बुधवार, 7 दिसंबर 2011

कद्दावर नेताओं को प्रश्रय दिया है महाकौशल की माटी ने


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 4

कद्दावर नेताओं को प्रश्रय दिया है महाकौशल की माटी ने

महाकौशल से संबल पाकर उसे ही भूल गए जनसेवक

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश में महाकौशल क्षेत्र पर अगर नजर डाली जाए तो यहां की मिट्टी में देश प्रदेश के कद्दावर नेताओं के पसीने की गंध अवश्य ही आएगी, किन्तु विडम्बना ही कही जाएगी कि इस माटी से सब कुछ पाने के बाद भी यहां के नेताओं ने अपनी मातृभूमि और कर्मभूमि को तिरस्कृत करने में कोर कसर नहीं रख छोड़ी है। सच ही है राजनैतिक तौर पर समृद्ध होने के बाद भी यहां विकास की किरण अब तक प्रस्फुटित नहीं हो सकी है। इसके लिए जवाबदेह यहां का नपुंसक राजनैतिक नेतृत्व ही माना जा सकता है।

महाकौशल ने प्रदेश को स्व.द्वारका प्रसाद मिश्र जैसा सबल, सुलझा और शक्तिशाली मुख्यमंत्री दिया। इसके अलावा केंद्र में गार्गीशंकर मिश्र जैसे कद्दावर मंत्री दिए, जिनकी कर्मभूमि छिंदवाड़ा और सिवनी रही। राजनैतिक तौर पर बलात ही हाशिए में ढकेल दी गई प्रदेश और देश की तेज तर्रार मंत्री सुश्री विमला वर्मा की कर्मभूमि सिवनी ही रही है। सुश्री वर्मा के बनाए लोगों ने ही उन्हें पार्श्व में ढकेला, वरना आज वे किसी प्रांत की महामहिम राज्यपाल या देश की महामहिम राष्ट्रपति बनने की काबिलियत रखती हैं।

केंद्रीय परिदृश्य में अगर देखा जाए तो कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय महासचिव और अनेक विभागों के मंत्री रहे कमल नाथ का केंद्रीय राजनीति में अपना अलग ही महत्व है। इसके अलावा प्रदेश में राजनैतिक धुरी बन चुके हरवंश सिंह ठाकुर की जन्म भूमि छिंदवाड़ा तो कर्मभूमि सिवनी है। वे आज मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर विराज मान हैं। हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह भी सिवनी जिले से ही हैं।

इसके अतिरिक्त दो दशकों तक स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे रामेश्वर नीखरा, पूर्व मंत्री सत्येंद्र पाठक, दीपक सक्सेना, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्वनाथ दुबे, प्रवक्ता कल्याणी पांडे, रेखा बिसेन, पुष्पा बिसेन, दयाल सिंह तुमराची और न जाने कितने जनसेवक हैं जो प्रदेश और केंद्रीय राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।

भाजपा भी महाकौशल प्रांत में जबर्दस्त तरीके से सक्षम ही प्रतीत होती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल वर्तमान में केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। वे भाजपा के असंगठित मोर्चे के अध्यक्ष हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते भी केंद्रीय राजनीति में हैं और वे भी भाजपा के एक अनुसूचित जनजाति मोर्चे के नेशनल प्रेजीडेंट हैं।

मंत्रियों में गौरी शंकर बिसेन, अजय बिश्नोई, देवी सिंह सैयाम, नाना माहोड़े तो पूर्व मंत्रियों में डॉ.ढाल सिंह बिसेन, चौधरी चंद्रभान सिंह आदि का शुमार है। महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर भी दो बार विधायक रहे हैं। मध्य प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया सिवनी से विधायक भी हैं।

प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष अनुसुईया उईके, विनोद गोटिया, राकेश सिंह और न जाने कितनी विभूतियां भाजपा की झोली में हैं। इतना ही नहीं एनडीए के सबसे ताकतवर स्तंभ शरद यादव की राजनीति भी महाकौशल की संभावित राजधानी जबलपुर से ही आरंभ हुई। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि राजनैतिक रूप से इतना समृद्ध होने के बाद भी किसी जनसेवक ने अपनी इस धरा के विकास के मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रथक महाकौशल प्रांत की बात वजनदारी से क्यों नहीं रखी?

