान ले जा रहे वाहन के साथ हुए हादसे के बाद भी परिवहन विभाग की मनमानी जारी रहने पर यही कहा जा सकता है कि प्रत्यक्ष को भी प्रमाण की आवश्यक्ता है। (साई फीचर्स)

सिवनी : झाबुआ पावर की पहली जनसुनवाई पर भी लगे थे प्रश्नचिन्ह


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 02

झाबुआ पावर की पहली जनसुनवाई पर भी लगे थे प्रश्नचिन्ह

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। देश की मशहूर थापर ग्रुप ऑफ कम्पनीज के प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के करीब डाले जाने वाले 600 मेगावाट के पावर प्लांट की शुरूआती सरकारी कार्यवाही में हुई गफलत एक के बाद एक उभरकर सामने आती गईं। पावर प्लांट के लिए आदिवासी बाहुल्य घंसौर में हुई जनसुनवाई के दौरान ही अनेक अनियमितताएं प्रकाश में आई थीं, किन्तु रसूखदार कम्पनी की उंची पहुंच और लक्ष्मी माता की कृपा से पहली जनसुनवाई 22 अगस्त 2009 को तो निर्विध्न हो गई किन्तु ग्रामीणों में रोष और असन्तोष बना रही।
पर्यावरण मन्त्रालय के सूत्रों का दावा है कि इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया में क्षेत्रीय पर्यावरण के प्रभावों का अवलोकन कर इसका प्रतिवेदन एक माह तक परियोजना स्थल के अध्ययन क्षेत्र और दस किलोमीटर त्रिज्या वाले क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतों के पास अवलोकन हेतु होना चाहिए। जब यह प्रतिवेदन ग्राम पंचायत को उपलब्ध हो जाए उसके उपरान्त गांव गांव में डोण्डी पिटवाकर आम जनता को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही साथ पर्यावरण विभाग की वेव साईट पर इसे डाला जाना चाहिए।
मजे की बात यह है कि पर्यावरण विभाग की मिली भगत के चलते उस वक्त 22 अगस्त को होने वाली जनसुनवाई का प्रतिवेदन 5 दिन पूर्व अर्थात 17 अगस्त 2009 को पर्यावरण विभाग की वेव साईट पर मुहैया करवाया गया। बताया जाता है कि जब जागरूक नागरिकों ने हस्ता़क्षेप किया तब कहीं जाकर इसे वेव साईट पर डाला गया था। महज पांच दिनों में इस प्रतिवेदन के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार नहीं हो सका, जिससे इसमें व्याप्त विसंगतियों के बारे में कोई भी गहराई से अध्ययन नहीं कर सका।
इस पूरे खेल में सरकारी महकमे के साथ मिलकर मशहूर थापर ग्रुप ऑफ कम्पनीज के प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा आदिवासी बाहुल्य घंसौर के ग्राम बरेला में डलने वाले 600 मेगावाट के पावर प्लांट हेतु ताना बाना बुना गया। इस खेल में आदिवासियों के हितों पर कुठाराघात तो हुआ साथ ही सिवनी जिले के आदिवासियों के हितों के कथित पोषक बनने का दावा करने वाले जनसेवक हाथ पर हाथ रखे तमाशा देखते रहे।

(क्रमशः जारी)

