मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

वेश्वावृति पर अंकुश की मंशा का विरोध


वेश्वावृति पर अंकुश की मंशा का विरोध

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम यानी आईटीपीए की इबारत अभी लिखी ही जा रही है और इसका पुरजोर विरोध आरंभ हो चुका है। इसका मसौदा तैयार कर अब तक केंद्रीय मंत्रीमण्डल तक नहीं पहुंचा है पर सेक्स वर्कर्स के साथ ही साथ अनेक लोगों ने इसका विरोध आरंभ कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आईटीपीए के प्रस्तावों को महिलाओं के विरोध में बताया गया है। इसके खिलाफ महिला संगठन मजबूती से इसके खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। इन महिला संगठनों की मांग है कि महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में अन्य मंत्रालयों के साथ उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए जो संशोधन साझा किए हैं उनसे इसे अलग किया जाए।
इस कदम का विरोध मुख्य रूप से इसलिए ज्यादा हो रहा है, क्घ्योंकि इसमें ग्राहक को दंडित करने का प्रावधान है और इससे जो लोग पहले से ही यौन कार्य में लिप्त हैं उनकी जिंदगी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यही नहीं कानून में इस तरह के बदलाव से धंधा बंद नहीं होगा बल्कि यह गैरकानूनी तरीके से चलता रहेगा।
सेक्स वर्करों यूनियन के सदस्यों और पदाधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में सेक्घ्स वर्कर अपने ग्राहकों पर कंडोम उपयोग के लिए जोर देती हैं, लेकिन आप ग्राहकों को ही दंडित करने लगेंगे तो इससे हमारी दलालों पर निर्भरता बढ़ जाएगी, यही नहीं इसके बाद हम ग्राहक पर कंडोम इस्तेमाल करने के लिए दबाव भी नहीं बना पाएंगे, जिसका मतलब यह है कि आप हमें एचआईवी और एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेल रहे हैं।
वहीं दिल्ली के एक समाचार पत्र ने गत 11 फरवरी को खुलासा किया था कि सरकार आईटीपीए में संसोधन करने जा रही है। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार वेश्घ्यालय में सेक्स खरीदने के इरादे से गए व्यक्ति को दंडित किया जाएगा। पता चला है कि वेश्यालय में जाने वाले व्यक्ति पर आरोप साबित हो जाता है तो उसे पहली बार पकड़े जाने पर तीन माह से एक साल तक की सजा या 10 हजार से 20 हजार रुपये तक दंड या दोनों भी हो सकते हैं। दूसरी बार पकड़े जाने पर सजा 1 साल से 5 साल तक और दंड 20 हजार से 50 हजार के बीच हो सकता है।

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