(क्रमशः जारी)

तीन मुख्यमंत्रियों ने खोला मन के खिलाफ मोर्चा


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 47

तीन मुख्यमंत्रियों ने खोला मन के खिलाफ मोर्चा

अनावश्यक दखलंदाजी से हैं निजाम नाखुश


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय में पुलक चटर्जी की आमद के बाद अब पीएमओ की दखलंदाजी कांग्रेस शासित राज्यों में बढ़ने से तीन राज्यों के मुख्यमंत्री खासे नाराज बताए जा रहे हैं। हाल ही में नेशनल फुड सिक्योरिटी बिल के मसले में पीएमओ की अनावश्यक दखलंदाजी से राजस्थान, दिल्ली और महाराष्ट्र के निजामों ने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है।

पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के रणनीतिकारों के मशविरे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने सबसे विश्वस्त पुलक चटर्जी को पीएमओ में लेकर गईं हैं। अब चटर्जी ही मनमोहन से मुक्ति और राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने का रोड़ मेप तैयार कर रहे हैं। पुलक के इशारों पर ही खाद्य सुरक्षा अधिनियम में कांग्रेस शासित राज्यों में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि पृथ्वीराज चव्हाण, शीला दीक्षित और अशोक गहलोत इस बात से खासे नाराज हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय जबर्दस्ती उनके अधिकार क्षेत्र में दखल दे रहा है। पिछले दिनों खाद्य मंत्री के.व्ही.थामस के साथ हुई इन मुख्यमंत्रियों की मुलाकात में इन्होंने अपनी आपत्ति पुरजोर तरीके से दर्ज की है।

खाद्य मंत्री के करीबी सूत्रों का कहना है कि तीनों मुख्यमंत्रियों ने थामस से कहा है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पीएमओ अनावश्यक दखलंदाजी बंद करे। इस प्रणाली में गैर सरकारी संगठनों को भला कैसे शामिल किया जा सकता है। इससे 75 फीसदी ग्रामीण तो 25 फीसदी शहरी आबादी लाभान्वित हो रही है। इस विधेयक को एपरूवल के लिए कैबनेट को जल्द ही भेजा जा सकता है। साथ ही संसद के मौजूदा सत्र में भी इसे पेश किया जा सकता है।

(क्रमशः जारी)

ग्रामीण अंचलों में बोल जाता है इंटरनेट


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  33

ग्रामीण अंचलों में बोल जाता है इंटरनेट

सुबह पांच से छः करना होता है नेट सर्फिंग


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली आईडिया सेल्युलर बिजनिस में सारे रिकार्ड ध्वस्त करती जा रही है। आईडिया के उपभोक्ताओं में विस्फोटक बढोत्तरी दर्ज की जा रही है। वस्तुतः आईडिया का टारगेट पूरा करने के लिए जिलों में तैनात टीम लीडर्स द्वारा या तो फर्जी तोर पर सिम की फर्मलिटी पूरी की जा रही है या फिर उपभोक्ताओं को भरमाकर कनेक्शन प्रदाय किए जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश से आए एक उपभोक्ता ने बताया कि उन्होंने एक नेट सेटर खरीदा था। पहले माह प्रमोशन स्कीम में तो उनके नेट सेटर ने जबर्दस्त स्पीड दिखाई। उस स्पीड को देखकर उन्होंने अपने मित्रों परिचितों को भी अभिषेक बच्चन की अपील पर आईडिया अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि उनके अभिषेक बच्चन उनके पसंदीदा अभिनेता हैं एवं चूंकि अभिषेक ही आईडिया के ब्रांड एम्बसेडर हैं इसलिए उन्होंने आईडिया को चुना।