सिवनी : ब्रांच लाईन छोड़ एक्सटेंशन हो गया गुलजार

0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 2

ब्रांच लाईन छोड़ एक्सटेंशन हो गया गुलजार

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। महाकौशल और सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में चलने वाली छोटी लाईन की रेलगाड़ी को मुख्य तौर पर गोंदिया से जबलपुर तक के लिए बनाया गया था। इस लाईन को बाद में मध्य के नैनपुर स्टेशन से सिवनी और मण्डला फोर्ट तक ब्रांच लाईन बिछाई गई थी। आज नपुंसक नेतृत्व का नतीजा है कि नैनपुर से सिवनी के जिस रेल खण्ड को छिंदवाड़ा जिले तक बढ़ाया गया था, उसमें छिंदवाड़ा से नैनपुर बरास्ता सिवनी का रेलखण्ड आज भी अपने अमान परिवर्तन को तरस रहा है।
रेल्वे के जनकारों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सतपुड़ा लाईन्स में गोंदिया से जबलपुर को मेन लाईन का दर्जा दिया गया था, बाद में इसमें नैनपुर से सिवनी और नैनपुर से मण्डला रेल खण्ड जोड़ा गया था। नैनपुर से सिवनी और नैनपुर से मण्डला रेल खण्ड को ब्रांच लाईन कहा जाता था। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि उस समय महज महज 81 लाख 33 हजार में बन गया था समूचा रेल खण्ड।
पेंचव्हेली कोलफील्डस से कोयला ढोने के लिए इस लाईन का विस्तार बाद में छिंदवाड़ा तक किया गया था। आज छिंदवाड़ा ब्राडगेज से जुड चुका है गोंदिया से जबलपुर का अमान परिवर्तन युद्ध स्तर पर जारी है। नैनपुर से मण्डला और नैनपुर से छिंदवाड़ा के रेलखण्ड के आमन परिवर्तन के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों के पास शायद फुर्सत नहीं है। इतना ही नहीं जब भी रेल बजट में कोई घोषणा होती है तो श्रेय लेने की राजनीति के चलते मीडिया इन बरसाती मेंढ़क राजनेताओं के विज्ञापनों से पट पड़ता है।
भारतीय रेल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश की संस्कारधानी को गोंदिया से जोड़ने के लिए 143.43 मील का रेल खण्ड डाला गया था। इसके उपरांत मध्य के स्टेशन नैनपुर को जंक्शन बनाते हुए यहां से सिवनी के 47.13 मील और मण्डला के 21.75 मील के लिए रेल लाईन बिछाने का काम आरंभ हुआ था।
सूत्रों ने आगे बताया कि जब पेंच व्हेली कोलफील्डस से कोयला निकालने का काम आरंभ हुआ तब सिवनी से छिंदवाड़ा के लिए 40.36 मील का रेल खण्ड बनया गया। इस तरह कुल 256.67 मील का नेरोगेज का रेल खण्ड प्रति मील 32 हजार 182 रूपए की दर से कुल 81 लाख 33 हजार रूपए में बनकर तैयार हुआ था।
तत्कालीन बंगाल नागपुर रेल्वे ने नागपुर से छिंदवाड़ा के मार्ग को भी रेल की पातों से जोड़ दिया। इसके साथ ही साथ छिंदवाड़ा से परासिया तक का रेल खण्ड 1907 में पूरा किया गया। नैनपुर से छिंदवाड़ा का रेलखण्ड 1909 में पूरा कर लिया गया था जिसे यातायात के लिए 1913 में खोला गया था। नागपुर से छिंदवाड़ा का यातायात भी इसी साल से आरंभ हुआ था। इसी के साथ ही भारतीय उप महाद्वीप में संकीर्ण अर्थात नेरो गेज रेल लाईनों का सबसे बड़ा नेटवर्क पूरा कर लिया गया था। जिसकी लंबाई 640 मील हो चुकी थी।
नेरो गेज रेल लाईन में सतपुड़ा लाइंस के मार्ग में पड़ने वाले वैनगंगा पुल का उल्लेख विशेष तौर पर किया जाता रहा है। सौ फिट के चौदह तो 170 फिट के छः खण्डों का सम्मिश्रण था इसमें। इसमें उपयोग में लाए गए छः खण्ड कन्हान की ब्राड गेज से हटाए गए थे।
यहां सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि नैनपुर सिवनी ब्रांच लाईन का एक्सटेंशन सिवनी छिंदवाड़ा परासिया था। आज रेल्व ने ब्रांच लाईन के साथ सौतेला व्यवहार कर उसे जस का तस रखा है जबकि एक्सटेंशन लाईन छिंदवाड़ा परासिया को ब्राडगेज में तब्दील कर गुलजार कर दिया है। पिछले बजट में इस लाईन के विद्युतिकरण का प्रस्ताव भी कर दिया गया है।

(क्रमशः जारी)

विधायकों के खिलाफ माहौल बनाते पीआरओ


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 57

विधायकों के खिलाफ माहौल बनाते पीआरओ

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्तियों से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के खिलाफ आम जनता में रोष और असंतोष तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले दो दशकों से सिवनी जिले को उपलब्धि के नाम पर कुछ नहीं मिला है वहीं दूसरी ओर सरकार का भोंपू कहा जाने वाला जनसंपर्क विभाग सिवनी के बजाए छतरपुर जिले को मिलने वाली सौगातों का प्रचार प्रसार करवाकर स्थानीय तीन भाजपा विधायकों के मार्ग में शूल ही बोता नजर आ रहा है।
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में सिवनी जिले में परिसीमन के उपरांत पांच में से बीच चार विधानसभा सीटों में से सिवनी विधानसभा में भाजपा की श्रीमति नीता पटेरिया, बरघाट में भाजपा के कमल मस्कोले, लखनादौन में भाजपा की श्रीमति शशि ठाकुर और केवलारी से कांग्रेस के विधायक और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर विधायक हैं। सिवनी वासियों से यह बात छिपी नहीं है कि विधायकों के प्रयासों या अर्कमण्यता के चलते सिवनी के खाते में पिछले दो दशकों में कुछ भी नहीं आया है।
सिवनी की जनता प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। इसी बीच जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा एक विज्ञप्ति जारी की जाती है जिसमें तीन सिंचाई परियोजना को १,३८७ करोड की स्वीकृति शीर्षक से जारी समाचार में सिवनी डेट लाईन से कहा गया है कि मंत्रि-परिषद् ने छतरपुर जिले की बाँयीं नहर परियोजना के लिये ५४५ करोड ९० लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति और निवेश निकासी की अनुमति दी। परियोजना की रूपांकित सिंचाई क्षमता ४३ हजार ८५० हेक्टेयर है। मंत्रि-परिषद् ने रायसेन जिले की बारना वृहद परियोजना के विस्तार तथा इसे सुदृढ और आधुनिक बनाने के लिये ५८१ करोड रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति तथा निवेश निकासी की  अनुमति दी। इस योजना से वर्ष २०१२-१३ में ७५ हजार ८८ हेक्टेयर में सिंचाई की गयी। मंत्रि-परिषद् ने छतरपुर जिले की सिंहपुर बेराज मध्यम परियोजना के लिये २६० करोड ६३ लाख रुपये की पुनरीक्षित स्वीकृति तथा निवेश निकासी की अनुमति प्रदान की। परियोजना की रूपांकित क्षमता १० हजार २०० हेक्टेयर है।
इन परिस्थितियों में अब जिले की जनता मन ही मन यह सोच रही है कि आखिर उनसे कहां गल्ति हुई जो प्रदेश सरकार का खजाना सिवनी का नाम आते ही बंद हो जाता है। क्या उनके द्वारा भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को जनादेश देने में गल्ति हो गई या फिर कुछ ओर ही कारण हैं, जिससे सिवनी की झोली में कुछ भी नहीं आ पा रहा है। इसके साथ ही साथ जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा सिवनी के बजाए छतरपुर जिले के स्तुतिगान का क्या तात्पर्य है? अब इन परिस्थितियों में जनता जनार्दन के दिल दिमाग में यह प्रश्न कौंधना स्वाभाविक ही है कि कहीं कांग्रेस की सुविचारित रणनीति के तहत सरकार का जनसंपर्क महकमा इंस्टूमेंट बनकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के खिलाफ माहौल तो नहीं बना रहा है?

इंटरनेशनल कोर्ट ने दिया भारत के पक्ष में फैसला


इंटरनेशनल कोर्ट ने दिया भारत के पक्ष में फैसला

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद पर एक महत्वपूर्ण फैसले में, हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कहा है कि कश्मीर में पनबिजली परियोजना के लिए किशनगंगा का जलमार्ग बदलने का भारत को अधिकार है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि न्यायालय के फैसले से एक बार फिर साबित हुआ है कि भारत सिन्धु जल समझौते के सभी प्रावधानों का पालन कर रहा है। पूर्व विदेश सचिव मुचकुन्द दूबे ने इसे एक संतोषजनक फैसला बताया।
उन्होने कहा कि यह जो निर्देश दिया गया है ये हिन्दुस्तान ने जो एक रुख अपनाया है की इन नदियों के ऊपर जो योजनाएं हैं वो इंडस ट्रीटी के अनुकूल हैं और इन योजनाओं से पाकिस्तान को किसी भी तरह की क्षति पहुंचाने का इरादा नहीं है। इस वरडिक्ट ने इसको साबित किया है और ये हिन्दुस्तान के लिए संतोष का विषय है और साथ ही साथ इस तरह की और योजनाओं को कार्यान्वित करने का मार्ग इससे प्रशस्त हो जाएगा। जिससे जम्मू और कश्मीर की जनता को फायदा होगा और वहां पर आर्थिक प्रगति में सहायता मिलेगी। ज्ञातव्य है कि पाकिस्तान, कश्मीर में किशनगंगा नदी पर पनबिजली परियोजना के निर्माण पर आपत्ति करता रहा है।