एक माह के उपरांत जब उन्होंने सरकारी खर्चे पर 599 रूपए का बाउचर डलवाया तबसे वे बेहद परेशान हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें सर्वर नॉट फाउन्ड का ही मैसेज सदा मिलता है। आईडिया के लोगों से बात करने पर उन्हें बताया गया कि उनका रीचार्ज खत्म हो गया है इसलिए उन्हें वह मैसेज मिल रहा है। जब उन्होंने सरकारी खर्चे पर 599 रूपए का रिचार्ज की रसीद दिखाई तब आईडिया के कारिंदे बगलें झांकते नजर आए।

उन्होंने कहा कि वे ग्रामीण अंचल में निवास करते हैं। आईडिया से इंटरनेट जोड़ने के लिए उन्हे बेहद मशक्कत करनी होती है। इसके लिए उन्हें अलह सुब्बह चार बजे उठना होता है। नित्यकर्मों से निवृत होने के उपरांत वे पांच बजे इंटरनेट जोड़ते हैं जो उनका साथ मध्यम गति से छः बजे तक देता है। इसके बाद इंटरनेट अपने प्राण त्याग देता है, जो दुबारा अगले दिन सुबह ही जीवित हो पाता है।

(क्रमशः जारी)

संदीप होंगे दिल्ली के अगले निजाम


संदीप होंगे दिल्ली के अगले निजाम

लगने लगा सीटों का गुणा गणित


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अगर दिल्ली में अगली बार भी कांग्रेस की सरकार बनी तो दिल्ली को अपेक्षाकृत युवा चेहरा बतौर मुख्यमंत्री मिल सकता है। वर्तमान निजाम शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित अब दिल्ली में बेटिंग करने को उतावले दिख रहे हैं। उन्होंने अभी से अगले चुनावों की रणनीति बनाना भी आरंभ कर दिया है। संदीप इस मामले में खासे आश्वस्त नजर आ रहे हैं कि दिल्ली में अगली सरकार कांग्रेस की बनने से कोई रोक नहीं सकता है।

संदीप के करीबी सूत्रों का कहना है कि 70 सदस्यीय विधानसभा में संदीप दीक्षित का मानना है कि दो दर्जन से ज्यादा सीटें तो एसी हैं जो कांग्रेस का गढ़ हैं और उन्हें भेदना मुश्किल ही है। यहां किसी को भी खड़ा कर दिया जाए ये कांग्रेस के पाले में ही जाएंगी। उधर भारतीय जनता पार्टी महज पांच सीटों को ही अपना गढ़ बता सकती है।

संदीप के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप यह सोचकर गदगद हैं कि आने वाले विधान सभा चुनावों कांग्रेस की गिनती 24 से आंरभ होगी। उधर पिछले दिनों भोपाल एक्सप्रेस रेलगाड़ी में उनके पास से गुमे फिर मिले दस लाख रूपए के रहस्य पर से अभी पर्दा उठा नहीं है, भाजपा इस मामले को उनके खिलाफ ब्रम्हास्त्र की तरह इस्तेमाल कर सकती है।

कमल नाथ ने फिर दिखाई सिवनी से नाराजगी


कमल नाथ ने फिर दिखाई सिवनी से नाराजगी

केंद्रीय मंत्री रहते नहीं दी अब तक कोई सौगात


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। महाकौशल के क्षत्रप और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ सिवनी जिले से बेहद खफा नजर आ रहे हैं। सिवनी जिले में उनका झंडा डंडा उठाने वाले चाहे जितनी बार भी उनकी देहरी पर माथा रगड़ लें पर भोले बाबा प्रसन्न होते नहीं दिख रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के दस शहरों को पेयजल मुहैया करवाने के लिए सवा सौ करोड़ रूपए आवंटित करने के बाद भी उस फेहरिस्त में सिवनी जिला स्थान नहीं पा सका है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर और सिवनी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी रहे राजकुमार खुराना कमल नाथ के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। बावजूद इसके दोनों ही नेताओं द्वारा कमल नाथ से सिवनी जिले के लिए कोई भी सौगात न ला पाना आश्चर्य का ही विषय है। कमल नाथ पूर्व में वन एवं पर्यावरण मंत्री, वस्त्र मंत्री और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रह चुके है। इन तीनों ही विभागों से सिवनी जिले की झोली में एक भी चीज नहीं आई है।