एमपी की तर्ज पर अब बोकारो में जलसत्याग्रह


एमपी की तर्ज पर अब बोकारो में जलसत्याग्रह

(सोनम कात्यानी)

बोकारो (साई)। अपनी मांग मनवाने के लिए हर किसी को अपने अपने तरीके से विरोध प्रदर्शन का पूरा पूरा हक है। आजादी के लिए महात्मा गांधी ने अहिंसा का सहारा लिया और सत्याग्रह किया। इसी तरह मध्य प्रदेश के हरदा जिले के लोगों ने भी पानी के अंदर ही रहकर सत्याग्रह किया और सरकार को झुकाया। अब बारी बोकारो की है। कर्मचारियों के आश्रितों द्वारा जल सत्याग्रह के माध्यम से अपनी मांगें मनवाने का प्रयास किया जा रहा है।
कर्मचारियों के आश्रितों ने जल सत्याग्रह आरंभ कर दिया है। यह घटना बोकारो इस्पात की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आश्रित नौकरी की मांग कर रहे हैं। ये लोग वैसे कर्मचारी के आश्रित हैं जिनकी मौत काम करने के दौरान हो गई थी। सत्याग्रह पर बैठे आश्रितों का कहना है कि अगर उन्हें नौकरी नहीं दी गई तो वे पूरे परिवार के साथ जल समाधि ले लेंगे।
गौरतलब है कि इसी तरह का सत्याग्रह पूर्व में मध्य प्रदेश के हरदा में हुआ था। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के एमपी ब्यूरो से सोनल सूर्यवंशी ने बताया कि पिछले साल सितंबर में हुए इस सत्याग्रह में यहां के सत्याग्रहियों की मांग थी कि इंदिरा सागर बांध के जलस्तर को 260 मीटर पर लाया जाए। ये लोग जमीन के बदले जमीन और पुनर्वास की मांग भी कर रहे थे। बांध का जलस्तर बढ़ने से हरदा के 29 गांव प्रभावित हो गये थे और हजारों एकड़ जमीन डूब गई थी। तीन गांव तो पूरी तरह से पानी में समा चुके थे। यहां पुलिस और प्रशासन ने 14 दिनों से जारी जल सत्याग्रह को जबरन रोक दिया था। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को सुने बगैर इन्हें जबरन पानी से निकाल दिया था।
मध्यप्रदेश में हीं नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले घोघल गांव में 51 लोगों ने जल सत्याग्रह किया था। ये लोग राज्य सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे थे जिसके मुताबिक ओंकारेश्वर बांध में जल स्तर 193 मीटर तक बढाए जाने को मंजूरी दे दी गई थी। सत्याग्रह कर रहे लोगों का कहना है कि अगर पानी की ऊंचाई बढ़ाई गई तो कई गांव डूब जाएंगे।

जगलपुर : किशोरी को बंधक बनाया और किया मुंह काला


किशोरी को बंधक बनाया और किया मुंह काला

(सुरेंद्र जायस्वाल)

जबलपुर (साई)। देश के हृदय प्रदेश में बच्चों के मामा शिवराज सिंह चौहान के राज में नाबालिक बालिका को जबरन बंधक बनाकर उसके साथ मुंह काला कर उसका शील भंग करने का मामला प्रकाश में आया है। पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ अपहरण व बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया है।
अनुसूचित जाति कल्याण (अजाक) थाने के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मूलतः इंदिरा नगर बरगी निवासी 16 वर्षीय किशोरी नवंबर माह में दुर्गा नगर ग्वारीघाट निवासी अपनी बहन के घर आयी थी, जहां से मनोज यादव नामक युवक उसका अपहरण कर ले गया था।
परिजनों की सूचना पर ग्वारीघाट पुलिस मामला दर्ज कर इसकी जांच कर रही थी। आरोपी युवक किशोरी को चरगंवा स्थित एक खेत में बनी झोपडी में बंधक बनाकर रखे हुए था तथा पिछले तीन महीनों से उसका शारीरिक शोषण कर रहा था। पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर किशोरी को उसके चंगुल से मुक्त करवाया। आरोपी के खिलाफ धारा 363, 366, 376 के तहत मामला दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