हाल ही में कमल नाथ शहरी विकास मंत्री हैं इस नाते भी सिवनी जिले को कुछ भी नहीं मिल पाया है। हाल ही में कमल नाथ ने अर्बन इंफ्रास्टक्चर डेवलपमेंट स्कीम फॉर स्मॉल एण्ड मीडियम टाउन योजना (यूआईडीएसएसएमटी) के तहत प्रदेश के दस शहरों के लिए 125 करोड़ रूपए की राशि की घोषणा की है।

इस राशि से छिंदवाड़ा जिले के छिंदवाड़ा शहर, डोंगर परासिया, पिपला नाराणवार, सौंसर, चौरई, पांढुर्णा बैतूल जिले के जिला मुख्यालय, सागर के ख्ुारई, देवास जिले के जिला मुख्यालय एवं होशंगाबाद के पिपरिया शहर में पेयजल मुहैया करवाया जाएगा। यह राशि केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ द्वारा मध्य प्रदेश के स्थानीय शासन मंत्री बाबूलाल गौर के आग्रह पर जारी की है।

बाबूलाल गौर भी कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा का विशेष ध्यान रख रहे हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा हो रही है कि भाजपा के मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के बीच इस जुगलबंदी का आखिर राज क्या है? आखिर क्या वजह है कि बाबूलाल गौर के हर आग्रह पर कमल नाथ अपनी अंटी खोलकर रख देते हैं। इसके पहले भी गौर ने लगभग एक हजार करोड़ रूपयों की सौगात केंद्र से लेकर आई थी।

बहरहाल, कमल नाथ जब केंद्र में भूतल परिवहन मंत्री थे, तब अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल की अति महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में सिवनी जिले के हिस्से में पेंच नेशनल पार्क का पेंच फसा दिया गया था, जो अब तक नहीं निकाला जा सका है। इस सड़क को कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा होकर ले जाने का षणयंत्र करने का आरोप उन पर लगाया जा रहा है। छिंदवाड़ा से अगर यह सड़क गुजरी तो यह सतपुड़ा, पेंच और मेलघाट वन्य जीव अभ्यरण को दो बार काटती हुई गुजरेगी, जिस मामले में पर्यावरण विभाग मौन है।

मिशन 2013 के तहत साईज में लाए जाएंगे मंत्री


मिशन 2013 के तहत साईज में लाए जाएंगे मंत्री

अनेक मंत्रियों पर गाज गिरना तय


(नंद किशोर)

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब अपनी तीसरी पारी खेलने के लिए बेहद संजीदा नजर आ रहे हैं। संगठन के राष्ट्रीय नेताओं चर्चा और ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद अब उन्होंने अपने पत्ते फेंटना आरंभ कर दिया है। विधानसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के उपरांत अब शिवराज चौहान अपनी टीम को कसने में लग गए हैं।

बड़बोले और खराब छवि वाले मंत्रियों को तत्काल ही बदलने का मन बना चुके शिवराज की नई टीम उज्जव और धवल छवि वाली होगी। शिवराज के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने मन बना लिया है कि अब तक जो हुआ सो हुआ अब भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर कार्यकर्ताओं की सुनी जाए ताकि कार्यकर्ता और जनता पुरानी बातों को भूल सके।

गौरतलब है कि जनता की याददाश्त बेहद ही कम होती है। जैसे ही जनता के काम आसानी से होने लगेंगे वह पुरानी तकलीफें भूल जाएगी। यही आलक कार्यकर्ताओं का होगा। आने वाले समय में मंत्रियों द्वारा विधायकों और जनता के साथ तालमेल बनाने का प्रयास किया जाएगा। विधायकों को भी क्षेत्र की जनता की सुध लेने के निर्देश मिलने वाले हैं।

सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर, सहकारिता और पीएचई मंत्री गौरीशंकर बिसेन, वन मंत्री सरताज सिंह, खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल और पीडब्लूडी की कमान संभाले नागेंद्र सिंह के पर कतरे जा सकते हैं। कमल पटेल और अनूप मिश्र लाल बत्ती पाने आतुर दिख रहे हैं। संगठन की हामी के बाद उनकी बांछें भी खिल सकती हैं।