वेश्वावृति पर अंकुश की मंशा का विरोध


वेश्वावृति पर अंकुश की मंशा का विरोध

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम यानी आईटीपीए की इबारत अभी लिखी ही जा रही है और इसका पुरजोर विरोध आरंभ हो चुका है। इसका मसौदा तैयार कर अब तक केंद्रीय मंत्रीमण्डल तक नहीं पहुंचा है पर सेक्स वर्कर्स के साथ ही साथ अनेक लोगों ने इसका विरोध आरंभ कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आईटीपीए के प्रस्तावों को महिलाओं के विरोध में बताया गया है। इसके खिलाफ महिला संगठन मजबूती से इसके खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। इन महिला संगठनों की मांग है कि महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में अन्य मंत्रालयों के साथ उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए जो संशोधन साझा किए हैं उनसे इसे अलग किया जाए।
इस कदम का विरोध मुख्य रूप से इसलिए ज्यादा हो रहा है, क्घ्योंकि इसमें ग्राहक को दंडित करने का प्रावधान है और इससे जो लोग पहले से ही यौन कार्य में लिप्त हैं उनकी जिंदगी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यही नहीं कानून में इस तरह के बदलाव से धंधा बंद नहीं होगा बल्कि यह गैरकानूनी तरीके से चलता रहेगा।
सेक्स वर्करों यूनियन के सदस्यों और पदाधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में सेक्घ्स वर्कर अपने ग्राहकों पर कंडोम उपयोग के लिए जोर देती हैं, लेकिन आप ग्राहकों को ही दंडित करने लगेंगे तो इससे हमारी दलालों पर निर्भरता बढ़ जाएगी, यही नहीं इसके बाद हम ग्राहक पर कंडोम इस्तेमाल करने के लिए दबाव भी नहीं बना पाएंगे, जिसका मतलब यह है कि आप हमें एचआईवी और एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेल रहे हैं।
वहीं दिल्ली के एक समाचार पत्र ने गत 11 फरवरी को खुलासा किया था कि सरकार आईटीपीए में संसोधन करने जा रही है। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार वेश्घ्यालय में सेक्स खरीदने के इरादे से गए व्यक्ति को दंडित किया जाएगा। पता चला है कि वेश्यालय में जाने वाले व्यक्ति पर आरोप साबित हो जाता है तो उसे पहली बार पकड़े जाने पर तीन माह से एक साल तक की सजा या 10 हजार से 20 हजार रुपये तक दंड या दोनों भी हो सकते हैं। दूसरी बार पकड़े जाने पर सजा 1 साल से 5 साल तक और दंड 20 हजार से 50 हजार के बीच हो सकता है।

सिवनी : प्रेमी ने प्रेमिका पर चाकू से किया हमला


प्रेमी ने प्रेमिका पर  चाकू से किया हमला

(काबिज खान)

सिवनी (साई)। सिवनी शहर के व्यस्तम इलाके में शाम एक युवक ने अचानक रस्ते से आरही युवती को फ़िल्मी तर्ज़ पर लगातार चाकू से कई वार कर हमला कर दिया युवक द्वारा इस अचानक हुए हमले से गणेश चोक में सनसनी फैल गई लगातार हमले से युवती लहूलुहान हो गई इस मंज़र को देख आसपास के नागरिक युवती को बचाने दोड़े भीड़ को अपनी तरफ आता देख युवक ने आनन फानन में अपने गले को रेत डाला और अपने आप को भी घायल कर लिया
दिल दहलाने वाले इसअजीबोगरीब हादसे से दोनों ही युवक युवती मोर्चित होगय जिन्हें इलाके की जनता और पुलिस ने तुरंत ही जिला चिकित्सालय में प्रथमिक उपचार हेतु भर्ती कराया
शुरुवाती पड़ताल से जानकारी मिली की युवक प्रतीक सनोडिया जो की बी ई का स्टुडेंट है जो की अपनी पढाई भोपाल में कर रहा हे पिछले दो वर्षाे से एक तरफ़ा प्यार के मामले में उलझा हुआ है अपने ग्रह  नगर की ही युवती जो की सिवनी के बिंझावाडा के निजी स्कूल में  12 की पढाई कर रही से एक तरफ़ा प्यार करता था  प्यार में सफलता ना  मिलने पर ही उसने इस घटना को अंजाम दिया पुलिस ने धारा 307/309 के तहत मामला दर्ज कर  युवक की हालत घम्भीर होने पर नागपुर रिफर किया गया।

शिंदे की बर्खास्तगी को लेकर प्रदर्शन


शिंदे की बर्खास्तगी को लेकर प्रदर्शन

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। अखिल भारत हिन्दू महासभा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने जन्तर-मंतर पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी हिन्दू आतंकवाद पर बयान देने के लिये गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को बर्खास्त करने, पाकिस्तान जाकर मोस्ट वाण्टेड आतंकवादी हाफिज सईद के साथ अफजल को फांसी के विरोध में धरना देने पर जेकेएलएफ के नेता यासीन मलिक को राष्ट्रªद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने, बलात्कार कानून की आड़ में निर्दाेष पुरूषों का उत्पीड़न बन्द करने, दहेज उत्पीड़क का साथ देने व सुधा के साथ अन्याय के लिये सराय रोहिल्ला थाना प्रभारी को बर्खास्त करने, फर्जी बलात्कार के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद दीपक गुप्ता और अजय गुप्ता रिहा करने की ंमांग कर रहे थे। अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शनकारियों ने थाना संसदमार्ग में अपनी गिरफ्तारी दी। बाद में प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त रिहा कर दिया गया।
प्रदर्शनकारी दोपहर 12 बजे हिन्दू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में जन्तर-मंतर पर एकत्र हुये और जमकर नारेबाजी की। रविन्द्र द्विवेदी ने अपने संबोधन में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे पर पाकिस्तान के इशारे पर हिन्दू और भगवा को आतंकवाद से जोड़कर देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज की देशभक्ति को अपमानित किया है। उनके बयान को आधार बताते हुये हाफिज सईद ने भारत को वैश्विक स्तर पर आतंकवादी देश घोषित करने का दुःस्साहस दिखाया। इसलिये शिंदे को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिये। कार्यवाहक अध्यक्ष ने अपने संबोधन में यासीन मलिक के पाकिस्तान में हाफिज सईद के साथ धरना देने का प्रथम दृष्टया राष्ट्रद्रोह का अपराध बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे राष्ट्रद्रोही की जगह जेल में है। उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाये।
हिन्दू स्वराज्य सेना के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने अपने संबोधन में बलात्कार कानून की आड़ में पुरूषों के उत्पीड़न का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि बलात्कार के फर्जी आरोप की एफआईआर संख्या 3/2013 थाना मण्डावली में अजय गुप्ता और दीपक गुप्ता तिहाड़ जेल में बंद है। जिस दिन बलात्कार का आरोप लगाया गया है, उस दिन मुख्य आरोपी दीपक गुप्ता संत कबीर नगर उ0प्र0 में एक शादी में शामिल में था। शादी की सीडी और तस्वीरें पुलिस मुख्यालय और डीसीपी, पूर्वी दिल्ली को सौंपा गया, लेकिन पुलिस ने बिना जांच कराये ही उसकी प्रमाणिकता से इंकार किया। उन्होंने तत्काल दोनों को तिहाड़ से रिहा करने की मांग की। जो लड़की आरोप लगा रही है वो परोक्ष रूप से 15 लाख रूपये की मांग कर रही है व उसका चरित्र भी ठीक नही है। पुलिस आज तक झूठे बलात्कार की मेडिकल रिपोर्ट नही प्रस्तुत कर पायी। लड़की के साथ जब रेप हुआ तो उसने थाने में प्राथमिकी क्यों दर्ज नही करवायी। लड़की का कहना है कि बलात्कार की सीडी भी बनायी  गयी है तो पुलिस आरोपियों से बलात्कार की सीडी क्यों नही बरामद कर पायी।
दहेज उत्पीड़न की शिकार सुधा कुमारी को आज तक न्याय नही मिल पाया। ऐसा इसलिये क्योंकि सराह रोहिल्ला का थाना प्रभारी दहेज उत्पीड़क व अभियुक्त दिनेश कुमार से मिली हुयी है जिसे जानबूझकर पुलिस गिरफ्तार नही कर रही है। सुधा कुमारी के पति दिनेश कुमार पुत्र बंगाली बाबू, निवासी सराह रोहिल्ला को तीस हजारी न्यायाल य और कड़कड़डूमा न्यायालय से तीन बार गिरफ्तार कर अदालत में प्रस्तुत करने का न्यायिक आदेश जारी किया जा चुका है। सराह रोहिल्ला का थाना प्रभारी दिनेश कुमार को गिरफ्तार नही कर रही है। दिनेश के पिता बंगाली बाबू द्वारा सन् 2004 में समाचार पत्र में प्रकाशित उस पब्लिक नोटिस को आधार बना रही है, जिसमें अभियुक्त दिनेश कुमार को संपत्ति से बेदखल करने का हवाला छपा है।
बंगाली बाबू ने सन् 2008 में अपने बेटे अभियुक्त दिनेश कुमार की बिना तलाक दिलाये दूसरी शादी की और उस शादी में शामिल हुआ। बेटे की दूसरी बहू को बेटे सहित अपने घर में रखा। अगर दिनेश कुमार से सन् 2004 में उसके पिता ने सारे रिश्ते समाप्त कर दिये थे तो सन् 2008 में उसकी शादी में शरीक होना और दूसरी बहू को अपने घर में रखना प्रमाणित करता है कि सन् 2004 में संपत्ति से बेदखल करने का पब्लिक नोटिस छपवाना महज एक नाटक था। पुलिस बंगाली बाबू पर दबाव बना सख्ती से पेश आये तो अभियुक्त दिनेश कुमार को गिरफ्तार किया जा सकता है।
अभियुक्त दिनेश कुमार को गिरफ्तार करने एवं दोषी पुलिसकर्मियों को विधि-सम्मत दण्डित करने की मांग पर 3 जनवरी, 2013 को पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन कर पुलिस आयुक्त को संबोधित ज्ञापन भी दिया गया। दुर्भाग्यवश पुलिस मुख्यालय अपना आश्वासन पूरा करने में असफल रहा जिस कारण पुनः हिन्दू महासभा को बार-बार प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
वक्ताओं ने जंतर-मंतर पर थाना बुराड़ी व सराय रोहिल्ला के थाना प्रभारी को बर्खास्त करने की मांग की। थाना बुराड़ी पर सन् 2010 से गायब ममता और उसके परिवार के आरोपियों को बचाने और अपहरण की प्राथमिकता दर्ज न करने का आरोप लगाया गया है। वक्ताओं ने कहा कि यह दिल्ली पुलिस का यह अमानवीय चेहरा है, जो प्रभावितों को न्याय की हत्या को बढ़ावा देता है। ऐसे पुलिस अधिकारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नही जाना चाहिये और आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिये।
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में थाना संसद मार्ग में गिरफ्तारी दी। गिरफ्तार नेताओं का एक प्रतिनिधि मण्डल प्रधानमंत्री कार्यालय गया और अपनी मांगों का ज्ञापन भी दिया। प्रतिनिधि मण्डल में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल थे। गिरफ्तारी देने वालों में रमेश बाल्मीकि, विजय बहादुर सिंह संेगर, कन्हैया लाल राय, अशोक गिरी, रजनी सक्सेना, अधिवक्ता संजय चौधरी, सुरेश कुमार, मूलचंद्र, सुशील कुमार सहित भारी संख्या में कार्यकर्ता शामिल थे।

चोरी मामले का खुलासा: आरोपी गिरफ्तार


चोरी मामले का खुलासा: आरोपी गिरफ्तार

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। न्यायालय परिसर के बाहर से करीब एक वर्ष पुर्व बाईक चोरी मामले का खुलाशा करते हुए सीआईए पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। चोरीशुदा बाईक बरामद कर ली गई, तथा आरोपी को आज अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस प्रवक्ता ने बताया भागल वासी राजपाल 27 मार्च को अपनी बाईक पर सवार होकर किसी कार्य से न्यायालय कैथल में आया था। परिसर के बाहर से अज्ञात व्यक्ति उसकी हिरोहॉडा स्प्लैंडर बाईक चुरा ले गये। इंस्पेक्टर राजकुमार के मार्गदर्शन में सीआईए पुलिस की टीम जींद रोड़ बाईपास पर गस्त व नाकाबंदी किए हुए थी। पुलिस ने चोरीशुदा बाईक पर जींद की तरफ से आ रहे आरोपी अनिल वासी फरीयाबाद को काबु करते हुए गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को आज अदालत में पेश कर 2 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

जनता को भरमा रहे शिवराज: वर्मा


जनता को भरमा रहे शिवराज: वर्मा

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। देश के पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर चलाया जा रहा अटल ज्योति अभियान प्रदेश की जनता के साथ छलावा हैं। प्रजातंत्र में राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र पवित्रग्रंथ के समान होते हैं। सौ दिन में चौबीस घंटे बिजली देने का वायदा करके सत्ता में आने वाली भाजपा ने इसका अपमान किया हैं।  प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2003 के चुनाव के दौरान ही कहा था कि कोई माई का लाल 2013 के पहले चौबीस घंटे बिजली नहीं दे सकता और 2013 में देने से रोक नहीं सकता। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी साल में खोखले अभियान चला कर सस्ती लोकप्रियता बटोरने का प्रयास कर रहें हैं जिसे प्रदेश की जनता बखूबी समझ रही हैं। उक्ताशय के विचार वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में व्यक्त किये हैं।
इंका नेता आशुतोष वर्मा ने आगे कहा हैं कि साध्वी उमा भारती की अगुवायी में लड़े गये 2003 के विस चुनाव में भाजपा ने सड़क,बिजली और पानी के मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने चुनाव में वायदा किया था कि यदि उसकी सरकार बनी तो जनता को 100 दिन में चौबीस घंटे बिजली देगी। इस वायदे पर भरोसा करके प्रदेश की जनता ने भारी बहुमत से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनायी थी। लेकिन सत्ता में आने बाद भाजपा अपना वायदा भूल गयी। अब दस साल बाद 2013 के विधानसभा चुनाव के चंद महीनों पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री पं. अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से अटल ज्योति अभियान चला कर एक बार फिर जनता की आंख में धूल झोंकने का प्रयास कर रही हैं। बीते दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान ने समारोह पूर्वक जबलपुर और फिर हाल ही में मंड़ला में इस अभियान की शुरूआत की हैं। जिसके प्रचार प्रसार के लाखों रुपयों के विज्ञापन भी जारी किये। लेकिन मंड़ला में इस अभियान की शुरूआत के दौरान की यह समाचार अखबारों की सुर्खियां बन गया था कि जबलपुर में नागरिकों को चौबीस घंटे बिजली नहीं मिल रही हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा एक और खोखला अभियान चलाकर ना सिर्फ देश के पूर्व प्रधानमंत्री के नाम के साथ मजाक कर रही है वरन चुनावी लाभ लेने के लिये जनता के साथ छल कपट कर वोट बटोरने के प्रयास में लगी हुयी हैं।
इंका नेता वर्मा ने विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया है कि प्रजातंत्र में किसी भी राजनैतिक दल के घोषणा पत्र की मान्यता एक धार्मिक ग्रंथ के समान होती हैं। इस पर भरोसा करके ही जनता अपना वोट देकर सरकार चुनती हैं। घोषणा पत्र में किये गये वायदे से मुकरना प्रजातांत्रिक पाप होता हैं। धर्म कर्म और पाप पुण्य की राजनीति करने वाली भाजपा बेशर्मी से प्रदेश की जनता के साथ समारोह पूर्वक प्रजातांत्रिक पाप कर रही हैं। जिसे जनता कभी माफ नहीं करेगी।  
विज्ञप्ति में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने आगे कहा है कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चुनावी नफे नुकसान की परवाह किये बिना साफ साफ कहा था कि 2013 के पहले कोई भी माई का लाल प्रदेश में चौबीस घंटे बिजली दे नहीं सकता। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश में 2013 तक इतनी बिजली हो जायेगी कि कोई भी चौबीस घंटे बिजली देने से रोक भी नहीं पायेगा। लेकिन दस सालों में प्रदेश भाजपा सरकार के कुप्रबंधन से ऐसा संभव नहीं हो पाया। इसलिये अब नाटकीय अभियान चला कर प्रदेश सरकार लोगों का मन बहला रही हैं। 
इंका नेता वर्मा ने आरोप लगाते हुये कहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी साल में ऐसे खोखले अभियान चलाकर सस्ती लोकप्रियता बटोरने के प्रयास कर रहें है लेकिन प्रदेश की जनता इस हथकंड़े को बखूबी समझ रही हैं। कभी कोयले की कमी तो तभी केन्द्र सरकार प्रदेश के हिस्से की बिजली में कटोती के झूठे आरोप लगाकर अपनी सरकार चलाने वाले शिवराज सिंह चौहान को इस बात का जवाब जनता की अदालत में देना ही होगा कि उनकी पार्टी और सरकार ने सौ दिन में बिजली देने का वायदा पूरा क्यों नहीं किया?